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इकलौता हिंदू राष्ट्र नेपाल, सेक्युलर के नाम पर कब चीन का उपनिवेश बनता गया इसका पता नेपाल की मासूम जनता को भी नहीं चला।

नेपाल से डॉ मंजू डागर चौधरी, नेपाल जोकि इकलौता हिंदू राष्ट्र था सेक्युलर के नाम पर कब चीन का उपनिवेश बनता गया इसका पता शायद नेपाल की मासूम जनता को आज तक भी पता ही नहीं चला। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी हरकतों से बाज न आते हुए एक के बाद एक चीन के नये शिकार दुनिया के सामने आने लगा है। नेपाल भी उन्हीं में से एक है। ईरान और चीन ने अमरीका प्रतिबंधों से बचने के लिए नेपाली बैंकों की मदद मांगी। नेपाली बैंकों ने भी परिणामों की परवाह किए बगैर इस अमरीका विरोधी कार्रवाई में चीन की खुलकर मदद की। इन नेपाली बैंकों और कंपनियों ने विदेशों से मिले संदिग्‍ध पैसे को चीन और ईरान को ट्रांसफर करना शुरु कर दिया।

अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार डॉ मंजू डागर चौधरी

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय खोजी पत्रकारों के एक समूह ने इस बात का खुलासा किया है कि नेपाल की कंपनियों और बैंकों ने ईरान और चीन की मदद के लिए अमरीका को धोखा दिया। सारी दुनिया को पता ही है कि अमरीका ने ईरान और चीन के खिलाफ कई व्‍यापार प्रतिबंध लगाए हुए हैं जिससे बचने के लिए तेहरान और पेइचिंग ने नेपाल का इस्‍तेमाल किया। हम आपको बता दे कि पत्रकारों ने इस रिपोर्ट को अमरीका की वित्‍तीय लेनदेन पर नजर रखनी वाली संस्‍था के गोपनीय दस्‍तावेज के आधार पर तैयार किया है। इसे फिनसेन फाइल्‍स कहा जा रहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर कहा गया है कि दिसंबर 2006 से मार्च 2017 के बीच नेपाल के 9 बैंकों, 10 कंपनियों और नेपाल में विभिन्‍न लोगों ने सीमापार व्‍यापार के नाम पर संदिग्‍ध पैसे का लेनदेन किया। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, ‘ कि नेपाली बिज़नेस संस्‍थान सोने की अंतर्राष्ट्रीय तस्‍करी, प्राचीन वस्‍तुओं, बिटुमेन और दूरसंचार उपकरणों की तस्‍करी करते हैं। इसमें स्‍टैडर्ड चार्टड बैंक, प्राइम कार्मशल बैंक, बैंक ऑफ काठमांडू, एवरेस्‍ट बैंक, नेपाल इन्‍वेस्‍टमेंट बैंक, मेगा बैंक, हिमालयन बैंक, नेपाल बांग्‍लादेश बैंक आदि संदिग्‍ध पैसे की लेनदेन करने वाले बैंकों में शामिल हैं।’

1 ) नेपाल के बैंकों और कंपनियों ने अमरीका को बड़ा धोखा द‍िया है। इन बैंकों ने अमरीका प्रतिबंधों से बचने में चीन और ईरान की मदद की। उन्‍होंने 29 करोड़ की संदिग्‍ध धनराशि का लेनदेन क‍िया।
2 ) प्राइम कार्मशल बैंक, बैंक ऑफ काठमांडू, एवरेस्‍ट बैंक, नेपाल इन्‍वेस्‍टमेंट बैंक, मेगा बैंक, हिमालयन बैंक, नेपाल बांग्‍लादेश बैंक आदि संदिग्‍ध पैसे की लेनदेन करने वाले बैंकों में शामिल हैं .

इस लिस्‍ट में नेपाल की 10 कंपनियां भी शामिल हैं जिन्‍होंने या तो सीधे तौर पर संदिग्‍ध पैसा भेजा या उसे हासिल किया। 11 साल की अवधि के दौरान इन बैंकों और कंपनियों ने 29 करोड़ डॉलर की संदिग्‍ध धनराशि का लेनदेन किया। इन कंपनियों का मुख्‍य बिजनस पेट्रोलियम प्रॉडक्‍ट जैसे बिटुमेन, इंजन ऑयल और अन्‍य तेल शामिल हैं। इन कंपनियों का ऑफिस दुबई में था।

सूत्रों से पता चला है कि इस पूरे विवाद के केंद्र में नेपाल का रौनियार परिवार है। इसी ने पेट्रोलियम के आयात और निर्यात के नाम पर संदिग्‍ध पैसे का लेन-देन किया। रौनियार की ही कंपनी ईरान से सामान खरीदती है जबकि ईरान के खिलाफ अमरीका ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। सबसे मजेदार बात यह है कि ईरान से मंगाए गए सामान को कागज में दुबई से मंगाया गया सामान बताया जाता है।

दूसरी तरफ चीन की कंपनी ZTE ने भी अमरीका प्रतिबंधों से बचने के लिए कई अलग -अलग रास्ते अपनाये। ZTE कंपनी ने दूरसंचार के उपकरणों को अमरीका से खरीदा और उसे जेटीई के उपकरण बताकर ईरान को बेच दिया। जेटीई ही नेपाल में भी दूरसंचार उपकरणों का निर्यात करती है।