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“राजमाता अहिल्याबाई होल्कर की विरासत देश को न्याय, सेवा और सशक्तिकरण के मूल्यों से प्रेरित करती रहेगी” – जयंत चौधरी

राजमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में इंदौर स्थित राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (महिला) में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर पर केन्द्रीय कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयन्त चौधरी ने एक विशेष संदेश भेजा, जिसे महानिदेशक (प्रशिक्षण) त्रिशलजीत सेठी द्वारा पढ़ा गया।

कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयन्त चौधरी ने अपने संदेश में कहा, “राजमाता अहिल्याबाई होलकर की विरासत आज भी राष्ट्र को सेवा, न्याय और महिला सशक्तिकरण के मूल्यों से प्रेरित कर रही है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और दूरदृष्टि से नेतृत्व की नई परिभाषा गढ़ी जा सकती है। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय की हर पहल, चाहे वह एनएसटीआई, पीएमकेवीवाई, निस्बड या स्किल इंडिया डिजिटल हब हो, सभी का उद्देश्य महिलाओं को बेहतर अवसर, प्लेटफॉर्म और मार्गदर्शन देना है।” जयन्त चौधरी ने यह भी उल्लेख किया कि हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राजमाता अहिल्याबाई के नाम पर एक विशेष कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम को स्वीकृति दी गई है, जो उनके विचारों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह आयोजन भारत सरकार के “कुशल नारी, सशक्त भारत” के विज़न को साकार करता है। जब एक महिला आर्थिक रूप से सक्षम होती है तो न केवल उसका आत्म-सम्मान बढ़ता है, बल्कि उसका सामाजिक और आर्थिक विकास में भी योगदान अधिक होता है।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंदौर के लोकसभा सांसद शंकर लालवानी ने अपने संबोधन में कहा, “राजमाता अहिल्याबाई होल्कर का जीवन सेवा, न्याय और नारी गरिमा की एक प्रेरणादायक मिसाल है। आज जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में नारी शक्ति के सशक्तिकरण के लिए अनेक ऐतिहासिक कदम उठाए जा रहे हैं—चाहे वह बेटियों की शिक्षा हो, कौशल प्रशिक्षण हो या महिला उद्यमिता को बढ़ावा देना—तो यह अहसास होता है कि राजमाता की विरासत आज जन-जन के जीवन में जीवंत हो रही है। ग्रामीण और सामान्य पृष्ठभूमि की महिलाएं जब हुनर के ज़रिए आत्मनिर्भर बनती हैं, तो यह ‘उद्यमिता से आत्मनिर्भरता’ की वही भावना है, जिसकी नींव राजमाता ने अपने शासन में डाली थी।”

कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय की विशेष सचिव और प्रशिक्षण महानिदेशालय की महानिदेशक श्रीमती त्रिशलजीत सेठी ने कहा, “यह अत्यंत प्रतीकात्मक है कि आज उनके 300वीं जयंती पर यह आयोजन राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (महिला), इंदौर में हो रहा है—एक ऐसा संस्थान जो महिला सशक्तिकरण और कौशल विकास की दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम—प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, जन शिक्षण संस्थान, निस्बड और एनएसटीआई के माध्यम से—हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हर महिला को तकनीकी प्रशिक्षण, उद्यमिता के अवसर और टिकाऊ आजीविका का मार्ग मिल सके। आज जिन महिलाओं ने अपनी यात्रा साझा की है, वे स्वयं राजमाता की विरासत की जीवंत मिसाल हैं। जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा है—’माता अहिल्याबाई राष्ट्र निर्माण में हमारी नारी शक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं।’ उनकी प्रेरणा हमारे हर प्रयास की दिशा तय करती है।”

कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय की संयुक्त सचिव हेना उस्मान ने अपने संबोधन में कहा, “राजमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती समारोह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम न केवल उनके अतुलनीय योगदान का सम्मान है बल्कि उनके आदर्शों से प्रेरणा लेकर हम एक ऐसे भारत का निर्माण करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं जो समावेशी, कुशल और उद्यमशील हो। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय अपने स्वायत्त संस्थानों जैसे निस्बड और आईआईई के माध्यम से उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए एक इको-सिस्टम तैयार कर रहा है, जिसमें उद्यमी सोच और क्षमताओं का निर्माण तथा उद्यमों को विकसित करना शामिल है। इतना ही नहीं, निस्बड द्वारा मध्यप्रदेश में संकल्प, स्ट्राइव, पीएम जनमन, पीएम स्वनिधि तथा पीएम सूर्य घर निशुल्क बिजली योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं के द्वारा 22 हजार से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया है, जिनमें से 2400 से अधिक उद्यम रजिस्ट्रेशन स्थापित हुए हैं और लगभग 2800 रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं।”

इस कार्यक्रम के अवसर पर एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), प्रधानमंत्री विश्‍वकर्मा योजना, जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस), राष्ट्रीय उद्यमिता और लघु व्यवसाय विकास संस्थान (निस्बड) और एनएसटीआई (महिला) से जुड़ी महिलाओं ने अपने उत्पादों, हस्तकला और प्रशिक्षण की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया। इस कार्यक्रम में अनेक महिलाओं ने मंच से अपने अनुभव साझा किए, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण और साधारण सामाजिक पृष्ठभूमि से थीं।

राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (महिला), इंदौर में कार्यक्रम की शुरुआत सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ हुई और इसका समापन स्टॉल प्रदर्शनी के साथ हुआ। इस आयोजन ने “कुशल नारी-सशक्त भारत” के मंत्र को मूर्त रूप देते हुए राजमाता की प्रेरणा को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया है।