वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने ग्रामीण स्थानीय निकायों को अनुदान प्रदान करने के लिए शुक्रवार को बिहार, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल को 2,221.2 करोड़ रुपये की राशि जारी की।
बिहार को 1,112.7 करोड़ रुपये, कर्नाटक को 473.9 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल को 634.6 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। यह अनुदान सहायता वर्ष 2021-22 में बिहार राज्य को सशर्त अनुदान और कर्नाटक एवं पश्चिम बंगाल राज्यों को बिना शर्त अनुदान की दूसरी किस्त है।
15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित सशर्त अनुदान दो महत्वपूर्ण सेवाओं अर्थात (ए) स्वच्छता एवं खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) दर्जा को बनाए रखने और (बी) पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल के संचयन एवं जल पुनर्चक्रण को बेहतर बनाने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सिफारिशों पर ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को जारी किया जाता है। 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित शर्तों को पूरा करने के बाद पंचायती राज मंत्रालय की सिफारिशों पर ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को बिना शर्त अनुदान जारी किया जाता है।
पंचायती राज संस्थाओं के लिए निर्धारित कुल अनुदान सहायता में से 60 प्रतिशत राष्ट्रीय प्राथमिकताओं जैसे कि पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल के संचयन और स्वच्छता (सशर्त अनुदान के रूप में संदर्भित) के लिए निर्धारित किया जाता है, जबकि 40 प्रतिशत अनुदान सहायता बिना शर्त है और स्थान विशेष की जरूरतों को पूरा करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के विवेक पर इसका उपयोग किया जाना है।
स्थानीय निकाय अनुदान दरअसल केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत स्वच्छता और पेयजल के लिए केंद्र और राज्य द्वारा आवंटित धन के अलावा ग्रामीण स्थानीय निकायों को अतिरिक्त धनराशि सुनिश्चित करने के लिए हैं।
वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 के दौरान अनुदान पाने के योग्य होने के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों को कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। पारदर्शिता बढ़ाने, स्थानीय निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराने और स्थानीय निकायों द्वारा वार्षिक विकास योजनाएं तैयार करने के लिए ही ये शर्तें तय की गई हैं।