विकसित भारत संकल्प यात्रा (वीबीएसवाई) के माध्यम से भारत सरकार जन-जन तक लाभार्थी योजनाओं को पहुंचाने में जुटी हुई है। यात्रा में शामिल सूचना, शिक्षा एवं संचार वाहनें (आईईसी वैन्स) शहर-शहर, गांव-गांव तक जागरूकता अभियान चला रही हैं। आईईसी वैन्स अब तक एक लाख से अधिक ग्राम पंचायतों तक पहुंच चुकी हैं। इसके अलावा, 22 दिसंबर 2023 (दोपहर 02:30 बजे) तक, लगभग 4.5 करोड़ लोग वीबीएसवाई में शामिल हुए और 3 करोड़ से अधिक लोगों ने विकसित भारत बनाने का संकल्प लिया ।
15 नवंबर 2023 को झारखंड के खूंटी से शुरु हुई यह विकसित भारत संकल्प यात्रा, किसानों के लिए विशेष रूप से मददगार साबित हो रही है। इस यात्रा के माध्यम से केंद्र सरकार किसानों को तकनीकी और आर्थिक रूप से सक्षम बनाने पर विशेष बल दे रही है। इस जन जागरण अभियान के सहारे भारत सरकार किसानों को बीज से बाजार तक के सफ़र को सुगम बनाने में अहम भूमिका निभा रही है।
उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ के किसान जनक यादव और बिहार के सहरसा जिले के भेलाही पंचायत निवासी नसीरुद्दीन ने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिल रहा है। दोनों किसानों ने “पीएम-किसान” योजना को बहुत लाभकारी बताते हुए कहा कि ये गरीब किसानों के लिए बहुत अच्छी योजना है। इससे कृषकों को मदद मिलती है।
केंद्र सरकार विकसित भारत संकल्प यात्रा के माध्यम से किसानों को तकनीक से भी जोड़ने का अथक प्रयास कर रही है। यात्रा के दौरान तकरीबन सभी ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन से खेतों में छिड़काव कर किसानों को दिखाया जा रहा है, इसके साथ ही ड्रोन से फसलों की जांच करना भी सिखाया जा रहा है। ऐसा ही एक प्रदर्शन असम के बक्सा जिले में भी देखने को मिला जिसमें कृषकों को ड्रोन से फसलों का निरीक्षण करना सिखाया गया। प्रदर्शन देखने के बाद एक किसान रोनित सिंह ब्रह्मा ने अपनी संतुष्टि व्यक्त करते हुए कहा, ‘आज, हमने ड्रोन को हमारी सरसों की फसलों का परीक्षण करते देखा और हम उसकी दक्षता से प्रभावित हुए। इससे हमें एहसास हुआ कि इस तकनीक को अपनाने से समय की बचत तो होगी ही साथ ही श्रम लागत में भी कमी आएगी।”
रोनित सिंह ब्रह्मा
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद के निवासी और आत्मा योजना के लाभार्थी श्री रामगोपाल चौधरी ने विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत चल रहे अभियान में अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने कृषि गतिविधियों के लिए आधुनिक मशीनरी के उपयोग के बारे में प्रशिक्षण प्राप्त करने का अपना सुखद अनुभव व्यक्त किया। उन्होंने आगे बताया कि आधुनिक पद्धति से खेती करने से उनकी लागत में भी कमी आई है और उनकी आय भी बढ़ी है।
रामगोपाल चौधरी