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जीवन की कठनाइयो से हार कहा मैं मानी हूं

गर्दिश में थे सितारे मेरे फिर भी मैं मुस्काई हूं।

अपनो की खुशियों के खातिर रोज ही मैं बिखरी हूं
बिखरे तिनके खुद चुन लू इतना साहस लाई हूं
जीवन की कठनाइयों से…

थक गया मन मेरा औरों के लिए मैं क्या बोलूं
जब शर्म ने उनको छुआ नहीं मैं शब्दों में क्या बोलूं
चारदीवारी मुस्काए खड़े मैं बिंदु कहा कह पाई हूं
कठिनाईयां मुझसे पूछ रहीं इतना साहस कहा से लाई हैं।
जीवन की कठनाइयों…..
बिन सुविधा रह भी लू पर मान बिना न रह पाऊं। बिन रोटी मैं रह भी लू अपमान का घूट न पी पाऊं।
झिट छोर खड़ी हो जाऊ पर मर्यादा तोड़ न पाऊं मैं।
जीवन की कठिनाइयों से हार कहा …….
दो घर होगे मेरे यह परिभाषा सब ने भेदी थी।
लहू लगेगा दीवारों पर मेरा ये राज न उनने खोला था
रंग लहू देकर दस बरस बिताए मैंने हैं
जीवन की ……

खुद पर बीती भूल गई मैं अंश पे छाले न सह पाऊं ।
अश्क को पी कर रह जाती मुंह से कुछ न कह पाऊं।
अभिलाषाएं अब टूट रही व्यथा न मन की कह पाऊं।
नया सबेरा खिलेगा एक दिन खुद से ही मैं कह पाऊं
जीवन की ..

वंदना बाजपेई

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स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया पेंशनर्स एसोसिएशन और माधवबाग हॉस्पिटल चैन के संयुक्त तत्वाधान में हृदय रोग एवं मधुमेह रोग बचाव के लिए कार्यशाला का आयोजन

कानपुर 20 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया पेंशनर्स एसोसिएशन, कानपुर आँचल, के तत्वाधान में माधवबाग हॉस्पिटल चैन के सहयोग से अपने पेंशनर्स साथियों के लिए हृदय रोग एवं मधुमेह रोग बचाव के उपायों पर चर्चा के लिए कार्यशाला का आयोजन गोविन्द नगर सिन्धी धर्मशाला में किया गया जिसमें महाराष्ट्र से आये माधवबाग के प्रतिनिधि मिलिन्द सरदार ने अपने संबोधन में कहा कि उम्र में दस साल पीछे जाने के लिए रात का खाना सोने से तीन घंटा पहले भिखारी की तरह खाएं और उपस्थित पेंशनर्स को हिदायत दी कि मॉर्निंग वॉक नहीं कोरोगे तो वार्निंग वाक करनी पड़ेगी। विमलेश अवस्थी ने कहा कि हर व्यक्ति किसी न किसी तरह ऊर्जा ले रहा है हम हँस रहे हैं तो ऊर्जा मिल रही और गुस्से में ऊर्जा घट रही है। मुकेश वर्मा और कुलदीप पाटनी ने भी सेहत संबंद्धित प्रश्न पूछकर उसका निदान किया। कानपुर आँचल के अध्यक्ष अतुल अग्रवाल, सुरेश कपूर, राहुल निगम, सुरेन्द्र सुखीजा, अनुज पाण्डेय एवं हरीश तनेजा , अमृत अग्रवाल एवं रोहित साहू रहे। माधवबाग टीम से डॉ श्वेता सिंह, लक्ष्मी मौर्या और अजय सिन्हा रहे।

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वैधव्य

“अरे संजय लेट हो जाएगा…. उठो! ऑफिस के लिए लेट हो रहा है।” आज फिर मैं देर तक सोती रही (मन ही मन बढ़बढ़ाते हुए बोली)। जल्दी से फ्रेश होकर चाय बनाई और चाय लेकर कमरे में संजय को उठाने आई। कमरे में आते ही जैसे मैं वर्तमान में आ गई, शायद जैसे कोई सपना देख रही थी मैं। मेरा जी धक् से रह गया और मैं निढाल होकर पलंग पर बैठ गई। अतीत के पन्ने मेरे मानस पटल पर चित्रित होने लगे। संजय को साथ छोड़े हुए दो बरस हो रहे थे लेकिन मैं अभी भी संजय के साथ साथ जी रही थी। मैं संजय के बिना जीने की कल्पना को स्वीकार नहीं कर पा रही थी। मैं अभी भी पुराने दिनों की याद में जी कर अपने अवसाद को बढ़ा रही थी। संजय से आगे मेरी सोचने समझने की शक्ति खो चुकी थी। मैं हर उस चीज से भाग रही थी जो मुझे अकेलेपन का एहसास करवा रही थी। शायद मैं अपने आप से दूर होकर एक अलग ही दुनिया में जीने लग गई थी। दूसरों की बातें, सलाह सब मुझे बोझ लगते। वो सब अजनबी लगते जो मुझे नियमों में बांधने की कोशिश करते।
संजय के साथ बिताए हुये पल अभी भी जीवंत थे। मैं हर कुछ देर में समय से पीछे चली जाती और अतीत में जीने लगती। संजय का मुझे अति प्रेम करना ही शायद मुझे उनसे दूर नहीं कर पा रहा था। अपने प्यार के घेरे में मुझे इस तरह बांध रखा था उन्होंने कि उनके आगे मेरी दुनिया खत्म थी। वो मेरा हाथ थामें हर जगह साथ रहते। कहीं भी जाना हो, घूमना हो मैं साथ में ही रहती थी। बच्चों की जिम्मेदारियों से मैं फ्री हो गई हो थी और हम दोनों ज्यादातर वक्त साथ बिताते थे। बेटा बेटी की शादी कर दी थी और वह अपने परिवार में व्यस्त हो गए थे। अब हम दोनों के पास पहले से अधिक समय था और हम अक्सर देशाटन को निकल जाते।
सब कुछ सामान्य चल रहा था मगर यह किसे खबर थी कि जिंदगी की तस्वीर बदलने में वक्त नहीं लगता। एक दिन संजय का ब्लडप्रेशर हाई हो गया और उन्हें पैरेलेटिक अटैक आ गया। जीवन जैसे थम सा गया था। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि सब कैसे ठीक करूं? उनका दाहिना हिस्सा पूरा बेकार हो चुका था। डाक्टर कोशिश कर रहे थे उन्हें ठीक करने की। दवाइयों के साथ साथ फीजियोथेरेपी भी चल रही थी लेकिन नतीजा सिफर था। अब वो पूरी तरह से मुझ पर निर्भर थे। मैं जैसे तैसे परिस्थितियों को संभाल रही थी । बेटी बेटा भी अपनी तरफ से सहयोग कर रहे थे लेकिन नौकरी और घर की व्यस्तता के कारण वह बहुत ज्यादा साथ नहीं दे पा रहे थे।
बेटा:- “मां! महीना हो गया है, मुझे दिल्ली वापस जाना होगा। शुभम का स्कूल मिस हो रहा है और प्रिया की भी छुट्टियां पूरी हो गई है। मैं आता रहूंगा।”
मैं:- “ठीक है बेटा! समय निकालते रहना।”
बेटी:- “मां मुझे भी जाना होगा और अब रोज-रोज आना संभव नहीं है। घर में सब को खटकता है। कल ही मम्मी जी कह रही थी कि जो हो गया सो हो गया अब खुद को संभालो और घर पर ध्यान दो। मैं बीच-बीच में आती रहूंगी आपसे मिलने।”
मां:- (असहाय भाव से) ठीक है बेटा, जैसा ठीक लगे। जब भी समय मिले आ जाया करना।”
मैं कठिन होती जा रही परिस्थिति को सोचने संभालने और संजय की बीमारी से चिंतित होने लगी थी। मैं सोचने लगी कि जीवन में जो लोग अपने महसूस होते हैं बुरे वक्त में वो भी पराए हो जाते हैं। अपने आप को खुद ही मजबूत कर आगे बढ़ना पड़ता है। मैं साहस करके अकेले ही स्थिति को संभालने में लग गई। सबसे पहले डॉक्टर से विचार-विमर्श करके एक नर्स की व्यवस्था की, जो संजय को संभालने में मेरी मदद कर सके। फिर घर की व्यवस्था की ओर ध्यान दिया। उसे व्यवस्थित करके मैंने बिजनेस पर ध्यान दिया। मैंने दुकान जाने का समय बांधा ताकि संजय को अनदेखा ना कर सकूं। हमारी मिठाई की दुकान होने के कारण सुबह सुबह काम ज्यादा रहता था। दूध के आने से लेकर मिठाइयां बनाने में सुबह सुबह व्यस्तता ज्यादा रहती थी। अभी तक संजय ही सब संभालते थे मुझे कभी देखने की जरूरत ही नहीं पड़ी लेकिन अब यह जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई थी। सुबह चार बजे उठकर फारिग होकर दुकान के लिए निकल जाती थी। वहां सब को निर्देशित करके वापस घर आ जाती थी और संजय को संभालती थी। ऐसे कठिन समय में मेरी मां मेरा बहुत साथ निभा रही थी। दोपहर से लेकर शाम तक जब मैं दुकान पर होती थी तब तक मां ही संजय की देखरेख करती थी। इसी तरह सब कुछ चल रहा था।
कुछ समय तक तो सब ठीक रहा फिर संजय की तबीयत धीरे-धीरे बिगड़ने लगी। उनकी बाडी उन्हें सपोर्ट नहीं कर रही थी। उन्हें हर थोड़े दिनों में एक नई बीमारी हो रही थी। उन्हें हॉस्पिटलाइज किया गया डॉक्टरों की निगरानी में भी संजय की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था और फिर एक दिन वो मुझे छोड़ कर चले गए। यह सारी घटना मेरे जेहन से हटती नहीं। एक आघात, एक अकेलापन, संजय से दूर होने की छटपटाहट ने मुझे अवसाद ग्रस्त कर दिया था। मुझे भ्रम स्वरूप संजय दिखते रहते। मेरे ख्यालों में भी संजय जीवंत रहते। कई बार डॉक्टरों के साथ काउंसलिंग की, डिप्रेशन की दवाइयां ले रही थी मगर मैं वास्तविकता से भाग रही थी। घर छोड़कर यहां वहां घूमने निकल जाती थी क्योंकि घर में हर जगह संजय की यादें बसी हुई थी और वहां पर मैं खुद को अकेला पाती थी।
जब आपके हाथ में कुछ ना हो और जब सबकुछ आपके हाथ से छूटने लगे तब ईश्वर आपका हाथ थाम लेते हैं। शायद ईश्वर ने भी मेरा हाथ थाम लिया था। सोमनाथ जाते हुए ट्रेन में मिली महिला सहयात्री के रूप में। वह महिला सहयात्री जो कि वृद्ध आश्रम की देखरेख करने वाली संचालक थी। मेरी उससे मित्रता हुई उसने मुझे अपने आश्रम में आमंत्रित किया और कहा कि वहां आपको कुछ अलग अनुभव होगा। आप जरूर आइएगा। उन्होंने अपने आश्रम का पता दिया। कुछ घंटे साथ रहकर वह अपने गंतव्य पर उतर गई। मैं घर आकर सोचने लगी कि वह अकेली महिला कितनी विश्वास और ऊर्जा से भरी हुई थी। एक दिन उसके आश्रम जरूर जाऊंगी, यह सोचकर मैं घर और दुकान में व्यस्त हो गई। हम व्यापार करने वालों की कोई छुट्टी नहीं रहती, सब दिन समान रहते हैं। रविवार का दिन था। आज सुबह से ही दुकान में भीड़ जरा ज्यादा ही थी तो दुकान से हिल पाना भी मुश्किल हो रहा था। कही बाहर जाने का तो सवाल ही नहीं था।
दोपहर का वक्त था इस समय काम ज्यादा नहीं था। मैं घर जाने का सोच रही थी और दराज बंद करने के लिए चाबी निकालने के लिए पर्स में हाथ डाला कि वृद्धा आश्रम वाला कार्ड मेरे हाथ में आ गया। मैंने सोचा कि चलो आज यहीं जाकर आया जाए और मैं आश्रम की ओर चल दी।
मेरी कल्पना से परे मेरे लिए एक नया माहौल था आश्रम का। कई महिलाएं बगीचे का, कोई किचन का, कोई सफाई का हर महिला किसी न किसी काम में व्यस्त थी। कुछ महिलाएं जो ज्यादा उम्र कि होने के कारण काम नहीं कर सकती थी या बीमार रहती थी, कुछ महिलाएं उनकी देखभाल कर रही थी। यह सब मेरी आंखों को सुखद लगने के साथ-साथ दुख और आश्चर्य भी हो रहा था कि यह महिलाएं आखिर यहां क्यों है? और किस वजह से उन्हें अकेला छोड़ दिया गया है? कुछ महिलाओं से मैंने दोस्ती की और उन सबकी अलग-अलग कहानी थी। कोई दहेज, कोई घरेलू हिंसा, किसी के बच्चे और पति ने छोड़ दिया, तो कोई सहारा ना होने के कारण यहां पर थी। इनके दुख के आगे मुझे अपना दुख बौना जान पड़ा। मैं सोचने लगी कि ईश्वर ने मुझे इतना सक्षम बनाया है कि मैं अपने दुख का सामना कर सकती हूँ और अपनी मदद के साथ साथ दूसरों की भी मदद कर सकूं। मैंने हर रविवार इन महिलाओं से मिलने का निश्चय किया और मैं हर रविवार इनके पास आने लगी। वहां कई महिलाओं से मेरी दोस्ती हो गई। मैं उनके लिए कुछ ना कुछ खाने की चीज जरूर ले जाती क्योंकि मन का रास्ता पेट से होकर जाता है ऐसा सुना था। मैं यथासंभव उनके कामों में मदद भी करने लगी थी। मुझे अब एक नया परिवार मिल गया था, मैं धीरे-धीरे अपने दुख से बाहर आने लगी थी और अब मैं इन्हीं लोगों के साथ अपनी सारी खुशियां बांटने लगी थी। मैं पलंग से उठी और लान में आराम से चाय पीकर अपनी दि
नचर्या में व्यस्त हो गई। ~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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समाचार कानपुर से

कानपुर 19 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, हैलट के ईएमओ और पत्नी समेत चार पर धोखाधड़ी में रिपोर्ट*

बिल्हौर का मामला कूट रचित दस्तावेजों से जमीन हड़पने का आरोप फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन खरीदने के मामले में अधिवक्ता ने हैलेट के इ एम ओ व उनकी पत्नी समेत चार के खिलाफ बिल्लौर थाने में धोखाधड़ी व धमकाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है मंधना निवासी अधिवक्ता सरोज पाल ने बताया कि 4 साल पहले उन्होंने चौबेपुर के अमिलिहा निवासी स्वामी शिवनाथ पाल से 22 बिस्वा जमीन 1400000 रुपए में खरीदी थी उन्होंने एग्रीमेंट कराकर ₹900000 भी दे दिए थे आरोप है कि जब उन्होंने स्वामी शिवनाथ से बची रकम लेकर बैनामा करने को कहा तो वह टरकाटा रहा
*हैलेट के ईएमओ ने धमकी देकर भगाया*
अधिवक्ता सरोज पाल का कहना है कि जब खेत पर गए तो वहां पहले से मौजूद इएमओ डॉ अनुराग राजोरिया उनकी पत्नी पूजा स्वामी शिवनाथ पाल व उनके पुत्र अशोक ने गाली-गलौज करते हुए जान से मार डालने की धमकी देकर भगा दिया थाना प्रभारी अतुल कुमार सिंह ने बताया कि कूट रचित दस्तावेजों से धोखाधड़ी व जान से मारने की धमकी देने की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर कार्यवाही करी जा रही
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*पुलिस ने बांग्लादेशी रिजवान को लिया 9 घंटे की रिमांड में*
*9 घंटे की रिमांड के दौरान रिजवान बोला पाकिस्तान से है मेरे संबंध करता हूं मैं हवाला का काम*
*डॉ रिजवान के 2 खातों में पाकिस्तान से भेजी जाती थी रकम नहीं बताया कहां होता है इसका यूज*
पुलिस ने शाम को वापस जेल में कराया दाखिल दोबारा रिमांड पर लेने के लिए पुलिस लगाएगी अर्जी
मूलगंज में पकड़े गए बांग्लादेशी रिजवान मोहम्मद को पुलिस ने रविवार को 9 घंटे की रिमांड पर लेकर इंटेरोगेट किया इस दौरान रिजवान ने कबूल किया कि वह हवाला का कारोबार करता है और पाकिस्तान से भी उसके संबंध है पाकिस्तान से उसके खातों में रकम भेजने के भी सबूत मिले हैं उसके दो बैंक खातों मे हवाला का पैसा आता है इस रुपए को वह कहां और क्या इस्तेमाल करता है इसके पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं जिसके कारण पुलिस ने उसे शाम को जेल में दाखिल करा दिया
*आरोपों की झड़ी ज्यादा पर साक्ष्य कम*
पुलिस ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा बताते हुए कोर्ट से डॉ रिजवान को 14 दिन की रिमांड मांगी थी *किंतु डॉ रिजवान के खिलाफ लगाए गए संगीन आरोपों को लेकर पुलिस कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं प्रस्तुत कर सकी* इसके चलते कोर्ट ने सिर्फ 9 घंटे की रिमांड दी थी
*आरोपी को मिल सकती है 7 साल तक की सजा*
हवाला कारोबार को फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट 1999 के तहत भारत में इनलीगल माना गया है इसके साथ ही जो अमाउंट हवाला के जरिए ट्रांसफर की गई उसकी 5 गुना पेनल्टी और 7 साल की सजा का प्रावधान है
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*फिर सुर्खियों में आया लव जिहाद का मामला अपने प्रेम जाल में फंसा कर धर्म परिवर्तन कराने सूरत ले जा रहा था आरोपी वकार*
*पीड़िता के परिजनों ने पुलिस को दी सूचना मध्य प्रदेश से हुई गिरफ्तारी*
नवाबगंज में एक लव जिहाद का मामला सामने आया है पुलिस की सतर्कता की वजह से युवती का धर्म परिवर्तन होने से बच गया पुलिस ने परिजनों को तहरीर पर किडनैप कर ले जा रही युवती को बीच रास्ते में चलती बस रुकवा कर बरामद कर लिया धर्म परिवर्तन कराने के लिए शादी का झांसा देकर सूरत ले जाने वाले आरोपी को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है

*15 को किया गया था अग़वा*
नवाब गंज निवासी परिजनों ने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी एक कंप्यूटर इंस्टिट्यूट में पढ़ाती है 15 दिसंबर को कोचिंग जाते समय एक युवक ने उनकी बेटी को बहलाया फुसलाया और शादी का झांसा देकर अगवा कर लिया पुलिस ने केस दर्ज किया इसके बाद सीसीटीवी फुटेज से जानकारी मिली कि दोनों फजल गंज स्थित एक ट्रैवल्स की बस से सूरत जाने के लिए निकले हैं ट्रैवल्स से संपर्क किया जानकारी मिली कि दोनों बस से सूरत के लिए निकले हैं पुलिस ने मध्य प्रदेश के नौ गवा जिला धार थाने की पुलिस से संपर्क किया पुलिस ने बस रुकवा कर पीड़िता को सकुशल बरामद कर लिया

*आरोपी के खिलाफ बयान*
पीड़ित ने पुलिस को बताया कि आरोपी का नाम मोहम्मद वकार है और वह 25 साल का है आरोपी अनवरगंज के रामचंदी का हाता का रहने वाला है शादी करने का झांसा देकर आरोपी युवती को ले जा रहा था आरोपी ने उसे धर्म परिवर्तन करने के लिए भी राजी कर लिया था पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर उसे जेल भेज दिया है
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*थाना फजलगंज के विजय नगर चौराहे पर संचालित किया जा रहा है अवैध टेम्पो स्टैंड।*

*टैम्पो चालको से 20 रुपये व ईरिक्सा से 15 रुपये की कर रहे है अवैध वसूली।*

*सुधान पांडेय कर रहा है अवैध स्टैंड का संचालन व वसूली,वीडियो में वाइट पैंट शर्ट सदरी में दिख रहा व्यक्ति है सुधान पांडेय।*

*वीडियो में टेम्पो चालक से पैसे वसूलकर उसका गाड़ी नम्बर नोट करता दिख रहा है सुधान पांडेय।*

*सूत्रों की माने तो कानपुर नगर निगम व फजलगंज पुलिस के मिली भगत से संचालित हो रहा है अवैध स्टैंड।*

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*जुआड़ियों का नया ठिकाना बना चकेरी थाना छेत्र*

*थाना चकेरी छेत्र में सज रही है जुए की फड़,प्रति दिन फड़ पे लगते है लाखो के दाव।*

*सूत्रों की माने तो बबलू सजारी,अल्लू द्विवेदी,राजेश पाल,शहंशाह,राम दुबे कर रहे है जुए की फड़ का संचालन।*

*शहर के हिस्ट्रीशीटर व क्रिमनल लगाते है जुए की फड़ पे लाखो का दांव।*

*चकेरी पुलिस जान के बनी है अंजान,थाना चकेरी छेत्र में कुछ दिनों में बढ़ा है अपराध का ग्राफ।*

*जुए में हारने के बाद अपराधी देते है चैन स्नेचिंग व चोरी जैसी घटनाओ को अंजाम*

*थाना चकेरी छेत्र के श्याम नगर स्थित पूजा ढाबा के सामने सीओडी बाउंड्री के पास झाड़ियो के अंदर सजती है जुए की फड़*
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थाना सचेंडी के अंतर्गत चकरपुर मंडी के पास वनबे लागू होने

के बाद भी ट्राफिक का नियम ट्राफिक कर्मचारी करवाते हैं

उल्लंघन चंद रुपयों के चक्कर में होमगार्ड के

भरोसे चकरपुर मंडी का चल रहा है ट्रैफिक आए दिन वनबे में गाड़ियां निकलने के कारण लगता है भीषण जाम
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*_सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इरफान सोलंकी से मिले, अखिलेश यादव इरफान सोलंकी से कर रहे मुलाकात_*

*_कानपुर जेल में बंद इरफान सोलंकी से मिले अखिलेश, अखिलेश यादव के साथ कई विधायक भी मौजूद हैं._

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निकाय चुनाव की नामांकन प्रक्रिया नगर निगम कार्यालय मोतीझील में सम्पन्न होगी

कानपुर नगर, दिनांक 19 दिसम्बर, 2022 (सू0वि0)*
जिला मजिस्ट्रेट/जिला निर्वाचन अधिकारी (पंचायत एवं नगरीय निकाय) श्री विशाख जी० ने बताया है कि नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन 2022 में नगर निगम के महापौर एवं पार्षद पद तथा नगर पंचायत बिठूर के अध्यक्ष एंव सदस्य पद हेतु नामांकन प्रक्रिया नगर निगम कार्यालय मोतीझील में सम्पन्न होगी।
उन्होंने बताया कि नगर निगम के महापौर एवं पार्षद पद तथा नगर पंचायत बिठूर के अध्यक्ष एंव सदस्य पद के नामांकन हेतु कक्षों को निर्धारण किया गया है, जिसके अन्तर्गत नगर निगम में महापौर पद हेतु कक्ष संख्या 07 भूमि तल गोल बिल्डिंग, पार्षद पद हेतु वार्ड संख्या 01 से 05 तक कक्ष संख्या 33 प्रथम तल, वार्ड संख्या 06 से 10 तक कक्ष संख्या 35 प्रथम तल, वार्ड संख्या 11 से 15 तक कक्ष संख्या 36 प्रथम तल, वार्ड संख्या 16 से 20 तक कक्ष संख्या 37 प्रथम तल, वार्ड संख्या 21 से 25 तक कक्ष संख्या 38 प्रथम तल, वार्ड संख्या 26 से 30 तक कक्ष संख्या 39 प्रथम तल, वार्ड संख्या 31 से 35 तक कक्ष संख्या 40 प्रथम तल, वार्ड संख्या 36 से 46 तक कक्ष संख्या 42 प्रथम तल, वार्ड संख्या 41 से 45 तक कक्ष संख्या 44 प्रथम तल, वार्ड संख्या 46 से 50 तक कक्ष संख्या 45 प्रथम तल, वार्ड संख्या 51 से 55 तक कक्ष संख्या 46 प्रथम तल, वार्ड संख्या 56 से 60 तक कक्ष संख्या 47 प्रथम तल, वार्ड संख्या 61 से 65 तक कक्ष संख्या 49 प्रथम तल, वार्ड संख्या 66 से 70 तक कक्ष संख्या 50 प्रथम तल, वार्ड संख्या 71 से 75 तक कक्ष संख्या 51 द्वितीय तल, वार्ड संख्या 76 से 80 तक कक्ष संख्या 52-ए द्वितीय तल, वार्ड संख्या 81 से 85 तक कक्ष संख्या 52-बी द्वितीय तल, वार्ड संख्या 86 से 90 तक कक्ष संख्या 53 द्वितीय तल, वार्ड संख्या 91 से 95 तक कक्ष संख्या 55 द्वितीय तल, वार्ड संख्या 96 से 100 तक कक्ष संख्या 56 द्वितीय तल, वार्ड संख्या 101 से 105 तक कक्ष संख्या 62 द्वितीय तल, वार्ड संख्या 106 से 110 तक कक्ष संख्या 67 द्वितीय तल, नगर पंचायत बिठूर अध्यक्ष पद हेतु कक्ष संख्या 04 भूमि तल गोल बिल्डिंग, सदस्य पद हेतु वार्ड संख्या 01 से 10 तक कक्ष संख्या 05 भूमि तल गोल बिल्डिंग है।

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किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिये हर माह होगा किसान दिवस का आयोजन

कानपुर नगर, दिनांक 19 दिसम्बर, 2022 (सू0वि0)*
उप कृषि निदेशक ने बताया है कि किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिये प्रत्येक माह के तृतीय बुधवार को प्रातः 11ः00 बजे से विकास भवन सभागर में “किसान दिवस” का आयोजन जनपद स्तर पर किया जाता है, जिसमें कृषि क्षेत्र से जुड़े हर विभाग के समस्त अधिकारी जिसमें सिंचाई, ऊर्जा एवं कृषि उत्पादन शाखा से जुड़े विभाग जैसे कृषि, उद्यान, सहकारिता, मत्स्य, दुग्ध उत्पादन, पशुपालन, गन्ना एवं रेशम विभागों के अधिकारियों के अतिरिक्त कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक, लीडबैंक मैनेजर तथा इन्श्योरेन्स कम्पनी के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया जायेगा। किसान दिवस में किसानों की समस्याओं के निराकरण के साथ ही किसानों के लाभ के लिये संचालित योजनाओं में दी जा रही सुविधाओं की विस्तृत जानकारी दी जायेगी
उन्होंने जनपद के कृषक भाइयों से अनुरोध किया है कि माह दिसम्बर के तृतीय बुधवार दिनांक 21 दिसम्बर, 2022 को प्रातः 11ः00 बजे से विकास भवन सभागार में आयोजित “किसान दिवस” में अधिक से अधिक संख्या में प्रतिभाग कर कृषि से सम्बन्धित समस्याओं का निराकरण करायें।

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एस.एन. सेन बालिका विद्यालय पी.जी. कालेज में “किशोरावस्था में स्वास्थ्य एवं पोषण” विषय पर वार्ता आयोजित

कानपुर 19 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस.एन. सेन बालिका विद्यालय पी.जी. कालेज में गृह विज्ञान विभाग द्वारा एक वार्ता का आयोजन किया गया ।जिसका विषय “किशोरावस्था में स्वास्थ्य एवं पोषण” निर्धारित किया गया।विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ मोनिका शुक्ला ने कहा कि किशोरावस्था मानव जीवन में माइलस्टोन की तरह कार्य करती है जिसमें विशेष शारीरिक परिवर्तन के साथ रीप्रोडक्टिव ऑर्गन भी सुचारू रूप से कार्य करने लगते हैं अतः पौष्टिक तत्वों की मांग बढ़ जाती है। मुख्य वक्ता के रूप में रघुनाथ गर्ल्स पी.जी. कॉलेज मेरठ की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ श्वेता त्यागी ने कहा कि छात्राओ मे मासिक धर्म की समस्या बहुत बढती जा रही है। डॉक्टर शिवागी यादव ने शारीरिक बदलाव मे पोषक तत्वों के महत्व पर प्रकाश डाला।डॉअमिता सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर एस.एन. सेन बी.वी. पी.जी. कॉलेज ने किशोरावस्था मे मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के बारे मे बताया। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर सुमन द्वारा मुख्य अतिथि को पुष्प गुच्छ भेंट करके किया गया। कार्यक्रम का संचालन गृह विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.मोनिका शुक्ला द्वारा किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर सुमन ने कहा ‘ऐसे कार्यक्रम छात्राओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।महाविद्यालय की छात्राएं अस्मिता सिंह, आन्या अग्रवाल, प्रज्ञा वर्मा, पल्लवी निगम, दीक्षा सिंह, समृद्धि बाजपेई आदि ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में सभी शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।

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गज़ल गायक प्रदीप श्रीवास्तव सम्मानित

कानपुर १८अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता, मानस संगम, शिवाला कानपुर के ५४ वें वार्षिक समारोह में केरल के राज्यपाल  आरिफ़ मोहम्मद खान के द्वारा गज़ल गायक प्रदीप श्रीवास्तव को “कानपुर गौरव २०२२” के सम्मान से नवाज़ा गया ! सम्मान प्राप्ति के बाद प्रदीप ने कहा ये मेरे पीर का करम, मेरी माँ का आशीर्वाद और आप सब की दुआएं और श्रद्धेय श्री बद्री नारायण तिवारी जी, श्री मुकुल तिवारी जी और श्री अभिनव तिवारी जी, श्री प्रदीप दीक्षित (उत्कर्ष अकादमी) के असीम प्यार और आशीर्वाद की वज़ह से संभव हो सका !

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डी जी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘विज्ञान ज्योत’ सेरेमनी में भाग लिया

कानपुर 18 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, डी जी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘विज्ञान ज्योत’ सेरेमनी में प्रतिभाग किया गया।*
इंडियन साइंस कांग्रेस कोलकाता एवं राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज विश्वविद्यालय, नागपुर के सहयोग से दिनांक 3 से 7 जनवरी तक नागपुर में 108वीं इंडियन साइंस कांग्रेस – 2023 का आयोजन किया जा रहा है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा किया जाएगा।
उक्त कार्यक्रम हेतु विज्ञान जोत का शुभारंभ दिनांक 17.12.2022 को उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक महाविद्यालय डी ए वी कॉलेज, कानपुर से सचिव महाविद्यालय की सचिव श्रीमती कुमकुम स्वरूप द्वारा विज्ञान जोत मशाल को ISCA प्रेसिडेंट प्रो. विजय लक्ष्मी सक्सेना जी को हैंड ओवर करके किया गया। डी जी कॉलेज के सचिव इं .गौरवेंद्र स्वरूप ने हरी झंडी दिखाकर ज्ञान एवं विज्ञान का प्रचार-प्रसार करने के लिए इस ऐतिहासिक विज्ञान जोत की मैराथन को रवाना किया। जिसे एनएसएस व एनसीसी के वॉलिंटियर्स के द्वारा पूर्ण किया गया।
108वीं आई एस सी, विज्ञान ज्योत- ज्ञान की श्रद्धेय ऐतिहासिक ज्योत, छात्रों एवं युवाओं को विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में रिसर्च एंड डेवलपमेंट तथा अपना करियर बनाने के लिए प्रेरित करने एवम् कल के वैज्ञानिक और अन्वेषक तैयार करने के उद्देश्य से सड़क मार्ग द्वारा कानपुर से नागपुर तक ले जायी जाएगी। इस दौरान यह विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से होकर, 3 राज्यों को पार करते हुए मेजबान शहर तक पहुंचने के लिए 3000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के नेहरू युवा केंद्र संगठन तथा राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के युवाओं को प्रेरित करने हेतु उत्साह पूर्वक विज्ञान जोत का समर्थन किया जाएगा।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो. अशोक सक्सेना, एमएम एक्टिव की पूरी टीम, डीएवी प्राचार्य प्रो.अरुण कुमार दीक्षित, डॉ राजुल श्रीवास्तव, डॉ संगीता सिरोही, समस्त प्राध्यापको, प्राध्यापिकाओं समेत छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

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तुम जीतते रहे और मैं हारती रही

रिश्तो की बाज़ियाँ चलती रही… तुम जीतते रहे और मैं हारती रही ….मगर अफ़सोस नहीं था मुझे इस हार का..जितनी बार मै हारती गई, भीतर से जीत का अहसास होता चला गया।”

ज़िन्दगी इक शतरंज ही है दोस्तों। हार जीत तो तय है “कभी मेरी कभी तेरी”…
खेल चलता रहे ,तो ज़ाहिर है ,चाले भी चलनी पड़ती है ,मगर खेल को चलाते वक़्त कई बार शय और कई बार मात मिलती है और हर बार खुद को बचाया जाता है यही ज़िंदगी है दोस्तों !हार हो जाये कभी तो घबराना नहीं,जीत हो जाये तो इतराना नही !! बस इतना याद रखिए।
ज़िन्दगी बस इक खेल ही है।खेल में “हार जीत”…खेल के साथ ही ख़त्म हो जाती ..जब खेल ख़त्म होगा.. तो न आप होंगे . न आपकी जीत होगी ,न ही आप की हार .. इस लिए ज़िन्दगी को बहुत गंभीरता से न ले कर ज़रा हल्के से लीजिए जनाब।
छोड़िये सब झंझट और वक़्त के साथ चलिए ,जो मिल रहा है उसी में ख़ुश रहिये।बहुतो को तो ये भी नसीब नहीं…और मैं अच्छे से ये भी जानती हूँ।तुम हर बाज़ी जीत जाओगे और सब मुश्किलों को बेहतर से मात दे पाओगे।
🌹यू भी दोस्तों !
जीतने वाला सिकन्दर तो हो सकता है मगर जिसे ये पता हो “कहाँ पर क्या हारना है “वो ही असल में बादशाह कहलाता है और सब के दिलों पर हकूमत भी वही कर पाता है।हार को कभी कम मत आंकिए।कई बार हम हार कर बहुत कुछ जीत लेते हैं बस यही याद रखने की बात है
लेखिका स्मिता ✍️

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