पत्र सूचना कार्यालय(पीआईबी) पूर्वी क्षेत्र के महानिदेशक श्री भूपेंद्र कैंथोला ने पुरी में बुधवार को पत्र सूचना कार्यालय,पीआईबी, भुवनेश्वर द्वारा आयोजित मीडिया कार्यशाला ‘‘वार्तालाप’’ में भाग लेने के दौरान कहा कि वार्तालाप जमीनी स्तर पर लोगों तक पहुंचने के लिए सरकार और मीडिया के बीच सेतु स्थापित करने का एक माध्यम है। सभा को संबोधित करते हुए श्री कैंथोला ने कहा कि महामारी के कारण अब चीजें बदल गई हैं। उन्होंने न्यू मीडिया में पत्रकारों के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘स्मार्टफोन के माध्यम से ऑनलाइन या डिजिटल मीडिया के रूप में एक नई पत्रकारिता की प्रवृत्ति विकसित हो रही है, जिसका प्रत्येक पत्रकार को सामना करना होगा। पुरी के वरिष्ठ पत्रकार श्री जगन्नाथ बस्तिया ने कार्यशाला में भाग लिया और पत्रकारों के सामने आने वाली कई चुनौतियों और मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सुझाव दिया, ‘‘सामान्य जनता की तरह पत्रकार भी चक्रवात, महामारी से प्रभावित होते हैं। यह उनके और उनके कल्याण के बारे में सोचने का सही समय है। क्षेत्रीय आउटरीच ब्यूरो भुवनेश्वर के अतिरिक्त महानिदेशक श्री अखिल कुमार मिश्रा ने कहा कि पत्रकारिता न केवल एक पेशा है, बल्कि एक कौशल भी है। आरओबी के एडीजी ने कहा, ‘‘वार्तालाप जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार और मीडिया के बीच वार्ता के लिए एक मंच बनाया जा रहा है और जब हम इसके बारे में विचार.विमर्श और चर्चा करते हैं तो चीजें बेहतर होती हैं। तकनीकी सत्र के दौरान वरिष्ठ पत्रकार श्री राजाराम सतपथी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे आधुनिक पत्रकारिता चुनौतियों से भरी हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘एक पत्रकार को यह पक्का करना चाहिए कि वह किसी व्यक्ति या संगठन के लिए नहीं बल्कि लोगों के लिए काम कर रहा है। एक पत्रकार की भूमिका हमेशा सूचित करने, शिक्षित करने और मनोरंजन करने की होनी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार श्री संदीप साहू ने पत्रकारिता नैतिकता और सोशल मीडिया के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता की नैतिकता परंपरागत रूप से व्यवसायीकरण, व्यक्तियों, संगठनों और पहले होने की दौड़ की अवधारणा से प्रभावित होती है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘एक सच्चे पत्रकार को हमेशा सही रास्ते पर चलना चाहिए, तथ्यों को दर्शकों के सामने पेश करने से पहले सत्यापित करना चाहिए। पीआईबी के उप निदेशक डॉ जी सी दास ने अपने स्वागत भाषण में कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने में मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डाला, जबकि पीआईबी के मीडिया और संचार अधिकारी श्री पी के चौधरी ने सत्र का संचालन किया। बाद में, कार्यक्रम में भाग लेने के लिए एकत्रित पत्रकारों के साथ एक व्यापक संवाद सत्र आयोजित किया गया। वार्तालाप पर इनपुट और सुझाव लेते हुए उनसे एक व्यापक प्रतिक्रिया भी एकत्र की गई। मीडिया कार्यशाला में पुरी के लगभग 80 पत्रकारों की सक्रिय भागीदारी रही।
Read More »भारत ने लक्ष्य तिथि से बहुत पहले ही 400 बिलियन डॉलर का वस्तु व्यापार निर्यात प्राप्त किया -पीयूष गोयल
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि 400 बिलियन डॉलर का निर्यात हासिल करना देश के प्रत्येक सेक्टर, प्रत्येक हितधारक के ठोस, सामूहिक प्रयास का परिणाम है भारत से वस्तु निर्यात चालू वित्त वर्ष के दौरान निर्धारित तिथि से 9 दिन पहले ही 400 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। यह वित्त वर्ष 2028-19 में अर्जित 330 बिलियन डॉलर के पिछले रिकॉर्ड से बहुत अधिक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया :
भारत ने 400 बिलियन डॉलर का वस्तु निर्यात का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया तथा सर्वप्रथम बार इस लक्ष्य को अर्जित किया है। मैं अपने किसानों, बुनकरों, एमएसएमई, विनिर्माताओं, निर्यातकों को इस सफलता के लिए बधाई देता हूं यह हमारी आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में एक प्रमुख मील का पत्थर है। श्री गोयल आज नई दिल्ली में इस अवसर पर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे श्री गोयल ने कहा कि इस आकर्षक निर्यात लक्ष्य की प्राप्ति ने विश्व को दिखा दिया कि अनगिनत चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, दृढ़ संकल्प, लगन, क्षमता और प्रतिभा के साथ भारत सभी प्रकार की बाधाओं को पार करेगा श्री गोयल ने सभी निर्यातकों, किसानों, बुनकरों, एमएसएमई, विनिर्माताओं, विदेश स्थित भारतीय मिशनों तथा अन्य हितधारकों, जिन्हें उन्होंने इस उपलब्धि को अर्जित करने के पीछे का वास्तविक नायक बताया, के प्रति कृतज्ञता जताई।उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को आगे बढ़ कर लगातार अगुवाई करने तथा निर्यात पर निरंतर ध्यान केंद्रित करते रहने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा की गई स्पष्ट अपील ने ही उद्योग को निर्यात में भारी उछाल लाने के लिए प्रेरित किया।गोयल ने कहा कि निर्यात लक्ष्य की प्राप्ति के पीछे देश-वार, उत्पाद -वार तथा ईपीसी -वार विशिष्ट लक्ष्य, निगरानी तथा कार्य सुधार सहित एक विस्तृत रणनीति कार्य कर रही थी।उन्होंने कहा कि इस उल्लेखनीय उपलब्धि को हासिल करने के लिए ‘ संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण ‘ को ‘ संपूर्ण देश दृष्टिकोण ‘ के अगले स्तर ले जाया गया था उन्होंने यह भी कहा कि उपलब्धि केवल लक्ष्य को हासिल करने से संबधित नहीं थी बल्कि आत्मविश्वास का निर्माण करने तथा नए बाजारों की खोज करने के बारे में भी थी मंत्री ने सकारात्मक रिपोर्टिंग, उत्साहवर्धक संपादकीयों के जरिये निरंतर व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए मीडिया की सराहना की जिसने इसे एक राष्ट्रीय मिशन बनाने के जरिये सहायता की।निर्यात का रोजगार सृजन, विशेष रूप से श्रम केंद्रित सेक्टरों के साथ प्रत्यक्ष संपर्क को रेखांकित करते हुए श्री गोयल ने कहा कि जब मुरादाबाद के पीतल व्यापारी और वाराणसी के किसानों के उत्पादों को वैश्विक व्यापार में सराहा जाता है तो, यह इस बात का प्रमाण है कि निर्यात से रोजगार और समृद्धि बढ़ रही है।श्री गोयल ने कोविड-19 की लगातार आने वाली लहरों से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद पूरे वर्ष निर्यात की गति बनाये रखने के लिए भी भारतीय निर्यातकों की सराहना की।उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि पर वास्तव में एक उत्सव मनाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इसने राष्ट्र के लिए एक आश्वस्त भविष्य का संदेश दिया। श्री गोयल ने कहा कि भारत गुणवत्ता तथा विश्वसनीयता की एक नई पहचान के साथ विश्व के लिए तैयार है।कोविड-19 महामारी द्वारा प्रभावित आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने में निर्यात की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए, वाणिज्य विभाग ने 6 अगस्त, 2021 को ‘‘ लोकल गोज वोकल – मेक इन इंडिया फॉर द वल्र्ड ‘‘ थीम पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उनके संबोधन तथा निर्यातक समुदाय, राजदूतों/एचसी/वाणिज्यिक मिशनों/लाइन मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, ईपीसी, कमोडिटी बोर्डों/प्राधिकरणों, उद्योगों/व्यापार संघों, आदि के साथ उनकी परस्पर बातचीत के दौरान प्रदान की गई प्रेरणा को और आगे बढ़ाया।संबोधन के दौरान, प्रधानमंत्री ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान राष्ट्र द्वारा अर्जित करने के लिए 400 बिलियन डॉलर का वस्तु निर्यात का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया। उन्होंने निर्यातक समुदाय को निर्यात बास्केट में नए उत्पादों की खोज करने, नए गंतव्यों की तलाश करने तथा वर्तमान उत्पादों एवं बाजारों में गहरी पैठ सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित किया।इस प्रकार, माननीय प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्य एवं दृष्टिकोण को अर्जित करने के लिए वाणिज्य विभाग ने क्षेत्रों तथा देशों एवं उत्पाद/मकोडिटी समूहों के हिसाब से 400 बिलियन डॉलर के लक्ष्य को अलग अलग कर दिया। सरकार ने लक्ष्य को अर्जित करने के लिए तथा एक विस्तृत निगरानी प्रणाली के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार की।अलग अलग किए गए लक्ष्यों ने देश/क्षेत्र/मिशन/निर्यात संवर्धन परिषदों द्वारा कड़ी निगरानी किए जाने को सक्षम बनाया है। वाणिज्य विभाग के कमोडिटी प्रभागों ने अपने अधिकार क्षेत्र के तहत संबंधित ईपीसी के साथ नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित की हैं।इस प्रकार, कोविड की लगातार आने वाली लहरों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, भारत के वस्तु व्यापार प्रदर्शन ने प्रभावशाली बढोतरी प्रदर्शित की है तथा निर्यात अप्रैल से फरवरी के दौरान 11 लगातार महीनों ( मार्च के अंत में लगातार 12 महीनों तक संभव ) तक 30 बिलियन डॉलर से अधिक रहा है जिसमें विशेष रूप से दिसंबर 2021 के दौरान 39.3 बिलियन डॉलर का अब तक का सर्वोच्च मासिक वस्तु व्यापार रिकॉर्ड किया गया। इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात 2021-22 के दौरान पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत बढ़ा है। उच्चतर इंजीनियरिंग निर्यात, अपैरल तथा गारमेंट निर्यात आदि से संकेत मिलता है कि भारत की प्राथमिक वस्तुओं का प्रमुख निर्यातक होने की गलत धारणा अब धीरे धीरे बदल रही है। अब हम अधिक से अधिक मूल्य वर्धित वस्तुओं तथा हाई एंड वस्तुओं का निर्यात कर रहे हैं तथा हमारे प्रौद्योगिकी संचालित उद्योगों द्वारा यह प्रयास जारी रहना चाहिए। सूती धागे/फैब्रिक्स/मेडअप्स/हथकरघा उत्पाद आदि, रत्न एवं आभूषण, अन्य अनाज तथा मानव निर्मित्त यार्न/फैब्रिक्स/मेड अप्स आदि के निर्यात ने 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत के बीच की वृद्धि दर दर्ज कराई है।कृषि क्षेत्र ने भी, विशेष रूप से महामारी के दौरान उल्लेखनीय प्रगति दर्ज कराई है जिसमें भारत खाद्य अनिवार्य कृषि उत्पादों के एक प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता देश के रूप में उभरा है। कृषि निर्यात में उछाल अन्य वस्तुओं के अतिरिक्त चावल ( बासमती तथा गैर बासमती दोनों ), समुद्री उत्पादों, गेहूं, मसालों तथा चीनी जैसी वस्तुओं से प्रेरित है जिन्होंने 2021-22 के दौरान अब तक का सर्वाधिक कृषि उत्पाद निर्यात दर्ज कराया।21 मार्च 2022 तक, ऑस्टेलिया, ताईवान, कोरिया गणराज्य, बांग्ला देश, पोलैंड, ब्राजील, इंडोनेशिया, बेल्जियम, सऊदी अरब, टर्की, इटली, जापान, कनाडा, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, नीदरलैंड, नाइजीरिया, मिस्र तथा मैक्सिको वे प्रमुख देश रहे हैं जिन्होंने अपने निर्यात लक्ष्य से अधिक अर्जित किया है। थाईलैंड, इजरायल, नेपाल, वियतनाम एसओसी गणराज्य, चीन, फ्रांस तथा श्रीलंका वे प्रमुख देश रहे हैं जिन्होंने अपने कुल निर्यात लक्ष्य का 90 प्रतिशत से 100 प्रतिशत अर्जित किया है।21 मार्च 2022 तक, जैविक तथा अजैविक रसायन, अन्य अनाज, पेट्रोलियम उत्पाद, कॉटन यार्न/फैब्रिक्स/मेड अप्स, हथकरघा उत्पाद आदि, अभ्रक, कोयला और अन्य अयस्क, प्रोसेस सहित खनिज अवयव, इंजीनियरिंग वस्तुएं तथा प्लास्टिक एवं लिनोलियम वे प्रमुख वस्तुएं हैं जिन्होंने अपने निर्यात लक्ष्य से अधिक अर्जित किया है।चावल, समुद्री उत्पाद, फ्लोर कवरिंग सहित जूट विनिर्माण, दरी, अनाज तैयारी एवं विविध प्रसंस्कृत मदें, इलेक्ट्रोनिक वस्तुएं, कॉफी, रत्न एवं आभूषण तथा हस्त निर्मित्त को छोड़कर हथकरघा उन प्रमुख वस्तुओं में शामिल हैं जिन्होंने अपने कुल निर्यात लक्ष्य का 90 प्रतिशत से 100 प्रतिशत अर्जित किया है।सरकार हमारे उद्योग तथा निर्यातकों को उनके निर्यात निष्पादन को बढ़ाने के लिए एक अनुकूल वातावरण तथा बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए 24 घंटे काम कर रही है। लक्ष्य के अनुरूप नीतियों तथा योजनाओं को उनके लाभ के लिए लागू तथा कार्यान्वित किया जा रहा है।महामारी के बीच भी, रोडटेप तथा आरओएससीटीएल को सुगमता से लागू कर दिया जाना निर्यातकों के कल्याण के प्रति सरकार के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करता है। ब्याज समकरण स्कीम को निर्यातकों तक विस्तारित कर दिया गया है और इससे बड़ी संख्या में एमएसएमई निर्यातकों को लाभ मिलने की संभावना है। उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए जहां भारत तुलनात्मक रूप से लाभ की स्थिति में हैं, उद्योग के साथ घनिष्ठ साझीदारी में काम करने के द्वारा वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकरण को गहरा करने के लिए घरेलू क्षमता संवर्धन के लिए पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं। इसलिए हम मेक इन इंडिया की तर्ज पर अपनी क्षमताओं को मजबूत करने तथा विश्व के लिए निर्माण करने पर कार्य करेंगे। विनिर्माण के 13 प्रमुख क्षेत्रों के लिए वित्त वर्ष 2021-22 से आरंभ होने वाली पीएलआई स्कीमों की घोषणा कर दी गई है।निर्यात हब के रूप में जिले ( डीईएच ) पहल में परिकल्पित दृष्टिकोण में एक नीति बदलाव स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने तथा स्थानीय उत्पादो/सेवाओं की निर्यात वृद्धि को प्रेरित करने में जिलों को सक्रिय हितधारक बनाने के लिए अपनाया गया है। उचित वित्त पोषण, बीमा, ऋण प्रावधान उपलब्ध कराने के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देने वाले बुनियादी ढांचों के निर्माण के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।इस प्रकार, विविध हितधारकों की सहायता से, जिला स्तर से लेकर विदेशी बाजारों तक एक मजबूत बैकवर्ड फारवर्ड लिंकेज की स्थापना करने के लिए प्रयास किया गया है।इस बीच, सभी हितधारकों अर्थात जिला इकाई, राज्य एवं केंद्रीय सरकार, लाइन मंत्रालयों, ईपीसी, एमएसएमई निर्यातक समुदायों तथा विदेश स्थित हमारे मिशनों के बीच प्रभावी तथा कुशल समन्वय पर जोर दिया गया है जिससे कि निर्यात लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक सुसंगत तथा समन्वित कार्रवाई अर्जित करने के लिए संबंधित विभागों के बीच सूचनाओं का निर्बाधित प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके।
Read More »सुलझा हुआ दिखने की बजाय सुलझा होना बेहतर
“सुलझा हुआ दिखने की जगह ..सुलझे होना ही बेहतर है “साफ़ शीशे की तरह। बाहर से हर कोई शान्त समुन्दर की तरह दिखता है मगर भीतर इक छिपा हुया तूफ़ान। ये बात इक महिला कमल की है जिसे मैं जानती हूँ।वो बेहद समझदार ,ख़ुश मिज़ाज ,अपने गुरू में पूरी आस्था रखने वाली।पूरे मोहल्ले की रौनक़।हमेशा उनका हँसता हुआ चेहरा देखा करती।आत्मविश्वास तो कूट कूट कर भरा पड़ा था।अच्छे खुले विचारों की धनी ,सहृदय की स्वामिनी।अपने काम खुद ही करती।वो तक़रीबन अस्सी साल की होगी।आज बहुत गर्मी थी।सारा दिन ऐ-सी मे बैठने से मन उकता सा गया था।मैंने गार्गी को फ़ोन मिलाया और उसे झील पर मिलने के लिए कह दिया। थोड़ी ही देर मे मै भी वहाँ पहुँच गई।चंडीगढ़ की झील और उसपर शाम का ठंडी हवा जैसे मन को शान्त कर रही थी।सामने से गार्गी अपनी ममी के साथ आती दिखाई दी, वो बचपन से ही कमल आंटी को जानती थी।अचानक मेरी नज़र कमल आंटी पर पड़ी। झील की पोडियो पर चुप सी आँखें बंद करके बैठी हुई थी।मुझे हैरानी हुई ये कमल आंटी जो इतनी रौनकी है आज इतनी चुप सी ,मैंने गार्गी को कहा, इनको क्या दुख हो सकता है ये तो रोते हुए को भी हंसा देती है।
गार्गी की ममी ने बताया कि कमल मेरी बचपन की सहेली है।जब कमल तीन साल की थीं।उनके पिता की मौत हो गई।इनका बचपन बहुत तंगी में गुजरा।दादा के साथ रह कर देसी घी बेचने की दुकान चलाया करती थी।दुकान और घर के बीच इक अंधेरा वाली गली आती थी।लोग रात को वहाँ से नही गुजरते थे और ये कमल हाथ मे इक लम्बी सी छड़ी ज़मीन पर मारती और “दादा जी मै आईं ,दादा जी मै आई“ज़ोर ज़ोर से कहते कहते अपने दादा के पास पहुँच जाती और दादा उसे डाँटते ! कयूं आई हो अन्धेरें से ,मै घर आ जाता अपने आप,तो कमल कहती! कयूं आप अकेले कयूं आते।उस अंधेरे वाली गली से।कही आप का पैर फिसल गया और कहीं चोट लग गई।इसी लिये मै आप को शाम को घर ले जाने के लिये आ जाती हूँ और दादा की बूढ़ी आँखें कमल की इस सोच पर भर जाया करती।बहुत निडर हुआ करती थी। वहाँ गाँव में इक ऊँचा लम्बा आदमी जिस की शकल ख़ूँख़ार सी हुआ करती थी।लोग उससे डरा करते थे।इक बार वो दुकान पर आ गया।सब गाहक डर कर इधर उधर हो गये क्यूँकि वो डाकू था और ये कमल बहुत बिन्दास हो कर कहने लगी।चाचा चाचा क्या आप डाकू है ?लोग आप से इतना डरते क्यों हैं।डाकू बोला !मैं अपने गाँव की इज़्ज़त उनकी बेटियों की रखवाली के लिये ही डाकू बना हूँ।ये कमल जो उस वक़्त शायद 10 साल की रही होगी बोली !आप इतने बुरे भी नहीं जैसे लोग समझते हैं।अगर रखवाली ही करनी है आप अपनी इन बड़ी बड़ी मूँछों को कटवा दें। फिर लोग आप से नही डरेंगे।दादा ने कमल को रोकना चाहा ,मगर कमल को रोक पाना इतना सहज नही था।उसके दादा बहुत ही शान्त क़िस्म के व्यक्ति थे।वो डाकू थोडा झेंप गया।कहने लगा !अच्छा अच्छा कटवा दूँगा और सच में अगले दिन उसने अपनी ढाडी मूँछें कटवा दी और अच्छे से पगड़ी बांध कर दुकान पर आया और दादा को कहने लगा ! मैं सब को डरा कर रखता हूँ और आप की पोती को मुझ से डर नहीं लगा।चाचा चाचा कह कर मुझे डाँट भी दिया। निडर हो कर जो कहना था कह भी दिया।अब देखो मेरा पूरा हुलिया ही बदल दिया।ऐसे ही वो डाकू रोज दुकान पर आता और ये कमल जो उस वक़्त सिर्फ़ 10 बरस की लड़की थी हर रोज डाकू चाचा को अपने गुरू की बाते और कहानियाँ सुनाने लगी, जो वो अपनी माँ से सुनती थी।सुना है कि कुछ देर के बाद उस डाकू ने लूट मार करना बंद कर अपनी छोटी सी कपड़े की दुकान लगा ली। कुछ वर्ष बाद इक कोड़ी गाँव के बाहर आ रहने लगा।लोगों ने उस रास्ते से आना जाना ही छोड़ दिया।जब कमल को पता चला तब वो 12 वर्ष की लड़की रही होंगी।घर वालों से छिपा कर उस कोड़ी को रोटी पानी दूध देने चली जाती।जब इनकी माँ को पता चला तो माँ से कमल को खूब डाँट पड़ी तो कमल कहने लगी! इस कोड़ी को हमारी ज़रूरत है।उसके बाद सब गाँव वाले खुद जा कर उस कोड़ी को रोटी दे कर आते है।ऐसी थी ,बडे दिल की मालकिन ,विशाल और सरल सहज तुम्हारी कमल आंटी। बड़ी हुई तो इक डाक्टर से शादी हो गई।फिर बताया कमल के संस्कार इतने शक्तिशाली हैं।बहुत नुक़सान देखा, दो जवाई गुजर गये पति भी गुज़र गये तो भी शुक्र करती और औरों को भी सांतवना देती।बात करते करते हम सब कमल आंटी के पास पहुँच गये।आज आंटी को देखने का मेरा नज़रिया बिल्कुल अलग था सामने से सूरज की किरणें उनके मुख पर पड़ने से मुख की लालिमा और भी ज़ोरों पर थी गार्गी की ममी ने उन्हें आवाज़ दी ।जैसे ही कमल आंटी ने आँखें खोली मुझे इक तेज प्रकाश का आभास हुआ।हमे देख कर इक दम से ख़ुश हो गई आंटी हमसे बातें करने लगी ।मैं उनके तेज को ही निहारे जा रही थी कितनी निर्मल ह्रदय है। इतना कुछ खोने के बाद भी इनकी शख़्सियत कितनी शक्तिशाली है। आंटी कमल इकदम उठी और गाड़ी की ओर चल पड़ी।मैं सोच रही कि ये औरत जिसे मैं इक आम इंसान समझती थी।क्या पता था कि इनके अन्दर भी इतनी उलझनों हो सकती हैं जो कभी वो ज़ाहिर नहीं करती। मैंने भी महसूस किया वाक़ई में ये सुलझी हुई औरत है जो भी मिला उसे सहर्ष स्वीकार किया और उलझा सा था कोई दूसरा उनमें।जो उनका गुरू ही था। जिस की ताक़त से वो जीवन जी रही थी। दोस्तों उलझने सब पर आती है उनको सुलझाना कैसे हैं। कमल आंटी इक उधारण है, ये बुज़ुर्ग हमारे समाज के लिये वरदान की तरह होते है इनसे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।हमें इन्हें आभार प्रकट करना चाहिए। दोस्तों इस कहानी की नायिका कोई और नही बल्कि “मेरी माँ “ही है।जो आज होमियोपैथी डाक्टर है~स्मिता
एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज की एन एस एस इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर के दूसरे दिन महिलाओं एवम बच्चों को योगासन और प्राणायाम की विभिन्न मुद्राओं का अभ्यास कराया गया
कानपुर 27 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज की एन एस एस इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र का शुभारंभ एन एस एस प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर के द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर किया गया। स्वयं सेविकाओं ने प्रार्थना ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ से सत्र की शुरुआत की। डॉ अंजना गुप्ता ने शिविर में उपस्थित सभी महिलाओं एवम बच्चों को योगासन और प्राणायाम की विभिन्न मुद्राओं का अभ्यास करवाते हुए उनसे संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारियां भी साझा की जैसे कि याददाश्त तेज करने, तनावमुक्त रहने में कौन से योगासन की महती भूमिका है? स्वयं सेविकाओं ने ग्रामीण बच्चों को कविताएं याद करवाईं, गणित के सवाल हल करवाये तथा विज्ञान की जानकारी प्रदान की। सभी बच्चों ने शिविर में मनोरंजक गतिविधियों जैसे नृत्य, संगीत आदि में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। प्रथम सत्र के अंत में स्वयं सेविकाओं ने कैंप में उपस्थित बच्चों में टॉफी का वितरण किया। शिविर का प्रथम सत्र काफी ऊर्जावान एवम रोचक रहा।शिविर के द्वितीय सत्र के आरंभ में डॉ प्रीति सिंह ने आरोग्य भारती संस्थान कानपुर के जिला अध्यक्ष डॉ बी एन आचार्य जी का परिचय शिविर से करवाया। स्वयं सेविकाओं ने गांव में ही उपलब्ध पत्तियों एवम फूलों से पुष्प गुच्छ बनाकर अथिति को भेंट किया । डॉ बी एन आचार्य ने ‘स्वस्थ जीवन शैली व संतुलित जीवन’ विषय पर व्याख्यान दिया तथा ग्रामीण महिलाओं एवम बच्चों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया। डॉक्टर साहब ने शिविर में लगभग 50 ग्रामीण महिलाओं व बच्चों का चिकित्सकीय परीक्षण करते हुए उनकी स्वास्थ्य समस्याओं का उचित समाधान किया। एन एस एस प्रोग्राम ऑफिसर डॉ चित्रा सिंह तोमर ने डॉ बी एन आचार्य जी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए द्वितीय सत्र का समापन किया। सत्र के अंत में स्वयं सेविकाओं ने शिविर में फल वितरण किया। इस अवसर पर डॉ प्रीति सिंह, डॉ अनामिका राजपूत, श्रीमती चेतना त्रिपाठी ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया।
Read More »मण्डलीय सूक्ष्म एवं लघु उद्यम फैसिलिटेशन काउंसिल की बैठक संपन्न
कानपुर 27 मार्च (सू. वि.)मण्डलीय सूक्ष्म एवं लघु उद्यम फैसिलिटेशन काउंसिल की बैठक आज दिनांकः 26.03.2022 को डा० राज शेखर मण्डलायुक्त ⁄ चेयरमैन की अध्यक्षता में उनके शिविर कार्यालय में आहूत की गई है, बैठक में काउंसिल के अन्य सदस्य श्री हरेन्द्र मूरजानी‚ श्री तरूण कुमार खेतरपाल‚ श्री ए० के० वर्मा‚ अग्रणी जिला प्रबन्धक तथा श्री सर्वेश्वर शुक्ला संयुक्त आयुक्त उद्योग उपस्थित रहे। बैठक में 08 नए सन्दर्भ पंजीकृत किए जाने हेतु प्रस्तुत किए गए‚ जिन्हें काउंसिल द्वारा विचारोपरांत पंजीकृत किए जाने का निर्णय दिया गया ।
उपरोक्त के अतिरिक्त सुलह–समझौता हेतु प्रस्तुत 28 सन्दर्भो में से 05 प्रकरणों में (मेसर्स श्रीवास्तवा इन्फ्रा एसोसिएट्स कानपुर बनाम मेसर्स कानपुर फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स कानपुर , मेसर्स चांसलर इस्टेट प्रा०लि० कानपुर बनाम कानपुर फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स, मेसर्स एम्० एल० ए० कानपुर बनाम जोया डाइंग एंड फिनिशिंग कानपुर , मेसर्स एसोसिएटेड केमिकल इंडस्ट्रीज कानपुर बनाम मेसर्स सुप्रीम टैनिंग कानपुर के दो प्रकरणों में सुलह-समझौता हुआ। सुलह-समझौते के अन्तर्गत आवेदकों को विपक्षियों से लगभग रू० 90,00,000 ⁄– का भुगतान दिलाया गया । आवेदक इकायों द्वारा फैसिलिटेशन काउंसिल को धन्यवाद दिया गया । जिन प्रकरणों में प्रतिवादियों द्वारा नोटिस नहीं प्राप्त की जाती है, ऐसे प्रकरणों को पुलिस का सहयोग लेते हुए सम्बंधित थानाध्यक्ष के माध्यम से अंतिम नोटिस तामिल कराये जाने का निर्णय लिया गया । उक्त के अतिरिक्त आर्बिट्रेशन से सम्बंधित 25 संदर्भो में केस टू केस सुनवाई की गई तथा विधिक् प्रक्रिया को द्रष्टिगत रखते हुए सुनवाई का एक और मौका दिया गया ।
अन्त में सभी सदस्यों को धन्यवाद देते हुए अध्यक्ष महोदय द्वारा काउंसिल की बैठक समाप्त किए जाने की घोषणा की गयी।
जिलाधिकारी द्वारा 11 शस्त्र लाइसेंस निरस्त
कानपुर 26 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने शस्त्र लाइसेंसों की सुनवाई करते हुए 11 शस्त्र लाइसेंसों को निरस्त किया। जिसमें तीन कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत , दो काकादेव थाना अंतर्गत ,एक शिवराजपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत ,एक किदवई नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत ,एक चमनगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत, एक फीलखाना थाना क्षेत्र अंतर्गत एवं एक विधनू थाना क्षेत्र अंतर्गत हुए। कुल 11 शस्त्र लाइसेंसों को निरस्त किया।
Read More »एस एन सेन बी वी पी जी कालेज कानपुर की एन एस एस इकाई सात दिविसीय शिविर आयोजित करेगी
कानपुर 25 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बी वी पी जी कानपुर की एन एस एस इकाई के तत्वाधान में सात दिविसीय शिविर (दिनांक 25/03/2022 से 31/03/2022 तक) का शुभारंभ प्राचार्या डॉ निशा अग्रवाल एवम एन एस एस इकाई प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर के द्वारा काकोरी ग्राम में मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। शिविर के प्रथम दिन उदघाटन सत्र में प्राचार्या जी के द्वारा शिविर के महत्त्व की ग्रामीण महिलाओं के जीवन में उपयोगिता पर प्रेरक वक्तव्य दिया गया। एन एस एस प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर ने सात दिविसीय शिविर की रूपरेखा पर सारगर्भित प्रकाश डाला। डॉ प्रीति सिंह एवम डॉ अंजना गुप्ता ने शिविर में ग्रामीण महिलाओं से जीवन उपयोगी विषयों पर सार्थक चर्चा की। स्मृतियों को छाया चित्रों में संजोने का कार्य श्रीमती चेतना त्रिपाठी के द्वारा किया गया। शिविर के द्वितीय सत्र में एन एस एस स्वयं सेविकाओं ने ग्रामीण बच्चों के साथ मिलकर विभिन्न प्रकार की शैक्षिक एवम सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जिसमें सभी बच्चों ने बढ़ चढ़ कर सहभागिता की। आज का विशेष आकर्षण काकोरी ग्राम की नन्ही परी कुमारी सिद्धि वर्मा रहीं जिन्होंने हर गतिविधि में उत्साहपूर्वक प्रतिभागिता की। अंत में फल वितरण के द्वारा शिविर के प्रथम दिन का सफल समापन किया गया।
Read More »राष्ट्रपति आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह-I में वर्ष 2022 के लिये पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री पुरस्कार प्रदान करेंगे
(PIB) राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह- I में वर्ष 2022 के लिये पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री पुरस्कार प्रदान करेंगे। आज के अलंकरण समारोह में जिन प्रमुख लोगों को पद्म विभूषण पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे, उनमें श्री राधे श्याम और जनरल बिपिन रावत (मरणोपरान्त) शामिल हैं। इनके अलावा श्री गुलाम नबी आजाद, श्रीमती गुरमीत बावा (मरणोपरान्त), श्री एन. चंद्रशेखरन, श्री देवेन्द्र झाझरिया, श्री राशिद खान, श्री राजीव महर्षि, डॉ. सायरस पूनावाला और श्री सच्चिदानन्द स्वामी को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। नागरिक अलंकरण समारोह- II का आयोजन 28 मार्च को किया जायेगा।
ये पुरस्कार तीन श्रेणियों में प्रदान किये जाते हैं – पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री। विभिन्न विषयों/क्षेत्रों, जैसे कला, सामाजिक कार्य, जन कार्य, विज्ञान एवं अभियांत्रिकी, व्यापार एवं उद्योग, औषधि, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, नागरिक सेवा आदि के लिये पुरस्कारों को प्रदान किया जाता है। ‘पद्म विभूषण’ उत्कृष्ट और विशिष्ट सेवा के लिये; ‘पद्म भूषण’ उच्चस्तरीय विशिष्ट सेवा के लिये और ‘पद्मश्री’ किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिये दिये जाते हैं। पुरस्कारों की घोषणा प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है।
एक रस्मी समारोह में राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान करते हैं। समारोह का आयोजन राष्ट्रपति भवन में किया जाता है। इस वर्ष कुल 128 पद्म पुरस्कार दिये जा रहे हैं, जिनमें दो युग्म पुरस्कार (युग्म पुरस्कारों को एकल पुरस्कार गिना जाता है) शामिल हैं। पुरस्कृतों की सूची में चार पद्म विभूषण, 17 पद्म भूषण और 107 पद्मश्री पुरस्कार हैं। पुरस्कृतों में 34 महिलायें हैं। सूची में विदेशी/एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई वर्ग के 10 लोग शामिल हैं। इनके अलावा 13 लोगों को मरणोपरान्त पुरस्कार दिये जायेंगे।
Read More »1 फरवरी से 11 मार्च, 2022 तक लगभग 22,500 भारतीय यूक्रेन से भारत लौटे हैं
(PIB) 1 फरवरी से 11 मार्च, 2022 तक लगभग 22,500 भारतीय नागरिक यूक्रेन से भारत आए हैं। ऑपरेशन गंगा के तहत 90 निकासी उड़ानों का संचालन किया गया, जिनमें भारतीय वायु सेना की 14 उड़ानें भी शामिल हैं।
सरकार ने निकासी उड़ानों के संचालन के लिए भारतीय एयरलाइनों के साथ तालमेल किया था। छह निजी एयरलाइनों अर्थात् एयर एशिया, एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, गो फर्स्ट, इंडिगो और स्पाइसजेट ने ऑपरेशन गंगा के तहत चार्टर्ड सेवाओं का संचालन किया।
सरकार ने यूक्रेन से सटे देशों- रोमानिया, हंगरी, पोलैंड और स्लोवाकिया से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा के तहत छह निजी एयरलाइनों- एयर एशिया, एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, गो फर्स्ट, इंडिगो और स्पाइसजेट के साथ तालमेल किया है।
एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस दोनों ने मिलकर ऑपरेशन गंगा के तहत 23 निकासी उड़ानें संचालित की हैं। ऑपरेशन गंगा के तहत संचालित की गई सभी हवाई उड़ानों का किराया पूरी तरह से भारत सरकार ने वहन किया है।
यह जानकारी नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
Read More »होली में गुझिया क्यों?
होली रंगों का त्योहार सिर्फ नाम से ही आंखों के आगे गुलाल तैर जाता है। मौसम में भी त्यौहार की मिठास घुल जाती है। अनेक व्यंजनों के साथ-साथ गुझिया का विशेष स्थान रखता है। कभी सोचा है कि होली में गुझिया क्यों बनाई जाती है और इसकी शुरुआत कब हुई? कहा जाता है कि “गुझिया नहीं खाई तो होली क्या मनाई”। होली में गुझिया बनाने का चलन सदियों पुराना है। ऐसा माना जाता है कि होली में सबसे पहले ब्रज में भगवान कृष्ण को इस मिठाई का भोग लगाया जाता है और विशेष रूप से यह व्यंजन होली में ही बनाया जाता है इसका चलन भी ब्रज से ही शुरू हुआ। वैसे यह मध्यकालीन व्यंजन है जो मुगल काल में शुरू हुआ और कालांतर में त्योहारों की मिठाई बन गई।
मिठाई का सबसे पहला जिक्र तेरहवीं शताब्दी में एक ऐसे व्यंजन के रूप में आता है जिसमें गुड़ और आटे के पतले खोल में भरकर धूप में सुखाकर बनाया गया था और यह प्राचीन काल की स्वादिष्ट मिठाइयों में से थी लेकिन जब आधुनिक गुझिया की बात आती है तब इसे सबसे पहली बार सत्रहवीं सदी में बनाया गया था। गुझिया के बारे में ऐसा भी माना जाता है कि सबसे पहली बार उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में इसे बनाया गया था और वही से राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और अन्य प्रदेशों में यह प्रचलित हो गई।
कई जगह ऐसा भी कहा गया है कि भारत में समोसे की शुरुआत के साथ ही गुझिया भी भारत में आई और यहां की खास व्यंजनों में से एक बन गई। गुजिया और गुझिया दोनों में बड़ा अंतर है। अक्सर लोगों को इस मिठाई के दो नाम लेते हुए सुना होगा। गुजिया और गुझिया दोनों के बनाने की विधि भी अलग अलग है। वैसे तो दोनों ही मिठाइयों में भी मैदे के पतले खोल के अंदर खोया, सूजी या ड्राई फ्रूट्स का भरावन होता है और इसका स्वाद भी जरा अलग होता है।
दरअसल जब आप गुजिया की बात करते हैं तब इसे मैदे के अंदर खोया भरकर बनाया जाता है, लेकिन जब आप गुझिया के बारे में बताते हैं तब इसमें मैदे की कोटिंग के ऊपर चीनी की चाशनी भी डाली जाती है। अर्धचंद्राकार जैसी दिखने वाली जिसे पकवानों की रानी भी कहा जाता है। गुझिया जिसे दोनों ही मिठाइयां अपने -अपने स्वाद के अनुसार पसंद की जाती हैं। इस स्वादिष्ट मिठाई को देशभर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जहां महाराष्ट्र में इसे करंजी कहा जाता है वहीं गुजरात में इसे घुघरा कहा जाता है, बिहार में इस मिठाई को पेड़किया नाम दिया गया है वहीं उत्तर भारत में से गुजिया और गुझिया नाम से जानी जाती है।
गुजिया के इतिहास में एक दिलचस्प बात ये सामने आती है कि एक समय ऐसा था जब औरतें गुजिया बनाने के लिए काफी दिनों पहले से ही अपने नाखून बढ़ाया करती थीं। तब औरतों का मानना था कि बढ़े हुए नाखूनों से गुजिया को आसानी से गोंठकर सही आकार दिया जा सकता है। पारंपरिक रूप से इसे हाथों से गोठ कर ही बनाया जाता था लेकिन अब इसे बनाने के लिये बाजार में सांचे उपलब्ध है। ~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी