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रसायन विज्ञान का तीस दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ

रसायन विज्ञान की तीस दिवसीय कार्य शाला का शुभारंभ। श्री जे एन पी जी कॉलेज लखनऊ द्वारा दिनांक 1/10/2020 से 30/10/2020 तक प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री पर विज्ञान संकाय द्वारा व्यख्यान श्रृंखला कार्यशाला का शुभारंभ रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ डी के अवस्थी द्वारा सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि एस आर ग्रुप के चैयरमेन श्री पवन सिंह चौहान, महाविद्यालय के प्राचार्य नागेश्वर पांडेय,उपप्राचार्य अरूण कु.मिश्रा,विज्ञान संकाय की प्रभारी डॉ मीट शाह,रहीं।इस कार्यशाला में भिन्न प्रान्त के वैज्ञानिकों, प्रोफेसर,और निर्देशकों अपने व्याख्यान से लोगों को लाभान्वित करेंगे।इस कार्यशाला का उद्देश्य गरीब बच्चों को निःशुल्क ज्ञानवर्धन तथा आसान तरीके से रसायन विषय को समझना है।कार्यक्रम का संचालन डॉ मनीषा शुक्ला तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ मीत कमल द्वारा दिया गया। डॉ सुगंधा खरे ,डॉ मुकेश मौर्या ने यू वी स्पेक्ट्रम पर अपना व्यख्यान दिया। इस कार्यशाला में 100 लोगों ने भाग लिया

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गार्गी फाउंडेशन द्वारा गांधी जयंती एवं शास्त्री जयंती पर मलिन बस्ती में सेनेटरी पैड का वितरण

2 अक्टूबर को भारतवर्ष के महान प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री और राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती के मौके पर गार्गी महिला फाउंडेशन और प्रतिनिधि सेवा समिति के द्वारा महिलाओं एवं कन्याओं को सैनिटरी पैड के महत्व को समझाते हुए ओजस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत के प्रयासों को सुदृढ़ करने हेतु एक छोटी से पहल कर सैनिटरी पैड का मुफ्त वितरण करवाया गया . सहयोगी के रुप में अमरीश कुशवाहा सुषमा चौहान . ममता यादव कृष्णा शर्मा आदि उपस्थित रहे

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पुरुष समाज मेरी नज़र में- प्रधानमंत्री के नाम खुला खत -डॉ मंजू डागर चौधरी “अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार”

प्रधानमंत्री के नाम खुला ख़त — देश की सभी बेटियों के पिता और कितने सामूहिक बलात्कारों का दर्द सहे हम और मौत के घाट उतर दी जाएं ?

पुरुष समाज मेरी नज़र में —–

डॉ मंजू डागर चौधरी “अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार”

1 ) वो पुरुष समाज को जन्म देती है और वो उसको कोठा और बलात्कार देता है।

2 ) न जाने कितनी बार घर पर भी अपनी बीवी का हर रात बलात्कार करते हो चाहे वो पीरियड्स में ही क्यों न हो। फिर आप शान से खुद को मर्द कहते हो।

3 ) क्या कभी किसी एकांत में अपनी नज़रो में भी गिरते हो या केवल मर्द ही बने फिरते रहते हो। याद है न मर्द जाति तुमको जब किसी सार्वजनिक जगह पर पार्क में , यात्रा में या कहीं भी कोई नारी अपने दुधमुँहे बच्चे को दुध पिलाती हुई नज़र आती है तब किस ललचाई नज़र से उसके खुले स्तनो को देखते हो कि मिल जाये तो अभी नोच लो उसका मांस।

4 ) याद है न तुमको जब कोई लड़की किसी कैमिस्ट से अपनी पीरियड्स के दौरान सुरक्षा के लिए पैड खरीदती है तब उसको कैसे घूरते हो जैसे उसने अभी भी कोई वस्त्र न पहना हो। ये भी एक तरह से उस बच्ची का बलात्कार है।

5 ) आप मर्दों की वजह से ही अभी भी भारत के बहुत से छेत्रों में आज भी शर्म के मारे बेटियाँ पीरियड्स के दौरान गन्दा कपड़ा इस्तेमाल करने को मजबुर हैं। आप कहेंगे लड़की न जा कर कैमिस्ट से उसकी माँ पैड्स खरीद लाये जैसे कि आप उसको बख्स देते हो अपनी हैवानियत भरी सोच से।

6 ) कितनी ही नन्ही बच्चियों से ले कर 80 साल तक की बुजुर्ग़ नारियों को तुमनें अपनी हवस का शिकार बनाया है। नारी तो छोड़िये तुमने तो जानवरों तक का बलात्कार किया है। कभी मुर्ग़ी का कभी बकरी का तो कभी गाय या भैंस का भी। फिर कहते हो हम मर्द है।

मेरा सीधा सवाल आप से है प्रधानमंत्री नरेंद मोदी जी से है क्योंकि किसी भी देश का प्रधानमंत्री अपनी जनता का पिता होता है । आज हिंदुस्तान की हर बेटी आपकी बेटी है। उसकी अस्मिता की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस समाज के साथ -साथ आपके कन्धों पर भी है। अगर आप सारे हिंदुस्तान की बेटियों की अस्मिता की सुरक्षा नहीं कर सकते तब पिता बने रहने का आपको कोई हक़ नहीं है। आप कितने महाभारत करवाएंगे प्रधानमंत्री जी। पहले महाभारत में तो न आप थे न मैं लेकिन बेटियाँ तब भी थी। एक द्रोपदी के अपमान का बदला महाभारत में तब्दील जरुर हुआ था लेकिन और भी बहुत से सामाजिक कारण थे उस युद्ध के। समाज का विघटन हो रहा है दिन -प्रतिदिन। वक़्त रहते संभालिये इसको नहीं तो इन वहशी -दरिंदों की वजह से ही बेटियों की एक बार फिर से गर्भ में ही हत्याएं करनी आरंभ कर देगा ये घिनौना होता जा रहा समाज।

भारतीय संस्कृति में नारी का उल्लेख जगत्-जननी आदि शक्ति-स्वरूपा के रूप में किया गया है। लेकिन क्या समाज नारी को आज उसका ये हक़ दे रहा है ? “जब पुरुष में नारी के गुण आ जाते हैं तो वो महात्मा बन जाता है और अगर नारी में पुरुष के गुण आ जाये तो वो कुलटा बन जाती है”। ‘गोदान’ की ये पंक्तियां प्रेमचंद का नारी को देखने का संपूर्ण नज़रिया बयां करती हैं।

नारी ने तो बहुत बार पुरुष समाज को आईना दिखने की कोशिश की लेकिन वो अपने पुरुष होने के अहँकार के चलते कुछ देखने को तैयार ही नहीं होता फिर एक पुरुष मुंशी प्रेमचंद जी ने भी पूरी पुरुष जाति को आईना दिखाया वो भी उनको देखना गवारा नहीं। तब कितने ही समाज सुधारक आ जाये इस भारतीय समाज में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती।

प्रधानमंत्री जी आप महिला सशक्तिकरण की बात तो बहुत करते हैं लेकिन बेटियों को जीने का हक़ भी नहीं दिलवा पा रहे। आप हिंदुस्तान की बेटियों के पिता की भुमिका में पूरी तरह से निष्फल हो गए हैं। कहाँ हैं वो सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष जो महिलाओं को सुरक्षा देने के नाम पर पद और परतिष्ठा और बड़ा -बड़ा वेतन लेती हैं। किन कोठियों में छुपी हुई बैठी पार्टियां कर रहीं हैं वो। कौन से मेकअप और ब्रांडेड कपड़ो के साथ ? जहां पूरी तरह से शराब और सिगरेट के धुएँ के कश पर कश लगाये जाते हैं ?

कहा है वो मुख्य धारा की महान पत्रकार महिलाएं जो हिन्दू -मुस्लिम पर तो बड़ी पत्रकारिता करती हैं लेकिन बेटियों के सामुहिक दुष्कर्म पर अपना मुँह छुपा कर कहीं बैठी कोई नई ख़बर रच रहीं हैं कि इस बलात्कार को किस एंगेल से ख़बर बनाई जाये ताकि हमको भी कोई राष्ट्रीय या अंतराष्ट्रीय पत्रकारिता का अवॉर्ड मिल जाये। शर्म आनी चाहिए आप लोगों को जो आज भी ऐसी ख़बर लिखता है कि एक दलित लड़की से बलात्कार हुआ मतलब वो दलित थी इस लिए बलात्कार हुआ। दलित हटा दीजिये और जब वो बस लड़की रह जाये तब उससे बलात्कार नहीं होता। अरे समाज के ठेकेदारों अपनी सोच और दिमाग में भरे इस कचरे को बहार निकाल कर उस बेटी के सहे हुए दर्द को भी कभी समझ कर कोई ख़बर लिख लो। आपकी भी जवाबदेही बनती है इस समाज के प्रति। यही हालात चलते रहे तब आने वाले वक़्त में सामूहिक बलात्कार की खबरें होगी कि फला राज्य में बीजेपी की सरकार थी तब इतने बलात्कार हुए। कांग्रेस की सरकार थी तब इतने। फिर साथ ही लगी होगी नई हैडलाइन दलित लड़की से दुष्कर्म किया गया। मुस्लिम लड़की से दुष्कर्म किया गया , ईसाई लड़की से दुष्कर्म किया गया गोया लड़की न हो कर जाति और धर्म के साथ बलात्कार हुआ है। साथ ही एक और हैडलाइन आने को तैयार है कि बस हिंदू लड़कियों से बलात्कार क्यों नहीं होता क्योंकि मैंने तो खुद आज तक कोई ख़बर नहीं देखी जिसमें लिखा हो हिंदू लड़की से बलात्कार हुआ हो। कहने का मतलब बलात्कार तो होते रहे लेकिन फला जाति वाली या धर्म वाली नहीं बल्कि फला वाली का होना चाहिए। देखिए मेरी भारत सरकार और मीडिया घराने आप लड़की की अस्मिता की रक्षा कीजिये लड़की की , बलात्कार को जाति और धर्म से जोड़ना बंद कीजिये।

सुनो अरे विपक्षी राजनीतिक दल वालों ,दलितों की हितैषी राजनीतिक दलों की महारानियों , धर्म के नाम पर सियासती राजनीतिक दल वालो तुम अपनी घिनौनी राजनीतिक रोटियां सेकनी बंद करो। वोट के नाम पर बलात्कारियों को सजा दिलवाने की जगह उनको बचाने का नंगा नाच बंद करो। क्या तुमको रात को सोते हुए कभी उस मजबूर निरहि नारी की चीत्कार नहीं सुनाई पड़ती जब वहशी दरिंदे उसके जिस्म को नोच रहे होते हैं ??

भारतीय पुलिस जो की महिलाओँ को न्याय दिलाने का टेंडर अपने नाम लिखवाये बैठी है वो खुद न जाने कितनी बार अपने थाने में ही मजबूर महिलाओं का न केवल शारीरिक बलात्कार ही करती है बल्कि मानसिक बलात्कार भी करती है गंदे -गंदे ढंग से सवाल करके। बेचारी लड़की को ऐसा घिनौना अहसास करवाती है जैसे उसने खुद ही अपना बलात्कार करवाया हो। कुछ दिन पहले ही एक पुलिस अधिकारी अपनी बीवी को मार कर शान से कंधे पर मैडल चमकाए कहते हैं ये मेरा घरेलु मामला है। वाह रे मर्दाने पुलिस वाले क्या शान है तुम्हारी। आप भूल गये कि समाज में अधिकारी बनने के उपरांत आप का व्यक्तिगत कुछ नहीं है। आप के परिवार की नारियाँ भी इसी समाज का हिस्सा हैं जिसकी सुरक्षा की ठेकेदारी आप को मिली है।

जब एक छोटी सी बेटी किसी घर में पैदा होती है न तब घर का हर पुरुष भी घर की महिलाओं की तरह ही उसको खिलाता है। उसके नाजुक अंगों को देख कर उसकी ज़्यादा परवाह करता है। पूरी तरह से ये सुनिश्चित करता है कि इस नन्हीं सी परी को कोई खरोंच तक न आये। जैसी नाजुक अंगों के साथ वो पैदा होती है हक़ीक़त में सारी उम्र उसका जिस्म नाजुक और कोमल ही रहता है। उसके शरीर में कुछ नहीं बदलता जैसे -जैसे वो बड़ी होती जाती है। मुझको ये कभी समझ नहीं आई पुरुष की मानसिकता कि अपने घर में पैदा हुई तो परी नज़र आई और दूसरे के घर पैदा हुई तब केवल उसका जिस्म नज़र आया जिसके साथ संभोग के सपने देखने लगता है वो। बुरी तरह से बढ़ते जा रहे बलात्कार और बलात्कार का भयानक रुप जो आज कल हमारे सामने निकल कर आ रहा है कि किसी के नाजुक अंगों में आप लोहे की रॉड डाल देते हैं ,किसी की अतड़िया तक बहार निकाल देते हैं , किसी की जीभ काट दे उसकी हड़िया तक तोड़ दे। वहशी दरिंदों को समाज के पुरषों को एक बात जरुर कहूँगी कि आप भले ही नारी को नोचते रहें क्योंकि आप जिंदा लाशें हैं तभी आपको उसका दर्द समझ नहीं आता। उसके शरीर पर आये घाव एक दिन भर भी जाएंगे लेकिन आत्मा पर आये घाव ता उम्र अन्दर ही अन्दर रिस्ते रहते हैं। वो जिन्दा तो रहती है लेकिन एक मुर्दे की तरह। कभी तो खुद के अंदर के राक्षस को मार कर सच वाला मर्द बनिये।

कितनी निर्भया ,कितनी गुड़िया ,कितनी परिया हर रोज नोच दी जाती है गिद्धों द्वारा और सब गूंगे -बहरे बने हुए बस कुछ दिन गली -चौराहों पर मोमबत्तियां जलाएंगे और अपने घरों में जा कर चैन की नींद सोयेंगे कि लीजिये हमनें न्याय की मांग में अपने होने की आहुति दे दी लेकिन अपने भीतर के गिद्ध को नहीं मरेंगे। आज किसी और की बेटी को नोचते सुना है कल अपनी बीवी को नोचेंगे क्योंकि उसको नोचने का तो प्रमाणपत्र मिल चुका है। सरकार को इसी वजह से क़ानून लाना पड़ा था कि बिना मर्ज़ी के किया गया संभोग भी बलात्कार की श्रेणी में ही आता है। लेकिन सच यही है बहुत सी बीवियों का भी हर पल बलात्कार उसके पति द्वारा ही किया जा रहा है। क्या सच में आप मर्द हैं ? क्या सच में ? एक बार सोचियेगा जरुर। #PMO India , #narendramodi #PMOffice #PMOIndia #HMOIndia #Modi #narendramodi_primeminister Ajay Kumar , Ranvir Sharda ji , Sharda Gulati Ma’am , RK Singh ji , Amitabh Kumar ji , Amit Kumar ji , Amitabh Yash ji

डबलिन से आपकी ही एक भारतीय बेटी
डॉ मंजू डागर चौधरी
अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार
आयरलैंड
Copyright @Dr.Manju Dagar Chaudhary

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने विभिन्न हथियारों और उपकरणों के अधिग्रहण के लिए 2,290 करोड़ रुपये की मंजूरी दी

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ की अध्यक्षता में आज आयोजित रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में भारतीय सशस्त्र बलों के लिए आवश्यक विभिन्न उपकरणों के अधिग्रहण के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिसकी अनुमानित लागत 2,290 करोड़ रुपये है। इनमें घरेलू उद्योग के साथ-साथ विदेशी विक्रेताओं से खरीद शामिल हैं।

भारत में निर्मित की खरीद (आई डी डी एम) श्रेणी के तहत, डीएसी ने स्टेटिक  एचएफ ट्रांस – रिसीवर सेट और स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (एसएएडब्लू) की खरीद को मंजूरी दी है। एचएफ रेडियो सेट, सेना और वायु सेना की क्षेत्र स्थित इकाइयों के लिए निर्बाध संचार को सक्षम बनाएगा और लगभग 540 करोड़ रुपये की लागत से इन्हें खरीदा जायेगा। लगभग 970 करोड़ रुपये की लागत से स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन की खरीद की जायेगी, जिससे नौसेना और वायु सेना की मारक क्षमता में वृद्धि होगी।

इसके अलावा, सेना के अग्रिम पंक्ति की सैन्य इकाइयों को उपकरणों से लैस करने के लिए डीएसी ने लगभग 780 करोड़ रुपये की लागत से एसआईजी सौएर असॉल्ट राइफल्स की खरीद के लिए भी मंजूरी दी है।  

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राष्ट्रीय राजमार्ग क्षेत्र में कारोबार को सुगम बनाने में सुधार के लिए एनएचएआई ने उद्योग निकाय सीईएआईके सुझाव स्वीकार किए

कारोबार को सुगम बनाने में और सुधार के लिए, एनएचएआई ने उद्योग निकाय, कन्सल्टिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीईएआई) द्वारा दिए गए अधिकांश सुझावों पर सहमति व्यक्त की है।

एनएचएआई ने जानकारी दी है कि सीईएआई ने उन क्षेत्रों से संबंधित सुझाव प्रस्तुत किए हैं जिनमें बहुप्रयोजन बैंक गारंटी, कंसल्टेंट्स के कार्य मानदंड, डीपीआर की स्वीकृति, मूल्य इंजीनियरिंग, तकनीकी क्षमता प्रावधान, बोलियों का मूल्यांकन आदि शामिल हैं। उद्योग निकाय के साथ विस्तृत विचार-विमर्श करने के बाद, एनएचएआई अधिकांश सुझावों पर सहमत हुआ। जो सुझाव एनएचएआईके दायरे से बाहर थे, उन्हें संबंधित अधिकारियों को विचारार्थ भेज दिया गया है। इसके अलावा, एनएचएआई ने निकाय को आश्वासन दिया कि कंसल्टेंट्स के साथ निर्विघ्‍न कार्य करने की सुविधा देने वाले सभी अच्छे सुझावों पर भविष्य में भी सकारात्मक रूप से विचार किया जाएगा।

एनएचएआई द्वारा स्वीकार किए गए कुछ प्रमुख सुझाव नीचे दिए गए हैं:

  • बहुप्रयोजन बैंक गारंटी प्रणाली के बारे में सुझाव एनएचएआई द्वारा स्वीकार कर लिए गए हैं और मामले पर दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
  • नवीन प्रौद्योगिकी /सामग्री का इस्‍तेमाल करने के सुझाव को स्वीकार कर लिया गया है। एनएचएआई ने कंसल्टेंट्स से कहा है कि डीपीआर तैयार करते समय नई तकनीकों का प्रस्ताव रखें और फिजूल खर्ची से बचें। एनएचएआई ने यह भी आश्वासन दिया कि डीपीआर के विभिन्न चरणों की मंजूरी प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी।
  • एनएचएआई ने कंसल्टेंट्स को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
  • तकनीकी क्षमता उपबंधों के तहत, एक परामर्शदाता को प्रदान की जाने वाली परियोजनाओं की संख्या को कंसलटेंट के प्रदर्शन और विक्रेता प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणाली पर उसकी रेटिंग से जोड़ा जाएगा।

एनएचएआई ने आगे कहा है कि वह व्यापार को सुगम बनाने में सुधार करने और अपने सभी हितधारकों के साथ बेहतर कार्य संबंधों को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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समर्थ नारी समर्थ भारत संस्था की बैठक संपन्न

समर्थ नारी समर्थ भारत ” (महिलाओं का एक मात्र अखिल भारतीय संगठन ) की कानपुर ज़िला की बैठक के के इण्टर कॉलेज , किदवई नगर) में संपन्न कराया गया । कार्यक्रम में संगठन की संस्थापिका एवं राष्टीय सांयोगिक (श्रीमती नीरा सिंह वर्षे )जी द्वारा पद घोषणा एवं संगठन की कार्य योजनाओं को विस्तार रूप से बताया गया । राष्ट्रीय स्तर की सह सचिव (सीमा त्रिपाठी ) एवं यूपी की क्रीड़ा संयोगिक(श्रीमती मनीषा शुक्ला) जी द्वारा – कानपूर शहर से (मोनिका सिंह) , क्रीड़ा सांयोगिक ; उन्नाव से (निशा सिंह तोमर ) ज़िला क्रीड़ा संयोजिका ; फतेहपुर से (संतोष त्यागी) ज़िला क्रीड़ा संयोजिका ; यूपी गठन प्रभारी (श्रीमती शशि यादव) एवं कानपूर ज़िला संयोगिका (क्षमा मिश्रा) ; महासचिव (मंजू अग्रवाल जी) द्वारा कानपूर शहर व कानपूर दिहात की क्षेत्रवार महिलाओं का गठन किया गया।
कानपूर दिहात ज़िला संयोजिका (श्रीमती संगीत पांडेय) को चुना गया।
प्रीती शुक्ल, आशा त्रिवेदी, क्षमा द्विवेदी , रजनी विज् , रूपिन मिश्रा , रजनी कन्नौदिया, अर्चना गोयल, उमा बेरीवाल , अंजू गुप्ता, ऋचा मिश्रा, सीमा गुप्ता, नीतू तिवारी आदि समर्थ नारी समर्थ भारत की सदस्या हैं।

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लद्दाख के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह से मुलाक़ात की

लेह, लद्दाख के लोगों की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल ने 26 सितंबर, 2020 को केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह के साथ मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल में लद्दाख के पूर्व दिग्गज नेता आदरणीय थिकसे रिनपोछे (पूर्व सांसद/राज्य सभा), श्री थुप्स्तन छेवांग (पूर्व सांसद/लोक सभा) और श्री छेरिंग दोरजे लकरूक (पूर्व मंत्री, जम्मू-कश्मीर) शामिल थे। बैठक के दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी तथा युवा मामले और खेल राज्य मंत्री किरेन रिजिजू भी उपस्थित रहे।

प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया गया था कि भाषा, जनसांख्यिकी, जातीयता, भूमि और नौकरियों से संबंधित सभी मुद्दों पर सकारात्मक रूप से ध्यान दिया जाएगा। “छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा के लिए पीपुल्स मूवमेंट” के तत्वावधान में लेह और करगिल जिलों के 

प्रतिनिधियों के एक बड़े लद्दाखी प्रतिनिधिमंडल और गृह मंत्रालय के बीच संवाद लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद, लेह चुनावों के समापन के 15 दिनों के बाद शुरू होगा। इस संबंध में कोई भी निर्णय लेह और करगिल के प्रतिनिधियों के परामर्श से ही लिया जायेगा।

केंद्रीय गृहमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि, भारत सरकार लेह और करगिल के एलएएचडीसी को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है तथा सरकार, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लोगों के हितों की रक्षा करेगी। साथ ही इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सभी विकल्प तलाशे जायेंगे।

भारत सरकार लद्दाख के लोगों से संबंधित मुद्दों को देखते हुए देश के संविधान की छठी अनुसूची के तहत उपलब्ध संरक्षण पर चर्चा करने के लिए तैयार है।

प्रतिनिधिमंडल ने आगामी लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद-एलएएचडीसी, लेह चुनावों के बहिष्कार के आह्वान को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की और इन चुनावों के सुचारू संचालन के लिए इसे पूर्ण समर्थन देने का वायदा किया।

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प्रधानमंत्री मोदी और श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने वर्चुअल शिखर सम्मेलन का आयोजन किया

1. भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी और श्रीलंका के प्रधानमंत्री महामहिम महिंदा राजपक्षेनेआज एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों और पारस्‍परिक चिंता के क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की।

2. प्रधानमंत्रीमोदी नेप्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को अगस्त 2020 मेंश्रीलंकामें हुए संसदीय चुनावों में एक निर्णायक जनादेश के साथ प्रधानमंत्री के पद पर बने रहने के लिए बधाई दी। प्रधानमंत्री राजपक्षे ने शुभकामनाओं के लिए आभार व्यक्त किया और प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर काम करने की इच्‍छा जताई।

3. दोनों नेताओं ने नवंबर 2019 में राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे और फरवरी 2020 में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे कीसफल राजकीय भारत यात्राओं को याद किया।इन यात्राओंने आपसी संबंधों के भविष्य के लिए स्पष्ट राजनीतिक दिशा एवं दृष्टि दी।

4. प्रधानमंत्री श्री महिंदा राजपक्षे ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाईमें इस क्षेत्र के देशों की पारस्‍परिक सहायता एवं मदद के दृष्टिकोण पर आधारित प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दर्शाए गए मजबूत नेतृत्व की सराहना की। दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि वर्तमान परिस्थिति ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती प्रदान करने का एक नया अवसर प्रदान किया है। दोनों नेताओं ने खुशी जताई कि भारत और श्रीलंका ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए काफी करीबी से काम किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस वैश्विक महामारी के स्वास्थ्य एवं आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए श्रीलंका को हरसंभव मदद करने के लिए भारत की निरंतर प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

5. द्विपक्षीय संबंधों को कहीं अधिक गति प्रदान करनेकेलिएदोनों नेताओं ने इन मुद्दोंपर सहमति जताई:

(i)आतंकवाद और मादक पदार्थोंकी तस्करी से निपटने के लिए पारस्‍परिक सहयोग बढ़ाया जाएगा। इसमें खुफिया क्षेत्र,सूचनाओं को साझा करना,कट्टरता को दूर करना और क्षमता निर्माण शामिल हैं।

(ii)सरकार और श्रीलंका के लोगों द्वारा पहचाने जाने वाले प्राथमिकता वाले क्षेत्रोंकेअनुसार लाभकारी एवं कुशल विकास भागीदारी को जरी रखा जाएगा। साथ ही वर्ष 2020-2025 की अवधि के लिए उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं (एचआईसीडीपी)के कार्यान्वयनके लिए समझौता ज्ञापन के तहत इस द्वीप के साथ जुड़ाव को कहीं अधिक व्‍यापक बनाया जाएगा।

(iii)प्रधानमंत्री मोदी की श्रीलंका यात्रा के दौरान मई 2017 में घोषित वहां के वन क्षेत्रों में 10,000 रिहायशी मकानों के निर्माण में तेजी लाने के लिए मिलकर काम किया जाएगा।

(iv)दोनोंदेशों केबीच व्यापार एवं निवेश के लिए उपयुक्‍त माहौल उपलब्‍ध कराना और कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुई चुनौतियों के मद्देनजर आपूर्ति श्रृंखलाओं के एकीकरण को गहराई प्रदान करना।

(v)द्विपक्षीय समझौतों और समझौता ज्ञापनों के अनुसार करीबी परामर्श के जरिये बंदरगाह एवं  ऊर्जा जैसे क्षेत्रों सहित बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी परियोजनाओं को जल्‍द पूरा करने की दिशा में काम करना। साथ ही दोनों देशों के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी विकास सहयोग भागीदारी के लिए मजबूत प्रतिबद्धता जाहिर करना।

(vi)भारत से 10करोड़ डॉलर की क्रेडिट लाइन के तहत विशेषरूपसे सौर परियोजनाओं पर जोर देते हुए नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना।

(vii)कृषि,पशुपालन,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी,स्वास्थ्य सेवा और आयुष (आयुर्वेद,यूनानी, सिद्धएवं होम्योपैथी) के क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग को मजबूत करने के साथ ही पेशेवरों के प्रशिक्षण को बढ़ाकर कौशल विकास करना ताकि दोनों देशों के जनसांख्यिकीय लाभांश की पूरी क्षमता का लाभ उठाया जा सके।

(viii)सभ्यता संबंधी संपर्कों और सामान्य विरासत जैसे बौद्ध धर्म, आयुर्वेद एवं योग के क्षेत्र में मौजूद अवसरों को तलाशते हुए लोगों से लोगों के बीच संबंधों को अधिक मजबूती प्रदान करना। भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय उड़ान के उद्घाटन पर श्रीलंका के बौद्ध तीर्थयात्रियों के एक प्रतिनिधिमंडल के लिए पवित्र शहर कुशीनगर की यात्रा के लिए सुविधा उपलब्‍ध कराएगी। हाल में बौद्ध धर्म के लिए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के महत्‍व को उजागर करते हुए इसकी घोषणा की गई थी।

(ix) कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुए खतरों को ध्‍यान में रखते हुए और सुरक्षा के लिए सभी आवश्‍यक उपाय करते हुए दोनों देशों के बीच यात्रा का सुचारु करने के लिए हवाई यातायात शुरू करना और कनेक्टिविटी बढ़ाकर पर्यटन को बढ़ावा देना।

(x)संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य सहित साझा लक्ष्यों और मौजूदा ढांचे के अनुसार नियमित परामर्श एवं द्विपक्षीय चैनलों के माध्यम से मछुआरों से संबंधित मुद्दों का समाधान करना।

(xi) कार्मिकों के पारस्‍परिक दौरे, समुद्री सुरक्षा में सहयोग और श्रीलंका को रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्र में मदद के जरिये दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच सहयोग को मजबूत करना।

6. प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने दोनों देशों के बीच बौद्ध संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 1.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर के अनुदान की घोषणा का स्वागत किया। इस अनुदान से बौद्ध धर्म के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच लोगों से लोगों के संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी, जिसमें बौद्ध मठों का निर्माण/ नवीनीकरण, क्षमता विकास, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, सांस्कृतिक सहयोग,पुरातात्विक सहयोग,बुद्ध के अवशेषों की पारस्परिक प्रदर्शनी,बौद्ध विद्वानों एवं पुरोहितों के आपसी तालमेल को मजबूत करना आदि शामिल हैं।

7. प्रधानमंत्री मोदी ने एक संयुक्‍त श्रीलंका के तहत समानता,न्याय,शांति एवं सम्मान के लिए तमिल लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करनेकेलिए श्रीलंका सरकार से आह्वान कियाजिसमें श्रीलंका के संविधान के तेरहवें संशोधन को लागू करने के साथ ही सामंजस्य की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना शामिल है।प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने भरोसा दिया कि श्रीलंका लोगों के जनादेश और संवैधानिक प्रावधानों के कार्यान्वयन के अनुसार तमिल सहित सभी जातीय समूहों की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में काम करेगा।

8.दोनों नेताओं ने पारस्परिक सहयोग के क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बढ़ती प्रगति को स्वीकार कियाजिसमें सार्क,बिम्सटेक,आईओआरए और संयुक्त राष्ट्र ढांचे के तहत उभरने वाले मुद्दे शामिल हैं।

9. यह स्वीकार करते हुए कि बिम्‍सटेक दक्षिण एशिया को दक्षिण पूर्व एशिया के साथ जोड़ने के लिए क्षेत्रीय सहयोग का एक महत्वपूर्ण मंच है, दोनों नेताओं ने श्रीलंका की अध्यक्षता में एक सफल बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की।

10. प्रधानमंत्री श्री महिंदा राजपक्षे नेवर्ष 2021-2022 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत के चुनाव के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मिले मजबूत समर्थन के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी को बधाई दी।

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भारत इंटरनेट यात्रा: पिछले 25 वर्षों में विकास और अगले 5 के लिए लक्ष्य

छोटे शहरों में डायल-अप मोडेम से लेकर 4 जी कनेक्टिविटी तक उपलब्ध है, पिछले 25 वर्षों में भारत ने अगले 5
वर्षों में एक लंबा सफर तय किया है, जो इस विकास को तीव्र गति से जारी रखने के लिए तैयार है।
प्रौद्योगिकी मानव जीवन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण तत्वों में से एक रही है। हर नई तकनीक अपने साथ
परिवर्तन की एक लहर लाती है जो वैश्विक स्तर पर निगमों और उपभोक्ताओं के लिए व्यक्तिगत, पेशेवर, सामाजिक
और आर्थिक पहलुओं पर व्यापक रूप से लागू होती है। भारत ने पिछले 25 वर्षों में अपने वाणिज्यिक, सार्वजनिक
और सामाजिक क्षेत्रों पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव को भी देखा है। भारत की प्रमुख तकनीकों में से एक वायरलेस
कनेक्टिविटी है।
न केवल वायरलेस कनेक्टिविटी ने पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त विकास देखा है, लेकिन इसकी उन्नति अपनी गोद
लेने की तुलना में बहुत तेज गति से हुई है। आज की पीढ़ी के लिए, 4 जी और हाई-स्पीड वाई-फाई कनेक्टिविटी
आवश्यक हैं और आगे जाकर, आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) और 5 जी जैसी प्रौद्योगिकियां पीढ़ी की जीवन शैली को
प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
अगर हम संख्या के बारे में बात करते हैं, तो एक विशाल 4.6 बिलियन लोग आज इंटरनेट का उपयोग करते हैं और
हर दिन वर्ल्ड वाइड वेब पर अरबों गीगाबाइट डेटा भेजते हैं। न केवल इंटरनेट से दुनिया जुड़ी है, बल्कि इसने राष्ट्रीय,
सामाजिक और आर्थिक सीमाओं को कम परिणामी बना दिया है। इंटरनेट ने पूरी तरह से लोगों के एक दूसरे के साथ
संवाद करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। वीडियो और ऑडियो कॉलिंग सस्ता और सामान्य हो गया है,
और किसी भी विषय के बारे में जानकारी प्राप्त करना कुछ ही क्लिक है दूर। उद्योग के मोर्चे पर, इंटरनेट ने कॉरपोरेट
जगत को फिर से आकार दिया है, नई प्रौद्योगिकी दिग्गजों का निर्माण किया है जो इंटरनेट के मद्देनजर सफलतापूर्वक
मांग में आ गए हैं।
इन नई कॉरपोरेट प्रौद्योगिकी दिग्गजों को जल्दी समझ में आया कि उनके व्यवसाय के बड़े हिस्से को डिजिटल बनाने
से उन्हें सफलता प्राप्त करने के लिए इंटरनेट का उपयोग करने में मदद मिलेगी। डिजिटलीकरण के शुरुआती अपनाने
ने इन प्रौद्योगिकी कंपनियों को कई तरीकों से इंटरनेट को मोड़ने और उपयोग करने में सक्षम बनाया। फ़ेसबुक से
लेकर ट्विटर तक, वर्चुअल पब्लिक स्क्वॉयर उभरे जहाँ लोगों को स्तम्भित किया जाता है और उनकी प्रशंसा की जाती
है। टिंडर और ट्रूली मैडली जैसे प्लेटफॉर्म डेटिंग की दुनिया में नए संबंध बनाने में मदद कर रहे हैं। अमेज़न और
फ्लिपकार्ट लोगों के खरीदारी के तरीके को बदल रहे हैं, क्योंकि क्रिप्टोकरंसीज़ से फिएट मनी के एकाधिकार को
खतरा है। दवा, मनोरंजन, और शिक्षा से लेकर सुदूर कामकाज तक ऐसे ही हजारों उदाहरण हैं।
पिछले 25 वर्षों में अभूतपूर्व रूप से भारत को विशेष रूप से देखते हुए प्रौद्योगिकी का विकास हुआ है। एक बिंदु पर,
इंटरनेट से जुड़ने के लिए ईमेल तक पहुंचने के लिए अपने फोन की लैंडलाइन के माध्यम से अचानक धीमी गति से
डायल-अप कनेक्शन की आवश्यकता होती है। आज, लाखों लोग किसी भी स्थान से उच्च गति पर अपने टचस्क्रीन
फोन पर भारत में इंटरनेट का उपयोग करते हैं। मोबाइल इंटरनेट पैठ के इस स्तर का श्रेय रिलायंस जियो को जाता है
क्योंकि वे इससे सबसे बड़ी बाधा साबित हुए इस सेगमेंट में उनके प्रवेश का दिन।
हालांकि, 1.3 बिलियन से अधिक की हमारी आबादी को देखते हुए, इंटरनेट पैठ को अभी भी कम टेली घनत्व के रूप
में गिना जाता है, खासकर चीन या पश्चिमी दुनिया की तुलना में। विकसित देशों में इंटरनेट बहुत बाद में आया,
लेकिन उत्कृष्ट बुनियादी ढांचे के लिए उनकी टेलिडेंसिटी पहले से ही उच्च थी। भारतीय इंटरनेट कनेक्टिविटी अन्य

बाजारों की तुलना में धीमी गति से विकसित होने के महत्वपूर्ण कारणों में से एक है। इसके अलावा, ध्यान रखें कि उच्च
निवेश के कारण यह कम आय वाला बाजार है। इन्फ्रा को स्थापित करने के लिए आवश्यक लागत। इन चुनौतियों के
साथ भी, भारत एक ऐसा देश बन गया है जो दुनिया में सबसे सस्ता मोबाइल डेटा 0.09 डॉलर प्रति जीबी पर
उपलब्ध कराता है। यह लागत-प्रभावशीलता, वायरलेस कनेक्टिविटी में प्रौद्योगिकी विकास के साथ संयुक्त भारत को
आने वाले वर्षों में अपनी इंटरनेट पैठ बढ़ाने के एक तेज ट्रैक पथ पर रखता है।
एक समर्पित स्पेक्ट्रम के साथ वायरलेस नेटवर्क को स्केल करना बहुत आसान है। इसलिए यह समझना रॉकेट साइंस
नहीं है कि वायरलेस अगले बिलियन को जोड़ने का रास्ता होगा। महामारी ने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि जबकि
वायरलेस इंटरनेट से आसानी से जुड़ सकता है, यह वायरलाइन है जो लगातार कनेक्टिविटी प्रदान करता है | इंटरनेट
ने घर और ऑनलाइन शिक्षा, नेट बैंकिंग, और वॉलेट आधारित भुगतान गेटवे के काम के लिए जीवन के सभी पहलुओं
को व्यक्तिगत संचार, सामाजिक संपर्क, मनोरंजन, उत्पादकता और संचार साधनों में व्याप्त कर दिया है और स्मार्ट
घरों और आवाज / हावभाव के उपयोग के माध्यम से सहायता प्रदान की है। डिजिटल सहायक, आदि सभी उपरोक्त
दैनिक जीवन का एक हिस्सा बन गए हैं और इस प्रकार तैयार इंटरनेट उपलब्धता की आवश्यकता है।
वायरलेस और वायरलाइन प्रतिस्पर्धी नहीं हैं। इंटरनेट पर सहज सर्वव्यापी पहुंच बनाने के लिए उन्हें हाथ से जाना
पड़ता है। इसे हासिल करने के लिए उद्योग और सरकार को साथ आना होगा। इंडस्ट्री को एफटीटीएच में भारी निवेश
की जरूरत है। दूरसंचार कंपनियों को वायरलाइन प्रदाताओं की कनेक्टिविटी मांगों को पूरा करने की क्षमता बढ़ाने के
लिए निवेश करने की आवश्यकता है | सरकार को विनियमों पर नए सिरे से विचार करने और वायरलाइन चैनल के
लिए व्यापार को आसान बनाने के लिए इसे सरल बनाने की आवश्यकता है।
अगले पांच साल भारत की इंटरनेट यात्रा के लिए बहुत आशाजनक हैं। एक तरफ, 5G, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन
लर्निंग जैसी नई तकनीकों से न केवल सभी के लिए हाई-स्पीड इंटरनेट एक्सेस की उम्मीद करें। यह इंटरनेट को
अत्यधिक वैयक्तिकृत बनाएगा और नए उपकरणों के साथ अनुकूलित किया जाएगा, जो हर किसी के लिए सुलभ
बनने के लिए संवर्धित वास्तविकता को उन्नत करता है। 2020 में, महामारी ने इन परिवर्तनों में से कई को बढ़ाने और
तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आगे बढ़ते हुए, जैसा कि भारत अपनी कनेक्टिविटी पर विकसित होता है,
उम्मीद है कि वैश्विक प्रौद्योगिकी दिग्गज भारत में प्रवेश करने के लिए दौड़ में शामिल होंगे, अधिक से अधिक सामग्री
निर्माता और साथ ही कॉर्पोरेट प्रौद्योगिकी भारत के सबसे छोटे शहरों से उठने और दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए इकसिंगें देती है। इंटरनेट का उपयोग।

लेख रौनक माहेश्वरी, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, एक्सट्रीम लैब्स, इंडिया की ओर से दिया गया है।

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इकलौता हिंदू राष्ट्र नेपाल, सेक्युलर के नाम पर कब चीन का उपनिवेश बनता गया इसका पता नेपाल की मासूम जनता को भी नहीं चला।

नेपाल से डॉ मंजू डागर चौधरी, नेपाल जोकि इकलौता हिंदू राष्ट्र था सेक्युलर के नाम पर कब चीन का उपनिवेश बनता गया इसका पता शायद नेपाल की मासूम जनता को आज तक भी पता ही नहीं चला। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी हरकतों से बाज न आते हुए एक के बाद एक चीन के नये शिकार दुनिया के सामने आने लगा है। नेपाल भी उन्हीं में से एक है। ईरान और चीन ने अमरीका प्रतिबंधों से बचने के लिए नेपाली बैंकों की मदद मांगी। नेपाली बैंकों ने भी परिणामों की परवाह किए बगैर इस अमरीका विरोधी कार्रवाई में चीन की खुलकर मदद की। इन नेपाली बैंकों और कंपनियों ने विदेशों से मिले संदिग्‍ध पैसे को चीन और ईरान को ट्रांसफर करना शुरु कर दिया।

अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार डॉ मंजू डागर चौधरी

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय खोजी पत्रकारों के एक समूह ने इस बात का खुलासा किया है कि नेपाल की कंपनियों और बैंकों ने ईरान और चीन की मदद के लिए अमरीका को धोखा दिया। सारी दुनिया को पता ही है कि अमरीका ने ईरान और चीन के खिलाफ कई व्‍यापार प्रतिबंध लगाए हुए हैं जिससे बचने के लिए तेहरान और पेइचिंग ने नेपाल का इस्‍तेमाल किया। हम आपको बता दे कि पत्रकारों ने इस रिपोर्ट को अमरीका की वित्‍तीय लेनदेन पर नजर रखनी वाली संस्‍था के गोपनीय दस्‍तावेज के आधार पर तैयार किया है। इसे फिनसेन फाइल्‍स कहा जा रहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर कहा गया है कि दिसंबर 2006 से मार्च 2017 के बीच नेपाल के 9 बैंकों, 10 कंपनियों और नेपाल में विभिन्‍न लोगों ने सीमापार व्‍यापार के नाम पर संदिग्‍ध पैसे का लेनदेन किया। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, ‘ कि नेपाली बिज़नेस संस्‍थान सोने की अंतर्राष्ट्रीय तस्‍करी, प्राचीन वस्‍तुओं, बिटुमेन और दूरसंचार उपकरणों की तस्‍करी करते हैं। इसमें स्‍टैडर्ड चार्टड बैंक, प्राइम कार्मशल बैंक, बैंक ऑफ काठमांडू, एवरेस्‍ट बैंक, नेपाल इन्‍वेस्‍टमेंट बैंक, मेगा बैंक, हिमालयन बैंक, नेपाल बांग्‍लादेश बैंक आदि संदिग्‍ध पैसे की लेनदेन करने वाले बैंकों में शामिल हैं।’

1 ) नेपाल के बैंकों और कंपनियों ने अमरीका को बड़ा धोखा द‍िया है। इन बैंकों ने अमरीका प्रतिबंधों से बचने में चीन और ईरान की मदद की। उन्‍होंने 29 करोड़ की संदिग्‍ध धनराशि का लेनदेन क‍िया।
2 ) प्राइम कार्मशल बैंक, बैंक ऑफ काठमांडू, एवरेस्‍ट बैंक, नेपाल इन्‍वेस्‍टमेंट बैंक, मेगा बैंक, हिमालयन बैंक, नेपाल बांग्‍लादेश बैंक आदि संदिग्‍ध पैसे की लेनदेन करने वाले बैंकों में शामिल हैं .

इस लिस्‍ट में नेपाल की 10 कंपनियां भी शामिल हैं जिन्‍होंने या तो सीधे तौर पर संदिग्‍ध पैसा भेजा या उसे हासिल किया। 11 साल की अवधि के दौरान इन बैंकों और कंपनियों ने 29 करोड़ डॉलर की संदिग्‍ध धनराशि का लेनदेन किया। इन कंपनियों का मुख्‍य बिजनस पेट्रोलियम प्रॉडक्‍ट जैसे बिटुमेन, इंजन ऑयल और अन्‍य तेल शामिल हैं। इन कंपनियों का ऑफिस दुबई में था।

सूत्रों से पता चला है कि इस पूरे विवाद के केंद्र में नेपाल का रौनियार परिवार है। इसी ने पेट्रोलियम के आयात और निर्यात के नाम पर संदिग्‍ध पैसे का लेन-देन किया। रौनियार की ही कंपनी ईरान से सामान खरीदती है जबकि ईरान के खिलाफ अमरीका ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। सबसे मजेदार बात यह है कि ईरान से मंगाए गए सामान को कागज में दुबई से मंगाया गया सामान बताया जाता है।

दूसरी तरफ चीन की कंपनी ZTE ने भी अमरीका प्रतिबंधों से बचने के लिए कई अलग -अलग रास्ते अपनाये। ZTE कंपनी ने दूरसंचार के उपकरणों को अमरीका से खरीदा और उसे जेटीई के उपकरण बताकर ईरान को बेच दिया। जेटीई ही नेपाल में भी दूरसंचार उपकरणों का निर्यात करती है।

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