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130 किमी प्रति घंटे की गति के लिए 23,000 किलोमीटर से अधिक ट्रैक को उन्नत किया गया

भारतीय रेलवे ने 130 किलोमीटर प्रति घंटे (किमी प्रति घंटे) तक की ट्रेन गति को संभालने के लिए भारतीय रेलवे नेटवर्क के 23,000 से अधिक ट्रैक किलोमीटर (टीकेएम) को अपग्रेड करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह उल्लेखनीय प्रगति रेलवे के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण, कनेक्टिविटी में सुधार और देश भर में लाखों यात्रियों के लिए यात्रा के समय को कम करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करती है। भारत के रेलवे नेटवर्क का लगभग पाँचवाँ हिस्सा अब उच्च गति के लिए सुसज्जित है, ये प्रगति आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम और रणनीतिक बाड़ लगाने जैसे मजबूत सुरक्षा उपायों से संभव हुई है, यह ट्रेन यात्रा में दक्षता और विश्वसनीयता के एक नए युग की शुरुआत दिखाती है।

ट्रैक इंफ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण में व्यापक उन्नयन शामिल है, जिसमें उच्च गति के संचालन के लिए स्थिरता और स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए पटरियों को मजबूत करना, सटीक संचार और सुरक्षित ट्रेन संचालन के लिए उन्नत सिग्नलिंग सिस्टम का कार्यान्वयन और सुरक्षा बढ़ाने और जोखिमों को कम करने के लिए कमजोर स्थानों पर बाड़ लगाने जैसे सुरक्षा उपायों की स्थापना शामिल है। ये प्रयास भारतीय रेलवे के के लक्ष्य सुरक्षित और कुशल रेलवे नेटवर्क को बढ़ावा देने के अनुरूप है, जो यात्री और माल ढुलाई दोनों की जरूरतों को पूरा करता है।

उन्नयन में स्वर्णिम चतुर्भुज और स्वर्णिम विकर्ण नेटवर्क के खंड प्रमुख रूप से शामिल हैं, जो देश के प्रमुख शहरों को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण गलियारे हैं। ये मार्ग, जिससे भारत का यात्री और माल यातायात का महत्तवपूर्ण हिस्सा संचालित होता है, तेज़ पारगमन और बेहतर रसद को सुनिश्चित करते हुए अब उच्च गति को संभालने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित हैं।

इसके अतिरिक्त, लगभग 54,337 टीकेएम पटरियों को 110 किमी प्रति घंटे तक की गति का समर्थन करने के लिए अपग्रेड किया गया है । यह व्यवस्थित वृद्धि विभिन्न क्षेत्रों में निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करती है और भारतीय रेलवे की समग्र परिचालन दक्षता को बढ़ाती है।

भारतीय रेलवे की प्रमुख सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनवंदे भारत एक्सप्रेस, इन बुनियादी ढाँचे में सुधार की सफलता का उदाहरण है। 160 किमी प्रति घंटे तक की गति प्राप्त करने में सक्षम, वंदे भारत एक्सप्रेस भारतीय रेल यात्रा में एक नए युग का प्रतीक है , जो यात्रियों को तेज़, अधिक आरामदायक और प्रीमियम यात्रा का अनुभव प्रदान करती है। ऐसी गति को सुरक्षित रूप से समायोजित करने के लिए, भारतीय रेलवे ने हाई-स्पीड ट्रैक सेक्शन के साथ सुरक्षा बाड़ लगाने को प्राथमिकता दी है। ये उपाय न केवल ट्रेनों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करते हैं बल्कि दुर्घटनाओं के जोखिम को भी कम करते हैं। पिछले वर्ष की तुलना में, पीक डिमांड की अवधि के दौरान विशेष ट्रेन सेवाओं में 54% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो 57,169 सेवाओं तक पहुँच गई ।

पहलू विवरण
राजस्व में वृद्धि चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल से दिसंबर के बीच आय में 4 % की वृद्धि हुई है, जिससे माल ढुलाई से 1.26 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। यात्री खंड की आय में 6% की वृद्धि हुई है, जो 55,988 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
उच्चतर पूंजीगत व्यय 2024-25 में 2% अधिक पूंजीगत व्यय, जहां चालू वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान पूंजी निवेश बढ़कर 1.92 लाख करोड़ रुपए हो गया, यह बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उन्नत माल ढुलाई दक्षता जनवरी 24 से नवम्बर 24 की अवधि के दौरान भारतीय रेलवे पर राजस्व अर्जित करने वाली माल ढुलाई 1473.05 मीट्रिक टन रही, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 3.86% की वृद्धि दर्ज करती है ।

भारतीय रेलवे का चल रहा आधुनिकीकरण अभियान ट्रैक अपग्रेड से कहीं आगे तक फैला हुआ है। अत्याधुनिक तकनीकों को अपनानेबुनियादी ढांचे को मजबूत करने और यात्री सुविधाओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारतीय रेलवे एक परिवर्तनकारी यात्रा अनुभव के लिए मंच तैयार कर रहा है। इन पहलों का उद्देश्य ट्रेन सेवाओं की विश्वसनीयता और दक्षता में सुधार करना, माल और यात्रियों की तेज़ आवाजाही को सक्षम करके आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और आबादी की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने वाली एक समावेशी और सुलभ रेलवे प्रणाली सुनिश्चित करना है।

इन उन्नयनों के सफलतापूर्वक पूरा होने के साथ, भारतीय रेलवे गति, सुरक्षा और सेवा में नए मानक स्थापित कर रहा है। ये प्रयास न केवल लाखों यात्रियों के लिए यात्रा के अनुभव को बेहतर बनाते हैं, बल्कि राष्ट्र की जीवन रेखा के रूप में भारतीय रेलवे की भूमिका की भी पुष्टि करते हैं। आधुनिकीकरण की यात्रा में आगे बढ़ने के साथ ही भारतीय रेलवे प्रगति और नवाचार का प्रतीक बन रही है, जो भारत को एक उज्जवल और अधिक परस्पर जुड़े भविष्य की ओर ले जा रही है। यह प्रगति संगठन की देश के विकास में सहायक और अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने वाली रेलवे नेटवर्क के निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने महाकुंभ 2025 में राष्ट्रीय स्तर की खादी प्रदर्शनी का किया उद्घाटन

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के अवसर पर खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी), सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के अध्यक्ष श्री मनोज कुमार ने शहर उत्तरी से विधायक श्री हर्ष वर्धन वाजपेयी, महापौर श्री गणेश केशरवानी और केवीआईसी उत्तर क्षेत्र के सदस्य श्री नागेंद्र रघुवंशी की उपस्थिति में शुक्रवार को कुंभनगरी के महात्मा गांधी मार्ग स्थित सेक्टर-1 में राष्ट्रीय स्तर की खादी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। यह प्रदर्शनी 26 फरवरी तक संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित की जाएगी। प्रदर्शनी में कुल 152 स्टॉल लगाये गये हैं, जिसमें से 98 स्टॉल खादी और 54 स्टॉल ग्रामोद्योग से जुड़े उत्पादों के हैं।

प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अध्यक्ष केवीआईसी श्री मनोज कुमार ने कहा, “महाकुंभ न केवल आस्था का महोत्सव है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा, और आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है। खादी, जो महात्मा गांधी के नेतृत्व में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी का प्रतीक बनी, आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही ‘चरखा क्रांति’ के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की पहचान बन चुकी है।” उन्होंने आगे कहा कि खादी और ग्रामोद्योग प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान “खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन, खादी फॉर ट्रांसफॉर्मेशन” के तहत नई ऊंचाइयों को छू रहा है।

प्रदर्शनी में देश के 20 से अधिक राज्यों से आए खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों के 152 स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें 98 खादी और 54 ग्रामोद्योग उत्पादों के हैं। यहां पर कश्मीर से लेकर तमिलनाडु और महाराष्ट्र से नागालैंड तक के उत्पाद उपलब्ध हैं। अध्यक्ष ने श्रद्धालुओं और आगंतुकों से अपील की कि वे खादी प्रदर्शनी में आकर स्वदेशी उत्पादों को अपनाएं और ‘वोकल फॉर लोकल’ को प्रोत्साहित करें।

श्री मनोज कुमार ने खादी और ग्रामोद्योग के पिछले 10 वर्षों की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि

उत्पादन में वृद्धि: खादी और ग्रामोद्योग का उत्पादन रुपये 26,000 करोड़ से बढ़कर रुपये 1 लाख करोड़ हो गया है।

बिक्री में उछाल: खादी और ग्रामोद्योग की बिक्री रुपये 31 हजार करोड़ से बढ़कर रुपये 1 लाख 55 हजार करोड़ हो गई है।

रोजगार सृजन: रोजगार के अवसर 43.65% बढ़े हैं, जिससे 1.87 करोड़ लोग लाभान्वित हुए हैं। पिछले वित्तवर्ष में 10.17 लाख नये रोजगार का सृजन हुआ है।

कारीगरों की आय में वृद्धि: खादी कारीगरों की आय में 213% की बढ़ोतरी हुई है, जो 4 रुपये बढ़कर 12.50 रुपये प्रति लच्छा हो गयी है।

अध्यक्ष केवीआईसी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 450 से अधिक खादी संस्थाओं के माध्यम से 1.4 लाख से अधिक कारीगरों को रोजगार दिया जा रहा है। इस वित्तीय वर्ष में राज्य में 15 करोड़ रुपये से अधिक MMDA और 4 करोड़ रुपये से अधिक ISEC वितरित किया गया। उन्होंने आगे कहा कि पिछले वित्त वर्ष में उत्तर प्रदेश में ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत 1550 लाभार्थियों को उपकरण और टूलकिट प्रदान किया गया था, जबकि इस वर्ष 1850 लाभार्थियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के अंतर्गत इस वर्ष दिसंबर तक उत्तर प्रदेश में 137 करोड़ रुपये की सब्सिडी बांटी गयी। नयी इकाइयों के माध्यम से 38588 नये लोगों को रोजगार दिया गया है।

अध्यक्ष केवीआईसी श्री मनोज कुमार ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘खादी क्रांति’ ने भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कुंभ आयोजन की भव्यता और प्रयागराज को वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र बनाने के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से अपील की कि वे खादी उत्पादों को अपनाकर आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में योगदान दें। उन्होंने खादी प्रदर्शनी को भारतीय आत्मनिर्भरता और संस्कृति का जीवंत उदाहरण बताया।

उद्घाटन कार्यक्रम में खादी संस्थाओं के प्रतिनिधि, पीएमईजीपी यूनिट के लाभार्थी, खादी कार्यकर्ता समेत उत्तर प्रदेश सरकार और केवीआईसी के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

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केंद्रीय रेल राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने क्रिसमस और सबरीमाला तीर्थयात्रा के अवसर पर केरल के लिए विशेष ट्रेन सेवाएं प्रदान करने के लिए रेल मंत्री को हार्दिक धन्यवाद दिया

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामले और मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन ने क्रिसमस और सबरीमाला तीर्थयात्रा के अवसर पर केरल के लिए विशेष ट्रेन सेवाएं प्रदान करने के लिए उनके अनुरोध के आधार पर मंजूरी देने के लिए केंद्रीय रेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव को अपना हार्दिक धन्यवाद व्यक्त किया है।

रेल मंत्रालयने 2024 में क्रिसमस के त्यौहार के दौरान केरल से आने-जाने वालों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए 10 विशेष रेलगाड़ियों कोचलाने की घोषणा की है और क्रिसमस के लिए विभिन्न रेलवे ज़ोन में 149 विशेष ट्रेन यात्राएंशुरू की जाएँगी। इसके अलावा, सबरीमाला तीर्थयात्रियों की सुगम यात्रा के लिए केरल से आने-जाने के लिए 416 विशेष ट्रेन यात्राएं शुरू करने की घोषणा की गई है।

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामले और मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन के अनुरोध पर केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने केरल के लिए विशेष ट्रेनेचलाने को मंजूरी दे दी है। त्योहारी सीजन के दौरान लोगों के लिए सुविधा को बेहतर करने हेतु ये घोषणाएं की गई हैं और ये प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में उत्तरदायी और प्रभावी शासन का प्रतीक है।

क्रिसमस महोत्सव 2024 के लिए विभिन्न जोनों में कुल 149 विशेष ट्रेन यात्राओं की घोषणा की गई है। ट्रेन सेवाओं का विवरण इस प्रकार है:

● दक्षिण पश्चिम रेलवे (एसडब्लयूआर): 17 यात्राएं

● मध्य रेलवे (सीआर): 48 यात्राएं

● उत्तर रेलवे (एनआर): 22 यात्राएं

● दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर): 2 यात्राएं

● पश्चिमी रेलवे (डब्लयूआर): 56 यात्राएं

● पश्चिम मध्य रेलवे (डब्लयूसीआर): 4 यात्राएं

केरल में सबरीमाला तीर्थयात्रा के लिए 416 विशेष ट्रेन यात्राओं का विवरण इस प्रकार है:

● दक्षिण पश्चिम रेलवे (एसडब्लयूआर): 42 यात्राएं

● दक्षिणी रेलवे (एसआर): 138 यात्राएं

● दक्षिण मध्य रेलवे (एससीआर): 192 यात्राएं

● ईस्ट कोस्ट रेलवे (ईसीओआर): 44 यात्राएं

इन ट्रेनों को चलाने का उद्देश्य छुट्टियों के मौसम में बढ़ती मांग को पूरा करते हुए यात्रियों के लिए सुगम और सुविधाजनक यात्रा सुनिश्चित करना है।

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कोटा में सुरंग के बाहर कट एंड कवर सेक्शन में बन रही मीडियन साइड वर्टिकल दीवार अचानक ढह गई

कोटा में सुरंग के बाहर कट एंड कवर सेक्शन में “8-लेन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (सुरंग) डीएमई पैकेज-15 के निर्माण” के तहत मीडियन साइड वर्टिकल दीवार अचानक ढह गई। स्वीकृत डिज़ाइन ड्राइंग के अनुसार दीवार को शॉटक्रीट और रॉक बोल्ट से सुरक्षित व स्थिर किया गया था। दुर्भाग्य से, दीवार ढहने के कारण एक टेलीहैंडलर ऑपरेटर सहित पांच मज़दूर दब गए। यह घटना सुदृढीकरण गतिविधियों के दौरान हुई, तथा यह देखा गया कि सभी मज़दूर आवश्यक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) यानी हेलमेट, गमबूट सुरक्षा जैकेट और अन्य से लैस थे।

बचाव कार्य तुरंत शुरू किया गया और मलबे में दबे चार मजदूरों को बचा लिया गया। दुर्भाग्य से, हरसंभव प्रयास के बावजूद, एक मजदूर को गंभीर चोटों की वजह से बचाया नहीं जा सका।

ठेकेदार मेसर्स दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड-मेसर्स एल्टिस-होल्डिंग कॉरपोरेशन (डीबीएल-एएचसी जेवी) पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है और मेसर्स हेक्सा कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम तथा मेसर्स नोकांग इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से अथॉरिटी इंजीनियर, मेसर्स आईसीटी के टीम लीडर को उनके स्तर पर सुरक्षा उपायों में चूक के लिए उक्त दुर्घटना होने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

डोमेन विशेषज्ञों की एक जांच टीम गठित की गई है जिसमें सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के डीजीआरडी (सेवानिवृत्त) श्री एस.के. निर्मल, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के  एडीजी (सेवानिवृत्त)  श्री ए. के. श्रीवास्तव और मेसर्स एलिगेंट इंजीनियरिंग के श्री आलोक पांडे शामिल है। समिति 02 दिसंबर 2024 को घटना के कारणों का पता लगाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उपचारात्मक उपायों का पता लगाने के लिए साइट का दौरा करेगी।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक उपचारात्मक उपाय सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहा है।

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केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने लेह में एनटीपीसी की ग्रीन हाइड्रोजन बसों को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया

केंद्रीय विद्युत तथा आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल ने आज विद्युत मंत्रालय, लेह प्रशासन और एनटीपीसी के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में लेह में एनटीपीसी की हरित हाइड्रोजन बसों के बेड़े को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

बसों को हरी झंड़ी दिखाकर रवाना करने के बाद, मंत्री महोदय ने एक हाइड्रोजन बस में सवार होकर हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशन से लेह हवाई अड्डे तक 12 किलोमीटर की यात्रा की।

केंद्रीय मंत्री ने एनटीपीसी को गतिशीलता, पीएनजी के साथ सम्मिश्रण, हरित मेथनॉल जैसे विभिन्न मोर्चों पर हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों को अपनाने और नवीकरणीय ऊर्जा पर समग्र जोर देने के माध्यम से देश की ऊर्जा सुरक्षा और डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों में उसके अनूठे योगदान के लिए बधाई दी।

लेह स्थित हरित हाइड्रोजन गतिशीलता परियोजना में 1.7 मेगावाट का सौर संयंत्र, 80 किलोग्राम/दिन क्षमता वाला हरित हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशन और 5 हाइड्रोजन इंट्रा-सिटी बसें शामिल हैं। प्रत्येक बस 25 किलोग्राम हाइड्रोजन भरकर 300 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है। यह दुनिया की सबसे अधिक ऊंचाई (3650 मीटर एमएसएल) वाली हरित हाइड्रोजन गतिशीलता परियोजना भी है, जिसे कम घनत्व वाली हवा, शून्य डिग्री से नीचे के तापमान में संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह 350 बार प्रेशर पर हाइड्रोजन भर सकती है।

यह स्टेशन प्रतिवर्ष लगभग 350 एमटी कार्बन उत्सर्जन को कम करेगा तथा वातावरण में प्रतिवर्ष 230 एमटी शुद्ध ऑक्सीजन का योगदान देगा, जो लगभग 13000 पेड़ लगाने के बराबर है।

लद्दाख में हरित हाइड्रोजन गतिशीलता समाधान की संभावना बहुत मजबूत है, क्योंकि यहां कम तापमान के साथ उच्च सौर विकिरण होता है, जो सौर ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन का कुशलतापूर्वक उत्पादन करने के लिए एक उपयुक्त स्थान है। इन स्थानों पर इस हरित ईंधन के उत्पादन और उपयोग से जीवाश्म ईंधन रसद से बचा जा सकेगा और ऊर्जा आवश्यकता के मामले में ये स्थान आत्मनिर्भर बनेंगे।

एनटीपीसी विभिन्न हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों की तैनाती के अलावा पूरे देश में और ज्यादा हाइड्रोजन गतिशीलता परियोजनाएं स्थापित कर रही है तथा आंध्र प्रदेश में हाइड्रोजन हब की स्थापना सहित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तेजी से बढ़ा रही है।

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केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आईआरईडीए की कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व पहल के तहत ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में 10 बैटरी चालित वाहनों को हरी झंडी दिखाई

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आज ओडिशा के पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर में 10 बैटरी चालित वाहनों को हरी झंडी दिखाई। भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) के कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कार्यक्रम के तहत इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण अनुकूल गतिशीलता को बढ़ावा देना और आगंतुकों के लिए पहुंच में सुधार करना है। इसका उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को इस प्रतिष्ठित विरासत स्थल तक पहुंचने में मदद करना है।

जोशी ने श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक को वाहन की चाबियाँ सौंपते हुए सांस्कृतिक स्थलों पर इस प्रकार की सतत पहल के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “इस ऐतिहासिक मंदिर में बैटरी से चलने वाले वाहनों की उपलब्धता हरित ऊर्जा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है और आगंतुकों को एक सुलभ तथा पर्यावरण अनुकूल परिवहन विकल्प प्रदान करती है। इस तरह की स्थायी पहलों में मदद करने में इरेडा के प्रयास राष्ट्र के हरित मिशन और महत्वपूर्ण विरासत स्थलों पर आगंतुकों के अनुभवों को बढ़ाने में उसके समर्पण को दर्शाते हैं।

इरेडा के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री प्रदीप कुमार दास ने पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि इरेडा को हमारी सीएसआर पहलों के माध्यम से विरासत स्थलों के 10 पर्यावरण अनुकूल वाहनों के विकास में योगदान देने का सम्मान मिला है। यह परियोजना जीवन के हर क्षेत्र में टिकाऊ और नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के हमारे मिशन के अनुरूप है। इसका उद्देश्य आगंतुकों के लिए पर्यावरण अनुकूल गतिशीलता समाधान प्रदान करना है।

इस समारोह में इरेडा के निदेशक (वित्त) डॉ. बीके मोहंती के साथ नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन और इरेडा के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। केंद्रीय मंत्री, इरेडा के सीएमडी, मंत्रालय और इरेडा के अन्य अधिकारियों ने भगवान जगन्नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात के साळंगपुर स्थित श्री कष्टभंजन देव हनुमान जी मंदिर में दर्शन व पूजन कर 200 करोड़ रूपए की लागत से बने 1100 कमरे के यात्री भवन का उद्घाटन किया

अपने संबोधन की शुरूआत में श्री अमित शाह ने सभी देशवासियों को दीपावली की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि आज नरक चतुर्दशी के दिन यहां एक भव्य यात्री भवन का निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा कि इस यात्री भवन को एक पूर्ण हरित यात्री भवन कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस यात्री भवन में दूर-दूर से आने वाले लोगों के विश्राम की व्यवस्था की गई है। श्री शाह ने कहा कि लगभग 200 करोड़ रूपये की लागत से 9 लाख वर्ग फीट स्थान और 1100 से ज्यादा कमरों वाले इस यात्री भवन का निर्माण दो साल की अल्पावधि में ही संपन्न कर लिया गया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस मंदिर में हनुमान जी महाराज की यह मूर्ति गोपालानंद जी महाराज की भक्ति और शक्ति से स्थापित हुई है। उन्होंने कहा कि यह स्थान स्वामीनारायण भगवान के प्रसाद का भी स्थान है। उन्होंने कहा कि इतना समर्पण, सेवा भाव और स्वामीनारायण भगवान के प्रति ऐसी श्रद्धा होने के बाद भी गोपालानंद स्वामी जी बहुत विनम्र हैं और ये बहुत कम लोगों में होती है। उन्होंने कहा कि यह यात्री भवन आने वाले कई वर्षों तक यात्रियों को आश्रय और दादा के दर्शन का मौका भी देगा।

अमित शाह ने कहा कि हनुमान जी महाराज के गुणों का वर्णन कोई कर नहीं सकता और हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि सात चिरंजीव में से एक हनुमान जी महाराज हैं। उन्होंने कहा कि तुलसीदास जी ने हनुमान जी महाराज को ज्ञान गुण सागर कहा है। श्री शाह ने कहा कि जब एक आदर्श भक्त, आदर्श योद्धा, आदर्श मित्र और एक आदर्श दूत अपनी इन सभी शक्तियों को प्रभु श्री राम के चरणों में समर्पित करता है तब हनुमान जी महाराज बन चिरंजीवी होता है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि यह कष्टभंजन देव हनुमान जी मंदिर युवाओं के लिए आध्यात्म और भक्ति की प्रेरणा का स्थान बनने वाला है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां हनुमान जी महाराज की कई प्रतिमाएं हैं और उनके अनेकानेक गुण होते हैं। श्री शाह ने कहा कि चौमुखी मूर्ति हो तो शत्रुओं का नाश, संकटमोचन हो तो संकट से मुक्ति, दक्षिणामुखी हो तो भय और परेशानी से मुक्ति, पंचमुखी हो तो अहिरावण यानी दुष्ट वृत्ति से मुक्ति पाने के लिए पूजा होती है, एकादश हो तो राक्षसी वृत्ति से और कष्टभंजन की मूर्ति हो तो शनि समेत सभी कष्टों का भंजन होता है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज सरदार पटेल की 149वीं जन्म जयंती है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल जी ने एक अखंड और प्रचंड शक्तिशाली भारत के निर्माण का संकल्प किया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा सरदार साहब की 150वीं जयंती को दो साल तक मनाने का निर्णय, सरदार साहब के विचार व सिद्धांत के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ युवाओं को देश के प्रति निष्ठा व त्याग की प्रेरणा देगा।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के अमरेली में 4,900 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के अमरेली में 4,900 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। आज की विकास परियोजनाओं में रेल, सड़क, जल विकास और पर्यटन क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं से राज्य के अमरेली, जामनगर, मोरबी, देवभूमि द्वारका, जूनागढ़, पोरबंदर, कच्छ और बोटाद जिलों के नागरिकों को लाभ होगा।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने धनतेरस एवं दिवाली की उत्सव की भावना को रेखांकित किया और कहा कि जहां ये त्योहार संस्कृति का उत्सव मनाते हैं, वहीं विकास कार्यों में जारी प्रगति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने वडोदरा की अपनी यात्रा का उल्लेख करते हुए गुजरात भर में विभिन्न प्रमुख परियोजनाओं के संबंध में अपडेट साझा किए। वडोदरा में उन्होंने भारतीय वायुसेना के लिए भारत में निर्मित विमान के उत्पादन के लिए समर्पित भारत की पहली फैक्ट्री का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने आज पहले अमरेली में भारत माता सरोवर के उद्घाटन का उल्लेख किया और कहा कि यहां पानी, सड़क तथा रेलवे से जुड़ी कई बड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया गया है। उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं सौराष्ट्र और कच्छ में लोगों के जीवन को आसान बनायेंगी, क्षेत्रीय विकास को गति देंगी, स्थानीय किसानों को समृद्ध करेंगी और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करेंगी। उन्होंने आज की विकास परियोजनाओं के लिए सभी को बधाई दी।

इस बात का उल्लेख करते हुए कि यह सौराष्ट्र में अमरेली की भूमि ने भारत को कई रत्न दिए हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और राजनीतिक रूप से, हर तरह से अमरेली का एक गौरवशाली अतीत है। उन्होंने कहा कि अमरेली श्री योगीजी महाराज और भोज भगत के साथ-साथ लोक गायक एवं कवि दुलभय्या काग, कलापी जैसे कवियों, विश्व प्रसिद्ध जादूगर के. लाल और आधुनिक कविता के अगुआ रमेश पारेख की कर्मभूमि है। उन्होंने आगे कहा कि अमरेली ने गुजरात को पहला मुख्यमंत्री श्री जीवराज मेहता जी भी दिया है। श्री मोदी ने कहा कि अमरेली के बच्चों ने समाज में बड़ा योगदान देकर व्यापार जगत में भी बड़ा नाम कमाया है। उन्होंने कहा कि इस परंपरा को ढोलकैया परिवार ने मजबूत किया है, जो गुजरात सरकार की जल संरक्षण से संबंधित 80/20 योजनाओं से जुड़ा था। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले ढाई दशकों के निरंतर प्रयासों के कारण परिवर्तन बिल्कुल स्पष्ट हैं।

प्रधानमंत्री ने पानी के महत्व पर जोर दिया, खासकर गुजरात और सौराष्ट्र के लोगों के लिए, जो लंबे समय से पानी से संबंधित चुनौतियों से जूझ रहे हैं। उन्होंने उस अतीत को याद किया जब सौराष्ट्र पानी की कमी के कारण पलायन के लिए जाना जाता था और कहा, “आज, स्थिति बदल गई है। अब, नर्मदा का पानी गांवों तक पहुंच गया है।” उन्होंने जलसंचय और सौनी योजना जैसी सरकारी पहलों की सराहना की। इन पहलों ने भूजल के स्तर में काफी वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि नदियों के गहरीकरण तथा चेक डैम के निर्माण से बाढ़ की समस्या से निपटा जा सकता है और वर्षा के जल का भी प्रभावी ढंग से भंडारण किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि आसपास के क्षेत्रों में पेयजल से संबंधित समस्याओं का भी समाधान किया जाएगा, जिससे लाखों लोगों को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने पिछले दो दशकों के दौरान हर घर और खेत तक पानी पहुंचाने की दिशा में गुजरात की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला, जो पूरे देश के लिए एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि हर कोने तक पानी पहुंचाने के लिए राज्य सरकार के निरंतर प्रयास जारी हैं तथा आज की परियोजनाओं से उस क्षेत्र के लाखों लोगों को और अधिक लाभ होगा। श्री मोदी ने बताया कि नवदा-चावंड बल्क पाइपलाइन परियोजना से अमरेली, बोटाद, जूनागढ़, राजकोट और पोरबंदर जैसे जिलों को प्रभावित करने वाले लगभग 1,300 गांवों और 35 से अधिक शहरों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इस पहल से इन क्षेत्रों में हर दिन 30 करोड़ लीटर अतिरिक्त पानी की आपूर्ति होगी। पासवी समूह सौराष्ट्र क्षेत्रीय जल आपूर्ति योजना के दूसरे चरण के शिलान्यास का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह तलाजा, महुवा और पालीताना तालुका की जरूरतों को पूरा करेगा। उन्होंने बताया, “एक बार पूरा हो जाने पर, लगभग 100 गांवों को इस परियोजना से सीधे लाभ होगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की ये जल परियोजनाएं सार्वजनिक भागीदारी के साथ सरकार और समाज के बीच की सहयोगात्मक शक्ति का उदाहरण पेश करती हैं। उन्होंने प्रत्येक जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों के निर्माण के माध्यम से भारत की आजादी के 75वें वर्ष को जल संरक्षण पहल से जोड़ने की सफलता पर प्रकाश डाला। श्री मोदी ने गांवों में 60,000 अमृत सरोवरों के निर्माण पर प्रसन्नता व्यक्त की, जो भावी पीढ़ियों के लिए एक विरासत छोड़ेंगे। उन्होंने श्री सी. आर. पाटिल के नेतृत्व में गति पकड़ रहे ‘कैच द रेन’ अभियान की सराहना की। प्रधानमंत्री ने बताया कि यह अभियान राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है, जहां सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से हजारों पुनर्भरण कुओं का निर्माण किया जा रहा है। श्री मोदी ने अपने पैतृक गांवों में पुनर्भरण कुएं बनाने के लिए आगे आने वाले लोगों के उत्साह को भी स्वीकार किया और इस बात पर जोर दिया कि कैसे यह पहल गांवों और खेतों में स्थानीय जल का प्रतिधारण सुनिश्चित करती है। उन्होंने आज सैकड़ों परियोजनाओं की शुरुआत का उल्लेख किया, जिनका उद्देश्य जल संरक्षण के माध्यम से कृषि और पशुधन को बढ़ावा देना है।

प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि अब अधिक पानी की उपलब्धता के कारण खेती आसान हो गई है और नर्मदा के पानी से अब अमरेली में तीन मौसम की खेती संभव है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज, अमरेली जिला खेती के क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरा है।” उन्होंने कहा कि कपास, मूंगफली, तिल तथा बाजरा जैसी फसलों की खेती को बढ़ावा मिल रहा है और अमरेली के गौरव केसर आम को जीआई टैग हासिल हुआ है। उन्होंने कहा कि जीआई टैग के दर्जे का मतलब है कि अमरेली की पहचान केसर आम से जुड़ी है, चाहे वह दुनिया में कहीं भी बेचा जाए। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि अमरेली तेजी से प्राकृतिक खेती के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में उभर रहा है और देश का पहला प्राकृतिक खेती विश्वविद्यालय हलोल में बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के तहत अमरेली को गुजरात का पहला प्राकृतिक खेती से संबंधित कॉलेज मिला है। श्री मोदी ने कहा कि प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि अधिक से अधिक किसान पशुपालन में संलग्न हों और प्राकृतिक खेती से भी लाभान्वित हों। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि हाल के वर्षों में अमरेली के डेयरी उद्योग ने काफी प्रगति की है, श्री मोदी ने कहा कि यह केवल सरकार और सहकारी समितियों के संयुक्त प्रयासों के कारण ही संभव हुआ है। वर्ष 2007 में अमर डेयरी की स्थापना को याद करते हुए जब 25 गांवों की सरकारी समितियां उससे जुड़ी थीं, श्री मोदी ने कहा, “आज 700 से अधिक सहकारी समितियां अमर डेयरी से जुड़ी हैं और हर दिन लगभग 1.25 लाख लीटर दूध एकत्र किया जा रहा है”।

मीठी क्रांति के कारण अमरेली की प्रसिद्धि का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि शहद उत्पादन ने किसानों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि अमरेली के सैकड़ों किसानों ने मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लेने के बाद शहद से संबंधित व्यवसाय शुरू किया है।

बिजली के बिलों को खत्म करने और प्रत्येक परिवार के लिए 25,000 रुपये से लेकर 30,000 रुपये की वार्षिक बचत सुनिश्चित करते हुए बिजली से आय उत्पन्न करने से संबंधित प्रधानमंत्री सूर्य गढ़ योजना के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि इस योजना के कार्यान्वयन के कुछ ही महीनों बाद पूरे गुजरात में छतों पर लगभग 200,000 सौर पैनल स्थापित किए गए हैं।  उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अमरेली जिला सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसका उदाहरण दुधाला गांव है, जहां सैकड़ों घरों में सौर पैनल लगे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “इसके परिणामस्वरूप, यह गांव बिजली बिल में प्रति माह लगभग 75,000 रुपये की बचत कर रहा है और प्रत्येक घर को 4,000 रुपये की वार्षिक बचत का लाभ मिल रहा है।” उन्होंने कहा, “दुधाला तेजी से अमरेली का पहला सौर गांव बनने की ओर अग्रसर है।”

इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि सौराष्ट्र कई पवित्र स्थलों और आस्था से जुड़े स्थानों की मेजबानी करने वाला पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है, प्रधानमंत्री ने पर्यटकों के आकर्षण के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में सरदार सरोवर बांध के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि पिछले साल सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा को देखने के लिए 50 लाख से ज्यादा पर्यटक आए थे। उन्होंने सरदार साहब की जयंती के लिए दो दिनों में इस स्थल का दौरा करने और राष्ट्रीय एकता परेड देखने की बात कही।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केर्ली पुनर्भरण जलाशय आने वाले समय में इको-टूरिज्म का एक प्रमुख केन्द्र बनेगा और एडवेंचर टूरिज्म को काफी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि यह केर्ली पक्षी अभयारण्य को दुनिया में एक नई पहचान भी देगा।

गुजरात की लंबी तटरेखा पर प्रकाश डालते हुए, श्री मोदी ने कहा कि विरासत के संरक्षण के साथ-साथ विकास सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि इसलिए, मत्स्यपालन और बंदरगाहों से संबंधित सदियों पुरानी विरासत को पुनर्जीवित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के निर्माण को मंजूरी देने का उल्लेख किया और कहा कि यह कदम देश तथा दुनिया को भारत की गौरवशाली समुद्री विरासत से परिचित कराएगा और प्रेरित करेगा।

श्री मोदी ने कहा, “हमारा प्रयास है कि समुद्र का नीला पानी नीली क्रांति को गति दे।” उन्होंने कहा कि बंदरगाह आधारित विकास से विकसित भारत का संकल्प मजबूत होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने बताया कि जाफराबाद, शियालबेट में मछुआरों के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे का विस्तार किया जा रहा है; जबकि अमरेली में पीपावाव बंदरगाह के आधुनिकीकरण ने 10 लाख से अधिक कंटेनरों और हजारों वाहनों को संभालने की क्षमता के साथ-साथ आज हजारों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित किए हैं। श्री मोदी ने पीपावाव बंदरगाह और गुजरात के ऐसे हर बंदरगाह को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने के सरकार के प्रयास पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने इस बात को दोहराया कि गरीबों के लिए पक्के घर, बिजली, सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे और गैस पाइपलाइन जैसे बुनियादी ढांचे विकसित भारत के निर्माण के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में बुनियादी ढांचे के विकास पर तेजी से काम कर रही है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सौराष्ट्र में बेहतर बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी के लाभों ने औद्योगिक विकास को काफी बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा, “रो-रो फेरी सेवा के शुभारंभ से सौराष्ट्र और सूरत के बीच कनेक्टिविटी सरल हो गई है तथा हाल के वर्षों में 7 लाख से अधिक लोग इससे लाभान्वित हुए हैं। एक लाख से अधिक कारों और 75,000 से अधिक ट्रकों और बसों का परिवहन किया गया है, जिससे समय और धन दोनों की बचत हुई है।”

प्रधानमंत्री ने जामनगर से अमृतसर-भटिंडा तक आर्थिक गलियारे के निर्माण में तेजी से प्रगति का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “इस परियोजना से गुजरात से पंजाब तक सभी राज्यों को लाभ होगा। आज सड़क परियोजनाओं के उद्घाटन एवं शिलान्यास से जामनगर और मोरबी जैसे प्रमुख औद्योगिक केन्द्रों के लिए कनेक्टिविटी बेहतर होगी, सीमेंट कारखानों तक सुगमता बढ़ेगी और साथ ही सोमनाथ एवं द्वारका के लिए आसान तीर्थयात्रा की सुविधा मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि कच्छ में रेलवे कनेक्टिविटी के विस्तार से सौराष्ट्र एवं कच्छ में पर्यटन तथा औद्योगिकीकरण को और मजबूती मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा, “जैसे-जैसे भारत तेजी से विकास कर रहा है, दुनिया में भारत का गौरव भी लगातार बढ़ता जा रहा है।” उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत को नये परिपेक्ष्य में देख रही है, भारत की क्षमताओं को पहचान रही है और भारत की बात को गंभीरता से सुन रही है।” इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि इन दिनों हर कोई भारत की संभावनाओं पर चर्चा कर रहा है, श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इसमें गुजरात की बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि गुजरात ने दुनिया को दिखाया है कि भारत के हर शहर और गांव में कितनी संभावनाएं हैं। रूस में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने हेतु अपनी हालिया यात्रा का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि हर कोई भारत से जुड़ना और निवेश करना चाहता है। प्रधानमंत्री ने जर्मनी के चांसलर की हाल की यात्रा और उनके साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जर्मनी ने अब वार्षिक वीजा कोटा मौजूदा 20 हजार से बढ़ाकर 90 हजार कर दिया है, जिससे भारतीय युवाओं को लाभ होगा। श्री मोदी ने स्पेन के राष्ट्रपति की आज की गुजरात यात्रा और वडोदरा में परिवहन विमान निर्माण कारखाने के रूप में स्पेन के भारी निवेश पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इससे गुजरात में हजारों लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही विमान निर्माण से संबंधित एक संपूर्ण इकोसिस्टम का विकास होगा, जिससे लाखों नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो कहता था कि गुजरात के विकास से देश का विकास होता है। एक विकसित गुजरात, एक विकसित भारत के मार्ग को प्रशस्त करेगा।” उन्होंने आज की विकास परियोजनाओं के लिए सभी को बधाई दी।

इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल, केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री श्री सी. आर. पाटिल और सांसद श्री परषोत्तम रूपाला सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने अमरेली के दुधाला में भारत माता सरोवर का उद्घाटन किया। यह परियोजना सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत गुजरात सरकार और ढोलकैया फाउंडेशन के बीच सहयोग के माध्यम से विकसित की गई है। ढोलकैया फाउंडेशन ने एक चेक डैम का उन्नयन किया है। मूल रूप से इस बांध में 4.5 करोड़ लीटर पानी को रोक सकने की  क्षमता थी। लेकिन इसे गहरा करने, चौड़ा करने और मजबूत करने के बाद, इसकी क्षमता बढ़कर 24.5 करोड़ लीटर हो गई है। इस उन्नयन से आस-पास के कुओं और कूपो का जलस्तर बढ़ गया है जिससे स्थानीय गांवों और किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधा प्रदान करने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने गुजरात के अमरेली में लगभग 4,900 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं से राज्य के अमरेली, जामनगर, मोरबी, देवभूमि द्वारका, जूनागढ़, पोरबंदर, कच्छ और बोटाद जिलों के नागरिकों को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने 2,800 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न सड़क परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं में एनएच 151, एनएच 151ए एवं एनएच 51 और जूनागढ़ बाईपास के विभिन्न खंडों को चार लेन का बनाना शामिल है। जामनगर जिले के ध्रोल बाईपास से मोरबी जिले के अमरान तक शेष खंड को चार लेन वाला बनाने की परियोजना का शिलान्यास भी किया गया।

प्रधानमंत्री ने लगभग 1,100 करोड़ रुपये की लागत से पूरी हुई भुज-नालिया रेल गेज परिवर्तन परियोजना को राष्ट्र को समर्पित की। इस व्यापक परियोजना में 24 बड़े सेतु, 254 छोटे सेतु, 3 रोड ओवरब्रिज और 30 रोड अंडरब्रिज शामिल हैं तथा यह कच्छ जिले के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

प्रधानमंत्री ने अमरेली जिले के जल आपूर्ति विभाग की 700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उद्घाटन की गई परियोजनाओं में नवदा से चावंड बल्क पाइपलाइन शामिल है जो बोटाद, अमरेली, जूनागढ़, राजकोट और पोरबंदर जिलों के 36 शहरों और 1,298 गांवों में लगभग 67 लाख लाभार्थियों को अतिरिक्त 28 करोड़ लीटर पानी प्रदान करेगी। भावनगर जिले में पासवी समूह की संवर्धित जल आपूर्ति योजना के दूसरे चरण का शिलान्यास भी किया गया, जिससे भावनगर जिले के महुवा, तलाजा और पालीताना तालुका के 95 गांवों को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने पर्यटन से जुड़ी विभिन्न विकास संबंधी पहलों का शिलान्यास भी किया, जिसमें पोरबंदर जिले के मोकरसागर में केर्ली पुनर्भरण जलाशय को एक विश्वस्तरीय टिकाऊ इको-पर्यटन स्थल में बदलना शामिल है।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने गुजरात के वडोदरा में सी-295 विमान निर्माण के लिए टा टाएयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और स्पेन के प्रधानमंत्री श्री पेड्रो सांचेज ने आज गुजरात के वडोदरा में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) परिसर में सी-295 विमान निर्माण के लिए टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

प्रधानमंत्री ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि स्पेन के प्रधानमंत्री श्री पेड्रो सांचेज की यह पहली भारत यात्रा है और आज दोनों देशों के बीच साझेदारी को नई दिशा मिल रही है। सी-295 विमान निर्माण के लिए टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स के उद्घाटन के बारे में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे न केवल दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत होंगे, बल्कि ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ मिशन को भी गति मिलेगी। श्री मोदी ने इस अवसर पर एयरबस और टाटा की पूरी टीम को शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने स्वर्गीय श्री रतन टाटा जी को भी श्रद्धांजलि दी।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सी-295 विमान का कारखाना नए भारत की नई कार्य संस्कृति का प्रतिबिंब है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि देश में किसी भी परियोजना की अवधारणा से लेकर क्रियान्वयन तक भारत की गति यहां देखी जा सकती है। अक्टूबर 2022 में कारखाने के शिलान्यास को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संयंत्र अब सी-295 विमानों के उत्पादन के लिए तैयार है। परियोजनाओं की योजना बनाने और उनके क्रियान्वयन में होने वाली बेहिसाब देरी को खत्म करने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में वडोदरा में बॉम्बार्डियर ट्रेन कोच निर्माण संयंत्र की स्थापना को याद किया। उन्होंने कहा कि यह कारखाना उत्पादन के लिए रिकॉर्ड समय में तैयार हो गया। उन्होंने कहा, “इस कारखाने में बने मेट्रो कोच आज दूसरे देशों को निर्यात किए जा रहे हैं।” श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि आज उद्घाटन किए गए नए संयंत्र में बने विमानों का भी निर्यात किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने प्रसिद्ध स्पेनिश कवि एंटोनियो मचाडो को उद्धृत करते हुए कहा कि जैसे ही हम लक्ष्य की ओर बढ़ना शुरू करते हैं, लक्ष्य की ओर जाने वाला रास्ता अपने आप बन जाता है। यह एहसास कराते हुए कि भारत का रक्षा विनिर्माण इकोसिस्टम आज नई ऊंचाइयों को छू रहा है, श्री मोदी ने कहा कि अगर 10 साल पहले ठोस कदम नहीं उठाए गए होते तो आज इस लक्ष्य तक पहुंचना असंभव होता। उन्होंने कहा कि एक दशक पहले रक्षा विनिर्माण की प्राथमिकता और पहचान आयात को लेकर थी और कोई भी कल्पना नहीं कर सकता था कि भारत में इतने बड़े पैमाने पर रक्षा विनिर्माण हो सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने एक नए रास्ते पर चलने का फैसला किया, भारत के लिए नए लक्ष्य तय किए, जिसके परिणाम आज स्पष्ट हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का रक्षा क्षेत्र में परिवर्तन इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक सही योजना और साझेदारी संभावनाओं को समृद्धि में बदल सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि रणनीतिक निर्णयों ने पिछले दशक में भारत में एक जीवंत रक्षा उद्योग के विकास को बढ़ावा दिया है। श्री मोदी ने कहा, “हमने रक्षा विनिर्माण में निजी क्षेत्र की भागीदारी का विस्तार किया, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को अधिक कुशल बनाया, आयुध कारखानों को सात प्रमुख कंपनियों में पुनर्गठित किया और डीआरडीओ तथा एचएएल को सशक्त बनाया।” उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारे स्थापित करने से इस क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। प्रधानमंत्री ने आई-डेक्स (रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार) योजना का जिक्र करते हुए कहा कि इसने पिछले पांच से छह वर्षों में रक्षा के क्षेत्र में लगभग 1,000 स्टार्टअप को बढ़ावा दिया है। उन्होंने बताया कि पिछले दशक में भारत के रक्षा निर्यात में 30 गुना वृद्धि हुई है, और देश अब 100 से अधिक देशों को उपकरण निर्यात कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कौशल और रोजगार सृजन पर जोर देते हुए कहा कि एयरबस-टाटा फैक्ट्री जैसी परियोजनाएं हजारों रोजगार पैदा करेंगी। उन्होंने कहा कि यह फैक्ट्री 18,000 विमान पुर्जों के स्वदेशी विनिर्माण को समर्थन देगी, जिससे पूरे भारत में एमएसएमई के लिए अपार अवसर उपलब्ध होंगे। इस ओर ध्यान दिलाते हुए कि भारत आज भी दुनिया की प्रमुख विमान कंपनियों के पुर्जों के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है, श्री मोदी ने कहा कि नई विमान फैक्ट्री भारत में नए कौशल और नए उद्योगों को बड़ा बढ़ावा देगी।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि वे आज के कार्यक्रम को परिवहन विमान के निर्माण से आगे भी देख रहे हैं। श्री मोदी ने पिछले दशक में भारत के विमानन क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि और परिवर्तन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत देश के सैकड़ों छोटे शहरों को हवाई संपर्क प्रदान कर रहा है। इतना ही नहीं, यह भारत को विमानन और एमआरओ डोमेन का केंद्र बनाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह इकोसिस्टम भविष्य में मेड इन इंडिया असैनिक विमानों का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। यह जानकारी देते हुए कि विभिन्न भारतीय एयरलाइनों ने 1200 नए विमानों का ऑर्डर दिया है, श्री मोदी ने कहा कि इसका मतलब यह है कि नवनिर्मित कारखाना भविष्य में भारत और दुनिया की जरूरतों को पूरा करने के लिए असैनिक विमानों के डिजाइन से लेकर निर्माण तक में प्रमुख भूमिका निभाएगा।

इस बात से अवगत कराते हुए कि वडोदरा शहर एमएसएमई का गढ़ है, श्री मोदी ने कहा कि यह शहर भारत के इन प्रयासों में उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि शहर में एक गतिशक्ति विश्वविद्यालय भी है, जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लिए पेशेवरों को तैयार कर रहा है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि वडोदरा में फार्मा सेक्टर, इंजीनियरिंग और भारी मशीनरी, केमिकल और पेट्रोकेमिकल, बिजली और ऊर्जा उपकरण जैसे कई क्षेत्रों से जुड़ी अनेक कंपनियां हैं। उन्होंने कहा कि अब यह पूरा क्षेत्र भारत में विमानन निर्माण का एक प्रमुख केंद्र भी बनने जा रहा है। श्री मोदी ने गुजरात सरकार और उसके मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल और उनकी पूरी टीम को उनकी आधुनिक औद्योगिक नीतियों और निर्णयों के लिए बधाई दी।

यह सूचित करते हुए कि वडोदरा भारत का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक शहर भी है, श्री मोदी ने कहा कि वे स्पेन से आए सभी मित्रों का स्वागत करते हुए अत्यधिक प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत और स्पेन के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव का अपना महत्व है।” उन्होंने कहा कि फादर कार्लोस वैले स्पेन से आए थे और गुजरात में बस गए थे और उन्होंने अपने जीवन के पचास साल यहां बिताए। उन्होंने यह भी कहा कि फादर वैले ने अपने विचारों और लेखन से संस्कृति को समृद्ध किया। श्री मोदी ने कहा कि उन्हें फादर वैले से मिलने का भी सौभाग्य मिला और भारत सरकार ने उनके महान योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया।

श्री मोदी ने कहा कि स्पेन में भी योग बहुत लोकप्रिय है और भारत में स्पेनिश फुटबॉल भी पसंद किया जाता है। श्री मोदी ने कल रियल मैड्रिड और बार्सिलोना क्लबों के बीच हुए फुटबॉल मैच के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि बार्सिलोना की शानदार जीत भारत में भी चर्चा का विषय रही और दोनों क्लबों के प्रशंसकों का उत्साह भारत में भी स्पेन की तरह ही था। प्रधानमंत्री ने भारत और स्पेन की बहुआयामी साझेदारी पर प्रकाश डालते हुए कहा, “चाहे वह भोजन हो, फिल्म हो या फुटबॉल, हमारे लोगों के बीच मजबूत जुड़ाव ने हमेशा हमारे संबंधों को मजबूत किया है।” श्री मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत और स्पेन ने 2026 को भारत-स्पेन संस्कृति, पर्यटन और एआई के वर्ष के रूप में मनाने का फैसला किया है।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि आज का कार्यक्रम भारत और स्पेन के बीच कई नई संयुक्त सहयोग परियोजनाओं को प्रेरित करेगा। उन्होंने स्पेनिश उद्योग और नवोन्मेषकों को भारत आने तथा देश की विकास यात्रा में भागीदार बनने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

सी-295 कार्यक्रम के तहत कुल 56 विमान वितरित किए जाने हैं, जिनमें से 16 स्पेन से एयरबस द्वारा सीधे वितरित किए जा रहे हैं और शेष 40 भारत में बनाए जाने हैं।

भारत में इन 40 विमानों को बनाने की जिम्मेदारी टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड की है। यह संयंत्र भारत में सैन्य विमानों के लिए निजी क्षेत्र की पहली फाइनल असेंबली लाइन (एफएएल) बन गई है। इसमें निर्माण से लेकर असेंबली, परीक्षण और विशिष्टता, विमान के पूरे जीवनचक्र की डिलीवरी और रखरखाव तक एक संपूर्ण इकोसिस्टम का पूर्ण विकास शामिल होगा।

टाटा के अलावा, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड जैसी रक्षा क्षेत्र की अग्रणी सार्वजनिक इकाइयों के साथ ही निजी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम इस कार्यक्रम में योगदान देंगे। इससे पहले अक्टूबर 2022 में प्रधानमंत्री ने वडोदरा फाइनल असेंबली लाइन (एफएएल) की आधारशिला रखी थी।

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केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने ओला को रिफंड मोड के संबंध में उपभोक्ताओं को विकल्प प्रदान करने वाला तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने एक ऐतिहासिक निर्णय में प्रमुख ऑनलाइन राइड-हेलिंग प्लेटफ़ॉर्म ओला को निर्देश दिया है कि वह शिकायत निवारण प्रक्रिया के दौरान उपभोक्ताओं को रिफंड को या तो सीधे उनके बैंक खाते में या कूपन के माध्यम से अपना पसंदीदा तरीका चुनने की अनुमति देने वाली प्रणाली लागू करे। इसके अतिरिक्त, ओला को निर्देश दिया गया है कि वह अपने प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से बुक की गई सभी ऑटो राइड के लिए उपभोक्ताओं को बिल या रसीद या चालान प्रदान करे, ताकि इसकी सेवाओं में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके। प्राधिकरण की अध्यक्षता मुख्य आयुक्त श्रीमती निधि खरे करती हैं।

सीसीपीए ने पाया कि जब भी उपभोक्ता ओला ऐप पर कोई शिकायत दर्ज करता है, तो अपनी बिना किसी सवाल के रिफंड नीति के तहत ओला सिर्फ़ एक कूपन कोड प्रदान करता है जिसका इस्तेमाल अगली सवारी के लिए किया जा सकता है, जबकि उपभोक्ता को बैंक खाते से रिफंड या कूपन में से किसी एक को चुनने का स्पष्ट विकल्प नहीं दिया जाता है। यह देखा गया कि यह उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन करता है और बिना किसी सवाल के रिफंड नीति का मतलब यह नहीं हो सकता कि कंपनी लोगों को सिर्फ़ दूसरी सवारी के लिए इस सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

इसके अलावा, सीसीपीए ने पाया कि यदि कोई उपभोक्ता ओला पर बुक की गई ऑटो सवारी के लिए चालान प्राप्त करने का प्रयास करता है, तो ऐप यह संदेश दिखाता है कि ‘ओला की ऑटो सेवा नियम एवं शर्तों में परिवर्तन के कारण ऑटो सवारी के लिए ग्राहक चालान प्रदान नहीं किया जाएगा।’ यह देखा गया कि बेची गई वस्तुओं या प्रदान की गई सेवाओं के लिए बिल या चालान या रसीद जारी न करना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत ‘अनुचित व्यापार व्यवहार’ है।

2. परिभाषाएँ.

(47) “अनुचित व्यापार व्यवहार” से तात्पर्य ऐसे व्यापार व्यवहार से हैजो किसी माल की बिक्रीउपयोग या आपूर्ति को बढ़ावा देने या किसी सेवा के प्रावधान के लिए कोई अनुचित तरीका या अनुचित या भ्रामक व्यवहार अपनाता हैजिसके अंतर्गत निम्नलिखित में से कोई भी व्यवहार शामिल हैअर्थात:—

(vii) बेची गई वस्तुओं या प्रदान की गई सेवाओं के लिए निर्धारित तरीके से बिल या कैश मेमो या रसीद जारी न करना।

उपरोक्त के अलावा, सीसीपीए के हस्तक्षेप से ओला ऐप में निम्नलिखित उपभोक्ता-केंद्रित परिवर्तन हुए हैं –

  1. इससे पहले वेबसाइट पर शिकायत अधिकारी और नोडल अधिकारी का विवरण स्पष्ट रूप से नहीं दिखता था। अब वेबसाइट के सहायता अनुभाग में शिकायत अधिकारी और नोडल अधिकारी का नामफोन नंबर और ई-मेल दर्ज है।
  2. रद्दीकरण नीति के अनुसार रद्दीकरण का अनुमत समय अब ​​सवारी बुकिंग के समय प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाता है।
  3. रद्दीकरण शुल्क की राशि अब सवारी बुकिंग पृष्ठ पर स्पष्ट रूप से उल्लिखित है , ताकि उपभोक्ता को सवारी रद्द करने से पहले स्पष्ट रूप से पता चल सके कि सवारी रद्द करने पर कितना शुल्क लिया जा सकता है।
  4. ड्राइवरों के लिए नई स्वीकृति स्क्रीन जोड़ी गई हैजहां ड्राइवरों को पिकअप और ड्रॉप दोनों स्थानों का पता दिखाया जाता है ।
  5. असुविधा और भ्रम से बचने के लिए, और अधिक कारण जोड़े गए जिनके आधार पर उपभोक्ता यात्रा रद्द करना चाहते हैं ।
  6. कुल किराये में शामिल घटकों की सूची अब सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है , जैसे आधार किराया, प्रति किमी किराया, प्रतीक्षा-पूर्व शुल्क आदि।
  7. ड्राइवरों को डिजिटल भुगतान करने और एसी चालू करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए संदेश जारी किए गए ।
  8. ड्राइवरों के लिए भुगतान चक्र संशोधित किया गया ताकि उन्हें शीघ्र भुगतान मिल सके।

राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) की जानकारी के अनुसार, 01.01.2024 से 09.10.2024 तक ओला के खिलाफ कुल 2,061 शिकायतें दर्ज की गई हैं। शिकायतों की शीर्ष श्रेणियों में शामिल हैं –

  1. सवारी बुकिंग के समय दर्शाए गए किराए से अधिक किराया उपभोक्ता से वसूला गया
  2. उपभोक्ता को राशि वापस न करना
  3. ड्राइवर अतिरिक्त नकदी मांग रहा है
  4. ड्राइवर सही स्थान पर नहीं पहुंचा या गलत स्थान पर उतार दिया

सीसीपीए अपने विनियामक हस्तक्षेप के माध्यम से यह सुनिश्चित करने में दृढ़ रहा है कि ओला उपभोक्ताओं के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए स्थापित कानूनी ढांचे का पालन करे। इन उपायों का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना, विश्वास बढ़ाना और सेवा प्रदाता की जवाबदेही में सुधार करना है, जो ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पर सभी उपभोक्ताओं के लिए निष्पक्ष और सुरक्षित अनुभव सुनिश्चित करने के लिए सीसीपीए की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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