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सरकार 6.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे की पूर्ति के लिए बजट अनुमान को प्राप्त करने की राह पर

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23’ पेश करते हुए बताया कि सरकार द्वारा परिकल्पित  राजकोषीय राह के अनुरूप केन्द्र सरकार के जीडीपी के प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटे में क्रमिक गिरावट, पिछले दो वर्षों में राजस्व संग्रह में वृद्धि के माध्यम से सावधानीपूर्वक किए गए राजकोषीय प्रबंधन का परिणाम है।

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सर्वेक्षण के मुताबिक, राजकोषीय घाटे का वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी के 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। परंपरागत बजट अनुमानों ने वैश्विक अनिश्चितताओं के दौरान एक बफर प्रदान किया। आर्थिक गतिविधियों में यह सुधार राजस्व में उछाल और बजट में व्यापक आर्थिक परिवर्तनों की परंपरागत धारणाओं के कारण राजकोषीय प्रदर्शन में यह लचीलापन आया है।

सकल कर राजस्व

सर्वेक्षण के अनुसार, अप्रैल से नवंबर 2022 तक सकल कर राजस्व में वर्ष दर वर्ष आधार पर 15.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है और राज्यों को निर्धारण करने के बाद केन्द्र के सकल कर राजस्व में वर्ष दर वर्ष आधार पर 7.9 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। जीएसटी की प्रस्तुति और आर्थिक लेन-देन के डिजिटलीकरण जैसे अवसंरचनागत सुधारों ने अर्थव्यवस्था को व्यापक स्तर पर ले जाने और इस प्रकार से सकल कर और कर अनुपालन को विस्तारित किया है। इस प्रकार से राजस्व में जीडीपी में वृद्धि की तुलना में अधिक गति के साथ वृद्धि हुई है।

आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 में प्रत्यक्ष कर में कॉरपोरेट और व्यक्तिगत आय कर वृद्धि के कारण वर्ष दर वर्ष आधार पर 26 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। सर्वेक्षण के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2023 के पहले आठ महीनों के दौरान प्रमुख प्रत्यक्ष करों में देखी गई वृद्धि दर उनके दीर्घावधि औसत की तुलना में काफी अधिक थी।

सर्वेक्षण के अनुसार उच्च आयात के कारण अप्रैल से नवंबर 2022 तक सीमा शुल्क संग्रह में वर्ष दर वर्ष आधार पर 12.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष दर वर्ष आधार पर अप्रैल-नवंबर 2022 के दौरान उत्पाद शुल्क संग्रह में 20.9 प्रतिशत की गिरावट आई है।

जबरदस्त जीएसटी संग्रह

सर्वेक्षण के मुताबिक 2022 में जीएसटी करदाताओं की संख्या 70 लाख से दोगुना होकर 1.4 करोड़ पर पहुंच गई है। इस प्रकार से, इसमें 1.5 लाख करोड़ के औसत मासिक संग्रह के साथ वर्ष दर वर्ष आधार पर 24.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। समीक्षा के अनुसार तेजी से हुई यह आर्थिक रिकवरी हाल ही में किए गए कई प्रणालीगत परिवर्तनों जीएसटी चोरी करने वालों और फर्जी बिलों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान के साथ असंगत कर संरचना को सही करने के लिए किए गए विभिन्न तर्कसंगत उपायों के संयुक्त प्रभावों के कारण हुआ है।

विनिवेश

आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, पिछले तीन वर्षों के दौरान वैश्विक महामारी से उत्पन्न अनिश्चितता, भू-राजनीतिक संघर्ष और संबंधित जोखिमों ने सरकार की विनिवेश लेनदेन संबंधी योजनाओं और संभावनाओं के समक्ष चुनौतियां पेश की हैं फिर भी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023 में 65,000 करोड़ रुपये की बजट राशि में से 18 जनवरी, 2023 तक 48 प्रतिशत संग्रह किया गया है।

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार सरकार ने नई सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम नीति और आस्ति मुद्रीकरण रणनीति को लागू करके सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण और रणनीतिक विनिवेश के प्रति पुनः अपनी प्रतिबद्धता प्रकट की है।

पूंजीगत व्‍यय

सर्वेक्षण के अनुसार केन्‍द्र सरकार ने वित्‍त वर्ष 2022 पीए में पूंजीगत व्‍यय में जीडीपी के औसतन 2.5 प्रतिशत की निरंतर दीर्घकालिक वृद्धि की है। वित्‍त वर्ष 2023 में इसे सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) के 2.9 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्‍य रखा गया है, जो पिछले वर्षों के दौरान राजकीय व्‍यय की गुणवत्‍ता में सुधार पर प्रकाश डालता है।

सर्वेक्षण में यह बताया गया है कि वित्‍त वर्ष 23 के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्‍यय का लक्ष्‍य रखा गया था, जिसमें अप्रैल से नवंबर 2022 के दौरान 59.6 प्रशितत से अधिक खर्च किया जा चुका है। इस अवधि के दौरान पूंजीगत व्‍यय में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है, जो वित्‍त वर्ष 2016 से वित्‍त वर्ष 2020 की इसी अवधि में दर्ज की गई 13.5 प्रतिशत की दीर्घकालिक औसत वृद्धि की तुलना में बहुत अधिक है। वित्‍त वर्ष 2022 में सड़क परिवहन और राजमार्गों को 1.5 लाख करोड़ रुपये, रेलवे को 1.2 लाख रुपये, रक्षा क्षेत्र को 0.7 लाख करोड़ रुपये और दूरसंचार क्षेत्र को 0.3 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए। इसे एक चक्रीय वित्‍तीय उपकरण के प्रतिस्‍थापन के रूप में लिया गया है, जो सकल मांग को बढ़ाने के साथ ही रोजगार सृजन करेगा और अन्‍य क्षेत्रों को बढ़ावा देगा।

सभी दिशाओं में कैपेक्‍स को बढ़ाने पर जोर देने के लिए केन्‍द्र ने लम्‍बी अवधि के ब्‍याज मुक्‍त ऋण और कैपेक्‍स से जुड़े अतिरिक्‍त उधार प्रावधानों के रूप में राज्‍यों के पूंजीगत व्‍यय को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्‍साहनों की घोषणा की।

राजस्‍व व्‍यय

केन्‍द्र सरकार के राजस्‍व व्‍यय वित्‍त वर्ष 2021 में जीडीपी के 15.6 प्रतिशत से घटाकर वित्‍त वर्ष 2022 के अनुमानित वास्‍तविक (पीए) में जीडीपी का 13.5 प्रतिशत कर दिया गया था। अनुदान सहायता (सब्सिडी) व्‍यय में कमी के कारण इसे वित्‍त वर्ष 2021 में जीडीपी के 3.6 प्रतिशत से घटाकर वित्‍त वर्ष 2022 के अनुमानित वास्‍तविक में जीडीपी का 1.9 प्रतिशत कर दिया गया है। इसको आगे वित्‍त वर्ष 2023 में जीडीपी के 1.2 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्‍य रखा गया है। हालांकि, भू-राजनीतिक संघर्ष के आकस्मिक प्रकोप के परिणामस्‍वरूप खाद्य, उर्वरक और ईंधन के लिए उच्‍च अंतर्राष्‍ट्रीय कीमतें बढ़ी, जिसके चलते अप्रैल से नवम्‍बर 22 तक सब्सिडी पर बजटीय व्‍यय का लगभग 94.7 प्रतिशत उपयोग कर लिया गया है। परिणामस्‍वरूप अप्रैल से नवम्‍बर 2022 तक राजस्‍व व्‍यय में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान दर्ज की गई वृद्धि से अधिक है।

वैश्विक महामारी फैलने के बाद प्राप्तियों के अनुपात में ब्‍याज का भुगतान बढ़ गया, तथापि मध्‍यम अवधि में जैसे-जैसे हम राजकोषीय राह पर आगे बढ़ेंगे, राजस्‍व में वृद्धि, तीव्र आस्ति मुद्रीकरण, दक्षता लाभ और निजीकरण से सार्वजनिक ऋण का भुगतान करने में मदद मिलेगी। इस प्रकार ब्‍याज भुगतान में कमी आएगी और अन्‍य प्राथमिकताओं के लिए अधिक धन जारी होगा।

राज्य सरकारों के वित्त पर एक नजर

राज्यों का सकल वित्तीय घाटा (जीएफडी), जो वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी के 4.1 प्रतिशत तक बढ़ गया था, को वित्त वर्ष 2022 पीए में 2.8 तक नीचे लाया गया। भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं को देखते हुए, राज्यों के लिए कुल जीएफडी-जीडीपी अनुपात वित्त वर्ष 2023 के लिए 3.4 प्रतिशत बजट में प्रावधान किया गया। हालांकि अप्रैल-नवंबर 2022 से 27 बड़े राज्यों का कुल कर्ज, इस वर्ष के कुल बजट कर्ज के 33.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है। पिछले तीन वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि राज्यों ने कर्ज सीमा का उपयोग नहीं किया है।

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वित्त वर्ष 2022 पीए में राज्यों के लिए पूंजीगत आवंटन 31.7 प्रतिशत तक बढ़ गया। यह वृद्धि कुल राजस्व के बढ़ने तथा केंद्र द्वारा राज्यों को अग्रिम जारी भुगतान के द्वारा दिए गए समर्थन, जीएसटी क्षतिपूर्ति भुगतान और ब्याज रहित कर के कारण संभव हुआ।

केंद्र द्वारा राज्यों को धन अंतरण

केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी का अंतरण, वित्त आयोग अनुदान, केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाएं (सीएसएस) तथा अन्य धन अंतरण के साथ राज्यों को किया जाने वाला धन अंतरण वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 2023 बीई के बीच बढ़ गया है। वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित आवंटन वित्त वर्ष 2023 के लिए 1.92 लाख करोड़ रुपये रहा है।

संकट के दौरान जीएसटी क्षतिपूर्ति भुगतान

राज्यों को दी जाने वाली जीएसटी क्षतिपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने नियमित जीएसटी क्षतिपूर्ति जारी करने के अलावा वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 के दौरान 2.69 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया और इन्हें राज्यों को जारी किया। इसके अतिरिक्त, राज्यों को उपकर भुगतान और कर किस्त की अदायगी का अग्रिम भुगतान किया गया ताकि राज्यों को धनराशि तक पहुंच पहले प्राप्त हो सके। यद्यपि राज्यों को पूरे भुगतान के लिए नवंबर 2022 तक कुल उपकर संग्रह अपर्याप्त था। लेकिन केंद्र सरकार ने शेष धनराशि अपने स्त्रोतों से संग्रह करने के बाद जारी की।

राज्यों की कर्ज सीमा में वृद्धि और सुधारों के लिए प्रोत्साहन 

महामारी की शुरुआत के बाद, केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के कुल कर्ज सीमा को वित्तीय जवाबदेही कानून (एफआरएल) सीमा से ऊपर रखा है। वित्त वर्ष 2021 में जीएसडीपी के 5 प्रतिशत पर निर्धारित किया गया था, वित्त वर्ष 2022 के लिए 4 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2023 के लिए जीएसडीपी के 3.5 प्रतिशत पर निर्धारित किया गया था। इसका एक हिस्सा सुधारों से जुड़ा था जैसे एक राष्ट्र एक राशन कार्ड प्रणाली, कारोबार करने में आसानी में सुधार करना, शहरी स्थानीय निकाय/सेवा प्रदाता सुधार, बिजली क्षेत्र के सुधार आदि को लागू किया। इस सर्वेक्षण में विभिन्न राज्यों द्वारा इन सुधारों में हुई प्रगति का वर्णन किया गया है।

राज्यों के पूंजीगत व्यय के लिए केंद्र का समर्थन

वित्त 2021 और वित्त 2022 में राज्यों को क्रमशः 11,830 करोड़ रुपये और 14,186 करोड़ रुपये की धनराशि दी गई। यह धनराशि ‘राज्यों को पूंजीगत निवेश के लिए विशेष सहायता योजना’ के अंतर्गत राज्य सरकारों को 50 वर्ष के ब्याज रहित ऋण के रूप में जारी की गई थी। राज्यों की पूंजीगत व्यय योजनाओं को और समर्थन देने के लिए वित्त वर्ष 2023 के दौरान इस योजना के तहत आवंटन को बढ़ाकर 1.50 लाख करोड़ रुपये किया गया।

सरकार की कर्ज रूपरेखा

आईएमएफ ने वैश्विक सरकारी कर्ज 2022 में जीडीपी के 91 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है जो महामारी पूर्व स्तर से 7.5 प्रतिशत अधिक है। इस वैश्विक पृष्ठभूमि में, केंद्र सरकार की कुल देयताएं वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी की 59.2 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022 (पी) में 56.7 प्रतिशत रही।

आर्थिक सर्वेक्षण ने इस बात को रेखांकित किया है कि भारत की सार्वजनिक कर्ज रूपरेखा अपेक्षाकृत स्थिर रही है और इस संबंध में मौद्रिक तथा ब्याज दर को निम्न स्तर पर माना जा सकता है। मार्च 2021 के अंत तक, केंद्र सरकार की कुल देयताओं में से 95.1 प्रतिशत को घरेलू मुद्रा तथा शेष 4.9 प्रतिशत को सॉवरेन बाह्य कर्ज के रूप में परिणत किया गया, जिनसे मुद्रा जोखिम का स्तर निम्न रहा। इसके अतिरिक्त, सॉवेरन बाह्य कर्ज को पूरी तरह आधिकारिक स्त्रोतों से जुटाया गया है जो इसे अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाता है।

इसके अलावा, भारत का सार्वजनिक कर्ज प्राथमिक रूप से निश्चित ब्याज दरों के कारण घटा है, जिसमें मार्च 2021 के अंत तक आंतरिक कर्ज जीडीपी का केवल 1.7 प्रतिशत रहा है। इस प्रकार कर्ज धनराशि ब्याज दर के उतार-चढ़ाव के असर से बची रही।

सामान्य सरकारी वित्त का समेकन

महामारी के कारण केंद्र और राज्यों ने अतिरिक्त कर्ज लिये। जिसकी वजह से वित्त 2021 के दौरान जीडीपी के अनुपात में सामान्य सरकारी देयताओं में तेजी से वृद्धि हुई। हालांकि, यह अनुपात वित्त वर्ष 2022 (आरई) के उच्चतम स्तर से नीचे आया। जैसाकि आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है। जीडीपी के प्रतिशत के रूप में सामान्य सरकारी घाटे का वित्त वर्ष 2021 की उच्चतम सीमा के बाद समेकन हुआ है।

सरकारात्मक विकास-ब्याज दर अंतर

सर्वेक्षण कहता है कि पूंजीगत व्यय बढ़ाने पर जोर देने से जीडीपी विकास को प्रत्यक्ष तौर पर प्रोत्साहन मिलेगा और अप्रत्यक्ष तौर पर इसका गुणात्मक प्रभाव निजी खपत, व्यय और निजी निवेश पर पड़ेगा। जीडीपी की उच्च विकास दर मध्यम अवधि के दौरान अधिक राजस्व संग्रह को प्रोत्साहित करेगी। जिससे स्थायी राजकोषीय मार्ग सक्षम होगा। जीडीपी अनुपात के रूप में सामान्य सरकारी कर्ज मार्च 2020 के अंत के 75.7 प्रतिशत के मुकाबले महामारी वर्ष 2021 के अंत तक 89.6 प्रतिशत तक बढ़ गया। उम्मीद है कि मार्च 2022 के अंत तक यह कम होकर जीडीपी के 84.5 प्रतिशत तक रह जाएगा। पूंजीगत व्यय आधारित विकास पर जोर देने से विकास-ब्याज दर को सकारात्मक बनाये रखने में भारत को सक्षम बनायेगा। विकास-ब्याज दर सकारात्मक कर्ज स्तरों को सतत स्वरूप प्रदान करता है।

2005-2021 के दौरान विभिन्न देशों में सामान्य सरकारी कर्ज और जीडीपी के अनुपात में व्यापक बदलाव हुए हैं। भारत के लिए यह वृद्धि सामान्य रही है जो 2005 में जीडीपी के 81 प्रतिशत से 2021 में जीडीपी के 84 प्रतिशत तक रही। ऐसा पिछले 15 वर्षों में निरंतर आर्थिक विकास के कारण संभव हुआ है जिससे विकास-ब्याज दर सकारात्मक रही। जिसका प्रभाव जीडीपी स्तरों पर सरकारी कर्ज को सतत बनाये रखने पर पड़ा।

चित्र- विभिन्न देशों में 2005 से 2021 के दौरान सामान्य सरकारी ऋण और जीडीपी अनुपात की तुलनात्मक स्थिति

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भारत का अनाज उत्पादन 2021-22 में रिकॉर्ड 315.7 मिलियन टन तक पहुंचा

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज 31 जनवरी, 2023 को संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2022-23’ पेश करते हुए बताया कि जलवायु परिवर्तन संबंधी चुनौतियों के बावजूद 2021-22 में भारत में कुल अनाज उत्पादन रिकॉर्ड 315.7 मिलियन टन तक पहुंच गया। इसके अलावा प्रथम अग्रिम अनुमान 2022-23 (केवल खरीद) के अनुसार देश में कुल अनाज उत्पादन का अनुमान 149.9 मिलियन टन है जो पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के औसत खरीद अनाज उत्पादन से बहुत अधिक है। दालों का उत्पादन भी पिछले पांच वर्षों के औसत 23.8 मिलियन टन से बहुत अधिक रहा है।

बागवानी के एकीकृत विकास के लिए मिशन

आर्थिक समीक्षा में बागवानी को एक उच्च पैदावार वाला क्षेत्र एवं आय के उच्च स्रोत और किसानों के लिए बेहतर साधन के रूप में वर्णन किया है। तीसरे अगिम अनुमान (2021-22) के अनुसार, 28.0 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में 342.3 मिलियन टन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ। सरकार ने 55 बागवानी समूहों की पहचान की है, जिनमें से 12 को क्लस्टर विकास कार्यक्रम (सीडीपी) के प्रारंभिक चरण के लिए चुना गया है। यह कार्यक्रम बागवानी समूहों की भौगोलिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने और संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला सहित पूर्व-उत्पादन, उत्पादन और कटाई के बाद की गतिविधियों के एकीकृत और बाजार-आधारित विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है।

पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन

भारतीय कृषि के सबंद्ध क्षेत्र-पशुधन, वानिकी और लॉगिंग और मछली पकड़ने और जलीय कृषि धीरे-धीरे तेजी से विकास के क्षेत्र बन रहे हैं और ये बेहतर कृषि आय के संभावित स्रोत हैं।

पशुधन क्षेत्र 2014-15 से 2020-21 (स्थिर कीमतों पर) के दौरान 7.9 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ा और 2014-15 में कुल कृषि जीवीए (स्थिर कीमतों पर) में इसका योगदान 24.3 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 30.1 प्रतिशत हो गया है। इसी तरह, 2016-17 से मत्स्य पालन क्षेत्र की वार्षिक औसत वृद्धि दर लगभग 7 प्रतिशत रही है और कुल कृषि जीवीए में इसकी हिस्सेदारी लगभग 6.7 प्रतिशत है। डेयरी क्षेत्र पशुधन क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण घटक है, जो सीधे तौर पर आठ करोड़ से अधिक किसानों को रोजगार देता है और सबसे प्रमुख कृषि उत्पाद है। अन्य पशुधन उत्पाद, जैसे अंडे मांस का महत्व भी बढ़ रहा है। जबकि दुनिया में दूध उत्पादन में भारत पहले स्थान पर है, दुनिया में अंडे के उत्पादन में तीसरे और मांस उत्पादन में आठवें स्थान पर है।

संबद्ध क्षेत्रों के महत्व को समझते हुए, सरकार ने बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और पशुधन उत्पादकता और रोग नियंत्रण में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किए हैं। वर्ष 2020 में आत्मनिर्भर भारत (एएनबी) प्रोत्साहन पैकेज के एक भाग के रूप में, 2020 में 15,000 करोड़ रुपये का पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (एएचआईडीएफ) प्रारंभ किया था। कुल 3,731.4 करोड़ की लागत वाली 116 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। जबकि राष्ट्रीय पशुधन मिशन को नस्ल सुधार और उद्यमिता विकास पर जोर देता है। पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना को आर्थिक और जूनोटिक महत्व को पशु रोगों को रोकने और नियंत्रित करने के लिए लागू किया जा रहा है।

भारत सरकार ने 20,050 करोड़ के कुल परिव्यय वाली प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की शुरूआत की। भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना अब तक का सर्वाधिक निवेश है जिसे वित्त वर्ष 2021 से वित्त वर्ष 2025 तक पांच वर्षों में लागू किया जा रहा है ताकि मछुवारों, मत्स्य किसानों और मत्स्य श्रमिकों के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करते हुए मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत और उत्तरदायी विकास किया जा सके। मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष के तहत 17 अक्टूबर, 2022 तक 4,923.9 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है और मछली पकड़ने और संबद्ध गतिविधियों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के माध्यम से 9.4 लाख से अधिक लोगों को लाभान्वित किया गया है।

खाद्य सुरक्षा

आर्थिक समीक्षा में उल्लेख किया गया है कि भारत में खाद्य प्रबंधन कार्यक्रम में किसानों से लाभकारी कीमतों पर खाद्यान्न की खरीद, उपभोक्ताओं को खाद्यान्न का वितरण, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों, सस्ती कीमतों पर और खाद्य सुरक्षा और मूल्य स्थिरता के लिए खाद्य बफर स्टॉक का रखरखाव शामिल है। ऐतिहासिक फैसले द्वारा, सरकार ने 1 जनवरी, 2023 से एक वर्ष के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के अधीन लगभग 81.4 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न देने का फैसला किया है। गरीबों के वित्तीय बोझ दूर करने के लिए सरकार इस अवधि में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत खाद्य सब्सिडी पर 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च करेगी। खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2021-22 के दौरान 532.7 एलएमटी के अनुमानित लक्ष्य के मुकाबले 581.7 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) चावल की खरीद की गई। चालू वर्ष खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2022-23 में 31 दिसंबर 2022 तक कुल 355 लाख मीट्रिक टन चावल की खरीद की गई है।

कोविड-19 महामारी के कारण हुए आर्थिक व्यवधान के चलते गरीबों को होने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत सरकार ने राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को 1118 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया है। भोजन तक पहुंचने की प्रक्रिया को और आसान बनाने के लिए सरकार ने 2019 में एक नागरिक-केन्द्रित और प्रौद्योगिकी-संचालित योजना शुरू की। जिसे वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) कहा गया। वन नेशन वन राशन कार्ड प्रणाली राशन कार्डों की अंतर-राज्यीय और अंतर-राज्य सुवाह्यता को सक्षम बनाती है। वर्तमान में सभी 36 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेश राष्ट्रीय/अंतर/राज्यीय पोर्टेबिलिटी सक्षम है, जिसमें कुल एनएफएसए आबादी को शत-प्रतिशत शामिल किया गया है।

मोटा अनाज का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मार्च, 2021 के दौरान अपने 75वें सत्र में 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (आईवाईएम) घोषित किया। मोटा अनाज उच्च पोषण मूल्य वाला स्मार्ट भोजन है, जो जलवायु के अनुकूल है, और संयुक्त राष्ट्र के कई सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजीएस) के अनुरूप है। आजीविका सृजित करने, किसानों की आय बढ़ाने और पूरी दुनिया में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी विशाल क्षमता के कारण इनका अत्यधिक महत्व है। भारत बाजरा का 50.9 मिलियन टन (चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार) से अधिक मोटा अनाज का उत्पादन करता है जो एशिया के 80 प्रतिशत और वैश्विक उत्पादन का 20 प्रतिशत है। वैश्विक औसत उपज 1229 किग्रा/हेक्टेयर है, जबकि भारत में उच्च औसत उपज 1239 किग्रा/हेक्टेयर है। भारत में मोटा अनाज मुख्य रूप से खरीफ की फसल है जो ज्यादातर वर्षा आधारित परिस्थितियों में उगाई जाती है जिसमें अन्य मुख्य स्टेपल की तुलना में कम पानी और कृषि आदानों की आवश्यकता होती है।

मोटे अनाज के पोषण मूल्य को देखते हुए सरकार ने अप्रैल 2018 में मोटे अनाज को पोषक-अनाज के रूप में अधिसूचित किया। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएमएस) के तहत बाजरा प्रदान करने के लिए पेश किया गया है। पोषण संबंधी सहायता के लिए मोटा अनाज को शामिल किया। 2018-19 से 14 राज्यों के 212 जिलों में न्यूट्री-अनाज पर सब-मिशन क्रियान्वित किया गया है।

भारत में मोटा अनाज मूल्य वर्धित श्रृंखला में 500 से अधिक स्टार्ट-अप्स काम कर रहे है। उद्योग और कृषि के बीच मजबूत संबंधों और अंत-क्रियाओं को बढ़ावा देने के कारण खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का भारत के विकास में अत्यधिक महत्व है। वित्तीय वर्ष 21 को समाप्त पिछले पांच वर्षों के दौरान, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र लगभग 8.3 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है। 2021-22 के दौरान प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात सहित कृषि-खाद्य निर्यात का मूल्य, भारत के कुल निर्यात का लगभग 10.9 प्रतिशत था।

इस क्षेत्र की प्रचुर क्षमता को पहचानते हुए सरकार देश में खाद्य प्रसंस्करण के विकास के उद्देश्य से विभिन्न हस्तक्षेपों में सबसे आगे रही है। खाद्य प्रसंस्करण उद्यो मंत्रालय, प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना (पीएमकेएसवाई) की घटक योजनाओं के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र समग्र विकास और विकास के लिए वित्तीय सहायता देता है। पीएमकेएसवाई के तहत 31 दिसंबर, 2022 तक 677 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। 31 दिसंबर, 2022 तक 1402.6 करोड़ रुपये के 15,095 ऋण संस्वीकृत किए गए। यह योजना साझा सेवाओं और विपणन उत्पादों का उपयोग करके इनपुट की खरीद में बड़े पैमाने पर लाभ उठाने के लिए एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) के दृष्टिकोण को अपनाती है। अब तक 35 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में ओडीओपी के तहत 137 विशिष्ट उत्पादों वाले 713 जिलों को मंजूरी दी गई है। मार्च, 2022 में शुरू किए गए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएफपीआई) को वैश्विक खाद्य चैंपियन हेतु निवेश को प्रोत्साहित करने का विशिष्ट माध्यम है। सहायता के लिए उच्च विकास क्षमता वाले क्षेत्र जैसे समुद्री उत्पाद, प्रसंस्कृत फल और सब्जियां, और ‘रेडी टू ईट/रेडी टू कुक’ उत्पाद को शामिल किया गया है।

कृषि अवसरंचना निधि (ओआईएफ)

कृषि अवसंरचना निधि एक वित्त पोषण सुविधा है जो वर्ष 2020-21 से 2032-33 तक की फसल कटाई के बाद के प्रबंधन के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि संपत्तियों के निर्माण के लिए 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान और क्रेडिट गारंटी समर्थन सहित लाभों के साथ चल रही है। इसके तहत 2020-21 से 2025-26 की अवधि के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और वर्ष 2032-33 तक ब्याज अनुदान और क्रेडिट गारंटी सहायता दी जाएगी। कृषि अवसंरचना निधि योजना में राज्य या केन्द्र सरकार की किसी अन्य योजना के साथ अभिसरण की सुविधा है और यह कृषि क्षेत्र में निवेश की दृष्टि से मील का पत्थर साबित हो सकती है।

इसकी स्थापना के बाद से अब तक देश कृषि बुनियादी ढांचे के लिए 13,681 करोड़ रुपये की राशि संस्वीकृत की गई है, जिसमें 18,133 से अधिक परियोजनाएं शामिल हैं।

राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम)

भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) योजना शुरू की ताकि किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी बोली प्रणाली तैयार की जा सके। ई-नाम योजना के अधीन, सरकार संबंदित हार्डवेयर के लिए प्रति एपीएमसी मंडी को मुफ्त सॉप्टवेयर और 75 लाख रुपये की सहायता प्रदान करती है, जिसमें गुणवत्ता परख उपकरण और सफाई, ग्रेडिंग, छंटाई, पैकेजिंग, खाद इकाई आदि जैसे बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है। 31 दिसंबर, 2022 तक 1.7 करोड़ से अधिक किसान और 2.3 लाख ई-एनएएम पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके है।

देश में विकास और रोजगार के लिए कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन महत्वपूर्ण बना हुआ है। ऋण वितरण के लिए एक किफायती, समय पर और समावेशी दृष्टिकोण के माध्यम से क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इन सब पहलों से कृषि क्षेत्र में सतत और समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

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 यू0जी0सी0, एच0आर0डी0सी0,जे0एन0बी0 जोधपुर एवं क्राइस्ट चर्च काॅलेज कानपुर द्वारा 15 दिवसीय यू0जी0सी0 रिफ्रेशर कोर्स व यू0जी0सी0 शार्ट टर्म कोर्स का शुभारम्भ

यू0जी0सी0, एच0आर0डी0सी0,जे0एन0बी0 जोधपुर एवं क्राइस्ट चर्च काॅलेज कानपुर के रसायन विभाग द्वारा 15 दिवसीय यू0जी0सी0 रिफ्रेशर कोर्स व यू0जी0सी0 शार्ट टर्म कोर्स का शुभारम्भ किया गया। यह कोर्स आज की गम्भीर समस्या जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबन्धन इस विषय पर चर्चा करने और उसका समाधान कैसे करे और जो योजना है इस समस्या पर उसको कैसे अमल में लाना चाहिये। इन सब पहलुओं से अवगत कराने के लिये आरम्भ किया गया है। यू0जी0सी0 शार्ट टर्म कोर्स का उद्देश्य साफ्ट स्किल जो आजकल बहुत आवश्यक है उनके विषय पर जानकारी देने के लिये किया गया है, प्रतिभागियों का स्वागत डाॅ0 निधि संदल द्वारा किया गया। डाॅ0 श्वेताचंद ने ईश्वर की वन्दना की, डाॅ0 सचिन गुप्ता ने साफ्ट स्किल व अनुसंधान क्रिया विधि पर शार्ट टर्म कोर्स के विषय में जानकारी दी। कार्यक्रम की संचालिका प्रो0 मीत कमल ने जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबन्धन जैसी अत्यन्त महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा की। प्रो0 जोसेफ डेनियल (प्राचार्य क्राइस्ट चर्च कालेज कानपुर) ने इस विषय पर व्याख्यान किया। जी0सी0, एच0आर0डी0सी0 और शार्ट टर्म कोर्स की विस्तृत जानकारी प्रो0 राजेश कुमार दुबे(डायरेक्टर यू0जी0सी0, एच0आर0डी0सी0) द्वारा दी गयी।

जलवायु परिवर्तन के कारणों व दुष्प्रभावों के बारे में
प्रो0 संजय कुमार (बी0सी0एमिटी यूनिवर्सिटी, कोलकाता) व
आपदा प्रबन्धन के उपायों के बारे में प्रो0 कमलेश मिश्रा
(पूर्व रजिस्ट्रार और अध्यक्ष आरडीबी, जबलपुर) ने बताया।
मुख्य अतिथि प्रो0 आलोक कुमार चक्रवाल (बी0सी0जीजी
सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी, बिलासपुर) ने बताया कि किस प्रकार जलवायु
आपातकाल गृह और मानवता के सामने सबसे बड़ा आर्थिक,
सामाजिक और पर्यावरणीय खतरा है। प्रो0 सुधीर गुप्ता ने
मुख्य अतिथि को धन्यवाद दिया। प्रो0 जी0पी0 साहू (मनित,
प्रयोगराज) ने अध्यापको को रिसर्च पेपर को कैसे सही तरीके से
प-सजय़ा जाये इस विषय पर सम्बोधित किया। डाॅ0 मनोज दिवाकर(जे0एन0यू0 दिल्ली) एवं डाॅ0 विजय जरीवाला (सरदार पटेल यूनिवर्सिटी, आणंद) ने भी इस विषय पर सम्बोधन दिया। इस कार्यक्रम की सहसंचालिता प्रो0 अन्निदिता भट्टाचार्या
रहीं। इसमें 100 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।

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एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में महोत्सव के रूप में मनाया गणतंत्र दिवस एवं बसंत पंचमी

कानपुर 27 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता 74 वें गणतंत्र दिवस तथा बसंत पंचमी के अभूतपूर्व संयोग को एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में एक महोत्सव के रूप में मनाया गया।महाविद्यालय की सरस्वती पूजा नगर में सुविख्यात है।
सरस्वती जी की सुंदर प्रतिमा को महाविद्यालय प्रेक्षागृह में स्थापित किया गया।महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो सुमन सचिव पी के सेन अध्यक्ष पी के सेन शुभ्रो सेन तथा कार्यक्रम प्रभारी प्रो. मीनाक्षी व्यास ने माँ की स्थापना कर पुष्पांजलि दी।डॉ. शुभा वाजपई, डॉ. सुनीता शुक्ला, डॉ. प्रीता अवस्थी, डॉ. सारिका अवस्थी के द्वारा बसंत उत्सव की तैयारियां पूर्ण मनोयोग से की गई। डॉ. रचना निगम के निर्देशन में कला विभाग की छात्राओं द्वारा विगत तीन दिनों में कठिन परिश्रम द्वारा महाविद्यालय सभागार में वृहत रंगोली का निर्माण किया गया। महाविद्यालय में बसंत पर्व पर सरस्वती की मूर्ति स्थापना, पूजा तथा विसर्जन की परंपरा का विधिवत् निर्वहन किया गया। इस अवसर पर संपूर्ण महाविद्यालय परिवार प्रो निशी प्रकाश प्रो गार्गी यादव प्रो निशा अग्रवाल प्रो चित्रा सिंह तोमर डा प्रीति सिंह आदि उपस्थित रहे।

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जोशीमठ: प्रकृति के साथ खिलवाड़ या प्रशासन की लापरवाही ~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी

जोशीमठ (उत्तराखंड) में पड़ती दरारें और बहता हुआ पानी लोगों में दहशत और लोगों का जनजीवन असामान्य बना रहा है। क्या ये मंजर लोगों द्वारा प्रकृति के साथ किये खिलवाड़ का नतीजा है या प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है। 1976 में एक अट्ठारह सदस्यीय कमेटी ने जब इस क्षेत्र को संवेदनशील घोषित कर दिया था और निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध, पेड़ों को काटने पर रोक और बारिश के पानी के निकासी की व्यवस्था की बात रखी थी तब इस बात को सरकार द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया था और आज लोग इस गल्ती का खामियाजा भुगत रहे हैं। इस कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ बालू और पत्थर के ढेर पर बसा हुआ है, इस दृष्टि से यह किसी टाउनशिप के लिए उपयुक्त नहीं है। धमाकों और भारी यातायात से उत्पन्न होने वाले कंपन यहां पर प्राकृतिक असंतुलन पैदा करेंगे। भारी निर्माण कार्य की अनुमति केवल मिट्टी का भार वहन करने की क्षमता के दृष्टिगत ही दी जानी चाहिए। सड़कों की मरम्मत या अन्य किसी प्रकार के निर्माण कार्य किसी भी स्थिति में पहाड़ों को खोदकर अन्यथा विस्फोट करके नहीं किये जाने चाहिए। भूस्खलन प्रभावित इलाकों में पत्थरों और बड़े शिलाखंडों को पहाड़ी की तलहटी से नहीं हटाया जाना चाहिए क्योंकि इससे पहाड़ को मिलने वाली मजबूती खत्म होती है। 47 बरस पहले की इस रिपोर्ट को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया और आज जोशीमठ पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

चमोली जिला प्रशासन के अनुसार यहाँ 3900 आवासीय मकान और 400 व्यावसायिक भवन है। एक ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर का विध्वंस सरकार द्वारा बरती गई लापरवाही के कारण भुगत रहे हैं। फरवरी 2021 में इसी इलाके में भयंकर बाढ़ की आपदा को अभी तक लोग भूले नहीं है। जोशीमठ से मात्र 22 किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव रैणी, जोशीमठ, नंदा देवी नेशनल पार्क और यहां बन रही तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना को इस बाढ़ ने तबाह कर दिया था। इस तबाही में 200 लोगों की जानें चली गई थी। पर्यावरणविद काफी समय से सरकार को इस क्षेत्र की भौगोलिक संवेदनशीलता को जताते रहे लेकिन सरकार नजरअंदाज करती रही।
आखिर क्यों रिपोर्ट की जानकारी होने के बावजूद निर्माण कार्य की मंजूरी दी गई? और रिपोर्ट पर प्रशासन ने संज्ञान क्यों नहीं लिया? क्यों लोगों की जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया?
2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई एक वैज्ञानिक कमेटी ने इस क्षेत्र के बड़े डैम और बड़ी विद्युत परियोजना पर रोक लगाने की सिफारिश की थी लेकिन केंद्र सरकार ने इस समिति की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया। देहरादून स्थित “पीपल्स साइंस इंस्टीट्यूट” के निदेशक डॉ रवि चोपड़ा जो इस समिति के सदस्य थे इस बाबत लगातार अपना प्रतिरोध दर्ज कराते रहे हैं।

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, में धूमधाम से मना गणतंत्र दिवस समारोह तथा बसंत पंचमी का पर्व

कानपुर 26 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर में आज गणतंत्र दिवस समारोह तथा बसंत पंचमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। जिसमें प्राचार्या ने सर्वप्रथम हवन यज्ञ कर मां सरस्वती का पूजन किया तत्पश्चात ध्वज फहरा कर समस्त छात्राओं को गणतंत्र दिवस का शुभकामना संदेश दिया। एनएसएस वॉलिंटियर्स सौम्या उपाध्याय व दीक्षा तिवारी ने गणतंत्र दिवस पर अपना भाषण प्रस्तुत किया। एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने बताया कि यह हमारा 74 वां गणतंत्र दिवस है जिसमें महाविद्यालय मे आयोजित समारोह में समस्त प्राध्यापिकाओं, शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों समेत समस्त छात्राओं तथा वॉलिंटियर्स ने उत्साह के साथ प्रतिभाग किया। इस अवसर पर सभी को मिष्ठान वितरण भी किया गया।

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गडकरी ने मध्य प्रदेश के ओरछा में 6800 करोड़ रुपये के बराबर की 550 किमी की कुल लंबाई वाली 18 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन किया

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रीश्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री डॉ. श्री वीरेंद्र कुमार, केंद्रीय राज्य मंत्री श्री प्रह्लाद सिंह पटेल तथा मध्य प्रदेश के अन्य मंत्रियों और सांसदों, विधायकों, अधिकारियों एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में मध्य प्रदेश के ओरछा में 6800 करोड़ रुपये के बराबर की 550 किमी की कुल लंबाई वाली 18 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि बेतवा में पुल का निर्माण करने की स्थानीय लोगों की दो दशक पुरानी मांग पूरी हो गई है। उन्होंने कहा कि 665 मीटर लंबे इस पुल का निर्माण 25 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। उन्होंने कहा कि 2-लेन पेव्ड शोल्डर ब्रिज तथा फुटपाथ के निर्माण के साथ ओरछा, झांसी, टीकमगढ़ की कनेक्टिविटी में सुधार आ जाएगा।

श्री गडकरी ने कहा कि पवई, ओरछा, हरपालपुर, कैथी पढरिया कला, पटना तमौली, जस्सो, नागौड़ तथा सागर लिंक रोड बाईपास के निर्माण से नगर में यातायात का दबाव कम होगा। सागर ग्रीनफील्ड लिंक मार्ग से भोपाल से कानपुर की दूरी में मोहरी से समाई घाट और चौक होते हुए मप्र/उप्र तक 21 किमी की कमी आ जाएगी। उन्होंने कहा कि सीमा तक 4 लेन चौड़ा करने से यात्रा के समय में भारी कमी आ जाएगी। उन्होंने कहा कि सागर शहर, छतरपुर शहर तथा गढ़ाकोटा में फ्लाईओवर के निर्माण से ट्रैफिक जाम की समस्या का समाधान हो जाएगा।

श्री गडकरी ने कहा कि मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थलों – ओरछा, खजुराहो, पन्ना, चित्रकूट, टीकमगढ़, सांची तक पहुंचने के लिए कनेक्टिविटी सरल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि भोपाल – कानुपर आर्थिक गलियारे के निर्माण से सीमेंट और खनिज अवयवों का परिवहन सरल हो जाएगा और लॉजिस्ट्क्सि लागत कम हो जाएगी। श्री गढकरी ने कहा कि इस गलियारे के निर्माण के साथ भोपाल से कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी का संपर्क अच्छा हो जाएगा।  टीकमगढ़ से ओरछा तक पेव्ड शोल्डर के साथ 2 लेन सड़क के निर्माण से यातायात सुरक्षित हो जाएगा।

इस कार्यक्रम में, श्री गडकरी ने 2000 करोड़ रुपये की लागत से बमीठा से सतना तक 105 किमी लंबाई वाली 4 लेन की ग्रीनफील्ड सड़क के निर्माण की भी घोषणा की। इस मार्ग के निर्माण के साथ, टीकमगढ़, पन्ना, छत्तरपुर, खजुराहो, बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

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एनटीपीसी समूह की क्षमता 71 गीगावाट के पार हुई

  • 660 मेगावाट क्षमता की नॉर्थ करनपुरा सुपर थर्मल पावर परियोजना, झारखंड (3×660 मेगावाट) की पहली इकाई के परीक्षण संचालन के सफलतापूर्वक संपन्न होने के साथ ही एनटीपीसी समूह की क्षमता 71 गीगावाट के पार हुई
  • यह परियोजना झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा को सस्ती बिजली प्रदान करेगी और इसके कोयले का स्रोत 10 किलोमीटर के दायरे के भीतर है
  • एनटीपीसी की कुल स्थापित क्षमता 71544 मेगावाट हो गई है

660 मेगावाट क्षमता की नॉर्थ करनपुरा सुपर थर्मल पावर परियोजना, झारखंड (3×660 मेगावाट) की पहली इकाई के परीक्षण संचालन के सफलतापूर्वक संपन्न होने के साथ ही देश के सबसे बड़े विद्युत उत्पादक, एनटीपीसी समूह की क्षमता 71 गीगावाट के पार हो गई है।

इस परियोजना की परिकल्पना एयर कूल्ड कंडेनसर (एसीसी) के साथ की गई है, जिसमें वाटर कूल्ड कंडेनसर (डब्ल्यूसीसी) की तुलना में एक तिहाई वाटर फुटप्रिंट है। यह परियोजना झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा को सस्ती बिजली प्रदान करेगी और इसके कोयले का स्रोत (पिट हेड)10 किलोमीटर के दायरे के भीतर है।

झारखंड में एनटीपीसी की इस परियोजना की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी। यह संयंत्र सबसे कुशल सुपरक्रिटिकल प्रौद्योगिकियों में से एक पर आधारित है।

इसके साथ ही, एनटीपीसी की कुल स्थापित क्षमता 71544 मेगावाट हो गई है।

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शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) फिल्म महोत्सव 27 से 31 जनवरी, 2023 तक मुंबई में आयोजित किया जाएगा

राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) के माध्यम से सूचना और प्रसारण मंत्रालय 27 से 31 जनवरी, 2023 तक मुंबई में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) फिल्म महोत्सव का आयोजन कर रहा है। एससीओ फिल्म महोत्सव का आयोजन एससीओ में भारत की अध्यक्षता के उपलक्ष्य में किया जा रहा है।

इस महोत्सव के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए अपर सचिव सुश्री नीरजा शेखर ने कहा कि इस महोत्सव का उद्देश्य सिनेमाई साझेदारियां निर्मित करना और एससीओ में विभिन्न देशों की संस्कृतियों के बीच एक सेतु के रूप में काम करना है। सामूहिक सिनेमाई अनुभव के माध्यम से ये एससीओ सदस्यों के फिल्म समुदायों के बीच सामंजस्य भी पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि एससीओ राज्यों द्वारा लाई गई सभी फ़िल्में जो एससीओ फिल्म महोत्सव में दिखाई जाने वाली हैं, उन्हें देखकर दर्शक विभिन्न संस्कृतियों को अनुभव कर सकेंगे और ये फिल्में एससीओ देशों के लोगों को एक दूसरे को बेहतर तरीके से जानने का मौका देंगी।

सुश्री शेखर ने बताया कि इस महोत्सव में कंपीटिशन और नॉन-कंपीटिशन स्क्रीनिंग में एससीओ देशों की फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। फिल्म स्क्रीनिंग के अलावा इस फेस्टिवल में मास्टर-क्लास, इन-कॉन्वर्सेशन सेशन, देशों और राज्यों के पैवेलियन, फोटो और पोस्टर प्रदर्शनी, हस्तशिल्प स्टॉल और कई अन्य कार्यक्रम होंगे।

इस महोत्सव की शुरुआत एक भारतीय फिल्म के वर्ल्ड प्रीमियर के साथ होगी क्योंकि एससीओ फिल्म महोत्सव का आयोजन एससीओ में भारत की अध्यक्षता के दौरान किया जा रहा है। ये उद्घाटन समारोह 27 जनवरी, 2023 को जमशेद भाभा थियेटर, एनसीपीए, मुंबई में आयोजित किया जाएगा।

इस फिल्म फेस्टिवल की स्क्रीनिंग मुंबई में दो स्थानों पर होगी। पेडर रोड में फिल्म डिवीजन कॉम्प्लेक्स के 4 ऑडिटोरियमों में और वर्ली में नेहरू प्लैनेटेरियम बिल्डिंग में 1 एनएफडीसी थिएटर में।

इसमें कंपीटिशन सेक्शन केवल एससीओ सदस्य देशों के लिए है और इसमें सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष), सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (महिला), सर्वश्रेष्ठ निर्देशक (फीचर फिल्म), विशेष जूरी पुरस्कार जैसे विभिन्न प्रतिष्ठित पुरस्कार शामिल हैं।

नॉन-कंपीटिशन सेक्शन सभी एससीओ देशों के लिए है, यानी निम्नलिखित श्रेणियों में सदस्य देशों, पर्यवेक्षक देशों और डायलॉग पार्टनर देशों के लिए-

I. एससीओ कंट्री फोकस फिल्में, जो फिल्म समारोह में संबंधित एससीओ देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनी गई हैं। इससे विभिन्न देशों के बीच आदान-प्रदान सक्षम होगा और ये शंघाई सहयोग संगठन के सदस्यों की संस्कृतियों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगा।

II. डायरेक्टर फोकस फ़िल्में, जो किसी एससीओ देश के जाने-माने निर्देशक, किसी दिग्गज द्वारा बनाई गई हो, जो देश की विरासत में योगदान देने वाले अपने शिल्प और अपनी सिनेमा हैरिटेज के लिए देश में बहुत सम्मानित हो।

III. चिल्ड्रन फोकस फिल्में जो युवा दर्शकों को शिक्षित करती हों, और उनका मनोरंजन करती हों, जिन्हें समझना आसान हो। इससे छोटे बच्चों की रुचि का विकास होता है और उनके दिमाग का पोषण होता है।

IV. शॉर्ट फ़िल्में जो 20 मिनट से लंबी न हों, जो कलात्मक व सिनेमाई रूप से निपुण हों और मौलिक विचारों का इस्तेमाल करते हुए दर्शकों के मन-मस्तिष्क को लुभाती हों।

V. भारत की संरक्षित क्लासिक फ़िल्में- ऐसी 5 फिल्मों का प्रदर्शन किया जा रहा है।

एससीओ फिल्म महोत्सव में एससीओ देशों की कुल 57 फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी। कंपीटिशन सेक्शन में 14 फीचर फिल्में प्रतिस्पर्धा कर रही हैं और उन्हें प्रदर्शित किया जाएगा तथा नॉन कंपीटिशन सेक्शन में 43 फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा।

कंपीटिशन सेक्शन के लिए कुल 14 फिल्मों को नामांकित किया गया है।

• निखिल महाजन द्वारा निर्देशित मराठी फिल्म ‘गोदावरी’ और पैन नलिन द्वारा निर्देशित गुजराती फिल्म ‘द लास्ट फिल्म शो’ सदस्य राष्ट्र भारत की ओर से नामांकित हैं।

• निर्देशक ए. ज़ैरोव और एम. मामिरबेकोव द्वारा निर्देशित रूसी फिल्म ‘मॉम, आई एम अलाइव!’ और बैराकिमोव अल्दीयार द्वारा निर्देशित ‘पैरालिंपियान’ को सदस्य देश कजाकस्तान की ओर से नामांकित किया गया है।

• बकीत मुकुल और दास्तान ज़ापर ऊलू द्वारा निर्देशित किर्गिज फिल्म अकिर्की कोच (द रोड टू ईडन) और तलाइबेक कुलमेंदीव द्वारा निर्देशित उई सत्यलाट (होम फॉर सेल) सदस्य देश किर्गिस्तान से नामांकित हैं।

• यीहुई शाओ द्वारा निर्देशित इतालवी और चीनी फिल्म बी फॉर बिजी और शाओजी राव द्वारा निर्देशित चीनी फिल्म होम कमिंग को सदस्य देश चीन से नामांकित किया गया है।

• लिउबोव बोरिसोवा साखा द्वारा निर्देशित रूसी फिल्म डोन्ट बरी मी विदाउट इवान और एवगेनी ग्रिगोरेव द्वारा निर्देशित पोडेल्निकी (द रायट) को सदस्य देश रूस द्वारा नामित किया गया है।

• डी. मसैदोव द्वारा निर्देशित उज़्बेक फ़िल्म ऐल किस्माती (द फेट ऑफ अ वुमन) और हिलोल नसीमोव द्वारा निर्देशित मेरोस (लैगेसी) सदस्य राष्ट्र उज़्बेकिस्तान की ओर से नामांकित हैं।

• मुहिद्दीन मुजफ्फर द्वारा निर्देशित ताजिक फिल्म डोव (फॉर्च्यून), और महमदराबी इस्मोइलोव द्वारा निर्देशित ओखिरीन सैयदी सयोद (हंटर्स फाइनल प्रे) सदस्य राष्ट्र ताजिकिस्तान द्वारा नामांकित हैं।

एससीओ फिल्म महोत्सव में भारतीय फिल्में-

बेहद सराही गई निखिल महाजन द्वारा निर्देशित मराठी फिल्म गोदावरी और ऑस्कर में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा की श्रेणी में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि गुजराती फिल्म छेलो शो, जो लास्ट फिल्म शो के रूप में भी जानी जाती है, को प्रतियोगिता खंड में प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा एससीओ कंट्री फोकस में शूजीत सरकार की सरदार उधम, एसएस राजामौली की पीरियड फिल्म आरआरआर है। डायरेक्टर फोकस में संजय लीला भंसाली की गंगूबाई काठियावाड़ी, चिल्ड्रन फोकस में मृदुल तुलसीदास की तुलसीदास जूनियर और चेतन भाकुनी की शॉर्ट फिल्म जुगलबंदी दिखाई जाएगी। इसके अलावा पांच रिस्‍टोर्ड क्लासिक्स भी महोत्‍सव में प्रदर्शित की जाएंगी। इनमें शतरंज के खिलाड़ी; (1977, हिंदी), सुबर्णरेखा (1965, बंगाली), चंद्रलेखा (1948, तमिल), इरु कोडगुल (1969, तमिल) और चिदंबरम (1985, मलयालम) शामिल हैं।

एससीओ की आधिकारिक भाषा अर्थात रूसी और चीनी, फिल्म महोत्सव की भी आधिकारिक भाषाएं होंगी। महोत्सव भारत में आयोजित किए जाने के कारण कार्यात्मक भाषा के रूप में अंग्रेजी को भी इसमें शामिल किया जाएगा। ज्‍यूरी और स्थानीय दर्शकों की सुविधा के लिए प्रदर्शित की जाने वाली फिल्मों को या तो अंग्रेजी में डब किया जाएगा या उनके सबटाइटल दिए जाएंगे।

भारतीय फिल्मी हस्तियों के साथ इस महोत्सव में भाग ले रहे एससीओ देशों के प्रतिष्ठित फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं के साथ ‘मास्टरक्लासेस’ और ‘इन कन्वर्सेशन’ सत्र भी होंगे। एनिमेशन के इतिहास के अन्‍वेषण में जुटे इस उद्योग के विशेषज्ञों के साथ सत्र आयोजित किए जाएंगे तथा एनिमेशन और विज्‍युअल इफैक्‍ट्स की सहायता से ‘क्रिएटिंग द शॉट’ की असीम संभावनाओं को भी प्रस्तुत किया जाएगा। फिल्म वितरण के बदलते परिदृश्य और उभरती प्रौद्योगिकियों की मदद से थिएटर भाषा में अनुवाद पर भी कुछ सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।

एससीओ फिल्म महोत्सव पोर्टल: https://sco.nfdcindia.com/ पर ऑनलाइन प्रतिनिधि पंजीकरण किया जा सकता है, साथ ही पेडर रोड मुंबई में फिल्म डिवीजन परिसर के मुख्य समारोह स्थल पर भी पंजीकरण डेस्क उपलब्ध होंगे। प्रतिनिधि पंजीकरण शुल्क महोत्सव के लिए 300 रुपये या 100 रुपये प्रतिदिन रखा गया है। इसे छात्रों के लिए निशुल्क रखा गया है।

एससीओ फिल्म महोत्सव 2023 की ज्यूरी में निम्नलिखित शामिल हैं

भारत

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राहुल रवैल

फिल्मकार 

राहुल रवैल एक अत्‍यंत प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्देशक और फिल्म एडिटर हैं जो लव स्टोरी, बेताब, अर्जुन, अंजाम और कई अन्य फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने सनी देओल, अमृता सिंह, परेश रावल, काजोल, ऐश्वर्या राय बच्चन और जॉन अब्राहम जैसे कई सफल कलाकारों को लॉन्च किया है। उन्होंने वर्ष 2017 और वर्ष 2018 में इफ्फी में भारतीय पैनोरमा एवं वर्ष 2019 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की ज्‍यूरी की अध्यक्षता की, और, उन्‍होंने कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों की कमान संभाली है। उनकी पुस्‍तक ‘राज कपूर- द मास्टर एट वर्क’ सिनेमा के भावी विद्यार्थि‍यों के लिए एक पाठ्य पुस्तक मानी जाती है।

चीन

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सुश्री निंग यिंग

फिल्म निर्देशक

निंग यिंग विश्व स्तर पर सराही गई पुरस्कार विजेता चीनी फिल्म निर्देशक हैं जिन्हें अक्सर चीन की छठी पीढ़ी के फिल्म निर्माताओं की मंडली का एक अहम सदस्य माना जाता है। वह बीजिंग ट्रायलॉजी जैसी अपनी फिल्मों के लिए जानी जाती हैं जिसमें फॉर फन, ऑन द बीट और आई लव बीजिंग शामिल हैं, जिनमें हाल के दशकों में बीजिंग में हुए व्‍यापक बदलावों का विश्लेषण किया गया है। ‘रेलरोड ऑफ होप (2002)’  में पूरे चीन में सस्ते कामगारों के बड़े पैमाने पर प्रवासन को दर्शाया गया है एवं जिसने ग्रैंड प्रिक्स डू सिनेमा डू रील जीता और परपेचुअल मोशन (2005) का प्रीमियर कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्‍सवों में हुआ।

कजाकस्तान

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श्री दिमश कुदाईबर्गेन

संगीतकार

दिनमुखामेद ‘दिमश’ कनाटुली कुदाईबर्गेन पॉप, क्लासिकल क्रॉसओवर फोक और ऑपरेटिव पॉप संगीत की शैली में एक विश्व प्रसिद्ध और प्रतिभाशाली संगीतकार हैं। दिमश और उनका संगीत समस्‍त पूर्वी यूरोप एवं एशिया, विशेषकर कजाकस्तान (उनकी मातृभूमि), चीन और रूस में प्रसिद्ध है और उनके प्रशंसक 120 से भी अधिक देशों में फैले हुए हैं जो उनका लाइव प्रदर्शन देखने के लिए सदैव उत्सुक रहते हैं। दिमश की उत्‍कृष्‍ट स्वर क्षमता का श्रेय इस तथ्य को दिया जाता है कि उनके पास छह सप्तक की रेंज है और इसके अलावा श्रोताओं एवं दर्शकों से उनका बेहतरीन जुड़ाव रहा है।

किर्गिस्तान

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सुश्री गुलबारा तोलोमुशोवा

फिल्मकार और फिल्म समीक्षक

गुलबारा तोलोमुशोवा एक पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता और अपने लेखों के माध्यम से एक फिल्म समीक्षक हैं और कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्‍सवों की ज्‍यूरी की एक अहम सदस्य हैं। वह एफआईपीआरईएससीई (फिल्म समीक्षकों का अंतर्राष्ट्रीय संघ) और नेटपैक (एशियाई सिनेमा के प्रचार के लिए नेटवर्क) की सदस्य हैं। वह किर्गिस्तान के संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय में छायांकन विभाग में एक अग्रणी विशेषज्ञ हैं और सिनेमा के क्षेत्र में उनकी उत्‍कृष्‍ट कृति‍यों के लिए उन्हें अपने देश और विदेश में सम्मान से नवाजा गया है।

रूस

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श्री इवान कुद्रयावत्सेव

फिल्म निर्माता एवं पत्रकार

इवान कुद्रयावत्सेव एक प्रसिद्ध पत्रकार एवं निर्माता, मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की चयन समिति के अध्यक्ष और द नेशनल एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज के सदस्य हैं। वह सिनेमा टीवी चैनल के प्रधान संपादक हैं और रूस के फिल्म बाजार के विशेषज्ञ हैं, द गोल्डन ईगल अवार्ड- फिल्म उद्योग के पेशेवरों को मान्यता देने वाला रूस का मुख्य पुरस्कार- के विशेषज्ञ परिषद के प्रमुख हैं। वर्ष 2009 से, इवान रूस के प्रमुख समाचार टीवी चैनल रूस 24 पर एक साप्ताहिक फिल्म उद्योग समाचार कार्यक्रम ‘इंडस्ट्रिया किनो’ का संचालन कर रहे हैं।

ताजिकिस्तान

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श्री मेहमदसैद शोहियों

फिल्म निर्माताअभिनेतालेखक

मेहमदसैद शोहियों एक प्रमुख अभिनेता, निर्माता और लेखक हैं। वह 30 वर्षों से संस्कृति और रंगमंच के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उन्हें 25 से अधिक फिल्मों तथा सिनेमा एवं थिएटर के क्षेत्र से जुड़े कई प्रकाशनों और वाटर बॉय (2021), फॉर्च्यून (2022) व बचाई होबी (2020) जैसी फिल्मों के निर्माण का श्रेय दिया जाता है। वह ताजिकिस्तान गणराज्य के संस्कृति मंत्रालय के प्रथम उपमंत्री और टेलीविजन एवं रेडियो प्रसारण समिति के अध्यक्ष थे और वर्तमान में राज्य उद्यम, तोजिकफिल्म के निदेशक हैं।

उज्बेकिस्तान

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श्री मत्यकुब सादुल्लायेविच माचानोव

अभिनेता

मत्यकुब सादुल्लायेविच माचानोव एक प्रतिष्ठित अभिनेता हैं, जिन्हें मानद उपाधि ‘उज्बेकिस्तान गणराज्य के सम्मानित कलाकार’ (2001), ऑर्डर ऑफ ‘फ्रेंडशिप (डस्टलिक) (2012) और ‘प्रतिष्ठित श्रम के लिए’ चिन्ह (2021) से सम्मानित किया गया है। उन्होंने 1977 में उज्बेकिस्तान के स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट एंड कल्चर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और एक थिएटर अभिनेता के रूप में डैडीज़ डॉटर, होली सिनर, नाइट विजिटर, डेलानी मैसारा, सतन्स एंजेल्स जैसी प्रस्तुतियों में प्रमुख भूमिकाएं निभाईं और द अवेकनिंग एवं द यूथ ऑफ जीनियस जैसी फिल्मों में काम किया।

एससीओ के बारे में

एससीओ एक बहुपक्षीय संगठन है, जिसकी स्थापना 15 जून 2001 को की गई थी। वर्तमान में एससीओ में आठ सदस्य देश (चीन, भारत, कजाकस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान), तीन पर्यवेक्षक देश (बेलारूस, ईरान और मंगोलिया) और चौदह वार्ता भागीदार (आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका, मिस्र, सऊदी अरब, कतर, बहरीन, कुवैत, मालदीव, म्यांमार, संयुक्त अरब अमीरात और तुर्की) शामिल हैं।

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प्रधानमंत्री ने 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 बड़े अज्ञात द्वीपों के नामकरण समारोह में भाग लिया

प्रधानमंत्री  मोदी आज पराक्रम दिवस के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 बड़े अज्ञात द्वीपों का नामकरण करने के लिए आयोजित एक समारोह में शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर बनने वाले और नेताजी को समर्पित होने वाले राष्ट्रीय स्मारक के मॉडल का भी अनावरण किया। उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने पराक्रम दिवस के अवसर पर सभी को बधाई दी और कहा कि यह प्रेरणादायक दिवस देश भर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। उन्‍होंने कहा, “जब इतिहास का निर्माण हो रहा होता है तो भावी पीढ़ियां न केवल इसका स्‍मरण, आकलन और मूल्यांकन करती हैं, बल्कि इससे निरंतर प्रेरणा भी पाती हैं।” प्रधानमंत्री ने बताया कि आज अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से 21 द्वीपों का नामकरण समारोह आयोजित हो रहा है। अब उन्हें 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम से पहचाना जाएगा। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन को सम्‍मान प्रदान करने के लिए एक नए स्मारक की आधारशिला उसी द्वीप पर रखी जा रही है, जहां वे रुके थे। उन्‍होंने कहा कि इस दिन का भावी पीढ़ियों द्वारा आजादी के अमृत काल में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में स्‍मरण किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि नेताजी स्मारक और 21 नए नामित द्वीप युवा पीढ़ियों के लिए निरंतर प्रेरणा के स्रोत होंगे।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि यहां पहली बार तिरंगा फहराया गया था और भारत की पहली स्वतंत्र सरकार बनी थी। उन्होंने यह भी कहा कि वीर सावरकर और उनके जैसे कई अन्य वीरों ने इसी भूमि पर देश के लिए तपस्या और बलिदान के उच्‍च शिखर को छुआ था। उन्होंने कहा, “उस अभूतपूर्व जुनून और अप्रतिम पीड़ा की आवाजें आज भी सेल्युलर जेल की कोठरियों से सुनी जाती हैं।” प्रधानमंत्री ने अफसोस जताया कि अंडमान की पहचान स्वतंत्रता संग्राम की यादों के बजाय गुलामी के प्रतीकों से जुड़ी हुई है और कहा, “यहां तक कि हमारे द्वीपों के नामों पर भी गुलामी की छाप थी।” प्रधानमंत्री ने तीन मुख्य द्वीपों का नाम बदलने के लिए चार-पांच साल पहले पोर्ट ब्लेयर की अपनी यात्रा का स्‍मरण करते हुए बताया कि आज रॉस द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप बन गया है, हैवलॉक और नील द्वीप स्वराज और शहीद द्वीप बन गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्वराज और शहीद नाम स्‍वयं नेताजी ने ही दिए थे लेकिन आजादी के बाद भी इन्‍हें कोई महत्व नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री ने यह टिप्‍पणी की कि जब आजाद हिंद फौज की सरकार ने 75 साल पूरे किए तो हमारी सरकार ने ही इन नामों को फिर से बहाल किया है।

प्रधानमंत्री ने भारत की 21वीं सदी का अवलोकन किया जो उसी नेताजी को याद कर रही है जो कभी भारत की आजादी के बाद इतिहास के पन्नों में गुम हो गए थे। उन्होंने आकाश में ऊँचे भारतीय ध्वज पर प्रकाश डाला, जो आज उसी स्थान पर फहरा रहा है, जहाँ नेताजी ने अंडमान में पहली बार तिरंगा फहराया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उन सभी देशवासियों के दिलों को देशभक्ति से भर देता है जो उस स्थान पर आते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी याद में जो नया संग्रहालय और स्मारक बनने जा रहा है, वह अंडमान की यात्रा को और भी यादगार बना देगा। प्रधानमंत्री ने 2019 में दिल्ली के लाल किले में उद्घाटन किए गए नेताजी संग्रहालय के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि वह स्थान लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। उन्होंने नेताजी की 125वीं जयंती और उस दिन को पराक्रम दिवस के रूप में घोषित किए जाने पर बंगाल में आयोजित होने वाले विशेष कार्यक्रमों का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि बंगाल से लेकर दिल्ली और अंडमान तक, देश का हर हिस्सा नेताजी की विरासत को नमन करता है और उसे संजोता भी है।

प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित उन कार्यों के बारे में प्रकाश डाला जो आजादी के तुरंत बाद किए जाने चाहिए थे। उन्‍होंने बताया कि वे कार्य पिछले 8-9 वर्षों में किए गए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वतंत्र भारत की पहली सरकार देश के इस हिस्से में 1943 में बनी थी और देश इसे और अधिक गर्व के साथ स्वीकार कर रहा है। उन्होंने कहा कि आजाद हिंद सरकार के गठन के 75 साल पूरे होने पर देश ने लाल किले पर झंडा फहराकर नेताजी को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने दशकों से नेताजी के जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग का उल्‍लेख किया और कहा कि यह काम पूरी निष्ठा से किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि  आज हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं और कर्तव्य पथ के सामने नेताजी की भव्य प्रतिमा हमें हमारे कर्तव्यों का स्‍मरण करा रही है।

प्रधानमंत्री ने यह उल्‍लेख किया कि जिन देशों ने अपने करीबी हस्तियों और स्वतंत्रता सेनानियों को नियत समय में जनता के साथ जोड़ा और सक्षम आदर्शों को बनाया और साझा किया, वे विकास और राष्ट्र-निर्माण की दौड़ में बहुत आगे निकल गए, भारत, आजादी के अमृत काल में इसी तरह के कदम उठाते हुए आगे बढ़ रहा है।

इन द्वीपों के नामकरण के पीछे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के विशिष्‍ट संदेश के बारे में प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह देश के लिए दिए गए बलिदानों और भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम की अमरता का संदेश है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 21 परमवीर चक्र विजेताओं ने भारत माता की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। भारतीय सेना के ये बहादुर सैनिक विभिन्न राज्यों से थे, विभिन्न भाषाओं और बोलियों को बोलते थे और विभिन्न जीवन शैली जीते थे लेकिन यह माँ भारती की सेवा थी और मातृभूमि के प्रति उनका अटूट समर्पण था जिसने उन्हें एकजुट किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “जैसे समुद्र विभिन्न द्वीपों को परस्‍पर जोड़ता है, वैसे ही ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना भारत माता के हर बच्चे को आपस में जोड़ती है।” मेजर सोमनाथ शर्मा, पीरू सिंह, मेजर शैतान सिंह से लेकर कैप्टन मनोज पांडे, सूबेदार जोगिंदर सिंह और लांस नायक अल्बर्ट एक्का, वीर अब्दुल हमीद और मेजर रामास्वामी परमेश्वरन तक इन सभी 21 परमवीरों का एक ही संकल्प था – राष्ट्र प्रथम! इंडिया फर्स्ट! यह संकल्प अब नामकरण से हमेशा के लिए अमर हो गया है। अंडमान में एक पहाड़ी भी कारगिल युद्ध के कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम पर समर्पित की जा रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंडमान और निकोबार के द्वीपों का नामकरण न केवल परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं को बल्कि भारतीय सशस्त्र बलों को भी समर्पित है। आजादी के समय से ही हमारी सेना को कई युद्धों का सामना करना पड़ा है। इस बात का स्‍मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे सशस्त्र बलों ने सभी मोर्चों पर अपनी बहादुरी को सिद्ध किया है। अब यह देश का कर्तव्य है कि इन राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यों के लिए समर्पित सैनिकों को सेना में योगदान के साथ-साथ व्यापक रूप से मान्यता भी मिलनी चाहिए”, प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज देश उस जिम्मेदारी को पूरा कर रहा है और इसे सैनिकों और सेनाओं के नाम पर मान्यता मिल रही है।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि यह जल, प्रकृति, पर्यावरण, प्रयास, बहादुरी, परंपरा, पर्यटन, ज्ञान और प्रेरणा की भूमि है। उन्‍होंने क्षमता की पहचान करने और अवसरों को मान्‍यता देने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने पिछले 8 वर्षों में किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला और बताया कि 2014 की तुलना में 2022 में अंडमान आने वाले पर्यटकों की संख्या दोगुनी हो गई है। उन्होंने अंडमान की रोजगार और पर्यटन से संबंधित आय में वृद्धि होने का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने इस बात की ओर ध्यान आकृष्ट किया कि इस स्थान की पहचान में भी विविधता आ रही है क्योंकि अंडमान से जुड़े स्वतंत्रता के इतिहास के बारे में लोगों की जिज्ञासा भी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अब लोग यहां इतिहास जानने और उसे जीने के लिए भी आ रहे हैं।’ उन्होंने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की समृद्ध आदिवासी परंपरा का भी उल्लेख किया और कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित स्मारक और सेना की वीरता का सम्मान भारतीयों में यहां की यात्रा करने के संबंध में नई उत्सुकता पैदा करेगा।

प्रधानमंत्री ने दशकों की हीन भावना और आत्मविश्वास की कमी, विशेष रूप से विकृत वैचारिक राजनीति के कारण देश की क्षमता को पहचानने में पूर्ववर्ती सरकार के प्रयासों के बारे में खेद व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि‍ चाहे वह हमारे हिमालयी राज्य हों, विशेष रूप से पूर्वोत्तर, या अंडमान और निकोबार जैसे समुद्री द्वीप क्षेत्र हो, ऐसे क्षेत्रों में विकास, दशकों तक उपेक्षित किया गया क्योंकि इन्हें दूरस्थ, दुर्गम और अप्रासंगिक क्षेत्र माना जाता था।” उन्होंने यह भी पाया कि भारत में द्वीपों और आइलेट्स की संख्या का लेखा-जोखा नहीं रखा गया था। सिंगापुर, मालदीव और सेशेल्स जैसे विकसित द्वीपीय राष्ट्रों का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन राष्ट्रों का भौगोलिक क्षेत्रफल अंडमान और निकोबार की तुलना में कम है, लेकिन वे अपने संसाधनों का सही उपयोग करके नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए है। भारत के द्वीपों में भी ऐसी ही क्षमता है और देश इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने ‘सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर’ के माध्यम से अंडमान को तेज इंटरनेट से जोड़ने का उदाहरण दिया, जो डिजिटल भुगतान और अन्य महत्‍वपूर्ण सेवाओं को बढ़ावा दे रहा है तथा पर्यटकों को लाभान्वित कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अब देश में प्राकृतिक संतुलन और आधुनिक संसाधनों को एक साथ आगे बढ़ाया जा रहा है।’

स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा देने वाले अतीत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से तुलना करते हुए प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन यह कहते हुए किया कि यह क्षेत्र भविष्य में भी देश के विकास को नई गति प्रदाने करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा है कि मुझे विश्वास है, हम एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे जो सक्षम है और आधुनिक विकास की ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा।”

इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लेफ्टिनेंट गवर्नर एडमिरल डी के जोशी, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान सहित अन्य गणमान्‍य व्‍यक्ति भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति का सम्मान प्रदान करने के लिए वर्ष 2018 में अंडमान निकोबार द्वीप समूह की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने रॉस द्वीप समूह का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रख दिया था। नील द्वीप और हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर शहीद द्वीप और स्वराज द्वीप भी कर दिया गया था।

देश के वास्तविक जीवन के नायकों को उचित सम्मान देना हमेशा प्रधानमंत्री भी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। इसी भावना के साथ आगे बढ़ते हुए अब इस द्वीप समूह के 21 बड़े अज्ञात द्वीपों का नामकरण 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने का निर्णय लिया गया है। पहले बड़े अज्ञात द्वीप का नाम पहले परमवीर चक्र विजेता के नाम पर रखा जाएगा, दूसरे बड़े अज्ञात द्वीप का नाम दूसरे परमवीर चक्र विजेता के नाम पर रखा जाएगा और इसी तरह अन्‍य द्वीपों का नाम रखा गया है। यह कदम हमारे नायकों के प्रति एक चिरस्थायी श्रद्धांजलि होगी, जिनमें से कई नायकों ने राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया है।

इन द्वीपों का नाम जिन 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखा वे हैं – मेजर सोमनाथ शर्मा; सूबेदार और मानद कैप्‍टेन (तत्कालीन लांस नायक) करम सिंह, एम.एम; सेकेंड लेफ्टिनेंट राम राघोबा राणे; नायक जदुनाथ सिंह; कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह; कैप्टन जीएस सलारिया; लेफ्टिनेंट कर्नल (तत्कालीन मेजर) धन सिंह थापा; सूबेदार जोगिंदर सिंह; मेजर शैतान सिंह; सीक्यूएमएच। अब्दुल हमीद; लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर; लांस नायक अल्बर्ट एक्का; मेजर होशियार सिंह; सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल; फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों; मेजर रामास्वामी परमेश्वरन; नायब सूबेदार बाना सिंह; कैप्‍टेन विक्रम बत्रा; लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे; सूबेदार मेजर (तत्कालीन राइफलमैन) संजय कुमार; और सूबेदार मेजर सेवानिवृत्त (मानद कैप्‍टेन) ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव।

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