भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस.एन. सेन बी.वी.पी.जी.कॉलेज में महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के मतदान जागरूकता अभियान के अंतर्गत मतदान के महत्व पर परिचर्चा का आयोजन कर चुनाव का पर्व मनाया गया कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री पी. के. मिश्रा, सचिव श्री पी. के. सेन, प्राचार्या प्रोफेसर सुमन तथा एन.एस.एस. प्रभारी प्रोफेसर चित्रा सिंह तोमर द्वारा परंपरागत रूप से किया गया |
इस कार्यक्रम में छात्राओं ने उत्साह से पूर्ण युवा मतदाता के रूप में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हुए कानपुर लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी श्री रमेश अवस्थी से क्षेत्र तथा शिक्षा के विकास पर सीधे सवाल किए| श्री रमेश अवस्थी ने सभी सवालों का सामना करते हुए उनके भलीभाँति जवाब दिए| उन्होंने अपने क्षेत्र मे शिक्षा के विकास हेतु अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया तथा छात्राओं की सभी शैक्षणिक समस्याओं के समाधान का आश्वासन भी दिया| छात्राओं ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के कारण उनकी पढ़ाई में आने वाली बाधाओं तथा चुनौतियों से संबंधित प्रश्न भी पूछे| इस अवसर पर समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा|
डी जी कॉलेज में छात्राओं द्वारा असाइनमेंट आधारित व्याख्यान आयोजित
भारतीय स्वरूप संवाददाता भूगोल विभाग, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में परास्नातक अंतिम वर्ष की छात्राओं का ग्रामीण भूगोल पर असाइनमेंट आधारित व्याख्यान का आयोजन भगोल विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शशि बाला सिंह के निर्देशन में सम्पन्न कराया गया। डॉ. शशि बाला सिंह द्वारा समन्वित ग्रामीण विकास पर पीपीटी द्वारा व्याख्यान हुआ । तथा परास्नातक अंतिम वर्ष की छात्राओं द्वारा ग्रामीण भूगोल की विभिन्न इकाइयों : ग्रामीण भूगोल का अर्थ, परिभाषा एवं विषय क्षेत्र; ग्रामीण भूगोल के प्रकार; समन्वित ग्रामीण विकास; ग्रामीण अधिवावासों के प्रकार एवं प्रतिरूप; ग्रामीण आधारभूत संरचना एवं सुविधाएं आदि विषयों पर छात्रा शिवांशी, शिखा, मानसी, प्रज्ञा, श्रेया एवं कृति आदि के द्वारा पीपीटी बनाकर अपना प्रेजेंटेशन दिया गया। व्याख्यान की संयोजिका डॉ. शशि बाला सिंह ने व्याख्यान विषय पर प्रकाश डाला । व्याख्यान में प्रार्चाया प्रो० अर्चना वर्मा ने छात्राओं को डिजीटल प्रस्तुतिकरण के लिए प्रेरित किया, विभाग की असिस्टेंट प्रो. डॉ. अंजना श्रीवास्तव एवं श्रीमती श्वेता गोंड का सक्रिय योगदान रहा। कार्यक्रम में शोध छात्र सुभाष, विकास, अतुल, विपुल, दीक्षा मालवीया, कल्पना, नेहा, निधि, जयललिता तथा विभाग की समस्त छात्राएं उपस्थित रही।
Read More »भारतीय तटरक्षक बल ने 27 बांग्लादेशी मछुआरों को बचाया और बांग्लादेश तटरक्षक बल को सौंप दिया गया
भारतीय तटरक्षक बल की तकनीकी टीम ने बांग्लादेशी नाव की खराबी की पहचान करने और उसे ठीक करने की कोशिश की, लेकिन यह पाया गया कि उस नाव का स्टीयरिंग ह्वील पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था और समुद्र में इसकी मरम्मत नहीं की जा सकती थी। चूंकि समुद्र के हालात और मौसम की स्थिति अनुकूल थी, इसलिए यह निर्णय लिया गया कि भारतीय तट रक्षक एवं बांग्लादेश तटरक्षक के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) के अनुसार, संकटग्रस्त नाव को भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा में खींच लिया जाएगा और फिर उसे आईएमबीएल या बांग्लादेश की सीमा रेखा की तरफ उनके तटरक्षक जहाज अथवा किसी अन्य बांग्लादेशी मछली पकड़ने वाली नाव को सौंप दिया जाएगा।
इस बीच, भारतीय तटरक्षक के कोलकाता स्थित क्षेत्रीय मुख्यालय ने बांग्लादेश तटरक्षक बल के साथ संवाद स्थापित किया और उन्हें इस घटना तथा आगे की कार्ययोजना के बारे में जानकारी प्रदान की। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बांग्लादेश तटरक्षक जहाज (बीसीजीएस) कमरुज्जमां को मछली पकड़ने वाली बांग्लादेशी नाव को खींचने के लिए बांग्लादेश तटरक्षक द्वारा तैनात किया गया। बांग्लादेश तटरक्षक बल का जहाज कमरुज्जमां 4 अप्रैल 2024 को लगभग 18:45 बजे भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के पास पहुंचा। भारतीय तटरक्षक के जहाज अमोघ ने 27 बांग्लादेशी मछुआरों को उनकी नाव के साथ बांग्लादेश तटरक्षक बल के जहाज कमरुज्जमां को सौंप दिया।
भारतीय तटरक्षक बल द्वारा संचालित किया गया यह ऑपरेशन सभी बाधाओं के बाद भी समुद्र में बहुमूल्य जीवन को सुरक्षित बचाने के प्रति भारत की वचनबद्धता को प्रदर्शित करता है। इस तरह के सफल खोज एवं बचाव अभियान न केवल क्षेत्रीय एसएआर संरचना को सशक्त करेंगे बल्कि पड़ोसी देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को भी बढ़ाएंगे। यह भारतीय तटरक्षक बल के आदर्श वाक्य “वयम रक्षामः” के अनुरूप है, जिसका अर्थ है “हम रक्षा करते हैं”।
समानता के मुद्दे पर भारत को इस दुनियां में किसी से उपदेश की आवश्यकता नहीं है-उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
श्री धनखड़ ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के बारे में फैलाई जा रही झूठी कहानी और गलत सूचना के प्रति आगाह करते हुए रेखांकित किया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) न तो किसी भी भारतीय नागरिक को उसकी नागरिकता से वंचित करना चाहता है, न ही यह पहले की तरह किसी को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से रोकता है। उन्होंने यह उल्लेख किया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों के लिए भारतीय नागरिकता के अधिग्रहण की सुविधा प्रदान करता है। उपराष्ट्रपति महोदय ने पूछा, “हमारे पड़ोस में उनकी धार्मिक प्रतिबद्धता के कारण सताए गए लोगों को यह राहत, उपचारात्मक संबंध भेदभावपूर्ण कैसे हो सकता है?”
यह देखते हुए कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) उन लोगों पर लागू होता है जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे, उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह अधिक संख्या में लोगों को निमंत्रण नहीं है। उन्होंने आगाह किया, “हमें इन आख्यानों को बेअसर करना होगा। ये अज्ञानता से नहीं, बल्कि हमारे देश को बर्बाद करने की रणनीति से उत्पन्न होते हैं।”
उपराष्ट्रपति महोदय ने मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में व्यावसायिक पाठ्यक्रम के चरण- I के समापन पर आज 2023 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने युवा प्रतिभाओं से ऐसे “हमारे गौरवशाली और मजबूत संवैधानिक निकायों को कलंकित करने और धूमिल करने के उद्देश्य से तथ्यात्मक रूप से अस्थिर राष्ट्र-विरोधी आख्यानों के रणनीतिक आयोजनों” का खंडन करने का आह्वान किया।
यह कहते हुए कि हाल के वर्षों में शासन व्यवस्था बेहतर हुई है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि विशेषाधिकार प्राप्त वंशावली अब गलियों में धूमिल हो रही है। उन्होंने कहा, “लोकतांत्रिक मूल्य और सार गहरा हो रहा है क्योंकि कानून के समक्ष समानता को अनुकरणीय तरीके से लागू किया जा रहा है और भ्रष्टाचार अब एक व्यापारिक वस्तु नहीं रह गया है। पहले यह अनुबंध, भर्ती, अवसर तक पहुंचने का एकमात्र साधन था।”
यह कहते हुए कि कुछ विशेषाधिकार प्राप्त वंशावली पहले सोचते थे कि वे कानूनी प्रक्रिया से सुरक्षित हैं और कानून उन तक नहीं पहुंच सकता है, उपराष्ट्रपति महोदय ने प्रशन किया, “हमारे जैसे लोकतांत्रिक देश में कोई दूसरों की तुलना में अधिक समान कैसे हो सकता है?” इस क्रांति में सिविल सेवकों के योगदान को मान्यता देते हुए उन्होंने युवा अधिकारियों से कहा कि कानून के समक्ष समानता जो लंबे समय से हमसे दूर थी और भ्रष्टाचार जो प्रशासन की रगों में खून की तरह बह रहा था, अब अतीत की बात है।
इस बात की प्रशंसा करते हुए कि हमारे सत्ता के गलियारों को उन भ्रष्ट तत्वों से मुक्त कर दिया गया है, जो निर्णय लेने में कानूनी रूप से अतिरिक्त लाभ उठाते हैं, उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि देश को निराशा से बाहर निकाला गया है। उन्होंने कहा कि भारत आशा और संभावना की भूमि बन गया है। यह कहते हुए कि पूरे देश में उत्साह का माहौल है, उपराष्ट्रपति महोदय ने बल देकर कहा, “भारत अब सोता हुआ देश नहीं है। यह गतिमान देश है।”
इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि हमारी वैश्विक छवि बढ़ रही है, उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने कहा कि शायद ही कोई सप्ताह गुजरता हो जब हमारी नौसेना ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को बचाने या समुद्री डकैती के पीड़ितों को बचाने के लिए काम नहीं किया हो। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को हमारी नौसेना की उपलब्धि पर गर्व होगा।
उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि हमारी लोकतांत्रिक राजनीति के लिए सबसे बड़ी चुनौती उन लोगों से उत्पन्न हो रही है जो लंबे समय से व्यवस्था का हिस्सा रहे हैं, सत्ता के पदों पर रहे हैं, जिनके पास राष्ट्र के विकास में योगदान करने का अवसर था और सत्ता या सत्ता से बाहर होने के बाद उनमें राष्ट्र के विकास के पथ के प्रति कम भूख है। उन्होंने कहा कि युवा मन से कुछ प्रतिकार की आवश्यकता है।
यह चेतावनी देते हुए कि लोकतंत्र के लिए इससे अधिक चुनौतीपूर्ण कुछ नहीं हो सकता, उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि विषय को अच्छी तरह से जानने वाला एक जागरूक दिमाग लोगों की अज्ञानता का फायदा उठाने के लिए गलत बयान देने वाले लोगों को बेनकाब करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “कुछ व्यक्ति, जो एक बार सत्ता या सत्ता से बाहर होने के बाद सत्ता के पदों पर रहे हैं, उनमें राष्ट्र के विकास पथ के प्रति कम भूख है।”
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति महोदय ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) परिवीक्षाधीन अधिकारियों से कहा कि लोग उन्हें आदर्श के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा, “आपको ऐसे कार्यों से उदाहरण पेश करना होगा जो अनुकरणीय हों, युवा प्रतिभाओं को प्रेरित और उत्साहित करें तथा किसी भी क्षमता में बड़ों की प्रशंसा प्राप्त करें।” हमारे सभ्यतागत मूल्यों को अपना मार्गदर्शक सिद्धांत बताते हुए, उपराष्ट्रपति महोदय ने युवा अधिकारियों से “सेवा भाव और समानुभूति – सेवा और सहानुभूति की भावना” के साथ काम करने को कहा।
इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के निदेशक श्री श्रीराम तरणीकांति और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
15 गीगावॉट की कुल क्षमता के साथ जलविद्युत परियोजनाएं निर्माणाधीन
भारतीय मौसम विभाग ने चालू वित्त वर्ष में अधिक बारिश की भविष्यवाणी की है। इसके अलावा, हिमालय क्षेत्र में स्थित जलविद्युत परियोजनाओं को बर्फ पिघलने से आधार प्रवाह मिलता है, यानी, वर्षा या बर्फ पिघलने से उत्पन्न प्रवाह; इसलिए, तापमान में किसी भी वृद्धि से बर्फ पिघलने का योगदान बढ़ जाएगा।
इसके अलावा, देश में चल रहे ऊर्जा परिवर्तन को देखते हुए, ग्रिड को अधिक जड़ता और संतुलन शक्ति प्रदान करने के लिए पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट्स (पीएसपी) का विकास महत्वपूर्ण हो जाता है। पीएसपी को ‘वॉटर बैटरी’ के रूप में भी जाना जाता है, जो आधुनिक स्वच्छ ऊर्जा प्रणालियों के लिए एक आदर्श पूरक है।
वर्तमान में, 2.7 गीगावॉट की कुल क्षमता वाले पीएसपी देश के कुछ भागों में निर्माणाधीन हैं और अन्य 50 गीगावॉट विकास के विभिन्न चरणों में हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि 2031-32 तक पीएसपी क्षमता 4.7 गीगावॉट से बढ़कर लगभग 55 गीगावॉट हो जाएगी।
वर्ष 2023-24 में जल विद्युत उत्पादन में गिरावट क्यों?
वर्ष 2022-23 की तुलना में वर्ष 2023-24 में जल विद्युत उत्पादन में गिरावट के लिए केवल कम वर्षा को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। दक्षिणी क्षेत्र में, जो उत्पादित कुल जल ऊर्जा का लगभग 22 प्रतिशत योगदान देता है, कम वर्षा ने वास्तव में एक भूमिका निभाई है। हालाँकि, उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाएँ, जिनमें कुल जल ऊर्जा उत्पादन का 60 प्रतिशत से अधिक शामिल है, 2023-24 में प्राकृतिक आपदाओं से गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं। जुलाई 2023 में, हिमाचल प्रदेश में अचानक बाढ़ आ गई, जिससे क्षेत्र के कई बिजली स्टेशनों ने काम करना बंद कर दिया। इसके अलावा, अक्टूबर 2023 में पूर्वी क्षेत्र में अचानक आई बाढ़ ने कई जलविद्युत स्टेशनों के संचालन में बाधा उत्पन्न की है, जिससे उत्पादन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है।
किसी भी नदी बेसिन का जल विज्ञान परिवर्तनशील होता है और कुछ अवधि के वैकल्पिक गीले और सूखे दौर का अनुसरण करता है। अतीत में कम वर्षा का मतलब यह नहीं है कि भविष्य में भी उसी प्रकार की वर्षा अनिवार्य रूप से होगी।
जलाशयों की क्षमता के अनुसार फिर से भरने की संभावना
हालांकि 2018 के बाद से सबसे हल्की बारिश के कारण कुछ जलाशयों में जल स्तर कम हो गया है, सरकार भविष्य को लेकर काफी आशावादी है।
वित्त वर्ष 2024-25 में अच्छे मानसून की आईएमडी की भविष्यवाणी प्रवृत्ति के संभावित उलट होने की बात कहती है। वर्षा में यह प्रत्याशित वृद्धि जलाशयों की उन क्षमताओं को फिर से भरने में योगदान कर सकती है जो पिछले वर्ष कम वर्षा के दौरान नष्ट हो गई थीं।
इसके अलावा, मौजूदा मंदी दीर्घकालिक गिरावट का संकेत देने के बजाय अस्थायी हो सकती है।
विद्युत प्रणाली में जल संबंधी योगदान
यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि देश ऊर्जा परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसमें सौर और पवन ऊर्जा का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके अलावा, सौर ऊर्जा से बिजली दिन के उस समय उपलब्ध होती है जो बिजली की अधिकतम मांग से मेल नहीं खाती है।
पनबिजली ने हमेशा देश के ऊर्जा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बिजली ग्रिड को अधिकतम मांग के समय आवश्यक सहयोग दिया है, जिससे बिजली प्रणाली की विश्वसनीयता और लचीलापन बढ़ा है।
कुल ऊर्जा मिश्रण में जल संबंधी हिस्सा और जल क्षमता में वृद्धि की गति
पनबिजली परियोजनाओं का विकास प्राकृतिक आपदाओं, भूवैज्ञानिक आश्चर्यों और अनुबंध संबंधी विवादों जैसे विभिन्न मुद्दों के कारण बाधित हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप हाल के वर्षों में पनबिजली क्षमता में धीमी वृद्धि हुई है।
फिर भी, सीओपी पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) में भारत द्वारा निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाना, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत कम करना और वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से 50 प्रतिशत स्थापित विद्युत ऊर्जा क्षमता हासिल करना है। सरकार ने त्वरित प्रगति के लिए प्रयास करते हुए जल विद्युत विकास के प्रति सक्रिय रुख अपनाया है।
भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि
हाल के वर्षों में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 30.11.2021 तक, देश की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षमता 150.54 गीगावॉट (सौर: 48.55 गीगावॉट, पवन: 40.03 गीगावॉट, लघु पनबिजली: 4.83 गीगावॉट, बायो-पावर: 10.62 गीगावॉट, बड़ी पनबिजली: 46.51 गीगावॉट) थी जबकि इसकी परमाणु ऊर्जा आधारित स्थापित क्षमता 6.78 गीगावॉट थी। इससे कुल गैर-जीवाश्म-आधारित स्थापित ऊर्जा क्षमता 157.32 गीगावॉट हो गई है, जो उस समय की कुल स्थापित बिजली क्षमता 392.01 गीगावॉट का 40.1 प्रतिशत है। इस प्रकार, भारत ने अपनी प्रतिबद्धता से लगभग नौ साल पहले, गैर-जीवाश्म ईंधन से अपनी स्थापित बिजली क्षमता का 40 प्रतिशत से अधिक हासिल करके सीओपी 21 पेरिस शिखर सम्मेलन में की गई अपनी प्रतिबद्धता को पूरा कर लिया है।
भारत एकमात्र जी20 देश है जिसने जलवायु परिवर्तन पर पेरिस में की गई सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है।
इसके बाद, भारत ने ग्लासगो सीओपी26 में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को अपग्रेड किया और अगस्त 2022 में अपने नवीनतम एनडीसी को यूएनएफसीसीसी को सूचित किया, जिसमें शामिल हैं:
- जलवायु परिवर्तन से निपटने की कुंजी के रूप में ‘लाइफ‘ – ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली‘ के लिए एक जन आंदोलन सहित संरक्षण और संयम की परंपराओं और मूल्यों के आधार पर जीवन जीने के एक स्वस्थ और टिकाऊ तरीके को आगे बढ़ाना और प्रचारित।
बी. 2005 के स्तर से 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करना।
सी. ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ) सहित प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और कम लागत वाले अंतरराष्ट्रीय वित्त की सहायता से, 2030 तक गैर-जीवाश्म-ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50 प्रतिशत संचयी विद्युत स्थापित क्षमता प्राप्त करना।
साथ ही, भारत वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50 प्रतिशत की प्रतिबद्ध क्षमता से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य बना रहा है। 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन उत्पादन क्षमता को पूरा करने के लिए, ट्रांसमिशन योजना पहले ही बनाई जा चुकी है। नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लिए बोलियां तैयार कर ली गई हैं और उन्हें अंतिम रूप दे दिया गया है।
अखिल भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन (बड़े हाइड्रो को छोड़कर) 15.47 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) पर 2014-15 में 61.7 बिलियन यूनिट से बढ़कर 2023-24 में 225.5 बिलियन यूनिट हो गया है।
इसी प्रकार, नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता (बड़े हाइड्रो को छोड़कर) में वृद्धि 31.03.2015 को 38.96 गीगावॉट से बढ़कर 29.02.2024 को 136.57 गीगावॉट हो गई है, जो 14.94 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) पर है।
साथ ही, 2014-15 से 2023-24 तक अखिल भारतीय सौर ऊर्जा उत्पादन की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 42.97 प्रतिशत है।
निर्वाचन आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए पहली बार, चुनिंदा जिलों के निगम आयुक्तों और जिला चुनाव अधिकारियों के साथ ‘मतदान में कम सहभागिता पर सम्मेलन’ आयोजित किया
लोकसभा के 2019 के आम चुनावों में 11 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों अर्थात् बिहार, उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर व झारखंड में मतदान प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 67.40 प्रतिशत से कम था। 2019 में राष्ट्रीय औसत से कम मतदान वाले 11 राज्यों के कुल 50 ग्रामीण संसदीय क्षेत्रों में से 40 संसदीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश (22 संसदीय क्षेत्र) और बिहार (18 संसदीय क्षेत्र) से हैं। यूपी में 51-फूलपुर संसदीय क्षेत्र में सबसे कम 48.7 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि बिहार में 29-नालंदा संसदीय क्षेत्र में सबसे कम 48.79 प्रतिशत मतदान हुआ।
निगम आयुक्तों और डीईओ को संबोधित करते हुए, सीईसी श्री राजीव कुमार ने कहा कि कम मतदान प्रतिशत वाले कुल 266 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों (215 ग्रामीण और 51 शहरी) की पहचान की गई है और सभी संबंधित निगम आयुक्तों, डीईओ और राज्य सीईओ को लक्षित तरीके से मतदाताओं तक पहुंचने के तरीकों का पता लगाने के लिए आज बुलाया गया है। उन्होंने मतदान केन्द्रों पर कतार प्रबंधन, भीड़भाड़ वाले इलाकों में शेल्टर पार्किंग जैसी सुविधा प्रदान करने; लक्षित पहुंच एवं जानकारी; और लोगों को मतदान केंद्रों पर आने के लिए मनाने के लिए आरडब्ल्यूए, स्थानीय आइकन और युवा प्रभावशाली लोगों जैसे महत्वपूर्ण हितधारकों की भागीदारी की त्रिआयामी रणनीति पर जोर दिया।
सीईसी कुमार ने उन्हें बढ़ी हुई भागीदारी और व्यवहार परिवर्तन के लिए बूथवार कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया। उन्होंने सभी एमसी और डीईओ को शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग रणनीति तैयार करने और अलग-अलग लक्षित दर्शकों के लिए तदनुसार कार्य योजना बनाने के लिए कहा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “सभी के लिए एक ही तरह की रणनीति ” वाले दृष्टिकोण से परिणाम नहीं मिलेंगे। सीईसी कुमार ने अधिकारियों से इस तरह से कार्य करने का भी आग्रह किया जिससे मतदाताओं में लोकतांत्रिक उत्सव में भाग लेने का गौरव पैदा हो। उन्होंने एक ऐसे आंदोलन का आह्वान किया जिसमें लोग मतदान करने के लिए स्वयं-प्रेरित हों।
ईसीआई और प्रमुख हितधारकों के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास वाला यह सम्मेलन, मतदाताओं की उदासीनता दूर करने, लॉजिस्टिक संचालन को सुव्यवस्थित करने और मतदाताओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार करने पर केंद्रित था। चर्चाएं मतदान केंद्रों पर कतार प्रबंधन को अनुकूलित करने, ऊंची इमारतों में मतदान की सुविधा प्रदान करने और प्रभावशाली व्यवस्थित मतदाता शिक्षा व चुनावी भागीदारी (एसवीईईपी) कार्यक्रम का लाभ उठाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर केन्द्रित थी।
साझेदारी और समावेशिता पर जोर देते हुए, ईसीआई ने निगम आयुक्तों और डीईओ से इस पहल में सक्रिय रूप से योगदान देने का आग्रह किया। मतदाताओं की सहभागिता में वृद्धि के लिए शहरी विशिष्ट बाधाओं की पहचान की गई और लक्षित शहर विशिष्ट कार्यों की योजना बनाई गई और अधिकारियों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं एवं जनसांख्यिकी के अनुरूप, क्षेत्र-विशिष्ट पहुंच कार्यक्रम विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस दृष्टिकोण के अनुरूप, ईसीआई ने एसवीईईपी के तहत नवीन मतदाता जागरूकता अभियानों की एक श्रृंखला की रूपरेखा तैयार की, जिसमें शामिल हैं:
- आवश्यक चुनाव संदेशों से सुसज्जित सार्वजनिक परिवहन और स्वच्छता वाहन चलाना।
- व्यापक प्रसार के लिए उपयोगिता बिलों में मतदाता जागरूकता संदेशों को शामिल करना।
- रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) और मतदाता जागरूकता मंचों के साथ सहयोग करना।
- पार्क, बाज़ार और मॉल जैसे लोकप्रिय सार्वजनिक स्थानों पर जानकारी से भरे सत्रों की मेजबानी करना।
- मतदाताओं में रुचि जगाने के लिए मैराथन, वॉकाथन और साइक्लोथॉन जैसे आकर्षक कार्यक्रम आयोजित करना।
- मतदाता शिक्षा सामग्री का प्रसार करने के लिए होर्डिंग्स, डिजिटल स्पेस, कियोस्क और कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) सहित विभिन्न प्लेटफार्मों का उपयोग करना।
- व्यापक मतदाता पहुंच और जुड़ाव के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की शक्ति का लाभ उठाना।
इस सम्मेलन में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, ठाणे, नागपुर, पटना साहिब, लखनऊ और कानपुर के नगर आयुक्तों के साथ-साथ बिहार और उत्तर प्रदेश के चुनिंदा जिला चुनाव अधिकारियों ने भाग लिया। सीईओ बिहार, सीईओ उत्तर प्रदेश, सीईओ महाराष्ट्र और सीईओ दिल्ली ने भी सम्मेलन में भाग लिया, जिसमें 7 राज्यों कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पंजाब के सीईओ वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए।
पृष्ठभूमि:
लगभग 297 मिलियन पात्र मतदाताओं ने 2019 में लोकसभा के आम चुनावों में मतदान नहीं किया, जो समस्या के पैमाने को रेखांकित करता है जिसके लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता है। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों में हाल के चुनावों ने चुनावी प्रक्रिया के प्रति शहरी उदासीनता के रुझान को दर्शाता है, जिसके लिए लक्षित उपायों और सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता है।
लोकसभा के 2019 के आम चुनाव में सबसे कम मतदान वाले 50 संसदीय क्षेत्रों में से 17 महानगरों या प्रमुख शहरों में पाए गए जो शहरी उदासीनता की दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। पिछले कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी यही प्रवृत्ति देखी गई है। 2022 में गुजरात राज्य विधानसभा के चुनाव में, कच्छ जिले के गांधीधाम विधानसभा क्षेत्र, जहां औद्योगिक प्रतिष्ठान हैं, ने सबसे कम मतदान प्रतिशत 48.14 दर्ज किया, जो 2017 में पिछले चुनाव की तुलना में लगभग 6 प्रतिशत की जबरदस्त गिरावट है, जो एक नया निचला स्तर दर्ज करता है। इसी प्रकार, 2022 में हिमाचल प्रदेश के जीई से एसएलए, शिमला जिले (राज्य की राजधानी) में शिमला एसी में राज्य के औसत मतदान प्रतिशत 75.78 प्रतिशत के मुकाबले सबसे कम 63.48 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। यह देखा गया है कि प्रतिशत के मामले में सूरत के शहरी विधानसभा क्षेत्रों की तुलना में सभी ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों में अधिक मतदान हुआ है। सूरत के सबसे निचले शहरी एसी और सबसे ज्यादा ग्रामीण एसी में अंतर 25 प्रतिशत तक है। इसी प्रकार, कर्नाटक 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव में, बैंगलोर (बैंगलोर दक्षिण) में एसी बोम्मनहल्ली ने राज्य के औसत वीटीआर 73.84 प्रतिशत की तुलना में सबसे कम 47.5 प्रतिशत वीटीआर दर्ज किया।
लोकसभा आम चुनाव-2019 में सबसे कम वीटीआर वाले 50 पीसी की सूची
क्र.सं. | राज्य का नाम | पीसी संख्या | पीसी का नाम | पीसी वीटीआर (प्रतिशत) | राज्य वीटीआर (प्रतिशत) |
1 | जम्मू और कश्मीर | 3 | अनंतनाग | 8.98 | 44.97 |
2 | जम्मू और कश्मीर | 2 | श्रीनगर | 14.43 | 44.97 |
3 | जम्मू और कश्मीर | 1 | बारामूला | 34.60 | 44.97 |
4 | तेलंगाना | 9 | हैदराबाद | 44.84 | 62.77 |
5 | महाराष्ट्र | 24 | कल्याण | 45.31 | 61.02 |
6 | बिहार | 30 | पटना साहिब | 45.80 | 57.33 |
7 | तेलंगाना | 8 | सिकंदराबाद | 46.50 | 62.77 |
8 | उत्तर प्रदेश | 51 | फूलपुर | 48.70 | 59.21 |
9 | बिहार | 29 | नालंदा | 48.79 | 57.33 |
10 | बिहार | 35 | काराकट | 49.09 | 57.33 |
11 | महाराष्ट्र | 25 | ठाणे | 49.39 | 61.02 |
12 | तेलंगाना | 7 | मलकाजगिरी | 49.63 | 62.77 |
13 | बिहार | 39 | नवादा | 49.73 | 57.33 |
14 | महाराष्ट्र | 34 | पुणे | 49.89 | 61.02 |
15 | महाराष्ट्र | 31 | मुम्बई दक्षिण | 51.59 | 61.02 |
16 | उत्तर प्रदेश | 43 | कानपुर | 51.65 | 59.21 |
17 | बिहार | 36 | जहानाबाद | 51.76 | 57.33 |
18 | बिहार | 32 | आरा | 51.81 | 57.33 |
19 | उत्तर प्रदेश | 52 | इलाहाबाद | 51.83 | 59.21 |
20 | उत्तर प्रदेश | 58 | श्रावस्ती | 52.08 | 59.21 |
21 | उत्तर प्रदेश | 59 | गौंडा | 52.20 | 59.21 |
22 | उत्तर प्रदेश | 60 | डोमरियागंज | 52.26 | 59.21 |
23 | उत्तराखंड | 3 | अल्मोड़ा | 52.31 | 61.88 |
24 | महाराष्ट्र | 23 | भिवंडी | 53.20 | 61.02 |
25 | तेलंगाना | 10 | चेवेल्ला | 53.25 | 62.77 |
26 | उत्तर प्रदेश | 78 | भदोही | 53.53 | 59.21 |
27 | उत्तर प्रदेश | 39 | प्रतापगढ़ | 53.56 | 59.21 |
28 | बिहार | 37 | औरंगाबाद | 53.67 | 57.33 |
29 | महाराष्ट्र | 29 | मुम्बई उत्तर मध्य | 53.68 | 61.02 |
30 | कर्नाटक | 26 | बेंगलौर दक्षिण | 53.70 | 68.81 |
31 | बिहार | 6 | मधुबनी | 53.81 | 57.33 |
32 | बिहार | 19 | महाराजगंज | 53.82 | 57.33 |
33 | बिहार | 33 | बक्सर | 53.95 | 57.33 |
34 | उत्तर प्रदेश | 37 | अमेठी | 54.08 | 59.21 |
35 | उत्तर प्रदेश | 62 | संत कबीर नगर | 54.20 | 59.21 |
36 | कर्नाटक | 25 | बेंगलौर सेंट्रल | 54.32 | 68.81 |
37 | उत्तर प्रदेश | 72 | बलिया | 54.35 | 59.21 |
38 | महाराष्ट्र | 27 | मुम्बई उत्तर पश्चिम | 54.37 | 61.02 |
39 | उत्तर प्रदेश | 57 | कैसरगंज | 54.39 | 59.21 |
40 | मध्य प्रदेश | 2 | भिंड | 54.53 | 71.20 |
41 | उत्तर प्रदेश | 50 | कौशाम्बी | 54.56 | 59.21 |
42 | बिहार | 34 | सासाराम (अनुसूचित जाति के सुरक्षित) | 54.57 | 57.33 |
43 | बिहार | 18 | सीवान | 54.73 | 57.33 |
44 | कर्नाटक | 24 | बेंगलौर उत्तर | 54.76 | 68.81 |
45 | उत्तर प्रदेश | 35 | लखनऊ | 54.78 | 59.21 |
46 | उत्तर प्रदेश | 68 | लालगंज | 54.86 | 59.21 |
47 | बिहार | 28 | मुंगेर | 54.90 | 57.33 |
48 | महाराष्ट्र | 10 | नागपुर | 54.94 | 61.02 |
49 | उत्तराखंड | 2 | गढ़वाल | 55.17 | 61.88 |
50 | राजस्थान | 10 | करौली-धौलपुर | 55.18 | 66.34 |
नोट : रंगीन पृष्ठभूमि वाली पंक्तियों के पीसी को मेट्रो या प्रमुख शहरों के पीसी के रूप में पहचाना जाता है।
इन चुनौतियों के जवाब में, ईसीआई ने मतदाता भागीदारी और भागीदारी को फिर से मजबूत करने के उद्देश्य से कई पहल लागू की हैं, जिनमें शामिल हैं:
- मतदान केन्द्रों पर लक्षित हस्तक्षेप के लिए टर्नआउट अमल योजना (टीआईपी) तैयार करना।
- विविध जनसांख्यिकीय समूहों के मतदान केंद्रों के लिए जिला-विशिष्ट थीम तैयार करना।
- मतदाता की पहुंच और जागरूकता प्रयासों का विस्तार करने के लिए प्रमुख हितधारकों के साथ सहयोग करना।
- रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से शिक्षा प्रणाली में चुनावी साक्षरता को औपचारिक बनाना।
- युवा मतदाताओं से जुड़ने और उन्हें प्रेरित करने के लिए राष्ट्रीय प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल करना।
- एकीकृत मल्टीमीडिया अभियान और #MeraVoteDeshkeLiye जैसी लक्षित पहल शुरू करना।
- मतदान केन्द्रों पर नवीनतम मतदाता सूची और सरलता से पहुंचने योग्य बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करना
- नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने और पारदर्शिता के लिए आईटी एप्लिकेशन्स के उपयोग को बढ़ावा देना।
- चुनावों के निर्बाध संचालन के लिए चुनाव अधिकारियों को निरंतर प्रशिक्षण प्रदान करना।
भारत का निर्वाचन आयोग नागरिकों को सक्रिय रूप से शामिल करके और मतदाताओं की भागीदारी में आने वाली बाधाओं को दूर करके एक जीवंत लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने सैन्य नेतृत्वकर्ताओं की युद्ध के बदलते स्वरूप के अनुरूप ढलने की आवश्यकता पर जोर दिया
अपने संबोधन में सीडीएस ने उभरती सुरक्षा चुनौतियों की पृष्ठभूमि में भारतीय सेना में किए गए परिवर्तनकारी सुधारों की चर्चा की। कमांडेंट ने सीडीएस को कॉलेज में चल रही प्रशिक्षण गतिविधियों के बारे में जानकारी दी, जिनमें संयुक्त कौशल और सेनाओं के बीच परस्पर जागरूकता को बढ़ावा देने पर विशेष महत्व दिया गया, जिसकी पर्याप्त सराहना की गई।
वर्तमान में कॉलेज में 79वां स्टाफ कोर्स संचालित किया जा रहा है। इस कोर्स की अवधि 45 सप्ताह है। 476 अधिकारी वर्तमान कोर्स में विद्यार्थी होंगे जिनमें 26 मित्र देशों के 36 विद्यार्थी शामिल हैं। इस कोर्स में पहली बार आठ महिला अधिकारी भी भाग ले रही हैं।
कोलकाता स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट में 1870 के बाद से वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान अब तक का सबसे अधिक माल चढ़ाने-उतारने (कार्गो हैंडलिंग) का कीर्तिमान
अध्यक्ष श्री रथेंद्र रमन ने इस अभूतपूर्व प्रवाह – क्षमता (थ्रूपुट) का श्रेय उत्पादकता, सुरक्षा उपायों, व्यवसाय विकास और समग्र क्षमता के उपयोग को बढ़ाने हेतु पोर्ट द्वारा कार्यान्वित विभिन्न रणनीतिक पहलों को दिया।
एचडीसी के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालते हुए, श्री रमन ने कहा कि परिसर ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 49.54 एमएमटी माल चढ़ाने – उतारने का कार्य किया, जो इसकी स्थापना के बाद से अब तक का सबसे अधिक कार्गो वॉल्यूम है और यह वित्तीय वर्ष 2022-23 के 48.608 एमएमटी के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है, जोकि1.91 प्रतिशत की वृद्धि है। इधर, केडीएस ने 2022-23 के 17.052 एमएमटी की तुलना में 2023-24 के दौरान 16.856 एमएमटी माल चढ़ाने – उतारने का कार्य किया।
अध्यक्ष ने 2023-24 के दौरान पोर्ट के मजबूत वित्तीय प्रदर्शन पर जोर दिया, जिससे 501.73 करोड़ रुपये का शुद्ध अधिशेष प्राप्त हुआ। यह पिछले वर्ष के 304.07 करोड़ रुपये के शुद्ध अधिशेष से 65 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि है, जोकि एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
पोर्ट की क्षमता बढ़ाने हेतु, एसएमपी कोलकाता बड़े पैमाने पर पीपीपी परियोजनाओं पर जोर दे रहा है।
पीपीपी परियोजनाओं के लिए प्रमुख प्रोत्साहन:
✓केपीडी-I वेस्ट के कायाकल्प (लागत 181.81 करोड़ रुपये) और एचडीसी के बर्थ नंबर-2 के मशीनीकरण (लागत 298.28 करोड़) के लिए 480 करोड़ रुपये की लागत वाली दो पीपीपी परियोजनाओं के लिए एसएमपीके द्वारा रियायत दी गई, जिससे कुल क्षमता में 6.78 एमएमटी (लगभग) की वृद्धि हो सकती है।
✓1160 करोड़ रुपये की लागत से तीन और परियोजनाओं (एचडीसी के लिए बर्थ नंबर 5, बर्थ नंबर 7 एवं 8 का सुदृढ़ीकरण एवं मशीनीकरण तथा डायमंड हार्बर में एनएसडी एवं फ्लोटिंग क्रेन, 4.5 एमएमटी की वृद्धिशील क्षमता) के 2024-25 तक आवंटन चरण तक पहुंचने की संभावना है।
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान प्रदान की गई प्रमुख परियोजनाएं:
✓मास्टर ड्रेनेज योजना के तहत हल्दिया स्थित हल्दिया गोदी परिसर में गोदी बेसिन के पूर्वी हिस्से पर ड्रेनेज नेटवर्क (चरण-IIए) का विकास (लागत 26.79 करोड़ रुपये) ।
✓केडीएस में छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र के साथ-साथ ऊर्जा के मामले में किफायती/स्मार्ट फिटिंग और बाह्य उद्देश्य के कार्यान्वयन के संबंध में, स्मार्ट लाइट के लिए आशय-पत्र (एलओआई) जारी किया गया।
वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 201.23 करोड़ रुपये की लागत से 4 प्रमुख परियोजनाओं का कार्य पूरा हुआ:
✔ एचडीसी पर एक 40 टनरेल माउंटेड क्वे क्रेन (आरएमक्यूसी) की खरीद (लागत 52.82 करोड़ रुपये और 0.25 एमएमटीपीए की क्षमता वृद्धि)।
✓एचओजे-I एंड II में अग्निशमन प्रणाली के विस्तार के साथ-साथ10 वर्षों के लिए ओ एंड एम सहित बार्ज जेट्टी (लागत 107.49 करोड़ रुपये)।
✔जीसीडी यार्ड का विकास (लागत 5.87 करोड़ रुपये)।
✔केडीएस के लिए 2 साल की ऑन-साइट वारंटी और स्पेयर/उपभोग्य सामग्रियों के साथ 8 साल की सीएएमसी के साथ एक ड्राइव-थ्रूएक्स-रे कंटेनर स्कैनिंग सिस्टम की खरीद, आपूर्ति स्थापना, परीक्षण एवं तैनाती (लागत 35.05 करोड़ रुपये) पूर्व परीक्षण पूरा हो गया है और उम्मीद है कि इसका संचालन शीघ्र ही प्रारंभ होगा।
वित्तीय वर्ष 2022-23 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान,एचडीसी ने जहां पीओएल (उत्पाद), अन्य तरल, वनस्पति तेल, लौह अयस्क, अन्य कोयला कोक, तैयार उर्वरक, कंटेनर टीईयू आदि के संबंध में वृद्धि दर्ज की, वहीं केडीएस ने तैयार उर्वरक, लकड़ी, अन्य कोयला/कोक, दालों एवं मटर, कंटेनर (टीईयू एवं टन भार दोनों) आदि के संबंध में वृद्धि दर्ज की।
कानपुर लोकसभा के भाजपा प्रत्याशी रमेश अवस्थी के केंद्रीय कार्यालय का शुभारंभ
भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर लोकसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी रमेश अवस्थी के केंद्रीय कार्यालय का आज उद्घाटन हुआ। शास्त्री पार्क के सामने बने केंद्रीय कार्यालय का कानपुर बुंदेलखंड के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल,प्रत्याशी रमेश अवस्थी, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, सांसद सत्यदेव पचौरी, महापौर प्रमिला पांडे, राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला विधायक ,विधायक सुरेंद्र मैथानी, एमएलसी सलिल बिश्नोई ,अरुण पाठक,उत्तर- दक्षिण जिलाध्यक्ष दीपू पांडे, शिवराम सिंह ने विधि विधान से हवन पूजन कर केंद्रीय कार्यालय का शुभारंभ किया।
कार्यकर्ताओं द्वारा हुए शंखनाद से पूरा पंडाल गूंजने लगा। पार्टी कार्यकर्ता जय श्रीराम- जय श्रीराम और मोदी- योगी जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे।
इस अवसर पर क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के जनसैलाब को देख कर लग रहा है की विपक्ष आज अपनी छाती पीट रहा होगा। 2019 में हम कहते थे की ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया,आज हम कह सकते है धमक चलत रामचंद्र फाटत पैजनिया।
उन्होंने कहा कि देश की जनता नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने का मन बना चुकी है। पार्टी कार्यकर्ता परिश्रम की पराकाष्ठा तक मेहनत करें। पार्टी कार्यकर्ता घर-घर संपर्क व संवाद कर मोदी की उपलब्धियां को जनता तक पहुंचाएं।
प्रमुख रूप से पूर्व मंत्री प्रेमलता कटियार,बाल चंद्र मिश्र, जगवीर सिंह द्रोण, रघुनंदन भदोरिया, सुरेश अवस्थी, विधायक सरोज कुरील, नीरज चतुर्वेदी, अजय कपूर, कामलावती सिंह, आचार्य शिवाकांत शास्त्री, लोकसभा प्रभारी रामशरण कटियार, मणिकांत जैन, कौशल किशोर दीक्षित, रमाकांत त्रिपाठी लोकसभा मीडिया प्रभारी मनीष त्रिपाठी सहित जिला पदाधिकारी, मण्डल अध्यक्ष ,पार्षद व शहर के सभी वरिष्ठ पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे।
Read More »दिल्ली सरकार की आंखों में धूल झोंक कर धोखेबाजी करवा रही ‘एप्प’ आधारित बाइक टैक्सी कम्पनी
दिल्ली पुलिस की कार्यवाही से बचने के लिये बुकिंग नम्बर के स्थान पर दूसरे नम्बर की बाइक टैक्सियों का किया जा है इस्तेमाल
-ग्राहकों से अनेक बहाने बनाकर बाइक टैक्सियों के मालिक, ऑन लाइन एप कम्पनी का भर रहे हैं खजाना
नई दिल्ली। दिल्ली में बाइक-टैक्सी की बुकिंग पर रोक जारी है। फिर भी बाइक टैक्सी की बुकिंग धड़ल्ले से जारी है। दिल्ली पुलिस की कार्यवाही से बचने के लिये बुकिंग नम्बर के स्थान पर दूसरे नम्बर की बाइक टैक्सियों का इस्तेमाल किया जा रही है और कमीशन के चक्कर में एक तरफ जहां दिल्ली सरकार की आंखों में धूल झोंकी जा रही है तो दूसरी तरफ लोगों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करवाया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने 19 फरवरी 2023 को एक पब्लिक नोटिस जारी किया था। इसके जरिए दिल्ली में बाइक टैक्सी पर रोक लगा दी गई थी। ऑन लाइन बुकिंग करने वाली रैपिडो और उबेर ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका डाली। हाई कोर्ट ने 21 फरवरी 2023 को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इस बारे में दिल्ली सरकार की मुख्य दलील थी कि एग्रीगेटर्स की तरफ से दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल बिना प्रॉपर लाइसेंस और परमिट के हो रहा है। एग्रीगेटर के लिए लाइसेंस की जरूरत का प्रावधान मोटर व्हीकल एक्ट की धारा-93 में है। दिल्ली सरकार की दलील थी कि ये गाइडलाइंस चार पहिया और दो पहिया, दोनों तरह के वाहनों के लिए है। ऐसे में बिना पॉलिसी लाए नॉन ट्रांसपोर्ट टू-व्हीलर्स का यूज एग्रीगेटर्स नहीं कर सकते। वहीं दिल्ली सरकार एक पॉलिसी बना रही है। जब तक यह लागू नहीं होती, टू वीलर वाहन का बाइक टैक्सी के रूप में इस्तेमाल पर रोक जारी रहेगी। यह रोक होने के बावजूद दिल्ली में ‘उबेर’ एप्प के माध्यम से बाइक टैक्सी की बुकिंग धड़ल्ले से की जा रही है और खास बात यह है कि बुकिंग के बाद जिस नम्बर की बाइक बुकिंग में दिखाई जा रही है, उसके स्थान पर दूसरे नम्बर की बाइक के द्वारा ग्राहकों को सुविधा दी जा रही है।
इस बारे में पड़ताल करने पर बाइक टैक्सी के मालिकों ने बताया कि वो ग्राहकों को बरगला देते हैं कि उनकी बाइक खराब हो गई है, इस लिये अपनी ही दूसरी बाइक लेकर आया हूं। लेकिन जब उसे विश्वास में लेकर सच्चाई की तह तके गये तो उसने सच उगल दिया कि दिल्ली सरकार बाइक टैक्सियों को जब्त करवा लेती है, इस लिये यह धोखेबाजी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया अपनी रिस्क पर यह सब कर रहे हैं और कम्पनी को सिर्फ कमीशन से मतलब है।
इस बारे पुष्टि करने के लिये ऑन लाइन बुकिंग कर जब पड़ताल की तो यह साफ हो गया कि रोक के बावजूद दिल्ली में टैक्सी बाइक की बुकिंग एप्प के माध्यम से धड़ल्ले से जारी है और बाइक टैक्सी मालिक ऑन लाइन बाइक टैक्सी की सुविधा का माध्यम बनने वाली कम्पनियों का खजाना भरने में जुटे हैं और दिल्ली सरकार की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। इसके साथ ही एप्प कम्पनी द्वारा लोगों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करवाया जा रहा है।
~श्याम सिंह पंवार
सदस्य भारतीय प्रेस परिषद
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