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विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना (आईएन) और फ्रांसीसी नौसेना (एफएन) साझेदारी में समुद्री अभ्यास

भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस राणा, एक निर्देशित मिसाइल विध्वंसक और स्वदेशी रूप से निर्मित अपतटीय गश्ती जहाज आईएनएस सुमेधा ने 30 जून 2023 को बंगाल की खाड़ी में फ्रांसीसी नौसेना के जहाज एफएस सुरकॉफ के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास (एमपीएक्स) किया। फेयेट श्रेणी के युद्धपोत सुरकॉफ ने 26 से 29 जून 2023 तक विशाखापत्तनम का दौरा किया और भारतीय नौसेना के जहाजों के साथ कई गतिविधियों में भाग लिया, जिसमें पेशेवर और सामाजिक गतिविधि, खेल कार्यक्रम और क्रॉस डेक दौरे शामिल थे।

विशाखापत्तनम से प्रस्थान पर, एफएस सुरकॉफ ने आईएन जहाजों राणा और सुमेधा के साथ विभिन्न समुद्री अभ्यास किए, जिसमें सामरिक युद्धाभ्यास, समुद्र में पुनःपूर्ति (आरएएस) दृष्टिकोण, लड़ाकू विमानों के खिलाफ वायु रक्षा और क्रॉस डेक हेलीकॉप्टर संचालन शामिल रहे। अभ्यास का समापन दोनों नौसेनाओं के बीच घनिष्ठ मित्रता की पुष्टि करते हुए जहाजों के बीच एक पारंपरिक विदाई स्टीमपास्ट के साथ हुआ। एफएस सुरकॉफ़ की भारत यात्रा भारतीय नौसेना और फ्रांसीसी नौसेना के बीच मजबूत संबंधों का प्रतीक है।

इससे पूर्व इसी वर्ष एफएस ला फेयेट, एक फ्रिगेट और एफएस डिक्सम्यूड, एक मिस्ट्रल-क्लास आक्रामक श्रेणी के जहाज ने 10 से 11 मार्च 2023 तक एक निर्देशित मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्री के साथ एक साझेदारी अभ्यास में भाग लिया था।

 

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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा, उभरते युद्ध परिदृश्य में सैन्य क्षमता विकास की आवश्यकता

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, परम विशिष्ट सेवा मेडल (पीवीएसएम), उत्तम युद्ध सेवा मेडल (यूवाईएसएम), अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम) , सेना मेडल (एसएम), विशिष्ट सेवा मेडल (वीएसएम) ने उभरते युद्ध परिदृश्य में सैन्य क्षमता विकास की आवश्यकता पर जोर दिया है। वह नये डीआरडीओ भवन में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और सेंटर फॉर ज्वाइंट वारफेयर स्टडीज द्वारा संयुक्त रूप से ‘टेक्नोलॉजी इनेबल्ड सेंसर-डिसीजन-शूटर सुपीरियॉरिटी’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार और प्रदर्शनी में 30 जून, 2023 को सम्मानित अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

जनरल चौहान ने अपने संबोधन में नवीनतम संचार और कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकियों के एकीकरण सहित कई सेंसर और शूटर क्षमताओं में तालमेल और पारदर्शिता हासिल करने में सशस्त्र बलों की उपलब्धियों को भी रेखांकित किया।

सीडीएस ने कहा कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के साथ युद्ध की गति को संभव बनाने के लिए ओओडीए (ऑब्जर्व, ओरिएंट, डिसाइड, एक्ट) चक्र को उच्च गति का होना चाहिए। जनरल चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि क्षमता विकास एक वैज्ञानिक प्रक्रिया के माध्यम से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि थिएटराइजेशन के साथ पारस्परिकता और एकीकरण कई गुना बढ़ जाएगा।

सीडीएस ने कहा कि अंतरिक्ष, साइबर और ईडब्ल्यू प्रौद्योगिकियों की आधारभूत समझ सभी युद्ध सेनानियों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने भविष्य के युद्ध क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करने के लिए विचार-मंथन करने और एक-दूसरे की आवश्यकताओं की आपसी समझ की खातिर सेवाओं, वैज्ञानिकों, उद्योग और शिक्षाविदों को एक साथ लाने के लिए डीआरडीओ और सेंटर फॉर ज्वाइंट वारफेयर स्टडीज के प्रयासों की सराहना की।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत भी समारोह में शामिल हुए। डॉ. समीर वी. कामत ने अपने संबोधन में कहा कि सेंसर के प्रसार के साथ, नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर भविष्य के युद्धक्षेत्र परिदृश्य में एक वास्तविकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे नेटवर्क की सुरक्षा सर्वोपरि है और समय पर सुरक्षित जानकारी प्रसारित करना एक आवश्यकता है। उन्होंने एआई-संचालित स्वायत्तता की महत्ता को भी रेखांकित किया।

सेंटर फॉर ज्वाइंट वारफेयर स्टडीज के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुनील श्रीवास्तव, अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम) विशिष्ट सेवा मेडल (वीएसएम) **** (सेवानिवृत्त), तीनों सेनाओं के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, डीआरडीओ वैज्ञानिक और उद्योग प्रतिनिधि सेमिनार में शामिल हुए। सेमिनार में रणनीतिक और मल्टी डोमेन अवेरनेस पर विभिन्न ‘विषय वस्तु विशेषज्ञों’ द्वारा सूचना साझा करना: नेटवर्क और संचार, विश्लेषण, खुफिया और निर्णय लेना, त्वरित और मल्टी-डोमेन टारगेटिंग पर चर्चा की गई।

सेमिनार ने सैन्य विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और प्रबुद्ध जनों को इस विषय पर विचार-मंथन करने और सभी हितधारकों के लिए विभिन्न कार्रवाई योग्य बिंदु उपलब्ध करने का अवसर प्रदान किया।

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किसानों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा

प्रधानमंत्री  मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने आज 3,70,128.7 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ किसानों के लिए नवीन योजनाओं के एक विशेष पैकेज को मंजूरी दी। योजनाओं का समूह टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देकर किसानों के समग्र कल्याण और उनकी आर्थिक बेहतरी पर केंद्रित है। ये पहल किसानों की आय को बढ़ायेंगी, प्राकृतिक एवं जैविक खेती को मजबूती देंगी, मिट्टी की उत्पादकता को पुनर्जीवित करेंगी और साथ ही खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित करेंगी।

सीसीईए ने किसानों को करों और नीम कोटिंग शुल्कों को छोड़कर 242 रुपये प्रति 45 किलोग्राम की बोरी की समान कीमत पर यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यूरिया सब्सिडी योजना को जारी रखने की मंजूरी दे दी है। पैकेज में तीन वर्षों के लिए (2022-23 से 2024-25) यूरिया सब्सिडी को लेकर 3,68,676.7 करोड़ रुपये आवंटित करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। यह पैकेज हाल ही में अनुमोदित 2023-24 के खरीफ मौसम के लिए 38,000 करोड़ रुपये की पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) के अतिरिक्त है। किसानों को यूरिया की खरीद के लिए अतिरिक्त खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी और इससे उनकी इनपुट लागत को कम करने में मदद मिलेगी। वर्तमान में, यूरिया की एमआरपी 242 रुपये प्रति 45 किलोग्राम यूरिया की बोरी है (नीम कोटिंग शुल्क और लागू करों को छोड़कर) जबकि बैग की वास्तविक कीमत लगभग 2200 रुपये है। यह योजना पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा बजटीय सहायता के माध्यम से वित्तपोषित है। यूरिया सब्सिडी योजना के जारी रहने से जारी रहने से यूरिया का स्वदेशी उत्पादन भी अधिकतम होगा।

लगातार बदलती भू-राजनीतिक स्थिति और कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण, पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर उर्वरक की कीमतें कई गुना बढ़ रही हैं। लेकिन भारत सरकार ने उर्वरक सब्सिडी बढ़ाकर अपने किसानों को उर्वरक की अधिक कीमतों से बचाया है। हमारे किसानों की सुरक्षा के अपने प्रयास में, भारत सरकार ने उर्वरक सब्सिडी को 2014-15 में 73,067 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2022-23 में 2,54,799 करोड़ रुपये कर दिया है।

नैनो यूरिया इकोसिस्टम का सुदृढ़ीकरण

2025-26 तक, 195 एलएमटी पारंपरिक यूरिया के बराबर 44 करोड़ बोतलों की उत्पादन क्षमता वाले आठ नैनो यूरिया संयंत्र चालू हो जाएंगे। नैनो उर्वरक पोषकतत्वों को नियंत्रित तरीके से रिलीज करता है, जो पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता को बढ़ता है और किसानों की लागत भी कम आती है। नैनो यूरिया के उपयोग से फसल उपज में वृद्धि हुई है।

देश 2025-26 तक यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर बनने की राह पर

वर्ष 2018 से 6 यूरिया उत्पादन यूनिट, चंबल फर्टिलाइजर लिमिटेड, कोटा राजस्थान, मैटिक्स लिमिटेड पानागढ़, पश्चिम बंगाल, रामागुंडम-तेलंगाना,  गोरखपुर-उत्तर प्रदेश, सिंदरी-झारखंड और बरौनी-बिहार की स्थापना और पुनरुद्धार से देश को यूरिया उत्पादन और उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिल रही है। यूरिया का स्वदेशी उत्पादन 2014-15 के 225 एलएमटी के स्तर से बढ़कर 2021-22 के दौरान 250 एलएमटी हो गया है। 2022-23 में उत्पादन क्षमता बढ़कर 284 एलएमटी हो गई है। नैनो यूरिया संयंत्र के साथ मिलकर ये यूनिट यूरिया में हमारी वर्तमान आयात पर निर्भरता को कम करेंगे और 2025-26 तक हम आत्मनिर्भर बन जाएंगे।

धरती माता की उर्वरता की बहालीजागरूकतापोषण और सुधार हेतु प्रधानमंत्री कार्यक्रम (पीएम-प्रणाम)

धरती माता ने हमेशा मानव जाति को भरपूर मात्रा में जीविका के स्रोत प्रदान किए हैं। यह समय की मांग है कि खेती के अधिक प्राकृतिक तरीकों और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित/सतत उपयोग को बढ़ावा दिया जाए। प्राकृतिक/जैविक खेती, वैकल्पिक उर्वरकों, नैनो उर्वरकों और जैव उर्वरकों को बढ़ावा देने से हमारी धरती माता की उर्वरता को बहाल करने में मदद मिल सकती है। इस प्रकार, बजट में यह घोषणा की गई थी कि वैकल्पिक उर्वरक और रासायनिक उर्वरक के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘धरती माता की उर्वरता की बहाली, जागरूकता, पोषण और सुधार हेतु प्रधानमंत्री कार्यक्रम (पीएम-प्रणाम)’ शुरू किया जाएगा।

गोबरधन संयंत्रों से जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए बाजार विकास सहायता (एमडीए) के लिए 1451.84 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

आज के अनुमोदित पैकेज में धरती माता की उर्वरता की बहाली, पोषण और बेहतरी के नवीन प्रोत्साहन तंत्र भी शामिल है। गोबरधन पहल के तहत स्थापित बायोगैस संयंत्र/संपीड़ित बायो गैस (सीबीजी) संयंत्रों से उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित जैविक उर्वरक अर्थात किण्वित जैविक खाद (एफओएम)/तरल एफओएम /फास्फेट युक्त जैविक खाद (पीआरओएम) के विपणन का समर्थन करने के लिए 1500 रुपये प्रति मीट्रिक टन के रूप में एमडीए योजना शामिल है।

ऐसे जैविक उर्वरकों को भारतीय ब्रांड एफओएम, एलएफओएम और पीआरओएम के नाम से ब्रांड किया जाएगा। यह एक तरफ फसल के बाद बचे अवशेषों का प्रबंध करने और पराली जलाने की समस्‍याओं का समाधान करने में सुविधा प्रदान करेगा, पर्यावरण को स्‍वच्‍छ और सुरक्षित रखने में भी मदद करेगा। साथ ही किसानों को आय का एक अतिरिक्‍त स्रोत प्रदान करेगा। ये जैविक उर्वरक किसानों को किफायती कीमतों पर मिलेंगे।

यह पहल इन बायोगैस/सीबीजी संयंत्रों की व्यवहार्यता बढ़ाकर चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए गोबरधन योजना के तहत 500 नए अपशिष्ट से धन संयंत्र  स्थापित करने की बजट घोषणा के क्रियान्वयन की सुविधा प्रदान करेगी।

टिकाऊ कृषि पद्धति के रूप में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने से मृदा की उर्वरता बहाल हो रही है और किसानों के लिए इनपुट लागत कम हो रही है। 425 कृषि विज्ञान केन्‍द्रों (केवीके) ने प्राकृतिक कृषि पद्धतियों का प्रदर्शन किया है और 6.80 लाख किसानों को शामिल करते हुए 6,777 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं। जुलाई-अगस्‍त 2023 के शैक्षणिक सत्र से बीएससी  तथा एमएससी में प्राकृतिक खेती के लिए पाठ्यक्रम भी तैयार किए गए है।

मृदा में सल्फर की कमी को दूर करने और किसानों की इनपुट लागत को कम करने के लिए सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड) की शुरुआत की गई।

पैकेज की एक और पहल यह है कि देश में पहली बार सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड) की शुरुआत की जा रही है। यह वर्तमान में उपयोग होने वाले नीम कोटेड यूरिया से अधिक किफायती और बेहतर है। यह देश में मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करेगा। यह किसानों की इनपुट लागत भी बचाएगा और उत्‍पादन एवं उत्‍पादकता में वृद्धि के साथ किसानों की आय भी बढ़ाएगा।

प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केन्‍द्र (पीएमकेएसकेकी संख्या एक लाख हुई

देश में लगभग एक लाख प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केन्‍द्र (पीएमकेएसके) पहले ही कार्यरत हैं। किसानों की सभी जरूरतों के लिए एक ही जगह पर उनकी हर समस्या के समाधान के रूप में यह केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।

लाभ

आज की अनुमोदित योजनाएं रासायनिक उर्वरकों का सही उपयोग करने में मदद करेंगी, जिससे किसानों के लिए खेती की लगने वाली लागत कम हो जाएगी। प्राकृतिक/जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नैनो उर्वरक और जैविक उर्वरक से हमारी धरती माता की उर्वरता बहाल करने में मदद मिलेगी।

1) बेहतर मृदा स्वास्थ्य से पोषकतत्‍व दक्षता बढ़ती है तथा मृदा एवं जल प्रदूषण में कमी होने से पर्यावरण भी सुरक्षित होता है। सुरक्षित तथा स्‍वच्‍छ पर्यावरण से मानव स्‍वास्‍थ्‍य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।

2) फसल के अवशेष जैसे पराली जलाने से वायु प्रदूषण का मसला हल होगा तथा स्‍वच्‍छता में सुधार होगा और पर्यावरण बेहतर होगा तथा साथ ही अपशिष्ट  से धन सृजन में भी सहायता मिलेगी।

3) किसान को ज्यादा लाभ मिलेंगे– यूरिया के लिए उन्‍हें कोई अतिरिक्‍त भुगतान नहीं करना होगा क्‍योंकि किफायती कीमतों पर उपलब्‍ध रहेगा। जैविक उर्वरकों  (एफओएम/पीआरओएम) भी किफायती कीमतों पर उपलब्‍ध होंगे। कम कीमत वाली नैनो यूरिया तथा रासायनिक उर्वरकों के कम प्रयोग और ऑर्गेनिक उर्वरकों के बढ़ते उपयोग से किसानों के लिए इनपुट लागत भी कम हो जाएगी। कम इनपुट लागत के साथ स्‍वस्‍थ मृदा तथा पानी से फसलों का उत्‍पादन और उत्‍पादकता बढ़ेगी। किसानों को उनके उत्‍पाद से बेहतर लाभ मिलेगा।

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सरकार ने चीनी सीजन 2023-24 के लिए गन्ना किसानों को चीनी मिलों द्वारा देय गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य को मंजूरी दी

गन्ना किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट कमिटी ( सीसीईए )  ने 10.25 प्रतिशत की मूलभूत रिकवरी दर के लिए 315 रुपये प्रति क्विंटल पर चीनी सीजन 2023-24 ( अक्टूबर-सितंबर ) के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य ( एफआरपी ) को मंजूरी दे दी। 10.25 प्रतिशत से अधिक की रिकवरी में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की वृद्धि के लिए 3.07 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम प्रदान करने और रिकवरी में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की कमी के लिए एफआरपी में 3.07 रुपये प्रति क्विंटल की कमी करने को मंजूरी दी गई है।

इसके अतिरिक्त, गन्ना किसानों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से सरकार ने यह भी निर्णय किया है कि उन चीनी मिलों के मामलों में कोई कटौती नहीं होगी जहां रिकवरी 9.5 प्रतिशत से कम है। ऐसे किसानों को चालू चीनी सीजन 2022-23 में 282.125 रुपये प्रति क्विंटल के स्थान पर आगामी चीनी सीजन 2023-24 में गन्ने के लिए 291.975 रुपये प्रति क्विंटल प्राप्त होंगे।

चीनी सीजन 2023-24 के लिए गन्ने के उत्पादन की लागत 157 रुपये प्रति क्विंटल है। 315 रुपये प्रति क्विंटल की रिकवरी दर पर यह एफआरपी उत्पादन लागत से 100.06 प्रतिशत से अधिक है। चीनी सीजन 2023-24 के लिए एफआरपी वर्तमान चीनी सीजन 2022-23 की तुलना में 3.28 प्रतिशत अधिक है।

मंजूरी की गई एफआरपी चीनी मिलों द्वारा चीनी सीजन 2023-24 ( 1 अक्टूबर, 2023 से आरंभ ) में किसानों से गन्ने की खरीद के लिए लागू होगी। चीनी सेक्टर एक महत्वपूर्ण कृषि- आधारित सेक्टर है जो लगभग 5 करोड़ गन्ना किसानों की आजीविका को और उनके आश्रितों तथा चीनी मिलों में प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत लगभग 5 लाख श्रमिकों के अतिरिक्त कृषि श्रमिकों एवं परिवहन सहित विभिन्न सहायक कार्यकलापों से जुटे लोगों को प्रभावित करता है।

एफआरपी का निर्धारण कृषि लागत और मूल्य आयोग ( सीएसीपी ) की अनुशंसाओं के आधार पर और राज्य सरकारों तथा अन्य हितधारकों के साथ परामर्शकरने के बाद किया गया था। चीनी सीजन 2013-14 के बाद से सरकार द्वारा घोषित एफआरपी के विरण इस प्रकार हैं :

पृष्ठभूमि 

वर्तमान चीनी सीजन 2022-23 में, चीनी मिलों द्वारा 1,11,366 करोड़ रुपये के मूल्य लगभग 3,353 लाख टन गन्ने की खरीद की गई जो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की फसल की खरीद के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। सरकार अपने किसान- हितैषी कदमों के माध्यम से यह सुनिश्चित करेगी कि गन्ना किसानों को उनका बकाया राशि समय पर प्राप्त हो जाए।

पिछले पांच वर्षों में जैव ईंध क्षेत्र के रूप में इथेनौल के विकास ने गन्ना किसानों और चीनी सेक्टर की भरपूर सहायता की है क्योंकि गन्ने/चीनी को इथेनौल में बदलने से भुगतान में तेजी आई है, कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं में कमी आई है तथा मिलों के पास कम अधिशेष चीनी की वजह से फंडों की रुकावट कम हुई है जिससे अब वे किसानों के गन्ने बकाया का समय पर भुगतान करने में सक्षम हो गई हैं। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान, लगभग 20,500 करोड़ रुपये का राजस्व चीनी मिलों/डिस्टिलरियों द्वारा सृजित किया गया है जिसने उन्हें किसानों के गन्ने बकाया का भुगतान करने में सक्षम बनाया है।

पेट्रोल के साथ मिश्रित इथेनौल ( ईबीपी ) कार्यक्रम ने विदेशी मुद्रा की बचत करने के साथ साथ देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी सुदृढ़ बनाया है और आयातित फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता कम कर दी है जिससे पेट्रोलियम सेक्टर में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को अर्जित करने में मदद मिली है। 2025 तक, 60 एलएमटी से अधिक अतिरिक्त चीनी को इथेनौल में बदलने का लक्ष्य है जिससे चीनी की उच्च इनवेंटरी की समस्या का समाधान होगा, मिलों की तरलता में सुधार होगा जिससे किसानों के गन्ना बकाया का समय पर भुगतान करने में सहायता मिलेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवर भी सृजित होंगे। पेट्रोल के साथ इथेनौल के उपयोग से प्रदूषण में कमी आएगी और वायु की गुणवत्ता में सुधार आएगा।

सरकार की सक्रिय और किसान हितैषी नीतियों के कारण किसानों, उपभोक्ताओं के साथ साथ चीनी क्षेत्र में काम कर रहे श्रमिकों के हितों को भी बढ़ावा मिला है और चीनी को किफायती बनाने के द्वारा पांच करोड़ से अधिक प्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों और सभी उपभोक्ताओं की आजीविका में सुधार हुआ है। सरकार की सक्रिय नीतियों के फलस्वरूप, चीनी सेक्टर अब आत्म निर्भर बन गया है।

भारत अब वैश्विक चीनी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि यह विश्व में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। चीनी सीजन 2021-22 में, भारत चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक देश भी बन गया है। ऐसी उम्मीद की जाती है कि भारत वित्त वर्ष 2025-26 तक विश्व में तीसरा सबसे बड़ा इथेनौल उत्पादक देश बन जाएगा।

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केंद्र ने विद्युत क्षेत्र के सुधारों में तेजी लाने के लिए राज्यों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति के रूप में वित्तीय प्रोत्साहन देकर विद्युत क्षेत्र में राज्यों द्वारा सुधारों को बढ़ावा दिया है। इस कदम का उद्देश्य विद्युत क्षेत्र की दक्षता और कार्य प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए सुधारों को प्रारंभ करने में राज्यों को प्रोत्साहित करना और समर्थन देना है।

केंद्रीय बजट 2021-22 में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा इस पहल की घोषणा की गई थी। इस पहल के अंतर्गत 2021-22 से 2024-25 तक चार वर्ष की अवधि के लिए राज्यों को सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.5 प्रतिशत का अतिरिक्त उधार लेने की सुविधा उपलब्ध है। यह अतिरिक्त वित्तीय सुविधा राज्यों द्वारा विद्युत क्षेत्र में विशिष्ट सुधारों को लागू करने पर निर्भर है।

इस पहल ने राज्य सरकारों को सुधार प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए प्रोत्साहित किया है और अनेक राज्यों ने आगे आकर किए गए सुधारों और विभिन्न मानकों की उपलब्धियों का ब्यौरा विद्युत मंत्रालय को प्रस्तुत किया है।

विद्युत मंत्रालय की सिफारिशों के आधार पर वित्त मंत्रालय ने 12 राज्यों को 2021-22 और 2022-23 में किए गए सुधारों के लिए अनुमति दी है। पिछले दो वित्तीय वर्षों में उन्हें अतिरिक्त  उधारी अनुमतियों के माध्यम से 66,413 करोड़ रुपये के वित्तीय संसाधन जुटाने की अनुमति दी गई है।

सुधार प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए प्रोत्साहन रूप में प्रत्येक राज्य के लिए अनुमति दी गई राशि का विभाजन इस प्रकार किया गया  है-

क्रम संख्या राज्य 2021-22 और 2022-23 के लिए अतिरिक्त उधार अनुमति की संचयी राशि (करोड़ रुपये में)

 

1 आंध्र प्रदेश 9,574
2 असम 4,359
3 हिमाचल प्रदेश 251
4 केरल 8,323
5 मणिपुर 180
6 मेघालय 192
7 ओडिशा 2,725
8 राजस्थान 11,308
9 सिक्किम 361
10 तमिलनाडु 7,054
11 उत्तर प्रदेश 6,823
12 पश्चिम बंगाल 15,263
  कुल योग 66,413

 

वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य विद्युत क्षेत्र के सुधारों से जुड़ी अतिरिक्त उधार लेने की सुविधा का लाभ उठाना जारी रख सकते हैं। 2023-24 में इन सुधारों को प्रारंभ करने के लिए राज्यों को प्रोत्साहन के रूप में 1,43,332 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध होगी। 2021-22 और 2022-23 में सुधार प्रक्रिया को पूरा करने में असमर्थ रहे। राज्यों को भी 2023-24 के लिए निर्धारित अतिरिक्त उधार से लाभ हो सकता है, यदि वे चालू वित्त वर्ष में सुधार करते हैं।

विद्युत क्षेत्र में सुधार के लिए वित्तीय प्रोत्साहन देने का प्राथमिक उद्देश्य इस क्षेत्र के भीतर परिचालन और आर्थिक दक्षता में सुधार करना तथा भुगतान किए गए विद्युत की खपत में निरंतर वृद्धि को बढ़ावा देना है।

प्रोत्साहन के पात्र होने के लिए राज्य सरकारों को अनिवार्य सुधारों का एक सेट तैयार करना चाहिए और निर्धारत प्रदर्शन मानकों को पूरा करना चाहिए। आवश्यक सुधारों में निम्नलिखित शामिल हैः

• राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की हानियों के लिए उत्तरोत्तर दायित्व ग्रहण।

• सब्सिडी के भुगतान तथा डिस्कॉम के प्रति सरकारों और डिस्कॉम की देनदारियों को दर्ज करने सहित विद्युत क्षेत्र के वित्तीय मामलों की रिपोर्टिंग में पारदर्शिता।

• वित्तीय ऊर्जा खातों को समय पर प्रस्तुत करना और समय पर लेखा परीक्षण।

• कानूनी और नियामक आवश्यकताओं का अनुपालन।

इन सुधारों के पूरा होने पर प्रोत्साहन राशि के लिए अपनी पात्रता निर्धारित करने के लिए विशिष्ट मानकों के आधार पर किसी राज्य के प्रदर्शन का मूल्यांकन जो प्रदर्शन के आधार पर सकल घरेलू उत्पाद का 0.25 प्रतिशत से 0.5 प्रतिशत तक हो सकता है। मूल्यांकन मानकों में शामिल हैं-

• कृषि कनेक्शन सहित कुल ऊर्जा खपत की तुलना में मीटर बिजली की खपत का प्रतिशत।

• उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) द्वारा सब्सिडी का भुगतान।

• कुल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटी और सी) हानि में कमी के लिए लक्ष्यों की प्राप्ति।

• आपूर्ति की औसत लागत और औसत वसूली योग्य राजस्व (एसीएस-एआरआर) अंतर में कमी के लक्ष्यों को पूरा करना।

• क्रॉस सब्सिडी में कमी।

• सरकारी विभागों तथा स्थानीय निकायों द्वारा विद्युत बिलों का भुगतान।

• सरकारी कार्यालय में प्रीपेड मीटर लगाना।

• नवचारों और नवीन प्रौद्योगिकियों का उपयोग।

इसके अतिरिक्त राज्य विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण के लिए बोनस अंक के लिए पात्र हैं।

विद्युत मंत्रालय राज्यों के निष्पादन का आकलन करने और अतिरिक्त उधार की अनुमति प्रदान करने के लिए उनकी पात्रता निर्धारित करने में नोडल मंत्रालय के रूप में कार्य करता है।

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प्रधानमंत्री ने पांच वंदे भारत ट्रेनों को झंडी दिखाकर रवाना किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज मध्य प्रदेश के भोपाल में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर पांच वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को झंडी दिखा कर रवाना किया। पांच वंदे भारत ट्रेनें भोपाल (रानी कमलापति)-इंदौर वंदे भारत एक्सप्रेस;  भोपाल (रानी कमलापति)-जबलपुर वंदे भारत एक्सप्रेस;  रांची-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस;  धारवाड़-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस और गोवा (मडगांव)-मुंबई वंदे भारत एक्सप्रेस हैं।

प्रधानमंत्री ने रानी कमलापति-इंदौर वंदे भारत एक्सप्रेस के पहले कोच का निरीक्षण किया। उन्होंने ट्रेन में यात्रा कर रहे बच्चों और चालक दल के सदस्यों से भी बातचीत की।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया-आज भोपाल में पांच वंदे भारत ट्रेनों को एक साथ शुरू करने का सौभाग्य मिला। यह दिखाता है कि देशभर में इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी के तेज विकास को लेकर हमारी सरकार कितनी प्रतिबद्ध है।

भोपाल (रानी कमलापति)- इंदौर वंदे भारत एक्सप्रेस में यात्रा करने वाले इंदौर के सांसद श्री शंकर लालवानी के ट्वीट का जवाब देते हुए, प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के लोगों को बधाई दी और कहा कि इससे उज्जैन जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा आसान हो जाएगी।

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 नारायण राणे ने महिला उद्यमियों के लिए ‘चैंपियंस 2.0 पोर्टल’, ‘क्लस्टर परियोजनाओं, प्रौद्योगिकी केंद्रों की जियो-टैगिंग के लिए मोबाइल ऐप’ और ‘एमएसएमई आइडिया हैकथॉन 3.0’ लॉन्च किया।

अंतरराष्ट्रीय एमएसएमई दिवस के अवसर पर, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, एमएसएमई ने आज यहां ‘उद्यमी भारत-एमएसएमई दिवस’ मनाया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री नारायण राणे और केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

 

 

 

 

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि द्वारा एमएसएमई मंत्रालय की विभिन्न पहलों का शुभारंभ किया गया, जो एमएसएमई के विकास के लिए समर्पित हैं।  जैसे ‘चैंपियंस 2.0 पोर्टल’ और ‘क्लस्टर परियोजनाओं और प्रौद्योगिकी केंद्रों की जियो-टैगिंग के लिए मोबाइल ऐप’। इसके अलावा, ‘एमएसएमई आइडिया हैकथॉन 2.0’ के परिणाम घोषित किए गए और महिला उद्यमियों के लिए ‘एमएसएमई आइडिया हैकथॉन 3.0’ लॉन्च किया गया।

सभा को संबोधित करते हुए श्री नारायण राणे ने देश की जीडीपी और निर्यात में एमएसएमई के महत्व पर जोर दिया और उम्मीद जताई कि एमएसएमई 2030 तक देश की जीडीपी में 50% का योगदान देगा। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता पर सभी स्टेक होल्डर्स को बधाई दी और सभी से इस दिशा में कदम उठाने का आग्रह किया। भारत को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना।

देश की अर्थव्यवस्था के विकास में भारतीय एमएसएमई की भूमिका की सराहना करते हुए, श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने कहा कि 2014 के बाद से, भारत की जीडीपी रैंकिंग में 10वें से 5वें स्थान पर महत्वपूर्ण उछाल देखा गया है।

इस अवसर पर दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने गोल्ड और सिल्वर जेड-सर्टिफाइड एमएसएमई को प्रमाण पत्र वितरित कर उद्यमियों को प्रेरित किया। आयोजन के दौरान नई प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) इकाइयों के 10,075 लाभार्थियों को डिजिटल रूप से 400 करोड़ मार्जिन मनी सब्सिडी भी जारी की गई।

इस कार्यक्रम में निम्नलिखित संगठनों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी शामिल थे।

  • एमएसएमई और सिडबी मंत्रालय, सिडबी द्वारा ‘पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान’ (पीएमवीआईकेएएस) के लिए एक पोर्टल बनाएगा।
  • एमएसएमई और जीईएम मंत्रालय डेटा साझा करने के उद्देश्य से सार्वजनिक खरीद इको-सिस्टम में एमएसएमई के अंतिम मील पंजीकरण के लिए जीईएम के साथ उद्यम पंजीकरण कराएगा।
  • एमएसएमई मंत्रालय और उद्योग विभाग, त्रिपुरा सरकार, एपीआई के माध्यम से उद्यम पंजीकरण डेटा साझा करने, नीति निर्माण को आसान बनाने और योजना लाभों के लक्षित वितरण के लिए।
  • एमएसएमई क्षेत्र के लाभार्थियों को गारंटी कवरेज देने के लिए एमएसएमई मंत्रालय और सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई)।
  • राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम (एनएसएफडीसी) और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एनएसटीएफडीसी), राष्ट्रीय एससी-एसटी हब और विभिन्न योजनाओं के तहत एससी/एसटी उद्यमियों को समर्थन देने के लिए आपसी सहयोग को बढ़ावा देंगे। एनएसएफडीसी और एनएसटीएफडीसी द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • एनएसआईसी, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया एनटीएससी चेन्नई और हैदराबाद में एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित करेंगे।

कार्यक्रम में एमएसएमई मंत्रालय की योजनाओं और पहलों पर प्रकाश डाला गया। इसने एमएसएमई के लिए कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने की दिशा में मंत्रालय के प्रयासों को प्रदर्शित किया और एमएसएमई को टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

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डीआरडीओ ने उद्योग और शैक्षणिक क्षेत्र में रक्षा अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने हेतु ‘अनुसंधान चिंतन शिविर’ का आयोजन किया

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने उद्योग और शिक्षा जगत के भीतर रक्षा अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 27 जून, 2023 को नई दिल्ली में एक ‘अनुसंधान चिंतन शिविर’ का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान मुख्य अतिथि थे।

इस अवसर पर 75 प्रौद्योगिकी से संबंधित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की सूची जारी की गई। डीआरडीओ द्वारा पहचान की गई इस सूची को 403 तकनीकी श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिनका विस्तार 1,295 वर्तमान और भविष्य के प्रौद्योगिकी विकास कार्यों तक है। डीआरडीओ टेक्नोलॉजी फोरसाइट 2023 में सूचीबद्ध प्रौद्योगिकी से संबंधित प्राथमिकता वाले क्षेत्र इस प्रकार हैं:

क्र.सं प्रौद्योगिकी क्षेत्र
1 एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग
2 एयरो स्ट्रक्चर्स
3 एयरोडाइनैमिक्स
4 एयरोमैकेनिकल सिस्टम्स
5 एग्रो टेक्नोलॉजी फॉर मिलिट्री सपोर्ट इन हाई ऑल्टीच्यूड एरियाज
6 एआई/एमएल टेक्नोलॉजी
7 अल्टरनेटिव पॉवर प्लांट
8 ऐन्टेनाज
9 आर्मर्ड एंड कॉम्बैट व्हीकल्स
10 ऑटोनोमस सिस्टम्स एंड रोबोटिक्स
11 बिहेवियरल एनालिसिस फॉर सोल्जर्स
12 बायो डिफेन्स
13 बायो रिमीडीएशन
14 बायोमेडिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजीज
15 सी4आईएसआर
16 कैमफ्लाश टेक्नोलॉजी
17 सीबीआरएन डिफेन्स
18 कम्यूनिकेशन
19 कंट्रोल सिस्टम्स
20 काउंटर स्वॉर्म टेक्नोलॉजी
21 साइबर, इन्फोर्मेशन एंड कम्यूनिकेशन सिक्योरिटी
22 डिकॉयज
23 डेटोनिक्स एंड मैकेनिज्म
24 डीजल इंजन
25 डायरेक्टेड एनर्जी
26 इलेक्ट्रिक पॉवर टेक्नोलॉजी
27 इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स
28 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस
29 इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर
30 ईएम रेल गन
31 एम्बेडेड सिस्टम्स
32 एनर्जी
33 एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन
34 एनवायरनमेंटल टेस्टिंग
35 फायर फाइटिंग
36 गाइडेंस एंड नेविगेशन
37 गाइडेड आर्टिलरी
38 गन टेक्नोलॉजी
39 हार्डवेयर इन लूप सिमुलेशन
40 हाई परफॉरमेंस कंप्यूटिंग
41 हाइड्रो स्ट्रक्चर्स
42 हाइपरसॉनिक टेक्नोलॉजीज
43 लाइफ सपोर्ट
44 मैटेरियल्स
45 मिलिट्री फूड टेक्नोलॉजी
46 माइंस एंड माइंस डिटेक्शन
47 मिसाइल सिस्टम्स
48 मल्टी-बैरल रॉकेटस
49 म्यूनिशन/ एम्यूनिशन
50 नेचुरल हैजर्ड मैनेजमेंट
51 नॉन डिस्ट्रक्टिव इवैल्यूएशन
52 ओशन प्रोफाइलिंग
53 पैराशूट टेक्नोलॉजी
54 पैसिव काउंटरमेजर्स
55 प्रपल्शन टेक्नोलॉजीज
56 प्रोटेक्टिव क्लोदिंग एंड गियर्स
57 क्वांटम टेक्नोलॉजीज
58 रडार टेक्नोलॉजीज
59 रैडम टेक्नोलॉजीज
60 रेस्पिरेटरी मैनेजमेंट
61 सीकर टेक्नोलॉजीज
62 सेंसर्स / डिटेक्टर्स
63 सोल्जर सपोर्ट
64 सोनार टेक्नोलॉजीज
65 स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस
66 स्पेस टेक्नोलॉजीज
67 सर्विलांस एंड ट्रैकिंग
68 स्वार्म टेक्नोलॉजी
69 टेरहर्ट्ज
70 यूएवी
71 यूजीवी
72 अंडरवाटर डिफेन्स टेक्नोलॉजीज
73 वारगेमिंग
74 वारहेड/ एक्सप्लोसिव एंड बैलिस्टिक प्रोटेक्शन
75 वेस्ट मैनेजमेंट

इन 75 प्रौद्योगिकी से संबंधित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को खोलने से भारत को आत्मनिर्भरता के पथ अग्रसर करने हेतु रक्षा प्रौद्योगिकियों के स्वदेशीकरण और उनमें नवाचार करने के लिए उद्योग जगत को प्रोत्साहित करते हुए रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को एक बड़ा बढ़ावा मिलेगा। इस प्रकार, उद्योग और शिक्षा जगत के साथ जुड़ाव के माध्यम से देश में सैन्य प्रौद्योगिकी डिजाइन और विकास को बढ़ावा मिलेगा।

सभी क्षेत्रों, श्रेणियों और प्रौद्योगिकी के विकास से जुड़ी गतिविधियों को सूचीबद्ध करने वाली डीआरडीओ टेक्नोलॉजी फोरसाइट 2023 के बारे में भी जानकारी दी गई। यह दस्तावेज़ उन प्रौद्योगिकी क्षेत्रों की पहचान करता है जिन पर डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाएं वर्तमान में काम कर रही हैं। यह दस्तावेज www.drdo.gov.in  पर उपलब्ध है। गतिविधियों की सूची भविष्य के उन प्रौद्योगिकी क्षेत्रों की पहचान करती है जो राष्ट्र की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए रक्षा प्रणालियों के विकास और रक्षा अनुसंधान एवं विकास की दृष्टि से आवश्यक हैं। यह वेबपेज निकट भविष्य में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संबंधी जरूरतों के लिए परिकल्पित प्रमुख प्रौद्योगिकी कार्यों को सूचीबद्ध करेगा। उद्योग और शिक्षा जगत को संबंधित क्षेत्रों में काम करने वाले डीआरडीओ के विभिन्न प्रतिष्ठानों की सूची दी जाती है, जिससे विभिन्न हितधारकों के बीच समझ का एक सहज चैनल स्थापित होता है।

इस अवसर पर बोलते हुए, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने ‘अनुसंधान चिंतन शिविर’ के आयोजन के लिए डीआरडीओ की सराहना की और सशस्त्र बलों के लिए स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों के महत्व पर जोर दिया।

अपने संबोधन में, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने कहा कि डीआरडीओ, उद्योग और शिक्षा जगत को प्रौद्योगिकियों को निचले स्तर से उठाकर उन्नत स्तर तक ले जाने के लिए आपस में तालमेल के साथ काम करना चाहिए, जहां इसका उपयोग व्यापक पैमाने पर उत्पादन के लिए किया जा सके।

महानिदेशक (प्रौद्योगिकी प्रबंधन) डॉ. सुब्रत रक्षित, आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी और एलएंडटी के कार्यकारी उपाध्यक्ष श्री अरुण रामचंदानी ने इस शिविर के दौरान रक्षा अनुसंधान एवं विकास के बारे में डीआरडीओ, शिक्षा जगत और उद्योग जगत के दृष्टिकोण को सामने रखा।

चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के चेयरमैन, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) लेफ्टिनेंट जनरल जॉनसन पी मैथ्यू, डीजी (एडमिन) वायुसेना मुख्यालय एयर मार्शल पी.के. घोष, रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, डीआरडीओ के वैज्ञानिक, उद्योग जगत के प्रमुख और शिक्षा विशेषज्ञ भी उपस्थित थे।

डीआरडीओ अपने प्रयोगशालाओं और केंद्रों के नेटवर्क के साथ एयरोनॉटिक्स, आयुध, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहन, इंजीनियरिंग सिस्टम, इंस्ट्रूमेंटेशन, मिसाइल, एडवांस्ड कंप्यूटिंग सिमुलेशन, विशेष सामग्री, नौसेना प्रणाली, जीवन विज्ञान, प्रशिक्षण सूचना प्रणाली और आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न विषयों को कवर करने वाली रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास में गंभीरतापूर्वक जुटा हुआ है। अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों और उपकरणों के विकास के माध्यम से महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करना डीआरडीओ की मुख्य गतिविधियों में से एक है। डीआरडीओ नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करने हेतु उद्योग और अकादमिक जगत के साथ सहयोग को बढ़ावा देने के लिए रक्षा इकोसिस्टम के विभिन्न हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है।

 

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समाचार कानपुर से

थाना सीसामऊ के पी रोड अन्तर्गत
श्रीमती मणि राणा पत्नी संजय राणा निवासी पी रोड जरीब चौकी थाना सीसामऊ कानपुर उम्र 53 वर्ष अपने बंद कमरे में मृत अवस्था में मिली है। जिनके परिजनों की सूचना पर थाना प्रभारी सीसामऊ मय फोर्स के मौके पर जाकर देखा गया तो दरवाजा अंदर से बंद है, मौके पर देखने पर उक्त महिला अपने कमरे की किचन के दरवाजे में जमीन पर पड़ी है। फील्ड यूनिट को सूचित कर बुलाया गया है एवम अन्य विधिक कार्यवाही की जा रही है।

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योग करने से सभी बीमारियो से बचा जा सकता है- सतीश महाना

अन्तराष्ट्रीय योग दिवस पर एंटी करप्शन फाउंडेशन आफ इंडिया के डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टर जग महेंद्र अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश विधान सभा अघ्यक्ष को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

आज अन्तराष्ट्रीय योग दिवस पर उत्तर प्रदेश विधान सभा अघ्यक्ष सतीश महाना ने राम अवतार महाना जन समुदाय केन्द्र, जाजमऊ मे योग दिवस समारोह मनाया।
उन्होने अपने सम्बोधन मे कहा कि योग करने से बीमारियो से बचा जा सकता है, हर व्यक्ति को स्वस्थ जीवन जीने के लिए योग अवश्य करना चाहिए। एंटी करप्शन फाउंडेशन आफ इंडिया के डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टर व समाज सेवी जग महेंद्र अग्रवाल व अग्रवाल स्टोर के चेयरमैन अरूण अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश विधान सभा अघ्यक्ष का रूपटटा पहनाकर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
इसमे प्रमुख रूप से चन्द्रेश सिह, अनिल राय, पार्षद कैलाश पाण्डेय, पार्षद अशोक मेम्बर, मनोज सेगर, बलराम सिंह, रवि तिवारी,दिनेश शास्त्री,सोनू बाबा, आदि लोग विशेष रूप से मौजूद रहे।

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जी20 के अंतर्गत पर्यटन कार्य समूह की चौथी बैठक का उद्घाटन सत्र गोवा में आयोजित

पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित जी20 के अंतर्गत पर्यटन कार्य समूह की चौथी बैठक का उद्घाटन सत्र आज सुबह गोवा में आयोजित किया गया। केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। पर्यटन राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट, पर्यटन राज्य मंत्री श्री श्रीपाद येसो नाईक और गोवा के मुख्यमंत्री श्री प्रमोद सावंत और पर्यटन मंत्री श्री रोहन खौंटे भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय संस्कृतिपर्यटन और उत्तर पूर्वी क क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी.के. रेड्डी ने कहा कि जी20 में भारत की अध्यक्षता में पिछले कुछ महीनों में पर्यटन कार्य समूह की बैठकें अलग-अलग स्थानों पर आयोजित हो रही हैं। पहली बैठक गुजरात में कच्छ के रण, दूसरी पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी और तीसरी बैठक जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर में आयोजित की गई है। दुनिया भर के विशेषज्ञों, नवोन्मेषकों और नेताओं के साथ पर्यटन से जुड़ें विभिन्न पहलुओं पर व्यावहारिक, विचारशील और सकारात्मक चर्चा हुई।

उन्होंने कहा कि हमारी आध्यात्मिक शक्ति और देश के विभिन्न स्थानों की विविधता का सुंदरता और समृद्धि का अनुभव किए बिना भारत की यात्रा अधूरी होगी। उन्होंने कहा कि भारत में 50 से अधिक शक्तिपीठ हैं, जहां महिला शक्ति की दिव्यता की आराधना की जाती है। यह सिख धर्म की जन्मस्थली है। देश में भाईचारे और समानता का प्रतीक अमृतसर का स्वर्ण मंदिर है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत बौद्ध और जैन धर्म का उद्गम स्थल है, यहां लगभग 80 प्रतिशत हिंदू आबादी है। देश के 200 बड़े बौद्ध मठ हमें अहिंसा के बौद्ध सिद्धांतों और प्रकृति के साथ सद्भाव से रहने के जैन दर्शन का स्मरण कराते हैं। सरकार के मिशन लाइफ- पर्यावरण के लिए जीवनशैली (लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) का आधार है।

उन्होंने भारतीय पर्यटन को वैश्विक स्तर पर ले जाने का श्रेय प्रधानमंत्री के नेतृत्व को देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने पर्यटन दूत के रूप में विश्व पटल पर भारत के पर्यटन क्षेत्र को गति दी है। उन्होंने कहा कि हमारी समृद्ध विरासत और संस्थागत शक्ति को पहचान मिली है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार 2014 से पर्यटन को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही भारत की यात्रा आत्म मंथन का एक अवसर था और भारत हमेशा विश्व के सभी कोनों से आने वाले यात्रियों के लिए लोकप्रिय गंतव्य रहा है। इसने 200 देशों और विभिन्न धर्मों के लोगों को भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत के अनुभव अवसर प्रदान किया है।  जी. किशन रेड्डी ने आगे बताया कि ‘अतिथि देवो भव’ के प्राचीन दर्शन की भावना निहित है। हमारे यहां अतिथि को दिव्य माना जाता है। कोविड महामारी के पश्चात देश में विदेशी पर्यटकों की संख्या में उत्तरोतर वृद्धि हुई है और जनवरी से अप्रैल 2023 के बीच 2022 की इसी अवधि की तुलना में पर्यटकों की संख्या में 166 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आशा है कि इस वर्ष 2023 के कार्यकाल में पर्यटकों की संख्या महामारी से पूर्व देश में आने वाले पर्यटकों के बराबर हो जाएगी।उन्होंने कहा कि अंतिम बैठक में सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय और अन्य राज्य सरकारों और पर्यटन हितधारकों के लिए कार्य प्रणाली और सिफारिशें प्रस्तुत की जाएंगी। जी. किशन रेड्डी ने बताया कि वर्तमान में हमारी सरकार की दो प्राथमिकताएं हैं- पर्यटकों की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सतत बुनियादी ढांचे का निर्माण और पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को अपनाने के लिए पर्यटकों के बीच जागरूकता बढ़ाना जी20 टूरिज्म और सतत विकास लक्ष्य डैशबोर्ड की एक विरासत बनाई गई है, जो समावेशी और लचीले पर्यटन क्षेत्र के निर्माण में नीतियों और पहलों को बढ़ावा देगी। उन्होंने यह भी अपील की कि भावी पीढ़ी के लिए एकजुट होकर लचीले और टिकाऊ पर्यटन क्षेत्र का निर्माण करें।

इस अवसर पर अपने संबोधन में, पर्यटन राज्य मंत्री श्री श्रीपाद येसो नाईक ने कहा कि गोवा छुट्टियां मनाने के लिए एक बेहद उपयुक्त जगह है। यहां शांत परिदृश्य, ताड़ के किनारे वाले समुद्रतट, सुनहरी रेत, हरे-भरे इलाके, अद्भुत सांस्कृतिक इतिहास का अद्भुत संगम और पूर्व और पश्चिम संस्कृतियों का एक अनूठा मिश्रण है।

श्री श्रीपाद येसो नाईक ने यह भी कहा कि तटीय क्षेत्रों और जल निकायों के साथ-साथ विकसित पर्यटन बुनियादी ढांचा देश में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायक है। घरेलू और विदेशी पर्यटकों के बीच यह स्थल बहुत लोकप्रिय है।

उन्होंने कहा कि भारत को एक पसंदीदा साहसिक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने और देश में साहसिक पर्यटन को विकसित करने के लिए राष्ट्रीय रणनीति बनाई गई है। इसके तहत रोमांचक स्थलों का विकास, साहसिक पर्यटन में सुरक्षा में बढ़ावा, कौशल विकास, क्षमता निर्माण और विपणन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

श्री नाईक ने कहा कि पर्यटन के लिए गोवा रोडमैप एक स्थायी, समावेशी और लचीले पर्यटन क्षेत्र के निर्माण के लिए एक प्रमुख मार्गदर्शक होगा। गोवा रोडमैप पिछले तीन वर्षों में जी20 पर्यटन कार्य समूह के प्रयासों का प्रतिरूप है और जी20 की भारत की अध्यक्षता के तहत हरित पर्यटन, डिजिटलीकरण, कौशल विकास, पर्यटन सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्योगों और गंतव्य प्रबंधन के पांच परस्पर प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करता है। सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए 2030 के एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए अनुशंसित कार्रवाई करता है।

उन्होंने यह भी कहा कि गोवा रोडमैप एक स्थायी, समावेशी और लचीले पर्यटन क्षेत्र के निर्माण के लिए एक प्रमुख मार्गदर्शक उपकरण होगा।

इस अवसर पर बोलते हुए पर्यटन राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट ने कहा कि पर्यटन लोगों को अन्य संस्कृतियों के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है और समुदायों को सशक्त बनाता है, जिससे अर्थव्यवस्था वृद्धि में सहायता मिलती है।

इसके अलावा, सोशल मीडिया ने कम लोकप्रिय पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने में भी बहुत योगदान दिया है क्योंकि पर्यटक रोमांच, आनंद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के समृद्ध अनुभवों की खोज करता है।

तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्द्धन अभियान'(प्रसाद) योजना के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि भारत आध्यात्मिक और विरासत पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र है। मुझे यह सूचित करते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान (पिलग्रिमेज रिवाइवल एंड स्पिरिचुअल एनरिचमेंट स्कीम – प्रसाद) योजना पर्यटन मंत्रालय ने 2014-2015 में तीर्थ स्थलों और विरासत शहरों के विकास के लिए शुरू की  थी।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार का पर्यटन मंत्रालय ग्रामीण पर्यटन स्थलों के विकास पर भी बहुत ध्यान देता है, इसका उद्देश्य सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करना और बढ़ावा देना और पर्यटन के सतत विकास को सुनिश्चित करना है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक पर्यटन प्लास्टिक पहल एकीकृत लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्लास्टिक प्रदूषण को उत्पति स्थल से ही समाप्त करने के लिए पर्यटन उद्योग को एकजुट करने की पहल है। इसके लिए सरकारों, प्रमुख उद्योग घरानों और अन्य पर्यटन हितधारकों के सहयोगी और समर्पित प्रयासों की आवश्यकता है।

उद्घाटन सत्र में को संबोधित करते हुए गोवा के मुख्यमंत्री श्री प्रमोद सावंत ने कहा कि गोवा एक ऐसा पर्टयन स्थल है जो पर्यटन से जुड़े विविध आयामों के कारण पूरे वर्ष पर्यटकों को आकर्षित करता है।

उन्होंने कहा कि हम आज गोवा में वसुधैव कुटुम्बकम विषय के तहत एकत्रित हुए हैं, हम अधिक समावेशी, टिकाऊ और समृद्ध दुनिया की दिशा में सामूहिक यात्रा शुरू कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गोवा ‘पर्ल ऑफ द ओरिएंट’ के रूप में प्रसिद्ध है और सालाना लाखों घरेलू और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है। उन्होंने यह भी कहा कि गोवा अपने खूबसूरत समुद्र तटों, जीवंत नाइटलाइफ़, रोमांचकारी साहसिक खेलों, प्राचीन पश्चिमी घाटों, मंत्रमुग्ध करने वाले झरनों, शांत बैकवाटर, योग और वेलनेस रिट्रीट, स्वादिष्ट व्यंजनों और अनूठी संस्कृति और विरासत के लिए जाना जाता है।

आज भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के साथ साझेदारी में मेकिंग इंडिया ए हब फॉर क्रूज टूरिज्म‘ पर एक विषयगत चर्चा भी आयोजित की गई।

इस आयोजन में क्रूज पर्यटन के विभिन्न आयामों के संवर्धन और विकास के तरीकों पर चर्चा की गई।

श्री जी. किशन रेड्डी, श्री श्रीपाद येसो नाईक और श्री अजय भट्ट ने साइड इवेंट में ‘ड्राफ्ट स्ट्रैटेजी-विजन एंड इंटीग्रेटेड क्रूज टूरिज्म स्ट्रैटेजी फॉर इंडिया’ का अनावरण किया गया।

विषयगत चर्चा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि भारत सरकार क्रूज पर्यटन को प्रोत्साहित करने और इसमें सुधार के लिए सभी प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि हम क्रूज पर्यटन में क्रांति लाने के लिए विभिन्न मंत्रालयों, राज्य सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, हितधारकों और उद्योग के साथ समन्वय कर रहे हैं। श्री रेड्डी ने आगे कहा कि हमारे पास 7500 किलोमीटर से अधिक लंबी समुद्री सीमा है, जिसे हम क्रूज टूरिज्म की संभावनाओं का विस्तार कर सकते हैं।

गोवा के मुख्यमंत्री श्री प्रमोद सामंत ने टिप्पणी की कि गोवा में अपार संभावनाएं हैं और एक सुदृढ़ जहाज निर्माण और क्रूज उद्योग है। उन्होंने कहा कि ‘मेक इन गोवा फॉर द ग्लोब’ दृष्टिकोण के साथ, गोवा क्रूज बुनियादी ढांचे के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है और क्रूज पर्यटन उद्योग को सुदृढ़ बनाने के लिए इस क्षेत्र में निवेश करने को कहा है। गोवा में समुद्री उद्योग को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट समुद्री क्लस्टर बनाया गया है।

पर्यटन राज्य मंत्री, श्री अजय भट्ट ने ‘मेकिंग इंडिया ए हब फॉर क्रूज टूरिज्म’ विषय पर चर्चा के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत हितधारकों के बीच सक्रिय सहयोग और सरकार की पहल के साथ क्रूज पर्यटन के क्षेत्र में वैश्विक गंतव्य के रूप

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