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एक ऐतिहासिक पहल के तहत, प्रधानमंत्री 30 जुलाई को विद्युत क्षेत्र के लिए पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना का शुभारंभ करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 30 जुलाई को दोपहर 12:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘उज्ज्वल भारत उज्ज्वल भविष्य – पावर @ 2047’ के समापन समारोह में भाग लेंगे। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना का शुभारंभ करेंगे। वे एनटीपीसी की विभिन्न हरित ऊर्जा परियोजनाओं का शिलान्यास तथा लोकार्पण करेंगे। प्रधानमंत्री नेशनल सोलर रूफटॉप पोर्टल का भी शुभारंभ करेंगे।

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने बिजली क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की है। इन सुधारों से इस क्षेत्र में बदलाव आया है, सभी के लिए किफायती बिजली उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित करते हुए ये सुधार किये गए हैं। लगभग 18,000 गांवों का विद्युतीकरण, जिनके पास पहले बिजली आपूर्ति की सुविधा नहीं थी, अंतिम सिरे पर खड़े व्यक्ति को लाभ देने से जुड़ी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

एक ऐतिहासिक पहल के अंतर्गत, प्रधानमंत्री बिजली मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम, पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना का शुभारंभ करेंगे, जिसका उद्देश्य डिस्कॉम कंपनियों और बिजली विभागों की परिचालन क्षमता तथा वित्तीय स्थिति में सुधार करना है। वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक के परिव्यय के साथ, इस योजना का उद्देश्य बिजली वितरण के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण के लिए डिस्कॉम कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि उपभोक्ता के लिए आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार हो सके। इसका उद्देश्य परिचालन क्षमता में सुधार करके 2024-25 तक एटी एंड सी (कुल तकनीकी और वाणिज्यिक) नुकसान को 12-15% के अखिल भारतीय स्तर और एसीएस-एआरआर (आपूर्ति की औसत लागत – औसत राजस्व प्राप्ति) के अंतर को शून्य तक कम करना भी है। इसके लिये सभी सार्वजनिक क्षेत्र की डिस्कॉम कंपनियों और बिजली विभागों की वित्तीय स्थिति में सुधार करने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री 5200 करोड़ रुपये से अधिक की एनटीपीसी की विभिन्न हरित ऊर्जा परियोजनाओं का शिलान्यास तथा लोकार्पण भी करेंगे। वे तेलंगाना के 100 मेगावाट रामागुंडम फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट और केरल के 92 मेगावाट कायमकुलम फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट का उद्घाटन करेंगे। वे राजस्थान में 735 मेगावाट की नोख सौर परियोजना, लेह में ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी परियोजना और गुजरात में कावास प्राकृतिक गैस के साथ ग्रीन हाइड्रोजन सम्मिश्रण परियोजना की आधारशिला रखेंगे।

रामागुंडम परियोजना भारत की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सोलर पीवी परियोजना है, जिसमें 4.5 लाख ‘मेड इन इंडिया’ सोलर पीवी मॉड्यूल हैं। कायमकुलम परियोजना दूसरी सबसे बड़ी फ्लोटिंग सोलर पीवी परियोजना है, जिसमें पानी पर तैरते 3 लाख ‘मेड इन इंडिया’ सोलर पीवी पैनल शामिल हैं।

राजस्थान के जैसलमेर के नोख में 735 मेगावाट की सौर पीवी परियोजना घरेलू सामग्री की आवश्यकता पर आधारित भारत की सबसे बड़ी सौर परियोजना है, जिसमें एक ही स्थान पर 1000 मेगावाट पैनल हैं, जिनमें ट्रैकर सिस्टम के साथ उच्च-वाट क्षमता से युक्त दो तरफ वाले पीवी मॉड्यूल लगे हैं। लेह, लद्दाख में ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट एक पायलट परियोजना है, जिसका उद्देश्य लेह और उसके आसपास पांच फ्यूल सेल बसों का परिचालन करना है। इस पायलट परियोजना के तहत भारत में सार्वजनिक उपयोग के लिए फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहनों की पहली तैनाती की जाएगी। एनटीपीसी कवास टाउनशिप स्थित ग्रीन हाइड्रोजन सम्मिश्रण की पायलट परियोजना; प्राकृतिक गैस के उपयोग को कम करने में मदद करने वाली भारत की पहली ग्रीन हाइड्रोजन सम्मिश्रण परियोजना होगी।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सोलर रूफटॉप पोर्टल का भी शुभारम्भ करेंगे, जो रूफटॉप सोलर प्लांट की स्थापना की प्रक्रिया की ऑनलाइन ट्रैकिंग को सक्षम करेगा, जिसमें आवेदन दर्ज करने से लेकर आवासीय उपभोक्ताओं के बैंक खातों में संयंत्र की स्थापना और निरीक्षण के बाद सब्सिडी जारी करना तक शामिल हैं।

‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत 25 से 30 जुलाई तक ‘उज्ज्वल भारत उज्जवल भविष्य- पावर @2047’ का आयोजन किया जा रहा है। देश भर में आयोजित, इस कार्यक्रम में पिछले आठ वर्षों के दौरान बिजली क्षेत्र में हुए परिवर्तनों को प्रदर्शित किया गया है। इसका उद्देश्य सरकार की बिजली संबंधी विभिन्न पहलों, योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में नागरिकों की जागरूकता और भागीदारी में सुधार करके उन्हें सशक्त बनाना है।

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डीएसटी इन्सपायर के फेलो द्वारा दूरस्थ लघु आकाशगंगा की रचना के रहस्यों पर से पर्दा उठाने वाले अध्ययन की अगुवाई

आकाशगंगा के बाहरी क्षेत्र के संकेत, जो 150 मिलियन वर्ष से अधिक के नहीं हैं, उनके विषय में हाल के अध्ययन से पता चला है कि वहां नये तारों की एक आकाशगंगा बन रही है। यह अनुसंधान इन युवा तारों के बारे में बताता है, जिसके अनुसार नये तारे जटिल समूहों या झुरमुटों में बन रहे हैं, अंदरूनी हिस्से की तरफ बढ़ रहे हैं और धीरे-धीरे इन आकाशगंगाओं में समा रहे हैं।

खगोल-भौतिकविज्ञानी यह जानने की कोशिश करते रहे हैं कि हमारे ब्रह्माण्ड की बुनियादी निर्माण इकाई आकाशगंगायें कैसे बनती हैं और लगातार क्रमिक विकास करती रहती हैं। लेकिन यह तस्वीर अब तक अधूरी है।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001SPE4.jpg

एस्ट्रो-सैट पर लगा अल्ट्रा वायोलेट इमेजिंग टेलेस्कोप (यूवीआईटी) भारत का पहला समर्पित वेवलेंग्थ अंतरिक्ष वेधशाला है, जिसने हाल ही में फार अल्ट्रा वायोलेट (एफयूवी) की हल्की रोशनी को पकड़ा था। यह रोशनी दूरस्थ ब्लू कॉम्पेक्ट लघु आकाशगंगाओं के बाहरी क्षेत्रों में थी, जो लगभग 1.5 – 3.9 अरब प्रकाश वर्ष दूर है। ये लुघ आकाशगंगायें हैं, जो आमतौर पर सितारों के झुरमुट के रूप में देखी जाती हैं।

यह खोज भारत, अमेरिका और फ्रांस के खगोलविज्ञानियों के एक अंतर्राष्ट्रीय दल ने की है। यह आकाशगंगाओं की रचना के रहस्यों को जानने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है। ‘नेचर’ नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन खगोलशास्त्र एवं खगोल भौतिकी अन्तर-विश्वविद्यालय केन्द्र (आयुका), पुणे के प्रो. कनक साहा की देन है।

लेख के प्रमुख लेखक अंशुमान बोरगोहेन को विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी विभाग की इन्सपायर फेलोशिप प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि आकाशगंगाओं के छोर पर ऐसे युवा तारों का बनने का कारण आमतौर पर आसपास से उठने वाली गैस होती है। यह गैस तारे का आकार लेने और फिर आकाशगंगा के पनपने की प्रक्रिया को तेज कर देती है। तेजपुर विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता श्री बोरगोहेन ने तेजपुर विश्वविद्यालय में भौतिकी के सहायक प्रोफेसर डॉ. रूपज्योति गोगोई तथा आयुका के खगोल-भौतिकी के प्रोफेसर कनक साहा के निर्देशन में काम किया है।

प्रो. कनक साहा ने कहा, “यूवीआईटी और यूवी की गहरी इमेजिंग तकनीक इन युवा, बड़े-बड़े तारों के झुरमुट का पता लगाने में बहुत अहम भूमिका निभाती हैं। ये तारे हमसे बहुत दूरी पर स्थित हैं, इसलिये इन धूमिल, गहरे नीले तारों के झुरमुट को पकड़ना बहुत चुनौतीपूर्ण था।” उन्होंने कहा कि इससे दूरस्थ लघु आकाशगंगाओं की रचना का ‘प्रत्यक्ष’ अवलोकन करने में मदद मिलती है।

आईबीएम रिसर्च डिविजन, अमेरिका के प्रमुख अनुसंधानकर्ता डॉ. ब्रूस एल्मेग्रीन ने भी अध्ययन में योगदान किया है। उन्होंने कहा, “यह हमेशा से रहस्य रहा है कि इस तरह की छोटी-छोटी आकाशगंगायें कैसे इतने सक्रिय तारों का झुरमुट बन जाती हैं। इन वेधशालाओं से पता चलता है कि दूर गैस के रिसाव से बाहरी हिस्से का दबाव भीतर की ओर पड़ता है। इस प्रक्रिया में ज्यादा गैस रिसने से तेजी आती है और तारों के जटिल समूह बन जाते हैं। आकाशगंगा के पूरे जीवन-काल पर यह सघनता पैदा हो जाती है।”

कॉलेज दी फ्रांस की प्रोफेसर और ऑब्जरवेटवॉयर दी पेरिस की प्रो फ्रांकोइस कोम्बेस, जो आलेख की सह-लेखक हैं, उन्होंने कहा कि यह खोज बताती है कि तारे बनने की प्रक्रिया कितनी अचरज भरी है और वह कैसे पुरानी धीमी गैस से शुरू होती है। उन्होंने कहा, “इन गैसपुंजों का बाहरी हिस्सा हलचल भरा होता है। गैसपुंज के बिखरने के बाद यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है।” आलेख के सह-लेखक और आयुका और पीआई व यूवीआईटी के विशिष्ट प्रोफेसर डॉ. श्याम टंडन ने इस अध्ययन में यूवीआईटी आंकड़ों के महत्त्व को उजागर किया।

आयुका के सहयोगी और तेजपुर विश्वविद्यालय में भौतिकी के सहायक प्रोफेसर डॉ. रूपज्योति गोगोई ने कहा कि इस काम में भारत के स्वदेशी उपग्रह एस्ट्रो-सैट के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है, जो देश के युवा अनुसंधानकर्ताओं के लिये प्रेरक बन सकता है। आयुका, पुणे के निदेशक प्रो. सोमक रायचौधरी और तेजपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनोद के. जैन ने ऐसे सहयोगात्मक कार्यों के लाभों को रेखांकित किया।

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कबूतरों की अनियंत्रित वृद्धि अप्राकृतिक और परेशानियाँ बढ़ानेवाली

कई हाऊसिंग सोसायटियों के परिसरों में खुले स्थानों पर बड़ी संख्या में कबूतर घूमते हैं और गंदगी फैलाते हैं। बिल्डिंग के कुछ लोग उन्हें खाना खिलाकर प्रोत्साहित करते हैं। देश में सबसे आम पक्षियों में सबसे पहले कबूतर और उसके बाद कौवा आता है। इसका कारण भोजन और शहरीकरण की प्रचुरता और आसान उपलब्धता है। लोग विभिन्न कारणों से कबूतरों को खाना खिलाते हैं। मानवीय आधार, खाना न खिलाएं तो वो मर जाएँगे, दया जैसे कारणों के आलावा कबूतरों को खिलाना समृद्धि की धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है, अधिकांश भोजन केंद्रों में पूजा स्थलों या सामुदायिक स्थानों के पास कबूतरों का जमावड़ा होता है। लेकिन इनमें से ज्यादातर जगहें और कबूतरखाने अवैध हैं। ऐसी जगहों का विस्तार कर स्थानीय किराना व्यापारी रोजाना हजारों रुपये का कारोबार करते हैं। इस तरह के कृत्रिम भोजन ने कबूतरों की आबादी में भरी वृद्धि की है। दुनिया भर में 40 करोड़ कबूतर हैं, जिनमें से ज्यादातर शहरों में रहते हैं। मादा कबूतर खतरनाक दर से प्रजनन करती हैं; इसका मतलब है कि वे एक साल में कम से कम 10 स्क्वैश (पिल्ले) को जन्म देते हैं। औसतन एक कबूतर 20 से 25 साल तक जीवित रह सकता है। इतने लंबे जीवनकाल के साथ, एक अच्छी तरह से खिलाया गया कबूतर केवल एक वर्ष में लगभग 11.5 किलोग्राम हानिकारक मल उत्सर्जित करता है। प्रकृति में, शिकारी पक्षी कबूतरों की आबादी को नियंत्रण में रखते हैं। जंगल में बड़े पक्षी और जानवर कबूतरों और छोटे पक्षियों का शिकार करते हैं। हालांकि, शहरीकरण के कारण ये शिकारी पक्षी गायब या दुर्लभ हो गए हैं। इसलिए कबूतरों की आबादी पर कोई जैविक नियंत्रण नहीं है और कबूतर बढ़ रहे हैं। तैयार भोजन की आसान उपलब्धता के कारण, शहरी कबूतरों ने अपनी प्राकृतिक खाना खोजने और टिके रहने की क्षमता खो दी है। Adv. Sanjay pandey.jpg

कबूतर मूल रूप से गब्बर पक्षी है। जिस क्षेत्र में इसका निवास स्थान बढ़ता है, वहां अन्य पक्षियों को बढ़ने का मौका नहीं मिलता. उपलब्ध भोजन पर पहला दावा ये करता है. जंगलों में, मौसम और प्रकृति में भोजन की उपलब्धता पर घोंसले और प्रजनन निर्भर करता है। शहरों में भोजन और सुरक्षा की आसान उपलब्धता के कारण, कबूतर साल भर अपना घोंसला बना सकते हैं। इमारतों में यहां पैरापेट, एसी कंप्रेसर इकाइयों और इसी तरह की सपाट सतहों पर दिन-रात अपनी कॉलोनी का आक्रामक रूप से विस्तार करता है। कबूतर एक प्राकृतिक सफाई कर्मचारी है। नैसर्गिक रूप में कबूतर सर्वाहारी है, जिसका अर्थ है कि वो पौधे और कीड़े दोनों खाता है। लेकिन अब जब वो सैकड़ो सालों से मानव बस्तियों में रहते हैं, तो वे आसानी से उपलब्ध अनाज, घास, हरी पत्तेदार सब्जियां, खरपतवार, फल आदि खाते हैं। आइए कबूतर संक्रमण के खतरों पर विचार करें। कबूतरों और उनके मल से कई बीमारियों और परजीवी संक्रमणों की आशंका होती है। कबूतरों को जब खुली जगह या छत पर जगह मिल जाती है तो वे वहां अपना मल बड़े पैमाने पर फैलाने लगते हैं। ये बैक्टीरिया और वायरस से दूषित मल लोगों के पैरों और जूतों से हमारे घरों और बच्चों तक जा सकते हैं। जब यह मल सूख जाता है तो यह धूल बन जाता है और श्वास के माध्यम से हमारे फेफड़ों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है, जिससे कई बीमारियां हो सकती हैं। कबूतर खाना बहिर्जात एलर्जिक एल्वोलिटिस नामक बीमारी का कारण बन सकता है, जिसे कबूतर ब्रीडर रोग या बर्ड फैनसीयर रोग के रूप में भी जाना जाता है। यह लगातार सूखी खांसी, सांस की तकलीफ, बुखार, अस्वस्थता की विशेषता है। कबूतरों के दैनिक संपर्क में फुफ्फुसीय फाइब्रोसिस और मृत्यु जैसे बढ़ते लक्षण हो सकते हैं। ये लक्षण कबूतर के पंखों से सूखी, बारीक बिखरी हुई धूल पर मल और प्रोटीनयुक्त पदार्थ के संपर्क में आने से होते हैं। उनमें से कुछ का उल्लेख नीचे किया गया है।

न्यूमोनाइटिस: संक्रमण अतिसंवेदनशील लोगों में न्यूमोनाइटिस नामक स्थिति पैदा कर सकता है। अतिसंवेदनशीलता न्यूमोनिटिस के लक्षणों में एक पुरानी खांसी शामिल है जो जल्दी ठीक नहीं होती और सीने में जकड़न होती है। खांसी के इलाज के लिए मौखिक स्टेरॉयड की उच्च खुराक की आवश्यकता हो सकती है यदि कोई एंटीबायोटिक या कफ सिरप इसे ठीक करने में प्रभावी नहीं है।

अस्थमा (दमा) : कबूतर के पंख में विशिष्ट प्रकार का एंटीजन होता है साँस से भीतर जाने पर अस्थमा को ट्रिगर करता है। अस्थमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपके वायुमार्ग संकीर्ण और सूज जाते हैं और अतिरिक्त बलगम का उत्पादन करते हैं। यह साँस की एक सूजन संबंधी बीमारी है। जब साँस लेने के रस्ते किसी ट्रिगर फैक्टर के संपर्क में आते हैं, तो वे सूजन, संकीर्ण और बलगम से भर जाते हैं। जब वह पराग, मोल्ड, या बिल्ली के डैंडर जैसे रोजमर्रा के पदार्थों के संपर्क में आता है तो प्रतिरक्षा प्रणाली ओवर रिएक्ट करती है. प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस या बैक्टीरिया जैसे घटक अस्थमा के खतरे को बढ़ाते हैं इससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और खांसी, घरघराहट और सांस की तकलीफ के कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है। अस्थमा को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। एलर्जिक चीजें जैसे गंदगी, कवक, बैक्टीरिया और बिल्ली के बाल, कबूतर का मल और कबूतर के पंखों के सूक्ष्म तंतुओं की उपस्थिति को टाला जाना चाहिए.

एस्चेरिचिया कोलाई संक्रमण (Escherichia coli infection): जब पक्षी गोबर की खाद पर खाने के लिए चोंच घुसाते हैं, तो ई. कोलाई जीवाणु है जो आम तौर पर लोगों और जानवरों की आंतों में रहता है, कबूतरों में प्रवेश कर जाता है. पक्षियों के मल से ई.कोलाई संक्रमण फैलता है. इससे होने वाली बीमारियों में दस्त, मूत्र मार्ग में संक्रमण, निमोनिया, सांस की बीमारी, मतली, बुखार और ऐंठन और अन्य शामिल हो सकते हैं।

 सेंट लुई एन्सेफलाइटिस (St. Louis encephalitis )यह तंत्रिका तंत्र की सूजन (    inflammation of the nervous system) है, आमतौर पर उनींदापन, सिरदर्द और बुखार का कारण बनता है। इसके परिणामस्वरूप पक्षाघात, कोमा या मृत्यु भी हो सकती है। यह रोग मच्छरों द्वारा फैलता है जो संक्रमित घरेलू गौरैया, कबूतरों और घर की चिड़ियों का खून चूसते हैं. इनमे  समूह बी वायरस होता है जो सेंट लुई एन्सेफलाइटिस के लिए जिम्मेदार होता है. तंत्रिका तंत्र की यह सूजन सभी आयु समूहों के लिए खतरनाक है, लेकिन 60 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में विशेष रूप से घातक हो सकती है। लक्षणों में उनींदापन, सिरदर्द और बुखार शामिल हैं।

 एन्सेफलाइटिस (Encephalitis): कबूतर पर पलने वाले मच्छर इस गंभीर संक्रमण का कारण बन सकते हैं जिसे एन्सेफलाइटिस कहा जाता है. आमतौर पर मनुष्यों को कटाने वाले मच्छरों के माध्यम से में यह वायरस शरीर में प्रवेश करता है. टिक्स भी इस वायरस को ट्रांसफर कर सकते हैं। इस वायरस के लक्षण और संभावित नुकसान गंभीर हैं। एन्सेफलाइटिस वास्तव में मस्तिष्क की अचानक सूजन है और यह कुछ मामलों में काफी खतरनाक हो सकती है। सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं: सिरदर्द, बुखार, उनींदापन, भ्रम और थकान (headache, fever, drowsiness, confusion and fatigue). कंपकंपी, दौरे, आक्षेप, मतिभ्रम, स्मृति समस्याएं और यहां तक कि स्ट्रोक (tremors, seizures, convulsions, hallucinations, memory problems and even stroke), अधिक गंभीर लक्षणों में शामिल हो सकते हैं. आसपास कबूतरों की आबादी खत्म करना ही ऐसा होने से रोकने में कारगर हो सकता है.

हिस्टोप्लाज्मोसिस (Histoplasmosis): हिस्टोप्लाज्मोसिस जैसी बीमारियां और श्वसन रोग कबूतर या अन्य पक्षियों के मल में उगने वाले कवक (fungus) के परिणामस्वरूप होता है और घातक हो सकता है। इन बूंदों में होती हैं। कबूतर के मल में  बढनेवाला फंगस साँस से शरीर में घुसता है. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले किसी भी व्यक्ति के लिए इस संक्रमण के लक्षण खतरनाक हो सकते हैं। आमतौर पर फ्लू जैसे लक्षण होते हैं और इसमें सिरदर्द, बुखार, सूखी खांसी और थकान शामिल हैं।

कैंडिडिआसिस (Candidiasis): ये भी एक साँस की बीमारी है रोग भी एक श्वसन स्थिति है जो पक्षियों में मल में पलनेबढ़ने वाले कवक (fungus) या खमीर (yeast) के कारण होता है। यह संक्रमण कैंडिडा नामक खमीर (yeast) की 20 से अधिक प्रजातियों के कारण होता है। संक्रमण के सामान्य क्षेत्र मुंह और गला है और इसे आमतौर पर “थ्रश” कहा जाता है। अगर त्वचा, श्वसन प्रणाली, आंतों और मूत्रजननांगी पथ (skin, mouth, the respiratory system, intestines and the urogenital tract) को भी प्रभावित कर सकता है। यह विशेष संक्रमण महिलाओं के लिए और भी गंभीर समस्या पैदा कर सकता है।

साल्मोनेलोसिस (Salmonellosis) या फूड पॉइज़निंग: यह एक संभावित गंभीर और यहां तक कि घातक संक्रमण है जो साल्मोनेला (Salmonella) बैक्टीरिया के कारण होता है। इस बीमारी को आमतौर पर “फूड पॉइज़निंग” कहा जाता है और यह बैक्टीरिया सूखे संक्रमित मल से धूल के साथ उड़ता हुआ भोजन और भोजन बनाने की जगह को दूषित कर देती है। मल की धूल में साल्मोनेला हो सकता है और कई अलग-अलग तरीकों से फैल सकता है। यह कबूतरों, स्टार्लिंग्स और गौरैयों के मल से फ़ैल सकता है. मल का धूल को वेंटिलेटर और एयर कंडीशनर द्वारा सोखा जा सकता है और रेस्तरां, घरों और खाद्य प्रसंस्करण संयंत्रों में भोजन और खाना पकाने की सतहों को दूषित कर सकता है। एक समस्या यह है कि अगर धूल घर या खाने से अंदर जा सकती है और संक्रमण का कारण बन सकती है।

 क्रिप्टोकोकस (cryptococcus): एक खमीर (yeast) जैसा कवक (fungus) है. यह फंगस कबूतर के मल पर पनपता है और इसके संक्रमण को ‘क्रिप्टोकॉकोसिस’ के रूप में जाना जाता है। यह संक्रमण फेफड़ों और तंत्रिका तंत्र (lungs and nervous system ) को प्रभावित कर सकता है। एक अन्य बीमारी जो फैलती है उसे साइटाकोसिस या “पैरो फीवर” के रूप में जाना जाता है। कबूतरों के अलावा, पालतू पक्षी भी इसे फैला सकते हैं. पक्षियों के सूखे मल से धूल में सांस लेने या पक्षी की चोंच और आंखों से निकलने वाले सूखे निर्वहन (डिस्चार्ज) में ये हो सकता है. लक्षणों में खांसी, सिरदर्द और बुखार शामिल हो सकते हैं, और यहां तक कि एक गंभीर फेफड़ों का संक्रमण (cough, headache, and fever, and can even become a serious lung infection ) भी हो सकता है जिसमें अस्पताल में एडिमिट करने की नौबत आ सकती है.

प्लास्टर और बाइंडिंग मटेरियल नुकसान: कबूतरों को छत, कोने या कहीं भी घोंसला बनाने के लिए आरामदायक जगह मिल रही है. उनका मल बहुत अम्लीय (Acidic) होता है. बारिश का पानी इस मल को सब जगह फैला देता है. ये छत के प्लास्टर और बाइंडिंग मटेरियल नुकसान पहुंचा कर नष्ट कर सकता है. इसतरह ये छत के रिसाव (लीकेज) का कारण बन सकता है.

टिक्समाइट्सबेडबग्स (खटमल): रोग और संक्रमण के अलावा, कबूतर परजीवी, टिक्स और घुन (parasites, ticks, and mites) भी ला सकते हैं। कबूतरों का मल सभी प्रकार के परजीवियों और कीटों के लिए प्रजनन स्थल है। एक मरा हुआ कबूतर कीटों और मक्खियों के लिए और भी बढ़िया प्रजनन स्थल है. इनमे पलने बढ़ने वाले कीड़ों में टिक्स, माइट्स, बेडबग्स (खटमल) और यहां तक कि जूँ भी शामिल हैं। जितने ज्यादा कबूतर, संक्रमण और इन छोटे छोटे कीड़ों के घर में आने का खतरा उतना ही अधिक होता है। कबूतर भी घुन, पिस्सू और वेस्ट नाइल वायरस के वाहक होते हैं, जो सभी मनुष्यों में असुविधा और संभावित गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। कबूतरों से 60 से अधिक किस्मों की रोगजनक करक (pathogens) होते हैं जो कई बीमारियों को फैलाते हैं. इसलिए सभी जगहों को कबूतरों से मुक्त रखने पर ध्यान देना चाहिए.

अमेरिका में नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन ने 1941 से 2003 तक कबूतरों से मनुष्यों में बीमारी के 176 मामलों का दस्तावेजीकरण किया है। 2016 में, कर्नाटक वेटरनरी जूलॉजी एंड फिशरीज यूनिवर्सिटी के एक पशु चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने कबूतर की बूंदों में लगभग 60 प्रकार की बीमारियों को वर्गीकृत किया है. सबसे महत्वपूर्ण निवारक उपाय स्रोत को हटाकर और दूषित क्षेत्र को अच्छी तरह से साफ और साफ करके कबूतरों के संपर्क में आने से रोकना है। तैयार भोजन के प्रावधान के कारण, शहरी कबूतरों ने अपनी प्राकृतिक मैला खाने की क्षमता खो दी है जो किसी भी पक्षी के लिए आवश्यक है। पक्षियों को तय करने दें कि उन्हें क्या चाहिए, इंसानों को नहीं।

–    एड. संजय पांडे

९२२१६३३२६७

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एस.एन .सेन .बालिका विद्यालय पी.जी कॉलेज कानपुर में हिंदी विभाग द्वारा प्रेमचंद जी की जयंती मनाई गई

कानपुर 30सितंबर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस.एन .सेन . बालिका विद्यालय पी.जी कॉलेज कानपुर में हिंदी विभाग द्वारा प्रेमचंद जी की जयंती मनाई गई। कॉलेज की डा प्रीति सिंह के अनुसार 31 जुलाई को प्रेमचंद जयंती होती है। किंतु 31 तारीख को रविवार  की छुट्टी होने के कारण एक दिन पहले ही समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में कथा सम्राट के आईने में (पंच परमेश्वर) कहानी पर छात्राओं द्वारा परिचर्चा कराई गई ।इस अवसर पर महाविद्यालय प्रबंध तंत्र समिति के अध्यक्ष प्रवीण कुमार मिश्रा, सचिव प्रोवीर कुमार सेन, संयुक्त सचिव शुभ्रो सेन,प्राचार्य डॉ निशा अग्रवाल, समाज शास्त्र विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ निशी प्रकाश, डॉ रेखा चौबे ,अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ अलका टंडन तथा हिंदी विभाग की विभागाध्यक्षा रचना शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
छात्राओं को संबोधित करते हुए प्राचार्य जी ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियां आज भी प्रासंगिक हैं। चाहे आर्थिक पक्ष हो.चाहे राजनीतिक या सामाजिक वे आज भी हमें झकझोर देती हैं। नित्या गुप्ता शुभी त्रिपाठी ,भूमि बाजपेई,पलक अमृता शुक्ला मनीषा कुमारी ने पंच परमेश्वर कहानी पर अपने विचार व्यक्त किए ।
मुख्य अतिथि का स्वागत हिंदी विभाग की सहायक आचार्य श्रीमती रेशमा ने किया। कार्यक्रम में हिंदी विभाग की प्रवक्ता श्रीमती अंकिता शर्मा, दीपाली गुप्ता ने सक्रिय भूमिका निभाई।
इस अवसर पर महाविद्यालय की सभी प्रवक्ता गण, कर्मचारी गण उपस्थित थे ।
कार्यक्रम का संचालन डॉ शुभा बाजपेयी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग की विभागाध्यक्षा रचना शर्मा ने किया।

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6 लेन की होगी कानपुर रिंग रोड, बैराज मार्ग नए स्टेट हाइवे 173 का हिस्सा बनेगा।

कानपुर की यातायात व्यवस्था को सुगम और जाम रहित बनाने में शासन की प्राथमिकता और कानपुर के मंडलायुक्त डाक्टर राजशेखर की निरंतर समीक्षा समन्वय और फॉलोअप सिस्टम का प्रभाव अब।दिखने लगा है।
कानपुर के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्गो और स्टेट राजमार्ग की
प्रगति समीक्षा बैठक में उन्होंने बताया की नगर के औद्योगिक ग्राफ में गिरावट तथा जाम युक्त यातायात के समाधान हेतु प्रतिदिन की समय सारिणी के।अनुसार फॉलोअप किया जा रहा और यह भी प्रयास हो रहा है की वर्तमान योजनाएं लंबे समय तक सुगम यातयात बाली बनी रहे,।
राजशेखर ने बताया की सामान्यतः
रिंग रोड 4 लेन की बनती है और उनमें 2लेन प्रसार का प्रभिधान किया जाता है लेकिन कानपुर की आवश्यकता को देखते हुए विशेष
प्रयासों से यह सिक्स लेन की बनाए जाने पर सहमति हो गई है।
कानपुर रिंग रोड के निर्माण की एक विशेष बात रहेगी की इसकी पूरी लंबाई में रोड स्टड एल इ डी ब्लिंकिंग लाइट लगेगी जिससे कोहरे में विशेष रूप से गंगा नदी के पुलों पर कोहरे से यातायात प्रभावित न हो।
रिंग रोड की कुल लंबाई 93.2 किलोमीटर।
कानपुर नगर अंतर्गत 62 किलोमीटर
उन्नाव में 27 किलोमीटर
कानपुर देहात के अंतर्गत 04 किलोमीटर है।

निर्माण लागत लगभग 4778.69 करोड़
भूमि अधिग्रहण लागत लगभग 3605 करोड़
यूटिलिटी शिफ्टिंग लगभग 191.14
करोड़
अन्य पर व्यय लगभग 907.95 करोड़
कुल परियोजना लागत लगभग 9482.79 करोड़
रिंग रोड को बैराज क्षेत्र से जोड़ने का प्रस्ताव नीरज श्रीवास्तव ने दिया था उसका भी प्रभिधान किया गया है

परियोजना निदेशक कन्नौज प्रशांत ने बताया की भूमि से संबंधित 3 डी की कार्यवाही 15 अगस्त तक पूर्ण हो।जायेगी ।
निर्माण कार्य मार्च 2023 में आरंभ करने का लक्ष्य है
भूमि अधिग्रहण और निर्माण।कार्य में कोई बाधा न आने पाए इसके लिए जिलाधिकारी कानपुर नगर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई जिसमे अपर जिलाधिकारी
कानपुर देहात/,कन्नौज/ उन्नाव ,मुख्य अभियंता लोकनिर्माण कानपुर, ट्रांसमिशन विभाग मुख्य अभियंता सिंचाई तथा मुख्य वन संरक्षक वन कानपुर मंडल होंग। इसकी पाक्षिक समीक्षा आयुक्त कानपुर मंडल करेगे।

नीरज श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 34 को मंधना से बैराज मार्ग से जोड़े जाने की आवश्यकता है,इसके परीक्षण के लिए आयुक्त ने मुख्य अभियंता लोकनिर्माण, परियोजना निदेशक कन्नौज तथा नीरज श्रीवास्तव को।निर्देश दिया।

डाक्टर राजशेखर ने बताया की चूंकि बैराज मार्ग से लखनऊ की जाने वाला यातायात निरंतर बढ़ रहा है इसको देखते हुए उच्च स्तरीय सयुक्त विकास समिति के प्रस्ताव पर उन्हों ने पिछले वर्ष इसको 4 लेन प्रसार के लिए माननीय मंत्री जी अनुरोध किया था ,इस क्रम में इसको दाएं बंधा मार्ग मधना से बैराज ,बाएं बंधा मार्ग
बैराज से सरैया क्रॉसिंग से पुरवा होकर मोहनलाल गंज तक स्टेट हाइवे 173 घोषित किया गया है
और यह लोकनिर्माण विभाग की कार्ययोजना में भी सम्मिलित कर लिया गया है।

डाक्टर राजशेखर ने अन्य महत्वपूर्ण योजना दादानगर समानांतर सेतु के संबंध में हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह परियोजना आज संपन्न हुई व्यय वित्त समिति की।बैठक में स्वीकृत हो गया l
इनसभी परियोजनाओं के पूर्ण होने पर कानपुर के आंतरिक क्षेत्रों में भारी वाहनों का दबाव कम होगा, आंतरिक शहरी यातायात सुगम होगा और मुख्य रूप से कानपुर के औद्योगिक विकास को गति मिलेगी।
बैठक में मुख्य अभियंता लोकनिर्माण, समन्वयक नीरज। श्रीवास्तव,परियोजना निदेशक कन्नौज , अधीक्षक अभियंता एन एच लोक निर्माण विभाग,के अतिरिक्त लोक निर्माण विभाग के सभी डिविजन के अभियंता मौजूद रहे।

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हैलट के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में शुरू की गई स्पेशलिटी क्लीनिक की श्रृंखाला मे आज मेनोपॉज क्लीनिक का उद्घाटन

कानपुर 28 जुलाई भारतीय स्वरूप संवाददाता! मरीजों को उच्च कोटि के चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने हेतु हैलट के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में दिनांक21-7-2022 को शुरू की गई स्पेशलिटी क्लीनिक की श्रृंखाला मे, आज दिनांक 29-07-2022 को मेनोपॉज क्लीनिक का उद्घाटन मुख्य अतिथि डा0 राजशेखर, मंडलायुक्त कानपुर द्वारा किया गया । उद्घाटन में डॉ संजय काला, प्राचार्य जीएसवीएएम मेडिकल कॉलेज विशेष अतिथि के तौर पर सम्मलित हुए तथा उन्होंने speciality clinic के लिए स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के प्रयासों के लिए विभागाध्यक्ष डा नीना गुप्ता को बधाई दी। कार्यक्रम में डॉ.रिचा गिरी (उप – प्राचार्य ),

डॉ. आर के मौर्या  (एसआईसी एलएलआर अस्पताल) भी मुख्य रूप से उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि डॉ राजशेखर ने बताया कि menopausal महिलाओं में होने वाली कैल्शियम की कमी, स्थानीय उपलब्ध खाद्य पदार्थों से काफी हद तक पूरी की जा सकती है । उन्होंने ओपीडी में आने वाली सभी महिलाओं को खाद्य पदार्थों की फोटो एवं नाम की सूची बटवाए जाने का सुझाव दिया तथा इस कार्य हेतु मदद देने का आश्वासन भी दिया। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नीना गुप्ता ने बताया कि मेनोपॉज अर्थात रजो – निवृत्ति स्त्री के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह अमूमन 45 से 50 साल की उम्र में होता है परंतु विगत वर्षों में ऐसा देखा जा रहा है कि भारत एवं अन्य एशियाई देशों में मेनोपॉज की यह उम्र और घट गयी है। यह वह समय है जब महिलाएं ,चाहे वह कामकाजी हो या गृहणी, अपनी जिम्मेदारियों के लिए पूरी तरीके से समर्पित होती हैं। शारीरिक एवं मानसिक रूप से इस समय उनके ऊपर काफी दबाव होता है, ऐसे में मेनोपॉज से होने वाली परेशानियां जैसे ओस्टेपोरोसीस के फ्रैक्चर, अत्यधिक रक्तस्त्राव, मूत्र सम्बन्धी परेशानिया या कमजोरी उनके स्वस्थ जीवन में बाधा बन सकती है।

मेनोपॉज क्लीनिक का उद्देश्य महिलाओं एवं साथ ही साथ पुरुषों को भी जागरूक करना है तथा इन परेशानियों का निदान करना है । मेनोपॉज क्लीनिक की इंचार्ज प्रोफेसर शैली अग्रवाल व सह इंचार्ज डॉक्टर गरिमा गुप्ता है। डॉ नीना गुप्ता ने बताया कि भारत में 2023 तक लगभग 40 करोड़ महिलाएं मेनोपॉज के पड़ाव में होंगी । अतः उनके स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के निदान के लिए इस प्रकार की क्लीनिक काफी मददगार साबित हो सकती हैं । मेनोपॉज क्लीनिक के सह इंचार्ज डॉ .गरिमा गुप्ता ने बताया कि इस अवसर पर लगभग 80 महिलाओं की बोन मैरो डेंसिटी (BMD) करने के लिए निशुल्क कैंप भी लगाया गया है। क्योंकि यह पाया गया है कि 50 वर्ष की उम्र में महिलाओं में osteoporosis ( उम्र के साथ होने वाली हड्डियों की एक कमज़ोरी ) होने के लगभग 40% संभावना होती हैं और उम्र के साथ यह प्रतिशत बढ़ता जाता है । समय पर BMD करा लेने से और उसके बाद ओस्टेपोरोसीस का इलाज कर लेने से इससे होने वाले फ्रैक्चर को कम किया जा सकता है । कार्यक्रम का संचालन डॉ. दिव्या द्विवेदी द्वारा किया गया। सभी संकाय सदस्यो, जूनियर डॉक्टर एवं कर्मचारियों सहित लगभग 150 लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें डा0 रीता गुप्ता, डॉ नीलिमा वर्मा, डॉ. संजय कुमार आदि भी उपस्थित रहे ।

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सकून तेरे पास है और तू भटकाता फिर रहा

बात बात पर भड़क रही थी शैफाली आज।रसोई के बर्तनो की आवाज़ से ही उसकी मन की व्यथा का अंदाज़ा लगाया जा सकता था।समीर की पत्नी शैफाली,जो किटी पार्टीयो में अक्सर आया जाया करती और आ कर अपने पति को परेशान करती और कहती ! समीर देखा !मेरी सहेली रीटा का घर बेस्ट लोकेशन में है हमारा कंयू नही। मोनिका ने अभी बंगला ख़रीदा है हम क्यों नहीं ले पा रहे।रात के खाने के बर्तन समेटते हुए शैफाली ने समीर से पूछा ?समीर तुम्हारी प्रमोशन का क्या बना ?बॉस से बात हुई क्या ? कब से कह रही हूँ बंगला ले लो।साल से ज़्यादा वक़्त हो गया हमें इस शहर में आये हुये।समीर चुपचाप अपनी पत्नी शैफाली की बाते सुन रहा था।शैफाली बोले जा रही थी ,मेरा मन भी करता है कि मै बंगले में रहूँ।अब तो मुझे ईर्ष्या सी होने लगी है सभी सहेलियों से।समीर तुम इतने काबिल हो कर भी कुछ कर नहीं पा रहे और बेधड़क भगवान को कोसे जा रही थी कि भगवान ने उसे ये फ़्लैट कंयू दिया,बंगला कयू नही दीया वग़ैरह वग़ैरह।समीर की ये सब बातें सुनना उसकी दिनचर्या में शामिल था।हर रोज ये बातें सुनता और मन ही मन में झुंझला जाता।चुपचाप अपने सोने के कमरे में चला गया।आँखे मूँद कर सोने का बहाना करने लगा।नींद तो उसे भी नहीं आ रही थी क्योंकि सोच तो वो भी यही रहा था कि कैसे तैसे कर के इक बंगला बन जाये।पता नहीं कब आँख लगी और सुबह हो गई।जल्दी से उठा और नाश्ता करके आफ़िस चला गया तो उसे वहाँ जा कर पता चला कि उसकी कंपनी जिस में वो काम करता था ,बैंकरपसी मतलब बंद होने को है और बॉस ने हाथ जोड़कर कर सभी कर्मचारियों को कहा !अब मेरी कंपनी बंद हो रही है और आप कहीं और काम देखिए।समीर के पैरो तले जैसे ज़मीन निकल गई।समीर अपनी कंपनी में बहुत अच्छी पोस्ट पर था।बड़ा अच्छा घर चल रहा था।ओह !अब क्या करेगा।आफ़िस से सीधा घर आया और शैफाली को भी ये बात बताई।अब दोनो परेशान कि अब कैसे घर चलेगा ,बच्चों की स्कूल की भारी फ़ीस कहाँ से देगा ,फ़्लैट की किश्त कैसे भरेंगा ।रात दिन नौकरी तालाश करने लगा।उसकी तो रातों की नींद ही उड़ गई।परेशान सा सोच रहा था कि अब जल्दी ही फ़्लैट भी ख़ाली करना पड़ेगा ,क्योंकि अगले महीने फ़्लैट की किश्त वो नहीं भर पायेगा।महीने का आख़िरी दिन है और जगह जगह नौकरी के लिये अपलाई कर चुका है मगर कहीं से कोई जवाब हाँ में नहीं आ रहा।कोई जवाब न पा कर बेहद निराश सा ,खोया सा बैठा था।कुछ नही सूझ रहा था उसे ।अचानक से दरवाज़े की घंटी बजी।समीर ने भारी कदमो से दरवाज़ा खोला ।वहाँ कोई उसे लैटर देने आया था।लैटर खोला तो देखा उसे इक कंपनी मे अच्छी नौकरी मिल गई है समीर इतना ख़ुश कि ख़ुशी से रोने ही लगा और कहने लगा कि शुक्र है भगवान ,तू कितना दयालु है मुझे सड़क पर जाने से बचा लिया।वरना मैं कहाँ ले कर जाता बच्चों को,और फ़्लैट को ऐसे देख रहा था जैसे वो फ़्लैट न हो कर उसका महल हो।शैफाली और समीर ख़ुशी से नाच रहे थे और भगवान का शुक्रिया कर रहे थे।
दोस्तों फ़्लैट तो वही था जो दोनों के दुख का कारण था और आज वही फ़्लैट सुख का कारण बना हुआ था।ख़ुशी कहाँ से आई अन्दर से ,स्वीकार करने मे ,शुक्र करने मे।ख़ुशी हमारी प्रतिक्रियाओं मे है कि हम हर हालात मे कैसे रिएक्ट करते है ।कैसे किसी हालात को समझते है।अपनी चीजों की कद्र हमे तब होती है जब वो हमारे हाथों से जा रही होती है या जा चुकी होती है ।सो वक़्त रहते हमे चीजो की,या हालातो की या अपने आसपास के लोगों की कद्र करना सीख लेना चाहिए।अकसर लोग सोचते है कि वो बहुत ख़ुश होते,अगर वो कहीं बाहर के देशों मे सैटल होते। विदेशों मे रहने वाले लोगों से पूछिए।वो भी परेशान है किसी न किसी बात पर।किसी को काम नही मिल रहा ,कोई बीमारी की वजह से परेशान,किसी के घर तालाक की बाते चल रही है कोई डिप्रेशन से घिरा हुआ है। जिसको सुख और सकून मिलना है वो कहीं भी रह कर भी मिल सकता है ।
दोस्तों ! दूसरो की उन्नति से ईषा करके कोई फ़ायदा नहीं ।अपने पास जो है उसी में सकून ढूँढिए।
“सकून की तालाश में अपना वक़्त न ज़ाया कर..सकून तेरे पास है और तू भटकाता फिर रहा है ..ऐ सकूने यार मे”।
✍️ लेखिका स्मिता केंथ (England)

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न्याय की चाहत में बेगुनाह व उसके परिजन लगा रहे अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के चक्कर

कानपुरः भारतीय स्वरूप संवाददाता। न्याय पाने की चाहत में बेगुनाह लुटेरा व उसके परिजन अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगा रहे हैं। उन्हें विश्वास है कि उन्हें न्याय मिलेगा और मनगढ़न्त कहानी रचने वाले दोषी पुलिसवालों को सजा अवश्य मिलेगी।
जी हां, मामला गुजैनी थाने का है। मिली जानकारी के अनुसार गुजैनी थाना क्षेत्र के अम्बेडकर नगर नहर पुल के पास 18/19 जून 2022 की रात्रि में लूट की तीन वारदातों को अंजाम दिया गया। लेकिन पुलिस ने पहली लूट के पीड़ित को वादी, दूसरे पीड़ित को गवाह और तीसरे पीड़ित को आरोपी बनाकर जेल भेज दिया! लेकिन कहा जाता है कि सच्चाई सामने आ ही जाती है और यही हुआ भी। अब तीनों वारदातों के तथ्यों के मिलने पर पुलिस की फर्जी खेल खुल गया। परिणामतः पुलिस द्वारा किये गये लूट के खुलासे पर सवालिया निसान लग रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, कानपुर पुलिस कमिश्नरेट अन्तर्गत नवसृजित थाना गुजैनी क्षेत्र में बिगत 18/19 जून 2022 को गुजैनी नहर व हाइवे के पास एक ही रात में कुछेक मिनटों के अन्तराल पर लूट की तीन वारदातों को अंजाम दिया गया। किन्तु पुलिस ने तीनों वारदातों को एक दिखा दिया और पहली घटना के पीड़ित को वादी मुकदमा, दूसरी घटना के पीड़ित को गवाह और तीसरी घटना के शिकायतकर्ता अम्बेडकर नगर निवासी राजन सिंह को आरोपी बनाकर जेल के सलाखों के पीछे भेज दिया?इसके बाद प्रकाश में आया है कि वादी मुकदमा गोविन्द प्रसाद व चश्मदीद गवाह ब्रजेश कुमार सैनी ने जेल भेजे गये राजन सिंह को निर्दोष बताते हुए माननीय न्यायालय व पुलिस आयुक्त के समक्ष शपथपत्र दे दिये थे। साथ ही अब इस खुलासे में नया मोड़ आ गया है और जेल छूटे आरोपी राजन सिंह ने बताया कि उसके साथ भी लूट की गई थी जिसकी सूचना उसने 112 पर दी थी किन्तु उसकी कोई बात नहीं सुनी गई बल्कि पुलिस ने उसे आरोपी बनाकर जेल भेजकर उसका कैरियर खत्म कर दिया। वादी मुकदमा गोविन्द प्रसाद व चश्मदीद गवाह ब्रजेश कुमार सैनी ने गुजैनी पुलिस पर गम्भीर आरोप लगाया कि सिर्फ गुडवर्क के चक्कर में थानाध्यक्ष रवि शंकर त्रिपाठी ने राजन सिंह को आरोपी बनाया है।
राजन के भाई शिववीर सिंह ने बताया कि जिले के आलाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को मामले से अवगत करा चुका है लेकिन दोषी पुलिस वालों पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई जिससे लगता है कि पुलिस के कुछ अधिकारियों का संरक्षण दोषी पुलिस वालों को प्राप्त है। शिववीर ने बताया कि अपने भाई को न्याय दिला कर रहेगा और न्याय दिलाने के लिये वो निचली अदालत से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक की चौखट तक जायेगा। लेकिन अपने निर्दोष भाई को जेल भेजने वालों को सख्त से सख्त सजा दिलाकर रहेगा।
बताते चलें कि लूट का फर्जी खुलासा करने वाली टीम में गुजैनी थाना प्रभारी रवि शंकर त्रिपाठी, उप निरीक्षक राकेश दीक्षित, उप निरीक्षक अरुण कुमार, उप निरीक्षक रिन्कू कुमार, हे0 का0 देवेन्द्र सिंह,

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सिंधिया ने जबलपुर-कोलकाता के बीच सीधी उड़ान का शुभारंभ किया

नागर विमानन उड्डयन मंत्रीश्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया और नागर विमानन राज्य मंत्री जनरल वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज स्पाइसजेट द्वारा जबलपुर और कोलकाता के बीच सीधी उड़ान का शुभारंभ किया।

इस कार्यक्रम में संसद सदस्य (लोकसभा) श्री राकेश सिंह, संसद सदस्य (राज्य सभा) श्री विवेक के. तन्खा, जबलपुर छावनी के विधानसभा सदस्य श्री अशोक रोहानी, नागर विमानन मंत्रालय के सचिव श्री राजीव बंसल, और स्पाइसजेट के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री अजय सिंह की उपस्थिति के साथ-साथ कई अन्य गणमान्य व्यक्ति वर्चुअल तौर पर उपस्थित थे।

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एयरलाइन इस रूट पर दैनिक उड़ानों का संचालन करेगी और कम दूरी की उड़ानों के लिए डिजाइन किए गए अपने क्यू400,78-सीटर टर्बो प्रोप विमान को तैनात करेगी। उड़ान का यह नया रूट 26 नई घरेलू उड़ानों का एक हिस्सा है जिसे स्पाइसजेट आज लॉन्च कर रही है। इस अवसर पर अपने संबोधन में, श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा कि पिछले एक साल में देश में हवाई सेवाओं में व्यापक विस्तार हुआ है, खासकर मध्य प्रदेश में जहां जुलाई 2021 में प्रति सप्ताह 554 विमानों का आवागमन हो रहा था और अब यह आंकड़ा 980 तक चला गया है। उन्होंने कहा कि जबलपुर अब 10 शहरों से जुड़ गया है, और विमानों का आवागमन बढ़कर 182 हो गया है। इसी तरह, ग्वालियर जुलाई, 2021 में 56 विमानों के आवागमन के साथ 4 शहरों से जुड़ा था, और यह आंकड़ा बढ़कर एक सौ हो गया है। इंदौर में 308 विमानों का आवागमन हो रहा था जो बढ़कर 468 हो गया है और अब यह 20 शहरों से जुड़ा है। राज्य की राजधानी भोपाल, जिसका जुलाई 2021 में 5 शहरों के साथ हवाई संपर्क था, अब 13 शहरों से जुड़ गया है और इसमें 226 विमानों का आवागमन हो रहा है। खजुराहो हवाई अड्डा भी दिल्ली से जुड़ा है और यहां से प्रति सप्ताह 4 उड़ानें संचालित हैं।

नागर विमानन मंत्री ने कहा कि जबलपुर हवाईअड्डा 1930 में स्थापित किया गया था, और द्वितीय विश्व युद्ध में इसका इस्तेमाल किया गया था। अब, हवाई अड्डे का विस्तार किया जा रहा है, जिसमें रनवे की लंबाई 1988 मीटर से बढ़कर 2750 मीटर हो गई है। पीक आवर्स में टर्मिनल बिल्डिंग की क्षमता 200 यात्रियों से बढ़ाकर 250 की जा रही है, और इसका क्षेत्रफल 2600 वर्ग मीटर से बढ़कर 10713 वर्ग मीटर हो जाएगा। 3 एयरो ब्रिज बनाए जा रहे हैं, और नए एटीसी टावर और फायर स्टेशन बनाए जा रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि 412 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा विस्तार कार्य अगले साल मार्च तक पूरा कर लिया जाएगा।

जनरल वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने जबलपुर के लोगों को नई कनेक्टिविटी मिलने पर बधाई दी, जिससे क्षेत्र में कारोबार, व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

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जबलपुर और उसके आस पास के क्षेत्रों के लोगों को सीधी हवाई कनेक्टिविटी मिलने से लाभ होगा जिससे यात्रियों के लिए निर्बाध आवागमन की सुविधा होगी। नई सीधी उड़ान से आम लोगों को यात्रा करने का एक नया विकल्प मिलेगा जिससे पर्यटन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा और दोनों क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी। जबलपुर पहले ही नौ शहरों यानी बेंगलुरु, दिल्ली, बिलासपुर, हैदराबाद, इंदौर, मुंबई, पुणे, चेन्नई और भोपाल से जुड़ चुका है। अब इसे 10वें शहर कोलकाता से जोड़ा जा रहा है।

उड़ान की सूची इस प्रकार है:

क्र.सं. उड़ान  प्रस्थान आगमन एयरलाइन बारंबारता प्रस्थान (समय) आगमन (समय) विमान का प्रकार शुरुआत की तिथि
1 एसजी 3003 जबलपुर कोलकाता स्पाइसजेट प्रतिदिन 19:15 21:15 क्यू400 22 जुलाई से
2 एसजी 3002 कोलकाता जबलपुर स्पाइसजेट प्रतिदिन 06:10 08:30 क्यू400 23 जुलाई से

 

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यदि गलत धारणा बनायी जा रही हो, तो मीडिया को आत्मनिरीक्षण की जरूरत : अनुराग ठाकुर

“ये आकाशवाणी है”, वे अमर शब्द हैं, जिन्हें हर भारतीय पहचान सकता है, इनकी गूंज आज आकाशवाणी भवन के रंग भवन सभागार में सुनायी दे रही थी, क्योंकि श्री अनुराग ठाकुर ने इन शब्दों के साथ “और आज आप सूचना प्रसारण मंत्री को सुन रहे हैं” कहकर अपना वाक्य पूरा किया था। इन शुरुआती शब्दों ने आज राष्ट्रीय प्रसारण दिवस उत्सव को रेखांकित किया, इन्हीं शब्दों के साथ ऑल इंडिया रेडियो की 1927 में शुरुआत हुई थी, जो अब तक एक लंबी और शानदार यात्रा रही है।

उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि कुछ लोगों ने अनुमान लगाया था कि टेलीविजन और बाद में इंटरनेट के आने से रेडियो का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा, लेकिन रेडियो ने अपने दर्शकों की पहचान की है और न केवल अपनी प्रासंगिकता बल्कि विश्वसनीयता को भी बनाए रखा है।

उन्होंने कहा कि आज, जब लोग निष्पक्ष समाचार सुनना चाहते हैं, तो वे स्वाभाविक रूप से आकाशवाणी और दूरदर्शन की खबरें सुनते हैं। उन्होंने कहा कि आकाशवाणी देश के 92 प्रतिशत भू-भाग और 99 प्रतिशत से अधिक लोगों को कवर करती है और यह एक सराहनीय उपलब्धि है।

एक प्लेटफार्म के रूप में रेडियो के महत्व के बारे में श्री ठाकुर ने कहा कि कई प्रधानमंत्री हुए हैं, लेकिन किसी ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह रेडियो के मूल्य को नहीं समझा, जिन्होंने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये देशवासियों से सीधे जुड़ने के लिए इसे अपने मनपसंद माध्यम के रूप में चुना है।

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केन्द्रीय मंत्री ने मीडिया को सतर्क करते हुए कहा कि अगर कहीं ‘मीडिया ट्रायल’ जैसे कथनों के माध्यम से निजी मीडिया के बारे में गलत धारणा पैदा हो रही है, तो हमें अपने कामकाज के बारे में आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है।

आजादी का अमृत महोत्सव के भाव को अभिव्यक्ति प्रदान करने में दो संस्थाओं- आकाशवाणी और दूरदर्शन- की भूमिका को श्रेय देते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जहां स्वतंत्रता के बाद से अब तक की शिक्षा प्रणाली ने कई क्षेत्रीय स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिका का उल्लेख नहीं किया, वहीं रेडियो और दूरदर्शन ने देश के दूर-दराज इलाकों के पांच सौ से अधिक गुमनाम नायकों के बारे में जानकारी एकत्रित की और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदानों की सराहना करते हुए इसे राष्ट्र के सामने प्रस्तुत किया।

केन्द्रीय मंत्री ने दोनों एजेंसियों के लिए सामग्री (कंटेंट) के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि यह सामग्री ही थी जिसने लोगों को इन दोनों चैनल की ओर खींचा। उन्होंने कहा कि टावरों के माध्यम से पहुंच चाहे जितनी भी हो जाए, वह सामग्री के महत्व की बराबरी नहीं कर सकती। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस डिजिटल युग में रेडियो लोगों के बीच अपनी उपस्थिति को और मजबूत करेगा।

केन्द्रीय मंत्री ने दूरदर्शन पर नए धारावाहिकों- कॉरपोरेट सरपंच: बेटी देश की, जय भारती, सुरों का एकलव्य और ये दिल मांगे मोर के साथ-साथ स्टार्टअप चैंपियंस 2.0 के प्रोमो को जारी किया।

केन्द्रीय सूचना और प्रसारण राज्यमंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के अवसर पर दर्शकों को शुभकामनाएं दीं। डॉ. मुरुगन ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान रेडियो द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला जब कई स्वतंत्रता सेनानियों ने इसका उपयोग ब्रिटिश साम्राज्यवादी सरकार के खिलाफ संचार के एक उपकरण के रूप में किया। उन्होंने देश के दूर-दराज के इलाकों को जोड़ने में रेडियो द्वारा निभाई गई भूमिका को रेखांकित किया और प्रसार भारती के दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक प्रसारक होने पर गर्व व्यक्त किया।

प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री मयंक अग्रवाल ने टेलीविजन और रेडियो जैसे दो माध्यमों के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि इन प्लेटफार्मों पर प्रस्तुत समाचार सामग्री ने विश्वसनीयता की दृष्टि से निजी मीडिया की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है और इस तथ्य को विभिन्न सर्वेक्षणों द्वारा सामने लाया गया है।

इस अवसर पर आकाशवाणी के महानिदेशक श्री एन. वेणुधर रेड्डी तथा प्रसार भारती, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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