माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 18 अक्टूबर, 2023 को भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व को संबोधित किया। इस अवसर पर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस)जनरल अनिल चौहान, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) जनरल मनोज पांडेऔर चीफ ऑफ एयर स्टाफ (सीएएस) एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भी संबोधन दिया।
माननीय रक्षा मंत्री ने अप्रत्याशित की उम्मीद करते हुए हमेशा तत्पर रहने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए मध्य पूर्व में चल रहे भू-राजनीतिक संकट और संघर्ष से सबक लेने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने टिप्पणी की कि ताकत में असमानता की गलत व्याख्या करने और प्रतिद्वंद्वी को कम आंकने की प्रवृत्ति किसी भी संघर्ष में जीत या हार के बीच की निर्णायक रेखा होगी।
सीडीएस ने बदलते प्रतिमान के अनुकूल राष्ट्रीय सुरक्षा के ढांचे और सैन्य मामलों में क्रांति की आवश्यकता को स्पष्ट किया। सीओएएस ने वर्तमान में जारी बदलाव की प्रक्रिया में उत्साहपूर्ण भागीदारी के लिए सेना की सराहना की। उन्होंने वरिष्ठ नेतृत्व से परिवर्तन की इस प्रक्रिया को जारी रखने का भी आह्वान किया। सीएएस ने परिचालन पहलुओं पर बात की और अधिकतम परिचालन परिणामों के लिए सेवाओं के बीच तालमेल के महत्व पर जोर दिया।
शीर्ष नेतृत्व ने वर्तमान/उभरते सुरक्षा परिदृश्यों पर विचारकिया और भारतीय सेना की परिचालन तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने संगठनात्मक संरचनाओं और बदलती प्रशिक्षण व्यवस्थाओं के मूलभूत पहलुओं पर भी गहराई से चर्चा की।
इस अवसर पर भारतीय सेना के लिए जरूरी सबक लेने के उद्देश्य से सैन्य नेतृत्व द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-हमास संघर्ष सहित भू-रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा की गई।
सिक्किम में हाल ही में आई ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) और उसके परिणामस्वरूप हुए नुकसान और तैयारियों की स्थिति पर भी विचार-विमर्श किया गया। बचाव, राहत और संचार संबंधी बुनियादी ढांचे की त्वरित बहाली के लिए सरकार की सभी एजेंसियों के बीच तालमेल पर चर्चा हुई। साथ ही, इसी तरह की आपात स्थितियों में बेहतर प्रतिक्रिया के उद्देश्य से तंत्र स्थापित करने पर भी विचार-विमर्श किया गया।
‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का दोहन’विषय पर अपनी बातचीत के दौरान, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार श्री अजय कुमार सूद ने भविष्य के युद्ध पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव के बारे में बात की। उन्होंने क्वांटम कंप्यूटिंग में प्रगति, साइबर खतरों को कम करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास पर जोर दिया।
शीर्ष स्तर के इस कार्यक्रम से रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों और वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व को विचार-मंथन करने और कई पहलों को आगे बढ़ाने का अवसर भी मिला। बातचीत के माध्यम से शॉर्ट सर्विस कमीशन को और अधिक आकर्षक बनाने, सभी आंतरिक परीक्षाओं को ‘ऑनलाइन’ मोड में आयोजित करने और बुजुर्ग सैनिकों की चिंताओं को दूर करने का तंत्र तैयार करने जैसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले गए।
इसके अलावा, सैन्य नेतृत्व ने डिजिटलीकरण और स्वचालन पहल सहित नए युग में भारतीय सेना के लिए प्रशिक्षण के तौर तरीकों और उसके स्वरूप पर विचार-विमर्श किया, ताकि खतरों और संघर्षों के उभरतेस्वरूपों के अनुरूप सेना को “भविष्य के लिए तैयार” बनाया जा सके।
भारतीय सेना के बदलाव की दिशा में जारी प्रक्रिया के अनुरूप संचालन, प्रशिक्षण, रसद और अन्य क्षेत्रों से जुड़ी एक ठोस नीति तैयार करने के लिए वरिष्ठ कमांडरों के विचार लिए गए। वैचारिक स्तर पर चर्चा की गई,जिससे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण नीतियों के निर्माण का