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महाड़ सत्याग्रह और बाबासाहेब आंबेडकर

सामाजिक क्रांति के इतिहास में के डॉक्टर बाबा साहेब आम्बेडकर के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। विलायत से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उच्च डिग्री प्राप्त करने के बाद बाबा साहब आम्बेडकर 1917 में भारत आये।

अपने करार के अनुसार कुछ समय उन्होने बड़ौदा रियासत में अर्थ मंत्री के रूप में कार्य किया। लेकिन वे यहां अधिक नहीं रह पाये। दरबार के कार्कुन अछूत समझकर उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया करते। उच्च शिक्षित और इतने ऊंचे पद पर आसीन होने के बावजूद भी उन्हें अपमान सहना पड़ा।

बाबासाहब आम्बेडकर का मुंबई आगमन:

दरबार की नौकरी छोड़कर उसी वर्ष वे मुंबई लौट आए। जल्द ही मुंबई के सिडनहम कॉलेज में पॉलिटिकल इकॉनोमिक के प्राध्यापक के रूप में उनका चयन हो गया। बाबा साहब अपने समय के सब से अधिक शिक्षित व्यक्तियों में से एक थे। इसके बावजूद स्वयं उन्हें कई बार जाति के नाम पर अपमानित होना पड़ा था। दलितों के इस उत्पीड़न को बाबा साहब ने बहुत करीब से देखा और मेहसूस किया था। वे जानते थे कि देश में सदियों से अछूत कह कर दलितों का समाजिक बहिष्कार किया जाता रहा है। उन्हें आज भी अस्पृश्य समझा जाता है। कहीं मंदिर प्रवेश से रोका जाता तो कहीं रास्ते पर चलने तक की पाबंदी होती। सार्वजनिक तालब, कुओं से उन्हें पानी तक लेने की इजाज़त न होती। दलितों के साथ हो रहे इस अमानवीय व्यव्हार ने बाबा साहब को बहुत गहरे तक आहत किया लेकिन वे निराश नहीं हुए। सदियों से चले आ रहे इस अन्याय के खिलाफ उन्होंने संघर्ष करने का निश्चय कर किया । दरअसल बाबा साहब इन सामाजिक बुराइयों को जड़ से मिटाना चाहते थे।

उस समय देश में अंग्रज़ों का शासन था। गाँधी जी के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष जारी था। बाबा साहब का कहना था कि “दलित समाज की मुक्ति के बिना हमारी स्वतंत्रता अधुरी है।” दलित समाज की मुक्ति के लिये बाबा साहब आम्बेडकर ने जन संघर्ष और सामूहिक आंदोलन के मार्ग को चुना था । वे जानते थे कि संघर्ष द्वारा  एक तरफ उन्हें अपने अधिकार तो प्राप्त होंगे ही साथ ही सदियों से पीड़ित दलित तबके के भीतर आत्मसम्मान की भावना भी जागृत होगी।

महाराष्ट्र में दलित समाज की स्थित:

महाराष्ट्र कई स्थानों पर दलितों को सार्वजनिक तालाब या कुएँ से पानी लेने की अनुमति नहीं थी। यदि कोई दलित व्यक्ति सार्वजनिक तालाब से पानी लेने की हिम्मत दिखाता तो पूरे समाज को इसके परिणाम भुगतने पड़ते। कितनी अजीब बात है जल, ज़मीन और वन जैसी प्राकृतिक संपदा जिस पर प्रत्येक प्राणी का अधिकार है लेकिन दलितों को अछूत कह कर

उनका बहिष्कार किया जाता था।

संघर्ष के मार्ग का चयन:

बाबा साहब स्वयं दलित समुदाय से थे । वे भारतीय समाज की  सनातनी  व्यवस्था से भलीभांति परिचित थे। अंग्रेजों के शासन में  भी भारतीय समाजिक व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आया था। सार्वजनिक जीवन में उन्हें बहिष्कृत जीवन ही जीना पड़ता। दलितों की इस दशा देख कर वे बड़े आहत हुए। अपने भविष्य को लेकर बाबा साहब आंबेडकर के सामने दो मार्ग थे। एक तो अपनी शिक्षा को आधार बनाकर धन दौलत कमाते या फिर  असहाय दलितों की आवाज़ बन कर उनकी की मुक्ति के लिए संघर्ष करते। बाबा साहब ने संघर्ष की राह चुनी। इसी के साथ सन 1924 को मुंबई में उन्होंने दलित उद्धार के लिए   ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ नामी एक संस्था बनाई। इस सभा में अस्पृश्य सदस्यों के साथ-साथ ऊंची जाति के भी सदस्य जुड़े थे। कई स्थानों पर इस संस्था के अंतर्गत सभाओं का आयोजन भी

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत दुनिया में डायबिटीज अनुसंधान का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह तैयार है

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी (स्वतंत्र प्रभार),  पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार),  प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि आने वाले समय में भारत दुनिया में डायबिटीज अनुसंधान का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह तैयार है। प्रतिष्ठित पेशेवर संगठन “डायबिटीज इंडिया” द्वारा आज यहां आयोजित तीन दिवसीय विश्व डायबिटीज सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में बीमारियों के विभिन्न चरणों के रोगियों का एक विशाल पूल मौजूद है, लेकिन इसके साथ-साथ ही हमारे अनुसंधानकर्ताओं में योग्‍यता, क्षमता और कौशल की भी कोई कमी नहीं है। उल्‍लेखनीय है कि डॉ.जितेन्‍द्र सिंह स्‍वयं एक प्रसिद्ध डायबिटीज विशेषज्ञ भी है। उन्‍होंने कहा कि इसलिए यह समय अधिक से अधिक यथासंभव भारतीय डेटा जुटाने का है क्‍योंकि हमारा लक्ष्‍य भारतीय रोगियों के लिए, भारतीय समस्याओं के लिए, भारतीय समाधानों के लिए, भारतीय उपचार के नियमों को विकसित करना होना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि यह भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारतीय फेनोटाइप पश्चिमी देशों के लोगों के मुकाबले अलग है और उनकी अनुवांशिकता भी हमसे काफी अलग है। इसके परिणामस्‍वरूप टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस का रोगजनन और प्रगति तथा अन्य मेटाबोलिक विकार पश्चिमी आबादी की तरह नहीं है।

अनुसंधान साक्ष्यों का जिक्र करते हुए  डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह पूरी तरह सिद्ध हो गया है कि कि कई पीढ़ियों से यूरोपीय देशों में रहने वाले भारतीय मूल के प्रवासियों में अभी भी टाइप2 मेलिटस डायबिटीज विकसित होने की प्रमुखता मौजूद हैं, हालांकि वे अब भारत और यहां के पर्यावरण में नहीं रह रहे थे। भारत में प्रचलित कुछ महत्वपूर्ण जोखिम कारकों का जिक्र करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमारी केंद्रीय मोटापा (ओबेसिटी) प्रोफाइल भी दूसरे लोगों से अलग है। उदाहरण के लिए भारत में  केंद्रीय मोटापे का प्रसार पुरुषों और महिलाओं दोनों में लगभग बराबर है, जबकि पश्चिमी आबादी में व्यक्ति मोटे दिखाई देते हैं, लेकिन उनमें आंत की वसा सामान्य होती है। स्वास्थ्य सेवा को उच्च प्राथमिकता देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए उन्‍होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की व्यक्तिगत दिलचस्‍पी और हस्तक्षेप का ही नतीजा है कि दो वर्षों के भीतर भारत ने न केवल छोटे देशों की तुलना में कोविड महामारी का सफलतापूर्वक और बेहतर तरीके से प्रबंधन किया है, बल्कि भारत में डीएनए वैक्सीन का भी सफलतापूर्वक निर्माण किया है और इसे अन्य देशों को भी उपलब्ध कराने में भी सफलता हासिल की है। स्वदेशी चिकित्सा अनुसंधान के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी के समर्थन का उल्लेख करते हुए  डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अब समय आ गया है कि पारंपरिक भारतीय ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक निष्कर्षों के साथ एकीकृत किया जाए और इसके साथ-साथ आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा सहित, चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों के तालमेल की तलाश की जाए और डायबिटीज के नियंत्रण और रोकथाम में इनसे अधिकतम लाभ प्राप्‍त किया जाए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में यह निष्कर्ष निकाला कि डायबिटीज की रोकथाम स्वास्थ्य सेवा के लिए न केवल हमारा कर्तव्य है बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए भी हमारी आवश्‍यक जिम्‍मेदारी है क्योंकि यह एक ऐसा देश है जहां 70 प्रतिशत आबादी 40 वर्ष से कम आयु की है और आज के युवा इंडिया@2047 के प्रधान नागरिक बनने जा रहे हैं। हम देश के युवाओं की ऊर्जा को टाइप2 डायबिटीज और अन्य संबंधित विकारों के परिणामस्वरूप होने वाली जटिलताओं को अक्षम बनाने में बर्बाद नहीं होने देंगे।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत गृह मंत्रालय ने CAPFs के लिए हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 13 क्षेत्रीय भाषाओं में कांस्टेबल (जनरल ड्यूटी) परीक्षा आयोजित करने को मंज़ूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) के लिए हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 13 क्षेत्रीय भाषाओं में कांस्टेबल (जनरल ड्यूटी) परीक्षा आयोजित करने को मंज़ूरी दे दी है। ये ऐतिहासिक निर्णय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह की पहल पर सीएपीएफ में स्थानीय युवाओं की भागीदारी बढ़ाने और क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए लिया गया है।

हिन्दी और अंग्रेज़ी के अलावा प्रश्न पत्र निम्न 13 क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार किया जाएगा—

  1. असमिया
  2. बंगाली
  3. गुजराती
  4. मराठी
  5. मलयालम
  6. कन्नड़
  7. तमिल
  8. तेलुगु
  9. ओडिया
  10. उर्दू
  11. पंजाबी
  12. मणिपुरी
  13. कोंकणी

 

इस निर्णय के परिणामस्वरूप लाखों उम्मीदवार अपनी मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा में परीक्षा में भाग ले सकेंगे जिससे उनके चयन की संभावनाएं बढ़ेंगी।

गृह मंत्रालय और कर्मचारी चयन आयोग कई भारतीय भाषाओं में परीक्षा के संचालन की सुविधा के लिए मौजूदा समझौता ज्ञापन से संबंधित एक परिशिष्ट पर हस्ताक्षर करेंगे।

कांस्टेबल (जनरल ड्यूटी), कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित प्रमुख परीक्षाओं में से एक है, जिसमें देशभर से लाखों उम्मीदवार भाग लेते हैं। हिन्दी और अंग्रेज़ी के अतिरिक्त 13 क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा का आयोजन 01 जनवरी, 2024 से होगा।

इस निर्णय के बाद ये उम्मीद है कि राज्य / केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारें स्थानीय युवाओं को अपनी मातृभाषा में परीक्षा देने के इस अवसर का उपयोग करने और देश की सेवा में करियर बनाने के लिए बड़ी संख्या में आगे आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक अभियान शुरू करेंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय, क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग और विकास के प्रोत्साहन के लिए कटिबद्ध है।

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मुख्य समाचार

*_कानपुर ब्रेकिंग_*

*_पुलिस आयुक्त के निर्देश के अनुसार संयुक्त पुलिस आयुक्त द्वारा की जा रही स्थिति की निगरानी….._*

*_सभी डीसीपी अपने अपने ज़ोन में सम्भाल रहे है व्यवस्था,स्वयं भ्रमणशील…._*

*_सभी थाना प्रभारी निरिक्षक तथा सभी पुलिस अधिकारियों को फ़ील्ड में बने रहने के दिए निर्देश , तद्नुसार सभी स्वयं पुलिस बल के साथ फ़ील्ड में है मौजूद…._*

*_सभी को अगले आदेश तक के लिए अलर्ट मोड में बने रहने का निर्देश….._*

*_एलआईयू ,पुलिस युवा मित्र तथा सिविल डिफ़ेंस को सूचना संग्रहण तथा सूचना प्रबंधन के लिए लगाया गया….._*

*_सभी महत्वपूर्ण तथा संवेदनशील स्थानों पर की जा रही है विशेष निगरानी…_*

*_पुलिस बल पूरी तरह अलर्ट मोड पर सभी जगह मुस्तैदी के साथ कर रही लगातार निगरानी….._*

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लखनऊ- कालिदास मार्ग (CM आवास) पर मीडिया कर्मियों का जाना प्रतिबंधित
सुरक्षा का हवाला देकर लगाया गया प्रतिबंध
मीडिया कर्मी किसी भी मंत्री के आवास नहीं जा सकेंगे
कालिदास मार्ग पर केशव प्रसाद मौर्य, दयाशंकर सिंह, जितिन प्रसाद, सुरेश खन्ना,सूर्य प्रताप शाही,नंद गोपाल नंदी के हैं आवास

*बड़ी खबर*

हत्याकांड की रिपोर्ट कॉपी डीजीपी ने सीएम को सौपी

सीएम योगी 2-2 घंटे में ले रहे मामले की अपडेट

सभी पुलिसवालों को सीएम योगी का सख्त निर्देश

प्रदेश में लॉ-एंड – ऑर्डर मेंटेन रखे, आम जनता ना हो परेशान

 *प्रयागराज*

अतीक और अशरफ को आज ही किया जा सकता है सुपुर्द-ए-खाक

सारी मसारी कब्रिस्तान में कब्र खोदने का काम शुरू

दोनों की बॉडी परिवार को सौपने पर अभी फैसला नहीं

*प्रयागराज*

जिगाना पिस्टल से की गई अतीक और अशरफ की हत्या

तुर्किए में बनती है हत्या में इस्तेमाल पिस्टल

जिगाना पिस्टल भारत में है पूरी तरह प्रतिबिंबित

5 से 6 लाख रुपये बताई जा रही पिस्टल की कीमत

*लखनऊ*
सीएम आवास पर लगातार मीटिंग जारी

सुबह 7 बजे से लगातार चल रही है बैठक

बैठक में सभी आलाधिकारी लगातार मौजूद

अतिरिक्त पुलिस बल के साथ सीएम आवास की सड़कें बंद की गई

5 कालिदास मार्ग पर सीएम आवास पर बैठक जारी

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज में “लोकतंत्र में चुनौतियां” विषय पर माहना का व्याख्यान

कानपुर 16 अप्रैल भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज स्थित प्रो निनान अब्राहिम ऑडिटोरियम में “लोकतंत्र में चुनौतियां” विषय पर आयोजित व्याख्यान में बोलते हुए मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश विधान सभा के सभापति और कॉलेज के पूर्व छात्र सतीश महाना ने कहा कि देश में लोकतंत्र के सामने निरक्षरता, गरीबी, जातिवाद, सांप्रदायिकता, अपराधीकरण, भ्रष्टाचार आदि की अभी भी चुनौतियां हैं उन्होंने कहा लोकतंत्र की सफलता के लिए साक्षरता बहुत जरूरी है, माहना क्राइस्ट चर्च कॉलेज मे एलुमिनाई एसोसिएशन के विशेष व्याख्यान में बोल रहे थे, उन्होंने आगे कहा कि हिनुस्तान में निरक्षरता को दूर करना किसी चुनौती से कम नहीं,
एलुमनी एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक मेहरोत्रा ने छात्र छात्राओं के लिए पेयजल कूलर भेट किया, एसोसिशन ने रमेश शर्मा को सम्मानित किया, स्टूडेंट क्रिश्चन मूवमेंट ने कॉलेज की वाइस प्रिंसीपल डा. सबीना आर बोदरा और प्रो मीत कमल के मार्ग दर्शन में प्रार्थना की।
एल्यूमिनाई एसोसिशन के अध्यक्ष और प्राचार्य प्रो जोसेफ डेनियल ने स्वागत किया, कॉलेज के पूर्व छात्रों में विशेष रूप से सतीश महाना के साथ पढ़े हुए लोगों को आमंत्रित किया गया था, कॉलेज से सेवानिवृत्त डॉ एस डी मल्ल, प्रो रवि प्रकाश महलवाला, डॉ जॉन जसवंत, डॉ डेनियल सिंह, डॉ ए के वर्मा, डॉ मुकुल मिश्रा, डॉ नीता जैन, और डॉ नलिन कुमार का सम्मान किया गया, कार्यक्रम में डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, सुजाता चर्तुवेदी, हिमांशु दीक्षित, अतुल दीक्षित, राजीव मेहरोत्रा, मनीष मेहरोत्रा, शलभ शर्मा, अनुपम शुक्ला, आनंदिता भट्टाचार्य, सुनीता शर्मा, आदि उपस्थित रहे।
अंत में डॉ सूफिया शहाब ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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प्रधानमंत्री मोदी ने अजमेर और दिल्ली कैंट के बीच राजस्थान की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को झंडी दिखाकर रवाना किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राजस्थान की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को झंडी दिखाकर रवाना किया।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने वीर भूमि राजस्थान को अपनी पहली वंदे भारत ट्रेन मिलने पर बधाई दी, जो न केवल जयपुर-दिल्ली के बीच यात्रा को आसान बनाएगी, बल्कि राजस्थान के पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा देगी, क्योंकि यह तीर्थराज पुष्कर और अजमेर शरीफ जैसी आस्था के स्थलों तक पहुंचने में मदद करेगी।

प्रधानमंत्री ने याद करते हुए कहा कि, पिछले दो महीनों में दिल्ली-जयपुर वंदे भारत एक्सप्रेस सहित देश में छह वंदे भारत ट्रेनों को झंडी दिखाने का अवसर मिला है। उन्होंने मुंबई-सोलापुर वंदे भारत एक्सप्रेस, मुंबई-शिर्डी वंदे भारत एक्सप्रेस, रानी कमलापति-हजरत निजामुद्दीन वंदे भारत एक्सप्रेस, सिकंदराबाद-तिरुपति वंदे भारत एक्सप्रेस और चेन्नई कोयम्बटूर वंदे भारत एक्सप्रेस का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत के बाद से लगभग 60 लाख नागरिकों ने इससे यात्रा की है। प्रधानमंत्री ने कहा, “वंदे भारत की गति इसकी मुख्य विशेषता है और यह लोगों के समय की बचत कर रही है।“ प्रधानमंत्री ने कहा कि एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग वंदे भारत एक्सप्रेस से यात्रा करते हैं, वे प्रत्येक यात्रा पर 2500 घंटे बचाते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वंदे भारत एक्सप्रेस को विनिर्माण कौशल, सुरक्षा, तेज गति और सुंदर डिजाइन को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। यह दोहराते हुए कि नागरिकों ने वंदे भारत एक्सप्रेस की बहुत सराहना की है, प्रधानमंत्री ने कहा कि एक्सप्रेस ट्रेन भारत में विकसित की जाने वाली पहली अर्ध-स्वचालित ट्रेन है और दुनिया की पहली सुगठित और कुशल ट्रेनों में से एक है। श्री मोदी ने कहा, “वंदे भारत पहली ट्रेन है, जो स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली, कवच के अनुकूल है।“ उन्होंने बताया कि यह पहली ट्रेन है, जो बिना किसी अतिरिक्त इंजन की आवश्यकता के सह्याद्री घाटों की ऊंचाइयों को पार कर सकती है। उन्होंने कहा, “वंदे भारत एक्सप्रेस ‘भारत प्रथम, हमेशा प्रथम’ की भावना को साकार करती है।” प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि वंदे भारत एक्सप्रेस विकास, आधुनिकता, स्थिरता और ‘आत्मनिर्भरता’ का पर्याय बन गई है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि रेलवे जैसी नागरिकों की एक महत्वपूर्ण और मूलभूत आवश्यकता को राजनीति का अखाड़ा बना दिया गया। उन्होंने कहा कि आजादी के समय भारत को काफी बड़ा रेलवे नेटवर्क विरासत में मिला था, लेकिन आजादी के बाद के वर्षों में आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर राजनीतिक हित हावी रहे। रेल मंत्री के चयन, ट्रेनों की घोषणा और यहां तक कि भर्तियों में भी राजनीति साफ नजर आई। रेलवे की नौकरियों के झूठे बहाने देकर भूमि का अधिग्रहण किया गया और कई मानवरहित क्रॉसिंग बहुत लंबे समय तक चलते रहे तथा साफ़-सफाई एवं सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया। 2014 के बाद स्थिति बेहतर हुई, जब लोगों ने पूर्ण बहुमत के साथ एक स्थिर सरकार चुनी। उन्होंने कहा, “जब राजनीतिक लेन-देन का दबाव कम हुआ, तो रेलवे ने राहत की सांस ली और यह नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया।“

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र की सरकार राजस्थान को नए अवसरों की भूमि बना रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कनेक्टिविटी के लिए अभूतपूर्व काम किया है, जो राजस्थान जैसे राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिसकी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पर्यटन है। श्री मोदी ने फरवरी में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के दिल्ली-दौसा-लालसोट खंड के लोकार्पण का उल्लेख किया। इस खंड से दौसा, अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, टोंक, बूंदी और कोटा जिलों को लाभ होगा। प्रधानमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार राजस्थान में सीमावर्ती क्षेत्रों में लगभग 1400 किलोमीटर लंबाई की सड़कों पर काम कर रही है और राज्य के लिए 1000 किलोमीटर से अधिक लंबाई की सड़कें प्रस्तावित हैं।

राजस्थान में कनेक्टिविटी को दी जा रही प्राथमिकता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने तरंगा हिल से अंबाजी तक रेलवे लाइन पर काम शुरू करने का उल्लेख किया। यह लाइन एक सदी पुरानी लंबित मांग थी, जिसे अब पूरा किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि उदयपुर-अहमदाबाद लाइन बड़ी लाइन बनाने का काम पूरा हो चुका है और 75 प्रतिशत से अधिक रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण किया जा चुका है। श्री मोदी ने टिप्पणी की कि राजस्थान के लिए रेल बजट 2014 की तुलना में 14 गुना बढ़ा दिया गया है, जो 2014 के 700 करोड़ रुपये से बढ्कर इस वर्ष 9500 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। रेलवे लाइनों के दोहरीकरण की गति भी दोगुनी हो गयी है। रेल लाइन के आमान परिवर्तन और दोहरीकरण से डूंगरपुर, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, पाली और सिरोही जैसे आदिवासी क्षेत्रों को मदद मिली है। उन्होंने कहा कि अमृत भारत रेल योजना के तहत दर्जनों स्टेशनों का उन्नयन किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, सरकार विभिन्न प्रकार की सर्किट ट्रेनों का भी परिचालन कर रही है और भारत गौरव सर्किट ट्रेनों का उदाहरण दिया। इन ट्रेनों ने अब तक 70 से अधिक यात्राएं की हैं और 15 हजार से अधिक यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचा चुकी है। प्रधानमंत्री ने कहा, “अयोध्या-काशी हो, दक्षिण दर्शन हो, द्वारका दर्शन हो, सिख तीर्थस्थल हों, ऐसे कई स्थानों के लिए भारत गौरव सर्किट ट्रेनें चलाई गई हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि यात्रियों के सोशल मीडिया पर सकारात्मक प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए, यह कहा जा सकता है कि ये ट्रेनें ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को लगातार मजबूत कर रही हैं।

प्रधानमंत्री ने ‘एक स्टेशन, एक उत्पाद’ अभियान पर प्रकाश डाला और कहा कि भारतीय रेलवे ने पिछले वर्षों में राजस्थान के स्थानीय उत्पादों को पूरे देश में पहुंचाने का एक और प्रयास किया है। उन्होंने बताया कि भारतीय रेलवे ने लगभग 70 ‘एक स्टेशन, एक उत्पाद’ के स्टॉल लगाए हैं, जिनमें राजस्थान की जयपुरी रजाई, सांगानेरी ब्लॉक प्रिंट वाली चादरें, गुलाब के उत्पाद और अन्य हस्तशिल्प बेचे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान के छोटे किसानों, कारीगरों और हस्तशिल्पियों को बाजार तक पहुंचने का यह नया माध्यम मिला है। संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह विकास में सबकी भागीदारी का उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष के तौर पर कहा, “जब रेल जैसी परिवहन-संपर्क की अवसंरचना मजबूत होती है, तो देश मजबूत होता है। इससे देश के आम नागरिक को लाभ होता है, देश के गरीब और मध्यम वर्ग को लाभ होता है।“ उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिक वंदे भारत ट्रेन राजस्थान के विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

पृष्ठभूमि

राजस्थान के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस की पहली ट्रेन जयपुर से दिल्ली कैंट रेलवे स्टेशन के बीच चलेगी। इस ट्रेन की नियमित सेवा 13 अप्रैल, 2023 से शुरू होगी तथा जयपुर, अलवर और गुड़गांव में ठहराव-स्टेशनों के साथ अजमेर और दिल्ली कैंट के बीच चलेगी।

नई वंदे भारत एक्सप्रेस दिल्ली कैंट और अजमेर के बीच की दूरी 5 घंटे 15 मिनट में तय करेगी। इस मार्ग की मौजूदा सबसे तेज ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस दिल्ली कैंट से अजमेर तक के लिए 6 घंटे 15 मिनट का समय लेती है। इस तरह नई वंदे भारत एक्सप्रेस, इस मार्ग पर चलने वाली मौजूदा सबसे तेज ट्रेन की तुलना में 60 मिनट कम समय लेगी।

अजमेर-दिल्ली कैंट वंदे भारत एक्सप्रेस हाई राइज ओवरहेड इलेक्ट्रिक (ओएचई) टेरीटरी पर दुनिया की पहली अर्ध-उच्च गति यात्री ट्रेन होगी। यह ट्रेन पुष्कर, अजमेर शरीफ दरगाह सहित राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों के रेल-संपर्क में सुधार करेगी। बढ़े हुए रेल-संपर्क से क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

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केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने वर्चुअल माध्यम से अगरतला में विकास योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास, पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने 11 और 12 अप्रैल, 2023 का अपना दो दिवसीय त्रिपुरा दौरा पूरा कर लिया। श्री जी. किशन रेड्डी ने अगरतला के नये सचिवालय से वर्चुअल माध्यम से अनेक विकास योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उन्होंने उदयपुर से मेलागढ़ की सड़क के एक हिस्से के उन्नयन का उद्घाटन किया। इस परियोजना की लागत 140 करोड़ रुपये है। इसके साथ ही चैलेंगटा में लोंगथराई घाटी के उप-खंड अस्पताल के विस्तार का भी उद्घाटन किया। श्री रेड्डी ने शिक्षा और कौशल विकास से जुड़ी प्रमुख परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया।

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श्री रेड्डी ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र को राष्ट्र के विकास इंजन के रूप में स्थापित करना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का महान दृष्टिकोण है और हम उस लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। पिछले नौ वर्षों के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र उग्रवाद, राजनीतिक अस्थिरता और विकास तथा उन्नति व समृद्धि को अवरुद्ध करने सम्बंधी विमर्श में होने वाले आमूल बदलाव का गवाह रहा है। उन्होंने कहा कि वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम शुरू किया गया है और हम सीमावर्ती गांवों में सर्वांगीण विकास सुनिश्चित कर रहे हैं, ताकि उन्हें विकास और व्यापार के केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके। उन्होंने बड़े पैमाने पर कनेक्टिविटी परियोजनाओं के संबंध में उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में  1.06 लाख करोड़ रुपये से अधिक की सड़क परियोजनाएं चल रही हैं, रेलवे कनेक्टिविटी के लिए  78,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं और 121  रेलवे परियोजनाओं पर काम चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि 2014 तक पूर्वोत्तर क्षेत्र में केवल नौ  हवाई अड्डे थे, जो अब बढ़कर 17 हो गये हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार 500 दिनों में पूर्ण दूरसंचार कनेक्टिविटी के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में भी काम कर रही है।

मंत्री महोदय ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के साथ संयुक्त रूप से राज्य में केन्द्र सरकार की योजनाओं के कार्यान्वयन की भी समीक्षा की। उन्होंने योजनाओं की अधिकतम कवरेज और उनकी अधिकतम स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए राज्य को पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने आश्वस्त किया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय संबंधित मंत्रालयों के साथ समन्वय के लिए पूर्ण सहयोग देगा। श्री जी. किशन रेड्डी ने प्रसाद योजना के तहत निर्माण और मंदिर परिसर की प्रगति और त्रिपुर सुंदरी मंदिर के विकास की भी समीक्षा की।

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श्री रेड्डी ने अगरतला की अपनी यात्रा के दूसरे दिन अगरतला अखौरा रेल परियोजना स्थल का भी दौरा किया। श्री जी. किशन रेड्डी ने अगरतला रेलवे स्टेशन, निश्चिंतपुर यार्ड और अगरतला अखौरा रेलवे परियोजना के जीरो प्वाइंट का भी अवलोकन किया। श्री किशन रेड्डी ने सभी स्थानों पर तैनात अधिकारियों के साथ बातचीत की और उन्हें तेज गति से काम करने तथा निर्धारित तिथि तक उसे पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया।

श्री किशन रेड्डी ने अधिकारियों के साथ बातचीत की और परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि अगरतला अखौरा रेलवे परियोजना भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक गेम चेंजर साबित होगी। उन्होंने आगे कहा कि इससे ढाका होते हुये अगरतला और कोलकाता के बीच यात्रा का समय 31 घंटे से घटकर 10 घंटे हो जायेगा। इसके अलावा पूरे क्षेत्र में आर्थिक प्रगति में तेजी आयेगी और गतिशीलता को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि अगरतला अखौरा रेलवे परियोजना एक्ट ईस्ट नीति के लिए महत्त्वपूर्ण है।

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अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान, श्री रेड्डी ने एशिया कॉन्फ्लूयंस थिंक-टैंक द्वारा आयोजित तीसरे भारत-जापान बौद्धिक सम्मेलन में भी भाग लिया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर दक्षिण पूर्व एशिया के लिए भारत का द्वार है और भारत की एक्ट ईस्ट नीति का प्रमुख स्तंभ है। भारत और जापान प्राचीन काल से सभ्यतागत साझेदार रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने सांस्कृतिक संपर्कों को और बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के तहत ठोस कदम उठाये हैं और हम बांग्लादेश व जापान के साथ गहरे और पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंधों के लिये प्रतिबद्ध हैं।

मंत्री महोदय ने राज्य में संस्कृति मंत्रालय के विभागों के कामकाज की भी समीक्षा की और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के क्षेत्रीय कार्यालयों के अधिकारियों के साथ बातचीत की।

श्री जी. किशन रेड्डी ने सीएपीएसआई द्वारा आयोजित पूर्वोत्तर निजी सुरक्षा रोजगार सम्मेलन में भी भाग लिया। उन्होंने कहा कि निजी सुरक्षा क्षेत्र सबसे अधिक रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों में से एक है और इस क्षेत्र में बड़ी क्षमता है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के हमारे युवा विश्व भर में अपनी व्यावसायिकता, विश्वसनीयता और कड़ी मेहनत करने वाले स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने निजी सुरक्षा एजेंसियों का आह्वान किया कि वे युवाओं को बेहतर और अधिक विविध रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने के लिए विश्वस्तरीय कौशल के अवसर प्रदान करें।

 

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कटरा में इंटर मॉडल स्टेशन श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ यात्रा करने वाले यात्रियों की यात्रा के अनुभव को बेहतर बनाने वाली एक विश्व स्तरीय अत्याधुनिक परियोजना होगी: गडकरी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज कहा की कटरा में स्थापित किया जाने वाला इंटर मॉडल स्टेशन (आईएमएस) श्री माता वैष्णो देवी मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों के यात्रा अनुभव को बेहतर बनाने के लिए निर्मित एक विश्व स्तरीय अत्याधुनिक परियोजना होगी। श्री माता वैष्णो देवी आध्यात्मिक विकास केंद्र, कटरा में मीडिया से बातचीत के दौरान श्री गडकरी ने यह बात कही।

मीडिया से बातचीत के दौरान, श्री गडकरी ने कहा, जम्मू-कश्मीर में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 1,30,000 करोड़ रुपये के विकास कार्य किए जा रहे हैं और 2014 से इस क्षेत्र में लगभग 500 किलोमीटर सड़क नेटवर्क का निर्माण पूरा हो चुका है। श्री गडकरी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 45,000 करोड़ रुपये की लागत से 41 महत्वपूर्ण सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही 5,000 करोड़ रुपये की लागत के साथ 18 रोपवे का निर्माण किया जाएगा।

श्री नितिन गडकरी ने यह भी बताया कि जम्मू और श्रीनगर के बीच यात्रा के लिए 35,000 करोड़ रुपये की लागत से तीन कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं, जो पहले की 320 किलोमीटर की दूरी को 70 किलोमीटर कम कर देंगे और यात्रा का समय दस घंटे से घटकर चार से पांच घंटे रह जाएगा।

श्री नितिन गडकरी ने यह भी घोषणा की कि पहलगाम में पवित्र अमरनाथ गुफा की ओर जाने वाले 110 किलोमीटर लंबे अमरनाथ मार्ग को तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए लगभग 5300 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा।

श्री गडकरी ने कहा, देश भर के हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश से अत्याधुनिक सड़क नेटवर्क के विकास के साथ, कश्मीर से कन्याकुमारी तक यात्रा अब देश के लोगों के लिए सपना नहीं रहेगी।

मीडिया से बातचीत के दौरान मौजूद डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बनिहाल, रामबन राजमार्ग खंड लैवेंडर की खेती का एक केंद्र बन जाएगा, जिससे कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप को बढ़ावा मिलेगा।

इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री डॉ. वीके सिंह, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा और सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अलका उपाध्याय शामिल थे।

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प्रधानमंत्री 12 अप्रैल को राजस्थान की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 12 अप्रैल, 2023 को सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राजस्थान की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। पहली ट्रेन जयपुर से दिल्ली कैंट रेलवे स्टेशन के बीच चलेगी। इस वंदे भारत एक्सप्रेस की नियमित सेवा 13 अप्रैल, 2023 से शुरू होगी और जयपुर, अलवर और गुड़गांव में स्टॉप के साथ अजमेर और दिल्ली कैंट के बीच चलेगी।

नई वंदे भारत एक्सप्रेस दिल्ली कैंट और अजमेर के बीच की दूरी 5 घंटे 15 मिनट में तय करेगी। इसी रूट की मौजूदा सबसे तेज ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस दिल्ली कैंट से अजमेर के लिए 6 घंटे 15 मिनट का समय लेती है। इस तरह नई वंदे भारत एक्सप्रेस उसी रूट पर चलने वाली मौजूदा सबसे तेज ट्रेन की तुलना में 60 मिनट तेज होगी।

अजमेर-दिल्ली कैंट वंदे भारत एक्सप्रेस हाई राइज ओवरहेड इलेक्ट्रिक (ओएचई) क्षेत्र पर दुनिया की पहली सेमी हाई स्पीड पैसेंजर ट्रेन होगी। यह ट्रेन पुष्कर, अजमेर शरीफ दरगाह आदि सहित राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों की कनेक्टिविटी में सुधार करेगी। बढ़ी हुई कनेक्टिविटी से क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

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तेलंगाना ने सब्जियों के अपशिष्‍ट से बिजली उत्‍पन्‍न की

 

बोवेनपल्ली सब्‍जी मंडी ने अपनी नवोन्‍मेषी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी का ध्यान आकर्षित किया है। प्रधानमंत्री ने मन की बात के एक एपिसोड के दौरान अपनी तरह की अनोखी जैव-विद्युत, जैव ईंधन और जैव-खाद उत्पादन परियोजना की प्रशंसा की। यह कहते हुए कि मंडी के अपशिष्‍ट को अब संपदा में परिवर्तित किया जा रहा है, प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने देखा है कि सब्जी मंडियों में, सब्जियां कई कारणों से सड़ जाती हैं, जिससे अस्वास्थ्यकर स्थितियां उत्‍पन्‍न हो जाती हैं। बहरहाल, हैदराबाद की बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के व्यापारियों ने अपशिष्‍ट सब्जियों से विद्युत उत्‍पन्‍न करने का निर्णय लिया। यह नवोन्‍मेषण की शक्ति है।’’

कुछ वर्ष पहले तक, सब्जियों के अपशिष्‍ट से विद्युत उत्पन्‍न करना दूर की बात होती, लेकिन अब ऐसा नहीं है। हैदराबाद की बोवेनपल्ली सब्‍जी मंडी ने इसे वास्‍तविकता में बदल दिया है। बाजार में प्रतिदिन लगभग 10 टन अपशिष्‍ट एकत्र किया जाता है, जिन्‍हें पहले लैंडफिल के लिए उपयोग में लाया जाता था, लेकिन अब यह सब्जी मंडी के लिए बिजली का प्रमुख स्रोत है।

बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के सचिव श्रीनिवास ने रेखांकित किया कि इस मंडी से एकत्रित सब्जी और फलों के अपशिष्‍ट के प्रत्येक औंस का उपयोग लगभग 500 यूनिट बिजली और 30 किलो जैव ईंधन उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। उत्पन्न विद्युत स्ट्रीटलाइट्स, 170 स्टालों, एक प्रशासनिक भवन और जल आपूर्ति नेटवर्क को बिजली प्रदान करती है, जबकि उत्पादित जैव ईंधन का उपयोग बाजार की व्यावसायिक रसोई में किया जाता है। बायोगैस संयंत्र को अब ‘‘सतत भविष्य का मार्ग’’ कहा जाता है। मंडी में कैंटीन का संचालन स्थापित संयंत्र के माध्‍यम से उत्पन्न विद्युत द्वारा किया जाता है। मंडी यार्ड में 650-700 यूनिट बिजली की आवश्यकता होती है और औसतन 400 यूनिट बिजली का उत्पादन करने के लिए लगभग 7-8 टन सब्जी अपशिष्‍ट की जरूरत होती है। इसके परिणामस्‍वरूप, मंडी का स्‍थान भी स्‍वच्‍छ और प्रदूषण मुक्त रहता है। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भी संयंत्र का दौरा किया है और हमारे प्रयासों की सराहना की है।’’

बोवेनपल्ली का वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट महिलाओं के लिए अपशिष्‍ट को छांटने और उन्‍हें अलग करने, मशीनरी का संचालन करने और प्रशासनिक कार्यों का प्रबंधन करने जैसी विभिन्‍न भूमिकाओं में काम करने के अवसर प्रदान करके उनके लिए रोजगार के अवसर उपलब्‍ध कराता है। यह संयंत्र महिला श्रमिकों को कौशल विकास के अवसर के साथ-साथ एक निरंतर आय भी उपलब्‍ध कराता है।

बोवेनपल्ली सब्जी मंडी की एक महिला कर्मचारी रुक्मिणी देवम्मा कहती हैं, “बायो-गैस संयंत्र लगने से हमें अपने काम के लिए अच्छा भुगतान किया जा रहा है। हमें सभी आवश्यक सुरक्षा गियर जैसे मास्क, गम बूट, दस्ताने आदि भी दिए गए हैं। इस तरह सुरक्षित माहौल मिलने के बाद हम दूसरों को भी अपने साथ जुड़ने और काम करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।’’

बोवेनपल्ली बाजार के अधिकारियों के अनुसार, प्रतिदिन औसतन 10 टन अपशिष्‍ट उत्पन्न होता है। इस अपशिष्‍ट में प्रतिवर्ष लगभग 6,290 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्‍साइड उत्पन्न करने की क्षमता है जो पर्यावरण के लिए अधिक हानिकारक हो सकती है। इस समस्या के समाधान के लिए बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के अधिकारियों ने इस अपशिष्‍ट को ऊर्जा में बदलने का निर्णय किया।

बोवेनपल्ली का बायोगैस संयंत्र

बोवेनपल्ली सब्जी मंडी और आस-पास के यार्डों में उत्पन्न अपशिष्ट (सड़ी हुई और न बिकने वाली सब्जियां) शहर भर से एकत्र किया जाता है। सब्जियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है और कन्वेयर बेल्ट के ऊपर से श्रेडर तक चलाया जाता है। इसके बाद अपशिष्‍ट को कतरने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जहां सभी सब्जियों को छोटे और समान आकार में क्रश कर दिया जाता है और ग्राइंडर में डाल दिया जाता है। यह ग्राइंडर सामग्री को लुगदी में और क्रश कर देती है, जिसे घोल भी कहा जाता है और उन्हें अवायवीय डाइजेस्टर्स में डाल दिया जाता है।

उत्पन्न गैस को एकत्र किया जाता है और अगले उपयोग तक बैलून में भंडारित किया जाता है। जैव खाद गैस के अतिरिक्त उपोत्पाद के रूप में प्राप्त होता है। एक अलग टैंक में, बायोगैस एकत्र किया जाता है और खाना पकाने के लिए पाइपलाइन प्रणाली के माध्यम से भेजा जाता है। जैव ईंधन को फिर 100 प्रतिशत बायोगैस जनरेटर में आपूर्ति की जाती है जिसका उपयोग कोल्ड स्टोरेज कमरे, पानी के पंप, दुकान, स्ट्रीट लाइट आदि को बिजली देने के लिए किया जाता है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग और कृषि विपणन तेलंगाना विभाग, गीतानाथ (2021) द्वारा वित्त पोषित बायोगैस संयंत्र सीएसआईआर-आईआईसीटी (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान) के मार्गदर्शन और पेटेंट प्रौद्योगिकी के तहत स्थापित किया गया था, जिसे हैदराबाद स्थित आहूजा इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निष्‍पादित किया गया था।

प्रभाव

प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले लगभग 30 किलोग्राम जैव-ईंधन की आपूर्ति इकाई के पास रसोई की सुविधाओं के लिए की जाती है। प्रशासनिक भवन, मंडी जलापूर्ति नेटवर्क, लगभग 100 स्ट्रीट लाइट और मंडी के 170 स्टॉल द्वारा 400-500 यूनिट बिजली का उपयोग किया जा रहा है।

यह बायोगैस इकाई बिजली के बिल को आधे से कम करने में मदद करती है (पहले औसतन 3 लाख रुपये प्रति माह)। तरल जैविक खाद का उपयोग किसानों के खेतों में उर्वरक के रूप में किया जा रहा है। इसकी दक्षता प्राप्‍त करने के बाद जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने उत्‍पन्‍न मंडी अपशिष्‍ट के लिए उपयुक्‍त अलग-अलग क्षमताओं के साथ विभिन्‍न मंडी यार्डों में पांच और समान प्रकार के संयंत्र (गुडीमलकापुर, गद्दीनाराम -5 टन /प्रतिदिन, एर्रागड्डा, अलवल, सर्रोरनगर – 500 किलोग्राम /प्रतिदिन) स्थापित करने के लिए और वित्तपोषण की घोषणा की।

बोवेनपल्ली सब्जी मंडी में अपशिष्‍ट को ऊर्जा में परिवर्तित करने की इस नवोन्‍मेषी प्रक्रिया ने जैव ईंधन उत्पन्न करने के लिए एक टिकाऊ प्रणाली के उपयोग के बारे में व्‍यापक स्‍तर पर जागरूकता उत्‍पन्‍न की है, साथ ही, यह अधिक से अधिक शहरों को शहरी परिदृश्य के रूपांतरण के लिए समान प्रकार की परियोजनाओं को आरंभ करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है।

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