मैरीटाइम अमृतकाल विजन 2047 के अनावरण के तीन दिनों के भीतर भारत ने 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हासिल किय
दुनिया में सबसे बड़े समुद्री शिखर सम्मेलनों में से एक ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (जीएमआईएस), 2023 में तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश जुटाने में कामयाबी मिली। यह शिखर सम्मेलन आज संपन्न हो गया। इस बड़ी उपलब्धि के साथ, जीएमआईएस का तीसरे संस्करण 80 ट्रिलियन रुपये के निवेश का ‘अमृत काल विजन 2047’ हासिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
जीएमआईएस, 2023 के समापन सत्र के दौरान केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग एवं आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री श्रीपद नाईक और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर आदि के साथ ‘जीएमआईएस 2023 मुंबई डिक्लेयरेशन’ का अनावरण किया।
जीएमआईएस, 2023 के समापन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग एवं आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट, 2023 ने दूरदर्शी प्रधानमंत्री मोदी के मैरीटाइम अमृत काल विजन, 2047 को प्राप्त करने की दिशा में 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निवेश प्रतिबद्धता हासिल करके एक शानदार शुरुआत की है। मोदी जी द्वारा जारी किया गया विजन दस्तावेज कई क्षेत्रों में समयबद्ध कार्यान्वयन योजना के साथ भारत के समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए एक रोडमैप पेश करता है। हितधारकों के बीच रिकॉर्ड संख्या में समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर के साथ, शिखर सम्मेलन ने भारत के वैश्विक मैरीटाइम हब बनने की राह खोल दी है। हम 50 से अधिक भागीदार देशों, सभी हितधारकों, प्रतिनिधियों के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहते हैं जिन्होंने सहयोग के लिए चिह्नित क्षेत्रों पर सहयोग करने और भविष्य के लिए सुरक्षित समाधान तैयार करने के लिए इस शिखर सम्मेलन के दौरान संबंध स्थापित किए हैं। आपके सक्रिय समर्थन से इस शिखर सम्मेलन की सफलता को देखते हुए, हमारा मानना है कि जीएमआईएस ने अपना उद्देश्य हासिल कर लिया है जो क्षेत्रीय सहयोग, समुद्री देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करता है।” गोयल ने भारत की एग्जिम (निर्यात-आयात) व्यापार क्षमता को बढ़ाने के लिए पत्तन, पोत और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की, जिसके द्वारा 2022-23 में 450 बिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार हासिल किया गया है।
वैश्विक शिखर सम्मेलन में कई देशों, 215 अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय वक्ताओं और 50,000 भौतिक रूप से और वर्चुअल माध्यम से उपस्थित लोगों की भागीदारी देखी गई। अपने पिछले संस्करणों की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, तीसरी बैठक ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री हितधारकों के लिए व्यापक संभावनाओं की पेशकश की।
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने नवाचार और प्रौद्योगिकी की भूमिका के बारे में बताते हुए कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में, भारत क्षेत्रीय दक्षता बढ़ाने, क्षमता निर्माण की दिशा में अनुसंधान और विकास और मौजूदा प्रौद्योगिकियों के कार्यान्वयन में सबसे आगे रहा है। समुद्री दक्षता के लिए डिजिटल उत्कृष्टता केंद्र (सीओईएमई) की स्थापना उन कई पहलों में से एक है जो स्वदेशी और सहयोगात्मक विकास दोनों के लिए तकनीकी विकास के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती हैं। इस क्रम में, हमारी सरकार के लिए भारत के समुद्री स्टार्ट अप इकोसिस्टम की क्षमता का दोहन करने का मुख्य रूप से जोर रहेगा।”
इस तीन दिवसीय आयोजन के दौरान, हरित बंदरगाहों और नौवहन के साथ सतत विकास के बारे में भी काफी चर्चा हुई, जो एक ऐसा क्षेत्र जिसमें नॉर्वे और अन्य अग्रणी समुद्री राष्ट्र सर्वोत्तम तौर तरीकों को परिभाषित कर रहे हैं और नए मानक स्थापित कर रहे हैं जिनका बाकी दुनिया को पालन करना चाहिए। सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “उदाहरण के लिए, भारत हरित ईंधन, विद्युतीकृत/ नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित यार्ड उपकरण और वाहनों के उपयोग के साथ जीएचजी उत्सर्जन में कमी लाने से जुड़े अन्य प्रमुख क्षेत्रों में कार्बन तटस्थता (कार्बन न्यूट्रैलिटी) विकसित करने की योजना बना रहा है।”
केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “हम वैश्विक अर्थव्यवस्था के गुमनाम नायकों – हमारे नाविकों को धन्यवाद देते हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘प्रमुख श्रमिक’ के रूप में नामित किया गया है। वैश्विक स्तर पर नाविकों की आपूर्ति में 5वें स्थान पर भारत का होना, उसकी उद्योग के लिए तैयार प्रतिभाओं के विकास को बढ़ावा देने में हमारे दशक भर के प्रयासों का प्रमाण है।
उन्होंने नाविकों के लिए महामारी के बाद के युग में विकसित अधिक मददगार और सहज कामकाजी माहौल प्रदान करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, वस्त्र, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने श्री सोनोवाल के साथ जीएमआईएस 2023 का समापन किया और इस बारे में अपने विचार साझा किए कि कैसे भारत का समुद्री क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो सभी सार्वजनिक और निजी बंदरगाह प्राधिकरणों, शिपिंग लाइनों, कंपनियों, स्टार्टअप, एमएसएमई और अन्य सहायक उद्योगों के लिए योगदान देती है।
शिखर सम्मेलन के तीन दिनों में ज्ञानवर्धक गोलमेज बैठकों और सत्रों की एक श्रृंखला देखी गई, जिनमें से प्रत्येक में भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी), बिम्सटेक, चाबहार बंदरगाह आईएनटीएससी गलियारे पर चर्चा के साथ-साथ प्रमुख क्षेत्रीय विकास पहल सहित समुद्री क्षेत्र के अहम पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया। भारतीय और यूरोपीय संघ के देशों को जोड़ने वाले कई बंदरगाहों के विकास, भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं से निपटने, बिम्सटेक और आईएमईसी आर्थिक गलियारों के लिए समुद्री मार्ग को प्रवेश द्वार के रूप में बढ़ावा देने और आईएमओ में प्रासंगिक फोकस क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए संयुक्त मंचों की सुविधा जैसे पहलू चर्चा के कुछ प्रमुख क्षेत्र थे।
जीएमआईएस 2023 में जहां भारत के क्रूज क्षेत्र में मौजूद अवसरों के बारे में बताया गया, वहीं अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों को भारत में अपना आधार स्थापित करने के लिए आमंत्रित करने के साथ-साथ क्रूज टर्मिनल से जुड़े बुनियादी ढांचे के निर्माण, करों में छूट के साथ प्रोत्साहन, क्रूज़ के लिए समर्पित प्रशिक्षण अकादमियों के साथ संस्थागत क्षमता निर्माण और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप एक आकर्षक एवं टिकाऊ नीतिगत ढांचे जैसे उपायों के साथ क्रूज क्षेत्र को विकसित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया। सरकार एक समग्र क्रूज प्रोत्साहन नीति जारी करने की योजना बना रही है।
जीएमआईएस 2023 शिखर सम्मेलन केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और पत्तन, पोत्त और जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर की अध्यक्षता में हुए शिपिंग उद्योग से संबंधित प्रासंगिक सत्रों के साथ संपन्न हुआ।
डॉ. मंडाविया ने कहा, “समुद्री क्लस्टर उद्योग में सहयोग, नवाचार और दक्षता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हमारे उद्योग को आगे बढ़ाने के लिहाज से अपरिहार्य हैं। अच्छी तरह से सभी सुविधाओं से युक्त और विशिष्ट क्लस्टर स्थापित करके, हमारा लक्ष्य प्रतिस्पर्धी दरों पर उच्च गुणवत्ता वाली मरम्मत सेवाओं की मांग वाले दुनिया भर के जहाजों को आकर्षित करना है।”
इसके बाद भारत सरकार की माननीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में समुद्री वित्तपोषण, बीमा और मध्यस्थता पर एक विशेष चर्चा हुई। केंद्रीय विदेश एवं संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने भी जीएमआईएस शिखर सम्मेलन का भ्रमण किया।
देश के समुद्री क्षेत्र की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा, “पिछले 9 वर्षों के दौरान, हमारे प्रयासों से समुद्री क्षेत्र में उल्लेखनीय 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ बड़ा बदलाव लाया है, जिससे इस महत्वपूर्ण उद्योग में खासी प्रगति देखने को मिली है। भारत के बंदरगाह अब वैश्विक स्तर पर अग्रणी स्थिति में हैं, जो मात्र 0.9 दिन के टर्नअराउंड समय के साथ सिंगापुर और दुबई जैसे अंतरराष्ट्रीय केंद्रों से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।”
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीएमआईएस 2023 का उद्घाटन किया और उद्घाटन सत्र के दौरान 3.24 लाख करोड़ रुपये 34 एमओयू के साथ 18,800 करोड़ रुपये की 21 परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इसमें 1.8 लाख करोड़ की हरित परियोजनाएं और 1.1 लाख करोड़ रुपये की बंदरगाह विकास और आधुनिकीकरण की परियोजनाएं शामिल थीं। पीएम मोदी ने मैरीटाइम अमृत काल विजन 2047 भी शुरु किया, जो अगले 25 वर्ष यानी 2047 तक भारत को आत्मनिर्भर बनाने से संबंधित अमृत काल के लिए समुद्री क्षेत्र के विकास का एक रोडमैप है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने इस अवधि के दौरान समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए 80 लाख करोड़ रुपये के निवेश को खोले जाने के अपने दृष्टिकोण को साझा किया। वैश्विक आर्थिक गलियारों पर हुए गोलमेज सम्मेलन में विभिन्न देशों के 60 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें 33 अंतरराष्ट्रीय कंपनियों और 17 भारतीय कंपनियों के सीईओ शामिल थे। उद्घाटन सत्र में मंच पर केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ विभिन्न देशों के 10 मंत्री भी उपस्थित रहे। जीएमआईएस, 2023 के विभिन्न सत्रों में 10 देशों के 21 मंत्रियों ने भाग लिया।