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केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आईआरईडीए की कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व पहल के तहत ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में 10 बैटरी चालित वाहनों को हरी झंडी दिखाई

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आज ओडिशा के पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर में 10 बैटरी चालित वाहनों को हरी झंडी दिखाई। भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) के कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कार्यक्रम के तहत इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण अनुकूल गतिशीलता को बढ़ावा देना और आगंतुकों के लिए पहुंच में सुधार करना है। इसका उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को इस प्रतिष्ठित विरासत स्थल तक पहुंचने में मदद करना है।

जोशी ने श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक को वाहन की चाबियाँ सौंपते हुए सांस्कृतिक स्थलों पर इस प्रकार की सतत पहल के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “इस ऐतिहासिक मंदिर में बैटरी से चलने वाले वाहनों की उपलब्धता हरित ऊर्जा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है और आगंतुकों को एक सुलभ तथा पर्यावरण अनुकूल परिवहन विकल्प प्रदान करती है। इस तरह की स्थायी पहलों में मदद करने में इरेडा के प्रयास राष्ट्र के हरित मिशन और महत्वपूर्ण विरासत स्थलों पर आगंतुकों के अनुभवों को बढ़ाने में उसके समर्पण को दर्शाते हैं।

इरेडा के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री प्रदीप कुमार दास ने पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि इरेडा को हमारी सीएसआर पहलों के माध्यम से विरासत स्थलों के 10 पर्यावरण अनुकूल वाहनों के विकास में योगदान देने का सम्मान मिला है। यह परियोजना जीवन के हर क्षेत्र में टिकाऊ और नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के हमारे मिशन के अनुरूप है। इसका उद्देश्य आगंतुकों के लिए पर्यावरण अनुकूल गतिशीलता समाधान प्रदान करना है।

इस समारोह में इरेडा के निदेशक (वित्त) डॉ. बीके मोहंती के साथ नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन और इरेडा के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। केंद्रीय मंत्री, इरेडा के सीएमडी, मंत्रालय और इरेडा के अन्य अधिकारियों ने भगवान जगन्नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात के साळंगपुर स्थित श्री कष्टभंजन देव हनुमान जी मंदिर में दर्शन व पूजन कर 200 करोड़ रूपए की लागत से बने 1100 कमरे के यात्री भवन का उद्घाटन किया

अपने संबोधन की शुरूआत में श्री अमित शाह ने सभी देशवासियों को दीपावली की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि आज नरक चतुर्दशी के दिन यहां एक भव्य यात्री भवन का निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा कि इस यात्री भवन को एक पूर्ण हरित यात्री भवन कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस यात्री भवन में दूर-दूर से आने वाले लोगों के विश्राम की व्यवस्था की गई है। श्री शाह ने कहा कि लगभग 200 करोड़ रूपये की लागत से 9 लाख वर्ग फीट स्थान और 1100 से ज्यादा कमरों वाले इस यात्री भवन का निर्माण दो साल की अल्पावधि में ही संपन्न कर लिया गया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस मंदिर में हनुमान जी महाराज की यह मूर्ति गोपालानंद जी महाराज की भक्ति और शक्ति से स्थापित हुई है। उन्होंने कहा कि यह स्थान स्वामीनारायण भगवान के प्रसाद का भी स्थान है। उन्होंने कहा कि इतना समर्पण, सेवा भाव और स्वामीनारायण भगवान के प्रति ऐसी श्रद्धा होने के बाद भी गोपालानंद स्वामी जी बहुत विनम्र हैं और ये बहुत कम लोगों में होती है। उन्होंने कहा कि यह यात्री भवन आने वाले कई वर्षों तक यात्रियों को आश्रय और दादा के दर्शन का मौका भी देगा।

अमित शाह ने कहा कि हनुमान जी महाराज के गुणों का वर्णन कोई कर नहीं सकता और हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि सात चिरंजीव में से एक हनुमान जी महाराज हैं। उन्होंने कहा कि तुलसीदास जी ने हनुमान जी महाराज को ज्ञान गुण सागर कहा है। श्री शाह ने कहा कि जब एक आदर्श भक्त, आदर्श योद्धा, आदर्श मित्र और एक आदर्श दूत अपनी इन सभी शक्तियों को प्रभु श्री राम के चरणों में समर्पित करता है तब हनुमान जी महाराज बन चिरंजीवी होता है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि यह कष्टभंजन देव हनुमान जी मंदिर युवाओं के लिए आध्यात्म और भक्ति की प्रेरणा का स्थान बनने वाला है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां हनुमान जी महाराज की कई प्रतिमाएं हैं और उनके अनेकानेक गुण होते हैं। श्री शाह ने कहा कि चौमुखी मूर्ति हो तो शत्रुओं का नाश, संकटमोचन हो तो संकट से मुक्ति, दक्षिणामुखी हो तो भय और परेशानी से मुक्ति, पंचमुखी हो तो अहिरावण यानी दुष्ट वृत्ति से मुक्ति पाने के लिए पूजा होती है, एकादश हो तो राक्षसी वृत्ति से और कष्टभंजन की मूर्ति हो तो शनि समेत सभी कष्टों का भंजन होता है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज सरदार पटेल की 149वीं जन्म जयंती है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल जी ने एक अखंड और प्रचंड शक्तिशाली भारत के निर्माण का संकल्प किया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा सरदार साहब की 150वीं जयंती को दो साल तक मनाने का निर्णय, सरदार साहब के विचार व सिद्धांत के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ युवाओं को देश के प्रति निष्ठा व त्याग की प्रेरणा देगा।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के अमरेली में 4,900 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के अमरेली में 4,900 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। आज की विकास परियोजनाओं में रेल, सड़क, जल विकास और पर्यटन क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं से राज्य के अमरेली, जामनगर, मोरबी, देवभूमि द्वारका, जूनागढ़, पोरबंदर, कच्छ और बोटाद जिलों के नागरिकों को लाभ होगा।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने धनतेरस एवं दिवाली की उत्सव की भावना को रेखांकित किया और कहा कि जहां ये त्योहार संस्कृति का उत्सव मनाते हैं, वहीं विकास कार्यों में जारी प्रगति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने वडोदरा की अपनी यात्रा का उल्लेख करते हुए गुजरात भर में विभिन्न प्रमुख परियोजनाओं के संबंध में अपडेट साझा किए। वडोदरा में उन्होंने भारतीय वायुसेना के लिए भारत में निर्मित विमान के उत्पादन के लिए समर्पित भारत की पहली फैक्ट्री का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने आज पहले अमरेली में भारत माता सरोवर के उद्घाटन का उल्लेख किया और कहा कि यहां पानी, सड़क तथा रेलवे से जुड़ी कई बड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया गया है। उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं सौराष्ट्र और कच्छ में लोगों के जीवन को आसान बनायेंगी, क्षेत्रीय विकास को गति देंगी, स्थानीय किसानों को समृद्ध करेंगी और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करेंगी। उन्होंने आज की विकास परियोजनाओं के लिए सभी को बधाई दी।

इस बात का उल्लेख करते हुए कि यह सौराष्ट्र में अमरेली की भूमि ने भारत को कई रत्न दिए हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और राजनीतिक रूप से, हर तरह से अमरेली का एक गौरवशाली अतीत है। उन्होंने कहा कि अमरेली श्री योगीजी महाराज और भोज भगत के साथ-साथ लोक गायक एवं कवि दुलभय्या काग, कलापी जैसे कवियों, विश्व प्रसिद्ध जादूगर के. लाल और आधुनिक कविता के अगुआ रमेश पारेख की कर्मभूमि है। उन्होंने आगे कहा कि अमरेली ने गुजरात को पहला मुख्यमंत्री श्री जीवराज मेहता जी भी दिया है। श्री मोदी ने कहा कि अमरेली के बच्चों ने समाज में बड़ा योगदान देकर व्यापार जगत में भी बड़ा नाम कमाया है। उन्होंने कहा कि इस परंपरा को ढोलकैया परिवार ने मजबूत किया है, जो गुजरात सरकार की जल संरक्षण से संबंधित 80/20 योजनाओं से जुड़ा था। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले ढाई दशकों के निरंतर प्रयासों के कारण परिवर्तन बिल्कुल स्पष्ट हैं।

प्रधानमंत्री ने पानी के महत्व पर जोर दिया, खासकर गुजरात और सौराष्ट्र के लोगों के लिए, जो लंबे समय से पानी से संबंधित चुनौतियों से जूझ रहे हैं। उन्होंने उस अतीत को याद किया जब सौराष्ट्र पानी की कमी के कारण पलायन के लिए जाना जाता था और कहा, “आज, स्थिति बदल गई है। अब, नर्मदा का पानी गांवों तक पहुंच गया है।” उन्होंने जलसंचय और सौनी योजना जैसी सरकारी पहलों की सराहना की। इन पहलों ने भूजल के स्तर में काफी वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि नदियों के गहरीकरण तथा चेक डैम के निर्माण से बाढ़ की समस्या से निपटा जा सकता है और वर्षा के जल का भी प्रभावी ढंग से भंडारण किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि आसपास के क्षेत्रों में पेयजल से संबंधित समस्याओं का भी समाधान किया जाएगा, जिससे लाखों लोगों को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने पिछले दो दशकों के दौरान हर घर और खेत तक पानी पहुंचाने की दिशा में गुजरात की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला, जो पूरे देश के लिए एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि हर कोने तक पानी पहुंचाने के लिए राज्य सरकार के निरंतर प्रयास जारी हैं तथा आज की परियोजनाओं से उस क्षेत्र के लाखों लोगों को और अधिक लाभ होगा। श्री मोदी ने बताया कि नवदा-चावंड बल्क पाइपलाइन परियोजना से अमरेली, बोटाद, जूनागढ़, राजकोट और पोरबंदर जैसे जिलों को प्रभावित करने वाले लगभग 1,300 गांवों और 35 से अधिक शहरों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इस पहल से इन क्षेत्रों में हर दिन 30 करोड़ लीटर अतिरिक्त पानी की आपूर्ति होगी। पासवी समूह सौराष्ट्र क्षेत्रीय जल आपूर्ति योजना के दूसरे चरण के शिलान्यास का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह तलाजा, महुवा और पालीताना तालुका की जरूरतों को पूरा करेगा। उन्होंने बताया, “एक बार पूरा हो जाने पर, लगभग 100 गांवों को इस परियोजना से सीधे लाभ होगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की ये जल परियोजनाएं सार्वजनिक भागीदारी के साथ सरकार और समाज के बीच की सहयोगात्मक शक्ति का उदाहरण पेश करती हैं। उन्होंने प्रत्येक जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों के निर्माण के माध्यम से भारत की आजादी के 75वें वर्ष को जल संरक्षण पहल से जोड़ने की सफलता पर प्रकाश डाला। श्री मोदी ने गांवों में 60,000 अमृत सरोवरों के निर्माण पर प्रसन्नता व्यक्त की, जो भावी पीढ़ियों के लिए एक विरासत छोड़ेंगे। उन्होंने श्री सी. आर. पाटिल के नेतृत्व में गति पकड़ रहे ‘कैच द रेन’ अभियान की सराहना की। प्रधानमंत्री ने बताया कि यह अभियान राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है, जहां सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से हजारों पुनर्भरण कुओं का निर्माण किया जा रहा है। श्री मोदी ने अपने पैतृक गांवों में पुनर्भरण कुएं बनाने के लिए आगे आने वाले लोगों के उत्साह को भी स्वीकार किया और इस बात पर जोर दिया कि कैसे यह पहल गांवों और खेतों में स्थानीय जल का प्रतिधारण सुनिश्चित करती है। उन्होंने आज सैकड़ों परियोजनाओं की शुरुआत का उल्लेख किया, जिनका उद्देश्य जल संरक्षण के माध्यम से कृषि और पशुधन को बढ़ावा देना है।

प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि अब अधिक पानी की उपलब्धता के कारण खेती आसान हो गई है और नर्मदा के पानी से अब अमरेली में तीन मौसम की खेती संभव है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज, अमरेली जिला खेती के क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरा है।” उन्होंने कहा कि कपास, मूंगफली, तिल तथा बाजरा जैसी फसलों की खेती को बढ़ावा मिल रहा है और अमरेली के गौरव केसर आम को जीआई टैग हासिल हुआ है। उन्होंने कहा कि जीआई टैग के दर्जे का मतलब है कि अमरेली की पहचान केसर आम से जुड़ी है, चाहे वह दुनिया में कहीं भी बेचा जाए। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि अमरेली तेजी से प्राकृतिक खेती के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में उभर रहा है और देश का पहला प्राकृतिक खेती विश्वविद्यालय हलोल में बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के तहत अमरेली को गुजरात का पहला प्राकृतिक खेती से संबंधित कॉलेज मिला है। श्री मोदी ने कहा कि प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि अधिक से अधिक किसान पशुपालन में संलग्न हों और प्राकृतिक खेती से भी लाभान्वित हों। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि हाल के वर्षों में अमरेली के डेयरी उद्योग ने काफी प्रगति की है, श्री मोदी ने कहा कि यह केवल सरकार और सहकारी समितियों के संयुक्त प्रयासों के कारण ही संभव हुआ है। वर्ष 2007 में अमर डेयरी की स्थापना को याद करते हुए जब 25 गांवों की सरकारी समितियां उससे जुड़ी थीं, श्री मोदी ने कहा, “आज 700 से अधिक सहकारी समितियां अमर डेयरी से जुड़ी हैं और हर दिन लगभग 1.25 लाख लीटर दूध एकत्र किया जा रहा है”।

मीठी क्रांति के कारण अमरेली की प्रसिद्धि का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि शहद उत्पादन ने किसानों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि अमरेली के सैकड़ों किसानों ने मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लेने के बाद शहद से संबंधित व्यवसाय शुरू किया है।

बिजली के बिलों को खत्म करने और प्रत्येक परिवार के लिए 25,000 रुपये से लेकर 30,000 रुपये की वार्षिक बचत सुनिश्चित करते हुए बिजली से आय उत्पन्न करने से संबंधित प्रधानमंत्री सूर्य गढ़ योजना के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि इस योजना के कार्यान्वयन के कुछ ही महीनों बाद पूरे गुजरात में छतों पर लगभग 200,000 सौर पैनल स्थापित किए गए हैं।  उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अमरेली जिला सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसका उदाहरण दुधाला गांव है, जहां सैकड़ों घरों में सौर पैनल लगे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “इसके परिणामस्वरूप, यह गांव बिजली बिल में प्रति माह लगभग 75,000 रुपये की बचत कर रहा है और प्रत्येक घर को 4,000 रुपये की वार्षिक बचत का लाभ मिल रहा है।” उन्होंने कहा, “दुधाला तेजी से अमरेली का पहला सौर गांव बनने की ओर अग्रसर है।”

इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि सौराष्ट्र कई पवित्र स्थलों और आस्था से जुड़े स्थानों की मेजबानी करने वाला पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है, प्रधानमंत्री ने पर्यटकों के आकर्षण के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में सरदार सरोवर बांध के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि पिछले साल सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा को देखने के लिए 50 लाख से ज्यादा पर्यटक आए थे। उन्होंने सरदार साहब की जयंती के लिए दो दिनों में इस स्थल का दौरा करने और राष्ट्रीय एकता परेड देखने की बात कही।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केर्ली पुनर्भरण जलाशय आने वाले समय में इको-टूरिज्म का एक प्रमुख केन्द्र बनेगा और एडवेंचर टूरिज्म को काफी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि यह केर्ली पक्षी अभयारण्य को दुनिया में एक नई पहचान भी देगा।

गुजरात की लंबी तटरेखा पर प्रकाश डालते हुए, श्री मोदी ने कहा कि विरासत के संरक्षण के साथ-साथ विकास सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि इसलिए, मत्स्यपालन और बंदरगाहों से संबंधित सदियों पुरानी विरासत को पुनर्जीवित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के निर्माण को मंजूरी देने का उल्लेख किया और कहा कि यह कदम देश तथा दुनिया को भारत की गौरवशाली समुद्री विरासत से परिचित कराएगा और प्रेरित करेगा।

श्री मोदी ने कहा, “हमारा प्रयास है कि समुद्र का नीला पानी नीली क्रांति को गति दे।” उन्होंने कहा कि बंदरगाह आधारित विकास से विकसित भारत का संकल्प मजबूत होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने बताया कि जाफराबाद, शियालबेट में मछुआरों के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे का विस्तार किया जा रहा है; जबकि अमरेली में पीपावाव बंदरगाह के आधुनिकीकरण ने 10 लाख से अधिक कंटेनरों और हजारों वाहनों को संभालने की क्षमता के साथ-साथ आज हजारों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित किए हैं। श्री मोदी ने पीपावाव बंदरगाह और गुजरात के ऐसे हर बंदरगाह को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने के सरकार के प्रयास पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने इस बात को दोहराया कि गरीबों के लिए पक्के घर, बिजली, सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे और गैस पाइपलाइन जैसे बुनियादी ढांचे विकसित भारत के निर्माण के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में बुनियादी ढांचे के विकास पर तेजी से काम कर रही है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सौराष्ट्र में बेहतर बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी के लाभों ने औद्योगिक विकास को काफी बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा, “रो-रो फेरी सेवा के शुभारंभ से सौराष्ट्र और सूरत के बीच कनेक्टिविटी सरल हो गई है तथा हाल के वर्षों में 7 लाख से अधिक लोग इससे लाभान्वित हुए हैं। एक लाख से अधिक कारों और 75,000 से अधिक ट्रकों और बसों का परिवहन किया गया है, जिससे समय और धन दोनों की बचत हुई है।”

प्रधानमंत्री ने जामनगर से अमृतसर-भटिंडा तक आर्थिक गलियारे के निर्माण में तेजी से प्रगति का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “इस परियोजना से गुजरात से पंजाब तक सभी राज्यों को लाभ होगा। आज सड़क परियोजनाओं के उद्घाटन एवं शिलान्यास से जामनगर और मोरबी जैसे प्रमुख औद्योगिक केन्द्रों के लिए कनेक्टिविटी बेहतर होगी, सीमेंट कारखानों तक सुगमता बढ़ेगी और साथ ही सोमनाथ एवं द्वारका के लिए आसान तीर्थयात्रा की सुविधा मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि कच्छ में रेलवे कनेक्टिविटी के विस्तार से सौराष्ट्र एवं कच्छ में पर्यटन तथा औद्योगिकीकरण को और मजबूती मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा, “जैसे-जैसे भारत तेजी से विकास कर रहा है, दुनिया में भारत का गौरव भी लगातार बढ़ता जा रहा है।” उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत को नये परिपेक्ष्य में देख रही है, भारत की क्षमताओं को पहचान रही है और भारत की बात को गंभीरता से सुन रही है।” इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि इन दिनों हर कोई भारत की संभावनाओं पर चर्चा कर रहा है, श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इसमें गुजरात की बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि गुजरात ने दुनिया को दिखाया है कि भारत के हर शहर और गांव में कितनी संभावनाएं हैं। रूस में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने हेतु अपनी हालिया यात्रा का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि हर कोई भारत से जुड़ना और निवेश करना चाहता है। प्रधानमंत्री ने जर्मनी के चांसलर की हाल की यात्रा और उनके साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जर्मनी ने अब वार्षिक वीजा कोटा मौजूदा 20 हजार से बढ़ाकर 90 हजार कर दिया है, जिससे भारतीय युवाओं को लाभ होगा। श्री मोदी ने स्पेन के राष्ट्रपति की आज की गुजरात यात्रा और वडोदरा में परिवहन विमान निर्माण कारखाने के रूप में स्पेन के भारी निवेश पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इससे गुजरात में हजारों लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही विमान निर्माण से संबंधित एक संपूर्ण इकोसिस्टम का विकास होगा, जिससे लाखों नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो कहता था कि गुजरात के विकास से देश का विकास होता है। एक विकसित गुजरात, एक विकसित भारत के मार्ग को प्रशस्त करेगा।” उन्होंने आज की विकास परियोजनाओं के लिए सभी को बधाई दी।

इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल, केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री श्री सी. आर. पाटिल और सांसद श्री परषोत्तम रूपाला सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने अमरेली के दुधाला में भारत माता सरोवर का उद्घाटन किया। यह परियोजना सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत गुजरात सरकार और ढोलकैया फाउंडेशन के बीच सहयोग के माध्यम से विकसित की गई है। ढोलकैया फाउंडेशन ने एक चेक डैम का उन्नयन किया है। मूल रूप से इस बांध में 4.5 करोड़ लीटर पानी को रोक सकने की  क्षमता थी। लेकिन इसे गहरा करने, चौड़ा करने और मजबूत करने के बाद, इसकी क्षमता बढ़कर 24.5 करोड़ लीटर हो गई है। इस उन्नयन से आस-पास के कुओं और कूपो का जलस्तर बढ़ गया है जिससे स्थानीय गांवों और किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधा प्रदान करने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने गुजरात के अमरेली में लगभग 4,900 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं से राज्य के अमरेली, जामनगर, मोरबी, देवभूमि द्वारका, जूनागढ़, पोरबंदर, कच्छ और बोटाद जिलों के नागरिकों को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने 2,800 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न सड़क परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं में एनएच 151, एनएच 151ए एवं एनएच 51 और जूनागढ़ बाईपास के विभिन्न खंडों को चार लेन का बनाना शामिल है। जामनगर जिले के ध्रोल बाईपास से मोरबी जिले के अमरान तक शेष खंड को चार लेन वाला बनाने की परियोजना का शिलान्यास भी किया गया।

प्रधानमंत्री ने लगभग 1,100 करोड़ रुपये की लागत से पूरी हुई भुज-नालिया रेल गेज परिवर्तन परियोजना को राष्ट्र को समर्पित की। इस व्यापक परियोजना में 24 बड़े सेतु, 254 छोटे सेतु, 3 रोड ओवरब्रिज और 30 रोड अंडरब्रिज शामिल हैं तथा यह कच्छ जिले के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

प्रधानमंत्री ने अमरेली जिले के जल आपूर्ति विभाग की 700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उद्घाटन की गई परियोजनाओं में नवदा से चावंड बल्क पाइपलाइन शामिल है जो बोटाद, अमरेली, जूनागढ़, राजकोट और पोरबंदर जिलों के 36 शहरों और 1,298 गांवों में लगभग 67 लाख लाभार्थियों को अतिरिक्त 28 करोड़ लीटर पानी प्रदान करेगी। भावनगर जिले में पासवी समूह की संवर्धित जल आपूर्ति योजना के दूसरे चरण का शिलान्यास भी किया गया, जिससे भावनगर जिले के महुवा, तलाजा और पालीताना तालुका के 95 गांवों को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने पर्यटन से जुड़ी विभिन्न विकास संबंधी पहलों का शिलान्यास भी किया, जिसमें पोरबंदर जिले के मोकरसागर में केर्ली पुनर्भरण जलाशय को एक विश्वस्तरीय टिकाऊ इको-पर्यटन स्थल में बदलना शामिल है।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने गुजरात के वडोदरा में सी-295 विमान निर्माण के लिए टा टाएयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और स्पेन के प्रधानमंत्री श्री पेड्रो सांचेज ने आज गुजरात के वडोदरा में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) परिसर में सी-295 विमान निर्माण के लिए टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

प्रधानमंत्री ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि स्पेन के प्रधानमंत्री श्री पेड्रो सांचेज की यह पहली भारत यात्रा है और आज दोनों देशों के बीच साझेदारी को नई दिशा मिल रही है। सी-295 विमान निर्माण के लिए टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स के उद्घाटन के बारे में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे न केवल दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत होंगे, बल्कि ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ मिशन को भी गति मिलेगी। श्री मोदी ने इस अवसर पर एयरबस और टाटा की पूरी टीम को शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने स्वर्गीय श्री रतन टाटा जी को भी श्रद्धांजलि दी।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सी-295 विमान का कारखाना नए भारत की नई कार्य संस्कृति का प्रतिबिंब है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि देश में किसी भी परियोजना की अवधारणा से लेकर क्रियान्वयन तक भारत की गति यहां देखी जा सकती है। अक्टूबर 2022 में कारखाने के शिलान्यास को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संयंत्र अब सी-295 विमानों के उत्पादन के लिए तैयार है। परियोजनाओं की योजना बनाने और उनके क्रियान्वयन में होने वाली बेहिसाब देरी को खत्म करने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में वडोदरा में बॉम्बार्डियर ट्रेन कोच निर्माण संयंत्र की स्थापना को याद किया। उन्होंने कहा कि यह कारखाना उत्पादन के लिए रिकॉर्ड समय में तैयार हो गया। उन्होंने कहा, “इस कारखाने में बने मेट्रो कोच आज दूसरे देशों को निर्यात किए जा रहे हैं।” श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि आज उद्घाटन किए गए नए संयंत्र में बने विमानों का भी निर्यात किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने प्रसिद्ध स्पेनिश कवि एंटोनियो मचाडो को उद्धृत करते हुए कहा कि जैसे ही हम लक्ष्य की ओर बढ़ना शुरू करते हैं, लक्ष्य की ओर जाने वाला रास्ता अपने आप बन जाता है। यह एहसास कराते हुए कि भारत का रक्षा विनिर्माण इकोसिस्टम आज नई ऊंचाइयों को छू रहा है, श्री मोदी ने कहा कि अगर 10 साल पहले ठोस कदम नहीं उठाए गए होते तो आज इस लक्ष्य तक पहुंचना असंभव होता। उन्होंने कहा कि एक दशक पहले रक्षा विनिर्माण की प्राथमिकता और पहचान आयात को लेकर थी और कोई भी कल्पना नहीं कर सकता था कि भारत में इतने बड़े पैमाने पर रक्षा विनिर्माण हो सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने एक नए रास्ते पर चलने का फैसला किया, भारत के लिए नए लक्ष्य तय किए, जिसके परिणाम आज स्पष्ट हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का रक्षा क्षेत्र में परिवर्तन इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक सही योजना और साझेदारी संभावनाओं को समृद्धि में बदल सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि रणनीतिक निर्णयों ने पिछले दशक में भारत में एक जीवंत रक्षा उद्योग के विकास को बढ़ावा दिया है। श्री मोदी ने कहा, “हमने रक्षा विनिर्माण में निजी क्षेत्र की भागीदारी का विस्तार किया, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को अधिक कुशल बनाया, आयुध कारखानों को सात प्रमुख कंपनियों में पुनर्गठित किया और डीआरडीओ तथा एचएएल को सशक्त बनाया।” उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारे स्थापित करने से इस क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। प्रधानमंत्री ने आई-डेक्स (रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार) योजना का जिक्र करते हुए कहा कि इसने पिछले पांच से छह वर्षों में रक्षा के क्षेत्र में लगभग 1,000 स्टार्टअप को बढ़ावा दिया है। उन्होंने बताया कि पिछले दशक में भारत के रक्षा निर्यात में 30 गुना वृद्धि हुई है, और देश अब 100 से अधिक देशों को उपकरण निर्यात कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कौशल और रोजगार सृजन पर जोर देते हुए कहा कि एयरबस-टाटा फैक्ट्री जैसी परियोजनाएं हजारों रोजगार पैदा करेंगी। उन्होंने कहा कि यह फैक्ट्री 18,000 विमान पुर्जों के स्वदेशी विनिर्माण को समर्थन देगी, जिससे पूरे भारत में एमएसएमई के लिए अपार अवसर उपलब्ध होंगे। इस ओर ध्यान दिलाते हुए कि भारत आज भी दुनिया की प्रमुख विमान कंपनियों के पुर्जों के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है, श्री मोदी ने कहा कि नई विमान फैक्ट्री भारत में नए कौशल और नए उद्योगों को बड़ा बढ़ावा देगी।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि वे आज के कार्यक्रम को परिवहन विमान के निर्माण से आगे भी देख रहे हैं। श्री मोदी ने पिछले दशक में भारत के विमानन क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि और परिवर्तन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत देश के सैकड़ों छोटे शहरों को हवाई संपर्क प्रदान कर रहा है। इतना ही नहीं, यह भारत को विमानन और एमआरओ डोमेन का केंद्र बनाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह इकोसिस्टम भविष्य में मेड इन इंडिया असैनिक विमानों का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। यह जानकारी देते हुए कि विभिन्न भारतीय एयरलाइनों ने 1200 नए विमानों का ऑर्डर दिया है, श्री मोदी ने कहा कि इसका मतलब यह है कि नवनिर्मित कारखाना भविष्य में भारत और दुनिया की जरूरतों को पूरा करने के लिए असैनिक विमानों के डिजाइन से लेकर निर्माण तक में प्रमुख भूमिका निभाएगा।

इस बात से अवगत कराते हुए कि वडोदरा शहर एमएसएमई का गढ़ है, श्री मोदी ने कहा कि यह शहर भारत के इन प्रयासों में उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि शहर में एक गतिशक्ति विश्वविद्यालय भी है, जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लिए पेशेवरों को तैयार कर रहा है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि वडोदरा में फार्मा सेक्टर, इंजीनियरिंग और भारी मशीनरी, केमिकल और पेट्रोकेमिकल, बिजली और ऊर्जा उपकरण जैसे कई क्षेत्रों से जुड़ी अनेक कंपनियां हैं। उन्होंने कहा कि अब यह पूरा क्षेत्र भारत में विमानन निर्माण का एक प्रमुख केंद्र भी बनने जा रहा है। श्री मोदी ने गुजरात सरकार और उसके मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल और उनकी पूरी टीम को उनकी आधुनिक औद्योगिक नीतियों और निर्णयों के लिए बधाई दी।

यह सूचित करते हुए कि वडोदरा भारत का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक शहर भी है, श्री मोदी ने कहा कि वे स्पेन से आए सभी मित्रों का स्वागत करते हुए अत्यधिक प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत और स्पेन के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव का अपना महत्व है।” उन्होंने कहा कि फादर कार्लोस वैले स्पेन से आए थे और गुजरात में बस गए थे और उन्होंने अपने जीवन के पचास साल यहां बिताए। उन्होंने यह भी कहा कि फादर वैले ने अपने विचारों और लेखन से संस्कृति को समृद्ध किया। श्री मोदी ने कहा कि उन्हें फादर वैले से मिलने का भी सौभाग्य मिला और भारत सरकार ने उनके महान योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया।

श्री मोदी ने कहा कि स्पेन में भी योग बहुत लोकप्रिय है और भारत में स्पेनिश फुटबॉल भी पसंद किया जाता है। श्री मोदी ने कल रियल मैड्रिड और बार्सिलोना क्लबों के बीच हुए फुटबॉल मैच के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि बार्सिलोना की शानदार जीत भारत में भी चर्चा का विषय रही और दोनों क्लबों के प्रशंसकों का उत्साह भारत में भी स्पेन की तरह ही था। प्रधानमंत्री ने भारत और स्पेन की बहुआयामी साझेदारी पर प्रकाश डालते हुए कहा, “चाहे वह भोजन हो, फिल्म हो या फुटबॉल, हमारे लोगों के बीच मजबूत जुड़ाव ने हमेशा हमारे संबंधों को मजबूत किया है।” श्री मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत और स्पेन ने 2026 को भारत-स्पेन संस्कृति, पर्यटन और एआई के वर्ष के रूप में मनाने का फैसला किया है।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि आज का कार्यक्रम भारत और स्पेन के बीच कई नई संयुक्त सहयोग परियोजनाओं को प्रेरित करेगा। उन्होंने स्पेनिश उद्योग और नवोन्मेषकों को भारत आने तथा देश की विकास यात्रा में भागीदार बनने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

सी-295 कार्यक्रम के तहत कुल 56 विमान वितरित किए जाने हैं, जिनमें से 16 स्पेन से एयरबस द्वारा सीधे वितरित किए जा रहे हैं और शेष 40 भारत में बनाए जाने हैं।

भारत में इन 40 विमानों को बनाने की जिम्मेदारी टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड की है। यह संयंत्र भारत में सैन्य विमानों के लिए निजी क्षेत्र की पहली फाइनल असेंबली लाइन (एफएएल) बन गई है। इसमें निर्माण से लेकर असेंबली, परीक्षण और विशिष्टता, विमान के पूरे जीवनचक्र की डिलीवरी और रखरखाव तक एक संपूर्ण इकोसिस्टम का पूर्ण विकास शामिल होगा।

टाटा के अलावा, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड जैसी रक्षा क्षेत्र की अग्रणी सार्वजनिक इकाइयों के साथ ही निजी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम इस कार्यक्रम में योगदान देंगे। इससे पहले अक्टूबर 2022 में प्रधानमंत्री ने वडोदरा फाइनल असेंबली लाइन (एफएएल) की आधारशिला रखी थी।

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केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने ओला को रिफंड मोड के संबंध में उपभोक्ताओं को विकल्प प्रदान करने वाला तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने एक ऐतिहासिक निर्णय में प्रमुख ऑनलाइन राइड-हेलिंग प्लेटफ़ॉर्म ओला को निर्देश दिया है कि वह शिकायत निवारण प्रक्रिया के दौरान उपभोक्ताओं को रिफंड को या तो सीधे उनके बैंक खाते में या कूपन के माध्यम से अपना पसंदीदा तरीका चुनने की अनुमति देने वाली प्रणाली लागू करे। इसके अतिरिक्त, ओला को निर्देश दिया गया है कि वह अपने प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से बुक की गई सभी ऑटो राइड के लिए उपभोक्ताओं को बिल या रसीद या चालान प्रदान करे, ताकि इसकी सेवाओं में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके। प्राधिकरण की अध्यक्षता मुख्य आयुक्त श्रीमती निधि खरे करती हैं।

सीसीपीए ने पाया कि जब भी उपभोक्ता ओला ऐप पर कोई शिकायत दर्ज करता है, तो अपनी बिना किसी सवाल के रिफंड नीति के तहत ओला सिर्फ़ एक कूपन कोड प्रदान करता है जिसका इस्तेमाल अगली सवारी के लिए किया जा सकता है, जबकि उपभोक्ता को बैंक खाते से रिफंड या कूपन में से किसी एक को चुनने का स्पष्ट विकल्प नहीं दिया जाता है। यह देखा गया कि यह उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन करता है और बिना किसी सवाल के रिफंड नीति का मतलब यह नहीं हो सकता कि कंपनी लोगों को सिर्फ़ दूसरी सवारी के लिए इस सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

इसके अलावा, सीसीपीए ने पाया कि यदि कोई उपभोक्ता ओला पर बुक की गई ऑटो सवारी के लिए चालान प्राप्त करने का प्रयास करता है, तो ऐप यह संदेश दिखाता है कि ‘ओला की ऑटो सेवा नियम एवं शर्तों में परिवर्तन के कारण ऑटो सवारी के लिए ग्राहक चालान प्रदान नहीं किया जाएगा।’ यह देखा गया कि बेची गई वस्तुओं या प्रदान की गई सेवाओं के लिए बिल या चालान या रसीद जारी न करना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत ‘अनुचित व्यापार व्यवहार’ है।

2. परिभाषाएँ.

(47) “अनुचित व्यापार व्यवहार” से तात्पर्य ऐसे व्यापार व्यवहार से हैजो किसी माल की बिक्रीउपयोग या आपूर्ति को बढ़ावा देने या किसी सेवा के प्रावधान के लिए कोई अनुचित तरीका या अनुचित या भ्रामक व्यवहार अपनाता हैजिसके अंतर्गत निम्नलिखित में से कोई भी व्यवहार शामिल हैअर्थात:—

(vii) बेची गई वस्तुओं या प्रदान की गई सेवाओं के लिए निर्धारित तरीके से बिल या कैश मेमो या रसीद जारी न करना।

उपरोक्त के अलावा, सीसीपीए के हस्तक्षेप से ओला ऐप में निम्नलिखित उपभोक्ता-केंद्रित परिवर्तन हुए हैं –

  1. इससे पहले वेबसाइट पर शिकायत अधिकारी और नोडल अधिकारी का विवरण स्पष्ट रूप से नहीं दिखता था। अब वेबसाइट के सहायता अनुभाग में शिकायत अधिकारी और नोडल अधिकारी का नामफोन नंबर और ई-मेल दर्ज है।
  2. रद्दीकरण नीति के अनुसार रद्दीकरण का अनुमत समय अब ​​सवारी बुकिंग के समय प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाता है।
  3. रद्दीकरण शुल्क की राशि अब सवारी बुकिंग पृष्ठ पर स्पष्ट रूप से उल्लिखित है , ताकि उपभोक्ता को सवारी रद्द करने से पहले स्पष्ट रूप से पता चल सके कि सवारी रद्द करने पर कितना शुल्क लिया जा सकता है।
  4. ड्राइवरों के लिए नई स्वीकृति स्क्रीन जोड़ी गई हैजहां ड्राइवरों को पिकअप और ड्रॉप दोनों स्थानों का पता दिखाया जाता है ।
  5. असुविधा और भ्रम से बचने के लिए, और अधिक कारण जोड़े गए जिनके आधार पर उपभोक्ता यात्रा रद्द करना चाहते हैं ।
  6. कुल किराये में शामिल घटकों की सूची अब सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है , जैसे आधार किराया, प्रति किमी किराया, प्रतीक्षा-पूर्व शुल्क आदि।
  7. ड्राइवरों को डिजिटल भुगतान करने और एसी चालू करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए संदेश जारी किए गए ।
  8. ड्राइवरों के लिए भुगतान चक्र संशोधित किया गया ताकि उन्हें शीघ्र भुगतान मिल सके।

राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) की जानकारी के अनुसार, 01.01.2024 से 09.10.2024 तक ओला के खिलाफ कुल 2,061 शिकायतें दर्ज की गई हैं। शिकायतों की शीर्ष श्रेणियों में शामिल हैं –

  1. सवारी बुकिंग के समय दर्शाए गए किराए से अधिक किराया उपभोक्ता से वसूला गया
  2. उपभोक्ता को राशि वापस न करना
  3. ड्राइवर अतिरिक्त नकदी मांग रहा है
  4. ड्राइवर सही स्थान पर नहीं पहुंचा या गलत स्थान पर उतार दिया

सीसीपीए अपने विनियामक हस्तक्षेप के माध्यम से यह सुनिश्चित करने में दृढ़ रहा है कि ओला उपभोक्ताओं के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए स्थापित कानूनी ढांचे का पालन करे। इन उपायों का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना, विश्वास बढ़ाना और सेवा प्रदाता की जवाबदेही में सुधार करना है, जो ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पर सभी उपभोक्ताओं के लिए निष्पक्ष और सुरक्षित अनुभव सुनिश्चित करने के लिए सीसीपीए की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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प्रधानमंत्री महाराष्ट्र में 7600 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे

प्रधानमंत्री मोदी 9 अक्टूबर को दोपहर करीब 1 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से महाराष्ट्र में 7600 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे।

प्रधानमंत्री कुल 7000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, नागपुर के उन्नयन की परियोजना की आधारशिला रखेंगे। यह परियोजना विनिर्माण, विमानन, पर्यटन, रसद और स्वास्थ्य सेवा सहित कई क्षेत्रों में विकास के लिए उत्प्रेरक का काम करेगी, जिससे नागपुर शहर और व्यापक विदर्भ क्षेत्र को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री शिरडी हवाई अड्डे पर 645 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाले नए एकीकृत टर्मिनल भवन की आधारशिला रखेंगे। इससे शिरडी आने वाले धार्मिक पर्यटकों के लिए विश्व स्तरीय सुविधाएं और सुख-सुविधाएं मिलेंगी। प्रस्तावित टर्मिनल के निर्माण की थीम साईं बाबा के आध्यात्मिक नीम के पेड़ पर आधारित है।

प्रधानमंत्री सभी के लिए किफायती और सुलभ स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, महाराष्ट्र में मुंबई, नासिक, जालना, अमरावती, गढ़चिरौली, बुलढाणा, वाशिम, भंडारा, हिंगोली और अंबरनाथ (ठाणे) में स्थित 10 सरकारी मेडिकल कॉलेजों के संचालन का शुभारंभ करेंगे। ये कॉलेज स्नातक और स्नातकोत्तर सीटों को बढ़ाने के साथ-साथ, लोगों को विशेष तृतीयक स्वास्थ्य सेवा भी प्रदान करेंगे।

भारत को “विश्व की कौशल राजधानी” के रूप में स्थापित करने के अपने दृष्टिकोण के अनुरूप, प्रधानमंत्री भारतीय कौशल संस्थान (आईआईएस) मुंबई का भी उद्घाटन करेंगे, जिसका उद्देश्य अत्याधुनिक तकनीक और व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ उद्योग के लिए लायक कार्यबल तैयार करना है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के तहत स्थापित, यह टाटा एजुकेशन एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट और भारत सरकार के बीच एक सहयोग है। संस्थान मेक्ट्रोनिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा एनालिटिक्स, औद्योगिक स्वचालन और रोबोटिक्स जैसे अत्यधिक विशिष्ट क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करने की योजना बना रहा है।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री महाराष्ट्र के विद्या समीक्षा केंद्र (वीएसके) का उद्घाटन करेंगे। वीएसके छात्रों, शिक्षकों और प्रशासकों को स्मार्ट उपस्थिती, स्वाध्याय जैसे लाइव चैटबॉट के माध्यम से महत्वपूर्ण शैक्षणिक और प्रशासनिक डेटा तक पहुंच प्रदान करेगा। यह स्कूलों को संसाधनों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने, अभिभावकों और राज्य के बीच संबंधों को मजबूत करने और उत्तरदायी सहायता प्रदान करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली जानकारियां प्रदान करेगा। यह शिक्षण के तौर तरीकों और छात्रों की शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए तैयार किए गए निर्देशात्मक संसाधन भी प्रदान करेगा।

 

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केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे सड़क के किनारे सुविधाओं के लिए ऑनबोर्डिंग सेवा प्रदाताओं के लिए ‘हमसफर नीति’ का अनावरण किया

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने श्री अजय टम्टा, राज्य मंत्री की उपस्थिति में राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा की सुविधा बढ़ाने और सड़क के किनारे सुविधाओं के विकास में तेजी लाने के लिए आज नई दिल्ली में ‘हमसफर नीति’ का शुभारंभ किया।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने अनावरण के अवसर पर कहा कि इस पहल से समाज के स्थानीय सीमांत वर्ग लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि यह योजना उपयोगकर्ताओं के लिए सुगम, सुरक्षित और सुखद यात्रा की सुविधा प्रदान करने में मदद करेगी। यह पर्यावरण के अनुकूल और पारिस्थितिकी तथा स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि इस नीति को तैयार करते समय जल संरक्षण, मृदा संरक्षण, अपशिष्ट पुनर्चक्रण,  सौर ऊर्जा आदि को ध्यान में रखा गया है।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंत्रालय के अधिकारियों से कहा कि वे इस नीति के माध्यम से यात्रियों को गुणवत्तापूर्ण सेवा सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि एनएचएआई के कई हरित राजमार्गों की योजना बनाई गई है,  जिसमें कई सुविधाओं को ध्यान में रखा गया है।

उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थापित पेट्रोल पंप मालिकों से कहा कि वे मानकों के अनुसार पेट्रोल पंप पर बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करें। उन्होंने यह भी कहा कि इस नीति के तहत फूड कोर्ट, कैफेटेरिया, फ्यूल स्टेशन, इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन, पार्किंग,  शौचालय सुविधा,  बेबी केयर रूम, एटीएम, वाहन मरम्मत की दुकान,  फार्मेसी सेवाएं राजमार्ग उपयोगकर्ताओं के लिए बेहतर अनुभव सुनिश्चित करेंगी।

इस अवसर पर सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री श्री अजय टम्टा ने कहा कि श्री नितिन गडकरी के मार्गदर्शन में 1.5 लाख किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री के मार्गदर्शन ने कई बाधाओं के बावजूद देश में बुनियादी ढांचे को बदल दिया है।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी और राज्य मंत्री श्री अजय टम्टा ने प्रदर्शित प्रदर्शनी को भी देखा।

इस नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर मौजूदा और आने वाले सेवा प्रदाताओं को शामिल करके यात्रियों को मानकीकृत, सुव्यवस्थित और स्वच्छ सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करना है। भोजनालयों, ईंधन स्टेशन और ट्रॉमा सेंटर की श्रेणियों के तहत मौजूदा और आने वाले सेवा प्रदाता हमसफ़र नीति के तहत पंजीकरण के लिए पात्र होंगे। नीति का उद्देश्य सभी हितधारकों को लाभ पहुंचाना है। पंजीकृत सेवा प्रदाताओं को मौजूदा पहुंच अनुमति के नवीनीकरण के लिए शुल्क में छूट का लाभ मिलेगा और उन्हें दृश्यता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर अपने प्रतिष्ठान के साइनेज लगाने के लिए स्थान प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा, सेवा प्रदाताओं को उनकी ऑनलाइन दृश्यता बढ़ाने के लिए एनएचएआई के ‘राजमार्ग यात्रा’ मोबाइल ऐप पर दिखाया जाएगा।

‘हमसफर नीति’ से यात्रियों को मानकीकृत, सुव्यवस्थित और स्वच्छ सुविधाएं मिलने में मदद मिलेगी। यात्री ‘राजमार्ग यात्रा’ ऐप पर तुरंत अपने स्थान के पास संबंधित सेवा प्रदाताओं का विवरण प्राप्त कर सकेंगे। ऐप यात्रियों को मुद्दों की रिपोर्ट करने और प्रदान की गई सेवा और सुविधाओं को रेटिंग देने के लिए भी सशक्त करेगा। पंजीकृत सेवा प्रदाता एक्सेस अनुमतियों के लिए नवीकरण शुल्क की छूट का लाभ उठाने में सक्षम होंगे, यदि वे 3 या उससे अधिक की औसत रेटिंग बनाए रखते हैं।

नीति सुविधाओं के मानक को बनाए रखने और यात्रियों को गुणवत्ता सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए पंजीकृत सेवा प्रदाताओं की ‘निगरानी और निरीक्षण’ के लिए कड़े प्रावधानों की रूपरेखा भी तैयार करती है। प्राधिकरण द्वारा नियुक्त तृतीय पक्ष एजेंसी द्वारा नियमित निरीक्षण किया जाएगा। सेवा प्रदाताओं को उनकी रेटिंग 3-स्टार के औसत से कम होने पर ईमेल/एसएमएस अलर्ट भेजे जाएंगे और कम स्कोर वाली ऐसी सुविधाओं पर अधिक बार निरीक्षण किया जाएगा।

‘हमसफर नीति’ यात्रियों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सुविधाओं का मानकीकरण करके और राष्ट्रीय राजमार्ग उपयोगकर्ताओं के समग्र यात्रा अनुभव को बढ़ाकर राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ विश्वस्तरीय सेवाएं स्थापित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगी।

इस कार्यक्रम में मंत्रालय में महानिदेशक और विशेष सचिव श्री डी. सारंगी,  एनएचएआई के अध्यक्ष श्री संतोष कुमार यादव और मंत्रालय तथा एनएचएआई, एनएचएलएमएल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ वेसाइड फैसिलिटीज डेवलपर्स,  हॉस्पिटैलिटी कंपनियों, तेल विपणन कंपनियों, ईवी चार्जिंग कंपनियों, सलाहकारों और शिक्षाविदों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश में आज कई योजनाओं का शुभारंभ व  500 किमी नयी पक्की सड़कों का शिलान्यास किया

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के भैरूंदा में ग्रामीण विकास मंत्रालय के ग्रामीण स्वरोजगार कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास सखी मोबाइल ऐप का शुभारंभ किया। 18 राज्यों के 100 समुदाय प्रबंधित प्रशिक्षण केंद्रों – सीएमटीसी का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत 500 किमी नयी पक्की सड़कों का शिलान्यास तथा ग्राम सड़क सर्वेक्षण एवं प्लानिंग टूल का शुभारंभ किया। साथ ही, मध्य प्रदेश के 5 नए आरसेती प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना के लिए स्वीकृति भी दी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान, पंचायती राज मंत्री प्रहलाद पटेल , ग्रामीण विकास सचिव शैलेश कुमार सहित मंत्रालय के कई अधिकारी कार्यक्रम में शामिल हुए। 

शिवराज सिंह ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अनेकों काम शुरू हुए हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण काम – पूरे देश में आज से कच्चे घर का सर्वे शुरू हो रहा है। जिनके नाम 2018 की पक्के घर की सूची में छूट गये थे अब उनके नाम शामिल किये जायेंगे। यह सर्वे 6 महीने के अन्दर पूरा कर लिया जायेगा ताकि कोई बहन और भाई वंचित न रहे। उन्होंने कहा कि फोन, मोटर साइकिल या स्कूटर होने पर भी प्रधानमंत्री आवास योजना में नाम जोड़ा जायेगा। लाडली बहना के साथ -साथ लखपति दीदी बनाने का अभियान भी पूरे देश में चलेगा। भारत सरकार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में निरंतर काम कर रही है। लखपति दीदी का मतलब है हर एक बहन को प्रत्येक माह 10 हजार रूपये से ज़्यादा की आमदनी हो। पहले 10 हजार रूपये की आमदनी वाले को ही आवास योजना का लाभ मिलता था लेकिन अब 15 हजार प्रति मास आय होने पर भी नाम आवास योजना में जोड़ा जायेगा। लखपति दीदी अभियान के लिए 100 करोड़ रूपये दिये गये हैं। जिनकी ढ़ाई एकड़ तक सिंचित जमीन है और 5 एकड़ तक असिंचित जमीन होने पर भी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिलेगा। किसानों के हित में कैबिनेट रोज़ फैसले कर रही है। सोयाबीन के दाम विदेशों से तेल आयात होने के कारण कम हो रहे थे। भारत सरकार ने विदेशों से आने वाले तेल पर साढ़े 27 प्रतिशत टैक्स लगा दिया जायेगा ताकि देश में सोयाबीन के दाम बढ़ें। केंद्र सरकार ने अनुमोदन दे दिया है अब मध्य प्रदेश में सोयाबीन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जायेगी। इसके लिए रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिये हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने इससे पहले मूंग की पूरी खरीद की है। बासमती धान पर मिनिमम एक्पोर्ट दर भी खत्म कर दी है। अब चावल विदेशों में जायेगा जिससे धान के दाम बढ़ेंगे। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों का भला करने वाली सरकार होती है तो किसान हितैषी फैसले किये जाते हैं। इस बार मसूर, उड़द, तुअर जितना पैदा होगा उतना न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पूरा खरीदेंगे ताकि किसानों को उसके ठीक दाम मिलें। 109 बीजों की नई किस्में जारी की गई हैं जोकि कम समय में ज्यादा उपज देगी। रबी की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा होने वाली है। मेरे लिए आपकी सेवा ही भगवान की पूजा है। सिहोर ज़िला भी पीछे नहीं रहेगा। केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार पैसा देगी। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में 3 लाख 68 हजार मकान ग़रीबों को मिले हैं जो कि राज्य सरकार देगी। आपकी सेवा ही मेरी जिन्दगी का मिशन है। केंद्र सरकार मध्य प्रदेश के लिए कोई भी कमी नहीं छोड़ेगी। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में ग़रीब की सेवा होती रहेगी और खेती भी लगातार आगे बढ़ती रहेगी। हम आपकी आय दोगुनी करके दिखायेंगे। सीएम राज्य स्कूल और खुलेंगे। तेंदु पत्ते को बोनस देने के लिए भी मैं सरकार का अभिनंदन करता हूं। श्री शिवराज सिंह ने सभी उपस्थित लोगों को नवरात्र की शुभकामनाएं दीं।

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पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की 100 दिन की उपलब्धियां

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमडीओएनईआर) ने 9 जून, 2024 से 17 सितंबर, 2024 की अवधि के दौरान महत्वपूर्ण लक्ष्य हासिल किए हैं। केन्द्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया और केंद्रीय शिक्षा और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार के मार्गदर्शन में मंत्रालय ने विकसित पूर्वोत्तर के निर्माण को पूरा करने के लिए अपनी 100 दिवसीय योजना बनाने में एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। उक्त अवधि के दौरान मंत्रालय की उपलब्धियाँ दर्शाती हैं कि नीतिगत सुधारोंप्रेरित पहलों के प्रभाव और नवीन विचारों पर मंत्रालय का ध्यान एक सशक्त पूर्वोत्तर भारत के निर्माण में दीर्घकालिक परिणाम देगा।

2. उपलब्धियां नीचे सूचीबद्ध हैं:

  • पीएम-डिवाइन के तहत परियोजनाओं की मंजूरी : इस अवधि के दौरान, 419.13 करोड़ रुपये की लागत वाली 6 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में राज्य कैंसर संस्थान की स्थापना भी शामिल है। इन परियोजनाओं से पूर्वोत्तर के लोगों को कैंसर देखभाल सुविधाएं, धनमंजुरी विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे का विकास, सीआईएचएसआर में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी सेंटर का उन्नयन आदि सुविधाएं प्राप्त होंगी।
  • एनईएसआईडीएस (ओटीआरआई) के तहत परियोजनाओं की मंजूरी : इस अवधि के दौरान, अरुणाचल प्रदेश में नामसाई टाउनशिप में जल आपूर्ति प्रणाली के संवर्धन सहित 152.6 करोड़ रुपये की लागत वाली 3 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। ये परियोजनाएं अरुणाचल प्रदेश में बसर टाउनशिप, नामसाई टाउनशिप और तेजू को एकीकृत स्मार्ट पेयजल आपूर्ति प्रदान करेंगी और 103018 लोगों को लाभान्वित करेंगी।
  • एनईएसआईडीएस (सड़क) के तहत परियोजनाओं की मंजूरी : इस अवधि के दौरान, 370.16 करोड़ रुपये की लागत वाली 5 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें असम के चौकीहोला से तारापुंग तक नई सड़क का निर्माण शामिल है। ये परियोजनाएं असम, सिक्किम और मणिपुर में आवागमन की कमी को पूरा करने में महत्वपूर्ण होंगी, जिससे क्रमशः 29000 लोगों की आबादी वाले 56 गांवों, 5871 लोगों की आबादी वाले 8 गांवों और 2,50,000 लोगों की आबादी वाले 64 गांवों को लाभ होगा।
  • डोनर मंत्रालय/एनईसी की योजनाओं के तहत परियोजनाओं का पूरा होना: इस अवधि के दौरान, 30 परियोजनाएं भौतिक रूप से पूरी हो चुकी हैं, जिनमें पीएम-डिवाइन की 1 परियोजना (63.39 करोड़ रुपये की लागत), एनईएसआईडीएस (सड़क) की 6 परियोजनाएं (219.41 करोड़ रुपये की लागत), एनईएसआईडीएस (ओटीआरआई) की 3 परियोजनाएं (48.71 करोड़ रुपये की लागत), एनईसी की योजनाओं की 11 परियोजनाएं (107.25 करोड़ रुपये की लागत) और बीटीसी एवं एचएडीपी की 8 परियोजनाएं (19.63 करोड़ रुपये की लागत) शामिल हैं। इन 29 परियोजनाओं की कुल लागत 458.36 करोड़ रुपये है। इन परियोजनाओं से बुनियादी ढांचा क्षेत्र, विशेषकर सड़क, रोपवे प्रणाली, जिला केंद्रों का निर्माण, बांस प्रसंस्करण केंद्र, पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में स्वास्थ्य आदि को बढ़ावा मिलेगा और लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।
  • योजना दिशानिर्देशों के सरलीकरण और निधियों के जारी करने को सुचारू बनाने के लिए नीतिगत सुधार:
  • इस अवधि के दौरान, पीएम-डिवाइन, एनईएसआईडीएस (ओटीआरआई), एनईएसआईडीएस (रोड) की योजनाओं के दिशा-निर्देशों को सरल बनाया गया है ताकि परियोजना प्रस्तावों के कॉन्सेप्ट नोट और डीपीआर पर एक साथ विचार किया जा सके। इससे परियोजनाओं की अवधारणा और मंजूरी में लगने वाला समय कम हो जाएगा।
  • 21 अगस्त, 2024 को, डोनर मंत्रालय की योजनाओं के बीच वित्तीय और क्षेत्रीय सीमांकन को युक्तिसंगत बनाया गया है और जारी किया गया है। इससे डोनर की कई योजनाओं में समान क्षेत्रों से संबंधित परियोजनाओं की मंजूरी के दोहराव को रोका जा सकेगा।
  • 29 जुलाई, 2024 को, डोनर मंत्रालय/एनईसी की योजनाओं के तहत स्वीकृत परियोजनाओं के लिए धन प्रवाह की प्रक्रिया को सरल बनाया गया ताकि परियोजनाओं के लिए केवल 4 किस्तों में धन जारी किया जा सके। इससे धन जारी करने की प्रक्रिया मानकीकृत हो गई है और इससे धन जारी करने के मामलों में देरी और लंबित मामलों में कमी आएगी।
  • इस अवधि के दौरान, पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय ने चल रही परियोजनाओं के निरीक्षण के लिए एनईडीएफआई के माध्यम से थर्ड पार्टी तकनीकी निरीक्षण (टीपीटीआई) एजेंसियों और परियोजना गुणवत्ता मॉनिटर (पीक्यूएम) को पैनल में शामिल किया है। इससे डोनर मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के तहत स्वीकृत, चल रही परियोजनाओं की निगरानी और निरीक्षण तंत्र को मजबूती मिलेगी। जून, 2024 से लागू किया गया।
  • मणिपुर स्टार्ट अप वेंचर फंड का शुभारंभ : यह एनईआर में नए स्टार्ट-अप को समर्थन देने के लिए राज्य-विशिष्ट उद्यम निधि का एक हिस्सा है। प्रारंभिक कोष 30 करोड़ रुपये (एनईडीएफआईआरएस 15 करोड़ + मणिपुर सरकार 15 करोड़ रुपये) का है। इससे स्थानीय उद्यमियों को प्रोत्साहन मिलेगा और एनईआर में बेहतर और अधिक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने में मदद मिलेगी। 27 अगस्त, 2024 को आयोजित अपनी पहली निवेश समिति की बैठक में दो स्टार्टअप को मणिपुर स्टार्टअप वेंचर फंड से सैद्धांतिक निवेश प्रतिबद्धताएँ प्राप्त हुईं ।
  • अष्टलक्ष्मी महोत्सव-2024 – 6 से दिसंबर, 2024 तक भारत मंडपमनई दिल्ली में अष्टलक्ष्मी महोत्सव-2024 आयोजित करने के लिए डोनर मंत्रालय द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई। 13 सितंबर, 2024 को माननीय डोनर मंत्री द्वारा एक समर्पित पोर्टल लॉन्च किया गया। इससे पूर्वोत्तर राज्यों की समृद्ध विरासतहस्तशिल्पहथकरघाकृषि-उत्पाद और शिल्प पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
  • नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए उत्तर पूर्व विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एनईएसटी) क्लस्टर :

पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने 13.8.2024 को प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के एस एंड टी क्लस्टर के समान पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विशेष रूप से पूर्वोत्तर विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्लस्टर (एनईएसटी क्लस्टर) पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एनईएसटी को मंजूरी दी। 4 वर्टिकल को मंजूरी दी गई है अर्थात (i) जमीनी स्तर की प्रौद्योगिकियों पर नवाचार हब, (ii) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेमीकंडक्टर के लिए प्रौद्योगिकी हब (iii) बांस आधारित प्रौद्योगिकी, उद्यमशीलता संवर्धन और कौशल विकास और कौशल विकास में नवाचार के लिए सीओई और (iv) बायोडिग्रेडेबल, पर्यावरण के अनुकूल प्लास्टिक और ठोस-अपशिष्ट प्रबंधन पर नवाचार केंद्र। एनईएसटी क्लस्टर का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए तकनीकी हस्तक्षेप के माध्यम से पूर्वोत्तर के लोगों की समस्याओं और चुनौतियों की पहचान कर उनका समाधान करना है।

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र कृषि-वस्तु ई-कनेक्ट (एनई-आरएसीएपोर्टल का शुभारंभ –

यह पूर्वोत्तर में कृषि क्षेत्र के लिए एक क्रांतिकारी कदम है, जो माननीय प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है और हमारे किसानों के लिए वैश्विक बाजार को खोलता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के तहत पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) ने पूर्वोत्तर विकास वित्त निगम लिमिटेड (एनईडीएफआई) के सहयोग से 12 जुलाई 2024 को पूर्वोत्तर क्षेत्र कृषि-वस्तु ई-कनेक्ट (एनई-आरएसीए) नामक एक डिजिटल पहल शुरू की, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) से कृषि और बागवानी उत्पादों को ताजा और प्रसंस्कृत दोनों रूपों में बाजार से जोड़ना है। एनई-आरएसीए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को एनईसी द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और इसे एनईडीएफआई द्वारा विकसित और प्रबंधित किया जाता है।

  • आदिवासी कल्याण एवं विकास परिषद (एडब्ल्यूडीसी) के विकास के लिए विशेष विकास पैकेज – इस समझौता ज्ञापन (एमओएस) पर भारत सरकार, असम सरकार और असम के विभिन्न आदिवासी सशस्त्र समूहों द्वारा हस्ताक्षर किए गए। एमओएस के अनुसार, भारत सरकार वित्त वर्ष 2024-25 से पांच वर्षों की अवधि तक प्रति वर्ष 100 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित करेगी। आदिवासी कल्याण एवं विकास परिषद (एडब्ल्यूडीसी) के विकास के लिए विशेष विकास पैकेज को डोनर मंत्रालय को कार्यान्वयन के लिए आवंटित किया गया था। इसके बाद, एमओडीएनईआर ने एमओएस को लागू करने के लिए दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दिया है। एडब्ल्यूडीसी के तहत बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं का प्राथमिक ध्यान बुनियादी ढांचे को बढ़ाना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और सामाजिक सुविधाओं में सुधार और समुदायों का सतत विकास करने पर होगा ।
  • विभिन्न पोर्टलों का विकास – 22 जुलाई, 2024 को भारत सरकार के 54 मंत्रालयों/विभागों (10% जीबीएस के अंतर्गत गैर-छूट प्राप्त) की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत कार्यान्वित की जा रही परियोजनाओं की मजबूत निगरानी और मूल्यांकन के लिए एक पोर्टल लॉन्च किया गया। उक्त पोर्टल विकसित किया गया । सभी मंत्रालयों को 6 सितंबर, 2024 को एक लाइव डेमो के माध्यम से जागरूक किया गया है। यह पोर्टल भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत कार्यान्वित की जा रही परियोजनाओं की मजबूत निगरानी और मूल्यांकन में मदद करेगा। इसी तरह, 54 गैर-छूट प्राप्त मंत्रालयों/विभागों के 10% जीबीएस के तहत किए जा रहे व्यय को कैप्चर करने के लिए एक पोर्टल विकसित किया गया है। संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा निगरानी किए जाने वाले व्यय का विवरण राज्यवार और योजनावार होगा। पोर्टल राज्यवार और योजनावार व्यय विवरण कैप्चर करेगा, जिससे प्रभावी मूल्यांकन और निगरानी सुनिश्चित होगी।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में राज्य निवेश संवर्धन एजेंसियों (आईपीए) को मजबूत करना – अगस्त 2024 में, परियोजना के कार्यान्वयन के लिए डोनर मंत्रालय और इन्वेस्ट इंडिया के बीच द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन को डोनर मंत्रालय द्वारा मंजूरी दे दी गई है। प्रस्ताव का उद्देश्य राज्यों को अच्छी निवेश नीतियों और गुणात्मक क्षेत्रीय निवेश नीतियों को डिजाइन करने में विशेषज्ञ मानव संसाधन प्रदान करके राज्य आईपीए को मजबूत करना है।

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प्रधानमंत्री तीन वंदे भारत रेलगाड़ियों को रवाना करेंगे

प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त, 2024 को दोपहर साढ़े 12 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तीन वंदे भारत रेलगाड़ियों को रवाना करेंगे। प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करते हुए, अत्याधुनिक वंदे भारत एक्सप्रेस तीन मार्गों: मेरठ-लखनऊ; मदुरै-बेंगलुरु और चेन्नई-नागरकोइल पर कनेक्टिविटी में सुधार करेंगी।

ये वंदे भारत रेलगाड़ियां वर्तमान में तीव्र गति से चल रही गाड़ियों की तुलना में यात्रा समय को कम करेंगी। मेरठ सिटी-लखनऊ वंदे भारत से लगभग 1 घंटा, चेन्नई एग्मोर-नागरकोइल वंदे भारत से 2 घंटे और मदुरै-बेंगलुरु वंदे भारत से यात्रा समय में डेढ़ घंटे की बचत होगी।

ये नई वंदे भारत रेलगाड़ियां क्षेत्र के लोगों को तीव्रगति और सुविधा के साथ यात्रा करने के लिए विश्व स्तरीय सेवा प्रदान करेंगी और तीन राज्यों- उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के लोगों की लंबी समय से चल रही मांग को पूरा करेंगी। इन वंदे भारत एक्सप्रेस रेलगाड़ियों की शुरुआत नियमित यात्रियों, पेशेवरों, व्यापारियों और छात्र समुदाय की जरूरतों को पूरा करने के लिए रेल सेवा के एक नए मानक का शुभारंभ करेगी।

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