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सिक्किम सरकार के साथ इफको की जैविक जेवी सिफको ने सिक्किम के रंगपो में एकीकृत खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का निर्माण शुरू किया

इफको के जैविक संयुक्त उद्यम सिफको (सिक्किम इफको ऑर्गेनिक्स लिमिटेड) ने कल रंगपो, सिक्किम में अपना निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। अक्टूबर 2021 तक काम पूरा हो जाएगा और बाद में इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा। दोनों एकीकृत खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की कुल निर्माण लागत लगभग 50 करोड़ रुपये है।

सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री पवन सिंह तमांग ने पिछले साल केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की उपस्थिति में इन इकाइयों की आधारशिला रखी थी। यह न केवल सिक्किम में जैविक खेती को बढ़ावा देगा, बल्कि पूर्वोत्तर राज्यों में कहीं और जैविक किसानों को भी देगा। वैश्विक महामारी के कारण इस परियोजना में कुछ महीनों की देरी हुई। सिफको जल्द ही जर्मनी, इटली और अन्य यूरोपीय देशों में अपनी एजेंसियों के माध्यम से ताजा अदरक का व्यापार शुरू करेगा। सिफको उत्पादों की पूरी श्रृंखला 100 प्रतिशत जैविक प्रमाणित होगी और इसलिए प्रकृति में गैर विषैले होगी। यह स्थायी कृषि को बढ़ावा देगा और ग्रीन हिमालयन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।

पारंपरिक भूमिपूजन से निर्माण कार्य शुरू हुआ जो रंगपो में निर्माण स्थल पर आयोजित किया गया था। इस अवसर पर इफको, सिक्किम राज्य और सिक्किम इफको ऑर्गेनिक्स लिमिटेड के अधिकारी सहित सिक्किम विधानसभा के अध्यक्ष श्री एल बी दास, सिक्किम के कृषि मंत्री श्री लोक नाथ शर्मा और सिक्किम इफको ऑर्गेनिक्स के प्रबंध निदेशक​ मनीष गुप्ता उपस्थित थे। ये इकाई किसानों की आय को दोगुना करने के लिए एक बड़ा कदम होगा क्योंकि उपज सीधे किसानों से खरीदी जाएगी जो कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन 2022 के अनुरूप है।

सिक्किम को पहले से ही 100 प्रतिशत जैविक राज्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। जेवी का उद्देश्य भारत और दुनिया में अन्य जगहों पर उपभोक्ताओं को एक सुरक्षित खाद्य आपूर्ति श्रृंखला प्रदान करना है। जेवी शुरू में अदरक, हल्दी, बड़ी इलायची और बक्वीट प्रसंस्करण होगा। ये फसलें बड़ी निर्यात क्षमता के साथ सिक्किम राज्य की प्रमुख उपज हैं। सिफको देश और दुनिया के विभिन्न बाजारों में इन उत्पादों का विपणन करेगा। इस संबंध में दो समझौता ज्ञापनों पर पहले ही हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। एक उत्तर अमेरिका के बाजारों में अपने विपणन और वितरण का उपयोग करने के लिए ब्लॉसम बायोडायनामिक्स के साथ और दूसरा क्रोएशिया और यूरोपीय संघ में अपने उत्पादों के विपणन के लिए सेंटर डॉ. रुडोल्फ स्टाइनरा क्रोएशिया के साथ।

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प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रैंड चैलेंजेज वार्षिक बैठक 2020 को संबोधित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि भविष्य का आकार उन समाजों द्वारा निर्धारित होगा जो विज्ञान और नवाचार में निवेश करते हैं। उन्होंने कहा कि लघु अवधि के दृष्टिकोण के बजाय अग्रिम निवेश करते हुए सही समय पर विज्ञान और नवाचार के लाभों को हासिल जा सकता है। उन्होंने कहा कि इन नवाचारों की यात्रा को सहयोग एवं सार्वजनिक भागीदारी द्वारा अवश्‍य आकार दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विज्ञान को बखारी में रखने से वह कभी समृद्ध नहीं होगा और ग्रैंड चैलेंज कार्यक्रम ने इस लोकाचार को अच्छी तरह से समझा है। उन्होंने इस कार्यक्रम के व्‍यापक विस्‍तार की सराहना की। वैश्विक स्तर पर इससे कई देश जुड़े और उन्‍होंने रोगाणुरोधी प्रतिरक्षा, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, कृषि, पोषण, वाश (जल, साफ सफाई एवं स्वच्छता) आदि तमाम समस्‍याओं का निराकरण किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक महामारी ने हमें टीम वर्क के महत्व का एहसास कराया है। उन्होंने कहा कि बीमारियों की कोई भौगोलिक सीमा नहीं होती और वह धर्म, नस्ल, लिंग या रंग के आधार पर भेदभाव नहीं करती हैं। उन्होंने कहा कि इन बीमारियों में कई संचारी और गैर-संचारी रोग शामिल हैं जो लोगों को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत में एक मजबूत एवं जीवंत वैज्ञानिक समुदाय और अच्छे वैज्ञानिक संस्थान भारत की सबसे बड़ी संपत्ति हैं, खासकर पिछले कुछ महीनों के दौरान कोविड-19 के खिलाफ जंग इसका अहसास हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने क्षमता निर्माण से लेकर चमत्कार तक हासिल किए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में आम लोगों द्वारा सशक्‍त एवं संचालित दृष्टिकोण के कारण बड़ी आबादी होने के बावजूद कोविड-19 की मृत्यु दर काफी कम है। उन्होंने आज कहा कि रोजाना मामलों की संख्या में गिरावट हो रही है, मामलों की वृद्धि दर घट रही है और हमारे यहां रोगियों के ठीक होने की दर 88 प्रतिशत की एक उच्चतम स्‍तर पर है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि भारत लचीला लॉकडाउन अपनाने वाले पहले देशों में शामिल था, वह मास्क के उपयोग को प्रोत्साहित करने वाले पहले देशों में शामिल था, उसने प्रभावी तौर पर कॉन्‍टेक्‍ट- ट्रेसिंग पर सक्रियता से काम करना शुरू किया और उसने रैपिड एंटीजन टेस्‍ट की जल्‍द शुरुआत की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब कोविड के लिए टीका विकसित करने वाले देशों में सबसे आगे है। उन्होंने घोषणा की कि हमारे देश में 30 से अधिक स्वदेशी टीके विकसित किए जा रहे हैं और उनमें से तीन उन्नत चरण में हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक व्‍यवस्थित टीका वितरण प्रणाली स्‍थापित करने पर पहले से ही काम कर रहा है और हमारे नागरिकों के टीकाकरण को सुनिश्चित करने में डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य आईडी के साथ इस डिजीटल नेटवर्क का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत कम कीमत पर गुणवत्तायुक्‍त दवाओं और टीकों का उत्पादन करने की अपनी स्‍थापित क्षमता के लिए जाना जाता है। वैश्विक स्‍तर पर टीकाकरण के लिए 60 प्रतिशत से अधिक टीके का उत्‍पादन भारत में किया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत अपने अनुभव और अनुसंधान प्रतिभा के साथ वैश्विक स्वास्थ्य सेवा संबंधी प्रयासों के केंद्र में होगा और वह अन्य देशों को इन क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करना चाहता है।

प्रधानमंत्री ने पिछले 6 वर्षों के दौरान उठाए गए कई कदमों का उल्‍लेख किया जैसे बेहतर स्वच्छता, बेहतर स्वच्छता, अधिक शौचालय कवरेज आदि। इन सबने एक बेहतर स्वास्थ्य व्‍यवस्‍था स्‍थापित करने में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इससे महिलाओं, गरीबों और वंचितों को काफी मदद मिली है और बीमारियों में कमी आई है। उन्होंने सरकार के उन प्रयासों का उल्‍लेख किया जिनसे बीमारियों को कम करने और गांवों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने में मदद मिली है। इन प्रयासों में हरेक परिवार को नल के जरिये पेयजल उपलब्ध कराना, ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज स्थापित करना और विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आदि शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत सशक्तिकरण और सामूहिक कल्याण के लिए सहयोग की भावना का विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने इस विचार-विमर्श के काफी फलदायक और उत्पादक होने की कामना करते हुए इस ग्रैंड चैलेंजिंग प्लेटफॉर्म से कई रोमांचक और उत्साहजनक नए समाधान दिखने की उम्मीद जताई।

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एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. काॅलेज के शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा प्रथम वर्ष की छात्राओं के लिए ‘अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन

कानपूर 21 अक्टूबर, एस. एन. सेन बी. वी. पी. काॅलेज के शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा स्नातक प्रथम वर्ष की छात्राओं के लिए ‘अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें स्नातक स्तर की छात्राओं ने प्रतिभाग किया।


कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल, मुख्य कुलानुशासक डॉ. अल्का टण्डन एवं विभागाध्यक्षा डॉ. चित्रा सिंह तोमर ने सरस्वती जी को पुष्प माल्यार्पण कर के किया। इसके पश्चात डॉ. चित्रा सिंह तोमर ने प्राचार्या एवं मुख्य कुलानुशासक का स्वागत पुष्प गुच्छ प्रदान कर के किया।
कार्यक्रम की अगली श्रृंखला में स्नातक द्वितीय एवं तृतीय वर्ष की छात्राओं ने महाविद्यालय के अपने अनुभव साझा किये। अलफिशा ने अपनी शिक्षिकाओं को अपनी प्रेरणा बताया, रिया ने महाविद्यालय के अनुशासन पर बात की साथ ही सुप्रिया एवं समृद्धि ने कविता प्रस्तुत की। इसके पश्चात मुख्य कुलानुशासक ने छात्राओं को सम्बोधित किया। अगली श्रृंखला में विभागाध्यक्षा डॉ चित्रा सिंह तोमर ने छात्राओं को महाविद्यालय एवं विभाग के बारे में बताया तथा सत्र 2020-21 का अकादमिक कैलेंडर प्रस्तुत किया।
इसके पश्चात प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल ने छात्राओं को संबोधित किया तथा महाविद्यालय के विषय में जानकारी दी।
अन्त में विभाग की प्रवक्ता डॉ. निशा सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम संयोजन डॉ. चित्रा सिंह तोमर एवं संचालन कु. ऋचा सिंह ने किया।

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घाटमपुर विधान सभा उप चुनाव शांति पूर्वक करने हेतु जोनल/सेक्टर मजिस्ट्रेट की बैठक संपन्न


कानपुर नगर, 20 अक्टूबर, 2020 घाटमपुर विधानसभा उप चुनाव-2020 को सकुशल सम्पन्न कराये जाने हेतु सामान्य प्रेक्षक श्री नरेन्द्र कुमार दुग्गा एवं व्यय प्रेक्षक श्री अंकित सोमानी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में निर्वाचन कार्यो में लगे जोनल/सेक्टर मजिस्ट्रेटो की बैठक सम्पन्न हुयी। बैठक में सामान्य प्रेक्षक श्री नरेन्द्र कुमार दुग्गा ने अधिकारियांे को निर्देशित किया कि 218-घाटमपुर विधानसभा उप चुनाव-2020 को सकुशल, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्वक मतदान कराने के लिए सभी सेक्टर मजिस्ट्रेट अपने-अपने क्षेत्र के मतदान केन्द्रों का सघन रुप से भ्रमण कर मतदान केन्द्रों की व्यवस्थाओं, फर्नीचर, लाइट, रैम्प, शौचालय सहित रुट एवं आवगमन की स्थिति आदि को चेक कर लें, यदि मतदान केन्द्रों में कोई कमी हो तो उच्चाधिकारियों को अवगत कराते हुए समय से कार्यो को कराये जाने के संबंध में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे। उन्होंने निर्देशित किया कि चुनाव आचार संहिता का अपने क्षेत्रों में पूर्णतः पालन कराना है, इस दृष्टि से इस पर शतत निगरानी रखे व सतर्कता के साथ कार्य करे। उन्होंने कहा कि अपने दायित्वों एवं कार्यो का पूर्ण इमानदारी व निष्पक्षता के साथ निर्वहन करना सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि मतदान केन्द्रों में स्पष्ट रुप से मतदान केन्द्र का नाम बडे अक्षरों में अंकित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी सेक्टर मजिस्ट्रेट ई0वी0एम0 मशीन आपरेट करने के संबंध में भी जानकारी रखे और मतदान दिवस के दिन मतदान से पूर्व निर्धारित समय पर माकपोल कराना सुनिश्चित करे, तथा माकपोल के बाद मशीन को क्लियर अवश्य कराया जाये। उन्होंने निर्देशित किया कि बी0एल0ओ0 द्वारा मतदाता पर्ची का शतप्रतिशत वितरण कराया जाये।

बैठक में व्यय प्रेक्षक श्री अंकित सोमानी ने सेक्टर अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह अपने-अपने सेक्टर क्षेत्रों में व्यय से संबंधित गतिविधियों पर कडी नजर रखे। बैठक में उप जिला निर्वाचन अधिकारी/अपर जिला मजिस्ट्रेट (ना0आ0) डा0 बंसत अग्रवाल ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि इस निर्वाचन में कोविड-19 से बचाव के साथ निर्वाचन प्रकिया को सम्पन्न कराना है, इसके लिए आवश्यक व्यवस्थायें मतदान कर्मियों हेतु की गयी है। उन्होंने कहा कि सेक्टर अधिकारी अपने मतदान केन्द्रों का निरीक्षण करते हुए चेक लिस्ट के अनुसार मतदान केन्द्रों पर उपलब्ध व्यवस्थाओं की रिपोर्ट प्रस्तुत करे। उन्हांेने वर्नबेलिटी मैपिंग के संबंध में भी क्षेत्र में निरीक्षण के दौरान जानकारी करने के निर्देश दिये। उन्होंने निर्देशित किया कि मतदान दिवस में सभी सेक्टर अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में उपस्थित रहकर आवश्यक व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करेगे। उन्होंने निर्देशित किया कि रिटर्निंग आफीसर से समन्वय करते हुए इस निर्वाचन को सकुशल शांतपूर्वक एवं निष्पक्ष रुप से सम्पन्न कराये जाने हेतु अपने दायित्वों का सही से निर्वहन करना सुनिश्चित करे। बैठक में रिर्टनिंग आफीसर सहित संबंधित निर्वाचन से जुडे सेक्टर मजिस्ट्रेट उपस्थित रहे।

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नारी शक्ति

नारी शक्ति
पत्थर की देवियो को
चुनरी चढ़ाने वाले
कैसे करते है,
नारी का चीर हरण।

नारी को अबला मान
करते हो उससे दुराचार
तुम भूल गए, वो चंडी है
शक्ति है, उसमे अदभूत अपार

नारायण भी गोद मे पलते
माँ कह ते इसी नारी को
ईश्वर भी माफ नही करता
पापी, दुराचारी को।

माँ बन कर ममता बरसती
बहन बहाती स्नेह अपार
चंदन नारी से ही
सुंदर है ये घर संसार

तुम खाओ धतूरा
या मदिरा पान करो
नारी नर की जननी है
नारी का सम्मान करो

वो वर दायनी शक्ति स्वरूपा है
नत मस्तक उसको प्रणाम करो
इंसानियत शर्मिंदा हो जिससे
ऐसा ना कोई काम करो।
जीएस श्रीवास्तव “चंदन’

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प्रधानमंत्री ने कोविड-19 महामारी की स्थिति, टीके की सुपुर्दगी, वितरण और उसे लगाने के संबंध में चल रही तैयारियों के बारे में बैठक की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने देश में कोविड-19 महामारी की स्थिति, टीके की सुपुर्दगी, वितरण और उसे लगाने के संबंध में चल रही तैयारियों की आज समीक्षा की। बैठक में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री हर्षवर्धन, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य), प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, वरिष्ठ वैज्ञानिक, प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी और भारत सरकार के अन्य विभागों ने भाग लिया।

प्रधानमंत्री ने कोविड के मामलों और वृद्धि दर में लगातार आ रही गिरावट की चर्चा की।

तीन टीके भारत में विकास के उन्नत चरणों में हैं, जिनमें से 2 चरण II में हैं और एक चरण- III में है। भारतीय वैज्ञानिक और अनुसंधान दल पड़ोसी देशों अर्थात अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, मालदीव, मॉरीशस, नेपाल और श्रीलंका में अनुसंधान क्षमताओं में सहयोग करने के साथ उसे मजबूत कर रहे हैं। बांग्लादेश, म्यांमार, कतर और भूटान ने अपने देशों में नैदानिक ​​परीक्षणों के लिए अनुरोध भेजे हैं। वैश्विक समुदाय की मदद करने के प्रयास में, प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया कि हमें अपने निकट पड़ोस में अपने प्रयासों को सीमित नहीं करना चाहिए, बल्कि टीका, दवाएं और टीके सुपुर्द करने की व्‍यवस्‍था के लिए आईटी मंच प्रदान कर पूरी दुनिया में पहुंचना चाहिए।

राज्य सरकारों के परामर्श से कोविड-19 के लिए नेशनल एक्‍सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्‍ट्रेशन (एनईजीवीएसी) और सभी संबंधित हितधारकों ने टीके के भंडारण, वितरण और उसे लगाने के संबंध में एक विस्तृत खाका तैयार किया है। राज्यों के परामर्श से विशेषज्ञ समूह वैक्सीन प्राथमिकता और टीका वितरण पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया कि देश के भौगोलिक विस्‍तार और विविधता को ध्यान में रखते हुए, वैक्सीन की पहुंच तेजी से सुनिश्चित की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि लॉजिस्टिक्‍स, वितरण और प्रबंधन में हर कदम को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। इसमें शीत भंडारण श्रृंखला, वितरण नेटवर्क, निगरानी तंत्र, पूर्व आकलन और आवश्यक उपकरण तैयार करने की पहले से योजना बनाना शामिल होना चाहिए, जैसे वेल्‍स, सीरिंज आदि।

उन्होंने आगे निर्देश दिया कि हमें देश में चुनाव और आपदा प्रबंधन के सफल आयोजन के अनुभव का उपयोग करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समान तरीके से टीका वितरण और उसे लगाने की व्‍यवस्‍था लागू की जानी चाहिए। इसमें राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों/जिला स्तरीय पदाधिकारियों, नागरिक समाज संगठनों, स्वयंसेवकों, नागरिकों और सभी आवश्यक कार्य क्षेत्र के विशेषज्ञों की भागीदारी होनी चाहिए। पूरी प्रक्रिया में एक मजबूत आईटी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए और व्‍यवस्‍था ऐसे बनाई जाए जिसका हमारी स्वास्थ्य प्रणाली के लिए स्थायी मूल्य हो।

भारत में आईसीएमआर और बायो-टेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी) द्वारा सार्ससीओवी-2 (कोविड-19 वायरस) के जीनोम पर कराए गए दो अखिल भारतीय अध्‍ययनों से पता चलता है कि वायरस आनुवंशिक रूप से स्थिर है और वायरस में कोई बड़ा उत्परिवर्तन नहीं है।

प्रधानमंत्री ने मामलों में गिरावट पर आत्‍मसंतोष करने के साथ सावधान रहने और महामारी को रोकने के प्रयासों को जारी रखने का आहवान करते हुए समापन किया। उन्होंने विशेष रूप से आगामी त्योहार के मौसम के मद्देनजर निरंतर एक दूसरे से दूरी बनाए रखने, कोविड के संबंध में उचित व्यवहार जैसे मास्‍क पहनना, नियमित रूप से हाथ धोने की आदत का पालन और स्‍वच्‍छता बनाए रखने की अपील की।

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गडकरी ने महाराष्ट्र में बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए स्टेट वाटर ग्रिड के निर्माण का सुझाव दिया

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा एमएसएमई मंत्री श्री नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र में बाढ़ के संकट से निपटने के स्थायी समाधान हेतु स्टेट वाटर ग्रिड के निर्माण के लिए महाराष्ट्र सरकार से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का अनुरोध किया है। यह प्रयास सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सरकार के लिए मददगार सिद्ध होगा। साथ ही बाढ़ के संकट से निपटने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले संसाधन की बचत होगी। 14 अक्टूबर, 2020 को मुख्यमंत्री श्री उद्धव ठाकरे और उनके कैबिनेट सहयोगियों तथा संसद सदस्य श्री शरद पवार को लिखे इस पत्र में उन्होंने इस मामले पर जल्द निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार से अनुरोध किया है ताकि इस पर क्रियान्वयन यथाशीघ्र शुरू हो सके।

श्री गडकरी ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का ध्यान महाराष्ट्र में प्रतिवर्ष बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में बड़े पैमाने पर जान और माल के नुकसान जैसे गंभीर मुद्दे की ओर आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि बाढ़ के चलते राज्य के विभिन्न भागों में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, इसलिए इस प्राकृतिक आपदा के बेहतर प्रबंधन के लिए तत्काल कारगर योजना तैयार करने की आवश्यकता है। यह प्राकृतिक आपदा मानव निर्मित विभिन्न विसंगतियों के चलते अधिक भयावह होती जा रही है।

केंद्रीय मंत्री ने महाराष्ट्र सरकार को राष्ट्रीय विद्युतीकरण ग्रिड और राजमार्ग ग्रिड की तर्ज पर राज्य में वाटर ग्रिड की महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू करने का सुझाव दिया है। इसका उद्देश्य बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की नदियों का पानी राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों की तरफ मोड़ना है। इससे सूखा प्रभावित या कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल संकट कम होने से लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। साथ ही इससे असिंचित क्षेत्रों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी जिससे किसानों की आत्महत्याओं के मामलों में व्यापक कमी आएगी। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि विभिन्न अध्ययन यह दर्शाते हैं कि जिन भागों में 55 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्र सिंचाई के दायरे में आते हैं वहां आत्महत्या के मामलों में कमी आई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस व्यवस्था से कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होगी और ग्रामीण तथा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। अतिरिक्त जल का प्रवाह मोड़ने से स्थानीय संसाधनों पर दबाव कम होगा। इससे नजदीक भविष्य में नदियों के रास्ते जल परिवहन का विकल्प विकसित किया जा सकता है जो यात्रियों और वस्तुओं के आवागमन का वैकल्पिक मार्ग हो सकेगा। उन्होंने लिखा कि अगर ऐसी परियोजनाओं को प्राथमिकता के तौर पर विकसित किया जाता है तो मछली पालन के साथ-साथ अन्य व्यवसाय विकसित हो सकते हैं और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित हो सकते हैं।

श्री गडकरी ने कहा कि उनका मंत्रालय राजमार्गों के निर्माण के लिए जलाशयों, नालों और नदियों से मिट्टी व रेत निकाल कर जल संरक्षण को भी सुनिश्चित कर रहा है। राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और जल संरक्षण के बीच यह तालमेल न सिर्फ जल भंडारण क्षमता को बढ़ाएगा बल्कि इससे पर्यावरण की भी सुरक्षा होगी। शुरुआत में यह प्रयोग महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में पायलट परियोजना के तौर पर शुरू किया गया, इसीलिए इसे बुलढाणा पैटर्न नाम दिया गया। इसी तरह की गतिविधि में महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में 225 लाख क्यूबिक मीटर मिट्टी और रेत नदियों, नालों तथा जलाशयों से लिए गए जिनका इस्तेमाल राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में हुआ और इसके परिणामस्वरूप 22500 टीसीएम ( थाउजेंड क्यूबिक मीटर) जल भंडारण की क्षमता बढ़ी, जिसके लिए राज्य सरकार पर खर्च का बोझ नहीं आया। इससे भू-जल स्तर में सुधार आया, नदियों, जलाशयों और नालों में गहराई बढ़ने के कारण बाढ़ की घटनाओं में कमी आई। कम गहराई होने के चलते पहले जहां नदियों, नालों और जलाशयों की जलग्रहण क्षमता कम थी, बाढ़ का पानी आसपास के इलाकों में भर जाता था वह अब इन जल स्रोतों में संग्रहित होने लगा। इस उपाय को नीति आयोग ने न सिर्फ स्वीकार किया है बल्कि इसकी सराहना की है और आने वाले समय में नीति निर्माण में इस तरह की प्रक्रिया के परिणामों का भी प्रभाव रहेगा।

केंद्रीय मंत्री ने सूचित किया कि वर्धा और नागपुर जिलों में तमस्वदा पैटर्न अपनाया गया है, जो वर्षा जल संचयन और भू-जल भरण का एक अन्य प्रयास है। यह कार्य पूरी तरह से वैज्ञानिक विधि से छोटे तथा सूक्ष्म वाटर शेड के निर्माण से किया जा रहा है जो जल अभियांत्रिकी और सिविल इंजीनियरिंग पर आधारित है। यह कार्य आवश्यक रूप से ऊंचे क्षेत्रों से घाटी क्षेत्रों की दिशा में किए जा रहे हैं। तमस्वदा पैटर्न वर्षा जल संचयन और भू-जल संग्रहण की दिशा में सबसे मददगार साबित हुआ है। यह शोधित जल भंडारण के साथ क्षेत्र को बाढ़ और सूखा मुक्त करता है। इस तरह के कार्यों के परिणामस्वरूप पारंपरिक और प्राकृतिक जल श्रोतों का संरक्षण हो रहा है।

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सेन कॉलेज में ए पी जे अब्दुल कलाम जयंती के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन


एस. एन.सेन बी वी पी जी कॉलेज , कानपुर में रसायन शास्त्र विभाग द्वारा भारत रत्न डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की 89 वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन हुआ जिसका विषय था-” सेल्फ रिलांयन्ट इंडिया-प्रोग्रेस एण्ड स्ट्रेटजीस”।
कार्यक्रम की शुरुआत प्राचार्या डॉ निशा अग्रवाल ने सभी अतिथियों का स्वागत और डॉ कलाम के चित्र का माल्यार्पण व पुष्पांजलि भेंट कर किया।
मुख्य वक्ता डी.एम.एस.आर.डी. ई. कानपुर के संयुक्त निदेशक ड और विज्ञान भारती ( ‘विभा’) कानपुर महानगर, के अध्यक्ष डॉ. डी.एस.बाग ने बताया कि भारत सभी क्षेत्रों में विकास कर रहा है,विजन इंडिया 2020 डॉ. कलाम की एक पहल थी, वर्तमान में प्रधानमंत्री मोदी जी का आत्मनिर्भर भारत अभियान एक बड़ा कदम है। स्वामी विवेकानंद जी के अनुसार युवाओं को एकता और राष्ट्रीय चरित्र की शिक्षा द्वारा भारत को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र में स्थापित किया जा सकता है।
मुख्य अतिथि डॉ अरविंद दीक्षित, एक्स वी. सी. बी आर आंबेडकर विश्व विद्यालय, आगरा, ने महापुरुषों की जयंती मनाने पर हर्ष व्यक्त किया और सभी से आह्वाहन किया कि हम अपनी छोटी छोटी छोटी कोशिशों से हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का प्रयास करें तो पूरा राष्ट्र आत्मनिर्भर हो जाएगा। जापान की अर्थव्यवस्था को उद्धत करते हुए उन्होंने बताया कि स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने से अर्थव्यवस्था स्वत: सुदृढ़ हो सकती है।
महाविद्यालय की प्रबंध समिति के सचिव श्री पी. के. सेन व संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन ने भी संबोधित कर बताया कि डॉ कलाम ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का स्वप्न देखा जिससे भारत आत्मनिर्भर बने उन्होंने बताया कि डॉ कलाम के विचार ना सिर्फ युवाओं में जोश भरते हैं बल्कि उन्हें जीवन में सफलता हासिल करने के लिए भी प्रेरित करते हैं।
ऑनलाइन संगोष्ठी में विद्यालय की समस्त शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं। महाविद्यालय की छात्राओं ने भी बताया कि डॉ कलाम युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत थे ,उनके विचार युवाओं को आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करते हैं वह अत्यंत सादगी पूर्ण जीवन यापन करने वाले व अपने कार्य के प्रति समर्पित रहते थे।
कार्यक्रम का संचालन रसायन शास्त्र विभाग की अध्यक्षा डॉ गार्गी यादव ने किया व डॉ मोनिका सहाय ,डॉ प्रीती सिंह, कु. वर्षा कु. तैयबा व समस्त शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नए कृषि सुधारों से देश में युवाओं के लिए कृषि उद्यमिता में आसानी होगी

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गए कृषि सुधार युवाओं के लिए कृषि उद्यमिता को आसानी बनाएंगे और उन्हें कृषि उद्यमी के रूप में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

उधमपुर-कठुआ-डोडा के अपने लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले छह जिलों के युवा किसानों, युवा सरपंचों और युवा कार्यकर्ताओं के साथ विशेष बातचीत “युवा सम्मेलन” में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नए सुधारों के बड़े लाभ होंगे। ये लाभ धीरे-धीरे प्रत्येक दिन के बीतते दिन के साथ दिखाई देंगे और यहां तक कि गैर-कृषि परिवारों के युवा एक दिन कृषि के क्षेत्र में स्टार्ट-अप शुरू करने के लिए आगे आएंगे। उन्होंने कहा कि संसद की तरफ से पारित किए गए हाल के कानूनों के माध्यम से उपलब्ध कराए गए नए विकल्पों और सुविधाओं का उद्देश्य युवा किसानों को प्रौद्योगिकी और उच्च तकनीक पद्धति के नवीनतम उपकरणों के साथ सशक्त बनाना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एपीएमसी या मंडियों के माध्यम से फसलों की बिक्री को अनिवार्य करने की पूर्व व्यवस्था 50 साल पहले प्रासंगिक हो सकती थी, जब किसानों के पास सीमित संसाधन हुआ करते थे और उसे अपनी फसल को बाजार तक ले जाने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था। उन्होंने कहा कि आज पूरा परिदृश्य बदल गया है और युवा किसानों के पास संसाधन हैं। किसानों आज के हालात के साथ अच्छी तरह वाकिफ हैं। उनके पास सभी तरह की सूचनाएं उपलब्ध हैं। किसान हमेशा आगे बढ़ रहा है, और इसलिए हमें अन्य उद्यमियों को अन्य क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाने के लिए उपलब्ध विकल्पों से वंचित करने का कोई अधिकार नहीं है।

बातचीत में भाग लेने वाले सभी युवा किसानों और पंचायत प्रतिनिधियों ने नए कृषि कानून का स्वागत किया और इसे खेती के क्षेत्र में परिवर्तनकारी बताया।

जिन प्रमुख युवा प्रतिभागियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए उनमें गौरव शर्मा, जसविंदर सिंह जस्सी, राहुल हंस, सुशांत गुप्ता, राजेश चिब, गुरदीप चिब, प्रभात सिंह, रॉकी गोस्वामी, रविंदर सिंह, आनंद किशोर और अन्य शामिल थे।

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एशिया की सबसे लंबी टनल रोड ज़ोज़िला टनल पर काम शुरू

जम्मू कश्मीर ज़ोज़िला टनल पर आज एक आयोजन में विस्फोट के बाद निर्माण का कार्य शुरू हो गया। एनएच-1 पर इस बनने वाली इस टनल से श्रीनगर घाटी और लेह के बीच (लद्दाख पठार में) सभी मौसम में निर्बाध संपर्क सुनिश्चित होगा। अवलांच रोधी इस ढांचे के निर्माण से जम्मू कश्मीर (अब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। द्रास और कारगिल के रास्ते श्रीनगर तथा लेह को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर 14.15 किलोमीटर लंबी इस सुरंग का निर्माण 3000 मीटर की ऊंचाई पर ज़ोज़िला पास के नीचे किया जाएगा। वर्तमान में इस रास्ते पर केवल 6 महीने ही आवागमन हो सकता है। यह मार्ग वाहन चलाने के संदर्भ में दुनिया के सबसे खतरनाक रस्तों में से एक है। साथ ही यह परियोजना रणनीतिक रूप से संवेदनशील है।

इस परियोजना की परिकल्पना सबसे पहले 2005 में की गई थी और इसके संबंध में बीआरओ द्वारा बीओटी (एन्यूइटी) मोड पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) 2013 में तैयार की गई थी। लेकिन परियोजना पर काम शुरू करने के लिए ठेके देने के लिए गए चार प्रयास सफल नहीं हो सके थे। आखिरकार जुलाई 2016 में इस परियोजना पर निर्माण का दायित्व एनएचआईडीसीएल को सौंपा गया, जिस पर क्रियान्वयन ईपीसी मोड से होना है। इसका काम मेसर्स आईटीएनएल (आईएल&एफ़एस) को दिया गया था। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लेह में इसकी आधारशिला रखी थी और इस पर 19.5.2018 को काम शुरू हुआ था। निर्माण कार्य जुलाई 2019 तक जारी रहा लेकिन उसके बाद मेसर्स आईएल&एफ़एस के सामने उपजे वित्तीय संकट के चलते काम फिर से बंद होगा गया। अतः 15.01.2019 को अनुबंध समाप्त कर दिया।

उसके उपरांत फरवरी 2020 में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने इस परियोजना की विस्तृत समीक्षा की। इस परियोजना की लागत कम करने और इसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने के लिए यह मामला एक विशेषज्ञ समूह को सौंपा गया, जिसकी अध्यक्षता सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में डीजी (आरडी) & एसएस श्री आई के पांडे कर रहे थे। विशेषज्ञ समूह ने परियोजना को कम से कम समय और कम लागत में पूरा करने के सभी उपयुक्त और उपलब्ध विकल्पों के सुझाव दिए।

विशेषज्ञ समूह ने टनल विशेषज्ञों और अन्य संबन्धित पक्षों से व्यापक परामर्श के बाद 17.5.2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिस पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने 23.05.2020 को अपनी मंजूरी दी। इस रिपोर्ट की मुख्य बातें:

  1. एक ट्यूब के टनल में दो लेन के बाई-डाइरेक्शनल मार्ग का निर्माण जिसमें आपातकाल के लिए समानान्तर मार्ग शामिल नहीं होगा।
  2. निर्माण शाफ्ट को घटाकर 3 से 2 करना।
  3. टनल में गति की डिज़ाइन 80 किमी प्रति घंटा होना।
  4. 18 किमी लंबी सड़क को जोड़ना (सड़क की कुल लंबाई 12 किमी) जो ज़ेड-मोड़ टनल के आखिर से ज़ोज़िला टनल के आरंभिक बिन्दु के बीच होगी, जिसमें अवलांच रोधी निर्माण जैसे कैच डैम, स्नो गॅलरी, कट एंड कवर, डिफ़्लेक्टर डैम इत्यादि शामिल होंगे। इससे दोनों टनलों के बीच सभी मौसम में संपर्क सुनिश्चित किया जा सकेगा।
  5. संशोधित लागत 4429.83 करोड़ रुपये होगी और जहां वर्तमान यात्रा समय 3.5 घंटे है वह इस टनल के निर्माण से घटकर महज़ 15 मिनट हो जाएगा।
  6. ज़ेड मोड़ से ज़ोज़िला तक सभी मौसम में संपर्क के लिए अवलांच रोधी ज़ोज़िला टनल परियोजना की शुरुआत

परियोजना का संशोधित प्रारूप:

क्रम संख्यामुख्य विशेषताएँ
 लंबाईज़ोज़िला टनल की लंबाई = 14.15 किमी और संपर्क मार्ग की लंबाई = 18.63 किमी।परियोजना की कुल लंबाई 32.78 किमी
 कार्य का फैलावबलताल और मीनामार्ग के बीच 14.150 किमी लंबी बाई-डाइरेक्शनल टनल जिसमें बचाव मार्ग नहीं होगा।ज़ेड-मोड़ टनल और ज़ोज़िला टनल को जोड़ने वाला 18.63 किमी लंबा संपर्क मार्ग, जिसमें 433 मीटर और 1958 मीटर के दो छोटे टनल भी शामिल होंगे। सड़क की कुल लंबाई 12 किमी होगी।सड़क सुरक्षा और अवलांच रोधी निर्माण जैसे कैच डैम, स्नो गॅलरी, कट एंड कवर, डिफ़्लेक्टर डैम इत्यादि शामिल होंगे।
 निर्माण अवधिज़ोज़िला टनल = 6 वर्षसंपर्क मार्ग  = 2.5 वर्ष

मंत्रालय की स्वीकृति के बाद एनएचआईडीसीएल ने 10.6.2020 को निविदा आमंत्रित की। सभी तीनों बोली कर्ताओं के तकनीकि योग्यता का परीक्षण करने के उपरांत 21.8.2020 को वित्तीय बोलियाँ खुलीं और परियोजना का आवंटन मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग एंड स्ट्रक्चर लिमिटेड की बोली स्वीकार की गई जिसमें 4509.50 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। 25.08.2020 को मंजूरी पत्र जारी किया गया।

ज़ोज़िला टनल और ज़ेड-मोड़ टनल को जोड़ने वाले 18.63 किमी लंबे संपर्क मार्ग को सभी मौसम में कार्यशील बनाने हेतु इस पर डीपीआर के अनुसार कुल 2335 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इससे पहले एनएचआईडीसीएल द्वारा ज़ोज़िला टनल पर 6575.85 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान था और प्रतिवर्ष 5% की लागत वृद्धि से परियोजना की कुल पूंजी लागत 8308 करोड़ रुपये तक होने की संभावना थी। अतः ज़ोज़िला टनल और ज़ेड-मोड टनल तक संपर्क मार्ग के लिए एकीकृत लागत 10643 करोड़ रुपये अनुमानित थी। इसकी तुलना में वर्तमान में प्राप्त हुई बोली 4509.5 करोड़ रुपये के आधार पर एकीकृत परियोजना में कुल पूंजी लागत होगी 6808.63 करोड़ रुपये होगी। अतः संशोधित कार्य प्रारूप से न सिर्फ इस परियोजना के खटाई में पड़ने को टाला गया बल्कि इससे 3835 करोड़ रुपये की बचत का भी अनुमान है।

परियोजना का महत्व:

(i)  ज़ोज़िला टनल के निर्माण से श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह क्षेत्र में सभी मौसम में सुरक्षित संपर्क सुनिश्चित होगा। हर मौसम में इस क्षेत्र में सुरक्षित संपर्क रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

 (ii) जोजिला टनल के निर्माण से क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि यह क्षेत्र सर्दियों के मौसम में लगभग 6 महीनों के लिए भारी बर्फबारी के कारण देश के अन्य भागों से कट जाता है।

(iii) ज़ोज़िला क्षेत्र में पूरे साल संपर्क सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान में टनल ही सबसे मुफीद विकल्प है। जिस समय यह टनल बनकर तैयार होगी, आधुनिक भारत के इतिहास में यह एक मील का पत्थर स्थापित करने वाली उपलब्धि बनेगी। लद्दाख, गिलगित और बालटिस्तान  की सीमाओं पर भारी सैन्य गतिविधियों के चलते देश की रक्षा रणनीति के क्षेत्र में भी इसका महत्वपूर्ण स्थान होगा।

(iv) ज़ोज़िला टनल परियोजना कारगिल, द्रास और लद्दाख क्षेत्र के लोगों की 30 वर्ष पुरानी मांग का सुफल है।

(v) इस परियोजना के पूर्ण होने पर एनएच-1 के श्रीनगर-कारगिल-लेह खंड पर अवलांच मुक्त यात्रा सुनिश्चित होगी।

(vi) यह परियोजना न सिर्फ ज़ोज़िला पास से गुजरने वाले यात्रियों की सुरक्शित यात्रा सुनिश्चित करेगी बल्कि वर्तमान में यात्रा में लगने वाले 3 घंटे को घटाकर 15 मिनट कर देगी।

vii.   इस परियोजना से स्थानीय स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे।

ज़ोज़िला टनल की सुरक्षा विशेषताएँ:

  1. प्रत्येक 750 मीटर पर आपातकालीन स्थिति में ठहरने के लिए सुरक्षित स्थान होगा, जिसे मार्ग के दोनों ओर बनाया जाएगा। मार्ग के दोनों ओर पैदल चलने के लिए भी रस्तों का निर्माण किया जाएगा। आपातकालीन स्थिति के लिए फोन और आग बुझाने का प्रबंध प्रत्येक 125 मीटर पर उपलब्ध रहेगा।
  2. मैनुअल फायर अलार्म और पोर्टेबल आग बुझाने का यंत्र सभी वाहन चालकों के पास होना चाहिए।
  3. आपातकालीन स्थिति के लिए टेलीफोन स्थापित किए जाएंगे।
  4. फायर हाइड्राण्ट, हाइड्राण्ट नीचेज़ और फायर एक्स्टिंगीशर स्थापित किए जाएंगे।
  5. टनल में प्रकाश की व्यवस्था: किसी टनल में सुरक्षित आवागमन में प्रकाश की व्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण होती है इसलिए निम्नलिखित आवश्यकताओं का पूर्ण होना ज़रूरी है:
  • प्रवेश स्थल पर प्रकाश का प्रबंध (टनल के दोनों छोरों पर)
  • टनल के अंदर प्रकाश का प्रबंध (सम्पूर्ण टनल में प्रकाश)
  • सुरक्षित खड़े होने के स्थल पर प्रकाश

6. वीडियो निगरानी व्यवस्था

  • सीसीटीवी-कैमरा: टनल में दीवारों पर निगरानी कैमरे स्थापित किए जाने चाहिए और टनल के पहले और टनल के बाद के मार्ग खंड पर कैमरे खंभों पर लगे होने चाहिए। कैमरे से लिए जाने वाले वीडियो सम्प्रेषण लाइन के माध्यम से प्रसारित होनी चाहिए। इसकी स्थापन का उद्देश्य पूर्ण करने हेतु ट्रांसीवर्स और मीडिया कन्वर्टर रखे जाने चाहिए।
  1. भवनों में फायर अलार्म सिस्टम
  2. टनल में आग को पहचानने और उसे बुझाने का स्वचालित सिस्टम लगा होना चाहिए।
  • लीनियर हीट डिटेक्शन      सिस्टम एससीएडीए के अपनी नियंत्रण व्यवस्था से जुड़ा होना चाहिए।
  1. आपातकालीन टेलीफोन बूथ

ईयू मानकों के अनुसार टनल के दोनों ओर 125 मीटर से कम की दूरी पर तथा सुरक्षित ठहरने के स्थान पर आपातकालीन स्थिति के लिए टेलीफोन बूथ लगे होने चाहिए। आपातकालीन केन्द्रों पर निम्नलिखित उपकरण होने चाहिए:

  • फायर अलार्म पुश बटन
  • फायर इक्स्टिंगग्विशर

10. केंद्रीय नियंत्रण कक्ष के द्वारा यातायात नियंत्रण व्यवस्था

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