इसके अतिरिक्त, गन्ना किसानों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से सरकार ने यह भी निर्णय किया है कि उन चीनी मिलों के मामलों में कोई कटौती नहीं होगी जहां रिकवरी 9.5 प्रतिशत से कम है। ऐसे किसानों को चालू चीनी सीजन 2022-23 में 282.125 रुपये प्रति क्विंटल के स्थान पर आगामी चीनी सीजन 2023-24 में गन्ने के लिए 291.975 रुपये प्रति क्विंटल प्राप्त होंगे।
चीनी सीजन 2023-24 के लिए गन्ने के उत्पादन की लागत 157 रुपये प्रति क्विंटल है। 315 रुपये प्रति क्विंटल की रिकवरी दर पर यह एफआरपी उत्पादन लागत से 100.06 प्रतिशत से अधिक है। चीनी सीजन 2023-24 के लिए एफआरपी वर्तमान चीनी सीजन 2022-23 की तुलना में 3.28 प्रतिशत अधिक है।
मंजूरी की गई एफआरपी चीनी मिलों द्वारा चीनी सीजन 2023-24 ( 1 अक्टूबर, 2023 से आरंभ ) में किसानों से गन्ने की खरीद के लिए लागू होगी। चीनी सेक्टर एक महत्वपूर्ण कृषि- आधारित सेक्टर है जो लगभग 5 करोड़ गन्ना किसानों की आजीविका को और उनके आश्रितों तथा चीनी मिलों में प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत लगभग 5 लाख श्रमिकों के अतिरिक्त कृषि श्रमिकों एवं परिवहन सहित विभिन्न सहायक कार्यकलापों से जुटे लोगों को प्रभावित करता है।
एफआरपी का निर्धारण कृषि लागत और मूल्य आयोग ( सीएसीपी ) की अनुशंसाओं के आधार पर और राज्य सरकारों तथा अन्य हितधारकों के साथ परामर्शकरने के बाद किया गया था। चीनी सीजन 2013-14 के बाद से सरकार द्वारा घोषित एफआरपी के विरण इस प्रकार हैं :
पृष्ठभूमि :
वर्तमान चीनी सीजन 2022-23 में, चीनी मिलों द्वारा 1,11,366 करोड़ रुपये के मूल्य लगभग 3,353 लाख टन गन्ने की खरीद की गई जो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की फसल की खरीद के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। सरकार अपने किसान- हितैषी कदमों के माध्यम से यह सुनिश्चित करेगी कि गन्ना किसानों को उनका बकाया राशि समय पर प्राप्त हो जाए।
पिछले पांच वर्षों में जैव ईंध क्षेत्र के रूप में इथेनौल के विकास ने गन्ना किसानों और चीनी सेक्टर की भरपूर सहायता की है क्योंकि गन्ने/चीनी को इथेनौल में बदलने से भुगतान में तेजी आई है, कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं में कमी आई है तथा मिलों के पास कम अधिशेष चीनी की वजह से फंडों की रुकावट कम हुई है जिससे अब वे किसानों के गन्ने बकाया का समय पर भुगतान करने में सक्षम हो गई हैं। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान, लगभग 20,500 करोड़ रुपये का राजस्व चीनी मिलों/डिस्टिलरियों द्वारा सृजित किया गया है जिसने उन्हें किसानों के गन्ने बकाया का भुगतान करने में सक्षम बनाया है।
पेट्रोल के साथ मिश्रित इथेनौल ( ईबीपी ) कार्यक्रम ने विदेशी मुद्रा की बचत करने के साथ साथ देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी सुदृढ़ बनाया है और आयातित फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता कम कर दी है जिससे पेट्रोलियम सेक्टर में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को अर्जित करने में मदद मिली है। 2025 तक, 60 एलएमटी से अधिक अतिरिक्त चीनी को इथेनौल में बदलने का लक्ष्य है जिससे चीनी की उच्च इनवेंटरी की समस्या का समाधान होगा, मिलों की तरलता में सुधार होगा जिससे किसानों के गन्ना बकाया का समय पर भुगतान करने में सहायता मिलेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवर भी सृजित होंगे। पेट्रोल के साथ इथेनौल के उपयोग से प्रदूषण में कमी आएगी और वायु की गुणवत्ता में सुधार आएगा।
सरकार की सक्रिय और किसान हितैषी नीतियों के कारण किसानों, उपभोक्ताओं के साथ साथ चीनी क्षेत्र में काम कर रहे श्रमिकों के हितों को भी बढ़ावा मिला है और चीनी को किफायती बनाने के द्वारा पांच करोड़ से अधिक प्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों और सभी उपभोक्ताओं की आजीविका में सुधार हुआ है। सरकार की सक्रिय नीतियों के फलस्वरूप, चीनी सेक्टर अब आत्म निर्भर बन गया है।
भारत अब वैश्विक चीनी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि यह विश्व में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। चीनी सीजन 2021-22 में, भारत चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक देश भी बन गया है। ऐसी उम्मीद की जाती है कि भारत वित्त वर्ष 2025-26 तक विश्व में तीसरा सबसे बड़ा इथेनौल उत्पादक देश बन जाएगा।