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1 फरवरी से 11 मार्च, 2022 तक लगभग 22,500 भारतीय यूक्रेन से भारत लौटे हैं

(PIB) 1 फरवरी से 11 मार्च, 2022 तक लगभग 22,500 भारतीय नागरिक यूक्रेन से भारत आए हैं। ऑपरेशन गंगा के तहत 90 निकासी उड़ानों का संचालन किया गया, जिनमें भारतीय वायु सेना की 14 उड़ानें भी शामिल हैं।

सरकार ने निकासी उड़ानों के संचालन के लिए भारतीय एयरलाइनों के साथ तालमेल किया था। छह निजी एयरलाइनों अर्थात् एयर एशिया, एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, गो फर्स्ट, इंडिगो और स्पाइसजेट ने ऑपरेशन गंगा के तहत चार्टर्ड सेवाओं का संचालन किया।

सरकार ने यूक्रेन से सटे देशों- रोमानिया, हंगरी, पोलैंड और स्लोवाकिया से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा के तहत छह निजी एयरलाइनों- एयर एशिया, एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, गो फर्स्ट, इंडिगो और स्पाइसजेट के साथ तालमेल किया है।

एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस दोनों ने मिलकर ऑपरेशन गंगा के तहत 23 निकासी उड़ानें संचालित की हैं। ऑपरेशन गंगा के तहत संचालित की गई सभी हवाई उड़ानों का किराया पूरी तरह से भारत सरकार ने वहन किया है।

यह जानकारी नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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होली में गुझिया क्यों?

होली रंगों का त्योहार सिर्फ नाम से ही आंखों के आगे गुलाल तैर जाता है। मौसम में भी त्यौहार की मिठास घुल जाती है। अनेक व्यंजनों के साथ-साथ गुझिया का विशेष स्थान रखता है। कभी सोचा है कि होली में गुझिया क्यों बनाई जाती है और इसकी शुरुआत कब हुई? कहा जाता है कि “गुझिया नहीं खाई तो होली क्या मनाई”। होली में गुझिया बनाने का चलन सदियों पुराना है। ऐसा माना जाता है कि होली में सबसे पहले ब्रज में भगवान कृष्ण को इस मिठाई का भोग लगाया जाता है और विशेष रूप से यह व्यंजन होली में ही बनाया जाता है इसका चलन भी ब्रज से ही शुरू हुआ। वैसे यह मध्यकालीन व्यंजन है जो मुगल काल में शुरू हुआ और कालांतर में त्योहारों की मिठाई बन गई।

मिठाई का सबसे पहला जिक्र तेरहवीं शताब्दी में एक ऐसे व्यंजन के रूप में आता है जिसमें गुड़ और आटे के पतले खोल में भरकर धूप में सुखाकर बनाया गया था और यह प्राचीन काल की स्वादिष्ट मिठाइयों में से थी लेकिन जब आधुनिक गुझिया की बात आती है तब इसे सबसे पहली बार सत्रहवीं सदी में बनाया गया था। गुझिया के बारे में ऐसा भी माना जाता है कि सबसे पहली बार उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में इसे बनाया गया था और वही से राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और अन्य प्रदेशों में यह प्रचलित हो गई।
कई जगह ऐसा भी कहा गया है कि भारत में समोसे की शुरुआत के साथ ही गुझिया भी भारत में आई और यहां की खास व्यंजनों में से एक बन गई। गुजिया और गुझिया दोनों में बड़ा अंतर है। अक्सर लोगों को इस मिठाई के दो नाम लेते हुए सुना होगा। गुजिया और गुझिया दोनों के बनाने की विधि भी अलग अलग है। वैसे तो दोनों ही मिठाइयों में भी मैदे के पतले खोल के अंदर खोया, सूजी या ड्राई फ्रूट्स का भरावन होता है और इसका स्वाद भी जरा अलग होता है।
दरअसल जब आप गुजिया की बात करते हैं तब इसे मैदे के अंदर खोया भरकर बनाया जाता है, लेकिन जब आप गुझिया के बारे में बताते हैं तब इसमें मैदे की कोटिंग के ऊपर चीनी की चाशनी भी डाली जाती है। अर्धचंद्राकार जैसी दिखने वाली जिसे पकवानों की रानी भी कहा जाता है। गुझिया जिसे दोनों ही मिठाइयां अपने -अपने स्वाद के अनुसार पसंद की जाती हैं। इस स्वादिष्ट मिठाई को देशभर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जहां महाराष्ट्र में इसे करंजी कहा जाता है वहीं गुजरात में इसे घुघरा कहा जाता है, बिहार में इस मिठाई को पेड़किया नाम दिया गया है वहीं उत्तर भारत में से गुजिया और गुझिया नाम से जानी जाती है।
गुजिया के इतिहास में एक दिलचस्प बात ये सामने आती है कि एक समय ऐसा था जब औरतें गुजिया बनाने के लिए काफी दिनों पहले से ही अपने नाखून बढ़ाया करती थीं। तब औरतों का मानना था कि बढ़े हुए नाखूनों से गुजिया को आसानी से गोंठकर सही आकार दिया जा सकता है। पारंपरिक रूप से इसे हाथों से गोठ कर ही बनाया जाता था लेकिन अब इसे बनाने के लिये बाजार में सांचे उपलब्ध है। ~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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बिहार, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में ग्रामीण स्थानीय निकायों को 2221.2 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता जारी की गई

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने ग्रामीण स्थानीय निकायों को अनुदान प्रदान करने के लिए शुक्रवार को बिहार, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल को 2,221.2 करोड़ रुपये की राशि जारी की।

बिहार को 1,112.7 करोड़ रुपये, कर्नाटक को 473.9 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल को 634.6 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। यह अनुदान सहायता वर्ष 2021-22 में बिहार राज्य को सशर्त अनुदान और कर्नाटक एवं पश्चिम बंगाल राज्यों को बिना शर्त अनुदान की दूसरी किस्त है।

15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित सशर्त अनुदान दो महत्वपूर्ण सेवाओं अर्थात (ए) स्वच्छता एवं खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) दर्जा को बनाए रखने और (बी) पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल के संचयन एवं जल पुनर्चक्रण को बेहतर बनाने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सिफारिशों पर ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को जारी किया जाता है। 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित शर्तों को पूरा करने के बाद पंचायती राज मंत्रालय की सिफारिशों पर ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को बिना शर्त अनुदान जारी किया जाता है।

पंचायती राज संस्थाओं के लिए निर्धारित कुल अनुदान सहायता में से 60 प्रतिशत राष्ट्रीय प्राथमिकताओं जैसे कि पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल के संचयन और स्वच्छता (सशर्त अनुदान के रूप में संदर्भित) के लिए निर्धारित किया जाता है, जबकि 40  प्रतिशत अनुदान सहायता बिना शर्त है और स्थान विशेष की जरूरतों को पूरा करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के विवेक पर इसका उपयोग किया जाना है।

स्थानीय निकाय अनुदान दरअसल केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत स्वच्छता और पेयजल के लिए केंद्र और राज्य द्वारा आवंटित धन के अलावा ग्रामीण स्थानीय निकायों को अतिरिक्त धनराशि सुनिश्चित करने के लिए हैं।

वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 के दौरान अनुदान पाने के योग्‍य होने के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों को कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। पारदर्शिता बढ़ाने, स्थानीय निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराने और स्थानीय निकायों द्वारा वार्षिक विकास योजनाएं तैयार करने के लिए ही ये शर्तें तय की गई हैं।

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प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद में गुजरात पंचायत महासम्मेलन को संबोधित किया

प्रधानमंत्री  मोदी ने आज अहमदाबाद में गुजरात पंचायत महासम्मेलन को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में राज्य भर से पंचायती राज प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात बापू और सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमि है। उन्होंने कहा कि, “बापू हमेशा ग्रामीण विकास और आत्म-निर्भर गांवों की बात करते थे। आज जब हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं, हमें बापू के ‘ग्रामीण विकास’ के सपने को पूरा करना चाहिए।”

प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान अनुशासित और बेहतर प्रबंधन के लिए गुजरात की पंचायतों और गांवों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात में महिला पंचायत प्रतिनिधियों की संख्या पुरुष प्रतिनिधियों की तुलना में अधिक है। उन्होंने कहा कि डेढ़ लाख से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों के एक साथ विचार-विमर्श करने की इस सच्चाई से ज्यादा भारतीय लोकतंत्र की ताकत का प्रतीक कुछ भी नहीं हो सकता है।

प्रधानमंत्री ने पंचायत सदस्यों को सलाह दी कि कैसे छोटी लेकिन बहुत ही बुनियादी पहल के साथ गांव का विकास सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने अपने स्कूल का जन्मदिन या स्थापना दिवस मनाने की सलाह दी। इसके माध्यम से उन्होंने स्कूल के परिसर और कक्षाओं को साफ करने और स्कूल के लिए अच्छी गतिविधियों को शुरू करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि देश अगस्त’ 23 तक आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने इस अवधि के दौरान गांव में 75 प्रभात फेरी (सुबह का जुलूस) निकालने का सुझाव दिया।

उन्होंने इस दौरान 75 कार्यक्रम आयोजित करने की सलाह दी, जिसमें पूरे गांव की जनता को एक साथ बैठे और मिलकर गांव के समग्र विकास के बारे में सोचे। एक और सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में गांवों में 75 पेड़ लगाकर एक छोटा जंगल बनाना चाहिए। प्रत्येक गांव में कम से कम 75 किसान ऐसे होने चाहिए जो प्राकृतिक तरीके से खेती करें। उन्होंने कहा कि धरती माता को खाद और रसायनों के जहर से मुक्ति दिलानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए 75 कृषि तालाब बनाए जाने चाहिए ताकि भूमिगत जल स्तर बढ़े और गर्मी के दिनों में लोगों को इससे मदद मिले।

उन्होंने यह सुनिश्चित करने की भी सलाह दी कि एक भी मवेशी को बिना टीकाकरण के नहीं छोड़ा जाए ताकि उन्हें संक्रामक बीमारी फुट एंड माउथ डिजीज (एफएमडी) से बचाया जा सके। प्रधानमंत्री ने बिजली बचाने के लिए पंचायत सदस्यों से पंचायत घरों और गलियों में भी एलईडी बल्ब लगाने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को गांव में जाना चाहिए और गांव का जन्मदिन मनाया जाना चाहिए जिसमें गांव के सभी लोग इकट्ठा हों और लोगों के भले के बारे में चर्चा करें। उन्होंने पंचायत सदस्यों को सलाह दी कि एक सदस्य दिन में 15 मिनट के लिए कम से कम एक बार स्थानीय स्कूल में जरूर जाए ताकि गांव के स्कूल पर कड़ी नजर रखी जा सके और शिक्षा और साफ-सफाई का स्तर अच्छा बना रहे। उन्होंने पंचायत सदस्यों से आम सेवा केंद्रों (सीएससी) का अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने की अपील की, जो वास्तव में सरकार के लिए एक राजमार्ग की तरह हैं। इससे लोगों को रेलवे बुकिंग आदि के लिए बड़े शहरों में जाने के झंझट से बचने में मदद मिलेगी। अंत में प्रधानमंत्री ने पंचायत सदस्यों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि कोई भी बच्चा पूरी स्कूली शिक्षा तक बीच में स्कूल न छोड़े और कोई भी बच्चा पात्रता के अनुसार स्कूल या आंगनवाड़ी में प्रवेश लेने से न छुटे। प्रधानमंत्री ने उपस्थित पंचायत सदस्यों से ऐसा करने का वादा लिया और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उपस्थित पंचायत सदस्यों ने अपनी सहमति दी।

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कृषि में निरंतर प्रगति कर रहा भारत सर्वोत्तम पद्धतियां अन्य देशों से साझा करने को तैयार- तोमर

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारत कृषि क्षेत्र में प्रगति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है और दुनिया की सबसे बड़ी अनुसंधान व विकास प्रणालियों में से एक है, जो सर्वोत्तम पद्धतियों को अन्य देशों के साथ साझा करने के लिए तैयार है एवं अन्य विकासशील देशों की क्षमताओं का निर्माण करने के साथ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करता रहेगा।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह बात 36वें एशिया-प्रशांत एफएओ (खाद्य एवं कृषि संगठन) क्षेत्रीय सम्मेलन में वर्चुअल कही। सम्मेलन में श्री तोमर ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण, आपूर्ति श्रृंखलाओं में विभिन्न व्यवधानों के बावजूद, भारत में कृषि क्षेत्र ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। आपूर्ति श्रृंखलाओं को खुला रखने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विभिन्न फसलों की खरीद के बेहतर तंत्र के माध्यम से, किसानों को प्रत्यक्ष बाजार सहायता प्रदान करते हुए हमारे सक्रिय नीतिगत हस्तक्षेपों के द्वारा कृषि क्षेत्र का सकारात्मक प्रदर्शन संभव हो पाया है। भारत सरकार द्वारा खरीदा खाद्यान्न करीब अस्सी करोड़ लोगों को मुफ्त में प्रदान किया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महामारी के दौर में भी कोई व्यक्ति भूखा नहीं रहे।

श्री तोमर ने कहा कि भारत कृषि क्षेत्र को सतत व लचीला बनाकर किसानों के जीवन और आजीविका में सुधार लाने का प्रयास कर रहा हैं, जिसके लिए राष्ट्रीय स्तर के अनेक कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता दी जा रही है, अब तक साढ़े ग्यारह करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में 1.82 लाख करोड़ रुपए जमा किए जा चुके हैं। भारत परंपरागत कृषि विकास योजना व पूर्वोत्तर क्षेत्र जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा दे रहा हैं। पोषक तत्वों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए किसानों को तेईस करोड़ से ज्यादा मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए गए हैं, जिनसे खेतों से मृदा नमूनों के परीक्षण के आधार पर प्रयोग किए जाने वाले पोषक तत्वों के प्रकार व मात्रा के बारे में सलाह दी जाती है।

उन्होंने बताया कि छोटे व सीमांत किसानों को समूहों में एकत्रित करके उनकी आर्थिक शक्ति में वृद्धि करने के लिए 10 हजार किसान उत्पादक संगठनों के गठन व संवर्धन संबंधी स्कीम भी शुरू की गई है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को संस्थागत ऋण के साथ-साथ बीमा कवर प्रदान किया जा रहा हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड स्थापित किया गया है। खाद्य व पोषण सुरक्षा तथा जलवायु की दृष्टि से, पोषक-अनाज के महत्व को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के प्रस्ताव पर वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष घोषित किया है। श्री तोमर ने सभी सदस्य देशों से पोषक-अनाज के लिए समर्पित इस वर्ष को उत्साह के साथ मनाने का अनुरोध किया।

श्री तोमर ने कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र टिड्डियों-फॉल आर्मी वर्म जैसे सीमापार कीटों से प्रभावित हुआ, तब उचित समय पर भारत ने वृहद नियंत्रण अभियान चलाया व अन्य प्रभावित देशों की सहायता भी की। टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोन का भी सफलतापूर्वक उपयोग किया। श्री तोमर ने, भूखमरी समाप्त करने वाला एसडीजी लक्ष्य पूरा करने के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग, मजबूत कृषि मूल्य श्रृंखला विकास के माध्यम से उत्पादन-उत्पादकता बढ़ाने के लिए, कृषि क्षेत्र में सर्वोत्तम पद्धतियों के आदान-प्रदान व  एक साथ काम करने के भारत के संकल्प की पुष्टि की, जिससे किसानों को अत्यधिक लाभ होगा। सम्मेलन में बांग्लादेश के कृषि मंत्री एवं 36वें एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय सम्मेलन मंत्रिस्तरीय सत्र के अध्यक्ष डॉ. मुहम्मद अब्दुर रज्जाक, एफएओ के महानिदेशक व एफएओ परिषद के अध्यक्ष श्री क्यू डोंग्यू, अन्य एशियाई व प्रशांत देशों के मंत्रीगण तथा विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल हुए।

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सारे दुख हमारे अंदर का संसार देता है

एक संसार बाहर है एक अन्दर .. हम कह देते है संसार ने हमें बहुत दुख दिया है ये ग़लत है, सारे दुख हमारे अंदर का संसार देता है।
तकलीफ़ निंदा जब हमें मिलती है तो प्रतिक्रिया अन्दर होती है। हम दुखी होते हैं।क्रोध अग्नि में जलते है।बदला लेने की भावना होती है। कोई इन्सान ऐसी प्रतिक्रिया से आनन्द महसूस कर ही नहीं सकता। हालात कोई भी हो अगर हम शान्ति से स्वीकार कर लेते हैं।किसी का कुछ भी किया और कहा माफ़ कर उसे भूल जाते है तो प्रतिक्रिया पाजिटिव होगी ..साकारातमक होगी ,जो हमे आनन्द का अहसास करवायेंगी और मन सुखी होगा। दुख या सुख हमारा अपना रचा हुआ है ..दुख सुख तो संसार है दुख हमें इतना दुखी नहीं करता जितनी हमारी अपनी ही प्रतिक्रिया।सो कोशिश करें ,हम प्रतिक्रिया न दे कर हालातों को बैलेंस करने की कोशिश करे।कोई आप के साथ ग़लत करता है, तो शान्त रहे, ख़ामोशी से सह जाये वक़्त ख़ुद ही फ़ैसला कर देता है।खुद लाठी न उठाये।वक़्त को अपना काम करने दे।जब हम दुख सुख से निकलते हैं। हम और भी निखर कर बाहर आते हैं।अगर किसी ने ग़रीबी को झेला हो,वो ही इक गरीब की व्यथा को समझ सकता है।जब हम हमेशा सुख में रहते हैं तो हम किसी की तकलीफ़ को नहीं समझ सकते।ये कटु अनुभव ही हमें बेहतर इन्सान बनाते है।इक फूल का पौधा तब ही सुन्दर ख़ुशबूदार फूल दे पाता।जब वो कड़ी धूप ,बारिश,आँधी तूफ़ान, कभी गर्मी सर्दी सहता है,तो ही पौधों के तने में जान आती हैं।तब वो समय आने पर बहुत ही शानदार फूलों से बाग को भर देते है।ये पौधों की फूल देने की क्षमता किस ने बड़ाई. ये विपरीत मौसम ने।पौधों को अगर इन विपरीत मौसमों से न गुजरना पड़े तो फूल भी बड़े और सुन्दर न हो पायेंगे। कई बार हमें स्थितियाँ हालात बेहद विपरीत दुख देने वाले दिखते हैं मगर हमें और शक्तिशाली बनाने के लिये ही आते है। दुख तकलीफ़ हमें अपने कर्मों से मिलता है।हर कोई अपना रोल जो उन्हें विधाता की तरफ़ से मिला है,निभा रहे हैं।हम यूँही कह देते हैं कि उसने मेरे साथ ऐसा किया वैसा किया .. कई बार वो नहीं कर रहा होता ,हमारे ही क्रम हमें दुखी या सुखी कर रहे होते हैं। इक बार बहुत बड़ा सेठ गाँव में रहता था .. दूसरे गाँव में मेला लगा।सारा गाँव मेला देखने चला गया ..घर में कोई नहीं था .. वो अकेला ही था। उसका इक गुरू था।अपने गुरू को बहुत याद किया करता था।ख़ूब मन लगा कर भक्ति किया करता था।उस रात जब वो अकेला था..चार चोर आ गये।उसका सब कुछ लूटने लगे।सेठ को मारा कूटा।सेठ बहुत गिड़गिड़ाया मगर चोरों ने उसके हाथ पैर मुहं बाँध दिये।गाँव के और घरों में भी चोरों ने चोरी की।जाने से पहले कहने लगे ! ये सेठ इस गाँव का जाना माना व्यक्ति है।इस की गवाही पर हम पकड़े भी जा सकते है।इस को मार कर ही जाते हैं ताकि कोई गवाह बचे ही नही।जैसे ही उसे मारने लगे।सेठ ने कहा मेरे हाथ पैर खोल दो। मरना तो है ही मुझे।मरने से पहले मुझे अपने रब को याद करने दो।सेठ कहने लगा !सिर्फ़ इक घंटा मुझे अपने रब को याद करने दो।चोरों ने सोचा अभी रात बहुत पड़ी है,तब तक हम भी कुछ खा पी लेते हैं।थोड़ा सुस्ता लेते हैं।गाँव वाले भी तो दिन चढ़ने पर ही आयेंगे।वो मान गये।अब सेठ को खोल दिया ।सेठ आँखें बंद कर अपने गुरू से बातें करने लगा ..कहता है गुरू जी मैंने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा तो ये सब मेरे साथ क्या हो रहा है।फिर चुपचाप ध्यान मग्न हो गया। घंटे बाद उठा तो बढ़ा ख़ुश।कहने लगा चोरों से !अब आप मुझे मार सकते हो।मैं तैयार हूँ मरने के लिए।सब चोर हैरान हो कर सोचने लगे।कुछ देर पहले तो गिड़गिड़ा रहा था।अपने जीवन की भीख माँग रहा था।अचानक से ऐसा क्या हो गया। उन्होंने पूछा! ऐसा क्या हुआ कि इतनी विपरीत हालात में भी तुम ख़ुश हो।क्या राज है बता।कहता है कि मेरे गुरू ने मुझे बताया है कि ये तेरा ही करम है जो तुम हिसाब दे रहे हो। गुरू ने कहा ये सारे चोर अलग अलग जन्म में तेरे भाई ही थे तुमने इनको तरह तरह से इनका धन लूटा फिर इनके गले भी काट दिये।गुरू कहते है कि तुम चाहो तो चार जन्म ले कर इनके हाथों से मारे जाओ, या आज इन चारों के हाथ से मर कर ..एक ही बार में इन चारों का हिसाब पूरा कर दो।सेठ कहने लगा मैंने फ़ैसला किया है कि आप चारों मुझे मार कर अपना हिसाब पूरा करे। चोर सोच में पड गये और पूछने लगे क्या ऐसा भी होता है।इस हिसाब से तो हम आज तुम्हें मारेंगे कल या किसी जन्म में तुम हमें मारोगे।ऐसे तो सिलसिला चलता ही रहेगा।पूछने लगे कौन है तेरा गुरू?हमें उसके पास ले चल।सुबह हुई पाँचों गुरू के पास पहुँच गये।चारों चोर गुरू से बहुत प्रभावित हुये और गुरू से गुरू दिक्षा भी ले ली। और अच्छे इन्सानों की तरहा जीवन जीने लगे। यहाँ उन्हें मौक़ा मिला अपना बदला ,अपना हिसाब ..पूरा करने का ,मगर उन्होंने बदला न ले कर पुराने किये गये करम को माफ़ करने का रास्ता चुन लिया।ऐसे ही करमो से आत्मा में बल बढ़ता है। दोस्तों! दुख जब आते हैं किसी की भी तरफ़ से तो माफ़ कर दे।इसमें फ़ायदा ही फ़ायदा है हम क्रोध और बुराई से बचे रहते हैं।किसी और के लिए नहीं बल्कि हमें अपनी मन की शांति के लिए ही माफ़ करना है।माफ़ करना कमजोरी नहीं ..बहुत बड़ी ताक़त है जो हमारी आत्मा को और भी बलवान बना देती है। अगर हम उम्मीद रखते है कि रब हमे हमारी ग़लतियों के लिए माफ़ कर दे,तो पहले हमे ही दूसरों को माफ़ करने का सलीका सीखना होगा।🙏 स्मिता 

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जिलाधिकारी ने होली को देखते हुए कानून व्यवस्था की समीक्षा की

होली को देखते हुए जिलाधिकारी ने रूप रेखा तय की
◆ नगर निगम शहरी क्षेत्रों में जहां जहां होलिका दहन का कार्यक्रम होना है वहा पर मिट्टी डालने का कार्य करे तथा आयोजकगण भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए नगर निगम से संपर्क कर मिट्टी डाललवाने का कार्य करवाए ।

◆शहरी क्षेत्र में केस्को एवं ग्रामीण क्षेत्रों में दक्षिणाचल लटकते बिजली के तारों को कसवा ले । सभी सब स्टेशन में गैंग उपस्थित रहे यह सुनिश्चित कराया जाए ।
◆ हाई स्पीड से होली एवं गंगा मेले वाले दिन पानी की सप्लाई करायी जाए तथा सभी जलापूर्ति स्टेशनों में बैकअप में जनरेटर की व्यवस्था भी कर लिया जाए ।

◆ स्वास्थ्य विभाग सभी अस्पतालों, सीएचसी, पीएचसी तथा एंबुलेंस को एक्टिव मोड पर रखें।

◆ हटिया गंगा मेले के रूट में लटकते बिजली के तारों को कसा जाए तथा जुलूस के साथ साथ बिजली गैंग तथा एम्बुलेंस भी रहे यह सुनिश्चित किया जाए।
◆ नगर निगम अभियान चलाकर सफाई व्यवस्था सुनिश्चित कराएं।

◆ सरसैया घाट में आयोजित होने वाले होली मिलन समारोह तथा शहर में आयोजित होने वाले अन्य होली मिलन समारोह में यातायात व्यवस्था एवं प्रकाश व्यवस्था आदि सुनिश्चित की जाए।

◆ त्वरित प्रतिक्रिया निस्तारण हेतु अभी विभागों के सदस्यों की टीम का गठन किया जाए ।

उक्त निर्देश आज जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा ने कलेक्ट्रेट सभागार में होली तथा गंगा मेला की तैयारियों के संबंध में आयोजित बैठक में समस्त संबंधित अधिकारियों को दिए।
उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि समस्त विभाग अपनी अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए दिए गए निर्देशों का पालन समय से सुनिश्चित कराएं।
उन्होंने बैठक में उपस्थित समस्त उप जिलाधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा कि वे सभी अपनी उपस्थिति में थानों में होने वाली बैठकों का आयोजन कराए तथा की जाने वाली व्यवस्थाओं कोसुनिश्चित कराए ।
बैठक में अपर जिलाधिकारी नगर श्री अतुल कुमार, समस्त उप जिलाधिकारी , नगर निगम ,केस्को ,जल निगम आदि सभी सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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होली का महत्व

 योग का नियमित अभ्यास किसी भी मनुष्य को प्रह्लाद बना सकता है – वही प्रह्लाद, जिसकी कथाएँ पुराणों में निहित हैं और जिसे हिरण्यकश्यप ने फाल्गुन मॉस की पूर्णिमा को, होलिका दहन में जलाकर मारने का प्रयास किया था। किन्तु उस रात की शक्ति ही कुछ ऐसी थी कि प्रह्लाद बिना जले आग से बाहर आ गया और होलिका , जिसे न जलने का वरदान प्राप्त था, फिर भी जलकर राख़ हो गयी।

पुराणों में निहित कथाएँ केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं बल्कि ज्ञान का भंडार हैं। एक साधारण मनुष्य उन्हें सिर्फ कहानियाँ ही मानता है। सीमित बुद्धि के कारण उसमें इन कथाओं में निहित ज्ञान को जानने की जिज्ञासा ही नहीं होती। और यही इन कथाओं का उद्देश्य भी है कि उनमें छिपे ज्ञान और रहस्यपूर्ण शक्तियों तक एक योग्य साधक ही पहुँच सके।

ज्ञान की प्राप्ति और दैविक शक्तियों का अनुभव गुरु द्वारा निर्धारित क्रियाओं और साधनाओं के नियमित अभ्यास से ही संभव हैं।

यह सृष्टि पांच तत्वों के संयोजन और सम्मिश्रण से उत्पन्न हुई है। जब शरीर में कोई दोष होता है तभी ये तत्व मिलकर उस शरीर की संरचना करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, वात, पित्त और कफ ही शरीर के दोष हैं तथा वेदानुसार कोई नकारात्मक विचार या स्वार्थ की भावना ही शरीर में दोष का कारण है।

यही दोष, एक मनुष्य की मूल प्रकृति को निर्धारित करते हैं। तत्वों की शुद्धता और अशुद्धता का स्तर ही एक व्यक्ति की विचार धारा को निर्धारित करता है। अगर तत्व शुद्ध हैं तो विचार उच्चकोटि के होंगे, परमार्थ के होंगे और यदि तत्व अशुद्ध है तो मनुष्य के विचार, स्वार्थ भावना और स्थूल स्तर के होंगे।

पञ्च तत्वों में अग्नि तत्व का उल्लेख, विशेष महत्त्वपूर्ण है क्योंकि केवल इसी तत्व को दूषित नहीं किया जा सकता। यही एक ऐसा तत्व है जो गुरुत्वाकर्षण के बावजूद ऊपर की ओर उठता है। इसके संपर्क में जो कुछ भी आता है वह शुद्ध और पवित्र हो जाता है। यही अग्नि, मनुष्य का उत्थान करने की क्षमता रखती है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि ऋग वेद का पहला शब्द अग्नि ही है।

अग्नि की शक्ति को प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष दिन बहुत महत्वपूर्ण हैं जिसमें होली भी एक है। इस दिन होलिका, प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गयी थी किन्तु वह एक साधिका थी और अग्नि द्वारा उसके पवित्र होने का समय आ चुका था,इसलिए वरदान होते हुए भी अग्नि ने उसे स्वीकार कर लिया और प्रह्लाद , जो पहले से ही पवित्र और विशुद्ध था, बिना जले बाहर आ गया। जो शरीर पूर्ण रूप से शुद्ध होता है, अग्नि उसको प्रभावित नहीं करती। अग्नि से तात्पर्य स्थूल अग्नि तो है ही साथ ही हमारे जीवन में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता, अशांति या विघ्न से भी है।

एक पवित्र देह उच्च लोकों में जाने योग्य है जहाँ उसका संपर्क दैविक शक्तियों से रहता है और ऐसी आत्मा सदैव आनन्द की स्थिति में होती है वहीँ एक अशुद्ध शरीर इस सँसार के भोगों को भोगने में व्यस्त रहता है,भोग जो क्षणभंगुर तो हैं ही साथ ही उस प्राणी को रोग की ओर भी ले जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को लगता है कि उसका मनोरंजन हो रहा है और उसका समय सही व्यतीत हो रहा है, किन्तु वास्तव में समय ही उसे व्यतीत कर रहा है और रोगों की ओर ले जा रहा है क्योंकि रोग ही तो भोग का विपरीत है। सृष्टि स्वयं भी तो एक दूसरे के विपरीत पहलुओं का ही परिणाम है।

सनातन क्रिया में भी होली के दिन करने के लिए कुछ शुद्दिकरण प्रक्रियाएं दी गयी हैं। इसमें साधक अपने चारों और अग्नि चक्र बना कर, गुरु द्वारा दिए गए मन्त्रों का जाप करते है जिससे तुरंत ही उनमे आत्मिक शुद्धि की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज की एन एस एस इकाई कोदोमबनी द्वारा गोद लिए गए गांव काकोरी में पोषक आहार वितरण

कानपुर 8 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज की एन एस एस इकाई कोदोमबनी द्वारा गोद लिए गए गांव काकोरी में पोषक आहार वितरण कार्यक्रम किया गया कार्यक्रम के प्रारंभ में एन एस एस प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर ने महिला दिवस के इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत कर महिलाओं को जागरूक किया इस अवसर पर डॉ मोनिका शुक्ला एवं श्रीमती रीता आदि शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं, एन एस एस यूनिट से लगभग 30 वालंटियर ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया , एन एस एस प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर के व्याख्यान के उपरांत महिलाओं को पोषक आहार का वितरण किया गया तदोपरांत उन्हें स्वास्थ एवं स्वच्छता से संबंधित शपथ दिलाई गई कार्यक्रम में काकोरी की सभी महिलाओं एवं बच्चों ने भाग लिया

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दीनदयाल उपाध्याय राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजाजीपुरम , लखनऊ में वार्षिकोत्सव एवं पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, लखनऊ 3 मार्च को पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजाजीपुरम , लखनऊ में वार्षिकोत्सव एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य महोदया प्रोफेसर अर्चना राजन जी ने की कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में श्री नरेंद्र शंकर पांडे  (सलाहकार,गृह मंत्रालय, भारत सरकार )एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती मीरा पांडे जी उपस्थित रहे सर्वोच्च अंक प्राप्त मेधावी छात्राओं को सम्मानित किया गया साथ ही वर्ष पर्यंत आयोजित की गई विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजई प्रतिभागियों को भी मुख्य अतिथि के कर कमलों से प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कार प्रदान किए गए इस अवसर पर महाविद्यालय की समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ नेहा जैन की पुस्तक “कार्यशील महिलाओं का समाजशास्त्रीय अध्ययन “का विमोचन किया गया महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका एवं इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ प्रियंका शर्मा की पुस्तक “social history in modern india”का भी विमोचन कार्यक्रम संपन्न हुआ  इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे

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