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शिक्षा व्यवस्था रोजगार के अवसरों से भरपूर होनी चाहिए ~ श्रीलेखा मिश्रा

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर किदवई नगर स्थित सोशल रिसर्च फाउंडेशन कानपुर में आज दिनांक 27 अप्रैल, 2025 को बहुत ही समसामयिक विषय “रोजगारपरक शिक्षण व्यवस्था : आवश्यकता एवं चुनौतियाँ” पर एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपने विशिष्ट योगदान के लिए दिल्ली, पंजाब राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के लखनऊ, उन्नाव, प्रयागराज, कानपुर आदि से आए लगभग 15 विद्वतजनों को सम्मानित भी किया गया।
संगोष्ठी का उद्घाटन अमेरिका से आई “Ohio University, USA की रिसर्च साइन्टिस्ट डॉ श्रीलेखा मिश्रा, हमीरपुर जिला कारागार के अधीक्षक श्री मँजीव विश्वकर्मा, कानपुर परिक्षेत्र के उच्च शिक्षा अधिकारी प्रो मुरलीधर राम गुप्ता, प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित के. ए. दुबे “पद्दमेश” जी के कर कमलों से हुआ। मुख्य अतिथि श्री लेखा मिश्रा जी ने रोजगारपरक शिक्षण व्यवस्था के क्षेत्र में किए जाने वाले प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि एक ओर जहा शिक्षा व्यवस्था रोजगार के अवसरों से भरपूर होनी चाहिए वही रोजगार पाने वाले मे भी कार्य करने की ईमानदार चाहत होनी चाहिए। उच्च शिक्षा के विकास के प्रति प्रतिबद्ध हैं– नई शिक्षा नीति ऐसे प्रयासों का प्रमाण है। हमारे प्रयासों से शीघ्र ही सकारात्मक परिणाम आने लगेंगे।
सोशल रिसर्च फाउंडेशन की उपाध्यक्ष, महिला महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या डॉ० आशा त्रिपाठी ने सभी सम्मानित अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और उच्च शिक्षा में व्याप्त प्रदूषण की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यह एक चिंतनीय यक्ष प्रश्न है जिसका उत्तर हमें खोजना होगा।
संस्था के संस्थापक सचिव राजीव मिश्रा ने संस्था की 15 वर्षों की गौरवमयी यात्रा का विस्तृत परिचय दिया और बताया कि संस्थान के साथ जुड़कर इस देश के लाखों शिक्षक गण लाभान्वित हो रहे हैं। संस्थान के 6 रिसर्च जर्नल विश्व के 25000 जनरल्स के मध्य स्थान रखते हैं जो कानपुर के लिए भी एक गौरवपूर्ण बात है।
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी प्रो0 मुरलीधर राम गुप्ता जी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर गहन प्रकाश डालते हुए कहा कि इस नीति का उद्देश्य शिक्षा को और ज्यादा समावेशी, प्रभावी, रोजगारपरक और बेहतर बनाना है। यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है। इस नीति का उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना है। उन्होंने शिक्षकों से सकारात्मक सहयोग का आवाहन भी किया।
हमीरपुर जिला कारागार के अधीक्षक श्री मँजीव विश्वकर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति ऐसी शिक्षा प्रणाली की आधारशिला है जो विज्ञान के साथ-साथ ज्ञान से भी परिपूर्ण है, परंतु सोशल मीडिया के बढ़ते दुष्प्रभाव और नैतिकता के ह्रास के चलते अब व्यक्ति कड़े परिश्रम के बजाय शॉर्टकट अपनाता है और कभी भी बेईमानी करके कोई अच्छे रोजगार का अवसर नहीं प्राप्त कर सकता है । अतः इस शैक्षिक व्यवस्था मे कही न कही नैतिक शिक्षा का भी प्राविधान होना चाहिए।
जाने माने ज्योतिषाचार्य पंडित के ए दुबे ‘पद्मेश’ जी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में नई शिक्षा नीति का भविष्य उज्जवल बताते हुए सरकार द्वारा जमीनी स्तर पर भी काम करने की आवश्यकता पर बल दिया .
तकनीकी सभा में शोध पत्र प्रस्तुत किए गए जिनमें उच्च शिक्षा की दशा और संभावनाओं पर अपने विचार व्यक्त किए। यह संगोष्ठी “रोजगारपरक शिक्षण व्यवस्था : आवश्यकता एवं चुनौतियाँ” के संदर्भ में एक मील का पत्थर साबित हुई।
सोशल रिसर्च फाउंडेशन के संरक्षक और डीबीएस कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ० शिव कुमार दीक्षित द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ गोष्ठी का समापन हुआ।
गोष्ठी का कुशल संचालन संस्था के संस्थापक सचिव राजीव मिश्रा द्वारा किया गया। इस सेमिनार का संयोजन संस्थान की जनरल मैनेजर और जर्नल्स की उपसंपादक कुमारी भावना निगम द्वारा किया गया।
संगोष्ठी में संस्थान की कोषाध्यक्ष दीप्ति मिश्रा, यशस्वी मिश्रा, तेजस्वी मिश्रा, प्रदेश अध्यक्ष प्रोफेसर अर्चना दीक्षित, दिलीप कुमार मिश्रा, डॉ प्रदीप अवस्थी, अमन निगम, रचना गुप्ता, डॉ पी एन शर्मा, कार्तिकेय अवस्थी, शुभम तिवारी, कृष्ण गोपाल तिवारी,  प्रकाश शुक्ला,  राम द्विवेदी सहित सैकड़ो लोग उपस्थित रहें।

सम्पादक, मुद्रक, प्रकाशक

अतुल दीक्षित

द्वारा कानपुर उत्तराखंड एवं महाराष्ट्र से प्रकाशित