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एस एन सेन पी जी कॉलेज में कोरोना बचाव एवं जागरूकता पर कार्यक्रम का आयोजन

  1. आज दिनांक 4 दिसंबर 2020 को एस.एन.सेन. बालिका महाविद्यालय में रसायन शास्त्र विभाग द्वारा बी.एस.सी की छात्राओं के लिए मॉडल प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतियोगिता का विषय था- *कोरोना- बचाव एवं जागरूकता*
    कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। प्रतियोगिता का उद्धघाटन करते हुए प्राचार्या डा. निशा अग्रवाल ने बताया कि कोरोना के प्रति जनमानस बेफिक्र हो गया है और अनुमान लगा बैठा है कि मुझे कोरोना नहीं होगा ,इसके लिए जागरूकता अति आवश्यक है और इससे बचाव ही इसका अभी इलाज है। चीफ प्रॉक्टर डा. अलका टंडन ने बताया कि कोरॉना के संक्रमण के डर से भारतीय संस्कृति की सूचक ‘ नमस्ते ‘ को विश्व में पहचान मिली, लॉकडाउन में पर्यावरण स्वच्छ हुआ,लेकिन अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा।
    निर्णायक मंडल की सदस्या डॉ वर्षा खानवलकर, विभागाध्यक्षा राजनीति विज्ञान, व डॉ प्रीति सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, वनस्पति विभाग ने सभी मॉडल्स का निरीक्षण करने के उपरांत निर्णय दिया । परिणाम इस प्रकार रहे:
    प्रथम- शालू पटेल , प्रेमिका पाल

    द्वितीय- वर्षिता , श्रेया गौतम

    तृतीय- इरम वसीम, एकता

    सांत्वना- जयंती, जुहा हुसैन

    रसायन शास्त्र की विभागाध्यक्षा डॉ गार्गी यादव ने कार्यक्रम का संचालन किया। डॉ पूनम अरोड़ा, डॉ शैल बाजपेई ,कु. वर्षा सिंह व कु. तैय्यबा व अन्य सभी शिक्षिकाएं उपस्थित रही।

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अनेक कारणों से आपको एक छवि सलाहकार की आवश्यकता है- प्रीति श्रीवास्तव

लोग आपको 5 सेकंड  में जज करते हैं और इस पहली धारणा के आधार पर वे आपके बारे में सब कुछ तय करते हैं।
एक शक्तिशाली पहली छाप बनाने के लिए एक जीतने वाली छवि पेश करना व्यक्तिगत, पेशेवर और सामाजिक जीवन में सफलता की कुंजी है। आखिरकार हर कोई जीवन में सफल होना चाहता है, लेकिन सफलता का प्रमाण पत्र दूसरों पर बहुत अधिक निर्भर करता है। यदि आप अपने बारे में जो सोचते हैं, वह सही अनुमान नहीं है, तो यह लोगों पर एक खराब प्रभाव छोड़ता है, इस प्रकार यह प्रभावित करता है कि वे आपके बारे में क्या सोचते हैं।

लोग व्यक्तित्व या सौंदर्य विकास के लिए फैशन डिज़ाइनर, वजन कम करने के लिए फिटनेस ट्रेनर विशेषज्ञ, या कॉस्मेटिक सर्जरी जैसी चीज़ों के लिए विभिन्न समाधान प्रदाताओं में जाकर अपनी छवि को बढ़ाने की कोशिश करते हैं।
ये व्यापक समाधान नहीं हैं। तथ्य यह है कि एक व्यक्ति की छवि कई कारकों का एक संयोजन है।

केवल एक छवि सलाहकार लोगों को सभी पहलुओं में एक जीतने वाली छवि को प्रोजेक्ट करने में मदद कर सकता है।

एक छवि सलाहकार ग्राहक को जीवन शैली के मूल्यांकन की एक प्रक्रिया के माध्यम से ले जाता है, भूमिकाओं और लक्ष्यों की पहचान करता है और फिर विभिन्न स्थितियों में ड्रेसिंग के स्तर का सुझाव देता है ताकि प्राधिकरण, स्थिरता, भरोसेमंद आदि के संदर्भ में आवश्यक संचार बना सके।

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एसोसिएशन ऑफ स्माल एंड मीडियम न्यूज़ पेपर्स ऑफ़ इंडिया द्वारा फैक्ट शाला मीडिया लिटरेसी पर कार्यशाला संपन्न

फैक्टशाला मीडिया लिटरेसी कार्यशाला सम्पन्न
एसोसिएशन ऑफ स्माल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर्स ऑफ इंडिया द्वारा
इन्टरनेट पर विभिन्न माध्यमों से प्रकाशित एवं प्रचारित समाचार व सूचनाओं के सम्बन्ध में तथ्यात्मक जानकारी प्राप्त करने की प्रक्रिया से अवगत कराने हेतु आयोजित
कार्यशाला में “मिथ्या समाचार”, “तथ्यों की परख” तथा “पुष्टिकरण” पर केंद्रित विस्तृत जानकारी दी गई ।
यह कार्यक्रम ‘इन्टरन्यूज़’ द्वारा ‘डाटालीड्स’ के सहयोग तथा Google.org एवं ‘गूगल न्यूज इनिशिएटिव’ की सहायता से किया गया। कार्यक्रम की संरचना इस प्रकार की गई कि प्रतिभागियों द्वारा ऑनलाइन प्रसारित हो रही सूचनाओं व अन्य सामग्री की प्रकृति को समझने में आसानी हो ।

कार्यशाला में मुख्य वक्ता आलिआ: विश्वविद्यालय कोलकाता में पत्रकारिता विभाग की प्रोफेसर श्रीमती ग़ज़ाला यास्मीन एवं कोऑर्डिनेटर श्री अशोक चतुर्वेदी रहे।
कार्यशाला में वर्तमान में सोशल मीडिया पर प्रसारित प्रचारित समाचार, चित्र, वीडियो ,सूचनाएं एवं वक्तव्य की प्रमाणिकता की जांच कैसे करेंॽ इस पर विस्तृत जानकारी श्रीमती ग़ज़ाला यास्मीन के द्वारा दी गई । 2 घंटे तक चली इस कार्यशाला का लाभ मीडिया से संबंधित व्यक्तियों द्वारा ऑनलाइन लिया गया।
श्री अशोक चतुर्वेदी जयपुर द्वारा मुख्य वक्ता श्रीमती ग़ज़ाला यास्मीन का आभार व्यक्त किया गया एवं एसोसिएशन आफ स्मॉल एंड मीडियम न्यूज पेपर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष श्री के डी चंदोला द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज में वायु प्रदूषण पर वेबिनार का आयोजन

..क्राइस्ट चर्च कॉलेज में हो रहा है  वायु प्रदूषण पर webinar .. से डॉ सुनीता वर्मा (डिपार्टमेंट ऑफ़ बॉटनी )एसोसिएट प्रोफेसर क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर …जो इस प्रोग्राम की कन्वीनर भी हैं उन्होंने बताया के इस webinar का मुख्य उद्देश्य एयर पोलूशन को कम करना है साथ ही कोविड-19 के अंतर्गत लोगों को जिस तरह सांस लेने में परेशानी हो रही है उससे मरीजों की संख्या भी बढ़ सकती है उसको बचाने के लिए  उत्तर प्रदेश  प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  तथा स्वजल शक्ति  समाधान एक दिवसीय webinar का आयोजन कर रहा है जिसके माध्यम से युवाओं को प्रदूषण के प्रति जागरूक किया जाएगा पराली की समस्या…. जैसा कि सभी को जानकारी है की पराली जलाने से प्रदूषण की मात्रा बहुत तेजी से बढ़ रही है वैज्ञानिकों ने इस पर विभिन्न शोध करने शुरू कर दिए हैं एक उपाय जिसमें यह बताया गया की पराली को incinerator के माध्यम से  किया जाए तथा उसकी चिमनी करीब 50 किलोमीटर ऊंची हो जो धरती के पराली को डीकंपोज करने की जो प्रक्रिया अपना रही है आगे चलकर वह भी एक बड़ी समस्या का रूप ले लेगी पराली को डीकंपोज करने में 9 तरीके के strains फंगस का प्रयोग किया जाता है फंगस के माध्यम से पराली नष्ट हो जाती है परंतु उसके बाद जब गेहूं की बुवाई का समय आएगा तो ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला  जिससे यह पता चल सके कि गेहूं में फंगस नहीं लगेगा क्योंकि खेतों में फंगस मौजूद रहेगा जो गेहूं की फसल को बर्बाद कर देगा डॉ सुनीता वर्मा और डॉ मृदुला सैमसंग इस विषय पर बहुत गंभीरता से विचार कर रही हैं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के माध्यम से जल्दी ही समस्या का निदान भी निकाला जाएगा

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डॉ. हर्षवर्धन ने मुख्यमंत्रियों, स्वास्थ्य मंत्रियों और वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ कोविड की स्थिति और जन स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा की

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज मुख्यमंत्रियों, राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों और सात राज्यों के प्रमुख सचिवों/अतिरिक्त मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से चर्चा की। इन राज्यों में महाराष्ट्र, उत्तराखंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय और गोवा शामिल हैं।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री टी एस रावत जिनके पास राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय का प्रभार भी है, मणिपुर के मुख्यमंत्री श्री एन बीरेन सिंह, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेश टोपे, मिजोरम के स्वास्थ्य मंत्री डॉ आर ललथंगलियाना, गोवा के स्वास्थ्य मंत्री श्री विश्वजीत प्रताप सिंह राने, त्रिपुरा के स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, विधि और संसदीय कार्य मंत्री श्री रतन लाल नाथ ने वर्चुअल माध्यम से बैठक में भाग लिया।

डॉ. हर्षवर्धन ने हाल में आन्ध्र प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, हरियाणा और केरल राज्यों के साथ समीक्षा बैठक की थी। उन्होंने गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और दिल्ली राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ कोविड के नियंत्रण की तैयारियों की समीक्षा की थी।

डॉ. हर्षवर्धन ने हर राज्य में विशिष्ट चिंताजनक हालात के क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में हालांकि सक्रिय मामलों की संख्या कम हुई है लेकिन उसके पास सक्रिय मरीजों की बहुत बड़ी संख्या (केसलोड) बनी हुई है जिसमें उच्च मृत्यु दर (2.6) है और मुम्बई में एवं आसपास तो यह मृत्यु दर बढ़कर (3.5) है। उत्तराखंड में मरीज मृत्यु दर सीएफआर (1.64) प्रतिशत है जो कि राष्ट्रीय औसत से अधिक है। मणिपुर में हाल के दिनों में सक्रिय मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य में उच्च संक्रमण दर छुपे हुए संक्रमण की सूचक है। गोवा में कुल मौतों में से 40 प्रतिशत केवल पिछले एक महीने में हुई हैं जो कि चिंता का विषय है। मिजोरम में सक्रिय मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही है जहां कि 70 प्रतिशत मामले राजधानी आइजोल में ही केन्द्रित हैं। त्रिपुरा और मेघालय में सक्रिय आयु समूह (45-60 वर्ष) में उच्च मृत्यु 37 प्रतिशत देखी जा रही हैं जो कि रोकी जा सकती हैं।

डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड योद्धाओं और अग्रणी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा निरंतर और समर्पित भाव से की जा रही सेवाओं की सराहना की जिन्होंने अथक रूप से धरातल पर मजबूती और निश्चय के साथ स्थिति को नियंत्रित किया है। उन्होंने आगे कहा कि आज की स्थिति में केवल 4.09 प्रतिशत सक्रिय मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर, 2.73 प्रतिशत सक्रिय मरीज आईसीयू में और बेहद कम संख्या 0.45 प्रतिशत सक्रिय मरीज वेटिलेटर सपोर्ट पर है। हालांकि उन्होंने आने वाले सर्दी के मौसम और त्योहारों की लम्बी अवधि के दौरान सावधनी बरते जाने की जरूरत पर जोर दिया जिससे कि कोविड-19 के नियंत्रण में अभी जो लाभ की स्थिति है वह कहीं कमजोर न हो जाए।

संक्रमण के प्रसार की श्रृंखला को रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा शुरू किये गये जन आंदोलन के महत्व पर जोर दिया। प्रधानमंत्री द्वारा कोविड के अनुकूल व्यवहार की सलाह देते हुए हाल में दिया गया केवल 10 मिनट की संक्षिप्त अवधि का सम्बोधन बहुत ही कुशलता से कोविड को नियंत्रित करने की सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध रणनीति को प्रस्तुत करता है। जन साधारण के बीच जन आंदोलन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए कदमों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कोविड अनुकूल व्यवहार ही सर्वाधिक प्रभावी सामाजिक वैक्सीन है।

डॉ. हर्षवर्धन ने राज्यों को विषेष कर अधिक संक्रमण वाले जिलों में ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करने, लक्षणों वाले संदिग्ध मामलों में आरएटी में निगेटिव आने पर अनिवार्य टेस्टिंग, अधिक जोखिम वाले समूहों और संवेदनशील जनसंख्या समूहों के लिए एसएआरआई/आईएलआई निरीक्षण करने, जो कि संक्रमण का संकेत दे सकता है,  पर ध्यान केन्द्रित करने की सलाह दी। इसके अलावा उन्होंने संक्रमित मरीजों के करीबियों के संपर्क वालों की तलाश में वृद्धि, घरों में आइसोलेशन वाले केस खासकर संवेदनशील समूहों की निगरानी और फालोअप पर भी जोर दिया। उन्होंने सूचना, शिक्षा, संचार अभियान (आईईसी) कैम्पेन के विस्तार के महत्व को भी रेखांकित किया जिससे कि होम आइसोलेशन में रह रहे लोग प्रभावी उपचार प्रबंधन के लिए समय पर अस्पताल पहुंच सकें। साथ ही स्वास्थ्य मंत्री ने पहले 24/48/72 घंटों में मौतों में कमी लाने के प्रयासों की आवश्यकता बताई जो कि कई राज्यों/जिलों में बहुत अधिक है। उन्होंने बाजार जैसे स्थानों, कार्यस्थल, लोगों के जमा होने वाले स्थानों पर अधिक टेस्टिंग की सलाह दी।

मुख्यमंत्रियों और स्वास्थ्य मंत्रियों ने कोविड के नियंत्रण, निगरानी और संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए किए गए कार्यों तथा राज्य में अपनाई जा रही सर्वश्रेष्ठ पद्धति के संबंध में संक्षेप में जानकारी दी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री रावत ने बताया कि राज्य में कोविड अनुकूल व्यवहार को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक मल्टीमीडिया आईईसी अभियान चलाया गया है। सोशल डिस्टेंसिंग का नियम तोड़ने पर 1.4 लाख लोगों और मास्क न लगाने पर 4.5 लाख लोगों पर कार्रवाई की गयी है। मास्क न लगाने की कार्रवाई में नियम का उल्लंघन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को चार मास्क दिये गये जिससे वे मास्क लगाने की आदत को अन्य लोगों में प्रोत्साहित कर सकें। श्री राजेश टोपे ने महाराष्ट्र में “मेरा परिवार मेरी जिम्मेदारी” अभियान के संबंध में बताया जिसमें घर-घर जाकर सर्वेक्षण और होम आइसोलेशन केस और एसएआरआई/आईएलआई मरीजों की निगरानी की जाती है। 5.7 लाख लोगों के सर्वेक्षण में 51000 कोविड-19 संक्रमण के मामलों की पहचान की गयी है।

,केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेष भूषण ने राज्यों को तीन बिन्दुओं – संक्रमण के प्रसार को रोकने और इसकी कड़ी को तोड़ने, मृत्यु दर 1 प्रतिशत से कम रखने और लम्बे समय तक व्यवहार में परिवर्तन की जरूरत – पर ध्यान केन्द्रित करने को कहा। इसे सुनिश्चत करने के लिए उन्होंने सलाह दी कि शीघ्र और त्वरित टेस्टिंग की जाए, बाजार जैसे स्थानों, कार्यस्थलों और धार्मिक समागमों जहां कि बहुत अधिक संक्रमण प्रसार की आशंका हो सकती हो, वहां लक्षित टेस्टिंग की जाए। इसके बाद शीघ्र ट्रेसिंग हो, सभी करीबी संपर्कों को पहले 72 घंटे में ट्रेस किया जाए, प्रति संक्रमित व्यक्ति के कम से कम 10 लोगों को ट्रेस किया जाए। आरएटी की बजाय आरटीपीसीआर टेस्टिंग का अनुपात बढ़ाया जाए। संदिग्ध लक्षणों वाले आरएटी के निगेटिव केसों की अनिवार्य तौर पर आरटीपीसीआर टेस्टिंग की जाए। दूसरे बिन्दु को सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने तुरंत मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने, अस्पतालों में उपयुक्त अधो संरचना सुनिश्चित करने, पहले 24/48/72 घंटे में मौतों को रोकने पर प्रयास केन्द्रित करने, संवेदनशील जनसंख्या समूहों पर ध्यान देने और अस्पतालों में मृतकों के आंकड़ों की समीक्षा करने की सलाह दी। कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन सुनिश्चित करने के लिए श्री भूषण ने सांसदों, विधायकों और स्थानीय स्तर पर प्रभावी लोगों को शामिल करके पुरजोर अभियान चलाने की सलाह दी है।

अतिरिक्त सचिव स्वास्थ्य श्रीमती आरती आहूजा,  संयुक्त सचिव स्वास्थ्य लव अग्रवाल, डॉ. एस के सिंह, निदेशक (एनसीडीसी) और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।

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एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज द्वारा “राष्ट्रीय शिक्षा दिवस” के अवसर पर तीन दिवसीय शैक्षिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कानपुर 11 नवम्बर शिक्षाशास्त्र विभाग, एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज द्वारा “राष्ट्रीय शिक्षा दिवस : मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जयंती” के अवसर पर तीन दिवसीय शैक्षिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के पहले दिन ; दिनांक-09/11/2020 स्नातक स्तर के विद्यार्थियों के लिए ‘ प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता’ तथा परास्नातक स्तर के विद्यार्थियों के लिए ‘निबंध प्रतियोगिता’ का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के दूसरे दिन ; दिनांक-10/11/2020 को जियोमीट एप पर आॅनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल ने शिक्षाशास्त्र विभाग को कार्यक्रम के आयोजन के लिए प्रोत्साहित किया तथा सभी व्याख्याताओं का स्वागत किया। जिसमें महाविद्यालय की राजनीतिविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. वर्षा खानवलकर ने “मौलाना : राजनीतिज्ञ के रूप में” समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. निशि प्रकाश ने “मौलाना : समाजसुधारक के रूप में” तथा शिक्षाशास्त्र विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर एवं कार्यक्रम संयोजिका डॉ. चित्रा सिंह तोमर ने “मौलाना : शिक्षाशास्त्री के रूप में”
विषय पर अपना व्याख्यान दिया।
कार्यक्रम समापन के दिन ; दिनांक-11/11/2020 को इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के समापन समारोह का आयोजन किया गया ।

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आईआईटी दिल्ली के 51वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नए आईआईटी स्नातकों से देश की आवश्यकताओं को पहचानने और जमीनी स्तर पर हो रहे बदलावों के साथ जुड़ने को कहा है। प्रधानमंत्री ने उनसे आत्मनिर्भर भारत के संदर्भ में आम लोगों की आकांक्षाओं को भी पहचाने की अपील की। प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आईआईटी दिल्ली के 51वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को आज मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे भी उपस्थित थे। सचिव, उच्च शिक्षा, श्री अमित खरे, आईआईटी दिल्ली के निदेशक श्री रामगोपाल राव और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

2000 से अधिक आईआईटी छात्रों को उनके दीक्षांत समारोह पर बधाई देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर अभियान एक मिशन है जो देश के युवाओं, टेक्नोक्रेट्स और तकनीकी-उद्यम के प्रमुखों को अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आज टेक्नोक्रेट्स के विचारों और नवाचारों को स्वतंत्र रूप से लागू करने और उन्हें आसानी से बाजार में लाने के लिए अनुकूल वातावरण बनाया गया है। उन्होंने कहा कि आज का भारत अपने युवाओं को ‘कारोबार करने में आसानी’ प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि वे अपने नवाचार के माध्यम से देश के करोड़ों लोगों के जीवन में बदलाव ला सकें। श्री मोदी ने कहा कि देश आपको ‘व्यापार करने में आसानी’ प्रदान करेगा और आप इस देश के लोगों के ‘जीवनयापन में आसानी’ लाने की दिशा में कार्य करेंगे। उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में लगभग हर क्षेत्र में किए गए व्यापक सुधारों के पीछे भी यही विचार प्रक्रिया है। उन्होंने उन क्षेत्रों को भी सूचीबद्ध किया जहां सुधारों के कारण पहली बार नवाचार और नए स्टार्ट-अप के लिए अवसर बनाए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अन्य सेवा प्रदाता (ओएसपी) दिशा-निर्देशों को सरल बनाया गया है और हाल ही में हटाए गए प्रतिबंधों से बीपीओ इंडस्ट्रीज के अनुपालन के बोझ को कम किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि बीपीओ उद्योग को बैंक गारंटी सहित विभिन्न आवश्यकताओं से छूट दी गई है। उन्होंने कहा कि तकनीकी उद्योग को घर से कार्य या कहीं से भी कार्य करने जैसी सुविधाओं से रोकने वाले प्रावधानों को भी हटा दिया गया है। यह देश के आईटी क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा और युवा प्रतिभाओं को अधिक अवसर प्रदान करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत उन देशों में शामिल है, जहां कॉर्पोरेट टैक्स सबसे कम है। स्टार्ट-अप इंडिया अभियान के बाद से भारत में 50 हजार से अधिक स्टार्टअप शुरू हो चुके हैं। उन्होंने पिछले पांच वर्षों में देश में पेटेंट की संख्या में 4 गुना वृद्धि, ट्रेडमार्क पंजीकरण में 5 गुना वृद्धि जैसे स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के संबंध में सरकार के प्रयासों के परिणाम को सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में 20 से अधिक भारतीय इकाइयां स्थापित की गई हैं और इस संख्या में अगले एक या दो वर्षों में और वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि आज इनक्यूबेशन से लेकर वित्तपोषण तक में स्टार्टअप की सहायता की जा रही है। स्टार्टअप्स के वित्तपोषण के संदर्भ में उन्होंने कहा कि 10 हजार करोड़ रुपए के कोष के साथ कोषों का एक कोष बनाया गया है। 3 वर्षों की अवधि के अलावा, स्टार्टअप को कर छूट, स्व-प्रमाणन और आसान निकासी जैसी कई सुविधाएं प्रदान की गई हैं।

प्रधानमंत्री ने आज कहा कि राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे पाइपलाइन के तहत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की योजना बनाई गई है। यह देश भर में एक अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा जो यह वर्तमान और भविष्य दोनों की जरूरतों को पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि आज देश हर क्षेत्र में अधिकतम क्षमता हासिल करने के लिए नवीन तरीकों से कार्य कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने छात्रों को उनके कार्यस्थल के लिए चार मंत्र दिए-

गुणवत्ता पर ध्यान दें; कभी समझौता न करें।

मापनीयता सुनिश्चित करें; अपने नवाचारों का व्यापक स्तर पर उपयोग करें।

विश्वसनीयता सुनिश्चित करें; बाजार में दीर्घकालिक विश्वास का निर्माण करें।

अनुकूलनशीलता लाएं; जीवन के एक मार्ग के रूप में बदलाव और अनिश्चितता को स्वीकार करने के लिए तैयार रहें।

उन्होंने कहा कि इन मूल मंत्रों पर कार्य करने से एक पहचान के साथ-साथ ब्रांड इंडिया भी उज्जवल होगा, क्योंकि छात्र भारत के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों के कार्य से देश के उत्पाद को वैश्विक पहचान मिलेगी और देश के प्रयासों में तेजी आएगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड के बाद की दुनिया काफी अलग होने जा रही है और प्रौद्योगिकी इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि वर्चुअल वस्तु-स्थिति के बारे में कभी सोचा भी नहीं गया था, लेकिन अब वर्चुअल वस्तु-स्थिति और संवर्द्धित वस्तु-स्थिति कार्य यथार्थ बन गई है। उन्होंने कहा कि छात्रों के वर्तमान बैच को सीखने और कार्यस्थल में सामने आने वाले नए मानदंडों के अनुकूल होने का लाभ है और उन्होंने छात्रों से इसका अधिक से अधिक उपयोग करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने सिखाया है कि वैश्वीकरण महत्वपूर्ण है लेकिन आत्म-निर्भरता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने हाल के दिनों में दिखाया है कि किस तरह से प्रौद्योगिकी शासन को अत्यंत गरीबों तक पहुंचने के लिए सबसे शक्तिशाली साधन हो सकती है। उन्होंने सरकार की उन योजनाओं जैसे शौचालय निर्माण, गैस कनेक्शन आदि को सूचीबद्ध किया जिनके माध्यम से अत्यंत गरीबों तक भी अपनी पहुंच बनाई गई। उन्होंने कहा कि देश सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी में तेजी से प्रगति कर रहा है और आम नागरिकों के जीवन को आसान बना रहा है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी ने अंतिम छोर तक वितरण को कुशल बनाया है और भ्रष्टाचार के दायरे को कम किया है। डिजिटल लेन-देन के मामले में भी, भारत दुनिया के कई देशों से बहुत आगे है और यहां तक कि विकसित देश भी यूपीआई जैसे भारतीय प्लेटफार्मों को अपनाना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी स्वामित्व योजना में एक बड़ी भूमिका निभा रही है जिसका हाल ही में शुभारंभ किया गया था। इसके तहत पहली बार आवासीय और जमीन जायदाद की मैपिंग की जा रही है। उन्होंने कहा कि पहले यह काम मैन्युअल रूप से किया जाता था और इस प्रकार संदेह और आशंकाएं भी स्वाभाविक थीं। आज, ड्रोन तकनीक का उपयोग करते हुए, यह मानचित्रण किया जा रहा है और ग्रामीण भी इससे पूरी तरह से संतुष्ट हैं। इससे पता चलता है कि भारत के सामान्य नागरिकों को तकनीक पर कितना भरोसा है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी आपदा प्रबंधन के पश्चात, भूजल स्तर बनाए रखने, टेलीमेडिसिन तकनीक और रिमोट सर्जरी, बिग डेटा विश्लेषण आदि जैसी चुनौतियों में समाधान प्रदान कर सकती है।

उन्होंने छात्रों की असाधारण क्षमताओं की प्रशंसा की क्योंकि उन्होंने कम आयु में ही सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक को उत्तीर्ण किया है। इसी के साथ प्रधानमंत्री ने उन्हें अपनी क्षमता को और बढ़ाने के लिए लचीला और विनम्र बनने की सलाह दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि लचीलेपन से उनका अभिप्राय किसी भी स्तर पर अपनी पहचान न छोड़ते हुए एक टीम वर्क के रूप में कार्य करने से कभी नहीं हिचकिचाना और विनम्रता से, उनका अभिप्राय किसी की सफलता और उपलब्धियों पर गर्व करते हुए स्वयं को अहंकार से परे रखते हुए जमीन से जुड़े रहने से है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दीक्षांत समारोह के लिए छात्रों के माता-पिता, मार्गदर्शक और संकाय को भी शुभकामनाएं दी। उन्होंने आईआईटी दिल्ली के हीरक जयंती समारोह को भी अपनी शुभकामनाएं देते हुए उन्हें इस दशक में संस्थान द्वारा दिए गए लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफलता की कामना की।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए श्री पोखरियाल ने कहा कि आईआईटी न सिर्फ राष्ट्रीय महत्व के संस्थान हैं बल्कि ये संस्थान वैश्विक मंच पर हमारे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। उन्होंने कहा कि सहयोगी आईआईटी संस्थानों के साथ आईआईटी दिल्ली ने अतीत में असाधारण प्रदर्शन किया, चाहे वह शोध के क्षेत्र में हो या अकादमिक उत्कृष्टता में। क्यूएस रैंकिंग में आईआईटी दिल्ली ने इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी विषय में विश्व में 47वीं रैंक हासिल की है और समग्र रैंकिंग में, आईआईटी दिल्ली दुनिया के 200 शीर्ष संस्थानों में शामिल है। इससे पता चलता है कि आईआईटी इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी विषयों में बहुत अच्छा कर रही है, उनके लिए अपनी समग्र रैंकिंग में सुधार करने के लिए, उन्हें अपनी शैक्षणिक पेशकश को व्यापक करने की आवश्यकता है। यही वो बात है, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी संस्थानों के संदर्भ में सुझाती है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के समय में, इस संस्थान ने राष्ट्र की सेवा में तत्परता दिखाई और समाज के बड़े तबके की मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचारों को प्रस्तुत किया। केन्द्रीय मंत्री ने इस साल की शुरुआत में आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित सबसे सस्ती कोविड-19 वायरस परीक्षण किट लॉन्च करने की खुशी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि कम लागत वाली आरटी-पीसीआर परीक्षण किट ने देश में आरटी-पीसीआर परीक्षणों की कीमतों में कमी लाने में मदद की। उन्होंने यह भी बताया कि आईआईटी दिल्ली द्वारा पोषित स्टार्टअप पहले ही 4.5 मिलियन से अधिक गुणवत्ता युक्त पीपीई की आपूर्ति कर चुका हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि आईआईटी दिल्ली के शोध ने, अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में शोध प्रकाशनों के माध्यम से, वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने में अश्वगंधा जैसी भारतीय पारंपरिक दवाओं की प्रभावशीलता के बारे में वैज्ञानिक रूप से बताया है और संस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा उद्योग, अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी व सरकारी एजेंसियों के सहयोग से कोविड-19 से संबंधित अन्य अनुसंधान गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। श्री पोखरियाल ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि संस्थान ने अनुसंधान सहयोग के लिए उद्योग के साथ जुड़ने की पहल की है। परिणामस्वरूप, पिछले 5 वर्षों में संस्थान ने 13 प्रायोजित उत्कृष्टता केंद्र खोले हैं। उन्होंने कहा कि उत्कृष्टता केंद्र का लक्ष्य एक विशेष क्षेत्र पर केंद्रित शोध परिणाम है।

केन्द्रीय मंत्री ने इस बात को भी रेखांकित किया कि दुनिया ने सरकार द्वारा जारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रशंसा की है। उन्होंने खुशी व्यक्त की कि आईआईटी दिल्ली ने शिक्षा और अनुसंधान के मार्चे पर विभिन्न पहलों के जरिये संस्थानिक स्तर पर कार्यान्वयन के पहलुओं के बारे में पहले ही चर्चा शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान विशेषज्ञता संबंधी पेशकश और छात्रों के बीच अधिक विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।

श्री पोखरियाल ने 2000 स्नातक छात्रों को उनकी कड़ी मेहनत, प्रतिबद्धता और शैक्षणिक एवं अनुसंधान संबंधी उत्कृष्टता के लिए बधाई दी जो वास्तव में उनकी संबंधित डिग्री प्रोग्राम को पूरा के लिए आवश्यक थे। उन्होंने कहा कि आज से एक नया अध्याय शुरू होता है जिसमें समय की कसौटी पर खरा उतरना होगा और भविष्य में छात्रों को ‘गुरु-दक्षिणा’ की पेशकश के लिए एक दिन अपने मातृ-संस्थान में वापस आना चाहिए। मंत्री ने सभी छात्रों से राष्ट्र निर्माण की पहल में योगदान देने की अपील की क्योंकि हम मानव पूंजी के मामले में दुनिया में सबसे बड़ा राष्ट्र हैं, और हमें 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में अपने प्रधानमंत्री के विजन को पूरा करने की दिशा में काम करना चाहिए। यह तभी संभव है जब हम अपने ज्ञान को संपत्ति में रूपांतरित करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। उन्होंने कहा कि युवाओं से देश को बहुत उम्मीदें हैं।

दीक्षांत समारोह के अवसर पर श्री पोखरियाल ने eVIDYA@IITD- इनेबलिंग वर्चुअल एंड इंटरेक्टिव-लर्निंग फॉर ड्राइविंग यूथ एडवांसमेंट को लॉन्च किया। इस पहल के तहत आईआईटी दिल्ली द्वारा भारत के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों के लिए इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, विज्ञान, मानविकी और प्रबंधन के विभिन्न क्षेत्रों में ऑनलाइन सर्टिफिकेट प्रोग्राम पेश किए जाएंगे। eVIDYA@IITD उद्योग, समाज और व्यक्तिगत प्रतिभागियों की जरूरतों को पूरा करेगा।

समारोह को संबोधित करते हुए श्री धोत्रे ने कहा कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आने का यह दिलचस्प समय है क्योंकि डीप लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, रोबोटिक्स, ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी जैसी नई तकनीकें युवाओं के लिए नए रास्ते खोल रही हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पिछली पीढ़ी द्वारा शुरू किया गया काम अभी तक खत्म नहीं हुआ है और मानवता की कुछ समस्याएं हल हो गई हैं, लेकिन कुछ अभी भी बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि हमें अनसुलझी समस्याओं को सुलझाने के लिए और कृषि को टिकाऊ बनाकर किसानों के जीवन को खुशहाल बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों का समाधान करने के लिए, स्वच्छ हवा, पानी और मिट्टी को वापस पाने के लिए, पानी और ऊर्जा सुरक्षा की समस्याओं के समाधान के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करें और पर्यावरण की रक्षा करें।

श्री धोत्रे ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में शुरू हुए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने नवाचारों की एक लहर ला दी है। उन्होंने कहा कि आईआईटी प्रणाली से युवा प्रौद्योगिकिविदों ने स्टार्टअप के माध्यम से क्रांति ला दी है और इनमें से कई ने उन्हें यूनिकॉर्न में विकसित किया है।

इस अवसर पर प्रो. वी. रामगोपाल राव ने निदेशक की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा “पिछले 5 वर्षों में आईआईटी दिल्ली के शिक्षकों और छात्रों ने 10,000 से ज्यादा उच्च गुणवत्ता वाले शोध– पत्र लिखे हैं, 500 से अधिक पेटेंट दायर किए हैं, लगभग 150 उद्योग परियोजनाओं को निष्पादित किया है और दुनियाभर से प्रतिस्पर्धी अनुदानों से 1300 करोड़ रुपये से अधिक का अनुसंधान कोष प्राप्त किया। हमने पिछले 5 वर्षों में पूर्व छात्रों, उद्योगों और सरकारी एजेंसियों की फंडिंग से 18 नये उत्कृष्ट केंद्र भी बनाए हैं। ये संख्या संस्थान की स्थापना के बाद से किसी भी पिछले 5 वर्ष की अवधि की तुलना में कहीं भी दोगुना से चार गुना अधिक है। साथ ही पिछले एक वर्ष में संस्थान को पूर्व छात्रों से मिले दान पिछले 55 वर्षों में मिले कुल दान से अधिक है। हम अपने सभी पूर्व छात्रों, उद्योगों और अन्य फंडिंग एजेंसियों को हम पर भरोसा करने के लिए धन्यवाद देते हैं।”

इस दीक्षांत समारोह को संस्थान के डोगरा हॉल में सीमित लोगों की उपस्थित के साथ एक हाइब्रिड मोड में आयोजित किया गया और इसके ऑनलाइन वेबकास्ट की पहुंच सभी स्नातक छात्रों, उनके माता-पिता, प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों, आमंत्रित अतिथियों और अन्य सभी लोगों तक थी।

इस दीक्षांत समारोह में स्नातक करने वाले छात्रों को संस्थान ने राष्ट्रपति का स्वर्ण पदक, निदेशक का स्वर्ण पदक, डॉ. शंकर दयाल शर्मा (भारत के पूर्व राष्ट्रपति) स्वर्ण पदक, परफेक्ट 10 गोल्ड मेडल और संस्थान रजत पदक से सम्मानित किया। राष्ट्रपति का स्वर्ण पदक श्री दीपांशु जिंदल, कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग में बी.टेक; निदेशक का स्वर्ण पदक सुश्री आशी अग्रवाल, टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी में बी.टेक और डॉ. शंकर दयाल शर्मा (भारत के पूर्व राष्ट्रपति) स्वर्ण पदक सुश्री मुस्कान कुलारिया, अप्लाइड ऑप्टिक्स में एम.टेक के लिए दिया गया। राष्ट्रपति का स्वर्ण पदक एक ऐसे छात्र को दिया जाता है जो उच्चतम शैक्षणिक उपलब्धि/सीजीपीए के लिए सभी स्नातक छात्रों में अव्वल हो। निदेशक का स्वर्ण पदक स्नातक छात्र को अकादमिक के साथ-साथ पढ़ाई से इतर गतिविधियों में उसके द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों के लिए दिया जाता है।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (भारत के पूर्व राष्ट्रपति) स्वर्ण पदक उस स्नातकोत्तर छात्र को दिया जाता है, जिसे सभी एम.टेक छात्रों के बीच सामान्य दक्षता, जिसमें चरित्र एवं आचरण, शैक्षणिक प्रदर्शन में उत्कृष्टता, पढ़ाई से इतर गतिविधियों और समाज सेवा शामिल है, के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

परफेक्ट 10 गोल्ड मेडल उस स्नातकोत्तर छात्र को दिया जाता है जिसने 10 में से 10 सीजीपीए हासिल किया हो। संस्थान रजत पदक संबंधित प्रोग्राम में सबसे ज्यादा सीजीपीए हासिल करने वाले स्नातक छात्र को दिया जाता है।

51वें दीक्षांत समारोह में, आईआईटी दिल्ली ने अपने सम्मानित पूर्व छात्रों को भी एलुमिनी अवॉर्ड 2020 से सम्मानित किया। आईआईटी दिल्ली के पांच पूर्व छात्रों को ‘प्रतिष्ठित पूर्व छात्र पुरस्कार’ और एक पूर्व छात्र को ‘प्रतिष्ठित पूर्व छात्र सेवा पुरस्कार’ तथा दो पूर्व छात्रों को ‘पिछले दशक का स्नातक’ (गोल्ड) पुरस्कार दिया गया।

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निवेश के लिए भारत और यूएई के बीच 8वीं उच्च स्तरीय बैठक हुई

भारत और यूएई के बीच निवेश बढ़ाने के लिए आठवीं उच्च स्तरीय बैठक (संयुक्त कार्यदल) भारत द्वारा आयोजित की गई। कोविड-19 महामारी को देखते हुए यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित की गई।

इस बैठक की सह-अध्यक्षता रेल, वाणिज्य और उद्योग एवं उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मंत्री पीयूष गोयल ने की। बैठक में अमीरात की आबूधाबी के एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य और शाही सदस्य शेख अहम बिन जायद अल नाहयान ने यूएई का प्रतिनिधित्व किया। बैठक में दोनों देश के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए संयुक्त कार्यदल का गठन 2012 में किया गया। इस कार्यदल की सफलता का ही परिणाम था कि जनवरी 2017 में भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने समग्र रणीनितक साझेदारी का समझौता किया।

इस मौके पर दोनों देशों के प्रतिनिधि संयुक्त कार्यदल के प्रयासों से संतुष्ट नजर आए और उन्होंने अभी तक द्विपक्षीय व्यापार और निवेश की प्रगति की सराहना भी की है। इसके अलावा दोनों देश इस बात पर भी सहमत हुए है कि आने वाले समय में उन क्षेत्रों की पहचान करेंगे, जिससे आर्थिक विकास को नई गति मिले। साथ ही रिश्ते मजबूत करने के लिए वार्ता का दौर भी जारी रखेंगे। जिससे संयुक्त कार्य दल के परिणाम और बेहतर सामने आए।

संयुक्त कार्यदल की पिछली बैठक में कोविड-19 की चुनौती में दोनों देश इस बात पर सहमत हुए थे कि आपसी हितों को देखते हुए आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए निवेश और सहयोग बढ़ाने का प्रयास करेंगे। इन्ही लक्ष्यों को हासिल करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए भारत द्वारा एक प्रजेंटेशन भी आठवीं बैठक के लिए तैयार किया गया था।

इस मौके पर भारत और यूएई ने व्यापार और आर्थिक समझौतों को विस्तार देने के बीच आ रही अड़चनों पर भी चर्चा की है। इसके तहत एंटी डंपिंग शुल्क, टैरिफ और नियामक प्रतिबंध जैसी अड़चनों पर दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने भी बातचीत की है। इन अड़चनों को दूर करने के लिए दोनों देश इस बात पर सहमत हुए है कि दोनों देश आपसी सहमति बनाने के लिए लगातार प्रयास करेंगे। और इन मुद्दों को प्राथमिकता के साथ दूर करने की कोशिश करेंगे। जिससे दोनों को फायदा पहुंचे।

इस बीच यूएई ने उन सेक्टर की पहचान की है, जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने में कारगर साबित होंगे।

दोनों देशों ने 2018 में बनाई गई यूएई स्पेशल डेस्क और फॉस्ट ट्रैक मैकेनिज्म की भी समीक्षा की है। इन दोनों कदमों का उद्देश्य भारत में यूएई निवेश बढ़ाने और निवेशकों को समस्याओं को दूर करना है। इस दिशा में दोनों देशों ने द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की भी बात की है।

सिविल एविशन क्षेत्र (नागरिक उड्डयन क्षेत्र) को अहम क्षेत्र मानते हुए दोनों देशों ने आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने पर सहमति जताई है। दोनों देशों के नागरिक उड्डयन नियामक इस दिशा में प्राथमिकता के साथ काम करेंगे। इसके जरिए एयरपोर्ट ट्रांसपोर्टेशन दोनों देशों के बीच आसान करना एक अहम उद्देश्य होगा।

इस मौके पर भारत में निवेश के लिए यूएई द्वारा बनाए गए फंड की भी चर्चा की गई। जिसकी सेबी द्वारा बनाए गए फॉरेन पोर्टफोलिओ इन्वेस्टर रेग्युलेशन-2019 के आधार पर समीक्षा भी की गई। इसके तहत भारत सरकार इस बात पर सहमत हुई है कि यूएई आधारित फंड के जरिए आने वाला निवेश सीधे तौर पर हो सके, इसके लिए भारत जरूरी कदम उठाने की दिशा में काम करेगा। जिससे कि दोनों पक्षों के हित पूरे हो सकें।

इन मुद्दों के अलावा दोनों देशों ने स्वास्थ्य सेवाओं, फॉर्मास्युटिकल, मोबिलिटी और लॉजिस्टिक, खाद्य और कृषि, ऊर्जा, उपयोगी सेवाएं सहित दूसरे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई है।

कार्यदल की आठवीं बैठक के बारे में रेल मंत्री, वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा “भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच साझेदारी बढ़ाने में संयुक्त कार्यदल एक अहम भूमिका निभा रहा है। भारत तेजी से विकास कर रहा है और उसकी अर्थव्यवस्था में बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर विकास की असीम संभावनाएं हैं। यूएई लगातार भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार निवेश करता रहा है। और भारत के विकास का अहम साझेदार रहा है। भारत हमेशा से यूएई के निवेश को उच्च प्राथमिकता देता है और वहां के निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाने के अहम कदम उठाता है।”

बैठक के समापन पर अमीरात की आबूधाबी के एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य और शाही सदस्य शेख अहम बिन जायद अल नाहयान ने कहा “भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच आर्थिक रिश्तों को अहम स्थान दिलाने में पिछला दशक काफी महत्वपूर्ण रहा है। मेरा मानना है कि पिछले 8 वर्षों में कार्यदल के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज दोनों देशों के रिश्ते इतने मजबूत हैं। हालांकि पिछले कुछ महीने हमारे लिए चुनौतीपूर्ण रहे है। आज हमने एक महत्वाकांक्षी एजेंडा बनाया है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को अगले स्तर पर ले जाना है। मुझे पूरा भरोसा है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश आने वाले वर्षों में एक बार फिर से नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा।”

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एस एन सेन बी. वी. पी जी कॉलेज कानपुर में सरदार पटेल जयंती के उपलक्ष् में एकता दिवस कार्यक्रम का आयोजन

कानपुर 31 अक्टूबर एस.एन.सेन बी.वी.पी.जी.कॉलेज के शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती के अवसर पर एकता दिवस कार्यक्रम के उपलक्ष में सरदार वल्लभ भाई पटेल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर व्याख्यान का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का आरंभ सरस्वती वंदना के साथ हुआ । इसके पश्चात संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन, प्राचार्य डॉ निशा अग्रवाल, मुख्य अतिथि डॉ लकी चतुर्वेदी वाजपेई एवं कार्यक्रम संयोजिका डॉ चित्रा सिंह तोमर ने दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का औपचारिक आरंभ किया। इस उपलक्ष्य में शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा ‘एकत्वम्’ थीम पर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसके निर्णायक मंडल में डॉ. वर्षा खानवलकर एवं डॉ.अलका टंडन रही। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए प्राचार्य ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। इसके पश्चात मुख्य अतिथि ने अपना संबोधन दिया, मुख्य अतिथि ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन से छात्राओं को प्रेरणा ग्रहण करने के लिए उनके जीवन वृतांत सुनाए। इसके पश्चात पोस्टर प्रतियोगिता के परिणामों की घोषणा की गई, जिसमें वैष्णवी प्रथम, प्रतिमा द्वितीय एवं पल्लवी तृतीय स्थान पर रहे। अंत में कार्यक्रम संयोजिका डॉ चित्रा सिंह तोमर ने धन्यवाद ज्ञापित कर कार्यक्रम के औपचारिक समापन की घोषणा की। कार्यक्रम संचालन डॉ.निशा सिंह ने किया।

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