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डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र सेवा में वृद्धि के लिए विदेश मंत्रालय और डाक विभाग के बीच समझौता ज्ञापन का नवीनीकरण

आज एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्रों (POPSKs) के माध्यम से पासपोर्ट सेवाओं की निरंतर पहुंच के लिए विदेश मंत्रालय (एमईए) और डाक विभाग के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) को पांच साल के लिए नवीनीकृत किया गया। डाक विभाग की ओर से व्यापार विकास निदेशालय की महाप्रबंधक सुश्री मनीषा बंसल बादल और विदेश मंत्रालय की ओर से संयुक्त सचिव (पीएसपी और सीपीओ) डॉ. के.जे. श्रीनिवास ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

समझौता ज्ञापन में POPSKs के प्रभावी प्रबंधन और परिचालन समर्थन के लिए साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भारत के नागरिकों को अपने निकटतम डाकघरों में विश्व स्तरीय पासपोर्ट सेवाएं मिलती रहें।

2017 में शुरू की गई डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र (POPSKs) 1.52 करोड़ से अधिक नागरिकों को पासपोर्ट से संबंधित सेवाओं की सुविधा प्रदान करने में सहायक रही है, खासकर ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में, जिससे पूरे भारत में नागरिकों के लिए पासपोर्ट सेवाओं तक व्यापक पहुँच सुनिश्चित हुई है। पिछले कुछ वर्षों में डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्रों (POPSKs) का नेटवर्क काफी बढ़ गया है, वर्तमान में देश भर में 442 केंद्र चालू हैं।

यह समझौता ज्ञापन विदेश मंत्रालय और डाक विभाग के बीच सहयोग को मजबूत करता है, जिसका उद्देश्य सेवा वितरण को बढ़ाना, संचालन को सुव्यवस्थित करना और पासपोर्ट से संबंधित सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा करना है। इस पहल के तहत, 2028-29 तक देश भर में पासपोर्ट सेवा केंद्रों की संख्या 600 केंद्रों तक बढ़ाने की योजना है, जिससे नागरिकों के लिए अधिक पहुंच और सुविधा सुनिश्चित होगी और अगले पांच वर्षों में वार्षिक ग्राहक आधार 35 लाख से बढ़कर 1 करोड़ हो जाएगा।

यह पहल दोनों मंत्रालयों के सहयोगात्मक प्रयास को दर्शाती है, ताकि एक सहज, सुलभ और कुशल पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया सुनिश्चित करके नागरिक अनुभव को बेहतर बनाया जा सके। यह भारत के डाक नेटवर्क को और मजबूत करेगा, जिससे पासपोर्ट सेवाएँ सभी नागरिकों के लिए अधिक सुविधाजनक, विश्वसनीय और आसानी से सुलभ हो जाएँगी।

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सुश्री मनीषा बंसल बादलमहाप्रबंधकव्यवसाय विकासडाक विभागडॉके.जेश्रीनिवाससंयुक्त सचिव (पीएसपी एवं सीपीओ) – विदेश मंत्रालय

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन में सहयोग के लिए इजरायली स्टार्टअप को आमंत्रित किया

भारत दौरे पर आए इजराइल के उद्योग एवं अर्थव्यवस्था मंत्री नीर बरकत ने आज केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से भेंट की। दोनों नेताओं ने स्टार्टअप्स, विशेषकर अंतरिक्ष एवं क्वांटम प्रौद्योगिकी में सहयोग पर चर्चा की। उन्होंने कृषि एवं स्वास्थ्य क्षेत्रों में सहयोगात्मक नवाचार पहलों पर भी चर्चा की।

इजराइल के मंत्री के साथ एक उच्चस्तरीय आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल भी था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन की परिवर्तनकारी क्षमता के बारे में बताया और इसे देश की तकनीकी आकांक्षाओं की आधारशिला कहा। उन्होंने क्वांटम कंप्यूटिंग में अपने अग्रणी कार्य के लिए जाने जाने वाले इजरायली स्टार्टअप को भारतीय संस्थानों के साथ मिलकर महत्वपूर्ण क्वांटम तकनीकों का सह-विकास करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, “भारत और इजरायल इस क्षेत्र में एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं – भारत अपने बड़े बाजार, जनशक्ति और अवसरों के साथ और इजरायल अपने अत्याधुनिक नवाचार के साथ।”

भारत के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन का उद्देश्य संचार, क्रिप्टोग्राफी और कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए क्वांटम तकनीकों का उपयोग करना है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इजरायली स्टार्टअप और शोधकर्ता आपसी लाभ के लिए अपने अनुभव का लाभ उठाते हुए महत्वपूर्ण तकनीकों के सह-विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अंतरिक्ष के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास पर जोर दिया उन्होंने अंतरिक्ष स्टार्टअप में विकास का श्रेय सरकार की दूरदर्शी नीतियों और पहलों को दिया। अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोले जाने के बाद से इस क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या में वृद्धि हुई है। यह वैश्विक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “इजरायल के अंतरिक्ष स्टार्टअप में अपने भारतीय समकक्षों के साथ सहयोग करने की अपार संभावनाएं हैं,” उन्होंने भारत की लागत-प्रभावी उत्पादन क्षमताओं और प्रतिभा के साथ इजरायल के नवाचार कौशल का लाभ उठाने के पारस्परिक लाभों पर जोर दिया।

पीपीपी+पीपीपी-सार्वजनिक-निजी भागीदारी+नीतिगत प्रोत्‍साहन- की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसे एक अनूठा मॉडल बताया जिससे भारत में नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत और इजरायल महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में संयुक्त उद्यमों को बढ़ाने के लिए इस व्‍यवस्‍था को अपनाएं। मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि बाजारों और जनशक्ति के मामले में भारत की अर्थव्यवस्थाओं के मानदंड को इजरायल की नवाचार में अर्थव्यवस्थाओं के साथ मिलाने से सफलता का एक विजयी सूत्र तैयार होगा

मंत्री ने अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान मिशन (एनआरएम) के बारे में बात की जिसका उद्देश्य भारत में विभिन्न विषयों में अनुसंधान को एक करना और उसे बढ़ावा देना है। उन्होंने इसे उन्नत अनुसंधान और विकास में इजरायल की क्षमताओं से जोड़ा और वैश्विक चुनौतियों को हल करने के लिए एक सहयोगी दृष्टिकोण की कल्पना की। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बढ़ते जैव-अर्थव्यवस्था क्षेत्र पर भी बात की उन्होंने कहा कि वर्तमान शासन के तहत भारत में जैव-स्टार्टअप की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी गई है। उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी में इजरायल की विशेषज्ञता का स्वागत किया और कृषि, स्वास्थ्य सेवा और सतत विकास में नवाचार को बढ़ावा देने वाली साझेदारी का प्रस्ताव दिया।

बैठक के दौरान, दोनों मंत्रियों ने सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) में साझेदारी की संभावनाओं पर भी चर्चा की। डॉ. जितेंद्र सिंह ने इजरायली कंपनियों को इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने मोबाइल निर्माण और 5जी रोलआउट सहित स्वदेशी तकनीक विकास में भारत की प्रगति के बारे बताया।

बरकत ने भारत के अटूट समर्थन के लिए गहरा आभार व्यक्त किया, महत्वपूर्ण समय के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की त्वरित एकजुटता के बारे में बताया। उन्होंने इजरायल के निर्यात को बढ़ावा देने वाले छह प्रमुख समूहों के अभिनव आर्थिक मॉडल के बारे में विस्तार से बताया। इनमें उन्नत विनिर्माण, जीवन विज्ञान और उच्च तकनीक क्षेत्र शामिल हैं। इसी अनुसार इन समूहों के लिए अनुरूप बुनियादी ढांचा बनाना, प्रयोगशालाओं जैसी विशेष सुविधाएँ बनाना शामिल है। यह कई स्टार्टअप की आवश्‍यकताओं को पूरा करते हैं। उदाहरण के लिए, कृषि-तकनीक कंपनियों के लिए साझा प्रयोगशालाएँ न केवल लागत कम करती हैं बल्कि एक सहयोगी तंत्र को भी बढ़ावा देती हैं। सार्वजनिक-निजी भागीदारी का लाभ उठाकर इज़राइल अपनी क्षमता का अधिकतम उपयोग करता है और नवाचारों को प्रभावी ढंग से बढ़ाता है। यह भारत-इज़राइल सहयोग के लिए एक अनुकरणीय है।

श्री बरकत ने रणनीतिक पायलट परियोजनाओं और क्षेत्र-विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप बुनियादी ढांचे में निवेश के माध्यम से भारत-इज़राइल संबंधों को और मजबूत करने की संभावना पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि इज़राइल की छोटी लेकिन नवाचार-समृद्ध अर्थव्यवस्था भारत के बाजार आकार और प्रतिभा के विशाल पैमाने को पूरक बनाती है। विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में सहयोग दोनों देशों के लिए समाधान में स‍हायता कर सकते हैं। इन सहयोगों को बढ़ावा देकर इज़राइल और भारत खुद को नवाचार में वैश्विक नेताओं के रूप में स्थापित कर सकते हैं और दोनों देशों की सरकारों और लोगों के बीच मजबूत संबंधों को बढ़ावा दे सकते हैं।

दोनों मंत्रियों ने कृषि और समुद्री क्षेत्रों में आपसी लाभ की उनकी क्षमता को पहचानते हुए सहयोगी प्रयास शुरू करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने नवाचार और सतत विकास के अवसरों की पहचान करते हुए इन क्षेत्रों का गहन अध्ययन करने के लिए एक समर्पित कार्य समूह के गठन का प्रस्ताव रखा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और इज़राइल की साझा आकांक्षाओं का उल्‍लेख किया। उन्होंने दोहराया कि अंतरिक्ष, क्वांटम कंप्यूटिंग, जैव प्रौद्योगिकी और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साझेदारी न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी बल्कि दोनों देशों को वैश्विक नवाचार में अग्रणी के रूप में भी स्थापित करेगी। उन्होंने कहा, “हम मिलकर आज की चुनौतियों का समाधान करने तथा बेहतर कल के लिए समाधान तैयार करने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं।”

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भारत का 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान

7 दिसंबर, 2024 को भारत तपेदिक (टीबी) को खत्म करने की दिशा में एक साहसिक कदम उठाएगा। तपेदिक एक ऐसा रोग है, जो देश भर में लाखों लोगों को प्रभावित करना जारी रखे हुए है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा हरियाणा के पंचकूला में इस महत्वाकांक्षी 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान का आधिकारिक रूप से शुभारंभ करेंगे। इस अभियान का उद्देश्य विशेष रूप से असुरक्षित आबादी के लिए टीबी के मामलों का पता लगाने, निदान में होने वाली देरी को कम करने और उपचार के परिणामों को बेहतर बनाते हुए टीबी के खिलाफ़ लड़ाई को तेज़ करना है। यह अभियान 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 347 जिलों में टीबी को समाप्‍त करने और टीबी मुक्त राष्ट्र बनाने की भारत की रणनीति का एक महत्वपूर्ण घटक है।

राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी): टीबी मुक्त भारत का विजन

यह 100 दिवसीय अभियान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तत्वावधान में राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के व्यापक ढांचे का अंग है, जो टीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (एनएसपी) 2017-2025 से संबद्ध है। एनएसपी टीबी के मामलों में कमी लाने, निदान और उपचार की क्षमताओं को बेहतर बनाने और इस रोग के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को दूर करने पर केंद्रित है। यह महत्वाकांक्षी पहल 2018 के टीबी उन्मूलन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा निर्धारित विजन को प्रतिबिम्बित करती है, जिसमें उन्होंने 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने का संकल्प लिया था।

एनटीईपी के तहत भारत में टीबी के मामलों में कमी लाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। यहां टीबी के मामलों की दर में वर्ष 2015 में प्रति 100,000 की आबादी पर 237 मामलों की तुलना में वर्ष 2023 में प्रति 100,000 की आबादी पर 195 मामलों के साथ 17.7 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। इसी तरह, टीबी से संबंधित मौतों में वर्ष 2015 में प्रति लाख की आबादी पर 28 मौतों से 2023 में प्रति लाख की आबादी पर 22 मौतों के साथ 21.4 प्रतिशत तक की कमी आई है। पिछले पांच वर्षों में, टीबी के मामलों की सूचना देने में लगातार वृद्धि हुई है, जैसा कि निम्नलिखित आंकड़ों में देखा जा सकता है:

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कोविड-19 के बाद भारत ने एनटीईपी के जरिए टीबी उन्‍मूलन के अपने प्रयास तेज कर दिए हैं, जो एनएसपी के साथ लगातार संबद्धता बनाए हुए है। 2023 की प्रमुख उपलब्धियों में लगभग 1.89 करोड़ स्‍प्‍यूटम स्मीयर परीक्षण और 68.3 लाख न्यूक्लिक एसिड एम्‍प्‍लीफीकेशन परीक्षण शामिल हैं, जो स्वास्थ्य सेवा स्तरों में नैदानिक पहुंच का विस्तार करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

विकसित हो रहे चिकित्सकीय अनुसंधान के अनुरूप, एनटीईपी ने व्यापक देखभाल पैकेज और विकेन्द्रीकृत टीबी सेवाएं शुरू की हैं, जिनमें अब दवा प्रतिरोधी टीबी (डीआर-टीबी) के रोगियों के लिए अल्‍पकालीन मौखिक उपचार तक व्यापक पहुंच शामिल है। यह कार्यक्रम अलग तरह की देखभाल के नजरिए और जल्‍द निदान को प्रोत्‍साहन देने के माध्‍यम से कुपोषण, मधुमेह, एचआईवी और मादक द्रव्यों के सेवन जैसी स्वास्थ्य की सहवर्ती स्थितियों से निपटने पर विशेष ध्‍यान देते हुए उपचार में होने वाली देरी को कम करने और देखभाल की गुणवत्ता में सुधार लाने पर बल देता है। टीबी निवारक उपचार (टीपीटी) तक पहुंच में महत्‍वपूर्ण विस्तार के साथ निवारक उपाय भी एनटीईपी की रणनीति का केंद्र बने हुए हैं। इनकी बदौलत अल्‍पकालिक उपचार वालों सहित टीपीटी प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की संख्या बढ़कर लगभग 15 लाख हो गई है।

टीबी और स्वास्थ्य की अन्य स्थितियों के बीच परस्पर क्रिया को पहचानते हुए एनटीईपी ने कुपोषण, मधुमेह, एचआईवी और मादक द्रव्यों के सेवन जैसी समस्‍याओं से निपटने की दिशा में कदम उठाए हैं। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ मिलकर किए जा रहे इन प्रयासों का उद्देश्य टीबी रोगियों को अधिक समग्र सहायता प्रदान करना है, अंततः उनके उपचार के परिणामों को बेहतर बनाना है।

उच्च जोखिम वाली आबादी के लिए निदान और उपचार को बढ़ाना

100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान का मुख्य उद्देश्य विशेषकर सबसे असुरक्षित समूहों के लिए निदान और उपचार सेवाओं को मजबूत बनाना है। इनमें दूरदराज और वंचित क्षेत्रों में रहने वाले लोग, हाशिए पर रहने वाले समुदाय तथा मधुमेह, एचआईवी और कुपोषण जैसी सह-रुग्णता से पीडि़त व्यक्ति शामिल हैं। यह अभियान उन्नत निदान तक पहुंच में सुधार और उपचार शुरू होने में देरी को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई विशेष रणनीतियों के साथ अत्‍यधिक बोझ वाले क्षेत्रों को लक्षित करेगा।

यह अभियान टीबी सेवाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में सहायक रहे आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के व्यापक नेटवर्क सहित मौजूदा स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे का लाभ उठाएगा। इसके अलावा, स्क्रीनिंग के प्रयास उच्च जोखिम वाले समूहों पर केंद्रित होंगे और स्वास्थ्य संबंधी अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करने वाले व्यक्तियों के लिए विशेष देखभाल पैकेज शुरू किए जाएंगे।

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यह पहल टीबी के रोगियों को बेहतर पोषण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली नि-क्षय पोषण योजना के माध्यम से पोषण सहायता का भी विस्तार करेगी। इसके अतिरिक्त, सरकार ने टीबी रोगियों के निकट संपर्क में रहने वालों को व्यापक देखभाल और सहायता दिलाना सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक सहायता पहल प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (पीएमटीबीएमबीए) को एकीकृत किया है।

रणनीतिक हस्‍तक्षेप

राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) तपेदिक (टीबी) से निपटने और समूचे भारत में टीबी के परिणामों में असमानताओं को दूर करने की व्यापक रणनीति के केंद्र में है। इस रणनीति के तहत, कई प्रमुख हस्तक्षेप किए जा रहे हैं, जिनमें मामलों का पता लगाने में सुधार, निदान में देरी में कमी और विशेष रूप से असुरक्षित समुदायों के लिए बेहतर उपचार परिणाम शामिल हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य एनटीईपी को मजबूत बनाना और पूरे देश में टीबी उन्‍मूलन के लिए अधिक न्यायसंगत और प्रभावी दृष्टिकोण सुनिश्चित करना है, जैसे:

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इन प्रयासों से टीबी के मामलों, नैदानिक कवरेज और मृत्यु दर जैसे प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों में सुधार होने की संभावना है, जिससे भारत टीबी उन्‍मूलन के अपने लक्ष्य के करीब पहुंच जाएगा।

वित्तीय सहायता और सामुदायिक सहभागिता: टीबी के खिलाफ लड़ाई को सशक्त बनाना

टीबी उन्मूलन की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता चिकित्सकीय हस्तक्षेपों से कहीं बढ़कर है। नि-क्षय पोषण योजना के माध्यम से सरकार ने 1 करोड़ लाभार्थियों को सहायता देने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिए लगभग 2,781 करोड़ रुपये वितरित किए हैं। इसके अतिरिक्त, नई पहलों के तहत आशा कार्यकर्ताओं, टीबी चैंपियनों (विजेताओं) और नि-क्षय साथी मॉडल के तहत पारिवारिक देखभाल करने वालों सहित उपचार में सहायता देने वालों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह सहायता नेटवर्क रोगियों को चिकित्सकीय और भावनात्मक दोनों तरह से निरंतर देखभाल मिलना सुनिश्चित करता है।

2022 में पीएमटीबीएमबीए की शुरुआत व्यापक सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए टीबी के खिलाफ लड़ाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई । टीबी के रोगियों की मदद करने के लिए 1.5 लाख से ज़्यादा नि-क्षय मित्र (सामुदायिक समर्थक) पहले ही इस प्रयास में शामिल हो चुके हैं। राजनीतिक नेताओं, सरकारी अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों ने भी जागरूकता अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया है, जो टीबी को समाप्‍त करने की दिशा में जमीनी स्तर पर हो रहे सामूहिक प्रयास को दर्शाता है।

टीबी उन्मूलन दिशा में भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता

टीबी को जड़ से खत्म करने के प्रति भारत का दृष्टिकोण केवल राष्ट्रीय प्रयास भर नहीं है; यह वैश्विक लक्ष्यों के साथ भी संबद्ध है। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में, भारत टीबी को एसडीजी की 2030 की समय सीमा से पांच साल पहले ही 2025 तक खत्म करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

टीबी उन्मूलन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता अंतर्राष्ट्रीय घोषणाओं जैसे कि, गांधीनगर घोषणापत्र के प्रति इसके समर्थन में भी स्पष्ट होती है, जिस पर डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रियों द्वारा अगस्त 2023 में हस्ताक्षर किए गए थे। इस क्षेत्रीय संकल्‍प का उद्देश्य क्षेत्र में 2030 तक टीबी के खिलाफ लड़ाई को बनाए रखना, तेज करना और नई राह निकालना है।

आगे की राह: 2025 तक टीबी का उन्मूलन

टीबी मुक्त राष्ट्र की दिशा में भारत की यात्रा में यह 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए निदान, उपचार और सहायता सेवाओं को बढ़ाकर, भारत 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण के लिए मंच तैयार कर रहा है। निरंतर राजनीतिक इच्छाशक्ति, सामुदायिक सहभागिता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ, टीबी मुक्त भारत – तपेदिक से मुक्त भारत – का सपना साकार हो सकता है।

इस उद्देश्य के प्रति संकल्‍पबद्धता स्वास्थ्य संबंधी न्‍यायसंगतता, सामाजिक न्याय और सतत विकास के व्यापक दृष्टिकोण को प्रतिबिम्बित करती है। जिस तरह भारत टीबी के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक कदम उठा रहा है, यह इस बात को साबित करते हुए दुनिया के सामने एक मिसाल कायम कर रहा है कि सहयोग, नवाचार और दृढ़ संकल्प के बल पर वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटा जा सकता है।

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अंतर महाविद्यालय छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय महिला हैंडबॉल प्रतियोगिता आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 8 दिसंबर एस एन सेन बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज द्वारा अंतर महाविद्यालय छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय महिला हैंडबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया यह प्रतियोगिता सेठ मोतीलाल खेड़िया स्कूल में आयोजित की गई जिसमें कानपुर नगर से पांच महाविद्यालयों ने ट्रायल में प्रतिभा किया। इस अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता में टीमों की संख्या की प्रतिभागिता कम होने के कारण ट्रायल करवाया गया जिसमें 21 खिलाड़ियों का चयन किया गया। रेफरी श्री अनुज , श्री हरप्रीत , एवंअनुराग को कानपुर हैंडबॉल एसोसिएशन से आमंत्रित किया गया था।ट्रायल में कुल 35 खिलाड़ियों ने प्रतिभा किया जिसमें से 21 खिलाड़ियों को चयनित किया गया यह सभी चयनित खिलाड़ी एक हफ्ते के कैंप के बाद छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय की हैंडबॉल महिला टीम बनाकर नॉर्थ जोन अंतर विश्वविद्यालय ही प्रतियोगिता में प्रतिभा करेंगे प्राचार्य प्रोफेसर सुमन ने सभी चयनित खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दी और प्रोफेसर प्रीति पांडेय जो इस कार्यक्रम की आयोजन सचिव थी उनको सफल ट्रायल हेतु बधाई दी एवं टीम को आगे और मेहनत कर कानपुर विश्वविद्यालय टीम को को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।
चयनित खिलाड़ियों के नाम निम्न वत हैं– आरती देवी, दिव्यांशी सिंह ,अनामिका कुमारी ,आरोही द्विवेदी ,दीक्षा कुमारी ,दिव्या सिंह, अंकित यादव, आराध्या यादव ,प्रीति सिंह , नित्या ,मुस्कान गौतम ,अंजलि छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय से निशा विश्वकर्मा, रागिनी गिरी ,नैंसी वर्मा ,निशा, दीपिका कुमारी ए एन डी कॉलेज कानपुर से, स्वाति , प्रिया एस एन सेन बालिका विद्यालय, पीजी कॉलेज से , दीशिका सिंह VSSD कॉलेज कानपुर , जहान्वी DAV कॉलेज कानपुर इस प्रकार कुल 21 खिलाड़ियों का चयन किया गया। इन सभी खिलाड़ियों का छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय की तरफ से नॉर्थ जोन महिला हैंडबॉल अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में प्रतिभा करने वाली छात्रों के लिए चयन किया जाएगा इन सभी खिलाड़ियों के लिए एक हफ्ते का कैंप लगेगा उपरांत टीम हेतु 16 खिलाड़ियों का चयन करके विश्वविद्यालय को प्रतिनिधित्व करते हुए टीम का चयन किया जाएगा पूरे कार्यक्रम का आयोजन प्रोफेसर प्रीति पांडेय विभागध्यक्ष शारीरिक शिक्षाविभाग सेन कॉलेज के द्वारा किया गया प्राचार्य प्रोफेसर सुमन एवं शिक्षिकाओं ने आयोजन सचिव को सफल कार्यक्रम के लिए बधाई दी। हैंडबॉल प्रतियोगिता का आयोजन सेठ मोतीलाल खेड़िया स्कूल में कराया गया जहां की प्राचार्य एवं खेल शिक्षक श्री शंकर जी ने पूर्ण सहयोग के साथ कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग दिया ।आयोजन सचिव ने सेन प्राचार्य प्रोफेसर सुमन एवं सेठ मोतीलालविद्यालय के प्राचार्य एवं सहयोगियों को धन्यवाद प्रेषित किया।

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कृष्णवेणी संगीत नीराजनम संगीत समारोह के दूसरे संस्करण का विजयवाड़ा में उद्घाटन हुआ

कृष्णवेणी संगीत नीराजनम संगीत महोत्सव के दूसरे संस्करण का आज विजयवाड़ा के तुम्मलपल्ली क्षेत्रय्या कलाक्षेत्र सभागार में उद्घाटन किया गया। इस भव्य समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पर्यटन राज्य मंत्री श्री सुरेश गोपी उपस्थित थे। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में आंध्र प्रदेश सरकार के पर्यटन, संस्कृति और छायांकन मंत्री श्री कंडुला दुर्गेश, आंध्र प्रदेश राज्य रचनात्मकता और संस्कृति आयोग की अध्यक्ष श्रीमती पी. तेजस्वी, आंध्र प्रदेश नाटक अकादमी के अध्यक्ष श्री गुम्मादी गोपाल कृष्ण, आंध्र प्रदेश के पर्यटन सचिव श्री विनय चंद, पर्यटन मंत्रालय के वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार श्री ज्ञान भूषण और आंध्र प्रदेश पर्यटन प्राधिकरण (एपीटीए) की सीईओ सुश्री आम्रपाली काटा शामिल थे।

तीन दिवसीय महोत्सव विजयवाड़ा के तीन प्रतिष्ठित स्थानों पर आयोजित किया जा रहा है, जिसमें 140 से अधिक प्रतिभाशाली कलाकार भाग लेंगे और 35 मंत्रमुग्ध कर देने वाले कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे, जो कर्नाटक संगीत की समृद्ध विरासत का जश्न मनाएंगे।

अपने मुख्य भाषण के दौरान, श्री सुरेश गोपी ने इस उत्सव को तेलुगु परंपराओं की समृद्ध सांस्कृतिक और संगीत विरासत का सम्मान करने के एक मंच के रूप में मनाया। उन्होंने त्यागराज, अन्नामाचार्य और रामदास जैसे महान संगीतकारों के योगदान पर प्रकाश डाला, जिनकी रचनाएँ वैश्विक स्तर पर गूंजती रहती हैं। मंत्री ने इस उत्सव की प्रशंसा “संगीत पर्यटन” के लिए एक अग्रणी मॉडल के रूप में की, जिसमें सांस्कृतिक संरक्षण को पर्यटन संवर्धन के साथ एकीकृत किया गया है। उन्होंने आंध्र प्रदेश में आध्यात्मिक और विरासत स्थलों पर आयोजित प्रीक्वल कार्यक्रमों की सराहना की, जिसने कर्नाटक संगीत को स्थानीय समुदायों और छोटे शहरों के करीब ला दिया है।

श्री सुरेश गोपी ने कर्नाटक संगीत की प्रामाणिकता को बनाए रखने में गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व पर जोर दिया और शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए अन्य दक्षिणी राज्यों, विशेष रूप से केरल में भी इसी तरह के उत्सवों का विस्तार करने की कल्पना की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारतीय विरासत को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के दृष्टिकोण का हवाला देते हुए सांस्कृतिक संरक्षण के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने इस उत्सव की अवधारणा बनाने, संस्कृति और पर्यटन को शास्त्रीय कलाओं के उत्सव के लिए एक स्थायी मंच में मिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को भी श्रेय दिया।

पर्यटन, संस्कृति और छायांकन मंत्री श्री कंडुला दुर्गेश ने आंध्र प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने में महोत्सव की भूमिका की सराहना की। उन्होंने इसे संगीत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक शानदार मंच बताया, जिसमें कर्नाटक संगीत, पारंपरिक शिल्प और क्षेत्र की कलात्मक विरासत को उजागर किया गया। मंत्री ने त्यागराज और अन्नामाचार्य जैसे महान संगीतकारों की विरासत को संरक्षित करने और पिनाकिनी और द्वारम वेंकटस्वामी जैसे कलात्मक दिग्गजों को सम्मानित करने की योजना की घोषणा की। उन्होंने आश्वासन दिया कि कलाकारों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए कदम उठाए जाएंगे और आंध्र प्रदेश में नृत्य अकादमी के लिए अध्यक्ष नियुक्त करने की योजना का खुलासा किया।

कृष्णवेणी संगीत नीराजनम महोत्सव संगीत से आगे बढ़कर आंध्र प्रदेश की समृद्ध विरासत के विभिन्न पहलुओं को एकीकृत करके एक समग्र सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है। इस महोत्सव का एक मुख्य आकर्षण आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के जीआई-टैग किए गए हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों का प्रदर्शन है, जिसे कपड़ा मंत्रालय के हस्तशिल्प और हथकरघा विकास आयुक्त द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह पहल क्षेत्र की कारीगर विरासत का जश्न मनाती है, जिससे आगंतुकों को राज्य की सांस्कृतिक पहचान को परिभाषित करने वाले शिल्प कौशल की सराहना करने का अवसर मिलता है।

इस उत्सव में एक अनूठा आयाम जोड़ते हुए, तिरुपति स्थित भारतीय पाककला संस्थान (आईसीआई) ने आंध्र प्रदेश की पाककला परंपराओं को उजागर करके महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एक समर्पित खाद्य स्टाल के माध्यम से, आईसीआई के छात्र और संकाय प्रामाणिक क्षेत्रीय व्यंजन परोस रहे हैं, जिससे उत्सव में आने वाले लोगों को राज्य की पाक विरासत का स्वाद मिल रहा है। यह पहल न केवल इस आयोजन की सांस्कृतिक कथा को समृद्ध करती है, बल्कि व्यंजनों और सांस्कृतिक पहचान के बीच गहरे संबंध को भी रेखांकित करती है, जो संगीत पर्यटन को बढ़ावा देने के उत्सव के लोकाचार के साथ पूरी तरह से मेल खाती है।

संगीत, शिल्प और व्यंजनों को एक साथ पिरोकर कृष्णवेणी संगीत नीराजनम महोत्सव आंध्र प्रदेश की मूर्त और अमूर्त विरासत का जीवंत चित्रण करता है, जो पर्यटन मंत्रालय के अभिनव दृष्टिकोण को दर्शाता है। तीन दिनों तक चलने वाला कृष्णवेणी संगीत नीराजनम महोत्सव कर्नाटक संगीत की दिव्य धुनों के माध्यम से आंध्र प्रदेश की सांस्कृतिक समृद्धि का उत्सव मनाता है, समुदायों को जोड़ता है और तेलुगु भाषी क्षेत्र के आध्यात्मिक और कलात्मक सार को प्रदर्शित करता है।

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विकसित भारत क्विज मेगा इवेंट आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 5 दिसम्बर दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर की एनएसएस इकाई द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ. संगीता सिरोही के कुशल मार्गदर्शन में कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं के लिए विकसित भारत क्विज में भाग लेने के लिए एक मेगा इवेंट का आयोजन किया गया। यह क्विज युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा माय भारत पोर्टल के माध्यम से 25 नवंबर से 5 दिसंबर तक किया गया। इसमें विजेता छात्राओं को सेकंड राउंड में जाने का मौका मिलेगा। जो सेकंड राउंड में विजेता होंगे उन्हें जनवरी 2025 में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले नेशनल यूथ फेस्टिवल में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से सीधे बात करने एवम् संपूर्ण देश के सम्मुख अपने विचार रखने का मौका मिलेगा। क्विज में आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी और स्थिरता जैसे विषयों को शामिल करते हुए विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में भारत की प्रगति को समझने की चुनौती दी गई। 5G के लॉन्च से लेकर महत्वपूर्ण नीतिगत बदलावों तक, यह वैश्विक नेता के रूप में भारत के उदय पर एक व्यापक नज़र डालता है। कॉलेज की 500 से अधिक छात्राओं ने उत्साहपूर्वक इस क्विज मे प्रतिभाग किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में समस्त वॉलिंटियर्स तथा प्राध्यापिकाओं का सहयोग सराहनीय रहा।

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नए आपराधिक कानूनों में भीड़ द्वारा हत्या और छीना-झपटी से संबंधित प्रावधान

भीड़ द्वारा हत्या और छीनाझपटी जैसे नए अपराधों को पहली बार भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 103 (2) और धारा 304 के तहत दंडनीय बनाया गया है। बीएनएस की धारा 103 (2) में प्रावधान है कि जब पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर नस्लजाति या समुदायलिंगजन्म स्थानभाषाव्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समान आधार पर किसी की हत्या करता हैतो ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और उन्‍हें जुर्माना भी देना होगा।

बीएनएस की धारा 304 में प्रावधान है कि इस तरह की चोरी छीनाझपटी कहलाती हैजब अपराधी चोरी करने के लिए अचानक या तेजी से या बलपूर्वक किसी व्यक्ति या उसके कब्जे से कोई चल संपत्ति जब्त कर लेता है या हासिल कर लेता है या झपट लेता है या छीन लेता है। धारा में यह भी प्रावधान है कि जो कोई भी व्यक्ति छीनाझपटी करेगाउसे तीन वर्ष तक की कैद की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी देना होगा।

यह जानकारी गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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पिछले दो वर्षों के दौरान 1,68,964 शिकायतों का समाधान किया गया : केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज लोकसभा में शिकायतों के निपटान से संबंधित विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिए। ये प्रश्न शिकायतों के निपटान से लेकर पेंशनभोगियों की शिकायतों तक, व्यापक प्रकृति के थे।

सीपीग्राम्स (सीपीजीआरएएमएस) का उपयोग करने वाले नागरिकों की पहुंच: सरकार ने दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों की पहुंच बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप देश भर के 795 जिलों से औसत 70,000 मासिक नागरिक पंजीकरण के साथ 28 लाख से अधिक नागरिक सीपीग्राम पोर्टल पर पंजीकृत हुए हैं। सरकार ने 5.6 लाख गांवों में सीएससी के ग्राम स्तरीय उद्यमियों (वीएलई) के नेटवर्क का लाभ उठाने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के साथ भागीदारी की है।

2023 और 2024 में कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से 4.68 लाख शिकायतें दर्ज की गई हैं। सरकार ने सीपीजीआरएएमएस के बारे में जागरूकता और उपयोगिता बढ़ाने के लिए सीपीजीआरएएमएस के 10 चरणों वाले सुधार को अपनाया है। इन सुधारों में सीपीजीआरएएमएस पोर्टल पर क्षेत्रीय भाषा की सुविधा, फीडबैक कॉल सेंटर के माध्यम से नागरिक जुड़ाव, नागरिक पंजीकरण में सरलीकरण, सीएससी के साथ सहयोग और सीपीजीआरएएमएस मोबाइल एप्लिकेशन का शुभारंभ शामिल है। सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) जैसी ग्रामीण/किसान केंद्रित योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए वीएलई के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं। ग्रामीण आबादी के बीच सीपीजीआरएएमएस के बारे में जागरूकता और इसकी पहुंच बढ़ाने के लिए हर महीने की 20 तारीख को सीएससी-सीपीजीआरएएमएस दिवस के रूप में मनाया जाता है।

शिकायतों का समाधान और सीपीईएनजीआरएएमएस: केंद्रीकृत पेंशन शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीईएनजीआरएएमएस) ने बैकलॉग को कम कर दिया है और आज की तारीख में कोई भी मामला 2 साल से अधिक समय से लंबित नहीं है। पिछले दो वर्षों (01.11.2022 से 31.10.2024 तक) के दौरान 1,68,964 शिकायतों का समाधान किया गया है।

पारिवारिक पेंशनभोगियों और अति वरिष्ठ पेंशनभोगियों की शिकायतों के निवारण के लिए, पारिवारिक पेंशन और अतिरिक्त पेंशन शुरू होने में देरी सहित ऐसी शिकायतों का विशिष्ट वर्गीकरण किया गया है, ताकि बेहतर निगरानी की जा सके। इसके अलावा, नियमित अनुस्मारक जारी किए जाते हैं और ऐसे मामलों के लिए मासिक अंतर-मंत्रालयी समीक्षा बैठकें (आईएमआरएम) आयोजित की जाती हैं। साथ ही, 100 दिवसीय कार्य योजना के तहत, पारिवारिक पेंशन शिकायतों के निवारण के लिए जुलाई, 2024 में एक महीने का विशेष अभियान शुरू किया गया, जिसमें 94% निवारण हासिल किया गया।

पेंशन शिकायतों का निवारण एक लगातार जारी रहने वाली प्रक्रिया है। नीति के अनुसार, सभी पेंशन शिकायतों का निवारण मौजूदा नियमों के अनुसार संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा विकेंद्रीकृत और समयबद्ध तरीके से किया जाता है और यदि समय सीमा के भीतर अंतिम निवारण नहीं किया जाता है, तो देरी के कारण के साथ एक अंतरिम उत्तर प्रदान किया जाना चाहिए।

विभाग ने समय-समय पर निर्देश जारी किए हैं, जिनमें शिकायतों के अंतिम एवं निर्णायक निवारण को 30 दिनों के बजाय 21 दिनों के भीतर करने पर जोर दिया गया है। निवारण की गुणवत्ता की निगरानी फीडबैक सेंटर के माध्यम से की जाती है और ‘खराब’ श्रेणी के मामलों में अपील दायर की जाती है। इन पहलों से निवारण में लगने वाले समय और निवारण की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिली है।

शिकायतों को स्वतः आगे भेजने और ऑटो लेटर संचलन को कवर करने वाली तकनीकी प्रगति ऐसी पहल हैं, जो निवारण में लगने वाले समय को और कम कर देंगी तथा निवारण की गुणवत्ता को बढ़ा देंगी।

पिछले पांच वर्षों के दौरान सीपीजीआरएएमएस पोर्टल www.pgportal.gov.in पर प्राप्त और निपटाई गई कुल शिकायतों की संख्या अनुलग्नक 1 में संलग्न है। इस अवधि के दौरान पीजी पोर्टल पर प्राप्त राज्यवार शिकायतों का विवरण अनुलग्नक II में संलग्न है। 2020-2024 तक कुल 1,12,30,957 शिकायतों का निवारण किया गया और जनवरी-अक्टूबर, 2024 तक सीपीजीआरएएमएस पोर्टल पर अब तक की सबसे अधिक 23,24,323 शिकायतों का निवारण किया गया है। सरकार ने शिकायत निवारण को समय पर, सार्थक और सुलभ बनाने के लिए सीपीजीआरएएमएस के 10 चरणीय सुधारों को अपनाया है और सीपीजीआरएएमएस पोर्टल पर 103,183 शिकायत अधिकारियों का उल्लेख किया है। इससे 31 अक्टूबर 2024 तक भारत सरकार में लंबित लोक शिकायतों को 54,339 के निम्नतम स्तर पर लाने में मदद मिली। निवारण की औसत समयसीमा 2019 में 28 दिनों से घटकर 2024 में 13 दिन रह गई है। सरकार ने 23 अगस्त 2024 को लोक शिकायतों के प्रभावी निवारण के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए। इन दिशानिर्देशों में विभिन्न लोक शिकायत मंचों को एकीकृत करना, मंत्रालयों/विभागों में समर्पित शिकायत प्रकोष्ठों का निर्माण करना, अनुभवी और सक्षम नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करना, शिकायतों के मूल कारण का विश्लेषण और फीडबैक पर कार्रवाई करने पर जोर देना, अपीलीय प्राधिकारियों की नियुक्ति करके प्रक्रियाओं को मजबूत करना, शिकायत समाधान के लिए दिशा-निर्देश जारी करना तथा समाधान समय की ऊपरी सीमा को 30 दिन से घटाकर 21 दिन करना शामिल है।

स्वच्छता को संस्थागत बनाने और सरकारी कार्यालयों में लंबित मामलों को कम करने के लिए 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक सरकार द्वारा चलाए गए विशेष अभियान के प्रमुख क्षेत्रों में से एक लोक शिकायतों का निवारण भी है। विशेष अभियान 2024 के दौरान लगभग 5.55 लाख लोक शिकायतों और अपीलों का निपटारा किया गया है।

विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में रिक्त पदों का होना और उनका भरा जाना एक सतत प्रक्रिया है। रिक्तियों का विवरण संबंधित मंत्रालयों/विभागों/राज्य सरकारों द्वारा रखा जाता है। केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों को समय-समय पर रिक्त पदों को समयबद्ध तरीके से भरने का निर्देश दिया गया है। 22 अक्टूबर, 2022 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए रोजगार मेलों में केंद्र सरकार के रिक्त पदों को मिशन मोड में भरा गया है। विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 40-45 शहरों में केंद्रीय स्तर पर 13 रोजगार मेले आयोजित किए गए हैं।

अनुलग्नक-1

 

वर्ष

आगे लाया गया अवधि के दौरान प्राप्त कुल प्राप्त वर्ष में कुल निस्तारित
2020 1071603 2271270 3342873 2319569
2021 1023304 2000590 3023894 2135923
2022 887971 1918238 2806209 2143468
2023 662741 1953057 2615798 2307674
2024 (1 जनवरी-31 अक्टूबर, 2024)  

308124

 

2298208

 

2606332

 

2324323

कुल 10441363 14395106 11230957

 

अनुलग्नक-II

 

राज्य आगे लाया गया अवधि के दौरान प्राप्त कुल प्राप्त कुल निस्तारित*
अंडमान एवं निकोबार सरकार 85 5510 5595 5565
आंध्र प्रदेश सरकार 29985 36944 66929 63322
अरुणाचल प्रदेश सरकार 548 2354 2902 2686
असम सरकार 28072 124513 152585 146742
बिहार सरकार 60836 161395 222231 214078
छत्तीसगढ़ सरकार 5492 43343 48835 46860
गोवा सरकार 1712 7333 9045 8195
गुजरात सरकार 9024 259661 268685 261927
हरियाणा सरकार 45802 152271 198073 186511
हिमाचल प्रदेश सरकार 19520 20254 39774 34174
जम्मू कश्मीर सरकार 14759 34251 49010 42806
झारखंड सरकार 28379 86485 114864 105266
कर्नाटक सरकार 42179 94391 136570 127779
केरल सरकार 27008 47563 74571 69465
मध्य प्रदेश सरकार 99601 177726 277327 272846
महाराष्ट्र सरकार 119868 207274 327142 306027
मणिपुर सरकार 1662 6441 8103 5930
मेघालय सरकार 1545 2777 4322 3812
मिजोरम सरकार 515 1642 2157 1486
नागालैंड सरकार 280 2018 2298 1045
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार 14514 143509 158023 152370
ओडिशा सरकार 29692 65340 95032 76966
पुडुचेरी सरकार 628 8243 8871 8778
पंजाब सरकार 16701 100015 116716 113604
राजस्थान सरकार 108046 144061 252107 249814
सिक्किम सरकार 766 1240 2006 1984
तमिलनाडु सरकार 23673 107019 130692 123236
तेलंगाना सरकार 5781 37340 43121 42837
त्रिपुरा सरकार 551 7416 7967 7702
चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश सरकार  

320

 

19887

 

20207

 

19988

दादर नगर हवेली केंद्र शासित प्रदेश सरकार  

52

 

1763

 

1815

 

1696

दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश सरकार  

37

 

1848

 

1885

 

1670

लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश सरकार  

6

 

1036

 

1042

 

980

लक्षद्वीप केंद्र शासित प्रदेश सरकार  

2

 

1053

 

1055

 

1030

उत्तर प्रदेश सरकार 115976 1126776 1242752 1230604
उत्तराखंड सरकार 41131 68729 109860 106962
पश्चिम बंगाल सरकार 46969 74043 121012 83392
कुल 941717 3383464 4325181 4130135

* इस अवधि के दौरान निपटाई गई शेष 71,00,822 शिकायतें भारत सरकार से संबंधित हैं

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शी-बॉक्स पोर्टल, एक ऑनलाइन प्रणाली है जिसे ‘कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013’ (एसएच अधिनियम) के विभिन्न प्रावधानों के बेहतर कार्यान्वयन में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने हाल ही में शी-बॉक्स पोर्टल लॉन्च किया है, जो एक ऑनलाइन सिस्टम है जिसे ‘कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013’ (SH अधिनियम) के विभिन्न प्रावधानों के बेहतर कार्यान्वयन में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह अधिनियम संबंधित सरकार को इसके कार्यान्वयन की निगरानी करने और दर्ज किए गए और निपटाए गए मामलों की संख्या पर डेटा बनाए रखने का अधिकार देता है।

शी-बॉक्स पोर्टल मंत्रालय की एक पहल है, जिसका उद्देश्य देश भर में विभिन्न कार्यस्थलों पर गठित आंतरिक समितियों (आईसी) और स्थानीय समितियों (एलसी) से संबंधित सूचनाओं का सार्वजनिक रूप से उपलब्ध केंद्रीकृत संग्रह उपलब्ध कराना है, चाहे वे सरकारी हों या निजी क्षेत्र के और साथ ही एक संपूर्ण एकीकृत शिकायत निगरानी प्रणाली भी। इसमें प्रत्येक कार्यस्थल के लिए एक नोडल अधिकारी को नामित करने का प्रावधान है, जिसे शिकायतों की वास्तविक समय निगरानी के लिए नियमित आधार पर डेटा/जानकारी का अद्यतन सुनिश्चित करना होता है।

पोर्टल पर शिकायत एक पीड़ित महिला या शिकायतकर्ता की ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दर्ज की जा सकती है। यदि शिकायत दर्ज करने वाला व्यक्ति स्वयं पीड़ित महिला है, तो उसे अपने मूल विवरण जैसे कि उसकी कार्य स्थिति, नाम, फोन नंबर और ईमेल दर्ज करके पोर्टल पर लॉग इन करना होगा। यदि शिकायत दर्ज करने वाला व्यक्ति कोई अन्य व्यक्ति है, तो उसे अपना नाम, शिकायतकर्ता के साथ संबंध और शिकायतकर्ता की ओर से अंडरटेकिंग के साथ-साथ पीड़ित महिला/शिकायतकर्ता की कार्य स्थिति, नाम, फोन नंबर और ईमेल दर्ज करके पोर्टल पर लॉग इन करना होगा। अपने रोजगार की स्थिति के आधार पर शिकायत दर्ज करने वाले व्यक्ति को उस कार्यस्थल के आईसी/एलसी का चयन करना होगा जहां वे शिकायत दर्ज करना चाहते हैं। यदि पीड़ित महिला का आईसी या एलसी पोर्टल पर पंजीकृत है, तो शिकायत स्वचालित रूप से जमा हो जाएगी और संबंधित आईसी/एलसी को भेज दी जाएगी। यदि किसी कार्यस्थल का आईसी पोर्टल पर पंजीकृत नहीं है, तो पोर्टल पर शिकायतकर्ता से उस कार्यस्थल का विवरण प्राप्त करने तथा उस आईसी का शीघ्र पंजीकरण सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र और जिले के राज्य नोडल अधिकारी और जिला नोडल अधिकारी को सूचित करने के लिए एक ऑनलाइन प्रक्रिया उपलब्ध कराई गई है।

शी-बॉक्स पोर्टल में केंद्र/राज्य/संघ राज्य स्तर और जिला स्तर पर नोडल अधिकारियों के लिए निगरानी डैशबोर्ड है, जिससे उन मामलों की संख्या जो निर्धारित समयसीमा से परे हैं, निपटाए गए और लंबित मामलों की संख्या देखी जा सकती है। शिकायतकर्ता के लिए भी अपनी शिकायत की स्थिति को ट्रैक करने के लिए इसी तरह की सुविधा बनाई गई है। इसके अलावा, पोर्टल में किसी विशेष मंत्रालय/विभाग/राज्य/संघ राज्य क्षेत्र/निजी क्षेत्र/जिले के आईसी/एलसी के संबंध में रिपोर्ट तैयार करने की सुविधा है, ताकि पर्यवेक्षी अधिकारियों द्वारा बेहतर निगरानी और निर्धारित समय-सीमा का पालन किया जा सके।

शी-बॉक्स पोर्टल पर दर्ज की गई कोई भी शिकायत सीधे संबंधित कार्यस्थल के आईसी या जिले के एलसी के पास पहुंचती है, जैसा भी मामला हो। पोर्टल को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह गोपनीयता बनाए रखने के लिए शिकायतकर्ता के विवरण को छुपाता है। आईसी/एलसी के अध्यक्ष के अलावा कोई भी अन्य व्यक्ति दर्ज की गई शिकायत का विवरण या प्रकृति नहीं देख सकता है।

शी-बॉक्स पोर्टल का निर्माण ‘कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम, 2013’ के प्रावधानों के अनुसार किया गया है। अधिनियम के तहत जांच के लिए 90 दिन का समय निर्धारित है।

यह जानकारी आज महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।

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वैज्ञानिकों ने अगली पीढ़ी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आशाजनक सामग्रियों की पहचान की

वैज्ञानिकों ने अगली पीढ़ी के स्पिनट्रॉनिक्स उपकरणों और बहुक्रियाशील इलेक्ट्रॉनिक अनुप्रयोगों के लिए आशाजनक सामग्री के रूप में जानूस एसबी2एक्सएसएक्स के मोनोलेयर की क्षमता की पहचान की है, जो ऊर्जा-कुशल इलेक्ट्रॉनिक्स, लचीले उपकरणों और सेंसर में मांगों के लिए संभावित समाधान प्रस्तुत करते हैं।

बेहतर इलेक्ट्रॉनिक गुणों के साथ ऊर्जा कुशल सामग्री की बढ़ती मांग के कारण स्पिनट्रॉनिक्स और बहुक्रियाशील इलेक्ट्रॉनिक्स में उन्नत सामग्रियों की बढ़ती आवश्यकता महसूस की गई है। 2डी सामग्री वर्तमान समय में अपने असाधारण इलेक्ट्रॉनिक, ऑप्टिकल और यांत्रिक गुणों के कारण बहुत महत्वपूर्ण हो गई हैं, जो लचीले इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा भंडारण और नैनो प्रौद्योगिकी में प्रगति को सक्षम बनाती हैं। उनका परमाणु दुबलापन अत्यधिक कुशल और एवं उपकरणों को सक्षम बनाता है। इसके अलावा, उनके अद्वितीय गुण, जैसे उच्च चालकता और ट्यूनेबल बैंडगैप, स्पिनट्रॉनिक्स और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में नवाचार कर रहे हैं।

द्वि-आयामी (2 डी) सामग्री की जानूस संरचना (एक सामग्री या प्रणाली जिसमें विपरीत गुणों वाले दो अलग-अलग पक्ष) हाल के शोध में एक महत्वपूर्ण फोकस बने हैं, विशेष रूप से जानूस मोसे (द्वि-आयामी (2 डी) सामग्री के सफल संश्लेषण के बाद मोलिब्डेनम डाइसल्फ़ाइड-MoS₂), मोनोलेयर से प्राप्त सामग्री। ऊर्ध्वाधर विषमता गुणों वाली यह संरचना, आंतरिक विद्युत क्षेत्रों के ट्यूनिंग और पीजोइलेक्ट्रिक गुणों को शामिल करने की अनुमति प्रदान करती है। सामग्री संश्लेषण में हाल की प्रगति, गैर-सेंट्रोसिमेट्रिक संरचनाओं के अद्वितीय गुणों और स्पिनट्रॉनिक्स में नवीन अनुप्रयोगों के लिए दबाव ने जानूस एसबी2एक्सएसएक्स मोनोलयर की खोज करने के लिए प्रेरित किया।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी), मोहाली के वैज्ञानिकों ने जानूस एसबी2एक्सएसएक्स के संरचनात्मक, पीजोइलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रॉनिक और स्पिनट्रॉनिक्स गुणों की जांच की है। उनके अध्ययन से पता चला कि पांच गुणे परमाणु परत वाले मोनोलेयर एक संरचनात्मक, गतिशील, थर्मल और यांत्रिक स्थिरता वाले एक आधारहीन स्थिर 2डी क्रिस्टल बनाते हैं और पीजोइलेक्ट्रिक गुणों का प्रदर्शन करते हैं। जानूस संरचना की विशिष्ट ऊर्ध्वाधर विषमता दिलचस्प इलेक्ट्रॉनिक गुणों को दर्शाती है, जिसमें रश्बा स्पिन-स्प्लिटिंग और स्पिन हॉल प्रभाव नामक गुण शामिल हैं और अगली पीढ़ी के स्पिनट्रॉनिक्स उपकरणों के लिए आशाजनक सामग्री के लिए क्षमता प्रदर्शित करते हैं।

हाल ही में जर्नल ऑफ एप्लाइड फिजिक्स में प्रकाशित अपने काम के बारे में, उन्होंने जानूस एसबी2एक्सएसएक्स के मोनोलेयर के अद्वितीय गुणों का पता लगाने के लिए कम्प्यूटेशनल भौतिकी के साथ उन्नत सामग्री विज्ञान को जोड़ा, जिससे स्पिनट्रॉनिक्स और बहुक्रियाशील इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में भविष्य की प्रौद्योगिकियों का मार्ग प्रशस्त हुआ।

पीजोइलेक्ट्रिकिटी, स्पिनट्रॉनिक्स और स्थिरता के संयुक्त गुणों के साथ, ये सामग्रियां बहुक्रियाशील उपकरणों के लिए मार्ग प्रशस्त करती हैं जो विभिन्न कार्यात्मकताओं (संवेदन, डेटा प्रोसेसिंग, ऊर्जा संचयन) को एक जगह पर एकीकृत करती हैं। यह उपकरण डिज़ाइन को सुव्यवस्थित कर सकता है और आवश्यक घटकों की संख्या में कमी ला सकता है, अंततः उपभोक्ता ज्यादा कॉम्पैक्ट एवं कुशल उत्पाद प्राप्त कर लाभान्वित हो सकते हैं। यह अनुसंधान भौतिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है, जो अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान कर सकता है, दैनिक जीवन को आसान बना सकता है और सतत तकनीकी विकास को बढ़ावा दे सकता है।

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