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एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज की एन एस एस इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर के दूसरे दिन महिलाओं एवम बच्चों को योगासन और प्राणायाम की विभिन्न मुद्राओं का अभ्यास कराया गया

कानपुर 27 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज की एन एस एस इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र का शुभारंभ एन एस एस प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर के द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर किया गया। स्वयं सेविकाओं ने प्रार्थना ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ से सत्र की शुरुआत की। डॉ अंजना गुप्ता ने शिविर में उपस्थित सभी महिलाओं एवम बच्चों को योगासन और प्राणायाम की विभिन्न मुद्राओं का अभ्यास करवाते हुए उनसे संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारियां भी साझा की जैसे कि याददाश्त तेज करने, तनावमुक्त रहने में कौन से योगासन की महती भूमिका है? स्वयं सेविकाओं ने ग्रामीण बच्चों को कविताएं याद करवाईं, गणित के सवाल हल करवाये तथा विज्ञान की जानकारी प्रदान की। सभी बच्चों ने शिविर में मनोरंजक गतिविधियों जैसे नृत्य, संगीत आदि में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। प्रथम सत्र के अंत में स्वयं सेविकाओं ने कैंप में उपस्थित बच्चों में टॉफी का वितरण किया। शिविर का प्रथम सत्र काफी ऊर्जावान एवम रोचक रहा।शिविर के द्वितीय सत्र के आरंभ में डॉ प्रीति सिंह ने आरोग्य भारती संस्थान कानपुर के जिला अध्यक्ष डॉ बी एन आचार्य जी का परिचय शिविर से करवाया। स्वयं सेविकाओं ने गांव में ही उपलब्ध पत्तियों एवम फूलों से पुष्प गुच्छ बनाकर अथिति को भेंट किया । डॉ बी एन आचार्य ने ‘स्वस्थ जीवन शैली व संतुलित जीवन’ विषय पर व्याख्यान दिया तथा ग्रामीण महिलाओं एवम बच्चों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया। डॉक्टर साहब ने शिविर में लगभग 50 ग्रामीण महिलाओं व बच्चों का चिकित्सकीय परीक्षण करते हुए उनकी स्वास्थ्य समस्याओं का उचित समाधान किया। एन एस एस प्रोग्राम ऑफिसर डॉ चित्रा सिंह तोमर ने डॉ बी एन आचार्य जी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए द्वितीय सत्र का समापन किया। सत्र के अंत में स्वयं सेविकाओं ने शिविर में फल वितरण किया। इस अवसर पर डॉ प्रीति सिंह, डॉ अनामिका राजपूत, श्रीमती चेतना त्रिपाठी ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया।

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मण्डलीय सूक्ष्म एवं लघु उद्यम फैसिलिटेशन काउंसिल की बैठक संपन्न

कानपुर 27 मार्च (सू. वि.)मण्डलीय सूक्ष्म एवं लघु उद्यम फैसिलिटेशन काउंसिल की बैठक आज दिनांकः 26.03.2022 को डा० राज शेखर मण्डलायुक्त ⁄ चेयरमैन की अध्यक्षता में उनके शिविर कार्यालय में आहूत की गई है, बैठक में काउंसिल के अन्य सदस्य श्री हरेन्द्र मूरजानी‚ श्री तरूण कुमार खेतरपाल‚ श्री ए० के० वर्मा‚ अग्रणी जिला प्रबन्धक तथा श्री सर्वेश्वर शुक्ला संयुक्त आयुक्त उद्योग उपस्थित रहे। बैठक में 08 नए सन्दर्भ पंजीकृत किए जाने हेतु प्रस्तुत किए गए‚ जिन्हें काउंसिल द्वारा विचारोपरांत पंजीकृत किए जाने का निर्णय दिया गया ।
उपरोक्त के अतिरिक्त सुलह–समझौता हेतु प्रस्तुत 28 सन्दर्भो में से 05 प्रकरणों में (मेसर्स श्रीवास्तवा इन्फ्रा एसोसिएट्स कानपुर बनाम मेसर्स कानपुर फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स कानपुर , मेसर्स चांसलर इस्टेट प्रा०लि० कानपुर बनाम कानपुर फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स, मेसर्स एम्० एल० ए० कानपुर बनाम जोया डाइंग एंड फिनिशिंग कानपुर , मेसर्स एसोसिएटेड केमिकल इंडस्ट्रीज कानपुर बनाम मेसर्स सुप्रीम टैनिंग कानपुर के दो प्रकरणों में सुलह-समझौता हुआ। सुलह-समझौते के अन्तर्गत आवेदकों को विपक्षियों से लगभग रू० 90,00,000 ⁄– का भुगतान दिलाया गया । आवेदक इकायों द्वारा फैसिलिटेशन काउंसिल को धन्यवाद दिया गया । जिन प्रकरणों में प्रतिवादियों द्वारा नोटिस नहीं प्राप्त की जाती है, ऐसे प्रकरणों को पुलिस का सहयोग लेते हुए सम्बंधित थानाध्यक्ष के माध्यम से अंतिम नोटिस तामिल कराये जाने का निर्णय लिया गया । उक्त के अतिरिक्त आर्बिट्रेशन से सम्बंधित 25 संदर्भो में केस टू केस सुनवाई की गई तथा विधिक् प्रक्रिया को द्रष्टिगत रखते हुए सुनवाई का एक और मौका दिया गया ।
अन्त में सभी सदस्यों को धन्यवाद देते हुए अध्यक्ष महोदय द्वारा काउंसिल की बैठक समाप्त किए जाने की घोषणा की गयी।

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जिलाधिकारी द्वारा 11 शस्त्र लाइसेंस निरस्त

कानपुर 26 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने शस्त्र लाइसेंसों की सुनवाई करते हुए 11 शस्त्र लाइसेंसों को निरस्त किया। जिसमें तीन कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत , दो काकादेव थाना अंतर्गत ,एक शिवराजपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत ,एक किदवई नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत ,एक चमनगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत, एक फीलखाना थाना क्षेत्र अंतर्गत एवं एक विधनू थाना क्षेत्र अंतर्गत हुए। कुल 11 शस्त्र लाइसेंसों को निरस्त किया।

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एस एन सेन बी वी पी जी कालेज कानपुर की एन एस एस इकाई सात दिविसीय शिविर आयोजित करेगी

कानपुर 25 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बी वी पी जी कानपुर की एन एस एस इकाई के तत्वाधान में सात दिविसीय शिविर (दिनांक 25/03/2022 से 31/03/2022 तक) का शुभारंभ प्राचार्या डॉ निशा अग्रवाल एवम एन एस एस इकाई प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर के द्वारा काकोरी ग्राम में मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। शिविर के प्रथम दिन उदघाटन सत्र में प्राचार्या जी के द्वारा शिविर के महत्त्व की ग्रामीण महिलाओं के जीवन में उपयोगिता पर प्रेरक वक्तव्य दिया गया। एन एस एस प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर ने सात दिविसीय शिविर की रूपरेखा पर सारगर्भित प्रकाश डाला। डॉ प्रीति सिंह एवम डॉ अंजना गुप्ता ने शिविर में ग्रामीण महिलाओं से जीवन उपयोगी विषयों पर सार्थक चर्चा की। स्मृतियों को छाया चित्रों में संजोने का कार्य श्रीमती चेतना त्रिपाठी के द्वारा किया गया। शिविर के द्वितीय सत्र में एन एस एस स्वयं सेविकाओं ने ग्रामीण बच्चों के साथ मिलकर विभिन्न प्रकार की शैक्षिक एवम सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जिसमें सभी बच्चों ने बढ़ चढ़ कर सहभागिता की। आज का विशेष आकर्षण काकोरी ग्राम की नन्ही परी कुमारी सिद्धि वर्मा रहीं जिन्होंने हर गतिविधि में उत्साहपूर्वक प्रतिभागिता की। अंत में फल वितरण के द्वारा शिविर के प्रथम दिन का सफल समापन किया गया।

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राष्ट्रपति आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह-I में वर्ष 2022 के लिये पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री पुरस्कार प्रदान करेंगे

(PIB) राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह- I में वर्ष 2022 के लिये पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री पुरस्कार प्रदान करेंगे। आज के अलंकरण समारोह में जिन प्रमुख लोगों को पद्म विभूषण पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे, उनमें श्री राधे श्याम और जनरल बिपिन रावत (मरणोपरान्त) शामिल हैं। इनके अलावा श्री गुलाम नबी आजाद, श्रीमती गुरमीत बावा (मरणोपरान्त), श्री एन. चंद्रशेखरन, श्री देवेन्द्र झाझरिया, श्री राशिद खान, श्री राजीव महर्षि, डॉ. सायरस पूनावाला और श्री सच्चिदानन्द स्वामी को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। नागरिक अलंकरण समारोह- II का आयोजन 28 मार्च को किया जायेगा।

ये पुरस्कार तीन श्रेणियों में प्रदान किये जाते हैं – पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री। विभिन्न विषयों/क्षेत्रों, जैसे कला, सामाजिक कार्य, जन कार्य, विज्ञान एवं अभियांत्रिकी, व्यापार एवं उद्योग, औषधि, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, नागरिक सेवा आदि के लिये पुरस्कारों को प्रदान किया जाता है। ‘पद्म विभूषण’ उत्कृष्ट और विशिष्ट सेवा के लिये; ‘पद्म भूषण’ उच्चस्तरीय विशिष्ट सेवा के लिये और ‘पद्मश्री’ किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिये दिये जाते हैं। पुरस्कारों की घोषणा प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है।

एक रस्मी समारोह में राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान करते हैं। समारोह का आयोजन राष्ट्रपति भवन में किया जाता है। इस वर्ष कुल 128 पद्म पुरस्कार दिये जा रहे हैं, जिनमें दो युग्म पुरस्कार (युग्म पुरस्कारों को एकल पुरस्कार गिना जाता है) शामिल हैं। पुरस्कृतों की सूची में चार पद्म विभूषण, 17 पद्म भूषण और 107 पद्मश्री पुरस्कार हैं। पुरस्कृतों में 34 महिलायें हैं। सूची में विदेशी/एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई वर्ग के 10 लोग शामिल हैं। इनके अलावा 13 लोगों को मरणोपरान्त पुरस्कार दिये जायेंगे।

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1 फरवरी से 11 मार्च, 2022 तक लगभग 22,500 भारतीय यूक्रेन से भारत लौटे हैं

(PIB) 1 फरवरी से 11 मार्च, 2022 तक लगभग 22,500 भारतीय नागरिक यूक्रेन से भारत आए हैं। ऑपरेशन गंगा के तहत 90 निकासी उड़ानों का संचालन किया गया, जिनमें भारतीय वायु सेना की 14 उड़ानें भी शामिल हैं।

सरकार ने निकासी उड़ानों के संचालन के लिए भारतीय एयरलाइनों के साथ तालमेल किया था। छह निजी एयरलाइनों अर्थात् एयर एशिया, एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, गो फर्स्ट, इंडिगो और स्पाइसजेट ने ऑपरेशन गंगा के तहत चार्टर्ड सेवाओं का संचालन किया।

सरकार ने यूक्रेन से सटे देशों- रोमानिया, हंगरी, पोलैंड और स्लोवाकिया से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा के तहत छह निजी एयरलाइनों- एयर एशिया, एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, गो फर्स्ट, इंडिगो और स्पाइसजेट के साथ तालमेल किया है।

एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस दोनों ने मिलकर ऑपरेशन गंगा के तहत 23 निकासी उड़ानें संचालित की हैं। ऑपरेशन गंगा के तहत संचालित की गई सभी हवाई उड़ानों का किराया पूरी तरह से भारत सरकार ने वहन किया है।

यह जानकारी नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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होली में गुझिया क्यों?

होली रंगों का त्योहार सिर्फ नाम से ही आंखों के आगे गुलाल तैर जाता है। मौसम में भी त्यौहार की मिठास घुल जाती है। अनेक व्यंजनों के साथ-साथ गुझिया का विशेष स्थान रखता है। कभी सोचा है कि होली में गुझिया क्यों बनाई जाती है और इसकी शुरुआत कब हुई? कहा जाता है कि “गुझिया नहीं खाई तो होली क्या मनाई”। होली में गुझिया बनाने का चलन सदियों पुराना है। ऐसा माना जाता है कि होली में सबसे पहले ब्रज में भगवान कृष्ण को इस मिठाई का भोग लगाया जाता है और विशेष रूप से यह व्यंजन होली में ही बनाया जाता है इसका चलन भी ब्रज से ही शुरू हुआ। वैसे यह मध्यकालीन व्यंजन है जो मुगल काल में शुरू हुआ और कालांतर में त्योहारों की मिठाई बन गई।

मिठाई का सबसे पहला जिक्र तेरहवीं शताब्दी में एक ऐसे व्यंजन के रूप में आता है जिसमें गुड़ और आटे के पतले खोल में भरकर धूप में सुखाकर बनाया गया था और यह प्राचीन काल की स्वादिष्ट मिठाइयों में से थी लेकिन जब आधुनिक गुझिया की बात आती है तब इसे सबसे पहली बार सत्रहवीं सदी में बनाया गया था। गुझिया के बारे में ऐसा भी माना जाता है कि सबसे पहली बार उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में इसे बनाया गया था और वही से राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और अन्य प्रदेशों में यह प्रचलित हो गई।
कई जगह ऐसा भी कहा गया है कि भारत में समोसे की शुरुआत के साथ ही गुझिया भी भारत में आई और यहां की खास व्यंजनों में से एक बन गई। गुजिया और गुझिया दोनों में बड़ा अंतर है। अक्सर लोगों को इस मिठाई के दो नाम लेते हुए सुना होगा। गुजिया और गुझिया दोनों के बनाने की विधि भी अलग अलग है। वैसे तो दोनों ही मिठाइयों में भी मैदे के पतले खोल के अंदर खोया, सूजी या ड्राई फ्रूट्स का भरावन होता है और इसका स्वाद भी जरा अलग होता है।
दरअसल जब आप गुजिया की बात करते हैं तब इसे मैदे के अंदर खोया भरकर बनाया जाता है, लेकिन जब आप गुझिया के बारे में बताते हैं तब इसमें मैदे की कोटिंग के ऊपर चीनी की चाशनी भी डाली जाती है। अर्धचंद्राकार जैसी दिखने वाली जिसे पकवानों की रानी भी कहा जाता है। गुझिया जिसे दोनों ही मिठाइयां अपने -अपने स्वाद के अनुसार पसंद की जाती हैं। इस स्वादिष्ट मिठाई को देशभर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जहां महाराष्ट्र में इसे करंजी कहा जाता है वहीं गुजरात में इसे घुघरा कहा जाता है, बिहार में इस मिठाई को पेड़किया नाम दिया गया है वहीं उत्तर भारत में से गुजिया और गुझिया नाम से जानी जाती है।
गुजिया के इतिहास में एक दिलचस्प बात ये सामने आती है कि एक समय ऐसा था जब औरतें गुजिया बनाने के लिए काफी दिनों पहले से ही अपने नाखून बढ़ाया करती थीं। तब औरतों का मानना था कि बढ़े हुए नाखूनों से गुजिया को आसानी से गोंठकर सही आकार दिया जा सकता है। पारंपरिक रूप से इसे हाथों से गोठ कर ही बनाया जाता था लेकिन अब इसे बनाने के लिये बाजार में सांचे उपलब्ध है। ~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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बिहार, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में ग्रामीण स्थानीय निकायों को 2221.2 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता जारी की गई

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने ग्रामीण स्थानीय निकायों को अनुदान प्रदान करने के लिए शुक्रवार को बिहार, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल को 2,221.2 करोड़ रुपये की राशि जारी की।

बिहार को 1,112.7 करोड़ रुपये, कर्नाटक को 473.9 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल को 634.6 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। यह अनुदान सहायता वर्ष 2021-22 में बिहार राज्य को सशर्त अनुदान और कर्नाटक एवं पश्चिम बंगाल राज्यों को बिना शर्त अनुदान की दूसरी किस्त है।

15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित सशर्त अनुदान दो महत्वपूर्ण सेवाओं अर्थात (ए) स्वच्छता एवं खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) दर्जा को बनाए रखने और (बी) पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल के संचयन एवं जल पुनर्चक्रण को बेहतर बनाने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सिफारिशों पर ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को जारी किया जाता है। 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित शर्तों को पूरा करने के बाद पंचायती राज मंत्रालय की सिफारिशों पर ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को बिना शर्त अनुदान जारी किया जाता है।

पंचायती राज संस्थाओं के लिए निर्धारित कुल अनुदान सहायता में से 60 प्रतिशत राष्ट्रीय प्राथमिकताओं जैसे कि पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल के संचयन और स्वच्छता (सशर्त अनुदान के रूप में संदर्भित) के लिए निर्धारित किया जाता है, जबकि 40  प्रतिशत अनुदान सहायता बिना शर्त है और स्थान विशेष की जरूरतों को पूरा करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के विवेक पर इसका उपयोग किया जाना है।

स्थानीय निकाय अनुदान दरअसल केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत स्वच्छता और पेयजल के लिए केंद्र और राज्य द्वारा आवंटित धन के अलावा ग्रामीण स्थानीय निकायों को अतिरिक्त धनराशि सुनिश्चित करने के लिए हैं।

वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 के दौरान अनुदान पाने के योग्‍य होने के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों को कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। पारदर्शिता बढ़ाने, स्थानीय निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराने और स्थानीय निकायों द्वारा वार्षिक विकास योजनाएं तैयार करने के लिए ही ये शर्तें तय की गई हैं।

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प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद में गुजरात पंचायत महासम्मेलन को संबोधित किया

प्रधानमंत्री  मोदी ने आज अहमदाबाद में गुजरात पंचायत महासम्मेलन को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में राज्य भर से पंचायती राज प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात बापू और सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमि है। उन्होंने कहा कि, “बापू हमेशा ग्रामीण विकास और आत्म-निर्भर गांवों की बात करते थे। आज जब हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं, हमें बापू के ‘ग्रामीण विकास’ के सपने को पूरा करना चाहिए।”

प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान अनुशासित और बेहतर प्रबंधन के लिए गुजरात की पंचायतों और गांवों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात में महिला पंचायत प्रतिनिधियों की संख्या पुरुष प्रतिनिधियों की तुलना में अधिक है। उन्होंने कहा कि डेढ़ लाख से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों के एक साथ विचार-विमर्श करने की इस सच्चाई से ज्यादा भारतीय लोकतंत्र की ताकत का प्रतीक कुछ भी नहीं हो सकता है।

प्रधानमंत्री ने पंचायत सदस्यों को सलाह दी कि कैसे छोटी लेकिन बहुत ही बुनियादी पहल के साथ गांव का विकास सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने अपने स्कूल का जन्मदिन या स्थापना दिवस मनाने की सलाह दी। इसके माध्यम से उन्होंने स्कूल के परिसर और कक्षाओं को साफ करने और स्कूल के लिए अच्छी गतिविधियों को शुरू करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि देश अगस्त’ 23 तक आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने इस अवधि के दौरान गांव में 75 प्रभात फेरी (सुबह का जुलूस) निकालने का सुझाव दिया।

उन्होंने इस दौरान 75 कार्यक्रम आयोजित करने की सलाह दी, जिसमें पूरे गांव की जनता को एक साथ बैठे और मिलकर गांव के समग्र विकास के बारे में सोचे। एक और सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में गांवों में 75 पेड़ लगाकर एक छोटा जंगल बनाना चाहिए। प्रत्येक गांव में कम से कम 75 किसान ऐसे होने चाहिए जो प्राकृतिक तरीके से खेती करें। उन्होंने कहा कि धरती माता को खाद और रसायनों के जहर से मुक्ति दिलानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए 75 कृषि तालाब बनाए जाने चाहिए ताकि भूमिगत जल स्तर बढ़े और गर्मी के दिनों में लोगों को इससे मदद मिले।

उन्होंने यह सुनिश्चित करने की भी सलाह दी कि एक भी मवेशी को बिना टीकाकरण के नहीं छोड़ा जाए ताकि उन्हें संक्रामक बीमारी फुट एंड माउथ डिजीज (एफएमडी) से बचाया जा सके। प्रधानमंत्री ने बिजली बचाने के लिए पंचायत सदस्यों से पंचायत घरों और गलियों में भी एलईडी बल्ब लगाने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को गांव में जाना चाहिए और गांव का जन्मदिन मनाया जाना चाहिए जिसमें गांव के सभी लोग इकट्ठा हों और लोगों के भले के बारे में चर्चा करें। उन्होंने पंचायत सदस्यों को सलाह दी कि एक सदस्य दिन में 15 मिनट के लिए कम से कम एक बार स्थानीय स्कूल में जरूर जाए ताकि गांव के स्कूल पर कड़ी नजर रखी जा सके और शिक्षा और साफ-सफाई का स्तर अच्छा बना रहे। उन्होंने पंचायत सदस्यों से आम सेवा केंद्रों (सीएससी) का अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने की अपील की, जो वास्तव में सरकार के लिए एक राजमार्ग की तरह हैं। इससे लोगों को रेलवे बुकिंग आदि के लिए बड़े शहरों में जाने के झंझट से बचने में मदद मिलेगी। अंत में प्रधानमंत्री ने पंचायत सदस्यों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि कोई भी बच्चा पूरी स्कूली शिक्षा तक बीच में स्कूल न छोड़े और कोई भी बच्चा पात्रता के अनुसार स्कूल या आंगनवाड़ी में प्रवेश लेने से न छुटे। प्रधानमंत्री ने उपस्थित पंचायत सदस्यों से ऐसा करने का वादा लिया और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उपस्थित पंचायत सदस्यों ने अपनी सहमति दी।

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कृषि में निरंतर प्रगति कर रहा भारत सर्वोत्तम पद्धतियां अन्य देशों से साझा करने को तैयार- तोमर

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारत कृषि क्षेत्र में प्रगति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है और दुनिया की सबसे बड़ी अनुसंधान व विकास प्रणालियों में से एक है, जो सर्वोत्तम पद्धतियों को अन्य देशों के साथ साझा करने के लिए तैयार है एवं अन्य विकासशील देशों की क्षमताओं का निर्माण करने के साथ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करता रहेगा।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह बात 36वें एशिया-प्रशांत एफएओ (खाद्य एवं कृषि संगठन) क्षेत्रीय सम्मेलन में वर्चुअल कही। सम्मेलन में श्री तोमर ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण, आपूर्ति श्रृंखलाओं में विभिन्न व्यवधानों के बावजूद, भारत में कृषि क्षेत्र ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। आपूर्ति श्रृंखलाओं को खुला रखने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विभिन्न फसलों की खरीद के बेहतर तंत्र के माध्यम से, किसानों को प्रत्यक्ष बाजार सहायता प्रदान करते हुए हमारे सक्रिय नीतिगत हस्तक्षेपों के द्वारा कृषि क्षेत्र का सकारात्मक प्रदर्शन संभव हो पाया है। भारत सरकार द्वारा खरीदा खाद्यान्न करीब अस्सी करोड़ लोगों को मुफ्त में प्रदान किया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महामारी के दौर में भी कोई व्यक्ति भूखा नहीं रहे।

श्री तोमर ने कहा कि भारत कृषि क्षेत्र को सतत व लचीला बनाकर किसानों के जीवन और आजीविका में सुधार लाने का प्रयास कर रहा हैं, जिसके लिए राष्ट्रीय स्तर के अनेक कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता दी जा रही है, अब तक साढ़े ग्यारह करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में 1.82 लाख करोड़ रुपए जमा किए जा चुके हैं। भारत परंपरागत कृषि विकास योजना व पूर्वोत्तर क्षेत्र जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा दे रहा हैं। पोषक तत्वों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए किसानों को तेईस करोड़ से ज्यादा मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए गए हैं, जिनसे खेतों से मृदा नमूनों के परीक्षण के आधार पर प्रयोग किए जाने वाले पोषक तत्वों के प्रकार व मात्रा के बारे में सलाह दी जाती है।

उन्होंने बताया कि छोटे व सीमांत किसानों को समूहों में एकत्रित करके उनकी आर्थिक शक्ति में वृद्धि करने के लिए 10 हजार किसान उत्पादक संगठनों के गठन व संवर्धन संबंधी स्कीम भी शुरू की गई है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को संस्थागत ऋण के साथ-साथ बीमा कवर प्रदान किया जा रहा हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड स्थापित किया गया है। खाद्य व पोषण सुरक्षा तथा जलवायु की दृष्टि से, पोषक-अनाज के महत्व को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के प्रस्ताव पर वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष घोषित किया है। श्री तोमर ने सभी सदस्य देशों से पोषक-अनाज के लिए समर्पित इस वर्ष को उत्साह के साथ मनाने का अनुरोध किया।

श्री तोमर ने कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र टिड्डियों-फॉल आर्मी वर्म जैसे सीमापार कीटों से प्रभावित हुआ, तब उचित समय पर भारत ने वृहद नियंत्रण अभियान चलाया व अन्य प्रभावित देशों की सहायता भी की। टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोन का भी सफलतापूर्वक उपयोग किया। श्री तोमर ने, भूखमरी समाप्त करने वाला एसडीजी लक्ष्य पूरा करने के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग, मजबूत कृषि मूल्य श्रृंखला विकास के माध्यम से उत्पादन-उत्पादकता बढ़ाने के लिए, कृषि क्षेत्र में सर्वोत्तम पद्धतियों के आदान-प्रदान व  एक साथ काम करने के भारत के संकल्प की पुष्टि की, जिससे किसानों को अत्यधिक लाभ होगा। सम्मेलन में बांग्लादेश के कृषि मंत्री एवं 36वें एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय सम्मेलन मंत्रिस्तरीय सत्र के अध्यक्ष डॉ. मुहम्मद अब्दुर रज्जाक, एफएओ के महानिदेशक व एफएओ परिषद के अध्यक्ष श्री क्यू डोंग्यू, अन्य एशियाई व प्रशांत देशों के मंत्रीगण तथा विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल हुए।

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