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क्या कछुआ-खरगोश की राजनीतिक रेस में भी कछुआ ही बाजी मारने में कामयाब होगा?

हममे से हर किसी ने कछुए और खरगोश की कहानी जरूर सुनी होगी। खरगोश तेज रफ़्तार के बाद भी अति-आत्मविश्वास का शिकार हो जाता है और कछुआ अपनी धीमी रफ़्तार से लगातार आगे बढ़ते हुए जीत सुनिश्चित कर लेता है। अगर यूं कहें कि आगामी लोकसभा चुनाव के वर्तमान परिदृश्य में कुछ ऐसी ही स्थिति बनती नजर आ रही है तो संभवतः बहुत से राजनीतिक जानकर इसे मनगढंत कहानी बताएं, लेकिन जैसे जरुरी नहीं कि हर बार तेज तफ्तार ही जीत का आधार बने, वैसे ही यह भी संभव है कि अति-आत्मविश्वास के घोड़े पर सवार एनडीए या बीजेपी को कटी पतंग की तरह गोते खा रही इंडिया अलायंस या कांग्रेस के हाथों मुँह की खानी पड़ जाए। क्या पता जिस कॉन्फिडेंस के साथ पीएम मोदी ने बीजेपी के लिए 370 और एनडीए के लिए 400 पार का लक्ष्य रखा है, वह सिर्फ एक नारे तक ही सीमित रह जाए, और दिशा विहीन समझे जाने वाली कांग्रेस या विपक्षी गठबंधन, अपने सतत प्रयास के भरोसे, ताबूत की अंतिम कील बनकर उभरे। चूंकि पीएम मोदी का करिश्मा कम से कम बीजेपी कार्यकर्ता और समर्थकों पर तो इस कदर सवार है कि यदि उन्हें नींद से भी उठा कर पूछें तो अबकी बार चार सौ पार का नारा लगाते ही नजर आएंगे लेकिन शायद उनका यही उत्साह उन्हें मतदान केंद्रों तक भी न पहुंचा पाए। चूँकि सब (एनडीए के संभावित मतदाता) यही मानकर चल रहे हैं कि ‘आएगा तो मोदी ही’ और उनकी यही सोच उन्हें ये भी सोचने पर मजबूर कर दे कि जब आना मोदी को ही है तो फिर उनके एक मत से क्या ही फर्क पड़ना है। और यदि यह विचार इसी दिशा में आगे बढ़ा तो बीजेपी या एनडीए को सतर्क हो जाने की जरुरत है। बहरहाल इसे भी राजनीति में पकाये जाने वाले ख़याली पुलाव की श्रेणी में रखा जा सकता है लेकिन कुछ तकनीकी पहलु भी हैं जो फिलहाल कछुए की भूमिका में चल रहे विपक्षी गठबंधन के लिए खरगोश की भांति एकतरफा रेस जीतती दिख रही एनडीए से बाजी छीनने की ओर इशारा करते हैं।

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर मोदी ब्रांड के तहत अपनी तैयारियों में जुटी बीजेपी या एनडीए इस कदर आश्वस्त हैं कि मोदी लहर को आंधी बुला रहे हैं, जिसमें पूरे विपक्ष को धूल की तरह उड़ाने की उम्मीद की जा रही है। कुछ हद तक इसे सही भी माना जा सकता है क्योंकि विपक्ष चुनाव से दो महीने पूर्व भी संगठित नहीं दिख रहा है और एनडीए या बीजेपी के लिए बूथ स्तर पर भी मजबूत संगठन ही सबसे बड़ी ताकत बना हुआ है। लेकिन महज चुनावी माहौल सेट करने के लिए सोशल मीडिया पर जो मोदी का परिवार तैयार हो रहा है, वह किसके दम पर दक्षिण के राज्यों में बढ़ते विरोध को काबू कर पायेगा? क्योंकि मोदी तो 2019 में भी अपनी लहर चला रहे थे लेकिन दक्षिण के राज्यों ने खुद को इस लहर से दूर रखा था। फिलहाल तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल व आँध्रप्रदेश में महज चार सीटों पर बनी बीजेपी के लिए दक्षिण की लगभग सवा सौ सीटों को भेद पाना आसान नहीं होगा। दूसरी ओर कांग्रेस के पास दक्षिण के पांच राज्यों में बेहतर परफॉर्म करने का ट्रैक रिकॉर्ड दर्ज है। हाल में हुए मूड ऑफ़ द नेशन सर्वे में भी 132 सीटों पर 76 सीटें विपक्षी गठबंधन के पाले में ही दिखाई जा रही हैं।
चूंकि चार सौ पार जाने के लिए प्रचंड बहुमत ही एक मात्र सहारा है ऐसे में न केवल हिंदी भाषी बल्कि पूरे देश से एनडीए को भरपूर समर्थन की दरकार होगी। लेकिन फिलहाल उत्तर भारत में सौ फीसदी समर्थन का खांका तैयार कर चल रही बीजेपी को पिछले कुछ पन्ने पलटने की जरुरत है। उत्तर भारत के अंदर आने वाली 320 सीटों के लिए एनडीए या खासकर खुद बीजेपी के लिए पंजाब की 13 सीटों समेत यूपी की 80, राजस्थान की 25 जैसी सभी सीटें जीतने का भारी दवाब होगा। क्योंकि बीजेपी को सहयोगी दलों के भरोसे रहने से अधिक खुद को जोर लगाना होगा, और अपने दम पर ही अधिकतम सीटें हासिल करनी होगी। महाराष्ट्र की 48 सीटें भी ऐसी ही हैं, वहीं बंगाल में सीटों की गिनती बढ़ाने की चुनौती भी बीजेपी या एनडीए के लिए आसान नहीं है। ऐसे में यह कह देना कि इस बार भी मोदी की आंधी में सब धुंआ धुंआ हो जाएगा तो गलत होगा। क्योंकि फिलहाल विपक्षी गठबंधन भले कमजोर नजर आ रहा हो और कांग्रेस को लगातार बागी होते नेताओं का दर्द झेलना पड़ रहा हो लेकिन जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के बाद की कोई चुनावी स्थिति सामने न आने, चुनावी लाभ के लिए सीएए को लागू करने और इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के रुख से घिरी बीजेपी के लिए सिर्फ राम मंदिर, पीएम मोदी या योगी आदित्यनाथ का चेहरा ही काम नहीं आएगा। विपक्ष के पास भी यही मुद्दा व अवसर है जिसके सहारे आग में घी का किरदार निभाने की कोशिश की जा सकती है और यदि यह कोशिश सही दिशा में आगे बढ़ती है तो ये कहना भी गलत नहीं होगा कि कछुआ-खरगोश की इस राजनीतिक रेस में भी कछुआ ही बाजी मारने में कामयाब होगा। ~अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)

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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने एलसीए तेजस एमके1ए के लिए स्वदेशी लीडिंग एज एक्टयूएटर्स और एयरब्रेक कंट्रोल मॉड्यूल का पहला बैच हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड को सौंपा

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) ने स्वदेशी लीडिंग एज एक्टयूएटर्स और एयरब्रेक कंट्रोल मॉड्यूल का पहला बैच हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सौंप दिया है। यह वैमानिकी प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, लखनऊ ने मौजूदा 83 हल्‍के लड़ाकू विमान तेजस एमके1ए के ऑर्डर को पूरा करने के लिए इनके उत्पादन की तैयारी पहले से ही कर ली है।

एलसीए-तेजस के सेकेंडरी फ्लाइट कंट्रोल में अत्‍याधुनिक लीडिंग एज स्लैट्स और एयरब्रेक शामिल हैं। यह अतिउन्‍नत सर्वो-वाल्व आधारित इलेक्ट्रो-हाइड्रोलिक सर्वो एक्टयूएटर्स और कंट्रोल मॉड्यूल का दावा करता है। ये उच्च दबाव, नियंत्रण मॉड्यूल, अद्भुत डिजाइन, सटीक विनिर्माण और परीक्षण की विशेषता से लैस हैं तथा स्वदेशी तकनीकी कौशल में एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के निरंतर अनुसंधान का प्रतीक है।

रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) हैदराबाद और केन्द्रीय विनिर्माणकारी प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएमटीआई) बेंगलुरु के साथ समन्‍वय करके एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी इन प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने की योजना बना रहा है। लीडिंग एज एक्टयूएटर्स और एयरब्रेक कंट्रोल मॉड्यूल्स के लिए सफल उड़ान परीक्षणों ने उत्पादन से जुड़े कार्यों का मार्ग प्रशस्त किया है।

इन महत्वपूर्ण कलपुर्जों का उत्पादन सहायक उपकरण प्रभाग, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड लखनऊ में किया जा रहा है। यह भारत की विमान और अंतरिक्ष यान विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। इस प्रयास में सीईएमआईएलएसी और वैमानिकी गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीएक्‍यूए) जैसी प्रमाणन एजेंसियों के साथ-साथ गोदरेज एयरोस्पेस, मुंबई सहित सार्वजनिक और निजी उद्योगों का उल्लेखनीय योगदान रहा है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के अध्‍यक्ष और रक्षा विभाग अनुसंधान एवं विकास के सचिव और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के महानिदेशक ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर एडीए, आरसीआई, एचएएल, सीएमटीआई और सभी भागीदार उद्योगों की पूरी टीम को बधाई दी है।

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पैनासोनिक ने पेश की उत्तराखण्ड में एसी की नई रेंज

पैनासोनिक ने उत्तराखण्ड में एसी की नई रेंज पेश की इसमें स्‍मार्टर लिविंग के लिए मैटर-इनेबल्ड आरएसी (रूम एयर कंडीशनर्स) भी शामिल हैं

• 33,990 रुपये के शुरूआती कीमत के साथ 60 नए मॉडल्स लॉन्च किए गए जिसमें ज्यादातर इन्‍वर्टर एसी हैं
• पैनासोनिक ने मिराई के साथ भारत के पहले मैटर-इनेबल्ड रूम एयर कंडीशनर्स पेश किये। यह कनेक्टेड लिविंग प्लेटफॉर्म सुविधा, आराम, कनेक्टिवटी और बिजली की बचत प्रदान करता है

देहरादून, अप्रैल 2024: एक प्रमुख डाइवर्सीफाइड टेक्‍नोलॉजी कंपनी पैनासोनिक लाइफ सॉल्यूशंस इंडिया (पीएलएसआईएनडी) ने आज उत्तराखण्ड के बाजार में 2024 के लिए अपने नए एयर कंडीशनर्स की श्रृंखला को लॉन्च करने की घोषणा की। कंपनी ने 60 मॉडलों में 1.0, 1.5 और 2.0 टन के एयरकंडीशनर्स पेश किए हैं। एयर कंडीशनर्स की यह नई रेंज सभी प्रमुख रिटेल आउटलेट्स, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स और पैनासोनिक ब्रांड स्‍टोर पर उपलब्ध है।

श्री अभिषेक वर्मा, पीएमआईएन, पीएलएसआईएनडी, में एयर कंडीशनर्स ग्रुप के बिजनेस हेड ने कहा, “हाल ही में उत्तराखण्ड के उपभोक्ताओं के बीच कराई गई हमारी स्टडी में हमें एयरकंडीशनर के प्रयोग संबंधी लोगों की तरह-तरह की प्रमुख चिंताओं का पता चला है। स्टडी के अनुसार उपभोक्ताओं की मुख्य परेशानी रात में बार-बार एसी के तापमान को एडजस्ट करने, कूलिंग परफॉर्मेंस, आउटडोर यूनिट में जंग लगने और रखरखाव एवं सर्विसिंग की जरूरत से जुड़ी है। पैनासोनिक का नया एसी उपभोक्ताओं की उभरती जरूरतों को ध्य़ान में रखकर बनाया गया है। पैनासोनिक द्वारा लॉन्च किए गए भारत के पहले मैटर-इनेबल्‍ड एयर कंडीशनर न केवल इंटरऑपरेबिलिटी प्रदान करते हैं, बल्कि हमारी इको-टफ केसिंग की वजह से यह विश्वसनीय और टिकाउ भी हैं। नए मिराई प्लेटफॉर्म के साथ हम अपने उपभोक्ताओं को स्मार्ट होम का अनुभव भी प्रदान कर रहे हैं। इसमें ट्रू एआई जैसे नई फीचर्स मौजूद हैं, जिससे उपभोक्ताओं को आदर्श रूप से आराम पहुंचाने वाली ठंडक प्रदान करने के लिए यह एसी अपने आप सेटिंग्स को एडजस्ट करते हैं। पर्सनलाइज्ड स्लीप प्रोफाइल का फीचर रात में बार-बार तापमान को एडजस्ट करने की जरूरत को खत्म करता है।’’

श्री वर्मा ने आगे कहा, “इन्‍वर्टर एसी की जबर्दस्त बिक्री को देखते हुए हम उत्तरी भारत से इन्‍वर्टर एसी की मांग में बढ़ोतरी होने की उम्मीद कर रहे हैं। आज भारत में लगभग सात फीसदी घरों में एसी है। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत में एसी इंडस्ट्री के विकास की अपार संभावना है। इसलिए हम इस अवसर का लाभ उठाने की उम्मीद कर रहे हैं। हमें पिछले सीजन की तुलना में इस सीजन में एसी की बिक्री 40 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है।’’

पैनासोनिक को एयर कंडीशनर्स विकसित करने का 65 वर्षों से अधिक का अनुभव है। पैनासोनिक के एसी की नई रेंज आधुनिक तकनीक से लैस है। यह उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट लिविंग को फिर से पारिभाषित करने के लिए कूलिंग, क्‍वॉलिटी (विश्वसनीयता) और कनेक्टेड अनुभव प्रदान करते हैं।

2024 में लॉन्च किए गए एसी के मॉडलों की प्रमुख विशेषताएं
· हर कोने में कूलिंग – पैनासोनिक के एयर कंडीशनर जेटस्ट्रीम एयरफ्लो के साथ मिलते हैं, जो हवा को 45 फीट तक फेंकते हैं। इसकी इनडोर यूनिट अपने में ज्यादा हवा समेटती है। इसके पंखे का व्यास भी बड़ा है, जिससे हवा का प्रवाह कोने-कोने तक बढ़ता है। इसके अलावा चौतरफा स्विंग के साथ इसका अनोखा डबल फ्लैप एयरोविंग्स डिजाइन कमरे के हर कोने में ठंडी हवा पहुंचाने में मदद करता है।
· नैनो टेक्‍नोलॉजी के साथ माहौल स्वच्छ रहता है – इस एसी में नई तकनीक नैनो™ एक्स कमरे के अंदर हवा में मौजूद 99 फीसदी प्रदूषित कणों को हटाती है। इसके साथ ही वह वायरस, बैक्टीरिया और अन्य रोगाणुओं को फिल्टर कर कमरे के अंदर की हवा को पूरी तरह स्वच्छ बनाती है।
· कस्‍टमाइज्‍ड कूलिंग – कन्वर्टी7 के साथ, उपभोक्ता कूलिंग परफॉर्मेंस को एडजस्ट कर बिजली की बचत कर सकते हैं। वह इसे रिमोट के बटन पर क्लिक या मिराई ऐप से वह ऐसी की कूलिंग को 45 फीसदी तक कम कर सकते हैं और जबर्दस्त कूलिंग के लिए इसकी क्षमता 110 फीसदी तक बढ़ा सकते हैं।
· मैटर का लाभ – सिम्‍पल (सेटिंग में आसान), कॉम्‍पैटिबल (अलग-अलग ब्रैंड के स्मार्ट डिवाइसेज एक ही ऐप से इसमें काम कर सकते हैं। विश्वसनीय (अगर इंटरनेट न भी हो तो भी उपभोक्ता एसी को चला सकते हैं क्योंकि एसी और ऐप एक ही वाई-फाई राउटर से जुड़े होते हैं) और सिक्योर (इनक्रिप्टेड)।
· मिराई के लाभ – एसी को कंट्रोल करने का स्मार्ट तरीका – अपने एसी को मिराई के माध्यम से रिमोट से मैनेज कर उपभोक्ता कनेक्टेड लिविंग और सुविधाओं के संसार का अनुभव कर सकते हैं। यूजर फ्रेंडली और तरह-तरह के कामों में प्रयोग की जाने वाली ऐप यूजर्स को बिजली की खपत का पता लगाने में मदद करती है। आरामदायक कूलिंग के लिए ट्रू एआई का फीचर एसी की सेटिंग्स और पैरामीटर्स को अपने आप एडजस्ट करता है। इसमें अनुकूल स्लीप प्रोफाइल सेट कर सकते हैं। इसमें यूजर्स को फिल्टर साफ करने की नोटिफिकेशन भी मिलते हैं।
· शानदार ड्यूरेबिलिटी – यह एयरकंडीशनर बिना स्टेबलाइजर के चलते हैं और मानसिक सुकून देते हैं। यह लंबे समय तक चलने वाली इको-टफ केसिंग में आते हैं, तेजी से हीट ट्रांसफर के लिए 100 फीसदी शुद्ध कॉपर क्‍वॉयल है। जंग न लगने देने के लिए यह शील्ड ब्लू प्रोटेक्शन के साथ मिलते हैं। आग से सुरक्षा और ओजोन की परत के संरक्षण के लिए इसमें आर32 रेफ्रिजरेंट भी है।

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चुनावी राजनीति

जैसे-जैसे चुनाव करीब आते जा रहे हैं राजनीतिक दलों की हलचल भी बढ़ती जा रही है। छींटाकशी, आरोप प्रत्यारोप के दौर के साथ-साथ राजनीतिक दल अपना दमखम दिखाने की पुरजोर कोशिश में लगी हुई है। यह बात दीगर है की अपना दमखम दिखाने और दूसरे दल को नीचा दिखाने के लिए भाषाई मर्यादा का महत्व खत्म हो गया है और “येन केन प्रकारेण” की  सुविधा अपना ली गई है।

आज के राजनीतिक दौर की बड़ी बात यह है कि राजनीति के इस दौर में धर्म को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। मुद्दा कोई भी हो उसे किनारे करके धर्म की राजनीति पहले की जा रही है साथ ही पाखंड को बढ़ावा दिया जा रहा है। “भारत माता की जय”, “जय हिंद” से ज्यादा महत्वपूर्ण “जय श्री राम” हो गया है। उन सब में सबसे खास बात यह है कि बाबाओं को भी चुनावी मैदान रास आने लगा है। मोह माया से दूर रहने वाले भौतिक साधनों का त्याग करने वाले बाबाओं को सत्ता की चमक लुभाने लगी है।
धार्मिक राजनीति होने के कारण आज की राजनीति महत्वपूर्ण मुद्दों से भटक कर हिंदू –  मुसलमान, धर्म, राम के नाम पर ही टिकी हुई है, यदि इन्हें हटा दिया जाए तो शायद मुद्दों की बात की जाये? वोट मुद्दों के बजाय (क्योंकि मुद्दों का अस्तित्व ही नहीं है) धर्म के नाम पर मांगे जा रहे हैं? जिस महिला शक्ति का दावा किया जाता हैं उन्हें शर्मसार करने में जरा भी संकोच नहीं करते। मणिपुर की घटना ताजातरीन है। जनता मंहगाई से, युवा वर्ग बेरोजगारी से परेशान है जिसका कोई समाधान नहीं निकाला गया है। भाषण और बयानबाजी में कहीं भी रोजगार, मंहगाई का जिक्र नहीं होता।
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले भारत के मतदाताओं सबसे बड़ी चिंता बढ़ती कीमतें और बेरोजगारी है जैसा कि सेंटर फॉर स्टडी आफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) द्वारा किये गए चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में सामने आया हैं। विशेष रूप से गांवों, कस्बों और शहरों सहित विभिन्न जनसांख्यिकी क्षेत्रों के 62% उत्तरदाताओं ने संकेत दिया कि रोजगार हासिल करना तेजी से चुनौतीपूर्ण हो गया है। सीएसडीएस की रिपोर्ट से पता चला है कि 65% पुरुषों ने इस भावना को साझा किया, जबकि महिलाओं में यह संख्या 59% कम थी। केवल 12% उत्तरदाताओं ने कहा कि रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
इसी तरह मुद्रास्फीति के मुद्दे पर, 26% केंद्र को 12%  ने राज्यों को और 56% ने दोनों को दोषी ठहराया यह सीएसडीएस सर्वेक्षण से पता चला है। अधिकांश मतदाताओंने अपने वित्त पर गंभीर प्रभाव व्यक्त किया, जिसमें 71% ने वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को नोट किया। सर्वेक्षण में दावा किया गया कि बढ़ती लागतों ने मुख्य रूप से आर्थिक रूप से 76% लोगों को प्रभावित किया है।
एक मजबूत विपक्ष के बिना लोकतंत्र अधूरा है और चुनावी प्रक्रिया भी अधूरी रहती है। विपक्ष को मजबूती के साथ युवा वर्ग की परेशानियों को सामने रखना चाहिए और समस्याओं के निवारण का आश्वासन देना चाहिए। भारत जोड़ो यात्रा से विपक्ष जनमानस से जुड़ तो रहा है लेकिन फिर भी सत्ता की पहुंच से दूर नजर आता है। जिस तरह से विपक्ष के गठबंधन का सफाया किया जा रहा है उससे जरूरी हो जाता है कि विपक्ष एकजुट हो। विपक्ष का संगठन और गठबंधन डांवाडोल है और क्या यह गठबंधन सफल होगा इस पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। विपक्ष का मणिपुर प्रयास सार्थक रहा। विपक्ष का अपनी पार्टी की एकता को बनाए रखना जरूरी है “इंडिया” के अस्तित्व के लिए।
जिस तरह से ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स की कार्यप्रणाली नजर आ रही है उससे विपक्ष को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। दलगत राजनीति, भ्रष्टाचार, इलेक्टोरल बांड जैसे मुद्दे सत्तारूढ़ सरकार के लिए गले की हड्डी साबित हो सकती है। “सबका साथ सबका विकास” का नारा अब खोखला महसूस होता है. देश में शिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई ने देश को पीछे धकेल कर सिर्फ “राम नाम” पर समेट दिया है। विकास की परिपाटी यही है कि लोगों को शिक्षा और रोजगार का अवसर ज्यादा से ज्यादा दिये जायें।

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एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में भारत रत्न, संविधान निर्माता, बाबा साहेब डाॅ. भीम राव अम्बेडकर एवं समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जयंती मनाई गई

भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज कानपुर में भारत रत्न, संविधान निर्माता, बाबा साहेब डाॅ. भीम राव अम्बेडकर जी की जयंती तथा समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जयंती संयुक्त रूप से मनाई गई डाॅ. भीम राव अम्बेडकर जी बहुत बड़े अर्थशास्त्री, न्यायविद, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और राजनीतिक नेता थे. शिक्षा के प्रचार प्रसार पर बल देते हुए उन्होंने समाज में विद्यमान सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक भेदभाव को दूर करने हेतु लोगों को जागरूक किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डाॅ. बी. पी. अशोक, सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (फूड सेल- लखनऊ) , प्रबंध समिति के सचिव श्री पी.के. सेन, प्राचार्या प्रोफेसर सुमन, संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन, कोषाध्यक्ष श्रीमती दीपाश्री सेन के द्वारा दीप प्रज्वलन से किया गया। भीम वंदन के उपरांत स्वागत परंपरा का निर्वहन करते हुए अतिथियों को स्मृति चिन्ह तथा पुष्प गुच्छ भेंट किए गए।

इस अवसर पर शिक्षा एवं सामाजिक समता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु प्रोफेसर दिनेश चंद्र श्रीवास्तव, (विभागाध्यक्ष, दर्शन शास्त्र, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर) तथा श्रीमती नीतू रॉय (प्रधानाध्यापिका डाॅ. सिद्धेश्वर सेन ग्लोबल पब्लिक स्कूल, माल रोड, कानपुर) को भीम स्मृति सम्मान देकर सम्मानित किया गया।लगभग 34 वर्षो से शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय , अनेकों शोध पत्र तथा शैक्षणिक पुस्तकों के लेखक प्रोफेसर डी.सी. श्रीवास्तव ने महात्मा फुले व बाबा साहेब की शैक्षणिक विचारधारा पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र मे इनका योगदान अमूल्य एवं अतुलनीय है। समाज के वंचित वर्गों में शिक्षा का दीप जलाकर उनके जीवन को प्रकाशित करने में बाबा साहब ने अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया| बाबासाहेब अंबेडकर ने सामाजिक बहिष्कार, अपमान और भेदभाव के साथ ही जीवन में आयी सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया व दुनिया में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई। अटल हिन्दू फाउंडेशन तथा रामकृष्ण मिशन में स्वैच्छिक सेवा प्रदान कर रही प्रसिद्ध समाजसेवी श्रीमती नीतू राय ने कहा कि शिक्षा ही वह साधन है जो सफल तथा समृद्ध समाज की नींव रखने में सहायक है। कार्यक्रम का संयोजन डॉ किरन तथा उनके सहयोगियों डॉ रचना निगम,डॉ प्रीति सिंह,डॉ रोली मिश्रा, डॉ कोमल सरोज ,डॉ अनामिका ,डॉ रेशमा, डॉ शैल बाजपेई द्वारा किया गया| मंच संचालन डॉ कोमल सरोज एवं डॉक्टर रोली मिश्रा ने किया|स्वागत भाषण कार्यक्रम की संयोजिका डॉ किरन द्वारा एवं धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर सुमन के द्वारा किया गया।इस अवसर पर समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा। राष्ट्रगान के द्वारा कार्यक्रम का समापन हुआ।

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ग्रीष्म ऋतु 2024 में रिकॉर्ड संख्या में अतिरिक्त ट्रेनों का संचालन कर रही है भारतीय रेल

यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित करने और गर्मियों के दौरान यात्रा की मांग में अपेक्षित वृद्धि को प्रबंधित करने के लिए भारतीय रेल गर्मियों के मौसम के दौरान रिकॉर्ड 9111 फेरों का संचालन कर रही है।

2023 की गर्मियों की तुलना में यह पर्याप्त वृद्धि दर्शाता है, जहां कुल 6369 फेरों की पेशकश की गई थीं। यह 2742 फेरों की वृद्धि दर्शाता है, जो यात्रियों की मांगों को प्रभावी ढंग से पूरा करने के प्रति भारतीय रेल की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

प्रमुख रेल मार्गों पर निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करने के लिए देश भर के प्रमुख गंतव्यों को जोड़ने के लिए अतिरिक्त ट्रेनों की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई है। समस्‍त जोनल रेल द्वारा देश भर में गर्मियों के मौसम में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली जैसे राज्यों से यात्रियों की भीड़भाड़ को कम करने के लिए इन अतिरिक्त फेरों को संचालित करने की तैयारी कर ली गई है।

रेलवे जोनल रेल अधिसूचित फेरे
मध्य रेलवे 488
पूर्वी रेलवे 254
पूर्व मध्य रेलवे 1003
पूर्वी तट रेलवे 102
उत्तर मध्य रेलवे 142
पूर्वोत्‍तर रेलवे 244
पूर्वोत्तर सीमा रेलवे 88
उत्तर रेलवे 778
उत्तर पश्चिम रेलवे 1623
दक्षिण मध्य रेलवे 1012
दक्षिण पूर्व रेलवे 276
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे 12
दक्षिण पश्चिम रेलवे 810
दक्षिणी रेलवे 239
पश्चिम मध्य रेलवे 162
पश्चिमी रेलवे 1878
कुल योग 9111

अतिरिक्त ट्रेनों की योजना बनाना और संचालित करना एक सतत प्रक्रिया है जिसके लिए किसी मार्ग विशेष पर चलने वाली रेलगाड़ियों की मांग का आकलन करने के लिए पीआरएस प्रणाली में प्रतीक्षा सूची वाले यात्रियों के विवरण के अलावा मीडिया रिपोर्ट, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, रेलवे इंटीग्रेटेड हेल्पलाइन नंबर 139 जैसे सभी संचार चैनलों से 24×7 इनपुट लिए जाते हैं। इस आवश्यकता के आधार पर, ट्रेनों की संख्या और फेरों की संख्या बढ़ाई जाती है। पूरे सीज़न के लिए न तो ट्रेनों की संख्या और न ही अतिरिक्त ट्रेनों द्वारा संचालित फेरों की संख्या स्थिर रहती है।

गर्मियों के मौसम में जोनल रेल को रेलवे स्टेशनों पर पीने के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। सभी प्रमुख और महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों पर भीड़भाड़ के नियंत्रण की व्यापक व्यवस्था की गई है। भीड़भाड़ को व्यवस्थित तरीके से नियंत्रित करने के लिए सभी गतिविधियों की निगरानी के लिए इन स्टेशनों पर वरिष्ठ अधिकारी तैनात हैं।

सामान्य श्रेणी के डिब्बों में प्रवेश के लिए कतार प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए प्रारंभिक स्टेशनों पर आरपीएफ कर्मियों की तैनाती की गई है। भीड़भाड़ वाली जगहों पर कड़ी नजर रखने और यात्रियों को वास्तविक समय पर सहायता प्रदान करने के लिए सीसीटीवी नियंत्रण कक्ष में कुशल आरपीएफ कर्मचारी तैनात किए गए हैं।

भारी भीड़ के दौरान भगदड़ जैसी स्थिति से बचने के लिए भीड़ को सुचारू रूप से नियंत्रित करने के लिए सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) और रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के कर्मचारी फुट-ओवर ब्रिज पर तैनात किए जाते हैं।

भारतीय रेल सभी यात्रियों को सुविधाजनक और आरामदायक यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। यात्री इन अतिरिक्त ट्रेनों में अपना टिकट रेलवे टिकट काउंटर या आईआरसीटीसी वेबसाइट/ऐप के माध्यम से बुक कर सकते हैं।

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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा बेंगलुरु में ‘एक्सोस्केलेटन के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों और चुनौतियों’ पर पहली अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया

‘एक्सोस्केलेटन के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों और चुनौतियों’ पर पहली अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला 16 से 17 अप्रैल, 2024 तक बेंगलुरु में आयोजित की जा रही है। कार्यशाला का आयोजन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की रक्षा जैव-इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रोमेडिकल प्रयोगशाला द्वारा किया गया है। इसका उद्घाटन रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) के इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू की उपस्थिति में किया।

अपने मुख्य भाषण में, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने परिवर्तनकारी एक्सोस्केलेटन प्रौद्योगिकी के महत्व और सैन्य और नागरिक वातावरण में इसके व्यापक अनुप्रयोगों पर बल दिया। उन्होंने अनुसंधान एवं विकास समुदाय, सशस्त्र बलों, उद्योग और शिक्षा जगत सहित विभिन्न हितधारकों से चुनौतियों का समाधान करने और एक्सोस्केलेटन के भविष्य के लिए रूपरेखा तैयार करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में, सीआईएससी ने एक्सोस्केलेटन अनुसंधान के इतिहास, इसके पहले के प्रोटोटाइप और चुनौतियों का पता लगाया। उनका संबोधन उन चुनौतियों पर केंद्रित था जिनका वर्तमान में अनुसंधान एवं विकास समुदाय द्वारा समाधान किया जा रहा है। उन्होंने पुनर्वास, व्यावसायिक चिकित्सा और संवर्धन में एक्सोस्केलेटन प्रौद्योगिकियों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी बताया कि एक्सोस्केलेटन तकनीक दोहरी अमेरिकी तकनीक होने के कारण इसमें जबरदस्त व्यावसायिक क्षमता है।

ईटीएच, ज्यूरिख के प्रोफेसर रॉबर्ट रेनर और नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, शिकागो, इलिनोइस के प्रोफेसर अरुण जयारमन द्वारा जानकारीपूर्ण गहन तकनीकी वार्ताएं प्रस्तुत की गईं। महानिदेशक (जीवन विज्ञान) डॉ. यूके सिंह ने सशस्त्र बलों की आसन्न चुनौतियों और आवश्यकताओं के बारे में बात की। उन्होंने शोधकर्ताओं के समुदाय से सभी हितधारकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भविष्य की एक्सोस्केलेटन प्रौद्योगिकियों के लिए अपने प्रयास में चुनौतियों का सामूहिक रूप से समाधान करने का आग्रह किया।

दो दिवसीय कार्यशाला में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), सेवा, उद्योग, शिक्षा और शोधकर्ताओं के 300 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। एक्सोस्केलेटन प्रौद्योगिकी में सहन करने योग्य संरचनाएं शामिल होती हैं जो मानव शरीर की क्षमताओं को बढ़ाती हैं।

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एस एन सेन बालिका महाविद्यालय पी जी कॉलेज में शिक्षक अभिभावक सम्मेलन आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बालिका महाविद्यालय पी जी कॉलेज में महाविद्यालय के प्रबंध तंत्र एवं प्राचार्या प्रोफ़ सुमन ने प्रगतिशील सकारात्मक सोच के तहत शिक्षक अभिभावक सम्मेलन का आयोजन दिनांक १६/४/२४ को किया गया । महाविद्यालय के विभिन्न संकायों के शिक्षकों ने अपने विषय से संबंधित अभिभावकों को आमंत्रित किया। कला संकाय , विज्ञान संकाय एवं स्वावित्तपोषित विभागों में स्थान सुनिश्चित कर अभिभावक आए और शिक्षकों से अपनी समस्याएँ साझा की ।सभी विभागों के विभागाध्यक्ष तथा शिक्षिकाओं ने छात्राओ की समस्याओ का समाधान किया ।सम्मेलन में आये अभिभावकों से प्रतिभाग फॉर्म तथा फीडबैक फॉर्म भरवाए गए । सम्मेलन के पश्चात महाविद्यालय की प्राचार्य ने स्वयं समस्याओं के निराकरण किया और कई समस्याओं के लिए नोटिंग की ।

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निर्वाचन आयोग आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होते ही इसकी जानकारी देता है

अपनी तरह के पहले कार्य में, जिसके लिए आयोग किसी भी तरह से बाध्य नहीं है, अपने वादे के अनुसार पारदर्शिता बरतते हुए, निर्वाचन आयोग ने आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के अमल में आने के पहले महीने के दौरान, कुछ कार्यों के विवरण के साथ इसे सार्वजनिक करने का फैसला किया है, ताकि समय-समय पर कुछ लोगों की गलतफहमियों और आक्षेपों को दूर किया जा सके और इन्‍हें रोका जा सके।

स्थिति इस प्रकार हैजो संहिता की शेष अवधि के लिए भी लागू होती है।

  1. आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होने के बाद एक महीना पूरा होने पर, भारत का निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों द्वारा संहिता के अनुपालन से मोटे तौर पर संतुष्ट है और विभिन्न दलों और उम्मीदवारों द्वारा अभियान काफी हद तक व्यवस्थित चल रहा है।
  1. साथ ही, आयोग ने कुछ परेशान करने वाली प्रवृत्तियों पर कड़ी नजर रखने और कुछ पथभ्रष्ट उम्मीदवारों, नेताओं और कार्य प्रणालियों पर पहले से कहीं अधिक विशेष नजर रखने का निर्णय लिया है।
  2. आयोग ने विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक और आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले दलों के नेताओं को नोटिस जारी करके महिलाओं की गरिमा और सम्मान के मामले में कड़ा रुख अपनाया है। आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए पार्टी प्रमुखों/अध्यक्षों पर जवाबदेही तय करने में एक कदम आगे बढ़ गया कि उनकी पार्टी के नेता और प्रचारक इस तरह की अनादरपूर्ण और अपमानजनक टिप्पणियों का सहारा न लें। आदर्श आचार संहिता जवाबदेही, पारदर्शिता और दृढ़ता के अनुरूप लागू की गई है जैसा कि सीईसी श्री राजीव कुमार ने पहले वादा किया था।
  3. आयोग संवैधानिक समझ से निर्देशित था जब उसे राजनीतिक व्यक्तियों से जुड़ी स्थितियों के साथ प्रस्तुत किया गया था जो आपराधिक जांच के आधार पर न्यायालयों के सक्रिय विचार और आदेशों के अधीन थे। हालांकि आयोग राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए समान अवसर और प्रचार के अधिकार की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, लेकिन उसने ऐसा कोई भी कदम उठाना सही नहीं पाया है जो कानूनी न्यायिक प्रक्रिया को ओवरलैप या ओवरराइड कर सके।
  4. आदर्श संहिता को लागू करने में, आयोग को अपनी अनिवार्य जिम्मेदारी, कानूनी अचल सम्‍पत्ति, संस्थागत समझ, समानता और लेनदेन में पारदर्शिता के लिए निर्देशित किया गया है चाहे संबंधित व्यक्तियों का ओहदा और प्रभाव कुछ भी हो या उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो।
  5. लोकसभा चुनावों की घोषणा के साथ 16 मार्च, 2024 को आदर्श संहिता लागू हुई। तब से चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए त्वरित और हितकर कार्रवाई की है कि समान अवसर में गड़बड़ी न हो और प्रचार में चर्चा अस्वीकार्य स्तर तक न गिरे।
  6. एक महीने की अवधि के दौरान, 07 राजनीतिक दलों के 16 प्रतिनिधिमंडलों ने आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन और संबंधित मामलों पर अपनी शिकायतें दर्ज कराने के लिए आयोग से मुलाकात की। राज्यों में मुख्य निर्वाचन अधिकारी के स्तर पर कई प्रतिनिधिमंडल मिले।
  7. सभी राजनीतिक दलों के साथ समान व्यवहार किया गया है, अल्प सूचना पर भी सभी को समय दिया गया और उनकी शिकायतों को धैर्यपूर्वक सुना गया।
  8. सीईसी श्री राजीव कुमार के नेतृत्व वाला आयोग ईसी श्री ज्ञानेश कुमार और श्री सुखबीर सिंह संधू के साथ रोजाना दोपहर 12 बजे एमसीसी के कथित उल्लंघन के देशव्यापी लंबित मामलों की निगरानी करता है।

चुनावों की घोषणा से पहले, सभी डीएम/कलेक्टर/डीईओ और एसपी को बिना किसी समझौते के मॉडल कोड लागू करने के लिए आयोग द्वारा विशेष रूप से और सीधे जागरूक किया गया था। सीईसी श्री राजीव कुमार ने दिल्ली में ईसीआई प्रशिक्षण संस्थान, आईआईआईडीईएम में 10 बैचों में 800 से अधिक डीएम/डीईओ को व्यक्तिगत रूप से प्रशिक्षित किया था। क्षेत्र के अधिकारियों ने इस कार्य में काफी हद तक खुद को मुक्‍त कर लिया है।

मॉडल कोड की पिछली एक महीने की अवधि के दौरान समान अवसर बनाए रखने के लिए ईसीआई के कुछ निर्णय इस प्रकार हैं:

  1. विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा ईसीआई और राज्यों के स्तर पर लगभग 200 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें से 169 मामलों में कार्रवाई की गयी है।
  2. शिकायतों का विवरण इस प्रकार है: भाजपा से प्राप्त कुल शिकायतें 51 थीं, जिनमें से 38 मामलों में कार्रवाई की गई है; कांग्रेस की ओर से 59 शिकायतें थीं, जिनमें से 51 मामलों में कार्रवाई की गई; अन्य पक्षों से प्राप्त शिकायतें 90 थीं, जिनमें से 80 मामलों में कार्रवाई की गई है।
  3. छह राज्यों गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मुख्यमंत्रियों के प्रधान सचिव के रूप में दोहरे प्रभार वाले अधिकारियों को स्वत: संज्ञान से हटाया गया, क्योंकि उनके पास गृह/सामान्य प्रशासन विभाग का भी प्रभार था। इसका उद्देश्य चुनाव से संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों, डीएम/डीईओ/आरओ और एसपी को मुख्यमंत्री कार्यालयों से दूर करना था।
  1. पश्चिम बंगाल के डीजीपी को स्वत: संज्ञान से हटाया गया क्योंकि उन्हें पिछले चुनावों में भी चुनाव ड्यूटी से रोका गया था।
  2. चार राज्यों गुजरात, पंजाब, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में नेतृत्व पदों पर तैनात गैर-कैडर अधिकारियों का स्वत: स्थानांतरण।
  3. पंजाब, हरियाणा और असम में निर्वाचित राजनीतिक प्रतिनिधियों के साथ रिश्तेदारी या पारिवारिक जुड़ाव के कारण अधिकारियों का स्वत: स्थानांतरण।
  4. चुनाव की घोषणा के बाद, कांग्रेस और आप की शिकायत पर, व्हाट्सएप पर भारत सरकार के विकसित भारत संदेश का प्रसारण रोकने के लिए एमईआईटीवाई को निर्देश दिया गया।
  5. कांग्रेस और आप की शिकायत पर, सरकारी/सार्वजनिक परिसरों को विकृत करने पर ईसीआई के निर्देशों का तत्काल प्रभाव से अनुपालन करने के लिए सभी राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों को निर्देश।
  6. डीएमके की शिकायत पर भाजपा मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे के खिलाफ रामेश्वर ब्लास्ट कैफे पर असत्यापित आरोपों के लिए एफआईआर दर्ज की गई।
  7. आईएनसी की शिकायत पर, डीएमआरसी ट्रेनों और पेट्रोल पंप, राजमार्गों आदि से होर्डिंग्स, फोटो और संदेशों सहित सरकारी/सार्वजनिक परिसरों को विकृत करने पर ईसीआई के निर्देशों के अनुपालन के लिए कैबिनेट सचिव को निर्देश।
  8. कांग्रेस की शिकायत पर, केंद्रीय मंत्री श्री चंद्रशेखरन द्वारा अपने हलफनामे में संपत्ति की घोषणा में किसी भी बेमेल के सत्यापन के लिए सीबीडीटी को निर्देश।
  9. सुश्री ममता बनर्जी के प्रति आपत्तिजनक एवं अपमानजनक टिप्पणी के लिए एआईटीएमसी की शिकायत पर भाजपा नेता श्री दिलीप घोष को नोटिस।
  10. भाजपा की शिकायत पर, सुश्री सुप्रिया श्रीनेत और श्री सुरजेवाला, दोनों को क्रमशः सुश्री कंगना रनौत और सुश्री हेमा मालिनी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों के लिए नोटिस।
  11. श्री नरेंद्र मोदी के प्रति डीएमके नेता श्री अनिता आर राधाकृष्णन द्वारा की गई टिप्पणी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
  12. दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में प्रकाशकों का नाम बताए बिना होर्डिंग और बिलबोर्ड में गुमनाम विज्ञापनों के खिलाफ आम आदमी पार्टी की शिकायत पर कानून में अंतर को पाटने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। होर्डिंग्स को शामिल करके मौजूदा कानून में ‘पैम्फलेट और पोस्टर’ के अर्थ को व्यापक आयाम देते हुए, सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें प्रचार में जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए होर्डिंग्स सहित मुद्रित चुनाव-संबंधी सामग्री पर प्रिंटर और प्रकाशक की स्पष्ट पहचान सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
  13. कांग्रेस की शिकायत पर, दिल्ली में नगर निगम अधिकारियों को विभिन्न कॉलेजों से स्टार प्रचारकों के कटआउट हटाने के निर्देश जारी किए गए हैं।
  14. नागरिकों की उल्लंघन संबंधी शिकायतों पर आयोग के पोर्टल सी विजिल पर कुल 2,68,080 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें से 2,67,762 मामलों में कार्रवाई की गई और 92 प्रतिशत मामलों का समाधान औसतन 100 मिनट से भी कम समय में किया गया। सीविजिल की प्रभावशीलता के कारण, अवैध होर्डिंग्स, संपत्ति को विकृत करने, दिए गए समय से अधिक समय तक प्रचार करने औरअनुमति से अधिक वाहनों की तैनाती में काफी कमी आई है।

पृष्ठभूमि:

आदर्श आचार संहिता एक नियामक ढांचा है, हालांकि सख्त मायनों में कानूनी समर्थन के बिना, एक समान अवसर सुनिश्चित करने और नैतिक प्रचार के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए इसे तैयार किया गया है। आयोग ने समान अवसर और चुनाव प्रचार की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखने की जटिल गतिशीलता से पार पा लिया है। उल्लंघनों का तुरंत और निर्णायक समाधान करके, भारत का चुनाव आयोग पारदर्शिता, निष्पक्षता, जवाबदेही और समान अवसर के लोकतांत्रिक आदर्शों को मजबूत करता है। चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता को कायम रखना सर्वोपरि है।

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आप ही शक्ति स्वरूपा है जननी है स्वामिनी है

दिल से बधाई देना चाहूँगी अपनी सब देवी स्वरूप बहनों को ..जो आज अपने पैरों पर खड़ी है और सिर उठा कर चल रही है ।शक्ति बन कर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रही है। मैं हमेशा यही कहती हूँ अपनी सभी बहनों से .. कि रानियों की तरह जीयें.. शासन करे समाज पर .. अपने आर परिवार पर .. सभी के दिलों पर शासन करने की अधिकारिणी हैं आप । आप को ज़रूरत नहीं कि आप सोसायटी के साथ साथ बदलती जाये.. किसी के बताने की ज़रूरत नहीं कि आप क्या करे या न करें  आप जैसी है वैसी ही रहें क्योंकि आप ही शक्ति स्वरूपा है जननी है स्वामिनी है आप ही तो है जो टूटे बटनो से लेकर ..टूटे हुए आत्मविश्वास को जोड़ने की क्षमता रखतीं हैं।
आप ही है ,जो सब के सकून का सबब ..और विनाश का कारण हो सकती है.. मगर अपने घर की और जिस देश मे आप का जनम हुआ है । वहाँ की ज़िम्मेवारी को उठाना हम सब का धर्म तो बनता ही है।
हर औरत पहले बेटी बन कर पिता के साथ दुख सुख में निभाती है तो कभी बहन बन कर भाई और पत्नी बन कर पति को मार्गदर्शन करवाती है और फिर माँ बन कर बच्चों में संस्कार डालने की ज़िम्मेदारी हम औरतों पर ही है। जो हम आज खुद को बहुत आत्मनिर्भर समझ रहे है और सोच लेते है कि हम ने ज़िन्दगी में जो भी हासिल किया है वो खुद किया है जबकि मैं समझती हूँ !!
हम जो भी बन पायें है ,उसमें कहीं न कहीं इक आदमी का भी हाथ होगा और होता भी है .. किसी के पापा ने ,पति ने ,भाई ने आगे बढ़ने की सीख दी होगी ,या फिर हो सकता है किसी दोस्त ने हमे आगे बढ़ने में हमारी मदद की होगी और इस बात को हम नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते।सोसायटी में नाम कमाना अपने आप मे ही बहुत बडी उपलब्धि है ।ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना गौरव और शक्ति का प्रतीक है। आज हमारे भीतर की आवाज़ ..जो बरसों से सोई हुई थी .. वो जाग चुकी है ।
हर पीढ़ी अपने से बडी पीढ़ी से ही सीखती है इसलिए एक बात जो बहुत ज़रूरी है,जो हमे अपनी नई पीढ़ी को विरासत मे देनी है .. और वो है …संस्कार,कोमलता , दया भाव,श्रद्धा ..गरिमा ..और मर्यादा … हम कह तो रहे है कि हमें स्ट्रोंग बनना चाहिए मगर परिणाम क्या हुआ ,हमारी कोमलता लुप्त हो गई कहीं । मैं ये नहीं कह रही कि हम आने वाली पीढ़ी को सिर पर पल्लू रखना सिखाये ,बस यही कह रही हूँ ,अपने संस्कारों को साथ ले कर चले।आँधी नग्नता … लोगों को लुभा तो सकती है मगर इज़्ज़त नहीं दे सकती।
बात बहुतो को बुरी लग सकती है मगर सच यही है कि आज माडर्न ज़माना कह कर …आज की औरत
वाइन ,शराब यहाँ तक की ड्रैगस ले रही है।ये हमारे देश की सभ्यता तो न थी कभी।हमारे समाज में यह ख़ास वजह है जो नस्ल दर नस्ल को ख़राब कर रही है, शायद अभी हम इस बात को गंभीरता से नहीं ले रहे .. मगर आने वाले समय में हम सब को इस बात का अफ़सोस ज़रूर रहेगा । जब हमारे बच्चों के घर टूटने लगेंगे और टूटने बिखरने की इक ख़ास वजह ,नशा करना ही होगी।! और आज तलाक होने की वजह संयम और सहनशीलता या मर्यादा में कमी ही है।
ये कैसी सोच हो गई है हमारी .. जहां हमारा घर टूटता है तो टूट जाये मगर हम मे से कोई भी..कुछ भी सहने को तैयार नही ।
.बचाईये !! अपने घरों को अपने बच्चों की ख़ातिर। हम सब मिल कर ही तो बदलाव ला सकते है।कोई हमें ख़ुशी बाहर से ला कर नहीं देगा।हमें खुद में से ही अर्जित करनी होगी। सब कुछ तेज़ी से बदल रहा है .. हमारा देश अपने संस्कारों के लिए ही सारे संसार में ख़ास जाना जाता था। यहाँ का लिबास विश्व भर में चर्चे का विषय हुआ करता था। धीरे धीरे हमारे देश में अपने देश की वेशभूषा की जगह विदेशी पहनावे ने ले ली है। दोस्तों! मेरे हिसाब से जिसे हम सैकसी लुक कहते है वो साड़ी में ज़्यादा दिखती है।
बस यही पैग़ाम है मेरा …स्वीकार कीजिए खुद को जैसे रब ने आप को बनाया है । आज के दौर में सब अच्छा दिखने में लाखों खर्च कर रहे है महँगे कपड़े पार्लर वग़ैरह …और ऊपर से कासमैटिक सर्जरी । फिर भी हम सकून में नही। ऐसा जीवन हमें किस ओर ले कर जा रहा है । हर कोई शान्ति को बाहर तालाश कर रहा है। अपने दुख की वजह दूसरे को बता रहा है …
भीड़ का हिस्सा बन कर हम सब ही तो भीड़ मे भागते जा रहे है । कभी एकान्त में बैठ कर सोचियेगा इस बारे में।
हम सभी को अपने संस्कारों पर से धूल हटाने की ज़रूरत है।तभी हमे शान्ति मिल सकती है … क्योंकि जो वक़्त चल रहा है ,
वहाँ लोग दिशा से भ्रमित हो रहे है। अकेले हो रहे है ,अगर कोई साथ है भी ..तो भरोसा नही है कि ये साथ कब तक चलेगा।
अपने को पहचानें। खुद को सक्षम बनाये ताकिआप की ख़ुशी दूसरों पर निर्भर न हो। किसी को जवाब देना बहुत आसान होता है ।कोई एक कहता है तो आज हम दस सुना सकते है ,मगर बात को सह लेना …. पोलाइट होना जरा मुश्किल है ।वही सीखने और सीखाने की ज़रूरत भी है । हम सब पर ही समाज की ज़िम्मेवारी है और हम ज़िम्मेदारियों को निभा कर भी ज़िन्दगी को इंजाय कर सकते है। इसमें कोई शक नही है। आज हम आसमान की बुलंदियों को तो छू रहे है मगर हम छोटी छोटी बातों को नज़रअंदाज़ भी कर रहे है। नई पीढ़ी के लिए अपना घर ,पैसा ,सोना ,चाँदी ,हीरे जवाहरात अपना बैंक बैलेंस ही न छोड़ कर जाये..अपितु … कुछ ऐसा छोड़ कर जायें ..जो आने वाली “ पीढ़ियों दर पीढ़ियों “के लिए सुख का कारण बने।

लेखिका स्मिता ✍️

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