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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने पर स्मारक डाक टिकट जारी किया

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने आज भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित जिला न्यायाधीशों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान इस डाक टिकट का अनावरण किया गया।

इस कार्यक्रम में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉडीवाईचंद्रचूड़ केन्द्रीय विधि एवं न्याय तथा संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

यह स्मारक टिकटभारत की न्यायिक प्रणाली में सर्वोच्च न्यायालय के अमूल्य योगदान तथा राष्ट्र के कानूनी परिदृश्य को स्वरुप प्रदान करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका का प्रतीक है। 28 जनवरी1950 को स्थापित सर्वोच्च न्यायालय कानून के शासन को बनाए रखनेनागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने तथा पूरे देश में न्याय प्रशासन सुनिश्चित करने में अग्रणी रहा है।

संचार मंत्रालय के अंतर्गत डाक विभागयह स्मारक डाक टिकट जारी करते हुए गर्व का अनुभव कर रहा हैजो भारत के न्यायिक इतिहास में सर्वोच्च न्यायालय की स्थायी विरासत का प्रमाण है।

यह आयोजनभारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हैजिसके तहत देश में न्याय और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिबद्धता के साढ़े सात दशकों का उत्सव मनाया जा रहा है।

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भारतीय सेना ने प्रोजेक्ट नमन का शुभारंभ किया: पूरे भारत में स्पर्श-केंद्रित कॉमन सर्विस सेंटर स्थापित किए जाएंगे

भारतीय सेना ने थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और सैनिकों की पत्नियों के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्‍था (एडब्‍ल्‍यूडब्‍ल्‍यूए) की अध्यक्ष श्रीमती सुनीता द्विवेदी की उपस्थिति में प्रोजेक्ट नमन के पहले चरण का शुभारंभ किया। यह परियोजना रक्षा पेंशनभोगियों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को सहयोग और सेवाएं प्रदान करने के लिए बनाई गई है, प्रोजेक्ट नमन स्पर्श (सिस्‍टम फॉर पेंशन एडमिन्‍सट्रेशन रक्षा), डिजिटल पेंशन प्रणाली के कार्यान्वयन पर केंद्रित है, जो रक्षा पेंशनभोगियों के लिए पेंशन संबंधी प्रक्रियाओं को सुगम बनाती, देश भर के पूर्व सैनिकों और उनके निकटतम परिजनों (एनओके) के लिए सुलभ सुविधा केन्‍द्रों की महत्वपूर्ण आवश्यकता संभव बनाती है।

इसके शुभारंभ के अवसर पर, जनरल उपेन्‍द्र द्विवेदी ने कहा कि इस सेवा की शुरूआत से पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को वह देखभाल और सहायता मिलेगी जिसके वे हकदार हैं। उन्होंने सैन्य स्टेशनों और आसपास के इलाकों की पूरी आबादी तक इन आवश्यक सेवाओं को पहुंचाने और उनका विस्तार करने में परियोजना की भूमिका पर प्रकाश डाला।

इस परियोजना में स्वागत और सुविधा केन्‍द्रों की स्थापना शामिल है। इसके लिए पिछले वर्ष सितम्‍बर 2023 में भारतीय सेना के डायरेक्‍टरेट ऑफ इंडियन आर्मी वैटरंस (एडजुटेंट जनरल की शाखा), कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) ई-गवर्नेंस इंडिया लिमिटेड और एचडीएफसी बैंक लिमिटेड के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर किए गए थे। ये कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) पूर्व सैनिकों, पेंशनभोगियों, शहीदों की विधवाओं और शहीदों के परिजनों को स्पर्श-सक्षम पेंशन सेवाएं, सरकार से नागरिक (जी2सी) सेवाएं और व्यवसाय से उपभोक्ता (बी2सी) सेवाएं, सभी एक ही सुविधाजनक स्थान पर प्रदान करते हैं।

प्रोजेक्ट नमन के पहले चरण में, भारत भर में प्रमुख स्थानों पर 14 सीएससी स्थापित किए गए हैं, जिनमें नई दिल्ली, जालंधर, लेह, देहरादून, लखनऊ, जोधपुर, बेंगलुरू, गोरखपुर, झांसी, सिकंदराबाद, सागर, गुंटूर, अहमदाबाद और बेंगलुरु शामिल हैं। अगले 2-3 वर्षों में देश भर में लगभग 200 केन्‍द्र स्थापित करने की योजना के साथ, इस परियोजना का काफी विस्तार होना है। बैंकिंग भागीदार, एचडीएफसी बैंक ने सीएससी को चालू करने के लिए आवश्यक आईटी बुनियादी ढांचा प्रदान किया है, जबकि स्थानीय सैन्य स्टेशनों ने आवश्यक बुनियादी ढांचा और सुविधाएं उपलब्‍ध कराई हैं।

प्रोजेक्ट नमन की कल्पना रक्षा समुदाय से सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श और जानकारी हासिल करने के बाद की गई थी, जो सेवारत और सेवानिवृत्त सशस्त्र बलों के कर्मियों के बीच सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह पहल न केवल सम्मानित दिग्गजों को आवश्यक देखभाल और सहायता प्रदान करती है, बल्कि सैन्य स्टेशनों और आसपास के इलाकों की संपूर्ण आबादी को भी सेवाएं प्रदान करती है।

प्रत्येक सीएससी का प्रबंधन एक ग्राम स्तरीय उद्यमी (वीएलई) करता है, जिसे संबंधित स्थानीय सैन्य प्राधिकरण (एलएमए) द्वारा पूर्व सैनिकों या एनओके में से चुना जाता है। इन वीएलई को सीएससी ई-गवर्नेंस इंडिया लिमिटेड द्वारा शामिल किया जाता है और आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए व्यापक प्रशिक्षण दिया जाता है। एचडीएफसी बैंक भी पहले 12 महीनों के लिए ₹ 20,000 का मासिक अनुदान प्रदान करता है, जिससे केंद्रों के स्थिरीकरण और स्थायित्व में सहायता मिलती है।

प्रोजेक्ट नमन भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के प्रति समर्पण का प्रमाण है। एक ही स्थान पर स्पर्श केंद्रित सुविधा, सामान्य रूप से आवश्यक ई-गवर्नेंस सेवाएं और बैंकिंग समाधान प्रदान करके, परियोजना दिग्गजों और एनओके के लिए उद्यमशीलता के अवसर भी पैदा करती है।

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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने मुकदमेबाजी को कम करने के लिए विवाद समाधान योजना (ई-डीआरएस), 2022 शुरू की

आयकर अधिनियम, 1961 (जिसे इसके बाद “अधिनियम” कहा जाएगा) में धारा 245 एमए के अनुसरण में, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने मुकदमेबाजी को कम करने और पात्र करदाताओं को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से ई-डिस्प्यूट रेजोल्यूशन स्कीम, 2022 (ई-डीआरएस) को अधिसूचित किया था। अधिनियम की धारा 245 एमए में विवाद समाधान समितियों (डीआरसी) के गठन का भी प्रावधान है।

ई-डीआरएस करदाता को विवाद समाधान के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से आवेदन करने में सक्षम बनाता है, जो अधिनियम की धारा 245 एमए में निर्धारित कुछ निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करता है और जो करदाता पर क्षेत्राधिकार वाले प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त के क्षेत्र के लिए नामित डीआरसी को आवेदन कर सकता है। इस उद्देश्य के लिए, देश भर में सभी 18 अधिकार क्षेत्र वाले पीआर.सीसीआईटी क्षेत्रों में डीआरसी का गठन किया गया है। ऐसे डीआरसी की सूची उनके ई-मेल पते के साथ उपलब्ध है:

https://www.incometax.gov.in/iec/foportal/help/all-topics/statutory-forms/file-statutory-form/popular-form/form-34-BC.

ई-डीआरएस के अनुसार, करदाता अधिनियम की धारा 245एमए के स्पष्टीकरण के खंड (बी) में परिभाषित ‘निर्दिष्ट आदेश’ के विरुद्ध ई-विवाद समाधान का विकल्प चुन सकता है, जिसमें ऐसा आदेश शामिल है जिस मामले में प्रस्तावित या किए गए बदलावों की कुल राशि 10 लाख रुपये से अधिक नहीं है और संबंधित कर निर्धारण वर्ष के लिए रिटर्न की गई आय 50 लाख रुपये से अधिक नहीं है। इसके अलावा, ऐसा आदेश अधिनियम की धारा 90 या 90ए के तहत संदर्भित किसी समझौते के तहत खोज/सर्वेक्षण या प्राप्त सूचना पर आधारित नहीं होना चाहिए।

ई-डीआरएस के अनुसार, डीआरसी निर्दिष्ट आदेश में बदलावों में संशोधन कर सकता है और आयकर नियमावली, 1962 (जिसे इसके बाद “नियमावली” कहा जाएगा) के नियम 44डीएसी के प्रावधान के अनुसार दंड और अभियोजन में रियायत/माफी देने का निर्णय ले सकता है। डीआरसी को विवाद समाधान के लिए आवेदन स्वीकार किए जाने वाले महीने के अंत से छह महीने के भीतर अपना आदेश पारित करना अनिवार्य है।

ई-डीआरएस के लिए आवेदन आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर नियम 44डीएबी में निर्दिष्ट फॉर्म संख्या 34बीसी में निर्दिष्ट आदेश की प्राप्ति की तारीख से एक महीने के भीतर दाखिल किया जाना है। ऐसे मामलों में जहां अपील पहले ही दाखिल की जा चुकी है और आयकर आयुक्त (अपील) के समक्ष लंबित है, ई-डीआरएस के लिए आवेदन 30.09.2024 को या उससे पहले दाखिल किया जाना है। ऐसे मामलों में जहां निर्दिष्ट आदेश 31.08.2024 को या उससे पहले पारित किया गया है और सीआईटी (अपील) के समक्ष ऐसे आदेश के खिलाफ अपील दायर करने का समय समाप्त नहीं हुआ है, विवाद समाधान के लिए आवेदन 30.09.2024 को या उससे पहले दाखिल किया जा सकता है।

करदाता आयकर पोर्टल https://eportal.incometax.gov.in पर लॉगिन करके ई-डीआरएस मॉड्यूल तक पहुंच सकता है। उपयोगकर्ता आईडी के रूप में पैन/टैन का उपयोग करके अपने खाते में लॉग इन करें -> डैशबोर्ड पर जाएं -> ई-फाइल -> आयकर फॉर्म -> आयकर फॉर्म फाइल करें -> ‘आय के किसी भी स्रोत पर निर्भर न होने वाले व्यक्ति (आय का स्रोत प्रासंगिक नहीं है)’ टैब के अंतर्गत> कुछ मामलों में विवाद समाधान समिति (फॉर्म 34बीसी) -> फॉर्म संख्या 34बीसी भरें -> विवरण की समीक्षा करें -> आधार ओटीपी, ईवीसी या डीएससी का उपयोग करके फॉर्म संख्या 34बीसी को ई-सत्यापित करें।

मुकदमों को कम करने की दिशा में सरकार द्वारा यह एक और पहल है।

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इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक अपने प्रमुख कार्यक्रम ‘आपका बैंक, आपके द्वार’ के माध्यम से लोगों को विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रदान कर रहा है – पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

डाक विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में एक उपक्रम के रूप में कार्यरत इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक ने ‘आपका बैंक, आपके द्वार’ कार्यक्रम को विस्तार देते हुए पिछले 6 वर्षों की अपनी यात्रा के दौरान कई अभूतपूर्व सफलताएं अर्जित की हैं। बैंक की ग्रामीण इलाकों में वित्तीय सेवाओं के विस्तार और डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके माध्यम से केन्द्र और राज्य सरकार की अनेकों जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम छोर पर रहने वाले लोगों तक भी आसानी से पहुंचाया जा रहा है। उत्तर गुजरात क्षेत्र, अहमदाबाद में बड़े डाकघर के पोस्टमास्टर जनरल  कृष्ण कुमार यादव ने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के 7वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित किये गए कार्यक्रम में यह बात कही। इस अवसर पर पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक-आईपीपीबी की स्वतंत्र निदेशक सुश्री जयश्री वृजलाल दोशी, आईपीपीबी के सहायक महाप्रबंधक डॉ. राजीव अवस्थी, मुख्य प्रबंधक श्री कपिल मंत्री और मुख्य पोस्टमास्टर श्री रितुल गांधी के साथ केक काटकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। श्री कृष्ण कुमार यादव ने आईपीपीबी में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को सम्मानित भी किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 1 सितंबर, 2018 को इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक का राष्ट्रव्यापी शुभारंभ किया था। यह जानकारी देना महत्वपूर्ण है कि गुजरात मण्डल में 33 लाख से अधिक आईपीपीबी खाते संचालित हो रहे हैं। चालू वित्त वर्ष में गुजरात में इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के द्वारा अब तक 1.19 लाख खाता धारकों का सामान्य सुरक्षा बीमा, सीईएलसी के तहत 1.80 लाख लोगों का घर बैठे मोबाइल अद्यतन और 2571 बच्चों का आधार नामांकन किया गया है। इसके अलावा, 15 लाख से अधिक लोगों को 242 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिए भुगतान भी हुआ है। इस अवसर पर पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक ने दूरदराज के इलाकों में भी अनेक लोगों को उनके द्वार पर ही कागज रहित, नकदी रहित और समयसीमा रहित बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करके बैंकिंग परिदृश्य को एक नया स्वरूप प्रदान किया है। उन्होंने बताया कि इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की विभिन्न सेवाओं का फायदा उठाने वाले प्रमुख लाभार्थी वित्तीय रूप से समाज के सबसे अधिक वंचित व कमजोर वर्ग के लोग हैं और बैंक ने किफायती नवाचार तथा सरल एवं सहज उपयोगकर्ता इंटरफेस के माध्यम से समाज के अंतिम छोर तक सहायक व आसान बैंकिंग को सुलभ बनाया है।  कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि आईपीपीबी की 44% ग्राहक महिलाएं हैं और यह संख्या महिला सशक्तिकरण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी प्रदर्शित करती है। पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि डाक पहुंचाने वाले हमारे डाकिये और ग्रामीण डाक सेवक आईपीपीबी के माध्यम से एक चलते-फिरते बैंक के रूप में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक अपने डाकियों के माध्यम से घर-घर तक विभिन्न सेवाएं उपलब्ध करा रहा है, जिनमें सीईएलसी सुविधा के माध्यम से 5 वर्ष तक के बच्चों का आधार नामांकन और मोबाइल अद्यतन करना, डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, आधार सक्षम भुगतान प्रणाली, बिलों का भुगतान, वाहन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना बीमा, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना आदि शामिल हैं। पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के पास इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक का खाता है तो डाकघर की सुकन्या योजना, आरडी, पीपीएफ और डाक जीवन बीमा में उनका धन ऑनलाइन भी जमा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आईपीपीबी उन लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रति वचनबद्ध है, जिन्हें बीमा और अन्य वित्तीय सेवाओं तक आसानी से पहुंच उपलब्ध नहीं है।

इस अवसर पर इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के सहायक महाप्रबंधक डॉ. राजीव अवस्थी ने कहा कि उनका बैंक डाक विभाग के विस्तृत एवं भरोसेमंद नेटवर्क के माध्यम से अपने ग्राहकों को वृहद पैमाने पर वित्तीय समाधान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र के पालघर में लगभग 76,000 करोड़ रुपये की लागत वाले वाढवण बंदरगाह की आधारशिला रखी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज महाराष्ट्र के पालघर में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। आज की परियोजनाओं में लगभग 76,000 करोड़ रुपये की लागत से वाढवण बंदरगाह की आधारशिला रखना और लगभग 1,560 करोड़ रुपये की 218 मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास शामिल है। श्री मोदी ने लगभग 360 करोड़ रुपये की लागत से वेसल कम्युनिकेशन और सपोर्ट सिस्टम का राष्ट्रीय शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने मछली पकड़ने के बंदरगाहों के विकास, उन्नयन और आधुनिकीकरण, मछली लैंडिंग केंद्रों और मछली बाजारों के निर्माण सहित महत्वपूर्ण मत्स्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। उन्होंने मछुआरों के लाभार्थियों को ट्रांसपोंडर सेट और किसान क्रेडिट कार्ड भी वितरित किए।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत संत सेनाजी महाराज को उनकी पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि देकर की। श्री मोदी ने अपने दिल की बात कही और वर्ष 2013 के उस समय को याद किया जब उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए नामांकित किया गया था और छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के सामने प्रार्थना करने के लिए सबसे पहले रायगढ़ किले का दौरा करने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उन्हें उसी ‘भक्ति भाव’ का आशीर्वाद मिला जिसके साथ उन्होंने अपने गुरु का सम्मान किया और देश की सेवा के लिए नई यात्रा शुरू की। सिंधुदुर्ग में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि शिवाजी महाराज केवल एक नाम, पूज्य राजा या महान व्यक्तित्व नहीं बल्कि एक भगवान हैं। उन्होंने श्री शिवाजी महाराज के चरणों में झुककर विनम्र क्षमायाचना की और कहा कि उनकी परवरिश और उनकी संस्कृति उन्हें उन लोगों से अलग बनाती है जो भूमि के महान पुत्र वीर सावरकर का अपमान करने और राष्ट्रवाद की भावना को कुचलने का इरादा रखते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “महाराष्ट्र के लोगों को वीर सावरकर का अपमान करने वालों से सावधान रहना चाहिए और इसके लिए उन्हें कोई पश्चाताप नहीं होना चाहिए।” श्री मोदी ने रेखांकित किया कि महाराष्ट्र का दौरा करने के बाद उन्होंने जो पहला काम किया वह अपने भगवान छत्रपति शिवाजी महाराज से माफी मांगना था। उन्होंने शिवाजी महाराज की पूजा करने वाले सभी लोगों से माफ़ी भी मांगी।

राज्य और देश की विकास यात्रा के लिए इस दिन को ऐतिहासिक बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में महाराष्ट्र के विकास के लिए बड़े कदम उठाए हैं क्योंकि “एक विकसित महाराष्ट्र एक विकसित भारत के संकल्प का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है।” राज्य के ऐतिहासिक समुद्री व्यापार का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि राज्य में तटीय निकटता के कारण विकास की क्षमता और संसाधन हैं, जिसमें भविष्य के लिए अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, “वाढवण बंदरगाह देश का सबसे बड़ा कंटेनर बंदरगाह होगा और दुनिया के गहरे पानी के बंदरगाहों में गिना जाएगा। यह महाराष्ट्र और भारत के लिए व्यापार और औद्योगिक विकास का केंद्र बन जाएगा।” प्रधानमंत्री ने वाढवण बंदरगाह परियोजना के लिए पालघर, महाराष्ट्र और पूरे देश के लोगों को बधाई दी।

दिघी पोर्ट औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने के सरकार के हालिया फैसले का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह महाराष्ट्र के लोगों के लिए दोहरी खुशी का अवसर है। उन्होंने बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराज के साम्राज्य की राजधानी रायगढ़ में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि दिघी बंदरगाह महाराष्ट्र की पहचान और छत्रपति शिवाजी महाराज के सपनों का प्रतीक बन जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे पर्यटन और इको-रिसॉर्ट को प्रोत्साहन मिलेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे मछुआरा समुदाय को बधाई देते हुए कहा कि आज पूरे देश में मछुआरों से जुड़ी 700 करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया है और 400 करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया गया है। उन्होंने वाढवण बंदरगाह, दिघी बंदरगाह औद्योगिक क्षेत्र के विकास और मत्स्य पालन के लिए कई योजनाओं का उल्लेख किया। श्री मोदी ने कहा कि सभी विकास कार्य माता महालक्ष्मी देवी, माता जीवदानी और भगवान तुंगारेश्वर के आशीर्वाद से संभव हुए हैं।

भारत के स्वर्ण युग का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था जब भारत अपनी समुद्री क्षमताओं के कारण सबसे मजबूत और समृद्ध देशों में गिना जाता था। श्री मोदी ने कहा, “महाराष्ट्र के लोग इस क्षमता से अच्छी तरह वाकिफ हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज ने देश के विकास के लिए अपनी नीतियों और मजबूत फैसलों से भारत की समुद्री क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।” प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां तक ​​कि पूरी ईस्ट इंडिया कंपनी भी दरिया सारंग कान्होजी यागंती के सामने नहीं टिक सकी। श्री मोदी ने कहा कि पिछली सरकारें भारत के समृद्ध अतीत पर ध्यान देने में विफल रहीं।  प्रधानमंत्री ने कहा, “अब यह भारत नया भारत है। नया भारत इतिहास से सबक लेता है और अपने सामर्थ्य को पहचानता है, अपने गौरव को पहचानता है।” श्री मोदी ने कहा कि नया भारत गुलामी की बेड़ियों के हर निशान को पीछे छोड़ते हुए समुद्री इंफ्रास्ट्रक्चर में नए मील के पत्थर लगा रहा है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि पिछले दशक में भारत के तट पर विकास में अभूतपूर्व तेजी आई है। उन्होंने भारत में बंदरगाहों के आधुनिकीकरण, जलमार्ग विकसित करने और जहाज निर्माण को प्रोत्साहित करने के प्रयासों का उदाहरण दिया। श्री मोदी ने कहा, “इस दिशा में लाखों करोड़ रुपये का निवेश किया गया है”, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इसके परिणाम भारत में अधिकांश बंदरगाहों की दोगुनी हैंडलिंग क्षमता, निजी निवेश में वृद्धि और जहाजों के पारगमन समय में उल्लेखनीय कमी के माध्यम से देखे जा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि इससे लागत कम होने से उद्योगों और व्यापारियों को लाभ हुआ है, जबकि युवाओं के लिए नए अवसर पैदा हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “नाविकों के लिए सुविधाएं भी बढ़ी हैं।” 

प्रधानमंत्री ने कहा, “आज पूरी दुनिया वाढवण बंदरगाह की ओर देख रही है”, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुनिया में बहुत कम बंदरगाह वाढवण बंदरगाह की 20 मीटर की गहराई की बराबरी कर सकते हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि रेलवे और राजमार्ग संपर्क के कारण बंदरगाह पूरे क्षेत्र के आर्थिक परिदृश्य को बदल देगा।  उन्होंने उल्लेख किया कि समर्पित वेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर से इसकी कनेक्टिविटी और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से निकटता के कारण यह नए व्यवसायों और गोदामों के अवसर पैदा करेगा। उन्होंने कहा, “इस क्षेत्र से पूरे वर्ष कार्गो का आना-जाना रहेगा, जिससे महाराष्ट्र के लोगों को लाभ होगा।”

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ कार्यक्रमों के माध्यम से महाराष्ट्र द्वारा प्राप्त लाभों पर प्रकाश डाला। श्री मोदी ने कहा, “महाराष्ट्र का विकास मेरे लिए एक बड़ी प्राथमिकता है।” भारत की प्रगति में महाराष्ट्र की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री ने विकास को रोकने की कोशिश करने वालों के प्रयासों पर खेद व्यक्त किया।

वाढवण बंदरगाह परियोजना को लगभग 60 वर्षों तक रोकने के लिए पिछली सरकार के प्रयासों पर अफसोस व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को समुद्री व्यापार के लिए एक नए और उन्नत बंदरगाह की आवश्यकता थी, लेकिन इस दिशा में वर्ष 2016 तक काम शुरू नहीं हुआ। श्री मोदी ने कहा कि फडणवीस के सत्ता में आने पर इस परियोजना को गंभीरता से लिया गया और वर्ष 2020 तक पालघर में एक बंदरगाह बनाने का निर्णय लिया गया। हालांकि, सरकार बदलने के कारण परियोजना फिर से 2.5 साल के लिए रुक गई। प्रधानमंत्री ने बताया कि अकेले इस परियोजना में कई लाख करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान है और यहां करीब 12 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने इस परियोजना को आगे नहीं बढ़ने देने के लिए पिछली सरकारों पर भी सवाल उठाया।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि जब समुद्र से संबंधित अवसरों की बात आती है तो भारत का मछुआरा समुदाय सबसे महत्वपूर्ण भागीदार है। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के लाभार्थियों के साथ अपनी बातचीत का स्मरण करते हुए, प्रधानमंत्री ने सरकारी योजनाओं और सेवा की भावना के कारण पिछले 10 वर्षों में इस क्षेत्र में बदलाव पर प्रकाश डाला। यह बताते हुए कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, प्रधानमंत्री ने बताया कि वर्ष 2014 में देश में 80 लाख टन मछली का उत्पादन होता था, जबकि आज 170 लाख टन मछली का उत्पादन होता है। उन्होंने कहा, “केवल 10 वर्षों में मछली उत्पादन दोगुना हो गया है।” उन्होंने भारत के बढ़ते समुद्री खाद्य निर्यात के बारे में भी बताया और दस वर्ष पहले के 20 हजार करोड़ रुपये से भी कम की तुलना में आज 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक के झींगा निर्यात का उदाहरण दिया। श्री मोदी ने कहा, “झींगा निर्यात भी आज दोगुना से अधिक हो गया है”, उन्होंने इसकी सफलता का श्रेय नीली क्रांति योजना को दिया, जिसने लाखों नए रोजगार के अवसर पैदा करने में सहायता की है।

मत्स्य पालन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहन देने के सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने पीएम मत्स्य सम्पदा योजना के अंतर्गत हजारों महिलाओं की सहायता करने का उल्लेख किया। उन्होंने उन्नत प्रौद्योगिकियों और उपग्रहों के बारे में बात की और आज वेसल कम्युनिकेशन सिस्टम के शुरू होने का उल्लेख किया जो मछुआरा समुदाय के लिए एक आशीर्वाद बन जाएगा। श्री मोदी ने घोषणा की कि सरकार मछुआरों द्वारा अपने परिवारों, नाव मालिकों, मत्स्य पालन विभाग और तट रक्षकों के साथ निर्बाध संपर्क स्थापित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले जहाजों पर 1 लाख ट्रांसपोंडर स्थापित करने की योजना बना रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे मछुआरों को आपातकाल, चक्रवात या किसी भी अप्रिय घटना के समय उपग्रहों की सहायता से संवाद करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने आश्वासन दिया, “किसी भी आपात स्थिति के दौरान लोगों की जान बचाना सरकार की प्राथमिकता है।”

प्रधानमंत्री ने बताया कि मछुआरों के जहाजों की सुरक्षित वापसी के लिए 110 से अधिक मछली पकड़ने वाले बंदरगाह और लैंडिंग केंद्र बनाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कोल्ड चेन, प्रसंस्करण सुविधाओं, नावों के लिए ऋण योजनाओं और पीएम मत्स्य सम्पदा योजना का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार तटीय गांवों के विकास पर अधिक ध्यान दे रही है जबकि मछुआरों के सरकारी संगठनों को भी मजबूत किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने हमेशा पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए काम किया है और वंचितों को अवसर दिए हैं, जबकि पिछली सरकारों द्वारा बनाई गई नीतियों ने मछुआरों और आदिवासी समुदाय को हमेशा हाशिये पर रखा है, देश के इतने बड़े आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए एक भी विभाग नहीं है। श्री मोदी ने कहा, “यह हमारी सरकार है जिसने मछुआरों और आदिवासी समुदायों दोनों के लिए अलग-अलग मंत्रालय बनाए हैं। आज, उपेक्षित आदिवासी क्षेत्र पीएम जनमन योजना का लाभ उठा रहे हैं और हमारे आदिवासी और मछुआरे समुदाय हमारे देश के विकास में बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं।”

प्रधानमंत्री ने महिला नेतृत्व वाले विकास दृष्टिकोण के लिए राज्य सरकार की प्रशंसा की और कहा कि महाराष्ट्र देश के लिए महिला सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। महाराष्ट्र में कई उच्च पदों पर उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं का जिक्र करते हुए, प्रधानमंत्री ने राज्य के इतिहास में पहली बार मुख्य सचिव के रूप में राज्य प्रशासन का मार्गदर्शन कर रही सुजाता सौनिक, राज्य पुलिस बल का नेतृत्व कर रही पुलिस महानिदेशक रश्मी शुक्ला का उल्लेख किया। शोमिता बिस्वास राज्य के वन बल के प्रमुख के रूप में नेतृत्व कर रही हैं और सुवर्णा केवले राज्य के कानून विभाग के प्रमुख के रूप में दायित्व संभाल रही हैं। उन्होंने राज्य के प्रधान महालेखाकार के रूप में कार्यभार संभालने वाली जया भगत, मुंबई में सीमा शुल्क विभाग का नेतृत्व करने वाली प्राची स्वरूप और मुंबई मेट्रो के प्रबंध निदेशक के रूप में अश्विनी भिडे का भी उल्लेख किया। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महाराष्ट्र में महिलाओं का जिक्र करते हुए, प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र स्वास्थ्य विश्वविद्यालय की कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. माधुरी कानिटकर और महाराष्ट्र के कौशल विश्वविद्यालय के पहले कुलपति डॉ. अपूर्वा पालकर का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “इन महिलाओं की सफलताएँ इस बात का प्रमाण हैं कि 21वीं सदी की महिला शक्ति समाज को एक नई दिशा देने के लिए तैयार है।” श्री मोदी ने कहा कि यह महिला शक्ति विकसित भारत की सबसे बड़ी नींव है।

प्रधानमंत्री ने संबोधन का समापन करते हुए कहा कि यह सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ की मान्यता के साथ काम करती है। श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि महाराष्ट्र के लोगों के सहयोग से राज्य विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा।

महाराष्ट्र के राज्यपाल, श्री सी पी राधाकृष्णन, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, श्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री, श्री देवेन्द्र फडणवीस और श्री अजीत पवार, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री, श्री सर्बानंद सोनोवाल और केंद्रीय मत्स्य पालन, पशु पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह भी इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने वाढवण बंदरगाह की आधारशिला रखी। इस परियोजना की कुल लागत करीब 76,000 करोड़ रुपये है।. इसका उद्देश्य एक विश्व स्तरीय समुद्री प्रवेश द्वार स्थापित करना है जो बड़े कंटेनर जहाजों को आपूर्ति, गहरे ड्राफ्ट की पेशकश और बहुत-बड़े मालवाहक जहाजों को समायोजित करके देश के व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।

पालघर जिले के दहानू शहर के पास स्थित वाढवण बंदरगाह भारत के सबसे बड़े गहरे पानी के बंदरगाहों में से एक होगा और पारगमन समय और लागत को कम करते हुए अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों से सीधा संपर्क प्रदान करेगा। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे से सुसज्जित, बंदरगाह में गहरी बर्थ, कुशल कार्गो हैंडलिंग सुविधाएं और आधुनिक बंदरगाह प्रबंधन प्रणाली शामिल होंगी। बंदरगाह से रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा होने, स्थानीय व्यवसायों को प्रोत्साहित करने और क्षेत्र के समग्र आर्थिक विकास में योगदान मिलने की संभावना है। वाढवण बंदरगाह परियोजना पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और कड़े पारिस्थितिक मानकों का पालन करने पर ध्यान देने के साथ सतत विकास प्रथाओं को शामिल करती है। एक बार चालू होने के बाद, बंदरगाह भारत के समुद्री संपर्क को बढ़ाएगा और वैश्विक व्यापार केंद्र के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करेगा।

प्रधानमंत्री ने लगभग 1,560 करोड़ रुपये की 218 मत्स्य पालन परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया, जिसका उद्देश्य देश भर में क्षेत्र के बुनियादी ढांचे और उत्पादकता को बढ़ावा देना है। इन पहलों से मत्स्य पालन क्षेत्र में पांच लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है।

प्रधानमंत्री ने लगभग 360 करोड़ रुपये की लागत से नेशनल रोल आउट ऑफ वेसल कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम का शुभारंभ किया। इस परियोजना के अंतर्गत 13 तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मशीनीकृत और मोटर चालित मछली पकड़ने वाले जहाजों पर चरणबद्ध तरीके से 1 लाख ट्रांसपोंडर स्थापित किए जाएंगे। पोत संचार और सहायता प्रणाली इसरो द्वारा विकसित स्वदेशी तकनीक है, जो मछुआरों के समुद्र में रहने के दौरान दो-तरफ़ा संचार स्थापित करने में मदद करेगी और बचाव कार्यों में भी सहायता करेगी और साथ ही हमारे मछुआरों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगी।

प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन की गई अन्य पहलों में रीसर्क्युलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम और बायोफ्लॉक जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने के साथ-साथ मछली पकड़ने के बंदरगाह और एकीकृत एक्वापार्क का विकास शामिल है। मछली उत्पादन बढ़ाने, फसल कटाई के बाद प्रबंधन में सुधार और मत्स्य पालन क्षेत्र में शामिल लाखों लोगों के लिए स्थायी आजीविका बनाने के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और उच्च गुणवत्ता वाले इनपुट प्रदान करने के लिए इन परियोजनाओं को कई राज्यों में लागू किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने मछली पकड़ने के बंदरगाहों के विकास, उन्नयन और आधुनिकीकरण, मछली लैंडिंग केंद्रों और मछली बाजारों के निर्माण सहित महत्वपूर्ण मत्स्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। इससे मछली और समुद्री भोजन की कटाई के बाद प्रबंधन के लिए आवश्यक सुविधाएं और स्वच्छ स्थितियां प्रदान करने की संभावना है।

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सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) को नवरत्न का दर्जा प्राप्त हुआ

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) को वित्त मंत्रालय द्वारा 30 अगस्त, 2024 को नवरत्न का दर्ज़ा प्राप्त हुआ।

अपने गठन के 13 वर्ष पूरे करने के बाद, एसईसीआई एक अग्रणी सीपीएस  है जो भारत में अक्षय ऊर्जा क्षमता के विकास और विस्तार के लिए समर्पित है, जिसकी संचयी उत्पादन क्षमता 69.25 जीडब्ल्यू है और वार्षिक बिजली व्यापार मात्रा 42 बिलियन यूनिट से अधिक है। एसईसीआई भारत की अग्रणी अक्षय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसी (आरईआईए) है जो जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने और सतत विकास के लिए प्रयासरत है।

कंपनी ने पिछले वर्ष की तुलना में 20.85% की वृद्धि दर्ज करते हुए 13,118.68 करोड़ रुपये का समेकित वार्षिक कारोबार और वित्तीय वर्ष 2023-24 में 34.89% की वृद्धि दर्ज करते हुए 510.92 करोड़ रुपये का कर-पश्चात लाभ (पीएटी) दर्ज किया है।

नवरत्न सीपीएसई के रूप में वर्गीकरण से एसईसीआई को वित्तीय और परिचालन मामलों में स्वायत्तता बढ़ाने में मदद मिलेगी और बेहतर चपलता, बेहतर भौगोलिक उपस्थिति और प्रौद्योगिकी फोकस के माध्यम से कंपनी के विकास पथ को गति मिलेगी। यह भारत के सतत ऊर्जा की ओर संक्रमण पर सरकार के फोकस का एक और संकेत है।

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डॉ. टी.वी. सोमनाथन ने नए कैबिनेट सचिव का पदभार संभाला

डॉ. टी.वी. सोमनाथन ने आज राजीव गौबा की सेवानिवृत्ति के बाद भारत सरकार में नए कैबिनेट सचिव के रूप में पदभार संभाला। डॉ. सोमनाथन तमिलनाडु कैडर (1987 बैच) के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की है। उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एग्जीक्यूटिव डेवलपमेंट प्रोग्राम भी पूरा किया है, और वे एक योग्य चार्टर्ड अकाउंटेंट, कॉस्ट अकाउंटेंट और कंपनी सचिव हैं।

डॉ. सोमनाथन ने इससे पहले केंद्र में प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उन्होंने कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में भी कार्य किया। साथ ही उन्हें वाशिंगटन डीसी में विश्व बैंक में कॉर्पोरेट मामलों के निदेशक के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया। कैबिनेट सचिव के रूप में पदभार संभालने से पहले, वे वित्त सचिव और व्यय विभाग के सचिव का प्रभार संभाल रहे थे।

तमिलनाडु राज्य सरकार में, डॉ. सोमनाथन ने चेन्नई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, मुख्यमंत्री के सचिव और जीएसटी के क्रियान्वयन के महत्वपूर्ण चरण के दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव और वाणिज्यिक कर आयुक्त जैसे कई प्रमुख पदों पर कार्य किया। उन्होंने आयुक्त, अनुशासनात्मक कार्यवाही के रूप में भी कार्य किया। चेन्नई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के संस्थापक प्रबंध निदेशक के रूप में, वह फाइनेंशियल क्लोजर प्राप्त करने और चेन्नई मेट्रो रेल परियोजना को लागू करने के लिए प्रारंभिक निविदाएं प्रदान करने के लिए उत्तरदायी थे। 

डॉ. सोमनाथन 1996 में वाशिंगटन में यंग प्रोफेशनल्स प्रोग्राम के माध्यम से पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्रीय उपाध्यक्ष के रूप में वित्तीय अर्थशास्त्री के रूप में विश्व बैंक में शामिल हुए थे। जब ​​उन्हें बजट नीति समूह का प्रबंधक नियुक्त किया गया था, तब वह बैंक के सबसे कम उम्र के सेक्टर प्रबंधकों में से एक बन गए। उन्होंने 2011 से 2015 तक विश्व बैंक में निदेशक के रूप में कार्य किया।

डॉ. सोमनाथन के अर्थशास्त्र, वित्त एवं सार्वजनिक नीति पर पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में 80 से अधिक शोधपत्र और लेख प्रकाशित हुए हैं, तथा मैकग्रॉ हिल, कैम्ब्रिज/ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित तीन पुस्तकों के लेखक हैं।

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जुलाई 2024 तक भारत सरकार के खातों की मासिक समीक्षा

जुलाई 2024 तक भारत सरकार के मासिक खातों को समेकित करके रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। इसके मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

भारत सरकार को जुलाई, 2024 तक 10,23,406 करोड़ रुपये (कुल प्राप्तियों के संगत बजट अनुमान 2024-25 का 31.9 प्रतिशत) प्राप्त हुए हैं। इसमें से 7,15,224 करोड़ रुपये कर राजस्व (केंद्र को निवल राजस्व), 3,01,796 करोड़ रुपये गैर-कर राजस्व और 6,386 करोड़ गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों के रूप में हासिल हुए हैं। इस अवधि तक करों के हिस्से के हस्तांतरण के रूप में भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों को 3,66,630 करोड़ रुपये अंतरित किए गए हैं, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 57,109 करोड़ रुपये अधिक हैं।

भारत सरकार द्वारा कुल 13,00,351 करोड़ रुपये (संबंधित बजट अनुमान 2024-25 का 27.0 प्रतिशत) का व्यय किया गया है, जिसमें से 10,39,091 करोड़ रुपये राजस्व खाते और 2,61,260 करोड़ रुपये पूंजी खाते में खर्च हुए। कुल राजस्व व्यय में से 3,27,887 करोड़ रुपये ब्याज भुगतान के लिए और 1,25,639 करोड़ रुपये प्रमुख सब्सिडियों के लिए खर्च किए गए।

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9 फॉर्मों को मिलाकर एकल फॉर्म बनाया गया: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए नया एकल एकीकृत पेंशन फॉर्म जारी किया”

पूरे देश में वरिष्ठ नागरिकों और पेंशनभोगियों के जीवन को आसान बनाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नौ अलग-अलग प्रपत्रों (फॉर्म) को मिलाकर एक एकीकृत फॉर्म शुरू करने की घोषणा की। यह पहल वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता को दिखाती है, जिससे वे अपने बहुमूल्य समय की बचत करते हुए अपनी ऊर्जा और विशेषज्ञता को संरक्षित करके “विकसित भारत” की सोच में प्रभावी रूप से अपना योगदान करने में सक्षम हो सकेंगे।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image00208E8.jpg
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग व अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री ने डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस सुधार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “एकल सरलीकृत पेंशन आवेदन फॉर्म और ई-एचआरएमएस के साथ भविष्य का डिजिटल एकीकरण‘ की शुरुआत पेंशन विभाग की एक और उपलब्धि है, जिसने हमारे वरिष्ठ नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए लगातार सुधार प्रस्तुत किए हैं। यह कदम केवल सुविधा के बारे में नहीं है, बल्कि यह हमारे बुजुर्गों के समय व अनुभव का सम्मान करने और यह सुनिश्चित करने के संबंध में है कि वे सम्मानजनक, कठिनाई मुक्त जीवन जी सकें।”

कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री श्री मोदी की प्राथमिकता को साकार करने और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण को लेकर दोनों विभागों को इन संयुक्त प्रयासों के लिए बधाई दी। पेंशन विभाग पिछले कुछ वर्षों में कई ऐतिहासिक सुधार लागू करने में अग्रणी रहा है। इनमें डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र, पेंशन अदालतें, अनुभव पुरस्कार और सेवानिवृत्ति पूर्व परामर्श कार्यशालाएं शामिल हैं। ये पहल पूरे देश में पेंशनभोगियों के लिए पारदर्शिता, दक्षता और सुगम अनुभव सुनिश्चित करने में सहायक रही हैं। मंत्री ने पारिवारिक पेंशन शिकायतों के लिए विशेष अभियान का उल्लेख किया। उन्होंने आगे बताया कि इसने 96 प्रतिशत निवारण दर का आंकड़ा पार कर लिया है, जिसमें आश्रित नाबालिग बच्चों, दिव्यांग बेटियों, विधवा/तलाकशुदा बेटियों, आश्रित माताओं और योद्धाओं की विधवाओं के लंबे समय से लंबित कई मामलों का समाधान शामिल है।

मंत्री ने विवरणों की व्याख्या की। उन्होंने कहा, “सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी, जो ई-एचआरएमएस पर हैं, वे ई-एचआरएमएस के माध्यम से प्रपत्र 6-ए भरेंगे (केवल पेंशन मामले) और सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी, जो ई-एचआरएमएस पर नहीं हैं, वे भविष्य पर प्रपत्र 6-ए भरेंगे। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि पेंशनभोगी की ओर से एकल ई-साइन (आधार आधारित ओटीपी) के साथ प्रपत्र जमा करना पर्याप्त होगा।

डॉ. सिंह के अनुसार इस नए एकीकृत फॉर्म को पेंशनभोगियों के लिए प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है, जिससे विभिन्न फॉर्मों को संभालने की जटिलता कम होगी और जरूरी समय और प्रयास में भी काफी कमी आएगी। इस उपयोगकर्ता-अनुकूल दृष्टिकोण से लाखों वरिष्ठ नागरिकों को लाभ प्राप्त होने की आशा है, जिससे वे अपने पेंशन संबंधी मामलों को अधिक आसानी और सुविधा के साथ प्रबंधित कर सकेंगे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “सरकार वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त बनाने और राष्ट्र के विकास के लिए उनके ज्ञान व अनुभव का उपयोग करने के अपने दृष्टिकोण को लेकर प्रतिबद्ध है। यह नई पहल हमारी बुजुर्ग आबादी के जीवन को सीधे प्रभावित करने वाली प्रणालियों को सुगम और बेहतर बनाने के निरंतर प्रयासों का प्रमाण है।” चूंकि, सरकार इस तरह के सुधारों को निरंतर लागू कर रही है, डॉ. सिंह ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई कि बुजुर्ग लोग सम्मान व मानसिक शांति के साथ अपने स्वर्णिम वर्षों का आनंद ले सकें और “विकसित भारत” के विकास में भी अपना योगदान कर सकें।

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प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस पैरालिंपिक में आर2 महिला 10 मीटर एयर राइफल एसएच1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने पर अवनि लेखरा को बधाई दी

प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस पैरालिंपिक 2024 में आर2 महिला 10 मीटर एयर राइफल एसएच1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने पर भारतीय निशानेबाज अवनि लेखरा को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अवनि लेखरा ने भी इतिहास रच दिया है, क्योंकि वह तीन पैरालिंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट हैं।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया;

“भारत ने #पैरालिंपिक 2024 में अपना पदक खाता खोला!

आर2 महिला 10एम एयर राइफल एसएच1 स्पर्धा में प्रतिष्ठित स्वर्ण जीतने के लिए @अवनीलेखरा को बधाई। उन्होंने इतिहास भी रचा है क्योंकि वह 3 पैरालिंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट हैं! उनका समर्पण भारत को गौरवान्वित करता है

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