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पद्म पुरस्‍कार-2025 के लिए नामांकन शुरू

गणतंत्र दिवस, 2025 के अवसर पर घोषित किए जाने वाले पद्म पुरस्‍कार-2025 के लिए ऑनलाइन नामांकन/सिफारिशें आज से शुरू हो गया है। पद्म पुरस्‍कारों के नामांकन की अंतिम तारीख 15 सितंबर, 2024 है। पद्म पुरस्‍कारों के लिए नामांकन/सिफारिशें राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार पोर्टल https://awards.gov.in पर ऑनलाइन प्राप्‍त की जाएंगी।

पद्म पुरस्‍कार, अर्थात पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री देश के सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मानों में शामिल हैं। वर्ष 1954 में स्‍थापित, इन पुरस्‍कारों की घोषणा प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। इन पुरस्‍कारों के अंतर्गत ‘उत्‍कृष्‍ट कार्य’ के लिए सम्‍मानित किया जाता है। पद्म पुरस्‍कार कला, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा, विज्ञान एवं इंजीनियरी, लोक कार्य, सिविल सेवा, व्यापार एवं उद्योग आदि जैसे सभी क्षेत्रों/विषयों में विशिष्‍ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवा के लिए प्रदान किए जाते हैं। जाति, व्यवसाय, पद या लिंग के भेदभाव के बिना सभी व्यक्ति इन पुरस्कारों के लिए पात्र हैं। चिकित्‍सकों और वैज्ञानिकों को छोड़कर अन्‍य सरकारी सेवक, जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में काम करने वाले सरकारी सेवक भी शामिल है, पद्म पुरस्‍कारों के पात्र नहीं हैं।

सरकार पद्म पुरस्‍कारों को “पीपल्स पद्म” बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। अत:, सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे नामांकन/सिफारिशें करें। नागरिक स्‍वयं को भी नामित कर सकते हैं। महिलाओं, समाज के कमजोर वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों, दिव्यांग व्यक्तियों और समाज के लिए निस्वार्थ सेवा कर रहे लोगों में से ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्तियों की पहचान करने के ठोस प्रयास किए जा सकते हैं जिनकी उत्कृष्टता और उपलब्धियां वास्तव में पहचाने जाने योग्य हैं।

नामांकन/सिफारिशों में पोर्टल पर उपलब्ध प्रारूप में निर्दिष्ट सभी प्रासंगिक विवरण शामिल होने चाहिए, जिसमें वर्णनात्मक रूप में एक उद्धरण (citation) (अधिकतम 800 शब्द) शामिल होना चाहिए, जिसमें अनुशंसित व्यक्ति की संबंधित क्षेत्र/अनुशासन में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवा का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया हो।

इस संबंध में विस्‍तृत विवरण गृह मंत्रालय की वेबसाइट (https://mha.gov.in) पर ‘पुरस्‍कार और पदक’ शीर्षक के अंतर्गत और पद्म पुरस्‍कार पोर्टल (https://padmaawards.gov.in) पर उपलब्‍ध हैं। इन पुरस्‍कारों से संबंधित संविधि (statutes) और नियम वेबसाइट पर https://padmaawards.gov.in/AboutAwards.aspx लिंक पर उपलब्‍ध हैं।

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अप्रैल 2024 में अब तक का सबसे अधिक जीएसटी राजस्व संग्रह 2.10 लाख करोड़ रुपये

अप्रैल 2024 में सकल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 2.10 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। यह वर्ष-दर-वर्ष के आधार पर 12.4 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है, जो घरेलू लेन-देन (13.4 प्रतिशत की वृद्धि) और आयात (8.3 प्रतिशत की वृद्धि) में मजबूत वृद्धि से संभव हुआ है। रिफंड के बाद, अप्रैल 2024 के लिए शुद्ध जीएसटी राजस्व 1.92 लाख करोड़ रुपये है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 15.5 प्रतिशत की शानदार वृद्धि को दर्शाता है।

सभी घटकों में सकारात्मक प्रदर्शन:

अप्रैल 2024 के संग्रह का विवरण:  

  • केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी): 43,846 करोड़ रुपये;
  • राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी): 53,538 करोड़ रुपये;
  • एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी): 99,623 करोड़ रुपये, जिसमें आयातित वस्तुओं पर एकत्र 37,826 करोड़ रुपये भी शामिल है;
  • उपकरः 13,260 करोड़ रुपये, जिसमें आयातित वस्तुओं पर एकत्र किए गए 1,008 करोड़ शामिल हैं।

अंतर-सरकारी निपटानः अप्रैल, 2024 में केंद्र सरकार ने संग्रहित आईजीएसटी से सीजीएसटी को  50,307 करोड़ रुपये और एसजीएसटी को 41,600 करोड़ रुपये का निपटान किया। इसका मतलब है कि नियमित निपटान के बाद अप्रैल, 2024 में सीजीएसटी के लिए 94,153 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 95,138 करोड़ रुपये का कुल राजस्व प्राप्त होगा।

नीचे दिया गया चार्ट चालू वर्ष के दौरान मासिक सकल जीएसटी राजस्व में रुझान को दर्शाता है। तालिका-1 अप्रैल 2023 की तुलना में अप्रैल 2024 के दौरान प्रत्येक राज्य में एकत्र किए गए जीएसटी के राज्यवार आंकड़े दर्शाती है। तालिका-2 अप्रैल 2024 में प्रत्येक राज्य के निपटान के बाद जीएसटी राजस्व के राज्यवार आंकड़े दर्शाती है।

चार्ट: जीएसटी संग्रह में रुझान

 

 

तालिका 1अप्रैल, 2024 के दौरान जीएसटी राजस्व में राज्यवार वृद्धि[1]

राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अप्रैल-23 अप्रैल-24 वृद्धि (%)
जम्मू और कश्मीर 803 789 -2%
हिमाचल प्रदेश 957 1,015 6%
पंजाब 2,316 2,796 21%
चंडीगढ़ 255 313 23%
उत्तराखंड 2,148 2,239 4%
हरियाणा 10,035 12,168 21%
दिल्ली 6,320 7,772 23%
राजस्थान 4,785 5,558 16%
उत्तर प्रदेश 10,320 12,290 19%
बिहार 1,625 1,992 23%
सिक्किम 426 403 -5%
अरुणाचल प्रदेश 238 200 -16%
नगालैंड 88 86 -3%
मणिपुर 91 104 15%
मिजोरम 71 108 52%
त्रिपुरा 133 161 20%
मेघालय 239 234 -2%
असम   1,513 1,895 25%
पश्चिम बंगाल 6,447 7,293 13%
झारखंड 3,701 3,829 3%
ओडिशा 5,036 5,902 17%
छत्तीसगढ़ 3,508 4,001 14%
मध्य प्रदेश 4,267 4,728 11%
गुजरात 11,721 13,301 13%
दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव 399 447 12%
महाराष्ट्र 33,196 37,671 13%
कर्नाटक 14,593 15,978 9%
गोवा 620 765 23%
लक्षद्वीप 3 1 -57%
केरल 3,010 3,272 9%
तमिलनाडु 11,559 12,210 6%
पुडुचेरी 218 247 13%
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह 92 65 -30%
तेलंगाना 5,622 6,236 11%
आंध्र प्रदेश 4,329 4,850 12%
लद्दाख 68 70 3%
 अन्य क्षेत्र 220 225 2%
केन्द्रीय क्षेत्राधिकार 187 221 18%
कुल योग 1,51,162 1,71,433 13%

 

तालिका-2: आईजीएसटी का एसजीएसटी और एसजीएसटी हिस्सा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को दिया गया अप्रैल (करोड़ रुपये में)

  निपटान-पूर्व एसजीएसटी निपटान-पश्चात एसजीएसटी[2]
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अप्रैल-23 अप्रैल -24 वृद्धि अप्रैल -23 अप्रैल -24 वृद्धि
जम्मू और कश्मीर 394 362 -8% 918 953 4%
हिमाचल प्रदेश 301 303 1% 622 666 7%
पंजाब 860 999 16% 2,090 2,216 6%
चंडीगढ़ 63 75 20% 214 227 6%
उत्तराखंड 554 636 15% 856 917 7%
हरियाणा 1,871 2,172 16% 3,442 3,865 12%
दिल्ली 1,638 2,027 24% 3,313 4,093 24%
राजस्थान 1,741 1,889 9% 3,896 3,967 2%
उत्तर प्रदेश 3,476 4,121 19% 7,616 8,494 12%
बिहार 796 951 19% 2,345 2,688 15%
सिक्किम 110 69 -37% 170 149 -12%
अरुणाचल प्रदेश 122 101 -17% 252 234 -7%
नगालैंड 36 41 14% 107 111 4%
मणिपुर 50 53 6% 164 133 -19%
मिजोरम 41 59 46% 108 132 22%
त्रिपुरा 70 80 14% 164 198 21%
मेघालय 69 76 9% 162 190 17%
असम 608 735 21% 1,421 1,570 10%
पश्चिम बंगाल 2,416 2,640 9% 3,987 4,434 11%
झारखंड 952 934 -2% 1,202 1,386 15%
ओडिशा 1,660 2,082 25% 2,359 2,996 27%
छत्तीसगढ़ 880 929 6% 1,372 1,491 9%
मध्य प्रदेश 1,287 1,520 18% 2,865 3,713 30%
 गुजरात 4,065 4,538 12% 6,499 7,077 9%
दादरा और नगर हवेली एवं  दमन और दीव 62 75 22% 122 102 -16%
महाराष्ट्र 10,392 11,729 13% 15,298 16,959 11%
कर्नाटक 4,298 4,715 10% 7,391 8,077 9%
गोवा 237 283 19% 401 445 11%
लक्षद्वीप 1 0 -79% 18 5 -73%
केरल 1,366 1,456 7% 2,986 3,050 2%
तमिलनाडु 3,682 4,066 10% 5,878 6,660 13%
पुडुचेरी 42 54 28% 108 129 19%
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह 46 32 -32% 78 88 13%
तेलंगाना 1,823 2,063 13% 3,714 4,036 9%
आंध्र प्रदेश 1,348 1,621 20% 3,093 3,552 15%
लद्दाख 34 36 7% 55 61 12%
अन्य क्षेत्र 22 16 -26% 86 77 -10%
कुल योग 47,412 53,538 13% 85,371 95,138 11%

[1] इसमें वस्तु के आयात पर जीएसटी शामिल नहीं है

[2] निपटान के बाद का जीएसटी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के जीएसटी राजस्व और आईजीएसटी के एसजीएसटी हिस्से का संचयी हिस्सा है जो राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को दिया जाता है

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एयर मार्शल नागेश कपूर ने प्रशिक्षण कमान में एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (एओसी-इन-सी) का पदभार ग्रहण किया

एयर मार्शल नागेश कपूर ने 01 मई, 2024 को प्रशिक्षण कमान (टीसी) में एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (एओसी-इन-सी) का पदभार ग्रहण किया।

एयर मार्शल एन कपूर को 6 दिसंबर, 1986 को भारतीय वायु सेना की फाइटर स्ट्रीम में अपनी सेवा की शुरुआत की थी। वे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज और नेशनल डिफेंस कॉलेज के पूर्व छात्र हैं। उनके पास एक योग्य फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और फाइटर कॉम्बैट लीडर के रूप में 3400 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव है।

एयर मार्शल ने अपने शानदार करियर के दौरान कई फील्ड और स्टाफ पदों पर काम किया है। उन्होंने परिचालन कार्यकाल के दौरान केंद्रीय क्षेत्र में एक लड़ाकू स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर, पश्चिमी क्षेत्र में एक फ्लाइंग बेस के स्टेशन कमांडर और एक प्रमुख एयर बेस के एयर ऑफिसर कमांडिंग पद की जिम्मेदारियों को संभाला है। इसके अलावा उन्होंने वायु सेना अकादमी में मुख्य प्रशिक्षक (उड़ान) और प्रतिष्ठित डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज- वेलिंगटन में निर्देशन स्टाफ के रूप में अपना निर्देशात्मक कार्यकाल पूरा किया है। एयर मार्शल नागेश कपूर ने वायु सेना अकादमी में अपने कार्यकाल के दौरान भारतीय वायु सेना में पीसी-7 एमके आईएल विमान को शामिल करने और परिचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने डिफेंस अटैची, पाकिस्तान के रूप में एक राजनयिक कार्यभार को भी संभाला है। उनकी स्टाफ नियुक्तियों में वायु सेना मुख्यालय में सहायक वायु सेना परिचालन (रणनीति), दक्षिण पश्चिमी वायु कमान में एयर डिफेंस कमांडर और केंद्रीय वायु कमान मुख्यालय में सीनियर एयर स्टाफ ऑफिसर शामिल हैं। उन्होंने मौजूदा पदभार को संभालने से पहले वायु सेना मुख्यालय में एयर ऑफिसर-इन-चार्ज पर्सनेल (कार्मिक) के रूप में कार्य किया है।

एयर मार्शल नागेश कपूर उनकी सराहनीय सेवा के लिए साल 2008 में वायु सेना पदक और 2022 में अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया था।

 

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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने सुपरसोनिक मिसाइल-असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो प्रणाली का ओडिशा तट से सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया

सुपरसोनिक मिसाइल-असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो (स्मार्ट) प्रणाली का 01 मई, 2024 को सुबह लगभग साढ़े आठ बजे सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया। यह पूरी प्रक्रिया ओडिशा के समुद्री तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से संपादित की गई। “स्मार्ट” नई पीढ़ी की मिसाइल-आधारित कम भार वाली एक आयुध प्रणाली है, जिसमें एक हल्का टॉरपीडो लगाया जाता है और इस टॉरपीडो का इस्तेमाल पेलोड की तरह होता है। इसे भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता को सामान्य टॉरपीडो की पारंपरिक सीमा से कहीं अधिक बढ़ाने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा तैयार तथा विकसित किया गया है।

इस कनस्तर-आधारित मिसाइल प्रणाली में कई उन्नत उप-प्रणालियां समायोजित की गई हैं, जिनमें दो-चरण वाली ठोस प्रपल्शन प्रणाली, इलेक्ट्रोमैकेनिकल एक्चुएटर प्रणाली, सटीकता के साथ इनर्शियल नेविगेशन प्रणाली शामिल हैं। सुपरसोनिक मिसाइल-असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो पैराशूट-आधारित रिलीज सुविधा के साथ पेलोड के रूप में उन्नत हल्के भार वाले टारपीडो को ले जाती है।

इस मिसाइल को ग्राउंड मोबाइल लॉन्चर से प्रक्षेपित किया गया था। इस परीक्षण में संतुलित पृथक्करण, निष्कासन और वेग नियंत्रण जैसे कई अत्याधुनिक सुविधाओं को परखा गया है।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सुपरसोनिक मिसाइल-असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो प्रणाली के सफल उड़ान-परीक्षण पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और रक्षा उद्योग जगत के अन्य भागीदारों को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि इस प्रणाली के विकास से हमारी नौसेना की घातकता में और भी वृद्धि हुई है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने स्मार्ट की पूरी टीम के सहयोगात्मक प्रयासों की सराहना की और उनसे उत्कृष्टता के पथ पर आगे बढ़ने का आग्रह किया।

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किटी पार्टी

बालकनी में दाल सूखने के लिए रखी हुई थी। शाम होने को आई सोचा उठा लूं, बहू को आने में पता नहीं अभी और कितना वक्त लगेगा? छत पर पहुंची ही थी कि पड़ोसन सीमा ने आवाज दी, “अरे सविता भाभी आजकल दिखाई नहीं देती? तबीयत तो ठीक है ना?”

सविता:- “अब क्या बताऊं बहन बहू लाकर भी सुख नसीब में नहीं है।”
सीमा:- “क्यों क्या हो गया भाभी?”
सविता:- “उसे अपने सजने संवरने और घूमने – फिरने से ही फुर्सत नहीं मिलती। बेटे के सामने तो भली बनी रहती है और कामकाज का तो पूछो ही मत! मनमर्जी है बस।”
सीमा:- “आजकल ऐसा ही जमाना है भाभी। किसी को क्या कह सकते हैं। मुंह बंद रखने में ही भलाई है।”
सविता:-  “हां सो तो है। चलो जाती हूं अपनी चाय तो बना लूं मैं! दूसरों को भरोसे कब तक बैठी रहूंगी।”
सीमा:- “हां भाभी।”
शाम के 7:00 बज गए थे और लीना अभी तक नहीं आई थी। 7:20 को लीना ने घर में कदम रखा।
सविता:- “अरे लीना आज तो बहुत देर हो गई? कहां रह गई थी?”
लीना:- “अरे! मम्मी जी वो बस विम्मी के यहां से निकलने में जरा देर हो गई थी और आज ट्रैफिक भी बहुत था। मैं आपके लिए चाय बना देती हूं।”
सविता:- नहीं, रहने दो। मैंने पी ली है। तुम तो खाना खाकर आई होगी ना।”
लीना:- “जी मम्मी! आप सबके लिए आलू के पराठे और रायता बनाने वाली हूं।”
सविता:- “ठीक है एक घंटा तो लग ही जाएगा? कुछ काम हो तो बोल देना।”
लीना:- “जी।”
लीना जल्दी-जल्दी कपड़े चेंज करके किचन में आ गई । दोपहर में ही आलू उबालकर मसाला बनाकर रख दिया था और आटा गूंथकर फ्रिज में रख दिया था, रायता भी दोपहर को ही रेडी करके रख दिया था तो इस समय मुझे बड़ी शांति थी, एकदम से दौड़भाग नहीं करनी पड़ी।
लीना:- “मम्मी जी! खाना तैयार हो गया है पापा जी को भी बोल दीजिए। आप दोनों ही खाने के लिए बैठें।”
सविता:-  “इतनी जल्दी तैयार हो गया!”
लीना:-  “वो मैंने दोपहर को ही तैयारी कर ली थी इसलिए फटाफट रेडी हो गया।”
सविता:- “हमारे जमाने में यह किटी विटी नहीं होती थी। महीने में तीन चार बार तो बाहर ही खाती हो और यह क्या अलग-अलग से कपड़े पहनती रहती हो? ढंग के कपड़े पहना करो।”
(लीना हंसते हुए) “मम्मी किटी में थीम रखी जाती है तो उसी हिसाब से सबको वैसे ही कपड़े पहनने होते हैं।”
सविता:- “सब एक जैसे बंदर बन जाते हैं क्या? और वो हंसने लगती है।
लीना:- “बंदर तो नहीं लेकिन जंगल में मंगल मनाने का आनंद आता है” और बिना कुछ कहे किचन में चली जाती है।
लीना काम करते-करते मन ही मन कुढ़ते रहती है। इनको मेरा खुश रहना भी अच्छा नहीं लगता। दोस्तों के साथ कुछ समय गुजार लेती हूं तो कुछ समय घर और टेंशन दोनों से दूर हो जाती हूं लेकिन इन्हें नहीं सुहाता। बस घर में पड़े रहो काम करो और बातें सुनो इनकी। तभी डोरबेल बजती है और वो दरवाजा खोलती है तो सामने विकी खड़ा था। विकी के अंदर आते ही लीना दरवाजा बंद करके पूछती है कि, “आइसक्रीम लाने के लिए कहा था आप लेकर नहीं आए?”
विकी:- (कपड़े बदलते हुए) अभी खाना खाकर जब वॉक पर चलेंगे तो लेते आएंगे।”
लीना:- “ठीक है”।
विकी:- “कैसी रही तुम्हारी किटी?”
लीना:- “अच्छी रही! बहुत मजा आया, खाना भी अच्छा था। पता है मैं दो बार जीती में गेम में!”
विक्की मुस्कुरा देता है और कहता है, “अब तुम तो खाना खा चुकी हो, अब इस भूखे को भी जल्दी से खाना खिला दो।”
(लीना हंसते हुए) “हां भई हां ! चलो तैयार है खाना।”
खाना खाकर दोनों वाक पर चले जाते हैं।
सविता:- “लो! अब फिर से चली गई? यह नहीं कि मेरी दवाई और कमरे में पानी रख कर जाती?” सविता का पति:- अरे भाग्यवान! एक दिन कुछ काम तुम भी कर लिया करो क्यों उसके पीछे पड़ी रहती हो? रोज तो वही करती है।”
सविता:- “आप तो चुप ही रहो! जब देखो उसका पक्ष लेते रहते हैं। पतिदेव ने मोबाइल में सर झुका लिया।
वापस आते हुए विकी और लीना आइसक्रीम लेते हुए आए।
लीना:- “मम्मी जी! आइसक्रीम!”
सविता:- “फ्रिज में रख दो… अभी खाऊंगी तो रात में खांसी आएगी। कल दोपहर में खा लूंगी तेरे पापा को दे दो जाकर, मेरी दवाई और पानी कमरे में रखती जाओ।
लीना:- “जी!”
सुबह लीना घर के सभी काम जल्दी-जल्दी निपटाती जा रही थी। उसे मार्केट जाना था।
लीना:- “मम्मी जी! फ्रूट और टेलर के अलावा मीना आंटी के यहां से क्या लाना है आपके लिए और फ्रूट में क्या लेती आऊं?”
सविता:- “मीना मसाले देने वाली थी और कुछ मुखवास मंगवाई थी वो लेती आना और सुन टेलर को डांटना! बोलना कि आजकल सिलाई बराबर नहीं कर रहा और महंगा भी बहुत कर दिया है और फ्रूट कुछ भी ले आओ लेकिन तुम्हारे पापा जी के लिए सेब और केला जरूर लेती आना।”
लीना:- “जी।”
बाजार के काम निपटाते-निपटाते लीना को शाम के 5:00 बज गए।
सविता:- ” जाने कहां रह गई यह? बाहर जाती है तो पंख लग जाते हैं। जरा से काम के लिए पूरा दिन लगा दिया।” तभी लीना घर में आती है।
सविता:- “अरे ! बहुत देर लगा दी कहां रह गई थी?
लीना:- “कहीं नहीं, बस मीना आंटी और टेलर के पास ही देर हो गई। मेरा भी काम था बाजार में तो लेट हो गया।”
सविता:- “चाय बना दूं?”
लीना:- “ओह! नहीं मैं बनाती हूं सबके लिए।”
(लीना के ससुर):- “अरे सविता! तू ही चाय बना लेती। वह अभी तो आई है बाहर से थक कर।”
सविता:- “बोला तो था मैंने पर वह खुद बनाने चली गई।”
(लीना के ससुर):- “गलत बात है, लीना के आने के बाद से तुम बहुत आलसी हो गई हो।”
सविता:-  “हां सारी बुराई मुझमें में ही है।” ससुर उठ कर बाहर चले जाते हैं।
कुछ दिन बाद लीना का अपनी सहेलियों के साथ गेट टूगेदर का प्रोग्राम बनता है।
लीना:- “मम्मी जी! मैं अपनी सहेलियों के पास जा रही हूं। शाम के खाने की तैयारी कर दी है, आकर फुलके के उतार दूंगी।”
सविता:- “अरे कितनी किटी होती है तुम्हारी महीने में? अभी कुछ दिन पहले ही तो गई थी।”
लीना:- “जी! दो हैं। कभी-कभी दोनों की तारीख आसपास आ जाती है।” लीना कमरे में चली आती है। उसका मूड खराब हो गया था।
शाम को लीना ने हल्के नीले रंग की साड़ी पहनी और उससे मैचिंग ज्वैलरी पहन कर तैयार हो गई। बालों में जूड़ा बनाया और एक गुलाब का फूल लगाकर खुद को कांच में देखने लगी और मन ही मन खुद से कहने लगी, आज का बेस्ट ड्रेसिंग प्राइज मैं ही जीतूंगी। उसने घड़ी देखा और पर्स लेकर बाहर निकली।
लीना:- “मम्मी जी! मैं जा रही हूं 7:00 बजे तक आ जाऊंगी।”
सविता:- “अरे इतना तैयार होकर जाना पड़ता है क्या तुम्हारी किटी में?”
(लीना हंसते हुये) “मम्मी जी थीम के हिसाब से कपड़े पहने होते हैं। आज के नीले रंग की साड़ी पहननी है और जो सबसे अच्छा तैयार होगा उसे प्राइज मिलेगा।”
सविता:- “जाने क्या-क्या करते हो तुम लोग? हमारे जमाने में तो यह सब था नहीं तो हम क्या जाने? ठीक है जाओ।”
लीना सहेलियों के बीच पहुंचती है। सभी एक दूसरे से बहुत गर्मजोशी से मिलती है।
एक सहेली लीना से:- “क्यों लेट हो गया तुझे?”
लीना:- “घर है और घर पर सास है, मोगैंबो को खुश करके ही घर से निकल सकती हूं।” सब जोर से हंसने लगती है।
दूसरी सहेली:- “हां यार यह किटी ना हो तो लाइफ बोरिंग हो जाए यही कुछ समय होता है हमारे पास जब हम घर भूल जाते हैं और मजे करते हैं और फिर एक नई एनर्जी के साथ वापस घर जाते हैं।” सभी भावुक हो कर सहमति का भाव जताती हैं। अपनी बातचीत, गेम, फोटो शोटो लेने और खाने पीने में लीना को लेट होने लगा। लीना बोली, अरे! पार्टी जल्दी खत्म करो घर भी जाना है।” फिर कुछ देर में सभी एक दूसरे को बाय बाय करके अपने घर जाने लगीं।
लीना रास्ते में घर पहुंचने पर अपने काम का खाका का खींच रही थी कि पहले किचन का काम फिर बाद में दूसरे काम कि तभी उसकी गाड़ी बंद हो गई। एक तो लेट हो रहा था और दूसरे बीच रास्ते में गाड़ी बंद हो गई। वह परेशान हो गई उसने तुरंत घर पर फोन लगाया लेकिन सिग्नल नहीं होने के कारण फोन नहीं लग रहा था। उसने विकी को फोन करके सब बताया और कहा कि घर में मम्मी पापा को बता दो नहीं तो वो परेशान होंगे। वो गाड़ी खींचकर मैकेनिक के पास ले गई और ठीक करवा कर घर लौटी। घर पहुंच कर देखा कि उसकी सास नाराज होकर बैठी है।
सविता:- “समय देख रही हो क्या हो रहा है? 9:00 बज रहे हैं और तुम्हारा कोई ठिकाना नहीं?”
लीना:- “मैंने फोन लगाया था लेकिन आपका फोन नहीं लग रहा था तो मैंने विक्की को फोन करके कह दिया था कि वह आपको बता दे।”
सविता:- “हां! आया था फोन लेकिन कितनी देर हो गई? गाड़ी बनने छोड़कर ऑटो से ही आ जाती तुम लेकिन नहीं तुम्हारी मौजमजा ज्यादा जरूरी है। हम भले यहां भूखे मरते रहे। घर के सारे काम पड़े हैं और तुम घूमती रहो।”
लीना को रोना आ गया वह कमरे में आ गई और दरवाजा बंद कर लिया। कुछ देर में विकी भी आ गया। उसे घर का माहौल कुछ भारी लगा। उसने लीना को आवाज दी मगर वह नहीं आई तो वह अपने कमरे की ओर गया और दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खोलते ही लीना विकी पर बरस पड़ी।
लीना:- “तुम बताओ! कि मैं घर पर कौन सा काम नहीं करती हूं? कौन सी जिम्मेदारी से पीछे हटती हूं या मेरी वजह से किसी को कोई तकलीफ पहुंचती है? जहां तक हो सकता है मैं सब मैनेज करती हूं, फिर भी कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ कमियां गिना ही दी जाती है मुझे। मेरा घर से बाहर जाना किटी में मौजमजा करना मम्मी जी को अखरता है। जब देखो ताना मारते रहती हैं। अरे घर से कुछ देर के लिए सहेलियों के साथ मजे करने जाती हूं तो कौन सा गुनाह करती हूं। मैं तो नहीं करती दूसरी औरतों की तरह सोसाइटी में जाकर सास की बुराई। मैं भली मेरा घर भला। रास्ते में गाड़ी खराब हो गई तो इसमें मेरा क्या दोष? एकआध दिन निभा नहीं सकते क्या?”
विकी, सविता और लीना के ससुर सब चुपचाप सुन रहे थे। उस दिन सब बिना खाए अपने कमरे में चले गए।
(लीना के ससुर):- ” तुम भी न बिना वजह का हंगामा खड़ा कर देती हो, ना तुमको खाना बनाना और न ही दूसरे काम करने होते हैं। सब लीना ही करती है। फिर गाड़ी खराब हो गई तो उसने मैसेज भिजवा दिया था न कि लेट होगा फिर क्यों तमाशा किया? विकी का सोचो काम करके आया है थक गया होगा लेकिन भूखा सो गया और ऐसे में कल फिर से भूखा काम पर जाएगा घर का टेंशन लेकर? यह सही है क्या? क्या हो गया जो लीना महीने में दो बार अपनी सहेलियों के साथ समय बिताती है। यह तो अच्छा है कि फालतू औरतों की तरह तो उधर भटकती नहीं। इधर-उधर तुम्हारी बुराई नहीं करती है। कल को विकी को लेकर लीना अलग हो गई तो?” अब सविता जरा घबरा गई।
सुबह-सुबह सविता जल्दी उठ गई और किचन में गई तो देखा कि लीना चाय बनाने की तैयारी कर रही है।
सविता बालकनी में लगे तुलसी के पौधे से पत्तियां तोड़कर ले आई और धो कर लीना को देती हुई बोली, “चाय में डाल दो सबका सर दर्द सही हो जाएगा और कल के लिए सॉरी। ज्यादा लेट हो गया था तो परेशान हो गई थी।”
लीना हल्के से मुस्कुराई और सबके लिए चाय और बिस्किट लेकर बालकनी में आ गई। सबने चाय पी तो मन हल्का हो गया। लीना के ससुर मुस्कुराते हुए अखबार के पन्ने पलट रहे थे।

प्रियंका वर्मा माहेश्वरी 

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ICRI द्वारा BBA एविएशन मैनेजमेंट में प्रवेश के लिए अलर्ट

देहरादून, भारतीय स्वरूप संवाददाता, उद्योग-केंद्रित कार्यक्रमों के लिए प्रसिद्ध ICRI वर्तमान में अपने देहरादून परिसर में प्रतिष्ठित BBA एविएशन मैनेजमेंट कोर्स में आवेदन आमंत्रित कर रहा है। पाठ्यक्रम को गहन और व्यापक ज्ञान प्रदान करने के लिए जटिल रूप से तैयार किया गया है।

BBA एविएशन मैनेजमेंट के साथ एविएशन की दुनिया में रखें कदम यह तीन साल का स्नातक कार्यक्रम है जिसमें कई छात्र शामिल हो सकते हैं। इस क्षेत्र में कुशल पेशेवरों की मांग बढ़ रही है, जो इसे एक लोकप्रिय विकल्प बनाती है। ICRI इन कार्यक्रमों की पेशकश देहरादून की जिज्ञासा विश्वविद्यालय के सहयोग से कर रहा है, जो अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का दावा करता है। ICRI भारत का सबसे बड़ा संस्थान है और यह विशेष साझेदारी प्रदान करता है। साथ ही, दुनिया भर में 19,000 से अधिक पूर्व छात्रों के साथ, ICRI अपने छात्रों को शानदार नेटवर्किंग के अवसर प्रदान करता है।

ICRI में, फैकल्टी छात्रों को व्यावहारिक सीखने और कौशल विकास के अद्वितीय अवसर प्रदान करने में विश्वास रखती है। यही कारण है कि ICRI अंतर्दृष्टिपूर्ण एयरपोर्ट विजिट आयोजित करती है, जैसा कि हाल ही में देहरादून में हुआ था, जहां छात्रों को एयरपोर्ट निदेशक और AAI कर्मचारियों के साथ बातचीत करने का सौभाग्य मिला। इस यात्रा ने विमानन उद्योग में एयरपोर्ट मैनेजमेंट की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, जो अमूल्य वास्तविक दुनिया की अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।

अपने BBA और MBA एविएशन छात्रों के समग्र व्यक्तित्व विकास और व्यावसायिकता को बढ़ाने के लिए, ICRI ने लैक्मे स्कूल के साथ मिलकर एक समृद्ध ग्रूमिंग सेशन का आयोजन किया था। मेकअप, स्टाइलिंग और शिष्टाचार को शामिल करते हुए, इस सेशन का उद्देश्य हमारे छात्रों को अकादमिक ज्ञान से परे आवश्यक कौशल से लैस करना था।

कार्यक्रम में नामांकित छात्रों को दो प्रतिष्ठित संगठनों से प्रमाणपत्र प्राप्त होंगे। पहला, संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी ICAO से प्रमाणन, जो ग्लोबल एयरपोर्ट संचालन की देखरेख करती है, जो एविएशन मैनेजमेंट के मूल सिद्धांतों को शामिल करता है। इसके अतिरिक्त, वे एयरपोर्ट और विमान प्रशिक्षण पूरा करने के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) से प्रमाणपत्र प्राप्त करेंगे। कार्यक्रम व्याख्यान, सेमिनार, कार्यशालाएं, व्यावहारिक प्रशिक्षण और समस्या-समाधान सत्रों सहित विविध शिक्षण विधियों की पेशकश करता है, जो छात्रों के लिए एक समग्र सीखने का अनुभव सुनिश्चित करता है।

कनिष्क दुग्गल, आईसीआरआई के सीओओ, ने कहा “आईसीआरआई का दृष्टिकोण भावी हवाई यात्रा के नेताओं को ज्ञान और व्यावसायिक कौशलों का मिश्रण प्रदान करना है। आईसीएओ और एएआई जैसे वैश्विक प्राधिकरणों द्वारा प्रदान किए गए प्रमाणपत्रों के माध्यम से, साथ ही नवाचारात्मक शिक्षण पद्धतियों के साथ, हम उद्योग के लिए तैयार पेशेवरों को प्रशिक्षित करते हैं जो उड़ान के नए क्षितिज को छू सकें।”

बीबीए एविएशन मैनेजमेंट प्रोग्राम के लिए मूल पात्रता आवश्यकता 10+2 परीक्षा में कुल 50% अंक प्राप्त करना, एक प्रवेश परीक्षा और उसके बाद विशेषज्ञ फैकल्टी का साक्षात्कार है।

बीबीए एविएशन मैनेजमेंट के लिए शुल्क संरचना के बारे में जानकारी के लिए, इच्छुक उम्मीदवारों से अनुरोध है कि वे आईसीआरआई की वेबसाइट देखें।

आईसीआरआई में बीबीए एविएशन मैनेजमेंट के लिए प्रवेश अब खुले हैं। इच्छुक छात्र जिनके पास बीबीए एविएशन मैनेजमेंट का जुनून है, वे हमसे जुड़ सकते हैं।

पात्रता – 12वीं में 50%
फीस – 3 साल के लिए 2,55,000
छात्रवृत्ति – 85% और उससे अधिक प्राप्त करने वाले छात्र 15% छात्रवृत्ति के लिए पात्र हैं।
कोर्स शुरू – 1 सितंबर
आवेदन की अंतिम तिथि – 30 मई
आवेदन करने के लिए लिंक – www.icriindia.com

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर और भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय, उच्चतर शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय, उच्चतर शिक्षा विभाग की आयोजना में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के द्वितीय दिवस का अयोजन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन सभागार में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य वैज्ञानिक और तकनीकी उद्देश्यों के लिए हिंदी शब्दावली के प्रयोग को छात्रों और समाज के लाभ के लिए शिक्षादाताओं, शोधकर्ताओं और उद्योगपतियों को एक मंच पर लाना है।
दूसरे दिन की चर्चाएँ तीसरे तकनीकी सत्र के साथ शुरू हुईं। दिन के पहले वक्ता प्रोफेसर गिरीश नाथ झा, निदेशक, वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (सीएसटीटी), शिक्षा मंत्रालय, उच्चतर शिक्षा विभाग, भारत सरकार थे। उन्होंने प्रतिभागियों को हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में तकनीकी लेखन करने के लिए उत्साहवर्धन किया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रकाशकों से अनुरोध किया जाता है कि सीएसटीटी द्वारा विकसित मानक शब्दावली के प्रचार को बढ़ावा देने के लिए हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में पुस्तकें तथा पत्रिकाएँ प्रकाशित करें।
सत्र के दूसरी वक्ता डॉ शिल्पा पांडेय वैज्ञानिक, बीएसआईपी, लखनऊ थीं। उन्होंने कहा कि यदि आयोग द्वारा विकसित शब्दावली का सरकार और इसके नियंत्रण में आने वाले निकायों द्वारा प्रयोग नहीं किया जाता है तो तब उसकी स्थापना और उससे लागत होने वाला खर्च व्यर्थ होगा। इसलिए, जब तक आयोग कार्य करता है, उसे निर्देशित किया गया है कि इसकी द्वारा विकसित तकनीकी शब्दावली को पाठ्यपुस्तकों के उत्पादन और पत्रिकाओं में प्रकाशित किया जाना चाहिए।
चौथे तकनीकी सत्र, सम्मेलन का आखिरी सत्र, दो वक्ताओं के साथ था। वे प्रोफेसर सुमन मिश्रा, राजनीति विज्ञान विभाग, एनएसएन पीजी कॉलेज, लखनऊ और प्रोफेसर संजीव ओझा, वरिष्ठ मुख्य वैज्ञानिक, एनबीआरआई, लखनऊ थे। दोनों वक्ताओं ने प्रतिभागियों को बताया कि सीएसटीटी वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों को हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में विकसित और परिभाषित करने, तकनीकी शब्दकोश, परिभाषात्मक शब्दकोश, विश्वकोश आदि प्रकाशित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, सम्मेलन आयोग भी निगरानी करता है कि विकसित शब्द और उनकी परिभाषाएँ छात्रों, शिक्षकों, विद्यार्थियों, वैज्ञानिकों, अधिकारियों आदि तक पहुँचती रहें।
मुख्य वक्ता के तौर पर संगोष्ठी में डॉ उपेंद्र पाण्डेय उपस्थित रहे जिनका स्वागत डॉ फिरदौस कटियार ने बुके देकर किया।
सम्मेलन एक पैनल चर्चा के साथ समाप्त हुआ।

लगभग 200 प्रतिभागियों ने सम्मेलन में भाग लिया। सभी सत्र बहुत सूचनात्मक थे और प्लेटफ़ॉर्म पर मूल्यवान विचारों का आदान-प्रदान हुआ। व सम्मेलन का संचालन प्रो सुनीता वर्मा ने किया ।

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वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) ने अपना 65वां स्थापना दिवस मनाया

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी), देहरादून ने आज अपने परिसर में अपना 65वां स्थापना दिवस मनाया। इसकी स्थापना 14 अप्रैल 1960 को की गई थी। यह एक प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संगठन है। नीति आयोग के माननीय सदस्य और सीएसआईआर-आईआईपी के सलाहकार पद्मभूषण डॉ. वी. के. सारस्वत इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस उत्सव के दौरान संस्थान के अग्रणी अनुसंधान, नवीन प्रौद्योगिकियों और उद्योग सहयोग के समृद्ध इतिहास के बारे में चर्चा की गई।

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डॉ. वी. के. सारस्वत ने इस अवसर पर अपने संबोधन में सीएसआईआर-आईआईपी की टीम को बधाई दी और संस्थान के 65वें स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने “भारत में ऊर्जा परिवर्तन” पर एक व्याख्यान भी दिया। अपने भाषण में, डॉ. सारस्वत ने स्वच्छ और कार्बन-मुक्त प्रौद्योगिकियों पर जोर दिया, जो निकट भविष्य में दुनिया को आगे बढ़ाएंगी। उन्होंने वैज्ञानिकों को ई-मेथनॉल और ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अनुसंधान करने के लिए भी आमंत्रित किया। बातचीत के निष्कर्षों को इस प्रकार संक्षेप में प्रस्तुत किया जा सकता है: भारतीय प्रौद्योगिकियों को दुनिया भर में सक्षम बनाए रखने के लिए, हमें कार्बन उत्सर्जन को सुनने के स्तर पर लाने की दिशा में सख्ती से काम करना शुरू करना होगा। डॉ. वी.के. सारस्वत ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) के वैज्ञानिक समुदाय के साथ भी बातचीत की। उन्होंने बातचीत के दौरान, वैज्ञानिकों, तकनीशियनों, विद्यार्थियों और कर्मचारियों के दल की प्रशंसा की, जिससे संस्थान गौरव में वृद्धि हुई है । वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) के निदेशक डॉ. हरेंद्र सिंह बिष्ट ने विकासशील भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए वर्ष 2024 से वर्ष 2030 तक संस्थान की रूपरेखा प्रस्तुत की। डॉ. सारस्वत ने रूपरेखा का मूल्यांकन किया और इसे राष्ट्र के लिए और अधिक लाभकारी बनाने के लिए विभिन्न सुझाव दिए।

C:\Users\Angad\Desktop\image002Y7NY.jpgवैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) के निदेशक डॉ. हरेंद्र सिंह बिष्ट ने पिछले 64 वर्षों के दौरान संस्थान द्वारा प्राप्त की गई विभिन्न उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जिसमें नुमालीगढ़ वैक्स प्लांट, सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल, यूएस ग्रेड गैसोलीन, मेडिकल ऑक्सीजन इकाइयां, स्वीटिंग कैटलिस्ट, पीएनजी बर्नर, बेहतर गुड़ भट्टी आदि के सम्मिलित होने का उल्लेख है। मसूरी के ओक ग्रोव स्कूल के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने भी जिज्ञासा 2.0 कार्यक्रम के एक भाग के रूप में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लिया। विद्यार्थियों ने संस्थान की विभिन्न प्रयोगशालाओं का दौरा  किया और उनमें काम करने वाले वैज्ञानिकों और अनुसंधान विद्वानों के साथ बातचीत की। जिज्ञासा 2.0 कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूल जाने वाले बच्चों में वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करना है ताकि वे बड़े होकर देश में उभरते वैज्ञानिक बन सकें।   समारोह का समापन वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) के वरिष्ठ प्रशासन नियंत्रक श्री अंजुम शर्मा द्वारा दिए गए धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) का दल ईमानदारी से उन सभी व्यक्तियों को धन्यवाद देती है जिन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने में बिना शर्त सहयोग प्रदान किया।

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केन्द्र ने छह देशों बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, बहरीन, मॉरीशस और श्रीलंका को 99,150 एमटी प्याज के निर्यात की अनुमति दी

सरकार ने छह पड़ोसी देशों बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), भूटान, बहरीन, मॉरीशस और श्रीलंका को 99,150 एमटी प्याज के निर्यात की अनुमति दी है। पिछले वर्ष की तुलना में 2023-24 में खरीफ एवं रबी फसलों की अनुमानित कम उपज की पृष्ठभूमि में पर्याप्त घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ाने हेतु प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है।

इन देशों को प्याज का निर्यात करने वाली एजेंसी, नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) ने ई-प्लेटफॉर्म के माध्यम से निर्यात किए जाने वाले घरेलू प्याज को एल1 कीमतों पर हासिल किया और गंतव्य देश की सरकार द्वारा नामित एजेंसी या एजेंसियों को शत-प्रतिशत अग्रिम भुगतान के आधार पर तय दर पर आपूर्ति की। एनसीईएल द्वारा खरीदारों को दरों की पेशकश गंतव्य बाजार और अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू बाजारों में प्रचलित कीमतों को ध्यान में रखकर की जाती है। छह देशों को निर्यात के लिए आवंटित कोटे की आपूर्ति गंतव्य देश द्वारा की गई मांग के अनुसार की जा रही है। देश में प्याज के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में, महाराष्ट्र निर्यात के लिए एनसीईएल द्वारा प्राप्त किए जाने वाले प्याज का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।

सरकार ने मध्य-पूर्व और कुछ यूरोपीय देशों के निर्यात बाजारों के लिए विशेष रूप से उगाए गए 2000 मीट्रिक टन सफेद प्याज के निर्यात की भी अनुमति दी थी। पूरी तरह से निर्यात उन्मुख होने के कारण, सफेद प्याज की उत्पादन लागत उच्च बीज लागत, अच्छी कृषिगत पद्धति (जीएपी) को अपनाने और सख्त अधिकतम अवशेष सीमा (एमआरएल) संबंधी आवश्यकताओं के अनुपालन के कारण अन्य प्याज की तुलना में अधिक होती है।

उपभोक्ता कार्य विभाग के मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत रबी-2024 में से प्याज की बफर खरीद का लक्ष्य इस वर्ष पांच लाख टन निर्धारित किया गया है। केन्द्रीय एजेंसियां यानी एनसीसीएफ और एनएएफईडी किसी भी भंडारण-योग्य प्याज की खरीद शुरू करने हेतु खरीद, भंडारण और किसानों के पंजीकरण का समर्थन करने के लिए एफपीओ/एफपीसी/पीएसी जैसी स्थानीय एजेंसियों को साथ जोड़ रही हैं। डीओसीए, एनसीसीएफ और एनएएफईडी की एक उच्चस्तरीय टीम ने पीएसएफ बफर के लिए पांच एलएमटी प्याज की खरीद के बारे में किसानों, एफपीओ/एफपीसी और पीएसी के बीच जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से 11-13 अप्रैल, 2024 के दौरान महाराष्ट्र के नासिक और अहमदनगर जिलों का दौरा किया था।

प्याज के भंडारण के क्रम में में होने वाली हानि को कम करने के लिए, उपभोक्ता कार्य विभाग ने बीएआरसी, मुंबई के तकनीकी सहयोग से विकिरणित और ठंडे भंडारण वाले स्टॉक की मात्रा को पिछले वर्ष के 1200 एमटी से बढ़ाकर इस वर्ष 5000 एमटी से अधिक करने का निर्णय लिया। पिछले वर्ष शुरू की गई प्याज को विकिरणित व शीत भंडारण करने की प्रायोगिक परियोजना (पायलट प्रोजेक्ट) के परिणामस्वरूप भंडारण के क्रम में होने वाली हानि घटकर 10 प्रतिशत से भी कम रह गई है।

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सचिव (पी एंड पीडब्ल्यू) ने कहा, “सभी पेंशन वितरण बैंकों के पेंशन पोर्टलों को पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल में एकीकृत किया जाएगा ताकि पेंशनभोगियों के जीवन को आसान बनाया जा सके

26 अप्रैल,2024 को बैंक ऑफ इंडिया के एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टलके शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए (पीएंडपीडब्ल्यू) सचिव, श्री वी श्रीनिवास, ने कहा कि सभी पेंशन संवितरण बैंकों के पेंशन पोर्टलों को पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग के एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल में एकीकृत किया जाएगा, ताकि पेंशनभोगियों का सुगम जीवन सुनिश्चित हो सके। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि ‘पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग’ ने पेंशनभोगियों के कल्याण के लिए अनेक पहल की हैं। पेंशनभोगियों का डिजिटल सशक्तिकरण ऐसी ही एक पहल है और इसे डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र और भविष्य पोर्टल जैसे विभिन्न माध्यमों से लागू किया जा रहा है।

पारदर्शिता, डिजिटलीकरण और सेवा वितरण के उद्देश्य के अनुरूप, भविष्य प्लेटफॉर्म ने पेंशन प्रसंस्करण और भुगतान का ओर से छोरतक डिजिटलीकरण सुनिश्चित किया है, जो सेवानिवृत्त व्यक्ति द्वारा अपने कागजात ऑनलाइन दाखिल करने से लेकर इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में पीपीओ जारी करने और उसके डिजिलॉकर में जाने तक होता है। 01.01.2017 से ‘भविष्य’ मंच, एक एकीकृत ऑनलाइन पेंशन प्रसंस्करण प्रणाली को केंद्र सरकार के सभी विभागों के लिए से अनिवार्य कर दिया गया था। वर्तमान में यह प्रणाली 98 मंत्रालयों/विभागों में सफलतापूर्वक कार्यान्वित की जा रही है, जिसमें 870 संबद्ध कार्यालय और 8,174 डीडीओ शामिल हैं। केंद्र सरकार के सभी ई-गवर्नेंस सेवा वितरण पोर्टलों के बीच एनईएसडीए आकलन 2021 के अनुसार पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग को भविष्य(डीओपीपीडब्ल्यू द्वारा विकसित पेंशन मंजूरी और भुगतान के लिए एक ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम) के लिए तीसरे रैंक से सम्मानित किया गया था।

बैंकों से संबंधित पेंशनभोगियों के सामने आने वाली समस्याओं जैसे बैंक परिवर्तन, जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की स्थिति, पेंशन पर्ची, फॉर्म 16, पेंशन रसीद की जानकारी को कम करने के लिए, पेंशन संवितरण बैंकों की वेबसाइटों को डीओपीपीडब्ल्यू के एकीकृत पेंशनर्स पोर्टल के साथ एकीकृत किया जा रहा है, ताकि ये सेवाएं एकल खिड़की से उपलब्ध हो सकें।

भविष्य पोर्टल के साथ एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक और केनरा बैंक के पेंशन पोर्टल के एकीकरण का काम पूरा हो गया है। इस एकीकरण के साथ, बैंक ऑफ इंडिया के पेंशनभोगियों के पास पेंशन पर्ची, जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की स्थिति, देय और तैयार किए गए विवरण और एकीकृत पेंशनभोगियों के पोर्टल के माध्यम से फॉर्म -16 जैसी सेवाओं के लिए एक स्थान नियत है। निकट भविष्य में अधिकांश पेंशन संवितरण बैंकों को एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल के साथ एकीकृत किया जाएगा।

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