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राजनीति

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का दो-दिवसीय चिंतन शिविर संपन्न; देशभर के 34 राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों और 19 मंत्रियों ने इसमें भाग लिया

केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा देहरादून में आयोजित चिंतन शिविर 2025 के दूसरे दिन रचनात्मक संवाद, नीतिगत सुसंगतता और जमीनी स्तर पर बदलाव पर जोर दिया गया। शिविर के पहले दिन की गति को आगे बढ़ाते हुए, आज व्यावहारिक समस्याओं के समाधान खोजने, केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों तथा अन्य कार्यान्वयन संबंधी भागीदारों के बीच सहयोग पर चर्चा की गई। इसका शिविर उद्देश्य अधिक प्रभावी शासन की शुरुआत करना एवं प्रभाव को गहरा करना, समावेशिता सुनिश्चित करना और मंत्रालय के तहत विभिन्न योजनाओं एवं पहलों के वितरण तंत्र को मजबूत करना था।

इस कार्यक्रम में देशभर के 34 राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों और 19 मंत्रियों ने भाग लिया। समापन सत्र में विभिन्न राज्यों एवं केन्द्र-शासित प्रदेशों के मंत्रियों ने अपने संबोधन में संघीय सहयोग की भावना को मजबूती दी। केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता (एसजेएंडई) मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने अपने समापन भाषण में चिंतन शिविर के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि यह शिविर रचनात्मक संवाद को बढ़ावा देता है, सहयोगात्मक सोच को प्रेरित करता है और साक्ष्य-आधारित नीतिगत परिष्करण का मार्ग प्रशस्त करता है। अन्य गणमान्य व्यक्तियों में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री बी.एल. वर्मा और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।

दिन की शुरुआत सामाजिक सशक्तिकरण पर एक सत्र से हुई, जिसमें नशीली दवाओं की मांग में कमी (एनएपीडीडीआर) और नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) पर राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत राष्ट्रीय प्रयासों पर प्रकाश डाला गया। विभिन्न राज्यों ने मादक द्रव्यों के सेवन से निपटने में क्षेत्र-स्तर की चुनौतियों एवं नवाचारों को प्रस्तुत किया, जिसमें सामुदायिक एकजुटता एवं जागरूकता अभियानों की भूमिका पर जोर दिया गया। इसके बाद भीख मांगने के कार्य में संलग्न व्यक्तियों के व्यापक पुनर्वास पर चर्चा हुई, जिसमें विभिन्न राज्यों ने जमीनी स्तर पर व्यावहारिक समस्याओं और मुख्यधारा के समाज में एकीकरण से संबंधित विभिन्न रणनीतियों पर बहुमूल्य इनपुट दिए।

दीनदयाल दिव्यांगजन पुनर्वास योजना (डीडीआरएस) पर भी चर्चा की गई, जिसमें भाग लेने वाले राज्यों ने सर्वोत्तम कार्यप्रणाली प्रस्तुत किए और विस्तार के लिए प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की, खासकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में। इन सत्रों ने एक साथ काम करने के महत्व को दर्शाया, क्योंकि केन्द्र और राज्यों ने यह सुनिश्चित करने के प्रयासों को समन्वित किया कि कोई भी व्यक्ति पीछे न छूटे।

तकनीकी सत्र में एकल नोडल एजेंसी (एसएनए) प्रणाली, सामाजिक लेखा परीक्षा और एनआईएसडी के नेतृत्व में क्षमता निर्माण से संबंधित पहलों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। इन चर्चाओं में सहयोग एवं समन्वय के प्रति सामूहिक दृष्टिकोण को दर्शाया गया, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता, निगरानी और योजनाओं के कुशल कार्यान्वयन को बेहतर बनाना है।

मंत्रालय के चार राष्ट्रीय वित्त एवं विकास निगमों – एनएसएफडीसी, एनबीसीएफडीसी, एनडीएफडीसी और एनएसकेएफडीसी – की समीक्षा से अनुसूचित जाति (एससी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), दिव्यांगों और सफाई कर्मचारियों के बीच आय सृजन के प्रयासों और आजीविका संवर्धन के बारे में जानकारी मिली। विभिन्न हितधारकों ने वित्त की सुलभता को सरल बनाने और हाशिए पर पड़े समूहों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के बारे में विचार-विमर्श किया।

शिविर के पहले दिन राज्यों की ओर से 11 और दूसरे दिन 10 प्रस्तुतियां दी गईं, जिनमें से कुछ प्रस्तुतियां संबंधित राज्यों के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभागों के प्रभारी मंत्रियों द्वारा दी गईं। इन प्रस्तुतियों के अलावा, विभिन्न राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने मौजूदा योजनाओं के क्रियान्वयन को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाया और भविष्य में सुधार के लिए सुझाव भी दिए।

विविध विषयों और सत्रों के दौरान विभिन्न राज्यों एवं केन्द्र-शासित प्रदेशों ने अपने अनुभव, चुनौतियों एवं उपलब्धियों को साझा किया, जिससे चिंतन शिविर के साझा ज्ञान और सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों के मूल्यवान पूल में योगदान मिला। इस सहभागी माहौल ने ज़मीनी स्तर पर व्यावहारिक मुद्दों – डिजिटल बुनियादी ढांचे की कमी से लेकर कौशल एवं जागरूकता अभियान की आवश्यकता तक – पर ठोस इनपुट को संभव बनाया जिससे कार्रवाई योग्य परिणाम सामने आए।

यह कार्यक्रम साझा दृष्टिकोण एवं जिम्मेदारी के भाव के साथ संपन्न हुआ, जिसमें सभी हितधारकों ने एक ऐसे विकसित भारत के निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया, जो प्रत्येक नागरिक के लिए समावेशी, न्यायसंगत एवं सशक्त हो।

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कैबिनेट ने हाइब्रिड एन्युटी मोड पर पंजाब और हरियाणा में 1878.31 करोड़ रुपये की लागत से 19.2 किलोमीटर लंबे 6 लेन एक्सेस कंट्रोल्ड

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने पंजाब और हरियाणा राज्य में एनएच (ओ) के तहत हाइब्रिड एन्युटी मोड पर एनएच-7 (जीरकपुर-पटियाला) के साथ जंक्शन से शुरू होकर एनएच-5 (जीरकपुर-परवाणू) के साथ जंक्शन पर समाप्त होने वाले 6 लेन जीरकपुर बाईपास के निर्माण को मंजूरी दे दी है, जिसकी कुल लंबाई 19.2 किलोमीटर है। यह पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान सिद्धांत के तहत एकीकृत परिवहन इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

परियोजना की कुल पूंजी लागत 1878.31 करोड़ रुपये है।

जीरकपुर बाईपास, जीरकपुर में एनएच-7 (चंडीगढ़-बठिंडा) के जंक्शन से शुरू होता है और पंजाब में पंजाब सरकार के मास्टर प्लान का अनुसरण करता है तथा हरियाणा के पंचकूला में एनएच-5 (जीरकपुर-परवाणू) के जंक्शन पर समाप्त होता है, जिससे पंजाब में जीरकपुर और हरियाणा में पंचकूला के अत्यधिक शहरीकृत और भीड़भाड़ वाले हिस्से से बचा जा सकेगा।

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य पटियाला, दिल्ली, मोहाली एरोसिटी से यातायात को हटाकर हिमाचल प्रदेश को सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करके ज़ीरकपुर, पंचकूला और आसपास के क्षेत्रों में भीड़भाड़ को कम करना है। वर्तमान प्रस्ताव का उद्देश्य यात्रा के समय को कम करना और एनएच-7, एनएच -5 और एनएच -152 के भीड़भाड़ वाले शहरी खंड में निर्बाध यातायात सुनिश्चित करना है।

सरकार ने चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली शहरी क्षेत्र में भीड़भाड़ कम करने के लिए सड़क नेटवर्क विकसित करने का काम शुरू किया है, जो मानचित्र में दर्शाए अनुसार रिंग रोड का रूप लेगा। जीरकपुर बाईपास इस योजना का एक महत्वपूर्ण घटक है।

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इथेनॉल मिश्रण को 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने के लिए सरकार के कदम

वर्ष 2022 में संशोधित राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति-2018 में अन्य बातों के साथ-साथ पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य 2030 से बदल कर इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2025-26 कर दिया गया है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने जून 2022 में पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया है, जो ईएसवाई 2021-22 के दौरान लक्ष्य से पांच महीने पहले है। 28 फरवरी 2025 तक इथेनॉल का मिश्रण ईएसवाई 2022-23 में 12.06 प्रतिशत, ईएसवाई 2023-24 में 14.60 प्रतिशत और ईएसवाई 2024-25 में 17.98 प्रतिशत हो गया है। अभी तक सरकार द्वारा इथेनॉल मिश्रण को 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने के लिए कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा तैयार भारत में इथेनॉल मिश्रण के लिए 2020-25 के रोडमैप के अनुसार, 20 प्रतिशत इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (ई20) का उपयोग करने से ई10 के लिए डिज़ाइन किए गए और ई20 के लिए कैलिब्रेट किए गए चार पहिया वाहनों की ईंधन दक्षता में मामूली कमी आती है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) ने समिति को सूचित किया था कि इंजन हार्डवेयर और ट्यूनिंग में संशोधन के साथ, मिश्रित ईंधन के कारण दक्षता में होने वाली हानि को कम किया जा सकता है। समिति की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ई20 ईंधन के साथ वाहन के प्रदर्शन, इंजन के पुर्जों के खराब होने या इंजन ऑयल के खराब होने में कोई बड़ी समस्या नहीं देखी गई।

जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति द्वारा घोषित अधिशेष चरण के दौरान खाद्यान्नों के उपयोग की अनुमति देती है। यह नीति मकई, कसावा, सड़े हुए आलू, टूटे हुए चावल जैसे क्षतिग्रस्त खाद्यान्न, मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त खाद्यान्न, मक्का, गन्ने का रस और गुड़, कृषि अवशेष (चावल का भूसा, कपास का डंठल, मकई के दाने, चूरा, खोई आदि) जैसे फीडस्टॉक के उपयोग को भी बढ़ावा देती है और प्रोत्साहित करती है। इथेनॉल उत्पादन के लिए अलग-अलग फीडस्टॉक के उपयोग की सीमा हर साल बदलती रहती है, जो उपलब्धता, लागत, आर्थिक व्यवहार्यता, बाजार की मांग और नीतिगत प्रोत्साहन जैसे कारकों से प्रभावित होती है। इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस, उसके उप-उत्पादों, मक्का आदि का कोई भी डायवर्जन संबंधित हितधारकों के परामर्श से सावधानीपूर्वक कैलिब्रेट किया जाता है।

इसके अलावा, सरकार ने 2014 से, ईबीपी कार्यक्रम के तहत किसानों और इथेनॉल उत्पादकों को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कई उपाय किए हैं। इसमें इथेनॉल उत्पादन के लिए फीडस्टॉक का विस्तार करना, ईबीपी कार्यक्रम के तहत इथेनॉल की खरीद के लिए एक प्रशासित मूल्य तंत्र को लागू करना, ईबीपी कार्यक्रम के लिए इथेनॉल पर जीएसटी दर को घटाकर 5 प्रतिशत करना, इथेनॉल के अंतरराज्यीय और अंतरराज्यीय आंदोलन को सुविधाजनक बनाने के लिए उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम में संशोधन करना, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा इथेनॉल खरीद प्रक्रिया को सरल बनाना और पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को 2030 से बदलकर इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2025-26 कर दिया।

यह जानकारी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री श्री सुरेश गोपी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का कार्यान्वयन

सरकार ने 2021-22 से 2025-26 तक की अवधि के लिए 69,515.71 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ 2025-26 तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) को जारी रखने की अनुमति दे दी है।

देश में खरीफ 2016 सीजन से शुरू की गई पीएमएफबीवाई सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए उपलब्ध है। यह राज्यों के साथ-साथ किसानों के लिए भी स्वैच्छिक है। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपनी जोखिम धारणा और वित्तीय विचारों आदि को ध्यान में रखते हुए इस योजना के तहत सदस्यता लेने के लिए स्वतंत्र हैं। इस योजना की शुरुआत से अब तक 27 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने एक या अधिक मौसमों में इस योजना को लागू किया है। वर्तमान में 23 राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश इस योजना का कार्यान्वयन कर रहे हैं।

बीमा मॉडल का चयन, पारदर्शी बोली प्रक्रिया के माध्यम से बीमा कंपनियों का चयन, किसानों का नामांकन, स्वीकार्य दावों की गणना के लिए फसल उपज/फसल हानि का आकलन जैसे सभी प्रमुख कार्य संबंधित राज्य सरकार या राज्य सरकार के अधिकारियों और संबंधित बीमा कंपनी की संयुक्त समिति द्वारा किए जा रहे हैं। इस योजना के उचित कार्यान्वयन के लिए प्रत्येक हितधारक की भूमिका और जिम्मेदारियां योजना के परिचालन दिशानिर्देशों में परिभाषित की गई हैं।

बीमा कंपनियों द्वारा योजना के परिचालन दिशानिर्देशों के तहत निर्धारित समयसीमा के भीतर अधिकांश दावों का निपटारा किया जाता है। हालांकि, पीएमएफबीवाई के कार्यान्वयन के दौरान, बीमा कंपनियों के खिलाफ दावों का भुगतान न करने और/या देरी से भुगतान करने, बैंकों द्वारा बीमा प्रस्तावों को गलत/देरी से प्रस्तुत करने के कारण दावों का कम भुगतान करने, उपज के आंकड़ों में विसंगति और इसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार और बीमा कंपनियों के बीच विवाद, राज्य सरकार के हिस्से की धनराशि प्रदान करने में देरी, बीमा कंपनियों द्वारा पर्याप्त कर्मियों की तैनाती न करने आदि के बारे में कुछ शिकायतें पहले प्राप्त हुई थीं, जिन्हें योजना के प्रावधानों के अनुसार उचित रूप से दूर किया गया।

चूंकि यह योजना राज्य सरकार द्वारा कार्यान्वित की जाती है, इसलिए बीमित किसानों के दावों से संबंधित शिकायतों सहित शिकायतों के समाधान के लिए, योजना के संशोधित परिचालन दिशा-निर्देशों में स्तरीकृत शिकायत निवारण तंत्र अर्थात जिला स्तरीय शिकायत निवारण समिति (डीजीआरसी), राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समिति (एसजीआरसी) का प्रावधान किया गया है। इन समितियों को परिचालन दिशा-निर्देशों में उल्लिखित विस्तृत अधिदेश दिए गए हैं, ताकि शिकायतों की सुनवाई की जा सके और निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार उनका निपटान किया जा सके।

शिकायत निवारण तंत्र को और बेहतर बनाने के लिए, कृषि रक्षक पोर्टल और हेल्पलाइन (केआरपीएच) विकसित की गई है। अखिल भारतीय टोल फ्री नंबर 14447 शुरु किया गया है और इसे बीमा कंपनियों के डेटाबेस से जोड़ा गया है, जहाँ किसान अपनी शिकायतें/मुद्दे उठा सकते हैं। इन शिकायतों/मुद्दों के समाधान के लिए समयसीमा भी तय की गई है।

विभाग सभी हितधारकों के साथ साप्ताहिक वीडियो कॉन्फ्रेंस, व्यक्तिगत बैठक तथा राष्ट्रीय समीक्षा सम्मेलनों के माध्यम से दावों के समय पर निपटान सहित बीमा कंपनियों के कामकाज की नियमित निगरानी कर रहा है।

प्राप्त अनुभव, विभिन्न हितधारकों के विचारों के आधार पर तथा बेहतर पारदर्शिता, जवाबदेही, किसानों के दावों का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने और योजना को अधिक किसान हितैषी बनाने के उद्देश्य से, सरकार ने समय-समय पर पीएमएफबीवाई के परिचालन दिशा-निर्देशों को व्यापक रूप से संशोधित किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजना के तहत पात्र लाभ समय पर और पारदर्शी तरीके से किसानों तक पहुंचे।

यह जानकारी आज लोकसभा में लिखित उत्तर में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने दी।

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अमरीकी टैरिफ का प्रभाव

अमरीकी ने 12 मार्च 2025 से सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) के आधार पर इस्‍पात और एल्युमीनियम उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। भारत सरकार पारस्परिक रूप से लाभकारी और निष्पक्ष तरीके से द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को बढ़ाने और व्यापक बनाने के लिए अमरीकी सरकार के साथ बातचीत जारी रखे हुए है।

इस्पात एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है और सरकार देश में इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल बनाकर एक सुगमताप्रदानकर्ता के रूप में कार्य करती है। व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) घरेलू उद्योग द्वारा दायर विधिवत प्रमाणित आवेदन के आधार पर कस्‍टमज़ टैरिफ अधिनियम, 1975 और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत डंपिंग रोधी जांच करता है, जिसमें देश में माल की डंपिंग के कारण घरेलू उद्योग को नुकसान होने का आरोप लगाया जाता है। डंपिंग रोधी उपायों का मूल उद्देश्य डंपिंग के अनुचित व्यापार व्यवहार से घरेलू उद्योग को होने वाली क्षति को खत्म करना और घरेलू उद्योग के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना है।

भारत में अन्य देशों से इस्पात की बढ़ती डंपिंग से संबंधित चिंताओं को संबोधित करने के लिए, कुछ इस्पात उत्पादों जैसे कि सीमलेस ट्यूब, पाइप और आयरन लोहे के हॉलो प्रोफाइलज़, मिश्र धातु या गैर-मिश्र धातु इस्पात (कच्चा लोहा और स्टेनलेस स्टील के अलावा) (चीन से), इलेक्ट्रो-गैल्वेनाइज्ड इस्‍पात (कोरिया आरपी, जापान, सिंगापुर से), स्टेनलेस-स्टील सीमलेस ट्यूब और पाइप (चीन से), वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब (वियतनाम और थाईलैंड से) से संबंधित डंपिंग रोधी ड्यूटी संबंधी उपाय (एडीडी) वर्तमान में लागू हैं।

सरकार ने घरेलू इस्पात निर्माताओं की सुरक्षा और भारत के इस्पात उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:-

i. चीन और वियतनाम से वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब के लिए प्रतिसंतुलक शुल्‍क (सीवीडी) लागू है।

ii. केंद्रीय बजट 2024-25 में, घरेलू विनिर्माताओं को समर्थन देने और घरेलू इस्पात विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित उपाय किए गए:-

a. फेरो-निकेल और मोलिब्डेनम अयस्कों और सांद्रों पर मूल कस्‍टमज़ ड्यूटी (बीसीडी) को 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है, जो इस्पात उद्योग के लिए कच्चा माल हैं।

b. फेरस स्क्रैप पर बीसीडी छूट 31.03.2026 तक जारी रखी गई है।

c. कोल्ड रोल्ड ग्रेन ओरिएंटेड (सीआरजीओ) इस्‍पात के निर्माण के लिए निर्दिष्ट कच्चे माल पर छूट 31.3.2026 तक जारी रखी गई है। इसके अतिरिक्‍त, टैरिफ मद 7226 11.00 के अंतर्गत आने वाले सीआरजीओ इस्‍पात के निर्माण के लिए ऐसे निर्दिष्ट कच्चे माल पर भी छूट बढ़ा दी गई है।

iii. सरकारी खरीद के लिए ‘मेड इन इंडिया’ इस्‍पात को बढ़ावा देने के लिए घरेलू रूप से निर्मित लौह एवं इस्पात उत्पाद (डीएमआई एंड एसपी) नीति।

iv. देश के भीतर ‘स्पेशलिटी स्टील’ के विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश को आकर्षित करके आयात को कम करने के लिए स्पेशलिटी स्टील के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना। स्पेशलिटी स्टील के लिए पीएलआई योजना के तहत अनुमानित अतिरिक्त निवेश 27,106 करोड़ रुपये है, जिसमें स्पेशलिटी स्टील के लिए लगभग 24 मिलियन टन (एमटी) की डाउनस्ट्रीम क्षमता का निर्माण शामिल है।

v. इस्‍पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश की शुरूआत, जिससे घरेलू बाजार में घटिया/दोषपूर्ण इस्‍पात उत्पादों के साथ-साथ आयात पर प्रतिबंध लगाया जा सके, ताकि संबंधित उद्योग, उपयोगकर्ताओं और आम जनता को गुणवत्तापूर्ण इस्‍पात की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। इस आदेश के अनुसार, यह सुनिश्चित किया गया कि अंतिम उपयोगकर्ताओं को प्रासंगिक बीआईएस मानकों के अनुरूप केवल गुणवत्ता वाले इस्‍पात ही उपलब्ध कराए जाएं। आज की तारीख तक, कार्बन इस्‍पात, मिश्र धातु इस्‍पात और स्टेनलेस स्टील को शामिल करते हुए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के तहत 151 भारतीय मानक अधिसूचित हैं।

सरकार एमएसएमई के संवर्धन और विकास के लिए विभिन्न योजनाएं/कार्यक्रम कार्यान्वित कर रही है, जिनमें सूक्ष्म और लघु उद्यम – परिवर्तन के लिए हरित निवेश और वित्तपोषण योजना (एमएसई-जीआईएफटी योजना), परिपत्र अर्थव्यवस्था में संवर्धन और निवेश के लिए सूक्ष्म और लघु उद्यम योजना (एमएसई-एसपीआईसीई योजना), एमएसएमई चैंपियंस योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), एमएसएमई समाधान, सूक्ष्म और लघु उद्यम – क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) आदि शामिल हैं।

इस्पात एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने यह जानकारी आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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सरकार ने इस्पात आयात आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू इस्पात निर्माताओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए कदम उठाए

इस्पात एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है। और इस्पात की कीमतें बाजार की शक्तियों की मांग-आपूर्ति गतिशीलता द्वारा निर्धारित होती हैं। सरकार देश में छोटे और मध्यम उत्पादकों सहित इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल बनाकर एक सुविधाकर्ता के रूप में कार्य करती है। सरकार ने इस्पात आयात में कमी लाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू इस्पात निर्माताओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:-

(i) देश के भीतर ‘स्पेशलिटी स्टील’ के विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश को आकर्षित करके आयात को कम करने के लिए स्पेशलिटी स्टील के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का शुभारंभ।

(ii) इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों की शुरुआत, जिससे घरेलू बाजार में घटिया/दोषपूर्ण इस्पात उत्पादों के साथ-साथ आयात पर प्रतिबंध लगाया जा सके, ताकि उद्योग, उपयोगकर्ताओं और आम जनता को गुणवत्तापूर्ण इस्पात मिल सके।

(iii) कुछ स्टील उत्पादों जैसे कि सीमलेस ट्यूब, पाइप और लोहे, मिश्र धातु या गैर-मिश्र धातु स्टील (कास्ट आयरन और स्टेनलेस स्टील के अलावा) (चीन पीआर से), इलेक्ट्रो-गैल्वेनाइज्ड स्टील (कोरिया आरपी, जापान, सिंगापुर से), स्टेनलेस-स्टील सीमलेस ट्यूब और पाइप (चीन पीआर से), वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब (वियतनाम और थाईलैंड से) से संबंधित एंटी डंपिंग ड्यूटी (एडीडी) उपाय वर्तमान में लागू हैं।

(iv) चीन और वियतनाम से वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब के लिए काउंटरवेलिंग ड्यूटी (सीवीडी) लागू है।

(v) फेरो-निकेल और मोलिब्डेनम अयस्कों और सांद्रता पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है जो इस्पात उद्योग के लिए कच्चा माल हैं।

इस्पात और भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने मंगलवार को लोकसभा में यह जानकारी दी।

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कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस-95) के अंतर्गत लाभ

कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस-95) आकस्मिकताओं की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करते हुए व्यापक लाभ प्रदान करती है, जो सदस्यों और उनके परिवारों की वृद्धावस्था के दौरान सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करती है। ईपीएस के तहत उपलब्ध पेंशन और निकासी लाभों की विभिन्न श्रेणियां इस प्रकार हैं:
  • 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति पर सदस्य पेंशन।
  • 50 वर्ष की आयु से प्रारंभिक सदस्य पेंशन।
  • सेवा के दौरान स्थायी एवं पूर्ण विकलांगता पर विकलांगता पेंशन।
  • सदस्य या पेंशनभोगी की मृत्यु पर विधवा/विधुर पेंशन।
  • सदस्य की मृत्यु पर 25 वर्ष की आयु तक एक समय में 2 बच्चों के लिए बाल पेंशन।
  • यदि परिवार में कोई जीवनसाथी न हो या जीवनसाथी की मृत्यु हो जाए तो सदस्य की मृत्यु पर 25 वर्ष की आयु तक एक बार में 2 अनाथ बच्चों को अनाथ पेंशन दी जाएगी।
  • विकलांग बच्चे/अनाथ के सम्पूर्ण जीवन के लिए विकलांग बच्चा/अनाथ पेंशन।
  • सदस्य की मृत्यु पर नामित व्यक्ति को पेंशन दी जाएगी तथा ईपीएस, 1995 के तहत यदि कोई परिवार नहीं है तो सदस्य द्वारा विधिवत् नामित व्यक्ति को आजीवन भुगतान किया जाएगा।
  • सदस्य की मृत्यु पर आश्रित पिता/माता को पेंशन, बशर्ते सदस्य का कोई परिवार या नामित व्यक्ति न हो।
  • सेवा से बाहर निकलने या सेवानिवृत्ति पर निकासी लाभ, बशर्ते सदस्य ने पेंशन के लिए पात्र सेवा प्रदान न की हो।

कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस-95) के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने वाले कुल पेंशनभोगियों की वर्षवार संख्या का विवरण नीचे दिया गया है:

वर्ष ईपीएस-95 के अंतर्गत कुल पेंशनभोगी
2019-20 6682717
2020-21 6919823
2021-22 7273898
2022-23 7558913
2023-24 7849338

 

यह जानकारी केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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होली पर खुशियों का उपहार, डबल इंजन की सरकार

*होली पर खुशियों का उपहार, डबल इंजन की सरकार*

*होली और दीपावली पर निःशुल्क सिलेण्डर रिफिल की सुविधा।*

*जनपद कानपुर नगर में उज्ज्वला योजना के लाभार्थी 1,90,356*

*जनपद में उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को कुल 15,57,11,208 करोड़ की सिलेंडर रिफिल सब्सिडी दी गई है*

मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश द्वारा आज दिनांक 12.03.2025 को प्रातः 10:00 बजे से लोकभवन, लखनऊ में उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को निःशुल्क गैस सिलेण्डर रिफिल सब्सिडी के वितरण कार्यक्रम का सजीव प्रसारण सरसैया घाट नवीन सभागार में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में जनपद के उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
उक्त कार्यक्रम में मा० मंत्री, उच्च शिक्षा, विभाग, उत्तर प्रदेश/प्रभारी मंत्री कानपुर नगर ( योगेन्द्र उपाध्याय जी) द्वारा प्रतिभाग किया गया। मंत्री द्वारा जनपद के 10 प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को निःशुल्क गैस सिलेण्डर रिफिल की सब्सिडी का प्रतीकात्मक चेक वितरण किया गया।

कार्यक्रम में जिला पंचायत सदस्य स्वप्निल वरुण, बिल्हौर विधायक राहुल बच्चा,
पूर्व विधायक रघुनंदन भदौरिया,जिला अध्यक्ष,उत्तर दीपू पांडे,जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह, मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन, अपर जिलाधिकारी आपूर्ति, जिला आपूर्ति अधिकारी आदि उपस्थित रहे।

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विकास की गति को बढ़ावा देने वाला बजट है सर्वव्यापी : केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र

कानपुर 17 फरवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता केंद्रीय बजट विषय पर कानपुर में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन सभागार दादानगर में आयोजित संगोष्ठी में केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार खटिक ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की । इस दौरान सांसद रमेश अवस्थी सहित बड़ी संख्या में उद्यमी, व्यापारी व चार्टर्ड अकाउंटेंट ने विशेष रूप से शिरकत की। मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री डाक्टर वीरेंद्र कुमार खटिक ने कहा कि सरकार आम लोगो के लिए क्या कदम उठा रही है और क्या लाभकारी योजनाएं चला रही है इसको आम जनमानस को रूबरू कराने के मकसद से संपूर्ण देश में अलग अलग स्थानों पर संगोष्ठियां आयोजित की जा रही है । उन्होंने कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह बजट विकास की गति को बढ़ावा देने वाला बजट है , इससे देश का परिदृश्य बदला है । मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार के मुताबिक 2013-14 में अनुसूचित जाति कल्याण वर्ग का बजट जो 4031 करोड़ पर था , वह इस बार 10378 करोड रुपए का रखा गया है । यह दर्शाता है की मोदी जी की अगुवाई वाली सरकार सभी के लिए कितनी गतिशील और प्रयत्नशील है । उन्होंने कहा कि लोगों में अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है । शिक्षा का क्षेत्र हो या रेलवे हो । कृषि की बात हो या एमएसएमई सेक्टर हो चाहे मध्यम वर्ग । सरकार सभी की सुख सुविधाओं का ध्यान रख रही है इसलिए यह साफ़ तौर पर कहा जा सकता है की इस बार का बजट सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी बजट है

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठकों की अध्यक्षता की

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा के लिए आज नई दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठकों की अध्यक्षता की। ये बैठकें 4 और 5 फरवरी 2025 को भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठकों की कड़ी में आयोजित की गईं। केंद्रीय गृह सचिव, आसूचना ब्यूरो के निदेशक, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के महानिदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी बैठकों में शामिल हुए।

 

 

 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ‘आतंकवाद मुक्त जम्मू-कश्मीर’ के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आतंक मुक्त जम्मू-कश्मीर के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अर्धसैनिक बलों की भूमिका पर बल दिया। गृह मंत्री ने बीएसएफ को कड़ी निगरानी, बॉर्डर ग्रिड को मजबूत करने और निगरानी तथा सीमा सुरक्षा के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से ‘जीरो घुसपैठ’ सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

 

अमित शाह ने सीआरपीएफ को भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ तालमेल जारी रखने का निर्देश दिया। उन्होंने सीआरपीएफ की शीतकालीन कार्य योजना की समीक्षा की और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि एरिया डोमिनेशन में कोई कमी न रहे। श्री शाह ने जम्मू क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने और ऊँचाई वाले क्षेत्रों पर दबदबा बनाने का भी निर्देश दिया।

 

गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में काम कर रहे खुफिया तंत्र की भी समीक्षा की और उन्हें गुणवत्तापूर्ण खुफिया जानकारी उत्पन्न करने के लिए कवरेज और पैठ बढ़ाने का निर्देश दिया। उन्होंने ख़ुफ़िया जानकारी उत्पन्न करने के लिए प्रौद्योगिकी के महत्व को दोहराया। श्री शाह ने कहा कि आतंक-वित्तपोषण की निगरानी, नार्को-आतंकवादी मामलों पर कड़ी पकड़ और जम्मू-कश्मीर में पूरे terror ecosystem को खत्म करना मोदी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में ‘Zero Terror Plan’ के लिए मजबूत कदम उठाये जा रहे हैं।

 

गृह मंत्री ने राष्ट्र-विरोधी तत्वों द्वारा किए जा रहे नकारात्मक प्रचार का मुकाबला करने पर ध्यान केंद्रित करने का भी निर्देश दिया ताकि लोगों के सामने सही तस्वीर पेश की जा सके। उन्होंने एजेंसियों के बीच तालमेल जारी रखने के निर्देश दिए और टेक्नोलॉजी अपनाने तथा इंटेलिजेंस बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन दिया।

 

अमित शाह ने सभी सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहने और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने के लिए तालमेल के साथ काम जारी रखने का निर्देश दिया। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि इस प्रयास में सभी संसाधन उपलब्ध कराये जाएंगे।

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