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भारतीय रेल ने ओडिशा का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण पूरा किया

वर्ष 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जक अर्जित करने का लक्ष्य निर्धारित करने की तर्ज पर, भारतीय रेल ने ओडिशा के विद्यमान बड़ी लाइन नेटवर्क के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण को पूरा कर लिया है। ओडिशा का विद्यमान बड़ी लाइन नेटवर्क 2,822 रूट किलोमीटर है जो अब 100 प्रतिशत विद्युतीकृत है और इसकी वजह से लाइन खींचने की (हाउल) लागत में (लगभग 2.5 गुना कमी) गिरावट आएगी, हाउलेज क्षमता भारी होगी, सेक्शनल क्षमता में बढोतरी होगी, इलेक्ट्रिक लोको के प्रचालन और रखरखाव की लागत कम हो जाएगी, आयातित कच्चे तेल पर कम निर्भरता के साथ परिवहन के ऊर्जा सक्षम और पर्यावरण अनुकूल साधन का निर्माण होगा और विदेशी मुद्रा की बचत होगी। इसके अतिरिक्त, रेलवे की 100 प्रतिशत विद्युतीकृत नेटवर्क की नीति की तर्ज पर विद्युतीकरण के साथ साथ बड़ी लाइन के नए नेटवर्क को भी मंजूरी दी जाएगी।

ओडिशा राज्य का भूभाग पूर्वी तट, दक्षिणी पूर्वी एवं दक्षिणी पूर्वी मध्य रेलवे के अधिकार क्षेत्र में पडता है। ओडिशा के कुछ मुख्य रेलवे स्टेशन हैं : भुवनेश्वर, कटक, पुरी, संबलपुर, भद्रक, राउरकेला तथा झारसुगुडा। रेल नेटवर्क ओडिशा से देश के दूसरे हिस्सों में खनिज अवयवों, कृषि उत्पादों एवं अन्य वस्तुओं के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ओडिशा में पहली रेलवे लाइन 1897 में कटक-खुरदा रोड-पुरी के बीच बनाई गई थी। ओडिशा राज्य की कुछ प्रतिष्ठित रेलगाड़ियां हैं : हावड़ा-पुरी एक्सप्रेस, कोणार्क एक्सप्रेस, कोरोमंडल एक्सप्रेस, हीराकुंड एक्सप्रेस, विशाखा एक्सप्रेस और भुवनेश्वर – नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस। ये रेलगाड़ियां राज्य के विभिन्न हिस्सों और भारत के अन्य प्रमुख शहरों के लिए सुविधाजनक कनेक्टविटी प्रदान करती हैं।

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घुमन्‍तू विमुक्‍त जनजातियां

भारत सरकार ने फरवरी, 2014 में राष्‍ट्रीय विमुक्‍त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजाति आयोग (एनसीडीएनटी) का गठन, अन्‍य बातों के साथ-साथ, विमुक्‍त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजातियों संबंधी जातियों की राज्‍य-वार सूची तैयार करने के लिए किया था। एनसीडीएनटी ने दिनांक 08.01.2018 को अपनी रिपोर्ट प्रस्‍तुत की थी। रिपोर्ट के अनुसार देश भर में 1235 समुदायों को विमुक्‍त तथा घुमंतू समुदायों के रूप में चिन्हित किया गया है, जिनका ब्‍यौरा अनुबंध-I में दिया गया है।

मंत्रालय ने दिनांक 16.02.2022 को डीएनटी समुदायों के कल्‍याणार्थ ‘’डीएनटी समुदायों के आर्थिक सशक्तिकरण की स्‍कीम (सीड)’’ आरंभ की है। अगले पांच वर्षों के लिए इस स्‍कीम का कुल परिव्‍यय 200 करोड़ रुपए है। इस स्‍कीम के निम्‍नलिखित चार घटक हैं:-

  1. डीएनटी उम्‍मीदवारों को प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने के लिए सक्षम बनाने हेतु  उन्‍हें गुणवत्तापरक कोचिंग प्रदान करना,
  2. उन्‍हें स्‍वास्‍थ्‍य बीमा प्रदान करना,
  3. सामुदायिक स्‍तर पर आजीविका पहल की सुविधा उपलब्‍ध कराना और
  4. इन समुदायों के सदस्‍यों हेतु घरों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता उपलब्‍ध कराना।

इसके अलावा, डीएनटी समुदायों के कल्‍याणार्थ यह मंत्रालय निम्‍नलिखित स्‍कीमें भी कार्यान्वित कर रहा है:-

  1. ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए मैट्रिकपूर्व छात्रवृत्तियों की केन्‍द्रीय प्रायोजित स्‍कीम।
  2. ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर  छात्रवृत्तियों की केन्‍द्रीय प्रायोजित स्‍कीम।
  3. ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए विद्यालयों में उत्‍कृष्‍ट शिक्षा की केन्‍द्रीय प्रायोजित स्‍कीम (नया इंटरवेंशन) 
  4. ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए महाविद्यालयों में उत्‍कृष्‍ट शिक्षा की केन्‍द्रीय प्रायोजित स्‍कीम (नया इंटरवेंशन) 

भारत सरकार ने फरवरी, 2014 में घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजातियों के कल्‍याणार्थ राष्‍ट्रीय विमुक्‍त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजाति आयोग (एनसीडीएनटी) का  गठन किया था। एनसीडीएनटी ने दिनांक 08.01.2018 को अपनी रिपोर्ट प्रस्‍तुत की थी। एनसीडीएनटी ने अनेक कार्यकलाप आरंभ किए हैं, जिनमें अन्‍य बातों के साथ-साथ, विमुक्‍त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू समुदायों की सूची तैयार करना, समुदाय के प्रति‍निधियों तथा एनजीओ के साथ विचार-विमर्श करना, फील्‍ड दौरे करना, प्राप्‍त शिकायत याचिकाओं तथा ज्ञापनों का विश्‍लेषण करना आदि शामिल हैं। आयोग ने इन समुदायों के कल्‍याणार्थ किए जाने वाले कई उपायों की भी सिफारिश की है।

यह जानकारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री मंत्रालय की मंत्री सुश्री प्रतिमा भौमिक ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

अनुबंध-I

घुमंतू तथा विमुक्‍त समुदायों की सूची

क्र.सं. राज्‍य घुमंतू समुदाय विमुक्‍त समुदाय
1 अंडमान व निकोबार द्वीप समूह 6 1
2 आंध्र प्रदेश 34 26
3 अरुणाचल प्रदेश 1 0
4 असम 0 0
5 बिहार 50 3
6 चंडीगढ़ 31 2
7 छत्तीसगढ 17 11
8 दादरा और नगर हवेली 4 0
9 दमन और दीव 4 0
10 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 26 29
11 गोवा 2 0
12 गुजरात 52 13
13 हरियाणा 35 14
14 हिमाचल प्रदेश 41 0
15 जम्मू और कश्मीर 14 0
16 झारखंड 39 5
17 कर्नाटक 76 85
18 केरल 21 1
19 लक्षद्वीप 0 0
20 मध्य प्रदेश 31 20
21 महाराष्ट्र 40 14
22 मणिपुर 0 0
23 मेघालय 2 0
24 मिजोरम 2 0
25 नागालैंड 0 0
26 ओडिशा 31 11
27 पुदुचेरी 13 0
28 पंजाब 23 9
29 राजस्थान 29 13
30 सिक्किम 5 0
31 तमिलनाडु 60 68
32 तेलंगाना 36 36
33 त्रिपुरा 14 0
34 उत्तर प्रदेश 18 31
35 उत्तराखंड 21 25
36 पश्चिम बंगाल 32 8
सकल योग 810 425

स्रोत: राष्‍ट्रीय विमुक्‍त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजाति आयोग ने दिसम्‍बर, 2017 में अपनी रिपोर्ट प्रस्‍तुत की।

 

 

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निजी क्षेत्र में उपेक्षित वर्गों को आरक्षण

उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के अनुसार, वर्ष 2006 में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा निजी क्षेत्र में सकारात्मक कार्रवाई के लिए एक समन्वय समिति गठित की गई थी। सचिव (डीओपीटी), सचिव (एसजेएंडई), सचिव (जनजातीय कार्य) तथा सचिव (डीपीआईआईटी) समिति के सदस्य हैं।  डीपीआईआईटी इस समिति को सचिवालयी सहायता उपलब्ध कराता है। अभी तक, इस समन्वय समिति की 9 बैठकें आयोजित हो चुकी हैं। समन्वय समिति की पहली बैठक में यह उल्लेख किया गया था कि सकारात्मक कार्रवाई के मुद्दे पर प्रगति प्राप्त करने के लिए सर्वोत्कृष्ट तरीका स्वयं उद्योग जगत द्वारा स्वैच्छिक कार्रवाई करना है।

तदनुसार, शीर्ष उद्योग एसोसिएशनों नामतः भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल महासंघ (फिक्की), भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) तथा भारतीय दलित वाणिज्य और उद्योग मंडल (डीआईसीसीआई) ने अपनी सदस्य कम्पनियों द्वारा समावेशन प्राप्त करने हेतु शिक्षा, नियोज्यता और उद्यमिता पर केन्द्रित स्वैच्छिक आचार सहिंता (वीसीसी) तैयार की है। उद्योग संघों के सदस्यों द्वारा किए गए उपायों में, अन्य बातों के साथ-साथ, छात्रवृत्तियां, व्यावसायिक प्रशिक्षण, उद्यमिता विकास कार्यक्रम, कोचिंग आदि शामिल हैं।  तथापि, उनके पास निजी क्षेत्र के उच्च पदों पर आसीन समाज के लाभवंचित वर्ग की स्थिति के संबंध में  कोई आंकड़ा नहीं है।

यह जानकारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय मंत्री श्री ए. नारायणस्वामी ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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वंचित छात्रों के लिए छात्रवृत्ति हेतु बजटीय आवंटन

अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी), आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (ईबीसी) और विमुक्त जनजातियों (डीएनटी) संबंधी मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति स्कीम के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 250.00 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान था।  जबकि, वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान 394.61 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान है।

ओबीसी, ईबीसी और डीएनटी संबंधी मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति स्कीम में वर्ष 2021-22 के दौरान संशोधन किया गया है जिसका उद्देश्य XVवें वित्त आयोग के कार्यकाल में पांच वर्षों की अवधि के दौरान इस स्कीम के अंतर्गत लगभग 5.67 करोड़ छात्रों को कवर करना है।

यह जानकारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के मंत्री सुश्री प्रतिमा भौमिक ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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सरकार, टिकाऊ, जलवायु लचीली तटीय अवसंरचना और तटीय समुदायों की आजीविका पर फोकस के साथ नीली अर्थव्यवस्था को बहुत महत्व देती हैः  भूपेन्द्र यादव

केंद्रीय पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने आज पर्यावरण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संस्थान नेशनल सेंटर फॉर सस्टनेबल कोस्टल मेनेजमैंट (एनसीएससीएम) की पहली जनरल बॉडी बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने बल देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री, टिकाऊ तथा जलवायु लचीली अवसंरचना तथा तटीय समुदायों की आजीविका पर फोकस के साथ नीली अर्थव्यवस्था को काफी अधिक महत्व देते हैं।

श्री यादव ने कहा कि सरकार बहु-प्रबंधन उद्देश्यों के साथ क्षेत्र आधारित प्रबंधन के लिए ब्लू प्रिंट विकसित करने के लिए समुद्र स्थानिक योजना (एमएसपी) के साथ आगे बढ़ रही है। मंत्री महोदय ने एनसीएससीएम को तटीय समुदायों की ठोस आय पर ध्यान देने के साथ मैनग्रोव संरक्षण के लिए मिशन मिष्टी (मैनग्रोव इनसेटिव फॉर शोरलाइन हेबिटेट्स एंड टेंजबल इनकम) में योगदान देने का भी निर्देश दिया।

एनसीएससीएम की स्थापना फरवरी 2011 में तटों की सुरक्षा, संरक्षण, पुनः स्थापना, प्रबंधन और नीति परामर्श पर समर्थन के लिए अनुसंधान संस्थान के रूप में की गई थी। एनसीएससीएम का विजन बढ़ती साझेदारी, संरक्षण व्यवहारों, वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से स्थायी तटों को विकसित करना तथा वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लाभ एवं खुशहाली के लिए ज्ञान प्रबंधन करना है। राष्ट्रीय केंद्र ने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों (ईएसए) के 34,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक की मैपिंग, समग्र जोखिम रेखा की मैपिंग, तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेट) अधिसूचनाओं, 2011 तथा 2019 के अनुसार तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजनाओं की तैयारी, संचयी तटीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन, ईको-सिस्सटम वस्तुओं और सेवाओं, ब्लू कार्बन पृथकीकरण, ईको-सिस्टम स्वास्थ्य रिपोर्ट्स कार्ड जैसे कई ऐतिहासिक अनुसंधान अध्ययन किए हैं।

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केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार की उपस्थिति में महाराष्ट्र के संभाजी नगर और तमिलनाडु के कोयम्बटूर में सीजीएचएस सम्‍पूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्रों का उद्घाटन किया

केन्‍द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज केन्‍द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार की उपस्थिति में संभाजी नगर, महाराष्ट्र और कोयम्बटूर, तमिलनाडु में सीजीएचएस स्वास्थ्य और सम्‍पूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य केन्द्रों (एचडब्ल्यूसी) का वर्चुअली उद्घाटन किया। इस अवसर पर महाराष्‍ट्र के सहकारिता और ओबीसी कल्याण मंत्री श्री अतुल मोरेश्वर सावे, सांसद श्री पीआर नटराजन, सांसद श्री सैयद इम्तियाज जलील, कोयम्बटूर दक्षिण से विधायक श्रीमती वनथी श्रीनिवासन भी उपस्थित थे।

इस आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, डॉ. मांडविया ने कहा कि दो सीजीएचएस एचडब्ल्यूसी महाराष्ट्र और तमिलनाडु के लोगों को अच्छी चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने संभाजी नगर और कोयम्बटूर में सीजीएचएस एचडब्ल्यूसी खोलने पर लाभार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि “यह हमारी सरकार की जिम्मेदारी है कि हम अपने सरकारी कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं और सम्‍पूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र प्रदान करें।”

केन्‍द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ये केन्‍द्र चिकित्सा सेवाओं तक आसान पहुंच बढ़ाने में मदद करेंगे। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की लोगों को आसानी से सुलभ नजदीक में सम्‍पूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की परिकल्‍पना के अनुरूप सीजीएचएस केन्‍द्रों की संख्या 2014 के 25 से बढ़कर आज 79 हो गई है। सीजीएचएस लाभार्थियों के लिए केन्‍द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि केन्‍द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सीजीएचएस सेवा में सुधार के लिए कई मोर्चों पर मिशन मोड में काम कर रहा है। इनमें उसके लाभार्थियों की शिकायत निवारण के लिए दैनिक निगरानी, ​​​​प्रतिपूर्ति निवारण, निजी अस्पतालों के नेटवर्क का विस्तार और अनेक अन्य कदम उठाए गए हैं ताकि त्वरित प्रतिपूर्ति की जा सके और लंबित मामलों की संख्‍या में कमी लाई जा सके। इस अवधि के दौरान, सीजीएचएस ने स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास के साथ गति बनाए रखने के लिए सेवाओं के डिजिटलीकरण जैसे कई बदलाव किए हैं। आज, सभी नागरिकों को सस्ती और बेहतर गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध कराकर लोगों की बेहतरी के लिए 9100 से अधिक जन औषधि केन्‍द्र अस्तित्व में हैं।

उन्होंने आगे कहा कि “केन्‍द्र सरकार न केवल एचडब्ल्यूसी खोलकर बल्कि कुछ और मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा पेशेवरों को बढ़ाकर और उनका प्रशिक्षण सुनिश्चित करके ‘टोकन टू टोटल’ दृष्टिकोण का पालन कर रही है।” उन्होंने यह भी बताया कि आरोग्य परम भाग्यम, स्वास्थ्यम सर्वार्थ साधनम की धारणा का पालन करते हुए अर्थात अच्छा स्वास्थ्य सबसे बड़ा सौभाग्य है, स्वास्थ्य सेवा में निवेश करना भविष्य में निवेश करने जैसा है, भारत देश भर में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के तेजी से विस्तार और उसे मजबूत करने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। उन्‍होंने कहा, “देश के दूर-दराज के हिस्से तक पहुंचने के लिए टेलीकंसल्टेशन और एबीडीएम जैसे डिजिटल प्रयास किए गए हैं। जनऔषधि केन्‍द्र स्थापित किए गए हैं और आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई है। केन्‍द्र सरकार विभिन्न सुधार कर रही है ताकि “सभी के लिए स्वास्थ्य” सुनिश्चित किया जा सके।”

सभी लाभार्थियों को बधाई देते हुए और इन दो क्षेत्रों में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों के अनुरोध को स्वीकार करने और उन्हें सीजीएचएस वेलनेस सेंटर उपहार में देने के लिए माननीय प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हुए, डॉ. भारती प्रवीन पवार ने कहा कि “सीजीएचएस इन केन्‍द्रों में अविरत प्रयास से तैयार नए नवाचारों और कार्य प्रणालियों के साथ पेंशनभोगियों को मजबूत कवरेज देगा”। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार ने सीजीएचएस के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए अनेक उपाय किए हैं। “केन्‍द्र सरकार ने देश के प्रत्येक नागरिक के कल्याण के लिए पीएमजेएवाई, पीएम-एबीएचआईएम, एचडब्ल्यूसी जैसी कुछ महत्वाकांक्षी पहल शुरू की हैं। हमें उम्‍मीद है कि दक्षिण भारत की कपड़ा राजधानी या दक्षिण भारत के मैनचेस्टर, कोयम्बटूर और कपड़ों और कलात्मक रेशमी कपड़ों के लिए मशहूर, संभाजी में सम्‍पूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र से न केवल कोयम्बटूर और संभाजी नगर में रहने वाले लाभार्थियों / पेंशनभोगियों, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की भी कठिनाइयां कम होंगी। उदाहरण के लिए, कोयम्बटूर में, चिकित्सा देखभाल और दवाओं के लिए 8000 से अधिक लाभार्थियों को 400-500 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी। कोयंबटूर और संभाजी नगर सीजीएचएस सम्‍पूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र जब एक बार काम करने लगेंगे तो ये न केवल लाभार्थियों को ओपीडी सेवाएं प्रदान करेंगे बल्कि  निजी अस्पताल भी पैनल में आ जाएंगे और पेंशनरों को निजी अस्पतालों से भी कैशलेस चिकित्सा उपचार प्राप्त करने में मदद मिलेगी। केन्‍द्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत किशनराव करार ने लाभार्थियों को बधाई दी और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में देश स्वास्थ्य और कल्याण के क्षेत्र में बड़ी प्रगति कर रहा है।

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में मां शारदा देवी मंदिर का उद्घाटन किया

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में मां शारदा देवी मंदिर का उद्घाटन किया

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से कुपवाड़ा में मां शारदा देवी मंदिर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन की शुरूआत श्री अमित शाह ने देशवासियों को नव वर्ष की शुभकामनाएं देकर की। उन्होंने कहा कि आज नववर्ष के अवसर पर ही मां शारदा का नवनिर्मित मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है और ये पूरे भारत के श्रद्धालुओं के लिए एक शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि आज मां शारदा के मंदिर का उद्घाटन एक नए युग की शुरूआत है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस मंदिर की वास्तुकला और निर्माण शारदा पीठ के तत्वाधान में पौराणिक शास्त्रों के अनुसार किया गया है। श्रंगेरी मठ द्वारा दान की गई शारदा मां की मूर्ति को 24 जनवरी से लेकर आज यहां स्थापित करने तक एक यात्रा के रूप में लाया गया है। उन्होंने कहा कि कुपवाड़ा में माँ शारदा के मंदिर का पुनर्निर्माण होना शारदा-सभ्यता की खोज व शारदा-लिपि के संवर्धन की दिशा में एक आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण कदम है। श्री अमित शाह ने कहा कि एक जमाने में भारतीय उपमहाद्वीप में शारदा पीठ ज्ञान का केन्द्र माना जाता था, शास्त्रों और आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में देशभर के विद्वान यहां आते थे। उन्होंने कहा कि शारदा लिपि हमारे कश्मीर की मूल लिपि है, जिसका नाम भी मां के नाम के आधार पर रखा गया है। ये महाशक्ति पीठों में से एक है और मान्यताओं के अनुसार मां सती का दाहिना हाथ यहां गिरा था।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि शारदा पीठ भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक एवं शैक्षणिक विरासत का ऐतिहासिक केंद्र रहा है, मोदी सरकार करतारपुर कॉरीडोर की तरह शारदा पीठ को भी श्रद्धालुओं के लिए खोलने की दिशा में आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयास से कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद शांति स्थापित होने से घाटी और जम्मू फिर एक बार अपनी पुरानी परंपराओं, सभ्यता और गंगा-जमुनी तहज़ीब की ओर लौट रहे हैं। श्री शाह ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की प्रतिबद्धता के अनुरूप मोदी सरकार ने संस्कृति के पुनर्रुद्धार सहित जम्मू-कश्मीर के सभी क्षेत्रों में पहल की है। इसके तहत 123 चिन्हित स्थानों का व्यवस्थित रूप से जीर्णोद्धार और मरम्मत का काम चल रहा है, जिनमें कई मंदिर और सूफी स्थान शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 65 करोड़ रूपए की लागत से इसके पहले चरण में 35 स्थानों का पुनर्रुद्धार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 75 धार्मिक और सूफी संतों के स्थानों की पहचान करके 31 मेगा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं। श्री शाह ने कहा कि यहां हर जिले में 20 सांस्कृतिक उत्सव भी आयोजित किए गए हैं जिनसे हमारी पुरानी विरासत को पुनर्जीवित करने में बहुत मदद मिलेगी।

अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा जी ने जिस शिद्दत से प्रधानमंत्री मोदी की सारी फ्लैगशिप योजनाओं को जमीन पर उतारने का काम किया है वो प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में श्री मनोज सिन्हा जी ने जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक निवेश लाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि आज हुई ये शुरूआत इस स्थान की खोई हुई भव्यता को वापिस लाने में मदद करेगी और ये स्थान मां शारदा की उपासना और उनकी प्रेरणा से मिली चेतना की जागृति का युगों-युगों तक भारतवर्ष में केन्द्र बना रहेगा।

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एस एन सेन बालिका विद्यालय पी जी कॉलेज में विश्व जल दिवस मनाया गया

कानपुर 23 मार्च भारतीय स्वरूप संवाददाता,  एस एन सेन बालिका विद्यालय पी जी कॉलेज कानपुर के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा विश्व जल दिवस मनाया गया,
इस अवसर पर प्राचार्या डॉ सुमन ने राधा कृष्णमुन्नीदेवी केप्राचार्य और वनस्पति विज्ञान के प्रोफ़ेसर डा हामिद ख़ान का स्वागत किया। डॉ प्रीति सिंह ने विषय प्रवर्तन करते हुए विश्व जल दिवस का आयोजन के बारे में जानकारी दी और मुख्य वक्ता को वक्तव्य के लिये आमंत्रित किया । डॉ हामिद ने जल संरक्षण पर चर्चा करते हुए घटते पेय जल पर चिंता जतायी उन्होंने कहा मात्र १ प्रतिशत पेयजल पृथ्वी पर शेष है आने वाले कुछ वर्षों में चेन्नई के समान अन्य स्थानों पर भी जल समाप्त होने की संभावना है और जल संरक्षण पर अपने विचार रखे ।उनके अनुसार समस्त जीव जंतुओं को ज़िंदा रखने हेतु अवशायकता है प्रबुद्धवर्ग और समाज को जागृत होने की , साथ में समाज में जागरूकता फैलाने की ।उन्होंने बी एस सी प्रथम द्वितीय एवं तृतीय वर्ष की छात्राओ के प्रश्नों एवं शंकाओं का निवारण किया। धन्यवाद ज्ञापन डा प्रीति सिंह ने दिया ।कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो गार्गी यादव ,डा शैल बाजपेयी डा शिवांगी यादव डा अमिता सिंह डा समीक्षा सिंह डा रायी घोष डा आराधना कु जेबा अफ़रोज़ एवं तैयबा ने सक्रिय योगदान दिया

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दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में लैंगिक मुद्दों पर गोष्ठी का आयोजन

कानपुर 23 मार्च भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में सेंचुरी क्लब कानपुर विजन@2047 के अंतर्गत कोऑर्डिनेटर डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में लैंगिक मुद्दों पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा ने की। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि लैंगिक समानता महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकता है । आर्थिक समृद्धि के लिए यह आवश्यक है। कार्यक्रम में विभिन्न छात्राओं ने लैंगिक समानता पर अपने विचार रखे जिनमें प्रमुख रूप से सौम्या उपाध्याय दीक्षा तिवारी, कीर्ति यादव प्रमुख है। छात्राओं ने लैंगिक समानता पर जोर देते हुए कहा कि समाज जो महिलाओं और पुरुषों को समान मानते हैं वे अधिक सुरक्षित और स्वस्थ हैं। लैंगिक समानता एक मानवाधिकार है। इस गोष्ठी का मे महाविद्यालय की विभिन्न प्रवक्ताएं डॉ अर्चना दीक्षित, डॉ अंजना श्रीवास्तव, श्वेता गोंड, डॉ पूजा श्रीवास्तव, डॉ मंजुला श्रीवास्तव तथा कृष्णेंद्र श्रीवास्तव आदि भी उपस्थित रहे। सभी छात्राओं की सक्रिय भूमिका सराहनीय रही।

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शिक्षा से सेवा, सेवा से समाज उत्थान के मंत्र के साथ सीएसजेएमयू का 37वां दीक्षांत समारोह संपन्न

कानपुर 23 मार्च भारतीय स्वरूप संवाददाता,
– कुलाधिपति, राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में हुआ समारोह
– आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानंद सरस्वती रहे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि
– सेवा उद्यान और अमृत सरोवर समेत 21 योजनाओं का लोकार्पण/शिलान्यास
– मेधावी छात्रों को कुलाधिपति महोदया ने दिए स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक

शिक्षा से सेवा का संदेश देते हुए समाज उत्थान की दिशा में बेहतर कार्य करने की प्रेरणा लें। आपकी डिग्री तभी सार्थक है जब आप समाज के विकास के लिए काम करेंगे। आप यह संकल्प लें कि जीवन में कभी गलत नहीं करेंगे। आप अपना विकास करने का प्रयास करें, साथ ही दूसरों का भला भी करें। ऐसा कार्य करें, जो दूसरों के लिए अनुकरणीय हो सके।
ये कहना है कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं सीएसजेएमयू की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल का। श्रीमती पटेल बुधवार को सीएसजेएमयू के नवनिर्मित प्रेक्षागृह में आयोजित हुए 37वें दीक्षांत समारोह में शिरकत कर रही थी। समारोह की अध्यक्षता करते हुए उन्होने छात्रों को जीवन में आगे बढ़ने का मंत्र दिया। उन्होने कहा कि जो मेडल नहीं हासिल कर सके वह भी निराश न हो। जीवन में हर दिन बेहतर करने का संकल्प लें। अधिक से अधिक श्रम करें और समाज के उत्थान के लिए कार्य करें।
मां सरस्वती को माल्यार्पण करने के बाद दीक्षांत समारोह की शुरुआत विश्वविद्यालय के नवनिर्मित रानी लक्ष्मीबाई सभागार में जल भरो कार्यक्रम के साथ हुई। समारोह की अध्यक्षता आदरणीय कुलाधिपति महोदया श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने की। समारोह में बतौर मुख्य अतिथि परमार्थ निकेतन हरिद्वार के अध्यक्ष, आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानंद सरस्वती शामिल हुए। मंच पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय और उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी, प्रति कुलपति प्रो सुधीर कुमार अवस्थी एवं कुलसचिव डॉ अनिल कुमार यादव भी मौजूद रहे।
बेटियों की प्रशंसा की
कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत समारोह में बेटियों की सफलता के लिए उन्हें बधाई दी। उन्होनें कहा कि जिस प्रकार से लड़कियां मेडल लेने में सबसे आगे रहीं, इससे लड़कों को यह समझना होगा कि आखिर उनकी उपस्थिति कहां है। 80 प्रतिशत पदक लड़कियों ने हासिल किए हैं। ऐसे में लड़कों के कम प्रदर्शन पर राज्यपाल महोदया ने उन्हें भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
पूर्व विधायक सुरेंद्र बहादुर की प्रशंसा
कार्यक्रम में पूर्व विधायक सुरेंद्र बहादुर भी उपस्थित हुए। उन्होने विश्वविद्यालय के अतिथि गृह के लिए 1 करोड़ रूपये की धनराशि दान की थी। कुलाधिपति महोदया ने उनकी प्रशंसा करते हुए उन्हें मंच पर बुलाया और सम्मानित भी किया। कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने उनके सहयोग के लिए आभार भी जताया।
मुख्य अतिथि आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानंद सरस्वती ने इस अवसर पर भारतीय परंपराओं, मनीषा और ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होने नवरात्र के शुभ अवसर पर हुए इस कार्यक्रम के लिए कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल, कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय के उत्सव में आए हुए सभी छात्र-छात्राओं को राष्ट्र-समाज की बेहतरी के लिए कार्य करना होगा। उन्होने कहा कि डिग्री डिप्लोमा करने के बाद आसमान कोई भी छू सकता है लेकिन आसमान छूने से बेहतर है दिलों को छू लेना। उन्होने कहाकि पशु तक अपनी भाषा से प्यार करते हैं तो फिर हमें अपनी भाषा से प्यार होना ही चाहिए। उन्होने कहा कि लीडर बनने से बेहतर है लैडर बने।
समारोह में विशिष्ट अतिथि के तौर पर बोलते हुए प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि अपनी भाषा में शिक्षा हो तो सहज और सरल होगी। उन्होने कुलाधिपति , राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल की तारीफ करते हुए कहा कि आदर्शों की बात करना आसान है पर आदर्शों पर चल कर उन्हे निभाना और खुद उस पर खरे उतरना कठिन है लेकिन राज्यपाल ने आदर्शों पर चल कर दिखाया है।
समारोह में विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल हुई प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी ने कहा कि जीवन में सकारात्मक रहना चाहिए। सकारात्मक रहने से बड़ी सी बड़ी बाधाओं से पार पाया जा सकता है।
दीक्षांत समारोह में कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने विस्तार से विश्वविद्यालय की प्रगति और कार्यकलापों के बारे में जानकारी दी। उन्होने कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल का आभार जताते हुए उनके मार्गदर्शन में हो रहे विश्वविद्यालय के शैक्षिक, इन्फ्राक्सट्रक्चर डिवलेपमेंट के बारे में बिंदुवार आख्या प्रस्तुत की। प्रो पाठक ने विश्वविद्यालय में हुए डिजिटल डेवलपमेंट की विस्तार से चर्चा करते हुए, डिजिटल मूल्यांकन, फेसलेस सिस्टम, स्टूडेंट्स सपोर्ट सेल एवं ऑनलाइन वेरिफिकेशन से लेकर तमाम पोर्टल के बारे में विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया। समारोह में विश्वविद्यालय के मेधावी छात्र- छात्राओं को कुलाधिपति स्वर्ण, रजत और कांस्य पदकों से सम्मानित किया गया। इस बार कुल 91 पदक दिए गए। दीक्षांत समारोह कार्यक्रम में कानपुर के परिषदीय स्कूलों के कक्षा 5 से 8 तक के 30 स्कूली बच्चों और 25 आंगनबाड़ी केंद्रों की महिलाओं को भी माननीय कुलाधिपति महोदया ने सम्मानित किया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय परिसर के सभागार का नवीनीकरण का उद्घाटन एवं नामकरण भी समारोह में किया गया। समारोह के दौरान विश्वविद्यालय परिसर में सेवा उद्यान और अमृत सरोवर के साथ 21 योजनाओं का लोकार्पण/शिलान्यास भी किया गया।
सेवा उद्यान की प्रशंसा
कुलाधिपति महोदया ने विश्वविद्यालय में पुरातन छात्रों के सहयोग से निर्मित सेवा उद्यान की प्रशंसा की। उन्होने वेस्ट मेटेरियल से बनने वाले उत्पादों की भी सराहना की। सेवा उद्यान विश्वविद्यालय के पुरातन विद्यार्थियों के सहयोग से बनाया गया है। इस उद्यान का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को सेवा के विषय में अवगत कराना है। छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ सेवा कार्यों के लिए प्रेरित करना है।
अमृत सरोवर जल सरंक्षण का देगा संदेश
विश्वविद्यालय के अमृत सरोवर को नगर निगम एवं विश्वविद्यालय के सहयोग से निर्मित किया गया है। जल सरंक्षण की दिशा में विश्वविद्यालय की इस पहल की कुलाधिपति ने सराहना करते हुए इस अच्छा कदम बताया। समारोह के दौरान विश्वविद्यालय के इनोवेशन फाउंडेशन के तहत चल रहे छात्रों के स्टार्टअप्स का कुलाधिपति ने अवलोकन किया और स्टार्टअप्स से जुड़े दो छात्रों को सम्मानित भी किया। विश्वविद्यालय ने अपने पुरातन छात्र-छात्राओं के सहयोग से राजकीय बालगृह कानपुर में एक कम्प्यूटर लैब बनाई है। कुलाधिपति महोदया ने इसका भी ऑनलाइन उद्घाटन किया।
बालगृह के बच्चों ने पेटिंग गिफ्ट की
समारोह में राजकीय बालगृह से आए स्टूडेंट्स ने कुलाधिपति महोदया को पेटिंग गिफ्ट की। दीक्षांत समारोह में बालगृह से 5 बच्चों को विशेष रूम से आमंत्रित किया गया था। इन बच्चों को राज्यपाल महोदया ने मंच से सम्मानित भी किया।
अवगत कराना है कि मुख्य समारोह से पहले दीक्षोत्सव के तहत हफ्ते भर तक कई कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। इन कार्यक्रमों के तहत में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक, शैक्षिक एवं परंपरागत खेलों का आयोजन किया गया। दीक्षोत्सव के नाम से हुए इन कार्यक्रमों में विश्वविद्यालय के छात्रों ने बढ़ चढ़ कर भागीदारी की थी। दीक्षांत समारोह की समाप्ति के बाद प्रेक्षागृह में प्रति कुलपति प्रो सुधीर कुमार अवस्थी, डीएसडब्लू प्रो नीरज सिंह, डीन अकेडमिक प्रो रोली शर्मा, डीन प्रशासन प्रो सुधांशु पांड्या, डीन प्रो शिप्रा श्रीवास्तव डीन प्रो सूफिया सहाब समेत सभी अधिकारियों ने स्टूडेंट्स को पुरस्कार वितरित किए।

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