प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगभग 150 वर्ष पुराने आपराधिक न्याय प्रणाली को चलाने वाले तीनों कानूनों में पहली बार भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत की जनता की चिंता करने वाले परिवर्तन किए गए हैं
अब भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में एक नए युग की शुरूआत होगी, जो पूर्णतया भारतीय होगा
हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानूनों से चलेगी
मोदी जी ने देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाई है और आने वाले इन नए कानूनों की आत्मा, सोच, शरीर सब भारतीय है
मोदी सरकार द्वारा लाए इन कानूनों से संगठित अपराध पर नकेल कसी जाएगी
नए कानूनों के आने के बाद गरीब से गरीब व्यक्ति को जल्दी न्याय मिलेगा
इन कानूनों पर पूरी तरह अमल होने के बाद तारीख पर तारीख का ज़माना खत्म हो जाएगा
भारतीय न्याय के मूल विचार विश्व के सभी न्यायिक विचारों में सबसे उदार और महान हैं और ये नए कानून उन्ही विचारों से प्रेरित हैं
स्वराज का मतलब स्वशासन नहीं होता, बल्कि स्वधर्म, स्वभाषा, स्वसंस्कृति और स्वशासन को प्रस्थापित करना है
हमारा इतिहास नहीं है बोल कर भूल जाना… मोदी जी जो कहते हैं, वह करके दिखाते हैं
हमने विक्टिम-सेन्ट्रिक कानून बनाए हैं, इसका उद्देश्य पीड़ित को न्याय देने और उसके आत्मसम्मान व गरिमा को पुनर्स्थापित करना है
इन कानूनों पर अमल होने के बाद FIR से लेकर फैसले तक पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी
इनमें जीरो एफआईआर, ई-एफआईआर और 2027 तक देशभर के सभी मामलों के रिकॉर्ड्स को डिजिटाइज़ करने का प्रावधान भी किया गया है
मोदी सरकार ने आज इस देश के कानून में से राजद्रोह को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया है, लेकिनभारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ कोई कुछ करेगा तो उसे कठोरतम सजा मिलेगी
मोदी जी ने आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए आतंकवाद की परिभाषा को इसमें शामिल किया है
तकनीक के उपयोग के साथ पुलिस, वकील और कोर्ट के लिए समयसीमा तय कर जल्द न्याय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है
आजादी के बाद सबसे कम मॉब लिंचिंग की घटनाएं मोदी जी के कार्यकाल में हुई है
हमने कहा था कि न्याय मिलने की गति बढ़ाएंगे, कानूनों का सरल, भारतीय बनाएंगे और न्यायिक और न्यायालय प्रबंधन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाएंगे और मोदी जी ने आज ये भी कर दिखाया है
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज राज्य सभा में भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पर चर्चा का जवाब दिया। सदन ने चर्चा के बाद तीनों विधेयकों को पारित कर दिया। लोक सभा ने बुधवार, 20 दिसंबर 2023 को इन विधेयकों को पारित कर दिया था।
चर्चा का जवाब देते हुए श्री अमित शाह ने कहा किसंसद से ये तीनों विधेयक पारित होने पर भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में एक नए युग की शुरूआत होगी, जो पूर्णतया भारतीय होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज़ादी के 75 सालों बाद इस देश में सारे कोलोनियल कानूनों में बदलाव कर या समाप्त कर भारत की आत्मा को प्रस्थापित करने की शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि इन तीनों कानूनों को वर्ष 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेज़ों के शासन की रक्षा के लिए बनाया गया था और इनमें कहीं भारतीय नागरिकों, उनके सम्मान, मानवाधिकारों की सुरक्षा और निर्बल को संरक्षण देने की व्यवस्था नहीं थी। श्री शाह ने कहा कि पुराने कानूनों में मानव वध और महिला के साथ दुर्व्यवहार को प्राथमिकता न देकर खज़ाने की रक्षा, रेलवे की रक्षा और ब्रिटिश ताज की सलामती को प्राथमिकता दी गई थी। उन्होंने कहा कि आज प्रस्तुत इन तीनों विधेयकों का उद्देश्य दंड देना नहीं बल्कि न्याय देना है। उन्होंने कहा कि भारतीय आत्मा वाले इन तीन कानूनों से हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानूनों से चलेगी। उन्होंने कहा कि हमारे पुराणों में स्थापित न्याय की कल्पना विश्व की सभी न्यायिक कल्पनाओं में सबसे अधिक उदार है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इन कानूनों पर अमल होने के बाद FIR से लेकर फैसले तक पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी और तकनीक का सबसे अधिक उपयोग अगर किसी देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में होगा, तो वो भारत में होगा। उन्होंने कहा कि इनमें ज़ीरो एफआईआर, ई-एफआईआर और 2027 तक देशभर के सभी मामलों के रिकॉर्ड्स को डिजिटाइज़ करने का प्रावधान भी किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वराज का मतलब स्वशासन नहीं होता, बल्कि स्वधर्म, स्वभाषा, स्वसंस्कृति और स्वशासन को प्रस्थापित करना है। श्री शाह ने कहा कि 2014 से श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश की महान आत्मा को जागृत करने का काम किया है और वही आज भारत के उत्थान का कारण बना है। गृह मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में बैलेंस ऑफ वर्क को बहुत महत्व दिया जाता है और हमारी वर्तमान आपराधिक न्यायिक प्रणाली में ये बिगड़ गया है, लेकिन इन नए कानूनों में हमने इसका खास ध्यान रखा है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों पर पूरी तरह अमल होने के बाद तारीख पर तारीख का ज़माना खत्म हो जाएगा और 3 सालों में पीड़ित को न्याय देने वाली न्यायिक प्रणाली देश में स्थापित होगी।
श्री अमित शाह ने कहा कि संसद से ये विधेयक पारित होने के बाद हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली 19वीं सदी से निकलकर 2 सदियों का फासला तय कर सीधे 21वीं सदी में प्रवेश करेगी। उन्होंने कहा कि इन कानूनों से भारतीय न्याय की मूल अवधारणा से हम पूरे विश्व को परिचित करा सकेंगे और इनके सुफल इस देश की जनता को मिलेंगे। गृह मंत्री ने कहा कि विश्व की सबसे आधुनिक और वैज्ञानिक न्याय प्रणाली भारत की 140 करोड़ जनता को उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि आज और आने वाले 100 सालों की तकनीक को नियमों में परिवर्तित कर समाहित किया जा सके, इतनी दूरदृष्टि के साथ तकनीक को इन कानूनों में समाहित किया गया है। श्री शाह ने कहा कि 7 साल से अधिक सज़ा वाले सभी अपराधों में फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री की विज़िट को अनिवार्य किया है जिससे कन्विक्शन रेश्यो बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि ये नए कानून पारित होने के बाद कश्मीर से कन्याकुमारी औऱ द्वारका से असम तक पूरे देश में एक ही न्याय प्रणाली होगी। श्री शाह ने कहा कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए हम परंपरागत सम्मान को कानून का स्वरूप देने में सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज़ादी के 75 वर्षों औऱ 4 दशकों से आतंकवाद का दंश झेलने के बाद इस देश के कानून में आतंकवाद की परिभाषा ही नहीं थी, लेकिन मोदी जी ने आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए आतंकवाद की परिभाषा को इसमें शामिल किया है।
गृह मंत्री ने कहा कि इस कानून से राजद्रोह अब देशद्रोह में बदल दिया गया है। उन्होने कहा किमहात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, वीर सावरकर जैसे लोग राजद्रोह के आरोप में कई साल जेल में रहे और विपक्ष ने भी इसका उपयोग करते हुए आपातकाल के दौरान कई लोगों को जेल में डाल दिया। अब मोदी सरकार राजद्रोह के अंग्रेज़ी कॉन्सेप्ट को समाप्त कर दिया है, शासन के खिलाफ कोई भी बोल सकता है, लेकिन देश के खिलाफ अगर कोई बोलेगा या कुछ करेगा तो इन कानूनों में कठोरतम दंड का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि देश महान होता है और इस विचार को इसमें लाया गया है। संगठित अपराध के लिए हमने एक नई व्याख्या जोड़कर इस पर नकेल कसने का काम किया है। छोटे और पहली बार किए गए अपराधों के लिए जेल की जगह पछतावे के लिए सामुदायिक सेवा का प्रावधान इसमें किया गया है। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के आने के बाद गरीब से गरीब व्यक्ति को जल्दी न्याय मिलेगा। तकनीक के उपयोग के साथ पुलिस, वकील औऱ कोर्ट के लिए समयसीमा तय कर जल्द न्याय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि ज़िलास्तर पर डायरेक्टर ऑफ प्रॉसीक्यूशन रहेगा और जो प्रक्रिया से अलग रहकर अपील की योग्यता पर निर्णय करेगा। श्री शाह ने कहा कि ब्रिटिश संसद द्वारा बनाए कानूनों को समाप्त कर मोदी जी ने भारतीय संसद के गौरव को बढ़ाया है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 484 धाराओं वाले CrPC को रिप्लेस करने वाली भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में अब 531 धाराएं रहेंगी, 177 धाराओं को बदल दिया गया है, 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 14 धाराओं को निरस्त किया गया है। भारतीय न्याय संहिता, जो IPC को रिप्लेस करेगी, में पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 358 धाराएं होंगी, 20 नए अपराध जोड़े गए हैं, 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सज़ा रखी गई है, 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड रखा गया है और 19 धाराओं को निरस्त किया गया है। इसी प्रकार, भारतीय साक्ष्य विधेयक, जो Evidence Act को रिप्लेस करेगा, में 167 के स्थान पर अब 170 धाराएं होंगी, 24 धाराओं में बदलाव किया गया है, 2 नई धाराएं जोड़ी गई है और 6 धाराएं निरस्त की गई हैं।
श्री अमित शाह ने कहा कि ये नरेन्द्र मोदी सरकार है, जो कहती है वो करती है। हमने कहा था कि धारा 370 और 35ए को हटा देंगे, हटा दिया, आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएंगे औऱ सुरक्षाबलों को फ्री हैंड देंगे, हमने किया। उन्होंने कहा कि इन नीतियों के कारण जम्मू औऱ कश्मीर, वामपंथी उग्रवाद-प्रभावित क्षेत्रों और नॉर्थईस्ट में हिंसक घटनाओं में 63 प्रतिशत और मृत्यु में 73 प्रतिशत की कमी आई है।हमने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर बनाएंगे और 22 जनवरी, 2024 को राम मंदिर में राम लला विराजमान होंगे। हमने कहा था कि संसद औऱ विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देंगे, हमने सर्वानुमति से देकर देश की मातृशक्ति को सम्मानित करने का काम किया। हमने कहा था कि न्याय मिलने की गति बढ़ाएंगे, कानूनों का सरल, भारतीय बनाएंगे और न्यायिक और न्यायालय प्रबंधन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाएंगे और मोदी जी ने आज ये भी कर दिखाया है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जी ने देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाई है और आने वाले इन नए कानूनों की आत्मा, सोच, शरीर सब भारतीय है। गृह मंत्रालय ने 2019 से इन तीनों पुराने कानूनों में परिवर्तन लाने के लिए गहन विचार-विमर्श शुरू किया था। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के संबंध में कुल 3200 सुझाव प्राप्त हुए थे और इन तीनों कानूनों पर विचार के लिए उन्होंने स्वयं 158 बैठकें कीं। श्री शाह ने कहा कि 11 अगस्त, 2023 को इन तीनों नए विधेयकों को गृह मंत्रालय की स्थायी समिति के विचारार्थ भेजा गया था और समिति के 72 प्रतिशत अराजनीतिक सुझावों को स्वीकार किया गया है। उन्होंने कहा कि अब तक ICJS के माध्यम से देश के 97% पुलिस स्टेशन को कम्प्यूराइज्ड करने का काम समाप्त कर दिया गया है और 82 प्रतिशत पुलिस स्टेशन्स का रिकॉर्ड भी डिजिटाइज़ हो चुका है। श्री शाह ने कहा कि अब तक ICJS के माध्यम से 8 करोड़ जितनी एफआईआर का डेटा ऑनलाइन कर लिया है, ई-कोर्ट, ई-प्रिज़न, ई-प्रॉसीक्यूशन औऱ ई-फॉरेन्सिक का प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं। आईसीजेएस के माध्यम से फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, थाना, गृह विभाग, पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ऑफिस, जेल और कोर्ट एक ही सॉफ्टवेयर के तहत ऑनलाइन होने जा रहे हैं। सभी प्रकार के डेटाबेस को इंटीग्रेट करने का काम भी हो रहा है जिससे सभी प्रकार के अपराधों पर नकेल कसी जा सकेगी। उन्होंने कहा कि ये नरेन्द्र मोदी सरकार है जो प्लानिंग और नतीजे के साथ काम करती है। हर जिले और थाने में पुलिस अधिकारी को पदनामित किया है जो गिरफ्तार लोगों की सूची बनाकर उनके संबंधियों को इन्फॉर्म करेगा।3 वर्ष से कम कारावास के मामलों में 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले व्यक्तियों और महिलाओं की गिरफ्तारी के नियम भी पुख्ता किए हैं। उन्होंने कहा कि हमने विक्टिम-सेन्ट्रिक कानून बनाए हैं, इसका उद्देश्य पीड़ित को न्याय देने, उसके आत्मसम्मान और गरिमा को पुनर्स्थापित करना है। एवीडेंस, तलाशी और जब्ती में वीडियो रिकॉर्डिंग का कंपलसरी प्रोविजन किया गया है, जिससे किसी को फ्रेम करने की संभावनाओं में बहुत कमी आएगी।
श्री अमित शाह ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने आज इस देश के कानून में से राजद्रोह को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया है। गृह मंत्री ने कहा कि भारत की एकता, अखंडता औऱ संप्रभुता के खिलाफ कोई कुछ करेगा तो उसे कठोरतम सज़ा मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमने देशद्रोह की परिभाषा में उद्देश्य और आशय की बात की है और अगर उद्देश्य देशद्रोह का है, तो आरोपी को कठोर से कठोर दंड मिलना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए भी इन कानूनों में कई प्रावधान किए गए हैं।18 वर्ष से कम उम्र की महिला के बलात्कार के अपराध में आजीवन कारावास औऱ मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि गैंगरेप के मामलों में 20 साल या ज़िंदा रहने तक की सज़ा का प्रावधान किया गया है। श्री शाह ने कहा कि आज़ादी के 75 सालों के बाद पहली बार आतंकवाद को आपराधिक न्याय प्रणाली में जगह देने का काम नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है। डायनामाइट, विस्फोटक पदार्थ, ज़हरीली गैस, न्यूक्लीयर का उपयोग जैसी घटनाओं में कोई भी मृत्यु होती है, तो इसका ज़िम्मेदार आतंकवादी कृत्य में लिप्त माना जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि इस परिभाषा से इस कानून के दुरुपयोग की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती है, लेकिन जो आतंकवादी कृत्य करते हैं उन्हें कठोर से कठोर सज़ा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 70 हज़ार से अधिक लोग आतंकवाद की बलि चढ़े हैं और अब इसमें 70 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा कि गैरइरादतन हत्या के मामले में पुलिस के पास जाने और पीड़ित को अस्पताल ले जाने के मामले में कम सज़ा का प्रावधान किया है। श्री शाह ने कहा कि हिट एंड रन केस में हमने 10 साल की सज़ा का प्रावधान किया है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज़ादी के बाद सबसे कम मॉब लिंचिंग के अपराध नरेन्द्र मोदी जी के साढ़े 9 सालों में हुए हैं। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के माध्यम से जल्द न्याय मिले, इसके लिए इन कानूनों में पुलिस, वकील और न्यायाधीश के लिए समयसीमा रखने का काम भी किया गया है। गृह मंत्री ने कहा कि अब पुलिस को शिकायत के 3 दिनों में ही FIR दर्ज करनी होगी और 3 से 7 साल की सज़ा वाले मामले में प्रारंभिक जांच करके एफआईआर दर्ज करनी होगी। जांच की रिपोर्ट 24 घंटे में और तलाशी की रिपोर्ट ज़्यादा से ज़्यादा 24 घंटे में कोर्ट के सामने रखना होगा। उन्होंने कहा कि अब हमने बिना किसी देर के बलात्कार पीड़िता की मेडिकल जांच रिपोर्ट को 7 दिनों के अंदर पुलिस थाने और न्यायालय में सीधे भेजने का प्रावधान किया है। अब चार्जशीट दाखिल करने की समयसीमा तय कर इसे 90 दिन रखा गया है और इसके बाद और 90 दिन ही आगे जांच हो सकेगी। उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट को 14 दिनों में मामले का संज्ञान लेना ही होगा औऱ कार्रवाई शुरू हो जाएगी। श्री शाह ने कहा कि आरोपी द्वारा आरोपमुक्त होने का निवेदन भी 60 दिनों में ही करना होगा। कई मामले ऐसे हैं जिनमें 90 दिनों में आरोपी की अनुपस्थिति में भी ट्रायल कर उन्हें सज़ा सुनाई जा सकेगी और अब मुकदमा खत्म होने के 45 दिनों में ही न्यायाधीश को निर्णय देना होगा। ट्रायल इन एब्सेंशिया के तहत अब अपराधियों को सज़ा भी होगी और उनकी संपत्ति भी कुर्क होगी। इसके साथ ही निर्णय औऱ सज़ा के बीच 7 ही दिनों का समय मिलेगा। उन्होने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा अपील खारिज करने के 30 दिनों के अंदर ही दया याचिका दाखिल की जा सकती है।