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रक्षा मंत्रालय ने डिजिटल कोस्ट गार्ड परियोजना के लिए टेलीकम्युनिकेशंस कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड के साथ 588.68 करोड़ रुपये का अनुबंध किया

डिजिटल सशस्त्र बलों के लिए भारत सरकार के रणनीतिक विजन के अनुरूप रक्षा मंत्रालय ने डिजिटल कोस्ट गार्ड (डीसीजी) परियोजना की प्राप्ति के लिए 8 दिसंबर 2023 को 588.68 करोड़ रुपये की कुल लागत पर टेलीकॉम कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (टीसीआईएल) के साथ खरीद (भारतीय) श्रेणी के अंतर्गत एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।

भारतीय तट रक्षक (आईसीजी) के लिए एक महत्वपूर्ण पहल, डीसीजी परियोजना तकनीकी प्रगति की एक व्यापक गाथा प्रस्तुत करेगी, जिसमें एक उन्नत डेटा सेंटर का निर्माण, एक मजबूत आपदा रिकवरी डेटा सेंटर की स्थापना, आईसीजी साइटों पर कनेक्टिविटी का विस्तार और ईआरपी प्रणाली का विकास शामिल है। यह परियोजना सुरक्षित एमपीएलएस/वीएसएटी कनेक्टिविटी का भी लाभ उठाती है, जो स्वयं को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी में सबसे आगे ले जाती है।

डीसीजी परियोजना नवीनतम तकनीकी क्षमताओं से लैस टियर-III मानक डेटा सेंटर की स्थापना का प्रतीक है। यह शक्ति केंद्र के रूप में कार्य करते हुए आईसीजी द्वारा तैनात एप्लीकेशनों की केंद्रीकृत निगरानी और प्रबंधन को सक्षम बनाता है, जिससे आईसीजी की महत्‍वपूर्ण आईटी संपत्तियों की सतर्क निगरानी सुनिश्चित होती है।

इस परियोजना से पांच वर्षों की अवधि में लगभग डेढ़ लाख मानव-दिवस के सृजन का अनुमान है, जिससे भारतीय उद्योगों के विभिन्न क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा और इस प्रकार रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्ति के सरकार के प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।

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प्रधानमंत्री ने ‘उत्तराखंड वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन 2023’ का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री  मोदी ने आज वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून, उत्तराखंड में आयोजित ‘उत्तराखंड वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन 2023’ का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने एक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और ग्राउंड ब्रेकिंग वॉल का अनावरण किया। प्रधानमंत्री मोदी ने  सशक्त उत्तराखंड’ पुस्तक और ब्रांड हाउस ऑफ हिमालयाज को लॉन्च किया। शिखर सम्मेलन का विषय ‘शांति से समृद्धि’ है।

इस अवसर पर उद्योग जगत की हस्तियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। अदानी समूह के निदेशक और प्रबंध निदेशक (कृषि, तेल और गैस) श्री प्रणव अदानी ने कहा कि उत्तराखंड हाल के दिनों में निजी क्षेत्र के निवेश के लिए सबसे आकर्षक स्थल बन गया है, क्योंकि राज्य में एकल अनूठे तालमेल के साथ राज्य के विकास के दृष्टिकोण के कारण- एकल बिंदु स्वीकृति, भूमि की सस्ती कीमतें, किफायती बिजली व कुशल वितरण, अत्यधिक कुशल जनशक्ति और राष्ट्रीय राजधानी के साथ निकटता और एक स्थिर कानून-व्यवस्था का माहौल मौजूद है। श्री अदानी ने राज्य में अपना विस्तार करने, अधिक निवेश और नौकरियों का सृजन करनी की अपनी योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने उत्तराखंड राज्य को लगातार समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया और कहा कि भारत के लोगों ने उनमें अभूतपूर्व विश्वास व भरोसा जताया है।

जेएसडब्ल्यू के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री सज्जन जिंदल ने उत्तराखंड राज्य के साथ प्रधानमंत्री के उन संबंधों के बारे में प्रकाश डाला, जिसे उन्‍होंने केदारनाथ और बद्रीनाथ की विकास परियोजनाओं के दौरान अनुभव किया था। उन्होंने देश की तस्वीर बदलने के लिए प्रधानमंत्री के प्रयासों की प्रशंसा सराहना की और सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के मापदंडों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत जल्द ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। श्री जिंदल ने भारत की वैश्विक महाशक्ति बनने की यात्रा में प्रधानमंत्री को उनके नेतृत्व के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने पूरे देश में धामिर्क तीर्थ स्थलों की कनेक्टिविटी बेहतर बनाने के बारे में सरकार के प्रयास का भी उल्लेख किया। उन्होंने उत्तराखंड में मोटेतौर पर 15,000 करोड़ रुपये का निवेश लाने के लिए कंपनी की योजना का जिक्र किया और नवंबर में शुरू की गई ‘स्वच्छ केदारनाथ परियोजना’ के बारे में भी बात की। उन्होंने उत्तराखंड सरकार को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और प्रधानमंत्री को भारत की विकास यात्रा में कंपनी के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया।

आईटीसी के प्रबंध निदेशक श्री संजीव पुरी ने जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलता स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री की वैश्विक राजनीति कौशल और ग्लोबल साउथ के लिए उनकी तरफदारी की सराहना की। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कई उद्देश्यपूर्ण नीतिगत पहलों ने भारत को बहुआयामी चुनौतियों का सामना करने वाली विश्व की अनुकूल स्थिति में ला दिया है। उन्होंने कहा, अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में बदलाव और जीडीपी के आंकड़े स्वयं स्थिति का उल्लेख करते हैं। नेतृत्व ने ऐसी स्थिति का निर्माण कर दिया है जहां कुछ लोग कह रहे हैं, कि विश्व स्तर पर यह दशक और सदी भारत की है।

पतंजलि के संस्थापक और योग गुरु श्री बाबा रामदेव ने प्रधानमंत्री को ‘विकसित भारत’ और भारत के 140 करोड़ नागरिकों के परिवारों के साथ-साथ दुनिया का स्वप्नद्रष्टा बताया। उन्होंने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य पर प्रकाश डाला और देश में निवेश लाने और रोजगार के अवसर पैदा करने में पतंजलि के योगदान का भी उल्लेख किया। उन्होंने प्रधानमंत्री को आने वाले समय में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश और 10,000 से अधिक नौकरियों का आश्वासन दिया। उन्होंने नये भारत के निर्माण में प्रधानमंत्री के संकल्प और इच्छाशक्ति की भी सराहना की। उन्होंने राज्यों में कानून व्यवस्था बनाए रखने में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के प्रयासों की भी सराहना की और कॉर्पोरेट घरानों से राज्य में एक इकाई स्थापित करने का आग्रह किया। श्री बाबा रामदेव ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राज्य के पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के विकास की भी सराहना की। उन्होंने निवेशकों से भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनाने और विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के प्रधानमंत्री के संकल्प को मजबूत करने का भी आग्रह किया।

एम्मार इंडिया के सीईओ श्री कल्याण चक्रवर्ती ने देश के विकास के लिए दिशा, दृष्टि और दूरदर्शिता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने भारत के विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा में भागीदार बनने के लिए कॉर्पोरेट जगत की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने भारत-संयुक्त अरब अमीरात के बीच संबंधों में नई जीवंतता की ओर भी इशारा किया। एम्मार का मुख्यालय संयुक्त अरब अमीरात में है। श्री कल्याण चक्रवर्ती ने भारत के प्रति वैश्विक दृष्टिकोण में आए सकारात्मक बदलाव पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने जीएसटी और फिनटेक क्रांति जैसे कई नीतिगत सुधारों के बारे में बताया, जो उद्योग जगत के लिए नए अवसर पैदा कर रहे हैं।

टीवीएस सप्लाई चेन सॉल्यूशंस के अध्यक्ष श्री आर दिनेश ने प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने उत्तराखंड की विकास गाथा में संगठन के योगदान के बारे में बताया और टायर एवं ऑटो के पुर्जों की विनिर्माण इकाइयों व लॉजिस्टिक तथा ऑटो क्षेत्र में सेवाओं का उदाहरण दिया। उन्होंने विनिर्माण क्षेत्र और भंडारण क्षमता में निवेश को आगे बढ़ाने के लिए कंपनी की योजनाओं का विस्तार किया, जिससे सभी कंपनियों में 7,000 से अधिक रोजगार के अवसर तैयार हुए। उन्होंने विश्व के बदलते वर्तमान परिदृश्यों के कारण डिजिटल और स्थायित्व संबंधी सुधार को लेकर वित्तीय सहायता और कौशन उन्न्यन प्रदान करके ऑटो मार्केट क्षेत्र में भागीदारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कंपनी की तत्परता पर जोर दिया। सीआईआई के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने 1 लाख से अधिक लोगों को परामर्श और सहायता प्रदान करने के लिए 10 मॉडल कैरियर केंद्र स्थापित करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड आतिथ्य, स्वास्थ्य देखभाल और उन्नत विनिर्माण क्षेत्रों को कवर करने वाले 10,000 लोगों को प्रशिक्षित करने की क्षमता वाला स्पेशलिटी मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करने वाला पहला राज्य होगा।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने देवभूमि उत्तराखंड में होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और सदी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक होने के बारे में अपने कथन को याद किया। श्री मोदी ने कहा कि यह संतोष की बात है कि यह कथन धरातल पर साकार हो रहा है। प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार और सिलक्यारा में सुरंग से श्रमिकों के सफलतापूर्वक बचाव के कार्यों में शामिल सभी लोगों की सराहना की।

उत्तराखंड के साथ अपने घनिष्ठ संबंध को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां दिव्यता और विकास एक साथ महसूस होता है। प्रधानमंत्री ने इस भावना को और विस्तार देने के लिए अपनी एक कविता सुनाई।

इस अवसर पर उपस्थित निवेशकों को उद्योग के दिग्गजों के रूप में संदर्भित करते हुए, प्रधानमंत्री ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए गए एसडब्ल्यूओटी विश्लेषण की उपमा दी और राष्ट्र के लिए इस कार्य को करने पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि एसडब्ल्यूओटी विश्लेषण के परिणाम देश में आकांक्षाओं, आशा, आत्मविश्वास, नवाचार और अवसरों की प्रचुरता का संकेत देंगे। उन्होंने नीति-संचालित शासन के संकेतकों और राजनीतिक स्थिरता के लिए नागरिकों के संकल्प के बारे में भी बताया। प्रधानमंत्री ने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के बारे में चर्चा करते हुए कहा, “आकांक्षी भारत अस्थिर के बजाय एक स्थिर सरकार चाहता है।” साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोगों ने सुशासन और उसके ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर मतदान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड महामारी और अस्थिर भू-राजनीतिक परिदृश्य के बावजूद रिकॉर्ड गति से आगे बढ़ने की देश की क्षमता पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहा, “चाहे वह कोरोना वैक्सीन हो या आर्थिक नीतियां, भारत को अपनी क्षमताओं और नीतियों पर भरोसा था।” प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप दुनिया की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत एक नई ऊंचाइयों पर पहुंचा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सहित भारत का हर राज्य इस ताकत का लाभ उठा रहा है।

प्रधानमंत्री ने डबल इंजन सरकार के लाभों को दोहराया जिसके दोहरे प्रयास हर जगह दिखाई दे रहे हैं। राज्य सरकार जहां स्थानीय वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है, वहीं भारत सरकार उत्तराखंड में अभूतपूर्व निवेश कर रही है। दोनों सरकार एक-दूसरे के प्रयासों को आगे बढ़ा रही हैं। प्रधानमंत्री ने ग्रामीण इलाकों से चारधाम तक जाने के काम का जिक्र करते हुए कहा कि वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली-देहरादून के बीच की दूरी ढाई घंटे की रह जायेगी। देहरादून और पंतनगर हवाई अड्डे के विस्तार से हवाई कनेक्टिविटी मजबूत होगी। प्रदेश में हेली-टैक्सी सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है तथा रेल कनेक्टिविटी को सुदृढ़ किया जा रहा है। ये सभी कृषि, उद्योग, लॉजिस्टिक, भंडारण, पर्यटन और आतिथ्य के लिए नए अवसर पैदा कर रहे हैं।

सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित स्थानों तक सीमित पहुंच प्रदान करने वाली पिछली सरकारों के दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए, प्रधानमंत्री ने उन्हें देश के पहले गांव के रूप में विकसित करने के लिए डबल इंजन सरकार के प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने आकांक्षी जिलों और आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम के बारे में चर्चा की, जहां उन गांवों और क्षेत्रों पर जोर दिया जा रहा है जो विकास मानकों में पीछे हैं। श्री मोदी ने उत्तराखंड की अप्रयुक्त क्षमता पर प्रकाश डाला और निवेशकों से इसका अधिकतम लाभ उठाने का आग्रह किया।

उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्र पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत आने के लिए देश के साथ-साथ दुनिया भर के लोगों के उत्साह पर भी ध्यान दिलाया, जिसे डबल इंजन सरकार का लाभ मिला है। उन्होंने पर्यटकों को प्रकृति के साथ-साथ भारत की विरासत से परिचित कराने के उद्देश्य से थीम आधारित पर्यटन सर्किट बनाने की जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि प्रकृति, संस्कृति और विरासत को अपने में समेटे उत्तराखंड एक ब्रांड के रूप में उभरने जा रहा है। उन्होंने निवेशकों से योग, आयुर्वेद, तीर्थ और साहसिक खेल के क्षेत्रों में अवसर तलाशने और नये अवसर पैदा करने को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने देश के अमीरों, संपन्न लोगों और युवाओं से ‘मेक इन इंडिया’ की तर्ज पर ‘वेड इन इंडिया’ आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया। उन्होंने उनसे अगले पांच वर्षों में उत्तराखंड में कम से कम एक विवाह समारोह आयोजित करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने किसी भी संकल्प को हासिल करने की भारत की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “अगर उत्तराखंड में एक साल में 5000 शादियां भी होती हैं, तो एक नया बुनियादी ढांचा तैयार हो जाएगा और राज्य को दुनिया के लिए एक विवाह स्थल में बदल देगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में बदलाव की तेज हवा चल रही है। पिछले 10 वर्षों में एक आकांक्षी भारत का निर्माण हुआ है। पहले से वंचित आबादी के एक बड़े हिस्से को योजनाओं और अवसरों से जोड़ा जा रहा है। गरीबी से बाहर आए करोड़ों लोग अर्थव्यवस्था को नई गति दे रहे हैं। श्री मोदी ने कहा, “नव मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग दोनों अधिक खर्च कर रहे हैं। हमें भारत के मध्यम वर्ग की क्षमता को समझना होगा। उत्तराखंड में समाज की यह शक्ति आपके लिए एक बड़ा बाज़ार भी तैयार कर रही है।”

प्रधानमंत्री ने हाउस ऑफ हिमालयाज ब्रांड लॉन्च करने के लिए उत्तराखंड सरकार को बधाई दी और इसे उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों को विदेशी बाजारों तक ले जाने का एक अभिनव प्रयास बताया। श्री मोदी ने कहा, “हाउस ऑफ हिमालयाज वोकल फॉर लोकल एवं लोकल फॉर ग्लोबल की हमारी अवधारणा को और मजबूत करता है।” उन्होंने कहा कि भारत के हर जिले और ब्लॉक के उत्पादों में वैश्विक बनने की क्षमता है। उन्होंने विदेशों में मिट्टी के महंगे बर्तनों को बनाकर विशेष तरीके से पेश किये जाने का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने भारत के विश्वकर्माओं के कौशल और शिल्प को ध्यान में रखते हुए, ऐसे स्थानीय उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार की खोज के महत्व पर जोर दिया, जो पारंपरिक रूप से ऐसे कई उत्कृष्ट उत्पाद बनाते हैं, और निवेशकों से विभिन्न जिलों में ऐसे उत्पादों की पहचान करने का आग्रह किया। उन्होंने उनसे महिला स्वयं सहायता समूहों और एफपीओ के साथ जुड़ने की संभावनाएं तलाशने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, “स्थानीय-वैश्विक बनाने के लिए यह एक अद्भुत साझेदारी हो सकती है।” लखपति दीदी अभियान पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों से दो करोड़ लखपति दीदी बनाने के अपने संकल्प को दोहराते हुए कहा कि हाउस ऑफ हिमालयाज़ के ब्रांड के लॉन्च के साथ इस पहल को गति मिलेगी। उन्होंने इस पहल के लिए उत्तराखंड सरकार को भी धन्यवाद दिया।

राष्ट्रीय चरित्र को मजबूत करने के बारे में लाल किले से किए गए अपने आह्वान का उल्‍लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने सभी से आग्रह किया, “हम जो भी करें, वह विश्व में सर्वश्रेष्ठ होना चाहिए। विश्व में हमारे मानकों का अनुसरण होना चाहिए।’ हमारा विनिर्माण जीरो इम्पैक्ट, जीरो डिफैक्ट के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए। हमें अब निर्यातोन्मुख विनिर्माण को बढ़ावा देने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि महत्वाकांक्षी पीएलआई अभियान महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए इकोसिस्टम बनाने का संकल्प प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने नए निवेश के माध्यम से स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं और एमएसएमई को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सस्ते निर्यात और क्षमता निर्माण को प्राथमिकता देने की मानसिकता से बाहर आने की आवश्यकता है। उन्होंने पेट्रोलियम के लिए 15 लाख करोड़ रुपये के आयात बिल और कोयले के लिए 4 लाख करोड़ रुपये के आयात बिल का उल्लेख किया। उन्होंने दालों और तिलहनों के आयात को कम करने के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया क्योंकि आज भी भारत 15 हजार करोड़ रुपये की दालों का आयात करता है।

प्रधानमंत्री ने पोषण के नाम पर डिब्बाबंद भोजन के प्रति आगाह किया जबकि भारत मोटे अनाजों जैसे पौष्टिक भोजन की दृष्टि से बहुत समृद्ध है। उन्होंने आयुष से संबंधित जैविक भोजन की संभावनाओं और उनके द्वारा राज्य के किसानों व उद्यमियों को प्रदान किये जाने वाले अवसरों को रेखांकित किया। यहां तक कि डिब्बाबंद भोजन के संबंध में भी, उन्होंने उपस्थित लोगों से स्थानीय उत्पाद को वैश्विक बाजारों तक पहुंचने में मदद करने के लिए कहा।

अपने संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा की कि वर्तमान समय भारत, उसकी कंपनियों और उसके निवेशकों के लिए एक अभूतपूर्व समय है। उन्होंने कहा, “अगले कुछ वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है।” उन्होंने इसका श्रेय स्थिर सरकार, सहयोगपूर्ण नीतिगत प्रणाली, सुधार और परिवर्तन की मानसिकता व विकास में विश्वास के संयोजन को दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, “यही समय है, सही समय है। यह भारत का समय है।” उन्होंने निवेशकों से उत्तराखंड का साथ देने और इसकी विकास यात्रा में भाग लेने की अपील की।

इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

‘उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023’ उत्तराखंड को एक नए निवेश गंतव्य-स्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में उठाया गया एक कदम है। दो दिवसीय शिखर सम्मेलन 8 और 9 दिसंबर, 2023 को “शांति से समृद्धि” थीम के साथ आयोजित किया जा रहा है।

इस शिखर सम्मेलन में दुनिया भर से हजारों निवेशक और प्रतिनिधि भाग लेंगे। इसमें केंद्रीय मंत्रियों, विभिन्न देशों के राजदूतों के साथ-साथ प्रमुख उद्योगपतियों सहित अन्य लोग भाग लेंगे।

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पीएम-दक्ष के तहत वर्ष 2025 तक 1,69,300 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण मिलेगा, इन प्रशिक्षणों पर 286.42 करोड़ रुपये व्यय होने की संभावना है

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता सम्पन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष) योजना केंद्र सरकार की योजना है, जिसे 2020-21 में शुरू किया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य लक्षित समूहों यानी अनुसूचित जाति, ओबीसी, ईबीसी, डीएनटी, कचरा बीनने वालों सहित सफाई कर्मचारियों आदि के योग्यता स्तर को बढ़ाना है ताकि उनके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए उन्हें स्व-रोजगार के साथ-साथ मजदूरी/रोजगार दोनों के लिए ही योग्य बनाया जा सके।

वर्ष 2020-21 के दौरान लगभग 32,097 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें से 24,652 प्रशिक्षुओं को नौकरी पर रखा गया। इन प्रशिक्षणों पर कुल व्यय 44.79 करोड़ रूपये रहा। इसी प्रकार वर्ष 2021-22 में 42,002 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया गया, जिसमें से 31,033 प्रशिक्षुओं को रोजगार प्राप्‍त हुआ। इन प्रशिक्षणों पर 68.22 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई। वर्ष 2022-23 में 33,021 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें से 21,552 प्रशिक्षुओं को नौकरी मिली। इन प्रशिक्षणों के लिए 14.94 करोड़ रुपये जारी किये गये थे। इस प्रकार वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक 1,07,120 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें से 77,237 प्रशिक्षुओं को लाभकारी रोजगार प्राप्‍त हुए। इन प्रशिक्षणों पर कुल व्यय राशि 127.95 करोड़ रूपए रही।

इसी प्रकार, वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक 1,69,300 प्रशिक्षुओं (वर्ष 2023, 2024 और 2025 में क्रमशः 53,900, 56,450 और 58,950 प्रशिक्षुओं सहित) को प्रशिक्षित किए जाने का अनुमान है। इन प्रशिक्षणों पर 286.42 करोड़ रुपये की कुल राशि खर्च होने की संभावना है।

वर्ष 2023-24 के दौरान, 28 सरकारी और 84 निजी प्रशिक्षण संस्थानों को इस योजना के कार्यान्वयन के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इन 112 सूचीबद्ध प्रशिक्षण संस्थानों में 95,000 से अधिक प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है।

वार्षिक आधार पर संस्थानों को सूचीबद्ध करने की प्रथा को अब बंद कर दिया गया है और अब संस्थानों को उनकी भौतिक और वित्तीय प्रगति तथा इस योजना के कार्यान्वयन से संबंधित किसी भी कदाचार में इन संबंधित संस्थानों की लिप्‍तता न होने की शर्त पर न्यूनतम तीन साल की अवधि के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।

पहली बार, राज्यों, जिलों, जॉब रॉल आदि को आवंटित करते समय एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई, जिसके कारण 82 आकांक्षी जिलों सहित 411 जिलों को योजना के कार्यान्वयन में शामिल किया गया है। इसके अलावा, इन प्रशिक्षण संस्थानों को नवीनतम जॉब रॉल्स आवंटित किए गए हैं।

मौजूदा 38 प्रशिक्षण क्षेत्रों में से 32 क्षेत्रों को कवर किया गया है, जिसके कारण इच्छुक प्रशिक्षु उम्मीदवारों के लिए प्रशिक्षण के अवसरों में विविधता आने की संभावना है। इससे उन्हें बेहतर रोजगार के अवसर भी प्राप्‍त होंगे।

247 विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण चाहने वाले 821 केंद्रों के लिए 55,000 से अधिक आवेदक पहले ही पीएम-दक्ष पोर्टल पर आवेदन कर चुके हैं।

इन 55,000 से अधिक आवेदकों में से 37,000 से अधिक आवेदक महिलाएं हैं जो प्रशिक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य समूह हैं। प्रशिक्षण के लिए 574 बैच पहले ही गठित किए जा चुके हैं और जिनका प्रशिक्षण शुरू होने वाला है। सभी स्वीकृत केंद्रों पर दिसंबर, 2023 में ही प्रशिक्षण शुरू होने की संभावना है।

पीएम-दक्ष योजना

योजना: प्रधानमंत्री दक्ष और कुशलता सम्पन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष) योजना, एक केंद्रीय क्षेत्र योजना जो 2020-21 के दौरान शुरू की गई थी।

योजना का उद्देश्य: इस योजना का मुख्य उद्देश्य लक्षित समूहों के योग्यता स्तर को बढ़ाना है ताकि उन्हें सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए स्व-रोजगार और मजदूरी-रोजगार दोनों के लिए ही योग्य बनाया जा सके।

लक्ष्य समूह: एससी, ओबीसी, ईबीसी, डीएनटी सफाई कर्मचारी जिनमें कचरा बीनने वाले आदि शामिल हैं।

आयु मानदंड: 18-45 वर्ष

आय मानदंड: अनुसूचित जाति, कचरा बीनने वाले और डीएनटी सहित सफाई कर्मचारी: कोई आय सीमा नहीं

ओबीसी: पारिवारिक वार्षिक आय 3 लाख रुपये से कम।

ईबीसी: पारिवारिक वार्षिक आय 1 लाख रुपये से कम।

यह योजना उन भारतीय नागरिकों के लिए है, जो 18-45 वर्ष आयु वर्ग के हैं।

अनुसूचित जाति, कचरा बीनने वाले और डीएनटी सहित सफाई कर्मचारियों के लिए कोई आय सीमा नहीं है, ओबीसी के लिए वार्षिक पारिवारिक आय 3 लाख रुपये से कम होनी चाहिए और ईबीसी के लिए वार्षिक पारिवारिक आय 1 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम होनी चाहिए।

पीएम-दक्ष योजना के तहत लक्ष्य समूहों को मोटे तौर पर निम्नलिखित उप श्रेणियों में प्रशिक्षित किया गया :

  • अप-स्किलिंग/रीस्किलिंग (35 से 60 घंटे/5 दिन से 35 दिन):-रु.3000/- से रु.8000/-
  • अल्पावधि प्रशिक्षण (300 घंटे/3 महीने) :- रु.22,000/-
  • उद्यमिता विकास कार्यक्रम (90 घंटे/15 दिन): रु.7000/-
  • दीर्घकालिक प्रशिक्षण (650 घंटे/7 महीने) :- रु.45,000/-
  • कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा जारी सामान्य मानदंडों के अनुसार प्रशिक्षण की लागत पाठ्यक्रम की अवधि के अनुसार अलग-अलग होती है। कचरा बीनने वालों सहित सफाई कर्मचारियों के लिए कौशल उन्नयन 35 घंटे/5 दिनों के लिए है, जिसकी औसत लागत प्रति उम्मीदवार 3000/- रुपये है।

प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण की लागत: निःशुल्क

वजीफा: अनुसूचित जाति और सफाई कर्मचारियों को रु. 1,500/- प्रति माह की दर से वजीफा और गैर-आवासीय अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के लिए ओबीसी/ईबीसी/डीएनटी को रु. 1,000/- प्रति माह की दर से वजीफा।

अपस्किलिंग/रीस्किलिंग कार्यक्रम के लिए एससी/ओबीसी/ईबीसी/डीएनटी उम्मीदवारों को प्रति उम्मीदवार 2500/- रुपये की दर से वजीफा दिया जाता है। अपस्किलिंग कार्यक्रम के लिए सफाई कर्मचारी आवेदकों को प्रति उम्मीदवार 500- रुपये की दर से वेतन मुआवजा दिया जाता है।

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भारत ने केवल घरेलू स्तर पर ही नहीं बल्कि वैश्विक प्रतिबद्धताओं पर भी ध्यान केंद्रित किया है: केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा है कि भारत केवल घरेलू प्रगति पर ही ध्यान केंद्रित नहीं कर रहा है, बल्कि वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक टिकाऊ दुनिया बनाने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह मूल्य ‘वसुदैव कुटुंबकम्’ – एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य की भावना में निहित है जो जलवायु की दिशा में भारत के कार्यों को प्रेरित करता है। केंद्रीय मंत्री महोदय आज ग्रीन राइजिंग के शुभारंभ के अवसर पर एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इसका उद्देश्य युवाओं के नेतृत्व वाली जलवायु कार्रवाइयों और समाधानों को प्रोत्साहन प्रदान करना है।

केंद्रीय मंत्री महोदय ने संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में सीओपी 28 में ‘द ग्रीन राइजिंग: पॉवरिंग यूथ एक्शन एंड सॉल्यूशंस फॉर क्लाइमेट’ विषय पर बोलते हुए कहा है कि एक टिकाऊ दुनिया तैयार करने के लिए युवा सबसे महत्वपूर्ण कुंजी हैं। उन्होंने कहा है कि युवा लोग जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होने वाले सबसे कमजोर समूहों में सम्मिलित हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि युवा लोग जलवायु संकट के लिए सबसे कम जिम्मेदारी लेते हैं, फिर भी वे इसके सबसे बुरे परिणाम भुगत रहे हैं।

हालाँकि, मंत्री महोदय ने कहा कि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि युवा जलवायु कार्रवाई में बहुमूल्य योगदानकर्ता हैं। उन्होंने कहा कि युवा सकारात्मक परिवर्तन लाने की इच्छा रखने वाले उद्यमियों, नवप्रवर्तकों और पर्यावरण के प्रति जागरूक व्यक्तियों के रूप में परिवर्तन के अभिकर्ता हैं।

श्री यादव ने अपनी एजेंसी का उपयोग करके दुनिया भर की सरकारों को शासन के केंद्र में स्थिरता लाने के लिए मजबूर करने का श्रेय युवाओं को दिया। उन्होंने कहा कि इस बदलाव को लाने के लिए उन्हें सही ज्ञान और कौशल से सुसज्जित करना हमारा दायित्व है। इस सही ज्ञान में तकनीकी कौशल और पर्यावरणीय समझ का मिश्रण सम्मिलित होना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री महोदय ने जलवायु संकट पर गहराई से विचार करते हुए इसका दोष प्रकृति के साथ हमारे अलगाव पर मढ़ा। उन्होंने आगे कहा कि केवल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के सीमित उद्देश्य के लिए संतुलन बहाल करने की कोशिश करना एक स्वयं को हराने वाला विचार है।

श्री यादव ने इस बात पर बल दिया कि भारत ‘इकोसिस्टम को बचाने और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने’ के सिद्धांत के साथ आगे बढ़ रहा है और उन्हें प्रसन्नता है कि इस दिशा में एक वैश्विक शुरुआत की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि भविष्य के नेताओं और जलवायु शासन की प्रेरक शक्तियों के रूप में युवाओं की क्षमता का निर्माण करने के उद्देश्य से संयुक्त पहल की जाए।

केंद्रीय मंत्री श्री यादव ने कहा कि भारत की पारंपरिक सांस्कृतिक प्रथाएं आधुनिक प्रथाओं के अनुरूप हैं। श्री यादव ने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन पर रणनीतिक ज्ञान के लिए भारत का राष्ट्रीय मिशन, जलवायु परिवर्तन के मुद्दों के बारे में, विशेष रूप से विद्यार्थियों और युवाओं के बीच जागरूकता और समझ पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करता है।

श्री यादव ने कहा कि भारत इस विचार का समर्थक है कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में योगदान संगठन और राष्ट्रीय स्तर से आगे बढ़कर व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर तक होना चाहिए। केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पहले सीओपी 28 में शुरू की गई ग्रीन क्रेडिट पहल, स्वैच्छिक ग्रह-समर्थक कार्यों को प्रोत्साहित करेगी और योजना, कार्यान्वयन और पर्यावरण के अनुरूप कार्य की निगरानी में ज्ञान, अनुभव और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान के माध्यम से वैश्विक सहयोग, सहभागिता और साझेदारी की सुविधा प्रदान करेगी।

उन्होंने सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के व्यवसायों को स्थायी जीवन शैली और कार्यों की खोज में एक साथ सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।

श्री यादव ने ग्रीन राइजिंग ग्लोबल पहल के बारे में बात करते हुए कहा कि यह कम से कम 10 मिलियन बच्चों और युवाओं, विशेषकर विकासशील देशों में लड़कियों के लिए कार्य करने, हरित कौशल हासिल करने और जलवायु परिवर्तन पर देशों की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय कार्य योजनाओं में सार्वजनिक, और निजी हितधारकों के साथ योगदान करने का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि यह युवाओं, राष्ट्र और समग्र विश्व की सतत प्रगति के लिए भारत सरकार के दृष्टिकोण के साथ दृढ़ता से मेल खाता है।

जेनरेशन अनलिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी केविन फ्रे ने अपने भाषण के दौरान कहा, “हम जलवायु शिक्षा को बढ़ाकर, हरित कौशल को प्रोत्साहन देकर, हरित रोजगार के अवसरों और उद्यमिता को बढ़ावा देकर युवाओं और बच्चों की सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करके दुनिया में हो रहे जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सक्रिय रूप से समाधान कर सकते हैं।”

संयुक्त राष्ट्र अंतराष्ट्रीय बाल आपातकालीन फ़ंड (यूनिसेफ), जेनरेशन अनलिमिटेड और साझेदारों ने पहले सीओपी युवा, बच्चे, शिक्षा और कौशल दिवस पर दुबई केयर्स द्वारा आयोजित रिविरएड शिखर सम्मेलन में ग्रीन राइजिंग पहल शुरू की है, जो बच्चों और युवाओं के नेतृत्व वाले जमीनी स्तर पर जलवायु कार्रवाई के लिए विश्व के नेताओं को संगठित करने के लिए एक प्रमुख अभियान है।

ग्रीन राइजिंग का लक्ष्य बच्चों और युवाओं को भागीदार के रूप में एकीकृत करने की प्रतिबद्धताओं पर प्रकाश डालने के लिए सीओपी 28 में सभी क्षेत्रों के नेताओं को एकजुट करना है, नीति निर्माताओं को अधिक युवा-केंद्रित परिप्रेक्ष्य की ओर प्रभावित करना और संगठनों को अपने संसाधनों और विशेषज्ञता में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करना है। प्रमुख नेता इस दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध वैश्विक साझेदारों की एक महत्वपूर्ण जनसंख्या में ग्रीन राइजिंग के लिए समर्थन का वादा कर रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री महोदय के साथ मिस्र के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्री डॉ. रानिया अल मशात, रवांडा गणराज्य के पर्यावरण मंत्री डॉ. जीन डी’आर्क मुजवामारिया और जेनरेशन अनलिमिटेड, यूनिसेफ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. केविन फ्रे भी इस पहल के शुभारंभ के अवसर पर

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पीएम गतिशक्ति के तहत 62वीं नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप की बैठक में 15,000 करोड़ रुपये की चार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर चर्चा हुई

पीएम गतिशक्ति के तहत 62वीं नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) की बैठक कल नई दिल्ली में श्रीमती सुमिता डावरा, विशेष सचिव (लॉजिस्टिक्स), उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की अध्यक्षता में आयोजित की गई। नीति आयोग के अलावा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय; रेल मंत्रालय; पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय; विद्युत मंत्रालय, दूरसंचार विभाग और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय जैसे बुनियादी ढाँचे से संबंधित विभिन्न मंत्रालयों और विभागों का प्रतिनिधित्व करने वाले एनपीजी सदस्यों ने बैठक में सक्रिय रूप से भाग लिया।

बैठक में दो रेलवे लाइन परियोजनाओं पर चर्चा हुई। पहली परियोजना के अंतर्गत झारखंड राज्य में 127 किमी तक फैली ग्रीनफील्ड रेलवे लाइन शामिल है। इस परियोजना का लक्ष्य मौजूदा कोयला ब्लॉकों के अंतिम मील के अंतर को पाटना है, जिसका लक्ष्य यात्रा के लिए दूरी और समय को कम करते हुए सबसे कुशल रेल लिंक बनाना है।

दूसरी परियोजना में झारखंड और पश्चिम बंगाल में एक ब्राउनफील्ड रेलवे लाइन शामिल है, जिससे बर्नपुर, दुर्गापुर और आसनसोल के औद्योगिक क्षेत्र में माल की आवाजाही को लाभ होगा। इस पहल का उद्देश्य मौजूदा रेलवे लाइन पर भीड़भाड़ को कम करना, अतिरिक्त यातायात क्षमता प्रदान करना और अवरोध-संबंधी बचत के माध्यम से अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करना है।

गतिशक्ति सिद्धांतों के अनुसार, बेहतर लॉजिस्टिक्स इकोसिस्‍टम के माध्यम से क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को ऊपर उठाने के साथ-साथ विनिर्माण और वाणिज्यिक क्षेत्रों में मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए परियोजनाओं पर चर्चा की गई।

इसके अलावा, 300 किलोमीटर से अधिक की संयुक्त सड़क लंबाई वाली दो सड़क परियोजनाओं पर भी चर्चा की गई। एक परियोजना छत्तीसगढ़ और झारखंड में है, जिसका लक्ष्य आदिवासी जिलों और वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित जिलों में सामाजिक-आर्थिक स्थितियों का उत्थान करना है। इस सड़क से वर्तमान यात्रा की लंबाई 11% (153.45 किमी से 136.62 किमी) और यात्रा समय 56% (4.2 घंटे से 1.85 घंटे) कम होने की उम्मीद है।

दूसरी सड़क परियोजना, असम और मिजोरम में स्थित है, जो इस क्षेत्र में वैकल्पिक कनेक्टिविटी मार्ग प्रदान करती है, जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान कनेक्टिविटी के मुकाबले दूरी में 20% की कमी (215 किमी से 172 किमी तक) और यात्रा के समय में 50% की कमी (5 घंटे से 2.5 घंटे तक) होती है। इस सड़क से क्षेत्र में औद्योगिक पार्कों और बांस प्रौद्योगिकी पार्क को लाभ पहुँचने की अपेक्षा है।

रेल मंत्रालय द्वारा रेल सागर कॉरिडोर कार्यक्रम पर भी चर्चा की गई, जिसका उद्देश्य 2031 तक रेल और बंदरगाह-आधारित कार्गो हिस्सेदारी को बढ़ाना, रेलवे के लिए मॉडल बदलाव में सुधार करना और माल ढुलाई के स्वच्छ तरीकों में योगदान देना है।

विशेष सचिव (लॉजिस्टिक्स), डीपीआईआईटी ने बैठक के दौरान मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के महत्व पर विशेष जोर देने के साथ, राष्ट्र निर्माण में इन परियोजनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने विशेष तौर पर ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित क्षेत्रों में समावेशी विकास के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उनकी क्षमता पर प्रकाश डाला।

पिछड़े और आदिवासी क्षेत्रों में आसान कनेक्टिविटी और संचार नेटवर्क स्थापित करके, इन परियोजनाओं का लक्ष्य इन क्षेत्रों को सशक्त बनाना, पहुंच, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा को बढ़ाना और इस तरह विकास अंतर को कम करना है। एनपीजी के सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि ये पहल वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही को सुविधाजनक बनाकर आर्थिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण उत्प्रेरक के रूप में काम कर सकती हैं, जिससे व्यवसायों के फलने-फूलने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हो सकता है। इसके अतिरिक्त, प्रभावी परियोजना तैयार करने में पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के महत्व की सामूहिक स्वीकृति थी, क्योंकि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के आसपास विकसित की जा रही क्षेत्र विकास योजनाओं में आर्थिक और सामाजिक समूहों को बेहतर कनेक्टिविटी देने की क्षमता है।

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26-29 फरवरी, 2024 तक केंद्र एक वैश्विक मेगा कपड़ा कार्यक्रम ‘भारत टेक्स’ 2024 का आयोजन करेगा

भारत टेक्स 2024 एक वैश्विक मेगा कपड़ा कार्यक्रम है जो 11 कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषदों के संघ द्वारा आयोजित किया जा रहा है और कपड़ा मंत्रालय द्वारा समर्थित है। यह नई दिल्ली में 26-29 फरवरी, 2024 तक निर्धारित है। स्थिरता और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं पर ध्यान देने के साथ, यह कपड़ा जगत के सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली लोगों को आकर्षित करने वाली परंपरा और प्रौद्योगिकी का एक ‘टेपेस्ट्री’ साबित होने का वादा करता है। इसमें स्थिरता और पुनर्चक्रण पर समर्पित मंडप, लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और डिजिटलीकरण पर विषयगत चर्चा, इंटरैक्टिव फैब्रिक परीक्षण क्षेत्र, उत्पाद प्रदर्शन और शिल्पकारों द्वारा मास्टर-क्लास और वैश्विक ब्रांडों और अंतरराष्ट्रीय डिजाइनरों से जुड़े कार्यक्रम शामिल होंगे। भारत टेक्स 2024 ज्ञान, व्यवसाय और नेटवर्किंग के लिए एक अनूठा अनुभव होगा। इस मेगा इवेंट में लगभग 20 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में फैली एक प्रदर्शनी होगी जिसमें परिधान, घरेलू सामान, फर्श कवरिंग, फाइबर, यार्न, धागे, कपड़े, कालीन, रेशम, कपड़ा आधारित हस्तशिल्प, तकनीकी कपड़ा और बहुत कुछ प्रदर्शित किया जाएगा। इसमें लगभग 50 अलग-अलग ज्ञान सत्र भी होंगे जो ज्ञान के आदान-प्रदान, सूचना प्रसार और सरकार से सरकार और व्यवसाय से व्यवसाय के बीच बातचीत के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करेंगे।

क्षेत्र में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं सहित कपड़ा मूल्य श्रृंखला को प्रभावित करने वाले विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों का आकलन/पता लगाने के लिए समय-समय पर अध्ययन आयोजित किए जाते हैं। ऐसा ही एक मूल्यांकन तकनीकी कपड़ा पर नीति आयोग के सदस्य की अध्यक्षता वाली एक तकनीकी समिति द्वारा किया गया था। अपनी रिपोर्ट में, सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं से ज्ञान लेते हुए, समिति ने तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और अनुसंधान गतिविधियों पर एक विस्तृत रोडमैप पेश किया। इसके बाद, हितधारकों के साथ उचित परामर्श के बाद, अनुसंधान और नवाचार और विशेष फाइबर के स्वदेशी विकास; उपयोगकर्ताओं के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने; तकनीकी वस्त्रों के भारत के निर्यात को बढ़ाने; और अपेक्षित कौशल वाले मानव संसाधन तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन (एनटीटीएम) तैयार किया गया।

कपड़ा आपूर्ति श्रृंखला में हरित पहल का समर्थन करने के उद्देश्य से, मंत्रालय 2013 से एकीकृत प्रसंस्करण विकास योजना (आईपीडीएस) लागू कर रहा है, ताकि कपड़ा उद्योग को अपशिष्ट जल और कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में आवश्यक पर्यावरणीय और सामाजिक मानकों को पूरा करने में सुविधा मिल सके। यह योजना प्रसंस्करण समूहों में सामान्य प्रवाह उपचार संयंत्रों (सीईटीपी) का समर्थन करती है। इस योजना के तहत अब तक मंत्रालय द्वारा 6 परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है।

इसके अलावा, कपड़ा मंत्रालय द्वारा कपड़ा और परिधान उद्योग के विभिन्न हितधारकों को एक मंच प्रदान करने के लिए एक पर्यावरण सामाजिक प्रशासन कार्य बल का गठन किया गया है ताकि स्थिरता के मुद्दों पर वर्तमान स्थिति और कपड़ा एवं परिधान उद्योग को एक टिकाऊ और संसाधन-कुशल उत्पादन प्रणाली वाले उद्योग में परिवर्तित करने के मुद्दों पर चर्चा की जा सके।

यह जानकारी केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना जरदोश ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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उपभोक्ता मामलों का  विभाग “जागो ग्राहक जागो” शीर्षक से देशव्यापी मल्टीमीडिया जागरूकता अभियान चला रहा है

उपभोक्ता मामलों का विभाग “जागो ग्राहक जागो” नामक देशव्यापी मल्टीमीडिया जागरूकता अभियान चला रहा है। सरल संदेशों के माध्यम से, उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी या समस्याओं और निवारण के तंत्र से अवगत कराया जाता है। ये अभियान प्रिंट मीडिया, टीवी, रेडियो, सिनेमा थिएटरों, वेबसाइटों, होर्डिंग/ डिस्प्ले बोर्ड आदि के माध्यम से चलाए जाते हैं।

ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में जागरूकता उत्न्न करने के लिए, विभाग इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए विभिन्न राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेश के महत्वपूर्ण मेलों/उत्सवों/कार्यक्रमों में हिस्सा लेता है कि ऐसे मेलों/उत्सवों/आयोजनों में ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। विभाग स्थानीय विषय-वस्तु के साथ उपभोक्ता जागरूकता क्रियाकलाप चलाने के लिए राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता अनुदान भी जारी करता है। विभाग स्थानीय विषय-वस्तु के साथ उपभोक्ता जागरूकता कार्य करने के लिए राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता अनुदान भी प्रदान करता है।

इसके अलावा, विभाग उपभोक्ता अधिकारों और निवारण तंत्रों पर रचनात्मक/ कैप्शन के माध्यम से उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता उत्पन्न करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करता है। डिजिटल सोशल मीडिया चैनलों को व्यावसायिक रूप से प्रबंधित किया जाता है और उपभोक्ता जागरूकता और उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रासंगिक रचनात्मक सामग्री विभाग के सोशल मीडिया चैनलों में पोस्ट डाली जाती है।

विभाग द्वारा उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए एक शुभंकर “जागृति” भी शुरू किया गया है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अंतर्गत, उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा और उपभोक्ता विवादों का निवारण सुविधाजनक और त्वरित करने के लिए जिला स्तर (जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग), राज्य स्तर (राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग) और राष्ट्रीय स्तर (राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग) पर तीन स्तरीय अर्ध-न्यायिक तंत्र, जिसे आमतौर पर ‘उपभोक्ता आयोग’ भी कहा जाता है, स्थापित किया गया है। उपभोक्ता आयोगों को विशिष्ट तरह का राहत प्रदान करने और उपभोक्ताओं को जहां भी उचित हो, मुआवजा देने का अधिकार है।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के अंतर्गत उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, अनुचित व्यापार प्रथाओं और जनता और उपभोक्ता हितों को नुकसान पहुंचाने वाले झूठे या भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों को विनियमित करने के लिए की गई है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने उपभोक्ताओं की शिकायतों का समाधान करने के लिए एक राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) भी स्थापित की है। उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा जागरूकता उत्पन्न करने, सलाह देने और उपभोक्ता शिकायतों का निवारण करने और उपभोक्ता शिकायतों को दर्ज करने के लिए एक केंद्रीय रजिस्ट्री के रूप में कार्य करने के लिए वेबसाइट – www.consumerhelpline.gov.in शुरू की गई है। अभिसरण मॉडल के अंतर्गत, जो अदालत के बाहर विवाद निवारण तंत्र है, एनसीएच उन कंपनियों के साथ साझेदारी करता है जिनके पास कुशल उपभोक्ता शिकायत समाधान के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण है। एनसीएच में प्राप्त शिकायतों और उनसे संबंधित शिकायतों को प्रस्तुत करते ही एनसीएच अभिसरण कंपनी के साथ तुरंत अनुवर्ती कार्रवाई करता है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 38 (7) में कहा गया है कि प्रत्येक शिकायत का यथासंभव शीघ्रता से निपटारा किया जाएगा और शिकायत पर निर्णय विरोधी पक्ष द्वारा नोटिस प्राप्त होने की तारीख से तीन महीने की अवधि के अंदर किया जाएगा, जहां शिकायत को वस्तुओं के विश्लेषण या परीक्षण की आवश्यकता नहीं है और वस्तुओं का विश्लेषण या परीक्षण करने की आवश्यकता होने पर इसका निपटारा पांच महीने के अंदर किया जाएगा।

2022 के दौरान, निपटाए गए उपभोक्ता मामलों की संख्या दर्ज किए गए मामलों की संख्या से अधिक रही है।

केंद्र सरकार उपभोक्ता आयोगों की अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए ‘उपभोक्ता आयोगों का सुदृढ़ीकरण’ नामक योजना के अंतर्गत राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है जिससे प्रत्येक उपभोक्ता आयोग में न्यूनतम स्तर की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।

वित्तीय सहायता, जिला आयोग भवन के लिए 5000 वर्ग फुट तक और राज्य आयोग भवन के लिए 11000 वर्ग फुट तक निर्माण क्षेत्र प्रदान की जाती है, जिसमें दोनों मामलों में मध्यस्थता सेल के निर्माण के लिए 1000 वर्ग फुट शामिल है।

राज्य आयोग के संबंध में 25 लाख रुपये और जिला आयोग के संबंध में 10 लाख रुपये की समग्र लागत सीमा के अंतर्गत फर्नीचर, कंप्यूटर, कार्यालय उपकरण, पुस्तकालय के लिए पुस्तकें आदि की खरीद के लिए गैर-भवन परिसंपत्तियों के लिए भी सहायता प्रदान की जाती है।

उपभोक्ता मामले विभाग देश में सभी उपभोक्ता आयोगों को पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत करने के लिए देश में उपभोक्ता आयोगों का कम्प्यूटरीकरण और कम्प्यूटर नेटवर्किंग (कॉनफोनेट) नामक एक योजना भी चला रहा है जिससे सूचना तक पहुंच और मामलों का त्वरित निपटारा किया जा सके। इस योजना के अंतर्गत उपभोक्ता आयोगों को हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और तकनीकी जनशक्ति प्रदान की जाती है।

उपभोक्ता आयोग ने उपभोक्ताओं/अधिवक्ताओं को ई-दाखिल पोर्टल के माध्यम से घर से या कहीं से भी ऑनलाइन उपभोक्ता शिकायतें दर्ज करने की सुविधा प्रदान करने के लिए “edaakhil.nic.in” नामक एक ऑनलाइन आवेदन पोर्टल विकसित किया है। ई-दाखिल देश के 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में परिचालित हो रहा है।

यह जानकारी केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री, श्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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अधूरे ख्वाब

अधूरे ख़्वाबों को सजा मत समझिये.. बल्कि ये इक ज़रिया है जो तुम्हे उस ओर ले जायेगा और यक़ीं रखो इक रोज यही तुझे तेरे महबूब से भी मिलवाएगा
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अक्सर लोग मुझ से पूछते हैं आप अधूरी कहानियों पर ज़्यादा लिखती है और वजूहात भी पूछते है, वैसे तो वजह कोई मेरी पर्सनल नही है।
अधूरेपन का अहसास तो हर इन्सान को कभी न कभी होता ही है।प्यार और अधूरेपन दोनों अलग नही है। दोनों ही इक दूजे से जुड़े हुए हैं।
“जो किसी को या किसी चीज़ को गहरा प्यार करता है वही अधूरेपन के अहसास को भी जान सकता है”।प्यार को समझने के साथ साथ अधूरेपन को भी समझना बहुत ज़रूरी है।
लिखना मेरा शौक़ है मगर हर लेखक अपनी आप बीती ही नहीं कहता बल्कि उसमें इक क़ाबलियत .. इक समझ होती है दूसरों के मन के भावों को ,दूसरों की पीड़ा और .. हर बात के दोनों पहलुओं को समझने की शक्ति होती है कयोंकि उसका मन ठहरा हुआ ,होने की वजह से वो हर बात की गहराई को महसूस कर लेता है, दूसरों की जगह पर खुद को रख कर हर इक का दरद समझ लेता है।और ..
फिर उसी के आधार पर उनकी कलम चला करती है .. मै अधूरी कहानियाँ इसीलिए लिखा करती हूँ क्योंकि मैं समझती हूँ जो आज अधूरा है ,यकीनन वो कभी न कभी पूरा ज़रूर होगा।
जब तक पूरा नहीं हो जाता …कहानियाँ बनती रहती है और संसार चलता रहता है।
अधूरापन ..या किसी चीज़ की कमी का अहसास होने पर
हम मन से..
विचारों से , गहरे होने लगते है यही वजह होती है।
हमारी चाहत मे शिद्दत बढ़ने लगती है जब हम हर वकत उसी के बारे में सोचते रहते हैं और ये सोच ही फिर आगे चल कर, हमे अधूरेपन से पूर्णता की तरफ़ ले जाती है .. ।
हम सब के ऊपर इक शक्ति है। जिसका काम ही यही है ,अधूरे को पूरा करना …,चाहे इस जन्म में पूरा करे या अगले किसी जन्म मे।
दोस्तों!
यदि हमारे सब ख़्वाब पूरे हो जाये। ज़िन्दगी में सब कुछ पा लिया जाये तो फिर आगे रह ही क्या जाता है ,कि उसकी कोई कहानी बनाई जाये..न तो उसमें कोई खुवाईश होगी
न कमी .. न कोई चाहत रह जायेगी ..न ही कोई शिद्दत…पूरा होने का मतलब ही “अंत हो जाना”।
जब हम कोई लक्ष्य या मक़सद पूरा कर लेते है ।
रिश्ते हम भोग चुके होते हैं। चीजों को अच्छे से जान चुके होते है।
जब परिवार में सबसे अपना हिसाब पूरा कर चुकते हैं तो इच्छाये समाप्त होने लगती है तो दुनिया मे आने के रास्ते बंद हो जाते है। क्यूं आयेगा कोई ?
जब कोई वजह ही नहीं रहती, तो फिर कोई मतलब ही नहीं रहता वापस इस संसार में आने का। जैसे जैसे हम ज़िन्दगी को जान चुके होते है अनुभव कर चुके होते है उससे हम मुक्त होते जाते है धीरे धीरे..
बेशक !
पूर्णता बहुत सुन्दर और आनंद देने वाली होती है मगर अधूरापन हमे अन्दर से और बाहर से और भी सुन्दर बना देता।
.”पूर्णिमा का चाँद “
पूरा कितना मनमोहक होता है ।उसको देखने भर से ही मन में शान्ति का संचालन होने लगता है और शायरों की कलम ✍️ लिखने को बेकरार होने लगती है।
मगर
“आधा चाँद “
वो भी कमाल का होता है ।
आधे चाँद की रात को ही
ईद का चाँद कहा जाता है।
वो हम सब जानते ही हैं ,
कि दोनों कितने ख़ास है।
जब जब हम इन्सानों की कहानियों में जब पूर्णता आती है तो सब ठहर जाता है।
अधूरापन ही आगे चलता है, अनंत काल तक ..जन्मों जन्मों तक ..
चाहे वो बिन कहे भाव हो ..
चाहते हो . ..
खुवाईशे हो ..
या दुनिया का कारोबार हो …
.सारी उम्र कुछ लोग ग़रीबी देखते हैं उनकी अमीर बनने की चाह अधूरी रह जाये तो इस इच्छा का अंत नहीं होगा जब तक ये इच्छा पूरी न होगी यही कुदरत का नियम है
अधूरे को पूरा करना ही जीवन का मक़सद होता है …
इस संसार में “
मोक्ष “के लिए
अधूरे से पूरे होना ज़रूरी है।
.. मेरी इक दोस्त है जिस को भगवान ने सब दे रखा था।
वो अक्सर कहा करती कि मै कभी भगवान से कुछ माँगती नहीं ,सब खुद ब खुद मिल रहा है .,
पैसा ,शोहरत ,पार्टीज़ ,ज़मीन जायदाद ,आभूषण से भरी हुई थी कारोबार भी बहुत था … उसके पास प्यार करने वाला पति भी था।
वक़्त ने पलटा मारा ..
सब चला गया। मगर जब गया तो बहुत दुखी हुई।
अब हर वकत उन चीजों का ही चिंतन करती रहती है।सब वापस पाना चाहती है।भगवान से प्रार्थना करती है, कि उसे सब वापस मिल जाये ।
इसी तरह हम सब भी जब चीजों को खो देते है तो उन्हें फिर से पाना चाहते हैं और फिर उन्हें वापस पाने का चाहत ,हमें इस संसार में वापस ले कर आती है।क्योंकि अब हम ख़ुद को पूरा महसूस नहीं कर रहे।

पूरे होंगे…तो ही मोक्ष मिल सकता है इसी लिए दोस्तों !!
अधूरेपन के अहसास से घबराए नहीं ,न ही डिप्रेशन की कागार में खुद को खड़ा करे बल्कि इक उम्मीद जगाये कि आज ये अधूरेपन ही हमे पूरे की ओर ले कर जायेगा और याद दिलाये खुद को…
.
“मैं आज अधूरी हूँ तो किसी रोज़ पूरी भी हो जाऊँगी ,बस यही ख़याल काफ़ी है ख़ुश
रहने के लिए “
लेखिका स्मिता ✍️

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“एबीवीपी का 69वां राष्ट्रीय अधिवेशन” ऋषि परम्परा वाहक का उनहत्तरवाँ झरना~ डॉ प्रीति

यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक परिवार है तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इस परिवार का युवा वर्ग है। इस युवा के आदर्श स्वामी विवेकानन्द हैं। संघ ने अपने परिवार के इस युवा सदस्य को जो सिखाया है उसका मूल है

काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च।
अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं ॥
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पिछले उनसठ वर्षों की सतत यात्रा इन्हीं पांच विशेषताओं के साथ रही है। इतनी प्रसिद्धि, वीरता, संयम, महिमा, गुण, उपलब्धि, व्यापकता, विस्तार, उड़ान, गहराई, प्रवाह, उत्थान, परिपक्वता, सावधानी और सबसे बड़ी बात, इतना सुन्दर गीत-रूप किसी भी संगठन में ऐसे ही नहीं मिलता। एबीवीपी ने ये सभी गुण अपने पांच बुनियादी गुणों से हासिल किए हैं जो उसने अपने मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सीखे हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, जिसे संक्षेप में एबीवीपी के नाम से भी जाना जाता है, 7,8,9,10 दिसंबर को अपना 69वां अधिवेशन आयोजित कर रही है, यह न केवल भारत का बल्कि विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है। विद्यार्थी परिषद, जिसकी स्थापना 9 जुलाई, 1949 को हुई थी, आज एक सोलह वर्षीय युवा की अद्भुत युवाता और ऊर्जा के साथ अपना उनहत्तरवाँ राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने के लिए तैयार है। इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में देश के गृह मंत्री अमित जी शाह और समापन सत्र में देश के तेजस्वी एवं लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाग ले रहे हैं
ज्ञान, शील और एकता के शब्द या मंत्र के साथ आगे बढ़ते हुए यह छात्र संगठन अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। अनेक लक्ष्य रखने वाले इस संगठन के मूल में एक ही लक्ष्य है- भारत माता को परम वैभव के शिखर पर स्थापित करना। बांग्लादेशी अवैध घुसपैठ, कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति, श्री राम जन्मभूमि, बांग्लादेश को तीन बीघे जमीन देने के विरुद्ध सत्याग्रह, तुष्टिकरण, शिक्षा का भारतीयकरण, नई शिक्षा प्रणाली, आतंकवाद का विरोध, शिक्षण संस्थानों में शुचिता-अनुशासन-गरिमा, का विकास शिक्षण संस्थानों। यह संगठन व्यावसायीकरण का विरोध, ग्रामीण क्षेत्रों के कोने-कोने में शिक्षा का प्रसार आदि जैसे कई लक्ष्यों और आंदोलनों को प्राप्त करके यहां तक पहुंचा है, यह संगठन अब एक विशाल वट वृक्ष बन गया है।

विद्यार्थी परिषद ने अपनी 69 वर्षों की अथक, स्थायी और अद्भुत यात्रा में जो हासिल किया है वह दो ध्रुवों के बीच पुल बनने जैसा है। एक ओर यह संगठन भारत की बुनियादी ज्ञान परंपरा को उसके ज्ञान के शिखर पर स्थापित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर यह संगठन अंतरराष्ट्रीय स्तर और वैश्विक शिक्षा पद्धतियों को भी आत्मसात कर रहा है। यद्यपि भारतीय ज्ञान परंपरा और वैश्विक आधुनिक शिक्षा के एकीकरण का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है, लेकिन नई शिक्षा नीति के माध्यम से विद्यार्थी परिषद ने इस कार्य को बहुत आगे बढ़ाया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जहां भारतीय शिक्षा व्यवस्था में अनेक सुधारों की आवश्यकता को लेकर चिंतित एवं विचारशील था, वहीं विद्यार्थी परिषद संघ की इस चिंता को अनुकूलता में बदलने का एक बड़ा माध्यम साबित हुई है। एबीवीपी खुद ही संघ की नई शिक्षा नीति के लक्ष्यों को हासिल करने में जुट गई है. इस संगठन में न केवल विद्यार्थियों बल्कि शिक्षकों की भी निरंतर भागीदारी नई शिक्षा नीति को लागू करने के लक्ष्य में सहायक सिद्ध हुई है।
किसी भी राष्ट्र की मूल पहचान उसकी शिक्षा प्रणाली से निर्धारित होती है। यह संघ का अटल विश्वास रहा है और विद्यार्थी परिषद का पूरा संगठन इस विश्वास का वाहक और संवाहक रहा है। स्वामी विवेकानन्द ने शिक्षा के बारे में कहा है कि “पूर्णता का प्रकटीकरण मनुष्य में पहले से ही होता है!” इसी को आगे बढ़ाते हुए शिक्षा नर को नारायण बनाने की क्षमता रखती है, यह संघ परिवार का विश्वास रहा है। संघ की इस विचारधारा को कोठारी आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट – “राष्ट्र का भाग्य वर्गों में आकार लेता है” में प्रतिबिंबित किया है। इस देश की रक्त कोशिकाओं और धमनियों में गहराई तक पैठ बनाने वाले अंग्रेज थॉमस मैकाले को पिछले एक दशक में अकारण ही बाहर नहीं निकाला गया है। इसके पीछे विद्यार्थी परिषद, संघ परिवार और सौ वर्षों की तपस्या का अमूल्य योगदान है।
नरेंद्र मोदी सरकार की सबसे प्रमुख उपलब्धियों में से एक, जो आने वाली सदियों तक देश को चमकती और चकाचौंध करती रहेगी, वह है “नई शिक्षा नीति”। इस नई शिक्षा नीति के निर्धारण में विद्यार्थी परिषद का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। के कस्तूरीरंगन नई शिक्षा व्यवस्था का मसौदा तैयार कर रहे हैं. कस्तूरीरंगन समिति ने अपनी रिपोर्ट में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का भी जिक्र किया है और उसके प्रति आभार व्यक्त किया है. नई शिक्षा प्रणाली में अपने योगदान में एबीवीपी चंद्रयान अभियान और स्वामी विवेकानन्द से लेकर भारतीय ज्ञान परंपरा, भारतीय ऋषि परंपरा, गुरुकुल परंपरा, आचार्य चाणक्य, वैदिक तत्व, पौराणिक आख्यान और अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक सब कुछ शामिल करके इसे समग्र बनाने का प्रयास किया है।
अपनी 69 वर्षों की यात्रा में, एबीवीपी ने अनगिनत अभियानों, आंदोलनों और आह्वानों को आमंत्रित करके हमारे समाज और राष्ट्र को बेहतर बनाने का काम किया है। अगर इन सबकी सूची बनाई जाए तो शायद पूरे समुद्र की स्याही और पूरी धरती का कागज कम पड़ जाएगा, लेकिन फिर भी विद्यार्थी परिषद की इस व्यापक यात्रा को अगर हमें तीन शब्दों में समझना है तो ये तीन शब्द ही हैं इस संगठन के लिए पर्याप्त हैं. – ज्ञान, शील एकता!!
विद्यार्थी परिषद नये परिवर्तनों का वाहक बन गयी है, सामाजिक समरसता का पर्याय बन गयी है, समस्याओं के समाधान का अचूक मंत्र बन गयी है, पर्यावरण संरक्षण का साधन बन गयी है, सृजनात्मकता का स्रोत बन गयी है, इन सभी गुणों से अखिल भारत बढ़ रहा है आगे। विद्यार्थी परिषद का 69वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित करने हेतु तत्पर विद्यार्थी परिषद को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं वंदन!!
एबीवीपी हर साल एक नया वार्षिक श्लोक निर्धारित करती है। पिछले वर्ष के गीत की इस पंक्ति को पढ़कर हमें इस संगठन का सार पता चलता है –
हम छात्र शक्ति के प्रखर पुंज , हम देव भूमि के हैं साधक,
हम छात्र शक्ति से राष्ट्रशक्ति , गढने वाले है आराधक!
हम तरुणाई में संस्कारों का अलख जगायेंगे ,
विश्वगुरु भारत का ध्वज लेकर जायेंगे !!

डॉ प्रीती
अस्सिस्टेंट प्रोफेसर
दिल्ली विश्वविद्यालय

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एस एन सेन बालिका महाविद्यालय में भारतरत्न भीमराव अंबेडकर का निर्वाण दिवस आयोजित

कानपुर 6 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता,एस एन सेन बालिका महाविद्यालय में भारतरत्न भीमराव अंबेडकर(जन्म-14 अप्रैल, 1891- निर्वाण-06 दिसंबर, 1956) का महापरिनिर्वाण दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर बाबा साहेब को श्रद्धांजली देने के क्रम में महाविद्यालय की प्राचार्या, शिक्षक-शिक्षणेत्तर कर्मचारियों, व महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण, दीप प्रज्ज्वलन, व पुष्प अर्पित किया गया।
कॉलेज की प्राचार्या प्रोफेसर (डॉ) सुमन ने बाबा साहेब को श्रद्धांजली देते हुए कहा कि बाबा साहेब के लिए राष्ट्र प्रथम था। बाबा साहेब ने अपना जीवन जातिगत भेदभाव, धार्मिक कट्टरता के खिलाफ, तथा महिलाओं को उनका मूलभूत मानवीय अधिकार दिलाने हेतु अपना जीवन समर्पित कर दिया और अंतत संविधान में विभिन्न अनुच्छेदों के माध्यम से, कानून-अधिनियम के माध्यम से सभी वंचित वर्गो को समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार दिलाया।
कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय की एनएसएस यूनिट की प्रभारी प्रोफ़ेसर डॉ चित्रा सिंह तोमर द्वारा किया गया।
एनसीसी प्रभारी डॉ प्रीति यादव द्वारा बाबा साहेब के प्रारंभिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए छात्राओं को सन्देश दिया कि कठिन से कठिन परिस्थिति होने पर भी यदि दृढ़ इच्छाशक्ति व साहस हो तो व्यक्ति कोई भी लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं है।
एनएसएस प्रभारी प्रोफेसर चित्रा सिंह तोमर ने बाबा साहेब द्वारा समाज कल्याण हेतु किए गए कार्यों एवं सामाजिक न्याय, समानता, महिलाओं के अधिकार हेतु किए गए कार्यों पर चर्चा की।
रेंजर्स प्रभारी प्रीती पांडेय ने अपने उद्बोधन में बताया कि बाबा साहेब अपने जीवन के अंतिम दिनों में किस प्रकार तमाम स्वास्थ्य कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहें व समाज कल्याण के विभिन्न कार्यों में सक्रिय रहे। बाबा साहेब के जीवन से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए तथा राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए।

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