भारतीय स्वरूप संवाददाता, सी. एस. जे. एम यूनिवर्सिटी में अंतरमहाविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता 2023 का आयोजन किया गया जिसमे क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज के छात्र एवं छात्राओं ने भाग लिया. जिसमे शॉट पुट एवं जेवेलीन थ्रो( पुरुष) वर्ग में आयुष बर्धंन ने स्वर्ण एवं रजत पदक प्राप्त किया , 100 मीटर महिला स्पर्धा मे क्राइस्ट चर्च कॉलेज की शैली ने रजत पदक, एवं ज़ोया ने कांस्य पदक प्राप्त किया, 200 मीटर स्पर्धा में ज़ोया ने रजत पदक एवं अलीशा ने कांस्य पदक प्राप्त किया। 100×4 रिले रेस मे क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज ने कांस्य पदक प्राप्त किया।
क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज के प्राचार्य एवं मुख्य संरक्षक प्रो. जोज़ेफ डेनियल ने सभी विजेताओं को कॉलेज में बुलाकर विजेताओं का स्वागत किया। उक्त अवसर पर कॉलेज के शारीरिक शिक्षा शिक्षक डॉ आशीष कुमार दुबे, प्रो. सत्य प्रकाश सिंह, डॉ हिमांशु , एवं एथलेटिक्स कोच डोंडियाल जी उपस्थित रहे। सभी ने विजेताओं को बधाई देकर उनका स्वागत किया।
मरीजों और डॉक्टरों नर्सों के अनुपात पर ताज़ा जानकारी
सरकार ने देश में डॉक्टरों की उपलब्धता को और बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें ये कदम शामिल हैं:
- जिला / रेफरल अस्पताल को अपग्रेड करके नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए केंद्र प्रायोजित योजना, जिसके अंतर्गत अनुमोदित 157 नए मेडिकल कॉलेजों में से 108 कॉलेज शुरू हो चुके हैं।
- एमबीबीएस और पीजी सीटें बढ़ाने के लिए मौजूदा राज्य सरकार / केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों के सुदृढ़ीकरण / उन्नयन के लिए केंद्र प्रायोजित योजना।
- प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) की “सुपर स्पेशलिटी ब्लॉकों के निर्माण द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेजों के उन्नयन” की योजना के अंतर्गत कुल 75 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 64 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
- नए एम्स की स्थापना के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना के अंतर्गत 22 एम्स को मंजूरी दी गई है। इनमें से 19 में स्नातक पाठ्यक्रम शुरू हो गए हैं।
- मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए संकाय, कर्मचारियों, बिस्तरों की संख्या और अन्य बुनियादी ढांचे की ज़रूरत के संदर्भ में मानकों में छूट।
- संकाय की कमी को पूरा करने के लिए संकाय के रूप में नियुक्ति के लिए डीएनबी योग्यता को मान्यता दी गई है।
- मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों / डीन / प्रिंसिपल / निदेशक के पदों पर नियुक्ति / विस्तार / पुनर्रोजगार के लिए आयु सीमा को 70 वर्ष तक बढ़ाया गया।
सरकार ने देश में नर्सों की संख्या बढ़ाने के लिए भी निम्नांकित कदम उठाए हैं:
- “मौजूदा जिला / रेफरल अस्पताल से जुड़े नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना” के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के अंतर्गत 2014 से 157 मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। 2023-24 के बजट भाषण में इन मेडिकल कॉलेजों में 157 नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना की घोषणा की गई है।
- नर्सिंग शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए छात्र रोगी अनुपात को 1:5 से घटाकर 1:3 कर दिया गया है।
- नर्सिंग शिक्षण संस्थानों के लिए छात्रावास सहित नर्सिंग स्कूल / कॉलेज के लिए 54,000 वर्ग फुट की इमारत बनाने के लिए 3 एकड़ भूमि की आवश्यकता में छूट दी गई है।
- जीएनएम और बीएससी (नर्सिंग) कार्यक्रम शुरू करने के लिए 2013-2014 से 100 बिस्तरों वाला मूल अस्पताल आवश्यक है। हालांकि, पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों के लिए इसमें छूट दी गई है।
- बीएससी (एन) कार्यक्रम शुरू करने के लिए शिक्षण संकाय को मानदंडों में ढील दी गई।
- बीएससी (एन) / जीएनएम कार्यक्रमों के लिए उन संस्थानों को अधिकतम 100 सीटें दी जाएंगी, जिनके पास 300 बिस्तरों वाला मूल अस्पताल है और मेडिकल कॉलेज का आग्रह नहीं रखा जाएगा।
- स्कूल से अस्पताल की दूरी में छूट दी गई है।
- नर्सिंग कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए पात्रता मानदंड में ढील दी गई।
जैसा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा सूचित किया गया है – जून, 2022 तक राज्य चिकित्सा परिषदों और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) में 13,08,009 एलोपैथिक डॉक्टर पंजीकृत हैं। पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टरों की 80% और आयुष डॉक्टरों की 5.65 लाख की उपलब्धता मानते हुए देश में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:834 का है। इसके अलावा, दिसंबर, 2022 तक देश में 36.14 लाख नर्सिंग कर्मी थे। नर्सिंग कर्मियों की 80% उपलब्धता मानते हुए नर्स-जनसंख्या अनुपात 1:476 का है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
अनुलग्नक- I
जून, 2022 तक मान्यता प्राप्त चिकित्सा योग्यता रखने वाले और राज्य चिकित्सा परिषदों / पूर्ववर्ती भारतीय चिकित्सा परिषद / राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के यहां पंजीकृत डॉक्टरों की राज्य / केंद्र शासित प्रदेश वार सूची
क्र. सं. | राज्य चिकित्सा परिषद का नाम | एलोपैथिक डॉक्टरों की कुल संख्या |
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आंध्र प्रदेश मेडिकल काउंसिल | 105799 |
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अरुणाचल प्रदेश मेडिकल काउंसिल | 1461 |
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असम मेडिकल काउंसिल | 25561 |
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बिहार मेडिकल काउंसिल | 48192 |
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छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल | 10020 |
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दिल्ली मेडिकल काउंसिल | 30817 |
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गोवा मेडिकल काउंसिल | 4035 |
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गुजरात मेडिकल काउंसिल | 72406 |
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हरियाणा मेडिकल काउंसिल | 15687 |
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हिमाचल प्रदेश मेडिकल काउंसिल | 5038 |
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जम्मू और कश्मीर मेडिकल काउंसिल | 17574 |
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झारखंड मेडिकल काउंसिल | 7374 |
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कर्नाटक मेडिकल काउंसिल | 134426 |
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मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल | 42596 |
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महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल | 188545 |
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भारतीय पूर्व चिकित्सा परिषद | 52669 |
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मिजोरम मेडिकल काउंसिल | 156 |
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नागालैंड मेडिकल काउंसिल | 141 |
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उड़ीसा काउंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्रेशन | 26924 |
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पंजाब मेडिकल काउंसिल | 51689 |
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राजस्थान मेडिकल काउंसिल | 48232 |
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सिक्किम मेडिकल काउंसिल | 1501 |
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तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल | 148217 |
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त्रावणकोर मेडिकल काउंसिल | 72999 |
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उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल | 89287 |
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उत्तरांचल मेडिकल काउंसिल | 10243 |
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पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल | 78740 |
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त्रिपुरा मेडिकल काउंसिल | 2681 |
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तेलंगाना मेडिकल काउंसिल | 14999 |
कुल योग | 1308009 |
स्रोत: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग
टिप्पणी:- तत्कालीन एमसीआई ने 2015 से रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया था।
अनुलग्नक-I
31.12.2022 तक प्रशिक्षित नर्सों की राज्य / केंद्र शासित प्रदेश वार संख्या
क्र.सं. | राज्य | एएनएम | आरएन और आरएम |
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आंध्र प्रदेश | 140072 | 273430 |
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अरुणाचल प्रदेश | 8147 | 9070 |
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असम | 30174 | 28599 |
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बिहार | 19499 | 26421 |
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छत्तीसगढ़ | 15213 | 35052 |
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दिल्ली | 5404 | 85001 |
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गोवा | 424 | 1546 |
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गुजरात | 57731 | 151108 |
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हरियाणा | 31989 | 41518 |
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हिमाचल प्रदेश | 12007 | 26611 |
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झारखंड | 10900 | 6773 |
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कर्नाटक | 54039 | 231643 |
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केरल | 31646 | 329492 |
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मध्य प्रदेश | 39563 | 118793 |
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महाराष्ट्र | 86426 | 162205 |
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मेघालय | 2339 | 10626 |
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मणिपुर | 4361 | 12136 |
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मिजोरम | 2570 | 5282 |
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ओडिशा | 75137 | 91157 |
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पंजाब | 23029 | 76680 |
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राजस्थान | 110443 | 209554 |
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तमिलनाडु | 64012 | 348538 |
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त्रिपुरा | 2954 | 8699 |
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उत्तर प्रदेश | 75671 | 111860 |
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उत्तराखंड | 9779 | 16947 |
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पश्चिम बंगाल | 69709 | 76318 |
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तेलंगाना | 10219 | 53314 |
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सिक्किम | 236 | 2508 |
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नागालैंड | 1477 | 1536 |
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जम्मू और कश्मीर | 5264 | 3999 |
स्रोत: संबंधित राज्य नर्स पंजीकरण परिषद
एएनएम: सहायक नर्स मिडवाइफ
आरएन और आरएम: पंजीकृत नर्स और पंजीकृत मिडवाइफ
भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक सहयोग दोनों देशों को हरित हाइड्रोजन इकोसिस्टम के विकास को बढ़ावा देने के लिए एक-दूसरे की क्षमताओं का लाभ उठाने में मदद कर सकता है: केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री
यह रणनीतिक सहयोग दोनों देशों के लिए फायदेमंद होने की उम्मीद है, क्योंकि वे अपने-अपने देशों के भीतर ग्रीन हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए एक-दूसरे की क्षमताओं का लाभ उठा सकते हैं।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय 4 जनवरी 2023 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को वित्तीय वर्ष 2023-24 से वित्तीय वर्ष 2029-30 तक 19,744 करोड़ के परिव्यय के साथ कार्यान्वित कर रहा है। 2022-23 के लिए संशोधित अनुमान. 1,00,000 रुपये था। वित्त वर्ष 2022-23 में कोई खर्च नहीं हुआ। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मिशन का व्यय अनुमान 100 करोड़ रुपए था जिसमें से अब तक 11 लाख रुपये का व्यय किया गया।
मिशन का व्यापक उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके यौगिकों के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है।
2030 तक मिशन के अपेक्षित परिणाम इस प्रकार हैं:
• भारत की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता प्रति वर्ष 5 एमएमटी तक पहुंचने की संभावना है, जिससे जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता में कमी आएगी। मिशन लक्ष्यों की प्राप्ति से 2030 तक संचयी रूप से 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य के जीवाश्म ईंधन आयात में कमी आने की उम्मीद है।
• इससे कुल निवेश में 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का लाभ होने और 6 लाख से अधिक नौकरियां पैदा होने की संभावना है।
• ग्रीन हाइड्रोजन की लक्षित मात्रा के उत्पादन और उपयोग के कारण प्रति वर्ष लगभग 50 एमएमटी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोकने की उम्मीद है।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन में निम्न-कार्बन स्टील, आवागमन, शिपिंग और बंदरगाहों के लिए पायलट परियोजनाओं का समर्थन करने का प्रावधान है।
मिशन विशिष्ट चयनित परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए मिशन के विभिन्न उप-घटकों जैसे साइट, पायलट प्रोजेक्ट, आर एंड डी आदि के लिए आवंटन प्रदान करता है। मिशन के तहत कोई राज्य-वार आवंटन नहीं किया गया है।
मिशन के तहत विभिन्न वित्तीय और गैर-वित्तीय उपायों की घोषणा की गई है, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित भी शामिल हैं:
1. निर्यात और घरेलू उपयोग के माध्यम से मांग को बढ़ाना;
2. हरित हाइड्रोजन अंतरण (एसआईजीएचटी) कार्यक्रम के लिए रणनीतिक उपाय, जिसमें इलेक्ट्रोलाइज़र के निर्माण और हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन शामिल है;
3. हरित इस्पात, आवागमन, शिपिंग, विकेन्द्रीकृत ऊर्जा अनुप्रयोगों, बायोमास से हाइड्रोजन उत्पादन, हाइड्रोजन भंडारण, आदि के लिए पायलट परियोजनाएं;
4. हरित हाइड्रोजन हब का विकास;
5. बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सहयोग;
6. विनियमों और मानकों का एक मजबूत ढांचा स्थापित करना;
7. अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम;
8. कौशल विकास कार्यक्रम; और
9. जन जागरूकता एवं आउटरीच कार्यक्रम।
इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन और इसके यौगिकों के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित प्रावधानों की घोषणा की गई है:
• 31 दिसंबर 2030 से पहले शुरू की गई परियोजनाओं के लिए हरित हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के उत्पादकों को 25 साल की अवधि के लिए अंतर-राज्य ट्रांसमिशन शुल्क की छूट दी गई है।
• जून 2022 में अधिसूचित विद्युत (हरित ऊर्जा ओपन एक्सेस के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना) नियम, 2022 में हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए ओपन एक्सेस के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति की सुविधा के प्रावधान शामिल हैं।
• पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दिनांक 28 जुलाई 2023 की अधिसूचना के माध्यम से ग्रीन अमोनिया संयंत्रों को पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना 2006 के तहत पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी से छूट दे दी है।
ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांज़िशन (एसआईजीएचटी) कार्यक्रम के लिए रणनीतिक उपाय, 17,490 करोड़ के परिव्यय के साथ एक प्रमुख वित्तीय उपाय है। इस कार्यक्रम में इलेक्ट्रोलाइज़र के घरेलू विनिर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का समर्थन करने के लिए दो अलग-अलग वित्तीय प्रोत्साहन तंत्र शामिल हैं।
ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन (एसआईजीएचटी) योजना (मोड-1-ट्रेंच-I) के लिए रणनीतिक उपाय के तहत भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के लिए 450,000 टन की उत्पादन सुविधाएं स्थापित करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादकों के चयन के लिए, रिक्वेस्ट फॉर सेलेक्शन (आरएफएस) जारी किया गया है।
हरित हाइड्रोजन अंतरण (एसआईजीएचटी) योजना (मोड-1-ट्रेंच-I) के लिए रणनीतिक उपाय के तहत भारत में 1.5 जीडब्ल्यू वार्षिक इलेक्ट्रोलाइजर उत्पादन क्षमता के लिए इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माताओं (ईएम) के चयन के लिए रिक्वेस्ट फॉर सेलेक्शन (आरएफएस) जारी कर दिया गया है
प्रमुख चुनौतियों में ग्रे हाइड्रोजन की तुलना में हरित हाइड्रोजन की लागत में अंतर, भंडारण और परिवहन की उच्च लागत, स्थापित आपूर्ति श्रृंखलाओं की कमी, परीक्षण बुनियादी ढांचे की कमी आदि शामिल हैं।
हालाँकि, भारत के पास निम्नलिखित फायदे हैं जिनसे भारतीय उत्पादकों द्वारा प्रतिस्पर्धी दरों पर हरित हाइड्रोजन का उत्पादन संभव होने की उम्मीद है:
I. प्रतिस्पर्धी आरई टैरिफ, दुनिया में सबसे कम में से एक;
II. एकल एकीकृत ग्रिड जो आरई समृद्ध क्षेत्रों से उत्पादन स्थल तक आरई बिजली के हस्तांतरण को सक्षम बनाता है, जिससे ग्रीन हाइड्रोजन की परिवहन और भंडारण लागत कम हो जाती है।
यूरोपीय संघ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, जापान जैसे दुनिया भर के कई देशों/क्षेत्रों ने ग्रीन/क्लीन हाइड्रोजन और इसके यौगिकों का आयात करने के लिए अपनी नई रणनीतियों की घोषणा की है, जिससे भारतीय उत्पादकों के लिए एक अवसर प्रदान किया गया है।
यह जानकारी केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा तथा ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह ने आज, 12 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा में तीन अलग-अलग प्रश्नों के लिखित उत्तर में दी।
उड़ान योजना के अंतर्गत 9 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रम सहित 76 हवाई अड्डों को जोड़ने वाले 517 हवाई मार्ग शुरू किए गए
इस योजना के अंतर्गत प्रदान की जा रही रियायतें निम्नानुसार हैं:
हवाईअड्डा ऑपरेटर:
- हवाईअड्डा ऑपरेटर आरसीएस उड़ानों पर लैंडिंग और पार्किंग कर न लगाएं।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण आरसीएस उड़ानों पर कोई टर्मिनल नेविगेशन लैंडिंग शुल्क (टीएनएलसी) नहीं लगाएं।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा रूट नेविगेशन और सुविधा शुल्क (आरएनएफसी) आरसीएस उड़ानों पर सामान्य दरों के 42.50% पर रियायती आधार पर लगाया जाए।
- चयनित एयरलाइन प्रचालकों (एसएओ) ने सभी हवाईअड्डों पर इस योजना के अंतर्गत ऑपरेटरों को स्व-ग्राउंड हैंडलिंग की अनुमति दी है।
केंद्र सरकार:
- इस योजना की अधिसूचना जारी होने की तारीख से तीन वर्ष की प्रारंभिक अवधि के लिए आरसीएस हवाईअड्डों से एसएओ द्वारा खरीदे गए हवाई र्इंधन (एटीएफ) पर 2% की दर से उत्पाद शुल्क लगाया जाएगा।
- एसएओ को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइंस दोनों के साथ कोड साझाकरण व्यवस्था में प्रवेश करने की स्वतंत्रता है।
राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों के आरसीएस हवाई अड्डों पर:
- राज्यों में स्थित आरसीएस हवाईअड्डों पर एटीएफ पर वैट को 10 वर्षों की अवधि के लिए घटाकर 1 प्रतिशत या उससे कम करना।
- आरसीएस हवाई अड्डों के विकास के लिए अगर आवश्यक हो, तो न्यूनतम भूमि को निशुल्क और बाधाओं से मुक्त करना एवं आवश्यकतानुसार मल्टी-मॉडल भीतरी इलाकों को संपर्क प्रदान करना।
- आरसीएस हवाई अड्डों पर सुरक्षा और अग्निशमन सेवाएं मुफ्त प्रदान करना।
- आरसीएस हवाई अड्डों पर रियायती दरों पर बिजली, पानी और अन्य उपयोगिता सेवाएं प्रदान करना या उपलब्ध कराना।
इस योजना से अब तक 1.3 करोड़ से ज्यादा यात्री लाभान्वित हुए हैं।
यह जानकारी नागर विमानन राज्य मंत्री, जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
संस्कृति मंत्रालय ने मेरा गांव मेरी धरोहर परियोजना लांच की
- कला और शिल्प गांव
- पर्यावरणीय दृष्टि से उन्मुख गांव
- भारत की पाठ्य और शास्त्र सम्मत परंपराओं से जुड़ा शैक्षिक गांव
- रामायण, महाभारत और/या पौराणिक किंवदंतियों और मौखिक महाकाव्यों से जुड़ा महाकाव्य गांव
- स्थानीय और राष्ट्रीय इतिहास से जुड़ा ऐतिहासिक गांव
- वास्तुकला विरासत गांव
कोई अन्य विशेषता जिसे उजागर करने की आवश्यकता हो सकती है जैसे मछली पकड़ने का गांव, बागवानी गांव, चरवाहा गांव आदि।
यह जानकारी आज राज्यसभा मेंकेन्द्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने दी।
राष्ट्रपति ने लक्ष्मीपत सिंघानिया-आईआईएम लखनऊ राष्ट्रीय लीडरशीप पुरस्कार प्रदान किए
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की आपाधापी ने मानवता को नुकसान पहुंचाया है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गड़बड़ी उसी का परिणाम है। आज पूरा विश्व इस चुनौती से जूझ रहा है। लाभ अधिक से अधिक बढ़ाने की अवधारणा पश्चिमी संस्कृति का एक हिस्सा हो सकती है लेकिन भारतीय संस्कृति में इसे प्राथमिकता नहीं दी गई है। लेकिन भारतीय संस्कृति में उद्यमिता का स्थान प्रमुख है।
राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की कि हमारे युवा स्वरोजगार की संस्कृति को अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। भारत विश्व के सर्वश्रेष्ठ यूनिकॉर्न हब में शामिल है। यह हमारे देश के युवाओं के तकनीकी ज्ञान के अतिरिक्त उनके प्रबंधन कौशल और व्यावसायिक नेतृत्व का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारतीय युवा विश्व की अग्रणी तकनीकी कंपनियों का नेतृत्व भी कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें प्रबंधन शिक्षण संस्थानों की शिक्षा प्रणाली में कुछ परिवर्तन लाने होंगे ताकि देश का अधिक प्रभावी और समावेशी विकास हो सके। उन्होंने प्रबंधकों, शिक्षाविदों और संगठनात्मक प्रमुखों से भारतीय प्रबंधन अध्ययन को भारतीय कंपनियों, उपभोक्ताओं और समाज से जोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विदेश स्थित व्यवसायों पर केस स्टडी और लेखों के बजाय भारत स्थित भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर केस स्टडी लिखी और सिखाई जानी चाहिए। हमारे प्रबंधन संस्थानों को अपने शोध का फोकस भी भारत की पत्रिकाओं पर करना चाहिए। उन भारतीय पत्रिकाओं पर विशेष फोकस किया जाना चाहिए जो ओपन एक्सेस डोमेन में हैं और जो देश के विभिन्न हिस्सों में पढ़ने वाले सभी श्रेणी के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए सुलभ हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हाल में उत्तराखंड में सिल्कयारा सुरंग से जिस तरह 41 श्रमिकों को निकाला गया है, उसकी न केवल सराहना हो रही है, बल्कि इस पर नेतृत्व अध्ययन की भी बात की जा रही है। यह एक बहुत अच्छा और जीवंत विषय है, विशेषकर संकट में नेतृत्व और टीमवर्क के लिए।
राष्ट्रपति ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में कहा कि अनेक लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी खोने के बारे में भी चिंतित हैं। उन्होंने आग्रह किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सभी पक्षों को प्रबंधन शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जानता है और इसका सही इस्तेमाल करता है उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी खोने का भय नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईआईएम लखनऊ जैसे संस्थानों को भी अमृत काल में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम बनाना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में गरबा नृत्य को शामिल किए जाने की सराहना की
प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया;
“गरबा जीवन, एकता और हमारी गहन परंपराओं का उत्सव है। यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में इसका शिलालेख विश्व के समक्ष भारतीय संस्कृति के सौंदर्य को दर्शाता है। यह सम्मान हमें भावी पीढ़ियों के लिए अपनी विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। इसके लिए बधाई वैश्विक स्वीकृति।”
30 सितंबर 2023 तक पिछले पांच वर्षों में 2,94,115 रिक्तियां भरी गईं
यह जानकारी केंद्रीय रेलवे, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
रक्षा मंत्रालय ने डिजिटल कोस्ट गार्ड परियोजना के लिए टेलीकम्युनिकेशंस कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड के साथ 588.68 करोड़ रुपये का अनुबंध किया
भारतीय तट रक्षक (आईसीजी) के लिए एक महत्वपूर्ण पहल, डीसीजी परियोजना तकनीकी प्रगति की एक व्यापक गाथा प्रस्तुत करेगी, जिसमें एक उन्नत डेटा सेंटर का निर्माण, एक मजबूत आपदा रिकवरी डेटा सेंटर की स्थापना, आईसीजी साइटों पर कनेक्टिविटी का विस्तार और ईआरपी प्रणाली का विकास शामिल है। यह परियोजना सुरक्षित एमपीएलएस/वीएसएटी कनेक्टिविटी का भी लाभ उठाती है, जो स्वयं को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी में सबसे आगे ले जाती है।
डीसीजी परियोजना नवीनतम तकनीकी क्षमताओं से लैस टियर-III मानक डेटा सेंटर की स्थापना का प्रतीक है। यह शक्ति केंद्र के रूप में कार्य करते हुए आईसीजी द्वारा तैनात एप्लीकेशनों की केंद्रीकृत निगरानी और प्रबंधन को सक्षम बनाता है, जिससे आईसीजी की महत्वपूर्ण आईटी संपत्तियों की सतर्क निगरानी सुनिश्चित होती है।
इस परियोजना से पांच वर्षों की अवधि में लगभग डेढ़ लाख मानव-दिवस के सृजन का अनुमान है, जिससे भारतीय उद्योगों के विभिन्न क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा और इस प्रकार रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्ति के सरकार के प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने ‘उत्तराखंड वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन 2023’ का उद्घाटन किया
प्रधानमंत्री मोदी ने आज वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून, उत्तराखंड में आयोजित ‘उत्तराखंड वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन 2023’ का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने एक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और ग्राउंड ब्रेकिंग वॉल का अनावरण किया। प्रधानमंत्री मोदी ने सशक्त उत्तराखंड’ पुस्तक और ब्रांड हाउस ऑफ हिमालयाज को लॉन्च किया। शिखर सम्मेलन का विषय ‘शांति से समृद्धि’ है।
इस अवसर पर उद्योग जगत की हस्तियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। अदानी समूह के निदेशक और प्रबंध निदेशक (कृषि, तेल और गैस) श्री प्रणव अदानी ने कहा कि उत्तराखंड हाल के दिनों में निजी क्षेत्र के निवेश के लिए सबसे आकर्षक स्थल बन गया है, क्योंकि राज्य में एकल अनूठे तालमेल के साथ राज्य के विकास के दृष्टिकोण के कारण- एकल बिंदु स्वीकृति, भूमि की सस्ती कीमतें, किफायती बिजली व कुशल वितरण, अत्यधिक कुशल जनशक्ति और राष्ट्रीय राजधानी के साथ निकटता और एक स्थिर कानून-व्यवस्था का माहौल मौजूद है। श्री अदानी ने राज्य में अपना विस्तार करने, अधिक निवेश और नौकरियों का सृजन करनी की अपनी योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने उत्तराखंड राज्य को लगातार समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया और कहा कि भारत के लोगों ने उनमें अभूतपूर्व विश्वास व भरोसा जताया है।
जेएसडब्ल्यू के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री सज्जन जिंदल ने उत्तराखंड राज्य के साथ प्रधानमंत्री के उन संबंधों के बारे में प्रकाश डाला, जिसे उन्होंने केदारनाथ और बद्रीनाथ की विकास परियोजनाओं के दौरान अनुभव किया था। उन्होंने देश की तस्वीर बदलने के लिए प्रधानमंत्री के प्रयासों की प्रशंसा सराहना की और सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के मापदंडों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत जल्द ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। श्री जिंदल ने भारत की वैश्विक महाशक्ति बनने की यात्रा में प्रधानमंत्री को उनके नेतृत्व के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने पूरे देश में धामिर्क तीर्थ स्थलों की कनेक्टिविटी बेहतर बनाने के बारे में सरकार के प्रयास का भी उल्लेख किया। उन्होंने उत्तराखंड में मोटेतौर पर 15,000 करोड़ रुपये का निवेश लाने के लिए कंपनी की योजना का जिक्र किया और नवंबर में शुरू की गई ‘स्वच्छ केदारनाथ परियोजना’ के बारे में भी बात की। उन्होंने उत्तराखंड सरकार को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और प्रधानमंत्री को भारत की विकास यात्रा में कंपनी के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया।
आईटीसी के प्रबंध निदेशक श्री संजीव पुरी ने जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलता स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री की वैश्विक राजनीति कौशल और ग्लोबल साउथ के लिए उनकी तरफदारी की सराहना की। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कई उद्देश्यपूर्ण नीतिगत पहलों ने भारत को बहुआयामी चुनौतियों का सामना करने वाली विश्व की अनुकूल स्थिति में ला दिया है। उन्होंने कहा, अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में बदलाव और जीडीपी के आंकड़े स्वयं स्थिति का उल्लेख करते हैं। नेतृत्व ने ऐसी स्थिति का निर्माण कर दिया है जहां कुछ लोग कह रहे हैं, कि विश्व स्तर पर यह दशक और सदी भारत की है।
पतंजलि के संस्थापक और योग गुरु श्री बाबा रामदेव ने प्रधानमंत्री को ‘विकसित भारत’ और भारत के 140 करोड़ नागरिकों के परिवारों के साथ-साथ दुनिया का स्वप्नद्रष्टा बताया। उन्होंने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य पर प्रकाश डाला और देश में निवेश लाने और रोजगार के अवसर पैदा करने में पतंजलि के योगदान का भी उल्लेख किया। उन्होंने प्रधानमंत्री को आने वाले समय में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश और 10,000 से अधिक नौकरियों का आश्वासन दिया। उन्होंने नये भारत के निर्माण में प्रधानमंत्री के संकल्प और इच्छाशक्ति की भी सराहना की। उन्होंने राज्यों में कानून व्यवस्था बनाए रखने में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के प्रयासों की भी सराहना की और कॉर्पोरेट घरानों से राज्य में एक इकाई स्थापित करने का आग्रह किया। श्री बाबा रामदेव ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राज्य के पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के विकास की भी सराहना की। उन्होंने निवेशकों से भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनाने और विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के प्रधानमंत्री के संकल्प को मजबूत करने का भी आग्रह किया।
एम्मार इंडिया के सीईओ श्री कल्याण चक्रवर्ती ने देश के विकास के लिए दिशा, दृष्टि और दूरदर्शिता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने भारत के विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा में भागीदार बनने के लिए कॉर्पोरेट जगत की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने भारत-संयुक्त अरब अमीरात के बीच संबंधों में नई जीवंतता की ओर भी इशारा किया। एम्मार का मुख्यालय संयुक्त अरब अमीरात में है। श्री कल्याण चक्रवर्ती ने भारत के प्रति वैश्विक दृष्टिकोण में आए सकारात्मक बदलाव पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने जीएसटी और फिनटेक क्रांति जैसे कई नीतिगत सुधारों के बारे में बताया, जो उद्योग जगत के लिए नए अवसर पैदा कर रहे हैं।
टीवीएस सप्लाई चेन सॉल्यूशंस के अध्यक्ष श्री आर दिनेश ने प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने उत्तराखंड की विकास गाथा में संगठन के योगदान के बारे में बताया और टायर एवं ऑटो के पुर्जों की विनिर्माण इकाइयों व लॉजिस्टिक तथा ऑटो क्षेत्र में सेवाओं का उदाहरण दिया। उन्होंने विनिर्माण क्षेत्र और भंडारण क्षमता में निवेश को आगे बढ़ाने के लिए कंपनी की योजनाओं का विस्तार किया, जिससे सभी कंपनियों में 7,000 से अधिक रोजगार के अवसर तैयार हुए। उन्होंने विश्व के बदलते वर्तमान परिदृश्यों के कारण डिजिटल और स्थायित्व संबंधी सुधार को लेकर वित्तीय सहायता और कौशन उन्न्यन प्रदान करके ऑटो मार्केट क्षेत्र में भागीदारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कंपनी की तत्परता पर जोर दिया। सीआईआई के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने 1 लाख से अधिक लोगों को परामर्श और सहायता प्रदान करने के लिए 10 मॉडल कैरियर केंद्र स्थापित करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड आतिथ्य, स्वास्थ्य देखभाल और उन्नत विनिर्माण क्षेत्रों को कवर करने वाले 10,000 लोगों को प्रशिक्षित करने की क्षमता वाला स्पेशलिटी मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करने वाला पहला राज्य होगा।
सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने देवभूमि उत्तराखंड में होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और सदी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक होने के बारे में अपने कथन को याद किया। श्री मोदी ने कहा कि यह संतोष की बात है कि यह कथन धरातल पर साकार हो रहा है। प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार और सिलक्यारा में सुरंग से श्रमिकों के सफलतापूर्वक बचाव के कार्यों में शामिल सभी लोगों की सराहना की।
उत्तराखंड के साथ अपने घनिष्ठ संबंध को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां दिव्यता और विकास एक साथ महसूस होता है। प्रधानमंत्री ने इस भावना को और विस्तार देने के लिए अपनी एक कविता सुनाई।
इस अवसर पर उपस्थित निवेशकों को उद्योग के दिग्गजों के रूप में संदर्भित करते हुए, प्रधानमंत्री ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए गए एसडब्ल्यूओटी विश्लेषण की उपमा दी और राष्ट्र के लिए इस कार्य को करने पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि एसडब्ल्यूओटी विश्लेषण के परिणाम देश में आकांक्षाओं, आशा, आत्मविश्वास, नवाचार और अवसरों की प्रचुरता का संकेत देंगे। उन्होंने नीति-संचालित शासन के संकेतकों और राजनीतिक स्थिरता के लिए नागरिकों के संकल्प के बारे में भी बताया। प्रधानमंत्री ने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के बारे में चर्चा करते हुए कहा, “आकांक्षी भारत अस्थिर के बजाय एक स्थिर सरकार चाहता है।” साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोगों ने सुशासन और उसके ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर मतदान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड महामारी और अस्थिर भू-राजनीतिक परिदृश्य के बावजूद रिकॉर्ड गति से आगे बढ़ने की देश की क्षमता पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहा, “चाहे वह कोरोना वैक्सीन हो या आर्थिक नीतियां, भारत को अपनी क्षमताओं और नीतियों पर भरोसा था।” प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप दुनिया की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत एक नई ऊंचाइयों पर पहुंचा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सहित भारत का हर राज्य इस ताकत का लाभ उठा रहा है।
प्रधानमंत्री ने डबल इंजन सरकार के लाभों को दोहराया जिसके दोहरे प्रयास हर जगह दिखाई दे रहे हैं। राज्य सरकार जहां स्थानीय वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है, वहीं भारत सरकार उत्तराखंड में अभूतपूर्व निवेश कर रही है। दोनों सरकार एक-दूसरे के प्रयासों को आगे बढ़ा रही हैं। प्रधानमंत्री ने ग्रामीण इलाकों से चारधाम तक जाने के काम का जिक्र करते हुए कहा कि वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली-देहरादून के बीच की दूरी ढाई घंटे की रह जायेगी। देहरादून और पंतनगर हवाई अड्डे के विस्तार से हवाई कनेक्टिविटी मजबूत होगी। प्रदेश में हेली-टैक्सी सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है तथा रेल कनेक्टिविटी को सुदृढ़ किया जा रहा है। ये सभी कृषि, उद्योग, लॉजिस्टिक, भंडारण, पर्यटन और आतिथ्य के लिए नए अवसर पैदा कर रहे हैं।
सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित स्थानों तक सीमित पहुंच प्रदान करने वाली पिछली सरकारों के दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए, प्रधानमंत्री ने उन्हें देश के पहले गांव के रूप में विकसित करने के लिए डबल इंजन सरकार के प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने आकांक्षी जिलों और आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम के बारे में चर्चा की, जहां उन गांवों और क्षेत्रों पर जोर दिया जा रहा है जो विकास मानकों में पीछे हैं। श्री मोदी ने उत्तराखंड की अप्रयुक्त क्षमता पर प्रकाश डाला और निवेशकों से इसका अधिकतम लाभ उठाने का आग्रह किया।
उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्र पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत आने के लिए देश के साथ-साथ दुनिया भर के लोगों के उत्साह पर भी ध्यान दिलाया, जिसे डबल इंजन सरकार का लाभ मिला है। उन्होंने पर्यटकों को प्रकृति के साथ-साथ भारत की विरासत से परिचित कराने के उद्देश्य से थीम आधारित पर्यटन सर्किट बनाने की जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि प्रकृति, संस्कृति और विरासत को अपने में समेटे उत्तराखंड एक ब्रांड के रूप में उभरने जा रहा है। उन्होंने निवेशकों से योग, आयुर्वेद, तीर्थ और साहसिक खेल के क्षेत्रों में अवसर तलाशने और नये अवसर पैदा करने को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने देश के अमीरों, संपन्न लोगों और युवाओं से ‘मेक इन इंडिया’ की तर्ज पर ‘वेड इन इंडिया’ आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया। उन्होंने उनसे अगले पांच वर्षों में उत्तराखंड में कम से कम एक विवाह समारोह आयोजित करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने किसी भी संकल्प को हासिल करने की भारत की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “अगर उत्तराखंड में एक साल में 5000 शादियां भी होती हैं, तो एक नया बुनियादी ढांचा तैयार हो जाएगा और राज्य को दुनिया के लिए एक विवाह स्थल में बदल देगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में बदलाव की तेज हवा चल रही है। पिछले 10 वर्षों में एक आकांक्षी भारत का निर्माण हुआ है। पहले से वंचित आबादी के एक बड़े हिस्से को योजनाओं और अवसरों से जोड़ा जा रहा है। गरीबी से बाहर आए करोड़ों लोग अर्थव्यवस्था को नई गति दे रहे हैं। श्री मोदी ने कहा, “नव मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग दोनों अधिक खर्च कर रहे हैं। हमें भारत के मध्यम वर्ग की क्षमता को समझना होगा। उत्तराखंड में समाज की यह शक्ति आपके लिए एक बड़ा बाज़ार भी तैयार कर रही है।”
प्रधानमंत्री ने हाउस ऑफ हिमालयाज ब्रांड लॉन्च करने के लिए उत्तराखंड सरकार को बधाई दी और इसे उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों को विदेशी बाजारों तक ले जाने का एक अभिनव प्रयास बताया। श्री मोदी ने कहा, “हाउस ऑफ हिमालयाज वोकल फॉर लोकल एवं लोकल फॉर ग्लोबल की हमारी अवधारणा को और मजबूत करता है।” उन्होंने कहा कि भारत के हर जिले और ब्लॉक के उत्पादों में वैश्विक बनने की क्षमता है। उन्होंने विदेशों में मिट्टी के महंगे बर्तनों को बनाकर विशेष तरीके से पेश किये जाने का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने भारत के विश्वकर्माओं के कौशल और शिल्प को ध्यान में रखते हुए, ऐसे स्थानीय उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार की खोज के महत्व पर जोर दिया, जो पारंपरिक रूप से ऐसे कई उत्कृष्ट उत्पाद बनाते हैं, और निवेशकों से विभिन्न जिलों में ऐसे उत्पादों की पहचान करने का आग्रह किया। उन्होंने उनसे महिला स्वयं सहायता समूहों और एफपीओ के साथ जुड़ने की संभावनाएं तलाशने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, “स्थानीय-वैश्विक बनाने के लिए यह एक अद्भुत साझेदारी हो सकती है।” लखपति दीदी अभियान पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों से दो करोड़ लखपति दीदी बनाने के अपने संकल्प को दोहराते हुए कहा कि हाउस ऑफ हिमालयाज़ के ब्रांड के लॉन्च के साथ इस पहल को गति मिलेगी। उन्होंने इस पहल के लिए उत्तराखंड सरकार को भी धन्यवाद दिया।
राष्ट्रीय चरित्र को मजबूत करने के बारे में लाल किले से किए गए अपने आह्वान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने सभी से आग्रह किया, “हम जो भी करें, वह विश्व में सर्वश्रेष्ठ होना चाहिए। विश्व में हमारे मानकों का अनुसरण होना चाहिए।’ हमारा विनिर्माण जीरो इम्पैक्ट, जीरो डिफैक्ट के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए। हमें अब निर्यातोन्मुख विनिर्माण को बढ़ावा देने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि महत्वाकांक्षी पीएलआई अभियान महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए इकोसिस्टम बनाने का संकल्प प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने नए निवेश के माध्यम से स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं और एमएसएमई को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सस्ते निर्यात और क्षमता निर्माण को प्राथमिकता देने की मानसिकता से बाहर आने की आवश्यकता है। उन्होंने पेट्रोलियम के लिए 15 लाख करोड़ रुपये के आयात बिल और कोयले के लिए 4 लाख करोड़ रुपये के आयात बिल का उल्लेख किया। उन्होंने दालों और तिलहनों के आयात को कम करने के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया क्योंकि आज भी भारत 15 हजार करोड़ रुपये की दालों का आयात करता है।
प्रधानमंत्री ने पोषण के नाम पर डिब्बाबंद भोजन के प्रति आगाह किया जबकि भारत मोटे अनाजों जैसे पौष्टिक भोजन की दृष्टि से बहुत समृद्ध है। उन्होंने आयुष से संबंधित जैविक भोजन की संभावनाओं और उनके द्वारा राज्य के किसानों व उद्यमियों को प्रदान किये जाने वाले अवसरों को रेखांकित किया। यहां तक कि डिब्बाबंद भोजन के संबंध में भी, उन्होंने उपस्थित लोगों से स्थानीय उत्पाद को वैश्विक बाजारों तक पहुंचने में मदद करने के लिए कहा।
अपने संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा की कि वर्तमान समय भारत, उसकी कंपनियों और उसके निवेशकों के लिए एक अभूतपूर्व समय है। उन्होंने कहा, “अगले कुछ वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है।” उन्होंने इसका श्रेय स्थिर सरकार, सहयोगपूर्ण नीतिगत प्रणाली, सुधार और परिवर्तन की मानसिकता व विकास में विश्वास के संयोजन को दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, “यही समय है, सही समय है। यह भारत का समय है।” उन्होंने निवेशकों से उत्तराखंड का साथ देने और इसकी विकास यात्रा में भाग लेने की अपील की।
इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
‘उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023’ उत्तराखंड को एक नए निवेश गंतव्य-स्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में उठाया गया एक कदम है। दो दिवसीय शिखर सम्मेलन 8 और 9 दिसंबर, 2023 को “शांति से समृद्धि” थीम के साथ आयोजित किया जा रहा है।
इस शिखर सम्मेलन में दुनिया भर से हजारों निवेशक और प्रतिनिधि भाग लेंगे। इसमें केंद्रीय मंत्रियों, विभिन्न देशों के राजदूतों के साथ-साथ प्रमुख उद्योगपतियों सहित अन्य लोग भाग लेंगे।