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‘‘आधुनिक शिक्षा एवं अनुशासित जीवन के मूल मंत्र

लखनऊ 10 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, राम प्रसाद बिस्मिल मेमोरियल पब्लिक स्कूल, काकोरी, लखनऊ के तत्त्वावधान में नक्षत्र फाउण्डेशन द्वारा ‘‘आधुनिक शिक्षा एवं अनुशासित जीवन के मूल मंत्र ‘‘ विषयक शैक्षिक दक्षता वृद्धि व्याख्यानमाला की द्वितीय प्रस्तुति का आयोजन किया गया। उक्त व्याख्यानमाला में वक्ता के रूप में डा0 सतीश तिवारी, असिस्टेंट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ दर्शन एवं संस्कृति, श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय, कटरा, जम्मू और कश्मीर, विद्यालय के प्रबंधक मो0 इरफान हुसैन, विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती विनीता अग्निहोत्री, नक्षत्र फाउण्डेशन से सुश्री सोनम सिंह उपस्थित रहे।

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एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज में “मेरी माटी मेरा देश अभियान’’ के अंतर्गत कार्यक्रम अयोजित

कानपुर 10 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, भारत सरकार युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय, युवा कार्यक्रम विभाग रा.से.यो. क्षेत्रीय निदेशालय लखनऊ व एन.एस.एस. प्रभाग नई दिल्ली के पत्रानुसार ’’मेरी माटी मेरा देश अभियान’’ एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज में प्रारम्भ किया गया। जिसके अन्तर्गत महाविद्यालय की ऍन एस एस इकाई की स्वयंसेविकाओं से घर के प्रांगण से एक मुट्ठी मिट्टी व एक मुट्ठी चावल मंगाये गये। सर्वप्रथम महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. सुमन द्वारा पंच प्रण की शपथ समस्त प्राध्यापक, कर्मचारियों व छात्र-छात्राओं को दिलायी गई। महाविद्यालय की ऍन एस एस इकाई की कार्यक्रम अधिकारी प्रो चित्रा सिंह तोमर ने कहा हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत की मिट्टी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। आज भारत के प्रत्येक गाॅंव, शहर की मिट्टी व चावल एकत्र किये जा रहे है। जिसे जिला स्तर पर ससम्मान पहुंचाया जायेगा। इसके उपरान्त प्राचार्य समस्त शिक्षिकाओं एवं कर्मचारियों द्वारा एक कलश में मिट्टी व एक कलश में चावलों का संग्रह किया गया। एवम ऍन एस एस यूनिट की स्वयंसेविकाओं द्वारा महाविद्यालय में सफाई का कार्य भी किया गया। एस एन सेन बालिका विद्यालया पी जी कॉलेज, कानपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा “मेरी माटी मेरा देश – अमृत कलश यात्रा” का आयोजन किया गया जिसमें समस्त शिक्षिकाओं, कर्मचारियों ने भी भाग लिया तथा माटी को वंदन व वीरों को नमन करते हुए पंच प्रण की शपथ ली।

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दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज में मेरी माटी मेरा देश – अमृत कलश यात्रा” के अंतर्गत अलग-अलग शहीद स्थलों एवम् स्मारकों की मिट्टियों को लाकर अमृत कलश में एकत्रित किया गया

कानपुर 10 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में “मेरी माटी मेरा देश – अमृत कलश यात्रा” के अंतर्गत एनएसएस वॉलिंटियर्स के द्वारा कानपुर के अलग-अलग शहीद स्थलों एवम् स्मारकों की मिट्टियों को लाकर अमृत कलश में एकत्रित किया गया तथा माटी को वंदन व वीरों को नमन करते हुए पंच प्रण की शपथ ली गई। प्राचार्य प्रोफेसर अर्चना वर्मा जी ने अपने उद्बोधन में छात्राओं को कहा कि उनके द्वारा मेरी माटी मेरा देश अभियान के अंतर्गत किए जा रहे कार्य अत्यधिक सराहनीय व प्रशंसनीय हैं इससे छात्राओं में देशभक्ति की भावना का संचार होता है जिससे उनके अंदर नैतिक मूल्य सर्जित होते हैं। कार्यक्रम में कार्यालय अधीक्षक कृष्णेंद्र श्रीवास्तव, दर्शनशास्त्र की प्रभारी डॉ सुचेता शुक्ला एनएसएस की समस्त वॉलिंटियर्स ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

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एंबुलेंस व फायर ब्रिगेड को रास्ता न दिया तो कारवाई

-पुलिस आयुक्त डॉ.आर. के. स्वर्णकार ने जारी किया आदेश*

*एंबुलेंस एवं अग्निशमन वाहन को प्राथमिकता के आधार पर कराना है पास*
*-ताकि जाम में फंसकर इलाज के अभाव में फिर न जाए किसी की जान*

कानपुर नगर जिला सू कार्यालय, एंबुलेंस एवं अग्निशमन वाहन को प्राथमिकता के आधार पर पास कराना है। यह जिम्मेदारी प्रत्येक जोन की यातायात व्यवस्था में लगे प्रत्येक पुलिसकर्मी की है। सभी जोन के डीसीपी और डीसीपी यातायात इसका गंभीरता से पालन कराना सुनिश्चित करें। यह आदेश पुलिस आयुक्त डॉ आर के स्वर्णकार ने जारी किया है ताकि फिर किसी जरूरतमंद की जान जाम में फंसने से इलाज के अभाव में न जाए।

*पुलिस आयुक्त डॉ आर के स्वर्णकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार*-

1-एम्बुलेन्स एवं अग्निशमन वाहन को रास्ता न देने वाले वाहनों का नियमानुसार चालान करते हुए वाहन चालक के विरूद्ध आवश्यक वैधानिक कार्यवाही करें।
2-चेक किया जाये कि उक्त प्रकार के वाहनों को कौन रास्ता नहीं दे रहा है।
3-यह सुनिश्चित किया जाये कि ड्यूटीरत पुलिस कर्मी एम्बुलेन्स एवं अग्निशमन वाहन को प्राथमिकता के
आधार पर रास्ता दिलायें, किसी भी परिस्थिति में एम्बुलेन्स एवं अग्निशमन वाहन जाम में न फंसने पायें।

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दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज में “भूगोल में भौगोलिक सूचना प्रणाली एवं सुदूर संवेदन तकनीक पर व्याख्यान आयोजित”

कानपुर 9 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में भूगोल विभाग द्वारा एकदिवसीय व्याख्यान आयोजित किया गया। व्याख्यान के मुख्य वक्ता डॉ मंजीव विश्वकर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, डी बी एस कॉलेज, कानपुर ने भौगोलिक सूचना प्रणाली एवं सुदूर संवेदन तकनीक के उपयोग पर प्रकाश डालते हुए महत्वपूर्ण जानकारियां देते हुए कहा कि यह भौगोलिक शोध एवम् अन्वेषण की दृष्टि से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि रिमोट सेंसिंग संवेदकों के माध्यम से पृथ्वी के सतह से डाटा जमा करने का काम करता है जबकि जी आई एस डाटा एकीकरण और क्षैतिज विश्लेषण के लिए एक उपकरण होता है। इसका प्रयोग जैव वातावरण की मॉनिटरिंग, आपदा प्रबंधन, रिसोर्स मैनेजमेंट, जलवायु परिवर्तन विश्लेषण, शहरी विकास योजना, यातायात, दूरसंचार, कानून व्यवस्था और स्वास्थ्य समेत अनेक क्षेत्रों में किया जाता है। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर अर्चना वर्मा ने मुख्य वक्ता तथा सभी का स्वागत किया तथा व्याख्यान विषय की महत्ता को छात्राओं के भविष्य के लिए उपयोगी बताया। व्याख्यान की संयोजिका डॉ शशि बाला सिंह ने व्याख्यान विषय पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन डॉ अंजना श्रीवास्तव के द्वारा तथा धन्यवाद प्रस्ताव विभाग की इंचार्ज डॉक्टर संगीता सिरोही के द्वारा किया गया। व्याख्यान असि प्रो डॉ श्वेता गोंड का सक्रिय योगदान रहा। कार्यक्रम में शोध छात्र विवेक चौरसिया, सुभाष, विकास, अनिल, अतुल, विपुल, दिलीप, दीक्षा मालवीया, कल्पना, नेहा, जयललिता तथा विभाग पाई समस्त छात्राएं उपस्थित रही।

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जम्मू-कश्मीर में 82 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 395 मीटर (2-लेन) मारोग सुरंग के साथ 250 मीटर सेतु (2-लेन) का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है : गडकरी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक पोस्ट में कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुमानित लागत पर 395 मीटर (2-लेन) मारोग सुरंग के साथ 250 मीटर सेतु (2-लेन) का 82 करोड़ रुपये का निर्माण कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।

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गडकरी ने कहा कि यह अवसंरचना एनएच-44 के रामबन से बनिहाल खंड के साथ स्थित है। बड़ी परियोजना के हिस्से के रूप में यह 645 मीटर का खंड, न केवल यात्रा की दूरी को 200 मीटर तक कम कर देगा, खड़ी ढलानों को कम करेगा, बल्कि प्रसिद्ध सीता राम पासी स्लाइड क्षेत्र के लिए एक वैकल्पिक मार्ग की सुविधा भी प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्‍त, यह चुनौतीपूर्ण मार्गों क्षेत्र की ढलानों को दरकिनार करते हुए वाहनों के सुचारू प्रवाह की सुविधा प्रदान करता है।

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गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के तहत हमने जम्मू और कश्मीर में अद्वितीय राजमार्ग बुनियादी ढांचा प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को दृढ़ता से बरकरार रखा है। उन्होंने कहा कि यह रूपांतरकारी विकास न केवल क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में योगदान देता है बल्कि एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में इसके आकर्षण को भी बढ़ाता है।

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राष्ट्रपति ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के नये भवन की आधारशिला रखी

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने न्यायपालिका से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति से आम जनता को सरल, सुलभ और त्वरित न्याय प्रदान करने के प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे बड़ी संख्या में लंबित मामले, बड़ी संख्या में विचाराधीन कैदियों, अदालतों में बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश भर की निचली अदालतों में करीब 4.5 करोड़ मामले लंबित हैं और इनमें से कई मामले 20 से 30 वर्षों से लंबित हैं। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने जिला न्यायालयों में दशकों से लंबित मामलों को निपटाने के लिए ’25 डीईबीटी’ नामक एक विशेष अभियान शुरू किया है, जिसके तहत जिला न्यायालय के न्यायाधीशों को अपने न्यायालयों में 25 पुराने मामलों को नियमित रूप से निपटाने के लिए कहा गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह ‘पंच परमेश्वर’ का देश है और न्याय की अवधारणा हमारी ग्रामीण व्यवस्था में शुरू से मौजूद थी। उन्होंने वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे एक ओर जहां विवादों का समाधान सस्ता और आसान हो जाएगा, वहीं दूसरी ओर न्यायपालिका पर बोझ भी कम हो जाएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मध्यस्थता अधिनियम, 2023 के प्रावधानों का उपयोग करने से मध्यस्थता को व्यापक और संस्थागत स्वीकृति मिलेगी और मुकदमेबाजी का बोझ कम होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज टेक्नोलॉजी हर क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ा है। उन्होंने आगे कहा कि ई-कोर्ट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ई-प्रोसिडिंग और ई-फाइलिंग की मदद से जहां न्याय दिलाना आसान हो गया है, वहीं कागज के इस्तेमाल में कमी आने से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी संभव हो गया है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि सरकार ने हाल ही में ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण को मंजूरी दे दी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस चरण के सफल कार्यान्वयन से न्याय प्रणाली सभी हितधारकों के लिए अधिक सुलभ, किफायती, विश्वसनीय और पारदर्शी हो जाएगी।

राष्ट्रपति ने वकील संगठनों और समूहों से वंचितों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए आगे आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान रखना होगा कि न्याय इतना महंगा न हो जाए कि आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाए। उन्होंने आगे कहा कि इस संबंध में संस्थागत प्रयासों को मजबूत करने की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने कहा कि समावेशी भारत के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की उचित भागीदारी जरूरी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं में न्याय की सहज भावना होती है और कहा जाता है कि माताएं अपने बच्चों में भेदभाव नहीं करतीं। न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया किसी एक गणितीय सूत्र पर आधारित नहीं है और न्याय प्रशासन के लिए किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान की भी आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में भावनाएँ, परिस्थितियाँ और संवेदनाएँ जैसे अन्य आयाम भी महत्वपूर्ण हैं। अतः न्याय व्यवस्था में महिलाओं की अधिकतम भागीदारी भी न्यायपालिका के हित में होगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि जब न्यायपालिका में सुधार का दृष्टिकोण आता है तो जबलपुर का नाम स्वत: ही मन में आ जाता है। एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला के मामले में, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा के पक्ष में जबलपुर उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 1976 में खारिज कर दिया था। 42 साल बाद वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला पलट दिया और मौलिक अधिकारों के पक्ष में जबलपुर हाई कोर्ट के तत्कालीन फैसले के मूल सिद्धांतों को सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा स्थापित किया है। इस प्रकार, जबलपुर का नाम भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में न्याय प्रणाली की प्रगतिशील यात्रा का प्रतीक बन गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का नया भवन आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि महिला वकीलों के लिए अलग से बार रूम का प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था न सिर्फ महिला वकीलों बल्कि महिला याचिकाकर्ताओं के लिए भी सुविधाजनक होगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नया भवन पूरा होने पर न्यायाधीशों, वकीलों और प्रशासनिक कर्मचारियों को अधिक समर्पण, प्रतिबद्धता और दक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करेगा।

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आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर) ने पिछले 18 महीनों में मरीजों के दोनों कानों में एक साथ कॉक्लियर प्रतिरोपण के 50 ऑपरेशन कर इतिहास रचा

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/PIC19P4X.jpgदिल्ली कैंट स्थित आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर) के कान, नाक और गला (ईएनटी) विभाग ने पिछले 18 महीनों में मरीजों के दोनों कानों में एक साथ कॉक्लियर प्रतिरोपण के 50 ऑपरेशन किए हैं और वह इतने सफल प्रतिरोपण ऑपरेशन करने वाला देश का एकमात्र सरकारी अस्पताल बन गया है।

कॉक्लियर इम्प्लांट एक अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण है जिसके जरिए सुनने में अक्षम मरीजों को न सिर्फ सुनने में मदद मिलती है, बल्कि यह उन्हें मुख्यधारा में आने में सक्षम बनाता है। इस इम्प्लांट की कीमत हमेशा चिंता का विषय रही है, जिससे इसकी पहुंच सीमित हो गई। सरकार द्वारा वित्त पोषित अधिकांश कार्यक्रमों में बच्चों को केवल एक कॉक्लियर इम्प्लांट दिया जाता है। हालांकि दोनों कानों से सुनने का लाभ इसकी कीमत से कहीं ज्यादा है और सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा ने इस बात को तत्काल महसूस किया।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/PIC3MKMK.jpg

मार्च 2022 में, सशस्त्र बलों में श्रवण-बाधित रोगियों के लिए कॉक्लियर इम्प्लांट की नीति को संशोधित किया गया और इसमें एक साथ दोनों कानों में प्रतिरोपण को शामिल किया गया। चिकित्सा मानकों को विकसित देशों के बराबर लाने वाली यह देश की पहली नीति थी।

डीजी सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह और डीजीएमएस (सेना) लेफ्टिनेंट जनरल अरिंदम चटर्जी ने इसके लिए आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर) को बधाई दी है और संस्थान को और अधिक सम्मान मिलने की कामना की है।

आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर) सशस्त्र बलों का शीर्ष अस्पताल है और वर्तमान में इसकी कमान लेफ्टिनेंट जनरल अजित नीलकांतन के पास है जो ईएनटी और हेड एंड नेक ऑन्कोसर्जरी के विशेषज्ञ हैं।

 

 

 

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प्रधानमंत्री ने एशियाई खेलों में 71 पदक जीतने पर एथलीटों को बधाई दी

प्रधानमंत्री  मोदी ने खिलाड़ियों को 71 पदक जीतने पर आज बधाई दी और इसे एशियाई खेलों में भारत की अब तक की सर्वश्रेष्ठ पदक तालिका बताया।

उन्होंने इस पदक तालिका को एथलीटों के अद्वितीय समर्पण, धैर्य और खेल भावना का प्रमाण बताया।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया:

“एशियाई खेलों में भारत पहले से कहीं अधिक चमका!

71 पदकों के साथ, हम अपनी अब तक की सर्वश्रेष्ठ पदक तालिका का जश्न मना रहे हैं, जो हमारे एथलीटों के अद्वितीय समर्पण, धैर्य और खेल भावना का प्रमाण है।

प्रत्येक पदक कड़ी मेहनत और जुनून की जीवन यात्रा को उजागर करता है।

पूरे देश के लिए गर्व का क्षण। हमारे एथलीटों को बधाई।”

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अर्जुन मुंडा ने देहरादून में चौथे ईएमआरएस राष्ट्रीय सांस्कृतिक और साहित्यिक उत्सव एवं कला उत्सव-2023 का उद्घाटन किया

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने देहरादून में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में 3 अक्टूबर, 2023 को चौथे ईएमआरएस राष्ट्रीय सांस्कृतिक और साहित्यिक उत्सव एवं कला उत्सव-2023 का उद्घाटन किया। इसका आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय के अन्तर्गत जनजातीय छात्रों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा सोसायटी (एनईटीएस) ने किया है और महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, देहरादून में एकलव्य विद्यालय संगठन समिति (ईवीएसएस), उत्तराखंड इसकी मेजबानी कर रहा है।

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) सांस्कृतिक उत्सव आदिवासी छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में अपनी छिपी प्रतिभा दिखाने के लिए एक राष्ट्रीय मंच प्रदान करता है। इस वर्ष चार दिवसीय कार्यक्रम (3-6 अक्टूबर) में 22 राज्यों के 2000 से अधिक आदिवासी छात्र प्रदर्शन करेंगे। इस उत्सव में 20 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें नृत्य और गीत प्रदर्शन से लेकर प्रश्नोत्तरी एवं दृश्य कला आदि शामिल हैं। आदिवासी संस्‍कृ‍ति को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न राज्यों के स्टालों की व्यवस्था की गई है।

इस अवसर पर श्री मुंडा ने कहा कि इस तरह के आयोजन  ईएमआरएस के बच्चों एवं शिक्षकों को एक-दूसरे से मिलने, देश के विभिन्न प्रांतों की संस्कृतियों को समझने और सीखने का अवसर प्रदान करते हैं, जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की कल्पना को पूरा करते हैं। उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि इस तरह के कार्यक्रम आपको प्रेरित करेंगे और आपको अपनी संस्कृति के साथ-साथ देश के विभिन्न कोनों में रहने वाले आदिवासी समुदायों की समृद्ध परंपराओं के बारे में जानने का बेहतर अवसर प्रदान करेंगे”

पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में आदिवासियों की विविध परंपराओं और संस्कृति एवं राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए चलाई जा रही विभिन्न सरकारी योजनाओं पर प्रकाश डाला। उद्घाटन समारोह के दौरान, जनजातीय कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव और एनईएसटीएस के आयुक्त डॉ. नवल जीत कपूर ने ईएमआरएस योजना के बारे में जानकारी दी। उद्घाटन समारोह में उत्तराखंड के आदिवासी समुदायों और ईएमआरएस के छात्रों ने शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

 

 

ईएमआरएस में शिक्षा प्राप्त करने वाले आदिवासी छात्रों के लिए ‘ईएमआरएस राष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सव’ हर साल सबसे प्रतीक्षित कार्यक्रम है। एनईएसटीएस पूरे भारत में अनुसूचित जनजातियों के लिए ईएमआरएस चला रहा है। ईएमआरएस योजना जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है और इसे वर्ष 2018-19 में नया रूप दिया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दूर-दराज के आदिवासी इलाकों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।

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