अधूरे ख़्वाबों को सजा मत समझिये.. बल्कि ये इक ज़रिया है जो तुम्हे उस ओर ले जायेगा और यक़ीं रखो इक रोज यही तुझे तेरे महबूब से भी मिलवाएगा
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अक्सर लोग मुझ से पूछते हैं आप अधूरी कहानियों पर ज़्यादा लिखती है और वजूहात भी पूछते है, वैसे तो वजह कोई मेरी पर्सनल नही है।
अधूरेपन का अहसास तो हर इन्सान को कभी न कभी होता ही है।प्यार और अधूरेपन दोनों अलग नही है। दोनों ही इक दूजे से जुड़े हुए हैं।
“जो किसी को या किसी चीज़ को गहरा प्यार करता है वही अधूरेपन के अहसास को भी जान सकता है”।प्यार को समझने के साथ साथ अधूरेपन को भी समझना बहुत ज़रूरी है।
लिखना मेरा शौक़ है मगर हर लेखक अपनी आप बीती ही नहीं कहता बल्कि उसमें इक क़ाबलियत .. इक समझ होती है दूसरों के मन के भावों को ,दूसरों की पीड़ा और .. हर बात के दोनों पहलुओं को समझने की शक्ति होती है कयोंकि उसका मन ठहरा हुआ ,होने की वजह से वो हर बात की गहराई को महसूस कर लेता है, दूसरों की जगह पर खुद को रख कर हर इक का दरद समझ लेता है।और ..
फिर उसी के आधार पर उनकी कलम चला करती है .. मै अधूरी कहानियाँ इसीलिए लिखा करती हूँ क्योंकि मैं समझती हूँ जो आज अधूरा है ,यकीनन वो कभी न कभी पूरा ज़रूर होगा।
जब तक पूरा नहीं हो जाता …कहानियाँ बनती रहती है और संसार चलता रहता है।
अधूरापन ..या किसी चीज़ की कमी का अहसास होने पर
हम मन से..
विचारों से , गहरे होने लगते है यही वजह होती है।
हमारी चाहत मे शिद्दत बढ़ने लगती है जब हम हर वकत उसी के बारे में सोचते रहते हैं और ये सोच ही फिर आगे चल कर, हमे अधूरेपन से पूर्णता की तरफ़ ले जाती है .. ।
हम सब के ऊपर इक शक्ति है। जिसका काम ही यही है ,अधूरे को पूरा करना …,चाहे इस जन्म में पूरा करे या अगले किसी जन्म मे।
दोस्तों!
यदि हमारे सब ख़्वाब पूरे हो जाये। ज़िन्दगी में सब कुछ पा लिया जाये तो फिर आगे रह ही क्या जाता है ,कि उसकी कोई कहानी बनाई जाये..न तो उसमें कोई खुवाईश होगी
न कमी .. न कोई चाहत रह जायेगी ..न ही कोई शिद्दत…पूरा होने का मतलब ही “अंत हो जाना”।
जब हम कोई लक्ष्य या मक़सद पूरा कर लेते है ।
रिश्ते हम भोग चुके होते हैं। चीजों को अच्छे से जान चुके होते है।
जब परिवार में सबसे अपना हिसाब पूरा कर चुकते हैं तो इच्छाये समाप्त होने लगती है तो दुनिया मे आने के रास्ते बंद हो जाते है। क्यूं आयेगा कोई ?
जब कोई वजह ही नहीं रहती, तो फिर कोई मतलब ही नहीं रहता वापस इस संसार में आने का। जैसे जैसे हम ज़िन्दगी को जान चुके होते है अनुभव कर चुके होते है उससे हम मुक्त होते जाते है धीरे धीरे..
बेशक !
पूर्णता बहुत सुन्दर और आनंद देने वाली होती है मगर अधूरापन हमे अन्दर से और बाहर से और भी सुन्दर बना देता।
.”पूर्णिमा का चाँद “
पूरा कितना मनमोहक होता है ।उसको देखने भर से ही मन में शान्ति का संचालन होने लगता है और शायरों की कलम ✍️ लिखने को बेकरार होने लगती है।
मगर
“आधा चाँद “
वो भी कमाल का होता है ।
आधे चाँद की रात को ही
ईद का चाँद कहा जाता है।
वो हम सब जानते ही हैं ,
कि दोनों कितने ख़ास है।
जब जब हम इन्सानों की कहानियों में जब पूर्णता आती है तो सब ठहर जाता है।
अधूरापन ही आगे चलता है, अनंत काल तक ..जन्मों जन्मों तक ..
चाहे वो बिन कहे भाव हो ..
चाहते हो . ..
खुवाईशे हो ..
या दुनिया का कारोबार हो …
.सारी उम्र कुछ लोग ग़रीबी देखते हैं उनकी अमीर बनने की चाह अधूरी रह जाये तो इस इच्छा का अंत नहीं होगा जब तक ये इच्छा पूरी न होगी यही कुदरत का नियम है
अधूरे को पूरा करना ही जीवन का मक़सद होता है …
इस संसार में “
मोक्ष “के लिए
अधूरे से पूरे होना ज़रूरी है।
.. मेरी इक दोस्त है जिस को भगवान ने सब दे रखा था।
वो अक्सर कहा करती कि मै कभी भगवान से कुछ माँगती नहीं ,सब खुद ब खुद मिल रहा है .,
पैसा ,शोहरत ,पार्टीज़ ,ज़मीन जायदाद ,आभूषण से भरी हुई थी कारोबार भी बहुत था … उसके पास प्यार करने वाला पति भी था।
वक़्त ने पलटा मारा ..
सब चला गया। मगर जब गया तो बहुत दुखी हुई।
अब हर वकत उन चीजों का ही चिंतन करती रहती है।सब वापस पाना चाहती है।भगवान से प्रार्थना करती है, कि उसे सब वापस मिल जाये ।
इसी तरह हम सब भी जब चीजों को खो देते है तो उन्हें फिर से पाना चाहते हैं और फिर उन्हें वापस पाने का चाहत ,हमें इस संसार में वापस ले कर आती है।क्योंकि अब हम ख़ुद को पूरा महसूस नहीं कर रहे।
पूरे होंगे…तो ही मोक्ष मिल सकता है इसी लिए दोस्तों !!
अधूरेपन के अहसास से घबराए नहीं ,न ही डिप्रेशन की कागार में खुद को खड़ा करे बल्कि इक उम्मीद जगाये कि आज ये अधूरेपन ही हमे पूरे की ओर ले कर जायेगा और याद दिलाये खुद को…
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“मैं आज अधूरी हूँ तो किसी रोज़ पूरी भी हो जाऊँगी ,बस यही ख़याल काफ़ी है ख़ुश
रहने के लिए “
लेखिका स्मिता ✍️