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उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए भारत एक रोल मॉडल बन रहा है-इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश के प्रत्येक नागरिकों से अपील की है कि वे समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत बनाने में योगदान करें। पीएचडीसीसीआई द्वारा ‘बिल्डिंग आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर आयोजित आज एक वेब कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन और भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदलने में इसकी भूमिका, जो न केवल अपनी बल्कि दुनिया की भी आवश्यकताओं को पूरा करती है, को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।

श्री प्रधान ने आज कहा कि उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए भारत एक रोल मॉडल बन रहा है। उन्होंने कहा, “समाज के अंतिम व्यक्ति की सेवा करने और सही मायने में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने पर हमारा फोकस है। भारत प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, जिसमें जनसांख्यिकीय लाभांश, बंदरगाहों की व्यापक उपलब्धता है, जो व्यवसायों और उद्योगों के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र मुहैया कराते हैं। हम 21वीं शताब्दी का एक ऐसा भारत बनाने के लिए काम कर रहे हैं, जो अपनी और दुनिया की भी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होगा।”

मंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया स्वदेशी आंदोलन और दांडी मार्च से लेकर आत्मानिर्भर भारत के आह्वान तक, ‘आत्मानिर्भर भारत’ का दर्शन एक अधिक लचीला और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के पीछे निरंतर प्रेरक शक्ति रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट देशवासियों की भावना को कम नहीं कर पाया है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पुनरुत्थान की राह पर है। पिछले महीने जीएसटी संग्रह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4 प्रतिशत अधिक था, रेलवे माल ढुलाई में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और निर्यात 5 प्रतिशत बढ़ा है। पेट्रोल और डीजल की बिक्री भी सामान्य स्तर पर पहुंच गई है।

मंत्री ने कहा कि भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सरकार काम कर रही है, और वह ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर भी बढ़ रही है। उन्होंने दोहराया कि सरकार के पास कोई और काम नहीं है सिवाय इसके कि उसे केवल लोगों के कल्याण पर ध्यान देना चाहिए। इस दिशा में उन्होंने कहा कि सरकार ने व्यापार को आसान बनाने के लिए पहल की है, पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई है, भ्रष्टाचार को खत्म किया है और धन सृजनकर्ताओं का सम्मान किया है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस क्षेत्र में उठाए कदमों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि एलपीजी कनेक्शन 95 प्रतिशत आबादी तक पहुंच गए हैं जिनमें 8 प्रतिशत गरीब परिवार भी शामिल हैं। इस अप्रैल में बीएस-VI मानक ईंधन पेश किया गया है। ऊर्जा संबंधित न्याय को सुनिश्चित किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि देश के निर्यात में इस्पात क्षेत्र का भी योगदान रहा है।

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प्रधानमंत्री मोदी ने अटल टनल राष्‍ट्र को समर्पित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज मनाली में दक्षिण पोर्टल पर दुनिया की सबसे लम्‍बी राजमार्ग टनल – अटल टनल राष्‍ट्र को समर्पित की।

 यह टनल 9.02 किलोमीटर लंबी है, जो पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ती है। इससे पहले, यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग 6 महीने तक अलग-थलग  रहती थी।

    यह टनल हिमालय की पीरपंजाल पर्वतमाला में औसत समुद्र तल (एमएसएल) से 3000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर अति-आधुनिक सुविधाओं के साथ बनाई गई है।

यह टनल मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम करती है और दोनों स्‍थानों के बीच लगने वाले समय में भी लगभग 4 से 5 घंटे की बचत करती है।

यह टनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडीए नियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणालियों सहित अति-आधुनिक इलेक्‍ट्रो-मैकेनिकल प्रणालियों से युक्‍त है। इस टनल में पर्याप्‍त सुरक्षा सुविधाएं भी उपलब्‍ध कराई गई हैं।

    प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस टनल में दक्षिण पोर्टल से उत्‍तरी पोर्टल तक यात्रा की और मुख्‍य टनल में ही बनाई गई आपातकालीन टनल का भी निरीक्षण किया। उन्‍होंने इस अवसर पर ‘द मेकिंग ऑफ अटल टनल’ पर एक चित्रात्‍मक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

   प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में आज के दिन को ऐतिहासिक बताया, क्‍योंकि आज न केवल भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी का विजन पूरा हुआ है, बल्कि इस क्षेत्र के करोड़ों लोगों की दशकों पुरानी इच्‍छा और सपना भी पूरा हुआ है।

   प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल टनल हिमाचल प्रदेश के बड़े हिस्‍से के साथ-साथ नये केन्‍द्रशासित प्रदेश लेह-लद्दाख के लिए भी एक जीवन रेखा बनने जा रही है। इससे मनाली और केलांग के बीच की दूरी 3 से 4 घंटे कम हो जाएगी। उन्‍होंने कहा कि अब हिमाचल प्रदेश और लेह-लद्दाख के हिस्‍से देश के बाकी हिस्‍सों से सदैव जुड़े रहेंगे और इन क्षेत्रों का तेजी से आर्थिक विकास होगा।

    श्री मोदी ने कहा कि अब यहां के किसान, बागवानी विशेषज्ञ और युवा राजधानी दिल्‍ली तथा देश के अन्‍य बाजारों तक आसानी से पहुंच सकेंगे।

    प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह की सीमा संपर्क परियोजनाएं सुरक्षाबलों की भी मदद करेंगी, क्‍योंकि इससे सुरक्षाबलों के लिए नियमित आपूर्ति सुनिश्चित होगी और उन्‍हें गश्‍त करने में भी मदद मिलेगी।

    प्रधानमंत्री ने इस सपने को साकार करने में अपने जीवन को जोखिम में डालने वाले इंजीनियरों, तकनीशियनों और श्रमिकों के साहस और प्रयासों की सराहना की।

   उन्‍होंने कहा कि अटल टनल भारत के सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को नई मजबूती देने जा रही है। यह विश्‍वस्‍तरीय संपर्क का जीता-जागता सबूत होगी। उन्‍होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और समग्र विकास में सुधार करने की लम्‍बे समय से चली आ रही मांग के बावजूद कई योजनाएं दशकों तक केवल बिना किसी प्रगति के लटकाने के लिए ही बनाई गईं।

   प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल जी ने वर्ष 2002 में इस टनल की पहुंच सड़क की आधारशिला रखी थी। अटल जी सरकार के बाद इस काम की इतनी उपेक्षा की गई कि 2013-14 तक केवल 1300 मीटर यानी डेढ़ किलोमीटर से भी कम टनल का निर्माण हुआ अर्थात एक साल में केवल लगभग तीन सौ मीटर टनल का ही निर्माण हुआ। तब विशेषज्ञों ने कहा था कि अगर निर्माण इसी गति से जारी रहा, तो यह टनल 2040 तक ही पूरी हो सकेगी।

   श्री मोदी ने कहा कि इसके बाद सरकार ने इस परियोजना पर तेजी से काम शुरू किया और हर साल 1400 मीटर की गति से निर्माण कार्य हुआ। उन्‍होंने कहा कि इससे यह परियोजना 6 वर्षों में पूरी हो कई है, जबकि इसका अनुमान 26 साल में पूरी होने का था।

   प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश को आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रगति करने की जरूरत हो, तो बुनियादी ढांचे को तेजी से विकसित किया जाना चाहिए। इसके लिए राजनीतिक इच्‍छा शक्ति और प्रतिबद्धता की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि ऐसी महत्‍वपूर्ण और मुख्‍य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के पूरा होने में हुई देरी से वित्‍तीय हानि होने के साथ-साथ लोगों को आर्थिक और सामाजिक लाभ से वंचित होना पड़ता है।

    उन्‍होंने कहा कि 2005 में इस टनल के निर्माण की अनुमानित लागत लगभग 900 करोड़ रुपये थी, लेकिन लगातार होने वाली देरी से आज यह कार्य 3200 करोड़ रुपये में पूरा हुआ है, जो अनुमानित लागत से तीन गुना से भी अधिक है।

    प्रधानमंत्री ने कहा कि अनेक महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं के साथ भी अटल टनल की तरह का ही रुख अपनाया गया है। लद्दाख में दौलतबेग ओल्‍डी जैसी रणनीतिक रूप से बहुत महत्‍वपूर्ण हवाई पट्टी का निर्माण 40 से 45 वर्षों तक अधूरा पड़ा रहा, जबकि वायुसेना को इस हवाई पट्टी की जरूरत थी।

   श्री मोदी ने कहा कि बोगीबील पुल पर कार्य अटल जी की सरकार के दौरान शुरू हुआ था, लेकिन बाद में इस काम में शिथिलता आ गई। यह पुल अरूणाचल प्रदेश और पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के बीच प्रमुख संपर्क उपलब्‍ध कराता है। उन्‍होंने कहा कि इस पुल के निर्माण में 2014 के बाद अप्रत्‍याशित रूप से तेजी आई और इस पुल का उद्धाटन दो वर्ष पूर्व अटल जी के जन्‍म दिन के अवसर पर किया गया था।

      उन्‍होंने कहा कि अटल जी ने बिहार में मिथिलांचल के दो प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ने के लिए कोसी महासेतु की आधारशिला रखी थी। 2014 के बाद सरकार कोसी महासेतु के निर्माण कार्य में तेजी लाई और इस पुल का कुछ सप्‍ताह पहले ही उद्घाटन किया गया।

   प्रधानमंत्री ने कहा कि स्थिति अब बदल गई है और पिछले 6 वर्षों में सीमावर्ती बुनियादी ढांचा – चाहे वह सड़कें हों, पुल हों या टनल हों, उन सभी का पूरी शक्ति और पूरी गति से विकास किया जा रहा है।

    प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सुरक्षाबलों की जरूरतों का ध्‍यान रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। लेकिन इससे पहले इन जरूरतों से समझौता किया गया और देश के सुरक्षाबलों के हितों से भी समझौता किया गया।

    उन्होंने सुरक्षाबलों की जरूरतों का ख्‍याल रखने के लिए वन रैंक, वन पेंशन योजना लागू करना, आधुनिक लड़ाकू विमान की खरीददारी, गोला-बारूद की खरीददारी, आधुनिक राइफलें, बुलेटप्रूफ जैकेटें, कड़ी सर्दी में प्रयुक्‍त उपकरणों की खरीददारी, जैसे कार्यान्‍वयनों को सरकार की पहलों में सूचीबद्ध किया, जबकि पिछली सरकार ने इन सभी जरूरतों पर ध्‍यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों में ऐसा करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी, लेकिन अब देश में यह स्थिति बदल रही है।

   प्रधानमंत्री ने कहा कि रक्षा निर्माण में एफडीआई के रूप में दी गई छूट जैसे प्रमुख सुधार किए गए हैं, ताकि देश में ही आधुनिक हथियार और गोला-बारूद का उत्पादन किया जा सके।

   प्रधानमंत्री ने कहा कि सुधार चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ के पद का सृजन करने और सुरक्षाबलों की जरूरत के अनुसार खरीददारी तथा उत्पादन दोनों में ही बेहतर समन्वय स्थापित करने के रूप में शुरू हुए थे।

   प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को अपने बढ़ते हुए वैश्विक कद के अनुरूप ही अपने बुनियादी ढांचे और अपनी आर्थिक तथा रणनीतिक क्षमता को भी उसी गति से सुधारना होगा। उन्‍होंने कहा कि अटल टनल देश के आत्‍मनिर्भर बनने के संकल्‍प का एक चमकता उदाहरण है।

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कोशिशें बेहिसाब रहने दो

कुछ अधूरे से ख़्वाब रहने दो
कोशिशें बेहिसाब रहने दो

वक्त को दो न तुम दलील कोई
सब अधूरे जवाब रहने दो

सब सितम उसके खूबसूरत हैं
इसलिए दिल पे दाग रहने दो

आँसुओं से लिखी हो जो यारो
इश्क की वो किताब रहने दो

झलक न जाए कोई दर्द चेहरे से
हंसी के ये झूठा नकाब रहने दो ..

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एस एन सेन पी जी कॉलेज में वन्य जीव संरक्षण सप्ताह के अंतर्गत विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन

कानपुर 5 अक्टूबर, वन्य जीव संरक्षण सप्ताह (2Oct – 8Oct 2020) के अन्तर्गत एस एन सेन बी वी पी जी कालेज के रसायन शास्त्र विभाग ने एसोसिएशन ऑफ केमिस्ट्री टीचर्स (ACT) की सहभागिता से महाविद्यालय की छात्राओं के लिए विभिन्न प्रतियोगी कार्यक्रमों (प्रश्नोत्तरी, पोस्टर व निबंध) का सफलतापूर्वक ऑनलाईन आयोजन किया। जिसमें 150 से अधिक छात्राओं ने भागग लिया किया।
महाविद्यालय के सचिव श्री पी के सेन ,संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन, एसोसिएशन ऑफ केमिस्ट्री टीचर्स (ए.सी.टी.) की वाइस प्रेसिडेंट डॉ श्रद्धा सिन्हा, महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ निशा अग्रवाल की उपस्थिति में प्रतियोगिता के परिणामों की घोषणा आज ऑनलाइन की गई।
संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन ने छात्राओं के प्रयासों की सराहना की व ए.सी टी. की वाइस प्रेसिडेंट डॉ श्रद्धा सिन्हा ने बताया कि ए.सी.टी. अखिल भारतीय स्तर पर इस तरह के कार्यक्रम करवाता रहता है और कोरोना काल में इतनी अधिक संख्या में छात्राओं की प्रतिभागिता अत्यंत हर्ष का विषय है
प्राचार्या डॉ निशा अग्रवाल ने बताया कि वन्य जीव संरक्षण मानव जाति के अस्तित्व के लिए अति महत्वपूर्ण है और भावी पीढ़ी को इसके लिए जागरूक करना आवश्यक है।
निर्णायक मंडल में डॉ गीता देवी गुप्ता व डॉ मोनिका सहाय ने निबंध में और डॉ प्रीति सिंह व डॉ शैल बाजपेई ने पोस्टर में अपना निर्णय दिया।
परिणाम इस प्रकार रहे:
निबंध ( हिंदी) -प्रथम- वर्षिता गुप्ता (बी.एससी द्वितीय वर्ष), प्रीति गुप्ता ( एम.ए. प्रथम वर्ष),
द्वितीय- नित्या त्रिपाठी ( बी.ए.प्रथम वर्ष), तृतीय- नन्दिनी शर्मा ( एम.ए.द्वितीय वर्ष), पायल सविता (बी.ए.तृतीय वर्ष), सांत्वना- शालू पटेल ( बी.एससी द्वितीय वर्ष)
निबंध (अंग्रेजी)- प्रथम- वंशिका पाण्डेय ( बी.ए.तृतीय वर्ष), द्वितीय- भाव्या अरोरा ( बी.ए. तृतीय वर्ष)
तृतीय- सौम्या यादव (बी.ए.तृतीय वर्ष), सांत्वना- श्रेया शुक्ला ( एम.ए. प्रथम वर्ष) सोनिया कटियार (बी.एससी प्रथम वर्ष)
पोस्टर
प्रथम-रत्ना यादव ( बी.ए.तृतीय वर्ष), द्वितीय- निशा सिंह ( बी.ए.तृतीय वर्ष), रुचि चौहान ( बी.एससी तृतीय वर्ष), तृतीय -श्रेया शुक्ला (एम.ए.प्रथम वर्ष), सांत्वना-तबस्सुम अली ( बी.ए. तृतीय वर्ष) प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में कुल 90 छात्राओं ने प्रतिभाग किया तथा 60% से अधिक छात्राओं ने 80% से अधिक स्कोर किया।, सभी प्रतिभागियों को ई -प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।
कार्यक्रम का समन्वयन और संचालन रसायन शास्त्र की विभागाध्यक्षा डॉ गार्गी यादव ने किया। इस अवसर पर कु. वर्षा सिंह, कु.तैयबा व सभी शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।

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रसायन विज्ञान का तीस दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ

रसायन विज्ञान की तीस दिवसीय कार्य शाला का शुभारंभ। श्री जे एन पी जी कॉलेज लखनऊ द्वारा दिनांक 1/10/2020 से 30/10/2020 तक प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री पर विज्ञान संकाय द्वारा व्यख्यान श्रृंखला कार्यशाला का शुभारंभ रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ डी के अवस्थी द्वारा सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि एस आर ग्रुप के चैयरमेन श्री पवन सिंह चौहान, महाविद्यालय के प्राचार्य नागेश्वर पांडेय,उपप्राचार्य अरूण कु.मिश्रा,विज्ञान संकाय की प्रभारी डॉ मीट शाह,रहीं।इस कार्यशाला में भिन्न प्रान्त के वैज्ञानिकों, प्रोफेसर,और निर्देशकों अपने व्याख्यान से लोगों को लाभान्वित करेंगे।इस कार्यशाला का उद्देश्य गरीब बच्चों को निःशुल्क ज्ञानवर्धन तथा आसान तरीके से रसायन विषय को समझना है।कार्यक्रम का संचालन डॉ मनीषा शुक्ला तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ मीत कमल द्वारा दिया गया। डॉ सुगंधा खरे ,डॉ मुकेश मौर्या ने यू वी स्पेक्ट्रम पर अपना व्यख्यान दिया। इस कार्यशाला में 100 लोगों ने भाग लिया

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गार्गी फाउंडेशन द्वारा गांधी जयंती एवं शास्त्री जयंती पर मलिन बस्ती में सेनेटरी पैड का वितरण

2 अक्टूबर को भारतवर्ष के महान प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री और राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती के मौके पर गार्गी महिला फाउंडेशन और प्रतिनिधि सेवा समिति के द्वारा महिलाओं एवं कन्याओं को सैनिटरी पैड के महत्व को समझाते हुए ओजस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत के प्रयासों को सुदृढ़ करने हेतु एक छोटी से पहल कर सैनिटरी पैड का मुफ्त वितरण करवाया गया . सहयोगी के रुप में अमरीश कुशवाहा सुषमा चौहान . ममता यादव कृष्णा शर्मा आदि उपस्थित रहे

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पुरुष समाज मेरी नज़र में- प्रधानमंत्री के नाम खुला खत -डॉ मंजू डागर चौधरी “अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार”

प्रधानमंत्री के नाम खुला ख़त — देश की सभी बेटियों के पिता और कितने सामूहिक बलात्कारों का दर्द सहे हम और मौत के घाट उतर दी जाएं ?

पुरुष समाज मेरी नज़र में —–

डॉ मंजू डागर चौधरी “अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार”

1 ) वो पुरुष समाज को जन्म देती है और वो उसको कोठा और बलात्कार देता है।

2 ) न जाने कितनी बार घर पर भी अपनी बीवी का हर रात बलात्कार करते हो चाहे वो पीरियड्स में ही क्यों न हो। फिर आप शान से खुद को मर्द कहते हो।

3 ) क्या कभी किसी एकांत में अपनी नज़रो में भी गिरते हो या केवल मर्द ही बने फिरते रहते हो। याद है न मर्द जाति तुमको जब किसी सार्वजनिक जगह पर पार्क में , यात्रा में या कहीं भी कोई नारी अपने दुधमुँहे बच्चे को दुध पिलाती हुई नज़र आती है तब किस ललचाई नज़र से उसके खुले स्तनो को देखते हो कि मिल जाये तो अभी नोच लो उसका मांस।

4 ) याद है न तुमको जब कोई लड़की किसी कैमिस्ट से अपनी पीरियड्स के दौरान सुरक्षा के लिए पैड खरीदती है तब उसको कैसे घूरते हो जैसे उसने अभी भी कोई वस्त्र न पहना हो। ये भी एक तरह से उस बच्ची का बलात्कार है।

5 ) आप मर्दों की वजह से ही अभी भी भारत के बहुत से छेत्रों में आज भी शर्म के मारे बेटियाँ पीरियड्स के दौरान गन्दा कपड़ा इस्तेमाल करने को मजबुर हैं। आप कहेंगे लड़की न जा कर कैमिस्ट से उसकी माँ पैड्स खरीद लाये जैसे कि आप उसको बख्स देते हो अपनी हैवानियत भरी सोच से।

6 ) कितनी ही नन्ही बच्चियों से ले कर 80 साल तक की बुजुर्ग़ नारियों को तुमनें अपनी हवस का शिकार बनाया है। नारी तो छोड़िये तुमने तो जानवरों तक का बलात्कार किया है। कभी मुर्ग़ी का कभी बकरी का तो कभी गाय या भैंस का भी। फिर कहते हो हम मर्द है।

मेरा सीधा सवाल आप से है प्रधानमंत्री नरेंद मोदी जी से है क्योंकि किसी भी देश का प्रधानमंत्री अपनी जनता का पिता होता है । आज हिंदुस्तान की हर बेटी आपकी बेटी है। उसकी अस्मिता की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस समाज के साथ -साथ आपके कन्धों पर भी है। अगर आप सारे हिंदुस्तान की बेटियों की अस्मिता की सुरक्षा नहीं कर सकते तब पिता बने रहने का आपको कोई हक़ नहीं है। आप कितने महाभारत करवाएंगे प्रधानमंत्री जी। पहले महाभारत में तो न आप थे न मैं लेकिन बेटियाँ तब भी थी। एक द्रोपदी के अपमान का बदला महाभारत में तब्दील जरुर हुआ था लेकिन और भी बहुत से सामाजिक कारण थे उस युद्ध के। समाज का विघटन हो रहा है दिन -प्रतिदिन। वक़्त रहते संभालिये इसको नहीं तो इन वहशी -दरिंदों की वजह से ही बेटियों की एक बार फिर से गर्भ में ही हत्याएं करनी आरंभ कर देगा ये घिनौना होता जा रहा समाज।

भारतीय संस्कृति में नारी का उल्लेख जगत्-जननी आदि शक्ति-स्वरूपा के रूप में किया गया है। लेकिन क्या समाज नारी को आज उसका ये हक़ दे रहा है ? “जब पुरुष में नारी के गुण आ जाते हैं तो वो महात्मा बन जाता है और अगर नारी में पुरुष के गुण आ जाये तो वो कुलटा बन जाती है”। ‘गोदान’ की ये पंक्तियां प्रेमचंद का नारी को देखने का संपूर्ण नज़रिया बयां करती हैं।

नारी ने तो बहुत बार पुरुष समाज को आईना दिखने की कोशिश की लेकिन वो अपने पुरुष होने के अहँकार के चलते कुछ देखने को तैयार ही नहीं होता फिर एक पुरुष मुंशी प्रेमचंद जी ने भी पूरी पुरुष जाति को आईना दिखाया वो भी उनको देखना गवारा नहीं। तब कितने ही समाज सुधारक आ जाये इस भारतीय समाज में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती।

प्रधानमंत्री जी आप महिला सशक्तिकरण की बात तो बहुत करते हैं लेकिन बेटियों को जीने का हक़ भी नहीं दिलवा पा रहे। आप हिंदुस्तान की बेटियों के पिता की भुमिका में पूरी तरह से निष्फल हो गए हैं। कहाँ हैं वो सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष जो महिलाओं को सुरक्षा देने के नाम पर पद और परतिष्ठा और बड़ा -बड़ा वेतन लेती हैं। किन कोठियों में छुपी हुई बैठी पार्टियां कर रहीं हैं वो। कौन से मेकअप और ब्रांडेड कपड़ो के साथ ? जहां पूरी तरह से शराब और सिगरेट के धुएँ के कश पर कश लगाये जाते हैं ?

कहा है वो मुख्य धारा की महान पत्रकार महिलाएं जो हिन्दू -मुस्लिम पर तो बड़ी पत्रकारिता करती हैं लेकिन बेटियों के सामुहिक दुष्कर्म पर अपना मुँह छुपा कर कहीं बैठी कोई नई ख़बर रच रहीं हैं कि इस बलात्कार को किस एंगेल से ख़बर बनाई जाये ताकि हमको भी कोई राष्ट्रीय या अंतराष्ट्रीय पत्रकारिता का अवॉर्ड मिल जाये। शर्म आनी चाहिए आप लोगों को जो आज भी ऐसी ख़बर लिखता है कि एक दलित लड़की से बलात्कार हुआ मतलब वो दलित थी इस लिए बलात्कार हुआ। दलित हटा दीजिये और जब वो बस लड़की रह जाये तब उससे बलात्कार नहीं होता। अरे समाज के ठेकेदारों अपनी सोच और दिमाग में भरे इस कचरे को बहार निकाल कर उस बेटी के सहे हुए दर्द को भी कभी समझ कर कोई ख़बर लिख लो। आपकी भी जवाबदेही बनती है इस समाज के प्रति। यही हालात चलते रहे तब आने वाले वक़्त में सामूहिक बलात्कार की खबरें होगी कि फला राज्य में बीजेपी की सरकार थी तब इतने बलात्कार हुए। कांग्रेस की सरकार थी तब इतने। फिर साथ ही लगी होगी नई हैडलाइन दलित लड़की से दुष्कर्म किया गया। मुस्लिम लड़की से दुष्कर्म किया गया , ईसाई लड़की से दुष्कर्म किया गया गोया लड़की न हो कर जाति और धर्म के साथ बलात्कार हुआ है। साथ ही एक और हैडलाइन आने को तैयार है कि बस हिंदू लड़कियों से बलात्कार क्यों नहीं होता क्योंकि मैंने तो खुद आज तक कोई ख़बर नहीं देखी जिसमें लिखा हो हिंदू लड़की से बलात्कार हुआ हो। कहने का मतलब बलात्कार तो होते रहे लेकिन फला जाति वाली या धर्म वाली नहीं बल्कि फला वाली का होना चाहिए। देखिए मेरी भारत सरकार और मीडिया घराने आप लड़की की अस्मिता की रक्षा कीजिये लड़की की , बलात्कार को जाति और धर्म से जोड़ना बंद कीजिये।

सुनो अरे विपक्षी राजनीतिक दल वालों ,दलितों की हितैषी राजनीतिक दलों की महारानियों , धर्म के नाम पर सियासती राजनीतिक दल वालो तुम अपनी घिनौनी राजनीतिक रोटियां सेकनी बंद करो। वोट के नाम पर बलात्कारियों को सजा दिलवाने की जगह उनको बचाने का नंगा नाच बंद करो। क्या तुमको रात को सोते हुए कभी उस मजबूर निरहि नारी की चीत्कार नहीं सुनाई पड़ती जब वहशी दरिंदे उसके जिस्म को नोच रहे होते हैं ??

भारतीय पुलिस जो की महिलाओँ को न्याय दिलाने का टेंडर अपने नाम लिखवाये बैठी है वो खुद न जाने कितनी बार अपने थाने में ही मजबूर महिलाओं का न केवल शारीरिक बलात्कार ही करती है बल्कि मानसिक बलात्कार भी करती है गंदे -गंदे ढंग से सवाल करके। बेचारी लड़की को ऐसा घिनौना अहसास करवाती है जैसे उसने खुद ही अपना बलात्कार करवाया हो। कुछ दिन पहले ही एक पुलिस अधिकारी अपनी बीवी को मार कर शान से कंधे पर मैडल चमकाए कहते हैं ये मेरा घरेलु मामला है। वाह रे मर्दाने पुलिस वाले क्या शान है तुम्हारी। आप भूल गये कि समाज में अधिकारी बनने के उपरांत आप का व्यक्तिगत कुछ नहीं है। आप के परिवार की नारियाँ भी इसी समाज का हिस्सा हैं जिसकी सुरक्षा की ठेकेदारी आप को मिली है।

जब एक छोटी सी बेटी किसी घर में पैदा होती है न तब घर का हर पुरुष भी घर की महिलाओं की तरह ही उसको खिलाता है। उसके नाजुक अंगों को देख कर उसकी ज़्यादा परवाह करता है। पूरी तरह से ये सुनिश्चित करता है कि इस नन्हीं सी परी को कोई खरोंच तक न आये। जैसी नाजुक अंगों के साथ वो पैदा होती है हक़ीक़त में सारी उम्र उसका जिस्म नाजुक और कोमल ही रहता है। उसके शरीर में कुछ नहीं बदलता जैसे -जैसे वो बड़ी होती जाती है। मुझको ये कभी समझ नहीं आई पुरुष की मानसिकता कि अपने घर में पैदा हुई तो परी नज़र आई और दूसरे के घर पैदा हुई तब केवल उसका जिस्म नज़र आया जिसके साथ संभोग के सपने देखने लगता है वो। बुरी तरह से बढ़ते जा रहे बलात्कार और बलात्कार का भयानक रुप जो आज कल हमारे सामने निकल कर आ रहा है कि किसी के नाजुक अंगों में आप लोहे की रॉड डाल देते हैं ,किसी की अतड़िया तक बहार निकाल देते हैं , किसी की जीभ काट दे उसकी हड़िया तक तोड़ दे। वहशी दरिंदों को समाज के पुरषों को एक बात जरुर कहूँगी कि आप भले ही नारी को नोचते रहें क्योंकि आप जिंदा लाशें हैं तभी आपको उसका दर्द समझ नहीं आता। उसके शरीर पर आये घाव एक दिन भर भी जाएंगे लेकिन आत्मा पर आये घाव ता उम्र अन्दर ही अन्दर रिस्ते रहते हैं। वो जिन्दा तो रहती है लेकिन एक मुर्दे की तरह। कभी तो खुद के अंदर के राक्षस को मार कर सच वाला मर्द बनिये।

कितनी निर्भया ,कितनी गुड़िया ,कितनी परिया हर रोज नोच दी जाती है गिद्धों द्वारा और सब गूंगे -बहरे बने हुए बस कुछ दिन गली -चौराहों पर मोमबत्तियां जलाएंगे और अपने घरों में जा कर चैन की नींद सोयेंगे कि लीजिये हमनें न्याय की मांग में अपने होने की आहुति दे दी लेकिन अपने भीतर के गिद्ध को नहीं मरेंगे। आज किसी और की बेटी को नोचते सुना है कल अपनी बीवी को नोचेंगे क्योंकि उसको नोचने का तो प्रमाणपत्र मिल चुका है। सरकार को इसी वजह से क़ानून लाना पड़ा था कि बिना मर्ज़ी के किया गया संभोग भी बलात्कार की श्रेणी में ही आता है। लेकिन सच यही है बहुत सी बीवियों का भी हर पल बलात्कार उसके पति द्वारा ही किया जा रहा है। क्या सच में आप मर्द हैं ? क्या सच में ? एक बार सोचियेगा जरुर। #PMO India , #narendramodi #PMOffice #PMOIndia #HMOIndia #Modi #narendramodi_primeminister Ajay Kumar , Ranvir Sharda ji , Sharda Gulati Ma’am , RK Singh ji , Amitabh Kumar ji , Amit Kumar ji , Amitabh Yash ji

डबलिन से आपकी ही एक भारतीय बेटी
डॉ मंजू डागर चौधरी
अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार
आयरलैंड
Copyright @Dr.Manju Dagar Chaudhary

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने विभिन्न हथियारों और उपकरणों के अधिग्रहण के लिए 2,290 करोड़ रुपये की मंजूरी दी

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ की अध्यक्षता में आज आयोजित रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में भारतीय सशस्त्र बलों के लिए आवश्यक विभिन्न उपकरणों के अधिग्रहण के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिसकी अनुमानित लागत 2,290 करोड़ रुपये है। इनमें घरेलू उद्योग के साथ-साथ विदेशी विक्रेताओं से खरीद शामिल हैं।

भारत में निर्मित की खरीद (आई डी डी एम) श्रेणी के तहत, डीएसी ने स्टेटिक  एचएफ ट्रांस – रिसीवर सेट और स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (एसएएडब्लू) की खरीद को मंजूरी दी है। एचएफ रेडियो सेट, सेना और वायु सेना की क्षेत्र स्थित इकाइयों के लिए निर्बाध संचार को सक्षम बनाएगा और लगभग 540 करोड़ रुपये की लागत से इन्हें खरीदा जायेगा। लगभग 970 करोड़ रुपये की लागत से स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन की खरीद की जायेगी, जिससे नौसेना और वायु सेना की मारक क्षमता में वृद्धि होगी।

इसके अलावा, सेना के अग्रिम पंक्ति की सैन्य इकाइयों को उपकरणों से लैस करने के लिए डीएसी ने लगभग 780 करोड़ रुपये की लागत से एसआईजी सौएर असॉल्ट राइफल्स की खरीद के लिए भी मंजूरी दी है।  

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राष्ट्रीय राजमार्ग क्षेत्र में कारोबार को सुगम बनाने में सुधार के लिए एनएचएआई ने उद्योग निकाय सीईएआईके सुझाव स्वीकार किए

कारोबार को सुगम बनाने में और सुधार के लिए, एनएचएआई ने उद्योग निकाय, कन्सल्टिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीईएआई) द्वारा दिए गए अधिकांश सुझावों पर सहमति व्यक्त की है।

एनएचएआई ने जानकारी दी है कि सीईएआई ने उन क्षेत्रों से संबंधित सुझाव प्रस्तुत किए हैं जिनमें बहुप्रयोजन बैंक गारंटी, कंसल्टेंट्स के कार्य मानदंड, डीपीआर की स्वीकृति, मूल्य इंजीनियरिंग, तकनीकी क्षमता प्रावधान, बोलियों का मूल्यांकन आदि शामिल हैं। उद्योग निकाय के साथ विस्तृत विचार-विमर्श करने के बाद, एनएचएआई अधिकांश सुझावों पर सहमत हुआ। जो सुझाव एनएचएआईके दायरे से बाहर थे, उन्हें संबंधित अधिकारियों को विचारार्थ भेज दिया गया है। इसके अलावा, एनएचएआई ने निकाय को आश्वासन दिया कि कंसल्टेंट्स के साथ निर्विघ्‍न कार्य करने की सुविधा देने वाले सभी अच्छे सुझावों पर भविष्य में भी सकारात्मक रूप से विचार किया जाएगा।

एनएचएआई द्वारा स्वीकार किए गए कुछ प्रमुख सुझाव नीचे दिए गए हैं:

  • बहुप्रयोजन बैंक गारंटी प्रणाली के बारे में सुझाव एनएचएआई द्वारा स्वीकार कर लिए गए हैं और मामले पर दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
  • नवीन प्रौद्योगिकी /सामग्री का इस्‍तेमाल करने के सुझाव को स्वीकार कर लिया गया है। एनएचएआई ने कंसल्टेंट्स से कहा है कि डीपीआर तैयार करते समय नई तकनीकों का प्रस्ताव रखें और फिजूल खर्ची से बचें। एनएचएआई ने यह भी आश्वासन दिया कि डीपीआर के विभिन्न चरणों की मंजूरी प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी।
  • एनएचएआई ने कंसल्टेंट्स को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
  • तकनीकी क्षमता उपबंधों के तहत, एक परामर्शदाता को प्रदान की जाने वाली परियोजनाओं की संख्या को कंसलटेंट के प्रदर्शन और विक्रेता प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणाली पर उसकी रेटिंग से जोड़ा जाएगा।

एनएचएआई ने आगे कहा है कि वह व्यापार को सुगम बनाने में सुधार करने और अपने सभी हितधारकों के साथ बेहतर कार्य संबंधों को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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समर्थ नारी समर्थ भारत संस्था की बैठक संपन्न

समर्थ नारी समर्थ भारत ” (महिलाओं का एक मात्र अखिल भारतीय संगठन ) की कानपुर ज़िला की बैठक के के इण्टर कॉलेज , किदवई नगर) में संपन्न कराया गया । कार्यक्रम में संगठन की संस्थापिका एवं राष्टीय सांयोगिक (श्रीमती नीरा सिंह वर्षे )जी द्वारा पद घोषणा एवं संगठन की कार्य योजनाओं को विस्तार रूप से बताया गया । राष्ट्रीय स्तर की सह सचिव (सीमा त्रिपाठी ) एवं यूपी की क्रीड़ा संयोगिक(श्रीमती मनीषा शुक्ला) जी द्वारा – कानपूर शहर से (मोनिका सिंह) , क्रीड़ा सांयोगिक ; उन्नाव से (निशा सिंह तोमर ) ज़िला क्रीड़ा संयोजिका ; फतेहपुर से (संतोष त्यागी) ज़िला क्रीड़ा संयोजिका ; यूपी गठन प्रभारी (श्रीमती शशि यादव) एवं कानपूर ज़िला संयोगिका (क्षमा मिश्रा) ; महासचिव (मंजू अग्रवाल जी) द्वारा कानपूर शहर व कानपूर दिहात की क्षेत्रवार महिलाओं का गठन किया गया।
कानपूर दिहात ज़िला संयोजिका (श्रीमती संगीत पांडेय) को चुना गया।
प्रीती शुक्ल, आशा त्रिवेदी, क्षमा द्विवेदी , रजनी विज् , रूपिन मिश्रा , रजनी कन्नौदिया, अर्चना गोयल, उमा बेरीवाल , अंजू गुप्ता, ऋचा मिश्रा, सीमा गुप्ता, नीतू तिवारी आदि समर्थ नारी समर्थ भारत की सदस्या हैं।

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