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भारतीय रेलवे ने माल गाड़ी के 9000 हॉर्स पॉवर के इलेक्ट्रिक इंजन के निर्माण और रख-रखाव ठेका सीमेंस इंडिया को प्रदान किया

भारतीय रेलवे ने सीमेंस, इंडिया को मालगाड़ी के 9000 हॉर्स पॉवर के इलेक्ट्रिक इंजन के निर्माण और रख-रखाव के लिए ठेका प्रदान किया है। दाहोद में रेलवे कारखाना 11 वर्षों की अवधि में 1200 उच्च हॉर्स पॉवर (9000 एचपी) के इलेक्ट्रिक इंजन का निर्माण करेगा। इस कारखाने में 1200 लोकोमोटिव का निर्माण और 35 वर्षों तक इन इंजनों का रख-रखाव किया जाएगा। करों और मूल्य भिन्नता को छोड़कर, अनुबंध का अनुमानित मूल्य लगभग 26000 करोड़ रुपये (लगभग 3.2 बिलियन अमरीकी डालर) है।

ठेका जारी होने के 30 दिनों के भीतर सीमेंस इंडिया के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। आने वाले दो वर्षों में प्रोटो-टाइप इंजन वितरित किए जाने हैं। इन इंजनों के निर्माण के लिए दाहोद इकाई दो साल की अवधि के भीतर पूरी तरह से तैयार हो जाएगी। तकनीकी भागीदार के रूप में चुनी गई सीमेंस इंडिया दाहोद में इन इंजनों का निर्माण करेगी और रेलवे कर्मचारियों का उपयोग करते हुए 35 वर्षों की अवधि के लिए चार रख-रखाव डिपो – विशाखापत्तनम, रायपुर, खड़गपुर और पुणे में इन इंजनों का रख-रखाव करेंगे।

यह कारखाना उपयुक्त आर्थिक संचालक विनिर्माण के पूर्ण स्वदेशीकरण को सुनिश्चित करेंगे जो बदले में सहायक विनिर्माण इकाइयों के विकास को बढ़ावा देगा, जिससे यह सही मायने में ‘मेक इन इंडिया’ पहल के दृष्टिकोण को पूरा करेगी। इस परियोजना से दाहोद क्षेत्र का विकास भी होगा और क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।

ये उच्च हॉर्स पॉवर (9000 एचपी) के इंजन भारतीय रेलवे की माल ढुलाई के लिए भविष्य के वर्कहॉर्स साबित होंगे। इन इंजनों को मुख्य रूप से पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा-डीएफसी और रेलवे के ग्रेडेड सेक्शन पर 4500 टन के डबल स्टैक कॉन्फिगरेशन में 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 200 ग्रेडिएंट में कंटेनर माल गाड़ियों को खींचने के लिए उपयोग करने की योजना है और ऐसी रेलगाड़ियों की औसत गति को मौजूदा 20-25 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़ाकर लगभग 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंचाना है। संचालन मानकों में क्वांटम जम्प से थ्रूपुट में वृद्धि होगी और लाइन क्षमता में भी वृद्धि होगी। अत्याधुनिक आईजीबीटी आधारित ईंधन तकनीक से सूसज्जित ये इंजन रीजेनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक के कारण ऊर्जा की खपत में बचत करेंगे।

इस कारखाने में निर्यात बाजार के लिए स्टैंडर्ड गेज इंजन के निर्माण और आपूर्ति का प्रावधान है।

भारतीय रेलवे ने तकनीकी साझेदार की देख-रेख में रेलवे कर्मचारियों का उपयोग करते हुए इन इंजनों के निर्माण और रखरखाव के लिए प्रौद्योगिकी भागीदार के रूप में एक निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से सीमेंस इंडिया का चयन किया है।

पृष्ठभूमि

तकनीकी भागीदार का चयन निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है। प्रौद्योगिकी साझेदार दाहोद में 9000 हॉर्स पॉवर इंजन के निर्माण के लिए और 35 वर्ष के डिजाइन चक्र में इंजन के रख-रखाव के लिए विशाखापत्तनम, रायपुर, खड़गपुर और पुणे में चार डिपो में रेलवे कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करेगा। इन 1200 इंजनों का निर्माण 11 वर्षों में किया जाएगा। प्रौद्योगिकी साझेदार 95 प्रतिशत उपलब्धता और लोकोमोटिव के 1,50,000 किलोमीटर के बाधा-मुक्त संचालन को सुनिश्चित करेगा, इससे पहले कि गारंटीकृत प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (केपीआई) के रूप में कोई गड़बड़ी हो सकती है।

संपूर्ण बोली प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी तरीके से आयोजित की गई है और इलेक्ट्रॉनिक बोली के माध्यम से रिकॉर्ड समय में प्रदान की गई है। रेल मंत्रालय ने एक उपयुक्त तकनीकी भागीदार के चयन के लिए तकनीकी और वित्तीय बोली प्राप्त करने के लिए एकल चरण में दो पैकेट बोली प्रक्रिया आयोजित करने का निर्णय लिया था। तकनीकी भागीदार के चयन के लिए बोली आमंत्रित करने की सूचना 20 अप्रैल 2022 को जारी की गई थी। वित्तीय निविदाएँ 6 दिसंबर 2022 को खोली गई थी। निविदाओं के विस्तृत मूल्यांकन के बाद, रेल मंत्रालय ने सीमेंस इंडिया लिमिटेड को चयनित तकनीकी भागीदार घोषित किया है।

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केंद्रीय खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने टी20 विश्व कप 2022 की विजेता भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम को सम्मानित किया

मुख्य बातें:

• नेत्रहीन क्रिकेट टीम ने पिछले शनिवार को लगातार तीसरी बार नेत्रहीनों के लिए टी20 विश्व कप जीता

• युवा कार्यक्रम और खेल राज्य मंत्री श्री निशीथ प्रमाणिक भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए

केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम के आगमन के बाद उन्हें सम्मानित किया। इस टीम ने पिछले शनिवार को चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु में बांग्लादेश को हराकर लगातार तीसरी बार नेत्रहीनों के लिए टी20 विश्व कप जीता।

केंद्रीय मंत्री के साथ युवा कार्यक्रम और खेल राज्य मंत्री श्री निशीथ प्रमाणिक, नेत्रहीन क्रिकेट एसोसिएशन (सीएबीआई) के अध्यक्ष श्री महंतेश जीके के साथ-साथ युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के खेल विभाग, सीएबीआई और भारतीय खेल प्राधिकरण के अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

 

सभा को संबोधित करते हुए, श्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार का यह प्रयास रहा है कि हमारे सभी एथलीटों, विशेष रूप से हमारे दिव्यांग एथलीटों को सर्वश्रेष्ठ समर्थन प्रदान किया जाए। मैं टीम के सभी सदस्यों को और भी अधिक समर्थन देने और उनके रास्ते में आने वाली विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने का आश्वासन देता हूं।”

नेत्रहीन क्रिकेट टीम के परिवार के सदस्यों के समर्थन की सराहना करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा, “खिलाड़ियों से जुड़े सभी परिवार के सदस्यों ने भारी समर्थन दिया है। परिवारों का समर्थन नहीं होता, तो अधिकांश खिलाड़ी भारतीय टीम के लिए ऐसा नहीं कर पाते।”

 

भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम के कप्तान श्री अजय कुमार रेड्डी की टीम ने शनिवार को फाइनल में बांग्लादेश को 120 रनों से हराया। उन्होंने कहा, “केंद्रीय खेल मंत्रालय से लगातार समर्थन हमें और अधिक इरादे के साथ प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। जीत के पीछे जबरदस्त मेहनत है और बहुत सारी बाधाएं। हालांकि, मैदान पर जाने के बाद, हम अपने भारतीय ध्वज के अलावा किसी और चीज के बारे में नहीं सोचते हैं। अपनी बाधाओं के बारे में भी नहीं। हमने अभी 5 विश्व कप जीते हैं और हमें और अधिक जीतने का भरोसा है।”

 

टी20 विश्व कप 2022 जीतने वाली भारतीय राष्ट्रीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम में 10 राज्यों के 17 खिलाड़ी शामिल थे। इनमें बी1 वर्ग के 6 खिलाड़ी (पूर्ण दृष्टिहीन), बी2 वर्ग के 5 खिलाड़ी (आंशिक दृष्टिहीन) और बी3 वर्ग के 6 खिलाड़ी (6 मीटर तक दृष्टि) हैं। भारतीय टीम ने 2012 और 2017 में पाकिस्तान को टी20 विश्व कप खिताब के लिए हराया था।

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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के तहत सशस्त्र बलों के पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों की पेंशन में पुनरीक्षण को 01 जुलाई 2019 से मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ (ओआरओपी) के तहत सशस्‍त्र बलों के पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों की पेंशन में पुनरीक्षण को 01 जुलाई, 2019 से मंजूरी दे दी है। पूर्व पेंशनभोगियों की पेंशन कैलेंडर वर्ष 2018 में समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक में रक्षा बल के सेवानिवृत्त कर्मियों की न्यूनतम और अधिकतम पेंशन के औसत के आधार पर फिर से निर्धारित की जाएगी।

लाभार्थी

30 जून, 2019 तक सेवानिवृत्त होने वाले सशस्त्र बलों के कार्मिकों {01 जुलाई, 2014 से समय-पूर्व (पीएमआर) सेवानिवृत्त होने वाले को छोड़कर} को इस पुनरीक्षण के तहत कवर किया जाएगा। 25.13 लाख से अधिक (4.52 लाख से अधिक नए लाभार्थियों सहित) सशस्त्र बलों के पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों को लाभ होगा। निर्धारित औसत से अधिक पेंशन पाने वालों की पेंशन को संरक्षित किया जाएगा। यह लाभ युद्ध में शहीद होने वाले सैन्य कर्मियों की विधवाओं और दिव्यांग पेंशनरों सहित पारिवारिक पेंशनरों को भी दिया जाएगा।

बकाये का भुगतान चार छमाही किस्तों में किया जाएगा। हालांकि, विशेष/उदारीकृत पारिवारिक पेंशन पाने वालों और वीरता पुरस्कार विजेताओं सहित सभी पारिवारिक पेंशनभोगियों को एक किस्त में बकाया राशि का भुगतान किया जाएगा।

व्यय

पुनरीक्षण के कार्यान्वयन से 8,450 करोड़ रुपये @ 31 प्रतिशत महंगाई राहत (डीआर) का अनुमानित वार्षिक व्यय होगा। 01 जुलाई, 2019 से लेकर 31 दिसंबर, 2021 तक के बकाये की गणना 01 जुलाई, 2019 से लेकर 30 जून, 2021 की अवधि के लिए डीआर @ 17 प्रतिशत और 01 जुलाई, 2021 से लेकर 31 दिसंबर, 2021 तक की अवधि के लिए @ 31 प्रतिशत के आधार पर की गई है और यह राशि 19,316 करोड़ रुपये से अधिक है। 01 जुलाई, 2019 से लेकर 30 जून, 2022 तक कुल बकाया राशि लागू महंगाई राहत के अनुसार लगभग 23,638 करोड़ रुपये की होगी। यह व्यय ओआरओपी के मद में हो रहे व्यय के अतिरिक्त है।

01 जुलाई 2019 से ओआरओपी के तहत रैंक के अनुसार सेवा पेंशन में संभावित अनुमानित वृद्धि (रुपये में):

रैंक 01.01.2016 तक पेंशन 01.07.2019 से प्रभावी संशोधित पेंशन 01.07.2021 से प्रभावी संशोधित पेंशन 01.07.2019 से 30.06.2022 तक संभावित बकाया
सिपाही 17,699 19,726 20,394 87,000
नायक 18,427 21,101 21,930 1,14,000
हवलदार 20,066 21,782 22,294 70,000
नायब सूबेदार 24,232 26,800 27,597 1,08,000
सूबेदार मेजर 33,526 37,600 38,863 1,75,000
मेजर 61,205 68,550 70,827 3,05,000
लेफ्टिनेंट कर्नल 84,330 95,400 98,832 4,55,000
कर्नल 92,855 1,03,700 1,07,062 4,42,000
ब्रिगेडियर 96,555 1,08,800 1,12,596 5,05,000
मेजर जनरल 99,621 1,09,100 1,12,039 3,90,000
लेफ्टिनेंट जनरल 1,01,515 1,12,050 1,15,316 4,32,000

पृष्ठभूमि

सरकार ने रक्षा बलों के कार्मिकों/पारिवारिक पेंशनभोगियों के लिए वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) को लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया और 01 जुलाई, 2014 से पेंशन में पुनरीक्षण के लिए 07 नवंबर, 2015 को नीति पत्र जारी किया। उक्त नीति पत्र में, यह उल्लेख किया गया था कि भविष्य में पेंशन हर पांच वर्ष में फिर से निर्धारित की जाएगी। ओआरओपी के कार्यान्वयन में आठ वर्षों में प्रति वर्ष 7,123 करोड़ रुपये की दर से लगभग 57,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

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रक्षा अधिग्रहण परिषद ने सशस्त्र बलों और भारतीय तट रक्षक बल के लिए 84,328 करोड़ रुपये के 24 पूंजीगत अधिग्रहण प्रस्तावों की आवश्यकता की स्वीकृति को मंजूरी दी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 22 दिसंबर, 2022 को आयोजित अपनी बैठक में 24 पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) को मंजूरी दी है। कुल 84,328 करोड़ रुपये के इन प्रस्तावों में भारतीय सेना के लिए छह, भारतीय वायु सेना के लिए छह, भारतीय नौसेना के लिए 10 और भारतीय तटरक्षक बल के लिए दो प्रस्ताव शामिल हैं। यह उल्लेखनीय है कि इनमें स्वदेशी स्रोतों से खरीद के लिए 82,127 करोड़ रुपये (97.4 फीसदी) के 21 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। डीएसी की यह अद्वितीय पहल न केवल सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण करेगी, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रक्षा उद्योग को भी पर्याप्त बढ़ावा देगी।

इस एएनओ को मंजूरी प्रदान किए जाने से भारतीय सेना परिचालन तैयारियों के लिए परिवर्तनकारी मंचों और उपकरणों, जैसे कि फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल, हल्के टैंक और माउंटेड गन प्रणाली से युक्त होगी। इन स्वीकृत प्रस्तावों में हमारे सैनिकों के लिए बेहतर सुरक्षा स्तर वाले बैलिस्टिक हेलमेट की खरीद भी शामिल है।

नौसेना की पोत-रोधी मिसाइलों, बहुउद्देश्यीय पोतों और उच्च सहनशक्ति वाले स्वायत्त वाहनों की खरीद के लिए दी गई इस मंजूरी से भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बढ़ावा देने वाली समुद्री ताकत में और अधिक बढ़ोतरी होगी।

मिसाइल प्रणाली की नई रेंज, लंबी दूरी के निर्देशित बम, पारंपरिक बमों के लिए रेंज संवर्द्धन किट और उन्नत निगरानी प्रणाली को शामिल करके भारतीय वायु सेना को और अधिक घातक क्षमताओं के साथ मजबूत किया जाएगा। भारतीय तट रक्षक के लिए अगली पीढ़ी के अपतटीय गश्ती जहाजों की खरीद तटीय क्षेत्रों में निगरानी क्षमता को नई ऊंचाइयों तक बढ़ाएगी।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों के लिए लखनऊ में आधुनिक मल्टी-स्पेशियलिटी कमांड अस्पताल के निर्माण को मंजूरी दी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 22 दिसंबर, 2022 को सशस्त्र बलों के लिए लखनऊ, उत्तर प्रदेश में एक आधुनिक मल्टी-स्पेशियलिटी कमांड अस्पताल के निर्माण को मंजूरी दी। कमांड अस्पताल एक ग्रीन फील्ड बहुमंजिला अस्पताल होगा, जिसमें 780 भर्ती मरीज बेड के साथ-साथ 100 क्राइसिस एक्सपेंशन बेड के लिए तकनीकी सुविधा की व्यवस्था होगी, ताकि आपात स्थिति से निपटा जा सके।

मौजूदा कमांड अस्पताल लखनऊ सशस्त्र बलों के सबसे व्यस्त अस्पतालों में से एक है जो 22 सैन्य अस्पतालों, दो वायु सेना अस्पतालों और 109 पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) पॉलीक्लिनिक के लिए एक तृतीयक देखभाल रेफरल अस्पताल है। यह मध्य भारत के छह राज्यों के साथ-साथ नेपाल में फैले 3.5 लाख से अधिक आश्रित ग्राहकों की स्वास्थ्य देखभाल जरूरतों को पूरा करता है। अस्पताल में नियमित आधार पर लगभग 2,000 ओपीडी रोगी और 40-50 आपात स्थिति वाले मरीज आते हैं। अस्पताल के बिस्तर हमेशा 80% से अधिक भरे होते हैं। दवाओं और सर्जरी की सभी सुपर स्पेशियलिटी के लिए तृतीयक देखभाल केंद्र होने के अलावा, अस्पताल में कैंसर रोगियों के लिए घातक रोग उपचार केंद्र (एमडीटीसी) भी है। अस्पताल प्रशिक्षुओं, स्नातकोत्तर प्रशिक्षुओं, एमएनएस कैडेटों और नर्सिंग सहायकों को भी प्रशिक्षित करता है।
मौजूदा अस्पताल में मरीजों की संख्या को देखते हुए रक्षा मंत्री ने 496.94 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत की एक विशेष परियोजना को मंजूरी दी। कमांड अस्पताल, लखनऊ की योजना देश में लागू नवीनतम इमारत कोड और अस्पताल नियमों के अनुरूप बनाई गई है। यह प्रगतिशील रोगी देखभाल सेवाओं के लिए जोन के अनुसार नियोजित किया गया है जो रोगी की आवाजाही को कम और नियंत्रित करता है, अस्पताल के संक्रमण (एचएआई) को कम करता है, नियोजित बायोमेडिकल वेस्ट (बीएमडब्ल्यू) अलगाव और निपटान, सभी विकलांग अनुकूल सेवाओं के साथ आपात स्थिति में आपदा निकासी योजना, निदान और चिकित्सीय दोनों के लिए विकिरण का सुरक्षित उपयोग अस्पताल में शामिल कई आधुनिक विशिष्टताओं में से शामिल हैं। डेटा और ऊर्जा संरक्षण पर तेजी से पहुंच के लिए भवन प्रबंधन प्रणाली के साथ-साथ अस्पताल सूचना प्रणाली जैसी एकीकृत सेवाओं को भी परियोजना में शामिल किया गया है।

मध्य भारत में आधुनिक मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल के निर्माण से सशस्त्र बलों का मनोबल बढ़ेगा और कर्मियों को वांछित सहायता मिलेगी। राजनाथ सिंह ने सभी रक्षा सेवाओं के कर्मियों को बधाई दी है और उनसे राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान जारी रखने का आग्रह किया है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने चेन्नई में सीडीएससीओ भवन, दक्षिण क्षेत्र की नई इमारत का आभासी रूप से उद्घाटन किया

“आजादी का अमृत महोत्सव की भावना को संत रामानुज की धरती की विशेषज्ञता से जोड़ते हुए देश स्वस्थ और समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में कार्य कर रहा है। भारत सरकार देश में औषधियों, सौंदर्य प्रसाधनों और चिकित्सा उपकरणों की सुरक्षा और प्रभावकारिता बरकरार रखते हुए उनकी उच्चतम गुणवत्ता सुनिश्चित कर सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा करने और उसमें वृद्धि करने के मिशन को आगे बढ़ा रही है। सीडीएससीओ, दक्षिण क्षेत्र का नया भवन विशेष रूप से तमिल नाडु, पुडुचेरी, केरल और लक्षद्वीप सहित दक्षिणी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सुरक्षा और नियामक सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदान करने के सरकार के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा।” यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज चेन्नई में सीडीएससीओ भवन, दक्षिण क्षेत्र की नई इमारत का आभासी रूप से उद्घाटन करते हुए कही।

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सीडीएससीओ के महत्व को रेखांकित करते हुए डॉ. मांडविया ने कहा कि “सीडीएससीओ सुरक्षा प्रभावकारिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के सा‍थ ही साथ स्वास्थ्य उत्पादों के निर्माण, आयात और वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने विशेष रूप से कोविड महामारी के दौरान, हमारे नागरिकों के लिए सही समय पर सही दवा प्रदान करने में सहायता की है।” उन्होंने कहा कि “सीडीएससीओ के महत्व को देखते हुए भारत सरकार ने इसकी क्षमताओं में विस्तार किया है। देश में दवा नियामक प्रणाली को मजबूती देने के लिए भारत सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत विभिन्न परियोजनाओं, नए सीडीएससीओ कार्यालयों, नई औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं के निर्माण और मौजूदा प्रयोगशालाओं, बंदरगाहों पर मिनी प्रयोगशालाओं आदि के उन्नयन को मंजूरी दी है।”

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003ZH8I.jpgऔषधीय, निदान और चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में तेजी से हो रही प्रगति को देखते हुए डॉमांडविया ने माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किए गए “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” के आह्वान को दोहराया। उन्‍होंने कहा कि इससे चिकित्सा उत्पादों के स्वदेशी तकनीक से निर्माण को बल मिला है और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लक्ष्यों को प्रोत्‍साहन प्राप्‍त हुआ है। उन्होंने कहा, “भारत सरकार दवाओं की गुणवत्ता, पहुंच, सामर्थ्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही साथ उद्योग से जुड़े लोगों और अन्य हितधारकों को भी प्रोत्साहित कर रही है।” उन्होंने ह्यूमनॉइड चिप्स के माध्यम से नई तकनीकों और औषधियों के परीक्षण जैसे नवाचारों को अपनाने की  सरकार की इच्छा भी रेखांकित की। उन्होंने कहा, “सरकार नया औषधि, प्रसाधन सामग्री और चिकित्‍सा उपकरण विधेयक भी ला रही है, जो मौजूदा अधिनियम और नियमों का स्‍थान लेगा। इन कदमों से हमें व्यापार करने में सुगमता, नवोन्‍मेषकों  का उत्पीड़न रोकने और एक मजबूत नियामक प्रणाली के साथ जीवंत औषधि और प्रसाधन सामग्री उद्योग का निर्माण करने में मदद मिलेगी।”

578 ब्लड सेंटर, 700 औषधि निर्माण इकाइयां, 251 प्रसाधन सामग्री निर्माण इकाइयां,  9 वैक्सीन निर्माण इकाइयां, 85 चिकित्‍सा उपकरण निर्माण इकाइयां, 40 विश्‍लेषणात्‍मक प्रयोगशालाएं और 12 बीए/बीई सेंटर्स के साथ सीडीएससीओ भवन, दक्षिण क्षेत्र संयुक्‍त निरीक्षण के माध्‍यम से दवाओं और  ब्लड बैंक लाइसेंस, टीके और सेरा, बड़ी मात्रा में पैरेनटेल, आर-डीएनए उत्पादों, चिकित्सा उपकरणों आदि जैसे लाइसेंसों की गुणवत्ता की निगरानी में सहायता करेगा। वे नियमित दवाओं के नमूने लेने के साथ-साथ संयुक्त /स्वतंत्र रूप से औचक निरीक्षण/छापेमारी करके नैदानिक परीक्षण सुविधाओं और सार्वजनिक औषधि परीक्षण प्रयोगशाला के निरीक्षण में भी सहायता करेंगे। सीडीएससीओ अंतरराष्ट्रीय नियामक एजेंसियों के साथ सहयोग करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इस कार्यक्रम में डॉ. मनदीप के. भंडारी, संयुक्त सचिव, केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय, डॉ. वी.जी. सोमानी, ड्रग्‍स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, डॉ. बी. कुमार  डिप्‍टी ड्रग्‍स कंट्रोलर और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज में नेत्र परिक्षण शिविर आयोजित

कानपुर 23 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज की ऍन ऐस ऐस यूनिट (काडोम्बिनी देवी) के द्वारा महाविद्यालय परिसर में नेत्र परिक्षण शिविर का आयोजन किया गया माँ सरस्वती को माल्यार्पण कर इस शिविर का शुभारम्भ प्राचार्या प्रो. (डॉ) सुमन के नेत्र परिक्षण से प्रारम्भ हुआ यह नेत्र परिक्षण शिविर सेंटर फॉर साइट के डॉ अलोक सचान एवम उनकी तकनीशियन टीम अभिनव मिश्रा, अनुराग शुक्ल एवम राजीव के द्वारा संपन्न किया गया, इस शिविर में १०० छात्राओं, ५० अभिवावको, १० चतुर्थ श्रेणी कर्मचारीगण, १२ तृतीया श्रेणी कर्मचारीगण, २० प्रवक्ताओं ने अपनी नेत्रों का परिक्षण करवाया कैंप कोऑर्डिनेटर प्रो. चित्रा सिंह तोमर एवम डॉ. प्रीति सिंह ने सभी छात्राओं को कैंप में भाग लेने के लिए उत्साहित किया तथा प्राचार्य प्रो. (डॉ.) सुमन ने कैंप की सफलता पर सबको बधाई दी, कैंप का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया

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डी जी कॉलेज में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित

कानपुर 23 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, डी जी कॉलेज में भूगोल विभाग एवं मनोविज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें छात्राओं ने उत्साह पूर्वक भाग लिया।
प्राचार्य डॉ अर्चना वर्मा ने बताया कि यह प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता डॉ संगीता सिरोही तथा डॉ.सुषमा शर्मा के कुशल निर्देशन में आयोजित की गई।
उक्त प्रतियोगिता में टीम बी से नलिनी पटेल, महाम शफीक, आराधना व महिमा गुप्ता ने प्रथम; टीम ए व टीम डी से ममता, लक्ष्मी, नंदिनी, शुभी दीक्षित,अर्चना दीक्षित, पूर्णिमा, निधि व रागिनी कुमारी ने संयुक्त रूप से द्वितीय तथा टीम सी से शिवांशी राठौर, श्वेता यादव, मानसी व साहू दिव्यांका ने तृतीय स्थान प्राप्त किया अरीशा व निखत स्कोरर रही।
आयोजन को सफल बनाने में विभाग की सभी प्राध्यापिकाओं डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, डॉ श्वेता गोंड, डॉ ज्योति आदि का सहयोग सराहनीय रहा।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज में राष्ट्रीय जेंडर अभियान के अंतर्गत मिशन शक्ति द्वारा महिला सशक्तिकरण व घरेलू हिंसा विषय पर एक चर्चा आयोजित

कानपुर 22 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर में राष्ट्रीय जेंडर अभियान के अंतर्गत मिशन शक्ति द्वारा महिला सशक्तिकरण व घरेलू हिंसा को कैसे रोके इस विषय पर एक चर्चा का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का संचालन मिशन शक्ति प्रभारी डॉ मीतकमल के द्वारा प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल के दिशा निर्देशन में किया
गया।  की वूमन सेल की कनवीनर डॉ शिप्रा श्रीवास्तव और कॉलेज की आईसीसी की
चेयर पर्सन सूफिया शाहब मुख्य वक्ता रही। डॉ शिप्रा ने छात्रों को घरेलू हिंसा व गुड और बैड टच के विषय में जानकारी दी। डॉ सूफिया ने बताया कि किस प्रकार आईसीसी का गठन हुआ और इसका उद्देश्य कालेज होने वाली समस्याओं का समाधान करना है। किस प्रकार एक महिला ही महिला को सशक्त बना सकती है ये भी समझाया गया। घरेलू हिंसा के अन्य पहलू और सरकार के वन स्टॉप सेंटर भी चर्चा के विषय रहे। कॉलेज की प्राचार्य  सबीना बोदरा ने छात्राओं को समझाया की उन्हे अपने सशक्तिकरण का सदुपयोग करना चाहिए। छात्रा खुशी होटवानी ने सबको सरकार द्वारा चलाए गए महिला सशक्तिकरण के अभियानों से अवगत कराया। कुछ छात्र छात्राओं ने कविता के माध्यम से कार्यक्रम में अपना योगदान दिया

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भारतीय नौसेना को पांचवीं स्कॉर्पीन पनडुब्बी ‘वागीर’ की डिलीवरी

प्रोजेक्ट -75 कलवरी क्लास सबमरीन की पांचवीं पनडुब्बी यार्ड 11879 आज दिनांक 20 दिसंबर 2022 को भारतीय नौसेना को सौंपी गई । प्रोजेक्ट- 75 में स्कॉर्पीन डिजाइन की छह पनडुब्बियों का स्वदेशी निर्माण शामिल है । इन पनडुब्बियों का निर्माण मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस के सहयोग से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई में किया जा रहा है । दिनांक 12 नवंबर 2020 को लॉन्च की गई, वागीर ने दिनांक 01 फरवरी 2022 से समुद्री परीक्षण शुरू किया और यह बहुत गर्व की बात है कि इस पनडुब्बी ने पहले की पनडुब्बियों की तुलना में कम से कम समय में हथियार और सेंसर परीक्षणों सहित सभी प्रमुख परीक्षणों को पूरा किया है ।

पनडुब्बी निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है क्योंकि कठिनाई तब बढ़ जाती है जब सभी उपकरणों को छोटा करने की आवश्यकता होती है और कड़े गुणवत्ता की आवश्यकताएं भी बनाए रखनी होती हैं । एक भारतीय यार्ड में इन पनडुब्बियों का निर्माण ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक और कदम है और इस क्षेत्र में आत्मविश्वास बढ़ाता है, एक उल्लेखनीय उपलब्धि यह है कि यह 24 महीने की अवधि में भारतीय नौसेना को दी गई तीसरी पनडुब्बी है ।

पनडुब्बी को जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा और इससे भारतीय नौसेना की क्षमता में वृद्धि होगी ।

 

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