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वाणिज्यिक कोयला खदानों ने नए मानक स्थापित किए: एक दिन में 0.617 मिलियन टन का रिकॉर्ड प्रेषण भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाता है

कोयला मंत्रालय ने वाणिज्यिक कोयला खदानों द्वारा 24 नवंबर, 2024 को एक दिन में अब तक के सर्वोच्च 0.617 मिलियन टन (एमटी) उत्पादन और प्रेषण को भारत की उल्लेखनीय उपलब्धि बताया है। पिछले वर्ष इसी दिन 0.453 मिलियन टन की तुलना में इसमें 36 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।  आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत यह इस क्षेत्र की मजबूत वृद्धि दर्शाते हुए विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

रिकॉर्ड डिस्पैच में बिजली क्षेत्र को 0.536 मिलियन टन और गैर-बिजली क्षेत्र को 0.081 मिलियन टन कोयला उपलब्ध कराना शामिल है, जो अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में सुदृढ़ प्रदर्शन दिखाता  है। मासिक डिस्पैच प्रगति 12.810 मिलियन टन पहुंच गई है, जो वर्ष-दर-वर्ष 116.373 मिलियन टन का पर्याप्त डिस्पैच है। यह कोयला उत्पादन और वितरण में निरंतर बढोतरी दर्शाता है।

यह अभूतपूर्व उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत वाणिज्यिक कोयला खनन सुधारों के परिवर्तनकारी उपायों को भी सामने लाती है। खानों में कोयला उत्पादन और इनके रिकॉर्ड स्तर पर प्रेषण करना हमारी ऊर्जा सुरक्षा सुदृढ करने के साथ ही 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में हमारी प्रगति को भी गति प्रदान करता है ।

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भारत के संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाला ऐतिहासिक समारोह कल से शुरू होगा

भारत सरकार ने देश के संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाले ऐतिहासिक समारोह की शुरुआत की घोषणा की है। यह निर्णय हमारे लोकतंत्र की उल्लेखनीय यात्रा और हमारे संस्थापक सिद्धांतों तथा संवैधानिक मूल्यों की स्थायी विरासत को दर्शाता है, जो संविधान दिवस 26 नवंबर, 2024 से शुरू होगा। यह समारोह ” हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान “ अभियान के तहत आयोजित किए जा रहा हैं और इसका उद्देश्य संविधान में निहित मूल मूल्यों को दोहराते हुए संविधान के निर्माताओं के योगदान का सम्मान करना है।

26 नवंबर, 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया जो 26 जनवरी, 1950 से प्रभावी है। इस संविधान ने भारतीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन दुनिया के सबसे लंबे लिखित संविधान को अपनाया गया था, जो भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की आधारशिला है। अपनी स्थापना के बाद से, संविधान पिछले 75 वर्षों से राष्ट्र की प्रगति को आकार देने वाले मार्गदर्शक ढांचे के रूप में कार्य कर रहा है।

समारोह के मुख्य अंश:

  • विशेष वेबसाइट ( constitution75.com ): संविधान की विरासत से नागरिकों को परस्पर संवाद  गतिविधियों और संसाधनों के माध्यम से जोड़ने के लिए एक समर्पित वेबसाइट constitution75.com बनाई गई है। वेबसाइट पर निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध हैं:
    • प्रस्तावना पढ़ें और वीडियो रिकॉर्ड करें: नागरिक अपनी पसंद की भाषा में संविधान की प्रस्तावना पढ़ते हुए वीडियो रिकॉर्ड करके अभियान में भाग ले सकते हैं। वीडियो को अभियान की वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है और भागीदारी का प्रमाण पत्र डाउनलोड किया जा सकता है।
    • संविधान को विभिन्न भाषाओं में पढ़ें : संविधान का पूर्ण पाठ विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है, यह सभी नागरिकों के लिए सुलभ हैं।
    • इतिहास को जाने: संविधान निर्माण के बारे में जानें, संविधान सभा की चर्चाएं पढ़ें, संविधान निर्माण में शामिल विभिन्न समितियों की रिपोर्टें पढ़ें और आधुनिक भारत को आकार देने वाले मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
    • संवादात्मक फीचर : “अपना संविधान जानें” एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) सक्षम इंटरैक्टिव सुविधा है , जहां कोई भी संविधान के बारे में प्रश्न पूछ सकता है और भारत के संविधान से संबंधित विस्तृत उत्तर प्राप्त कर सकता है।

 

  • 26 नवंबर, 2024 को प्रस्तावना का सामूहिक वाचन
    • 26 नवंबर, 2024 को स्कूलों से लेकर दफ्तरों तक, शहरों से लेकर गांवों तक पूरे देश में लाखों लोग एक साथ संविधान की प्रस्तावना पढ़ेंगे।
    • वेबसाइट ( constitution75.com ) पर अपनी सेल्फी और वीडियो अपलोड करके उन्हें गर्व के साथ सोशल मीडिया पर साझा करें।
  • 26 नवंबर, 2024 को संसद के केन्द्रीय कक्ष में उद्घाटन कार्यक्रम :
  1. राष्ट्रपति के नेतृत्व में, उपराष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , लोकसभा अध्यक्ष और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में संसद के केन्द्रीय कक्ष में एक भव्य उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा ।
  2. कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:
  • भारतीय संविधान की महिमा, इसके निर्माण और ऐतिहासिक यात्रा को समर्पित लघु फिल्म की प्रस्तुति।
  • भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ को समर्पित एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया जाएगा।
  • “भारत के संविधान का निर्माण: एक झलक” और “भारत के संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा” शीर्षक पुस्तकों का विमोचन।
  • भारतीय संविधान की कला को समर्पित पुस्तिका का विमोचन।
  • भारतीय संविधान का संस्कृत भाषा में विमोचन।
  • भारतीय संविधान का मैथिली भाषा में विमोचन।
  • राष्ट्रपति के नेतृत्व में प्रस्तावना का औपचारिक वाचन किया जाएगा।

भारत सरकार ने नागरिकों से इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनने, अपने संविधान पर सामूहिक गर्व दिखाने तथा हमारे राष्ट्र को परिभाषित करने वाले लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाने का आह्वान किया है।

इस समारोह में ऐसे भाग लें!

  • संविधान की प्रस्तावना पढ़ने, अपना वीडियो रिकॉर्ड करने तथा अपलोड करने और भागीदारी का प्रमाण पत्र डाउनलोड करने के लिए constitution75.com पर जाएं ।
  • वेबसाइट की संवादात्मक फीचर का लाभ उठाएं, विभिन्न भाषाओं में संविधान का अन्वेषण करें, तथा उस विकास यात्रा के बारे में अधिक जानें जिसने भारत को उसका मार्गदर्शक ढांचा प्रदान किया है।
  • 26 नवंबर, 2024 को राष्ट्रव्यापी अभियान में शामिल हों, देशभर के स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी कार्यालयों, पंचायतों और अन्य स्थानों पर संविधान की प्रस्तावना पढ़ने में हिस्सा लें। दूसरों को प्रेरित करने के लिए अपनी भागीदारी के वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करें।

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डॉ. मनसुख मांडविया ने 75वें संविधान दिवस से पूर्व माय भारत के युवा स्वयंसेवकों की ओर से आयोजित ‘हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान’ पदयात्रा निकाली

केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल और श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज नई दिल्ली में 75वें संविधान दिवस के उपलक्ष्य में ‘माय भारत’ के स्वयंसेवकों की ओर से आयोजित 6 किलोमीटर लंबी पदयात्रा में भाग लिया। “हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान” विषय पर आधारित यह पदयात्रा मेजर ध्यानचंद स्टेडियम से शुरू हुई और कर्तव्य पथ तथा इंडिया गेट से होकर गुजरी। इस पदयात्रा में माय भारत के 10,000 से अधिक युवा स्वयंसेवकों के साथ-साथ प्रमुख युवा हस्तियां, केंद्रीय मंत्री और सांसद शामिल हुए।

इस पदयात्रा की शुरुआत ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल के साथ हुई, जिसमें डॉ. मनसुख मांडविया ने अपने संसदीय सहयोगियों के साथ एक पेड़ लगाया। इसके बाद श्री पीयूष गोयल, श्री धर्मेंद्र प्रधान, श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, श्री किरण रिजिजू, श्री अर्जुन राम मेघवाल, सुश्री रक्षा निखिल खडसे जैसे केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ अन्य सांसद इस पदयात्रा में शामिल हुए। योगेश्वर दत्त, मीराबाई चानू, रवि दहिया, योगेश कथूनिया जैसे प्रमुख युवा प्रतीकों और ओलंपिक पदक विजेताओं ने भी पदयात्रा में भाग लिया।

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पदयात्रा के दौरान मीडिया से बातचीत में केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया ने ‘माय भारत’ के 10,000 से ज़्यादा युवा स्वयंसेवकों की भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि देश के युवाओं ने न सिर्फ़ संविधान की प्रस्तावना पढ़ीबल्कि इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नए भारत के युवा ‘विकसित भारत’ के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में एक व्यापक प्रदर्शनी के जरिए भारतीय संविधान की विकास यात्रा को प्रदर्शित किया गया और इसमें प्रमुख हस्तियों के योगदान को प्रमुखता से बताया गया। ऐतिहासिक वेशभूषा पहने युवाओं ने डॉ. बी. आर. अंबेडकर और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे नेताओं का चित्रण करके इतिहास को जीवंत कर दिया, जिससे मनोरंजक अनुभव मिला। पूरे मार्ग के साथ-साथ, पदयात्रा में विभिन्न स्थलों पर जीवंत सांस्कृतिक प्रदर्शनियां दिखाई गईं। प्रतिभागियों ने पारंपरिक गुजराती नृत्य, राजस्थानी लोक नृत्य और ऊर्जावान पंजाबी भांगड़ा सहित मंत्रमुग्ध करने वाले अनेक सांस्कृतिक प्रदर्शनों का आनंद लिया।

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इस पदयात्रा का उद्देश्य युवाओं में संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देना था। इस अवसर पर इंडिया गेट पर एक विशेष समारोह आयोजित किया गया, जिसमें युवाओं ने सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। इस दौरान भारत के संविधान की नींव के रूप में प्रस्तावना की भूमिका और न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के इसके प्रमुख मूल्यों पर प्रकाश डाला गया। केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों की मौजूदगी में इस कार्यक्रम में भारतीय लोकतंत्र में इन सिद्धांतों के महत्व को रेखांकित किया गया। समारोह स्थल के रूप में राष्ट्रीय एकता के प्रतीक इंडिया गेट ने समारोह के प्रभाव को और बढ़ा दिया। प्रस्तावना पढ़ने के बाद, डॉ. मांडविया ने अपने संसदीय सहयोगियों के साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पुष्पांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम के केंद्र में युवाओं की भागीदारी रही। पूरे कार्यक्रम के दौरान माय भारत पंजीकरण अभियान चलाया गया। प्रतिभागी प्रस्तावना थीम वाले सेल्फी पॉइंट के साथ अपनी यादगार तस्वीरें ले सकते थे। पूरे रास्ते में माय भारत के स्वयंसेवकों ने प्रतिभागियों के लिए जलपान के स्टॉल लगाकर और स्वच्छ भारत अभियान में प्रमुखता से भाग लेकर पदयात्रा के पूरे मार्ग में स्वच्छता सुनिश्चित करके महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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इस पदयात्रा में एनसीआर क्षेत्र के 125 से अधिक कॉलेजों और एनवाईकेएस, एनएसएस, एनसीसी और भारत स्काउट्स एंड गाइड्स सहित विभिन्न संगठनों के युवा प्रतिभागियों ने सफलतापूर्वक भाग लिया। यह संविधान के 75वें वर्ष के जश्न में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यानी मील का पत्थर साबित हुआ। इस कार्यक्रम में विकसित भारत के लिए संवैधानिक मूल्यों को संरक्षित करने और इसे बढ़ावा देने में युवाओं की भूमिका पर जोर दिया गया।

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पीएम-जनमन में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह परिवारों के लिए मध्य प्रदेश में 30 हजार से ज्यादा आवासों की और स्वीकृति

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री जनमन योजना (पीएम-जनमन) के माध्यम से देश में, विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह परिवारों के विकास के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में सरकार लगातार काम कर रही है। इसी के तहत, केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के आदिवासी परिवारों को सौगात देते हुए मध्य प्रदेश में 30 हजार से ज्यादा आवासों की और स्वीकृति प्रदान की है। केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वंचितों और शोषितों के प्रति पीएम मोदी जी की सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध एवं संवेदनशील है। श्री चौहान ने कहा कि इस तबके के उत्थान के लिए हरसंभव काम निरंतर किए जाएंगे।

केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के अतंर्गत, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2024-25 के लिए अतिरिक्‍त लक्ष्‍यों के आवंटन को मंजूरी देते हुए कहा कि पीएम जनमन मिशन का लक्ष्य उन विशेष रूप से कमजोर 75 जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के विकास का है, जो विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की योजनाओं से छूट गए हैं। श्री चौहान ने कहा कि मोदी सरकार का पूर्ण ध्यान, देश में आखिरी छोर पर खड़े लोगों तक पहुंच का है। उन्होंने बताया कि पीएम-जनमन के तहत लक्षित आवासों (4.90 लाख घर) को मार्च 2026 तक पूर्ण किया जाना है।

केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि इससे पूर्व राज्‍यों को 3,70,963 (2,18,890 वर्ष 2023-24 में एवं 1,52,073 वर्ष 2024-25 में) का लक्ष्‍य आवंटित किया गया है, जिनमें से 3.38 लाख आवासों की स्‍वीकृति दी जा चुकी है एवं 2.71 लाभार्थियों को प्रथम किश्‍त जारी की जा चुकी है तथा 62,005 आवास पूर्ण किए जा चुके हैं। राज्‍यों ने सर्वे के पश्‍चात 46,573 अतिरिक्‍त पात्र परिवारों को चिन्हित किया है, जिनमें से 30 हजार से अधिक आवासों का अतिरिक्त आवंटन मध्य प्रदेश के लिए किया गया है। इससे पहले, मध्य प्रदेश के लिए 1,44,200 आवासों की स्वीकृति दी जा चुकी है।

पीएम-जनमन में आंध्रप्रदेश में सड़कों की स्‍वीकृति- केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने पीएम-जनमन के अंतर्गत आंध्र प्रदेश राज्‍य में 297.18 कि.मी लंबाई की 76 सड़कों की स्‍वीकृति भी प्रदान की है। इन 76 सड़कों की अनुमानित लागत 275.07 करोड़ रुपये है, जिसमें से केंद्रीय अंश 163.39 करोड़ रुपये एवं राज्य अंश 111.68 करोड़ रुपये है।

मध्य प्रदेश में अतिरिक्त स्वीकृत आवास (जिलावार)

अनूपपुर 1522
अशोक नगर 2294
बालाघाट 401
छिंदवाड़ा 202
दतिया 110
डिंडौरी 1532
गुना 2084
ग्वालियर 266
जबलपुर 42
मंडला 903
मुरैना 695
नरसिंहपुर 158
रायसेन 29
सिवनी 117
शहडोल 2591
श्योपुर 7561
शिवपुरी 5154
सीधी 1042
सिंगरौली 1895
उमरिया 4092
विदिशा 448

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मैं 90 के दशक की पीढ़ी के लिए ‘वंदे मातरम’ को और अधिक आकर्षक बनाना चाहता था: भारत बाला

प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक भारत बाला ने कहा, “मेरे पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे और 90 के दशक की पीढ़ी के लिए वंदे मातरम गीत को और अधिक आकर्षक बनाने के उनके अनुरोध पर मैंने ए.आर. रहमान द्वारा लोकप्रिय एल्बम ‘वंदे मातरम’ बनाया।” वह गोवा में 55वें इफ्फी में ‘सिनेमैटिक स्टोरीटेलिंग के संदर्भ में संस्कृति’ विषय पर पैनल चर्चा में बोल रहे थे। पैनल में अन्य वक्ता प्रतिष्ठित लेखक डॉ. सच्चिदानंद जोशी और अमीश त्रिपाठी थे।

श्री बाला ने कहा कि विज्ञापन का मतलब किसी उत्पाद के प्रति उत्साह और रोमांच पैदा करना है। इसी तरह वह नई पीढ़ी के लिए ‘वंदे मातरम’ को कूल बनाना चाहते थे और ‘वंदे मातरम’ एल्बम का गीत इसी सोच का नतीजा था।

श्री बाला ने बताया कि वे वर्चुअल भारत नामक एक नई परियोजना पर काम कर रहे हैं, जो देश के विभिन्न भागों से आने वाली 1000 कहानियों के माध्यम से भारत का इतिहास प्रस्तुत करेगी। श्री बाला ने निष्कर्ष देते हुए कहा कि “वर्तमान प्रणाली के विपरीत, जहां निर्माता या निर्देशक यह निर्णय लेते हैं कि फिल्म बनाने के लिए कौन सी कहानी चुननी है, फिल्मों की क्राउड फंडिंग आम जनता को अपनी पसंद की कहानियां चुनने की शक्ति दे सकती है।”

‘द शिवा ट्रिलॉजी’ और ‘राम चंद्र सीरीज’ के लोकप्रिय लेखक अमीश त्रिपाठी ने कहा कि कई दशकों से फिल्में समाज की वास्तविकताओं को चित्रित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जब कहानीकार अपने सांस्कृतिक परिवेश के प्रति सजग होगा तो अधिक प्रामाणिक कहानियाँ सामने आएंगी।

श्री त्रिपाठी ने निष्कर्ष निकाला, “हिंदी फिल्म उद्योग हमारे प्राचीन साहित्य में उपलब्ध विविध कहानियों का उपयोग करने में पीछे रह गया है, जबकि क्षेत्रीय सिनेमा ऐसी कहानियों को चुनने में कहीं बेहतर स्थिति में रहा है।”

प्रसिद्ध लेखक और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के सदस्य सचिव श्री सच्चिदानंद जोशी ने बताया कि मोबाइल फोन धीरे-धीरे हमारे घरों में बुजुर्गों के माध्यम से बताई जाने वाली पारंपरिक कहानीयों को कहने की कला को खत्म कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आम लोगों की असाधारण कहानियाँ जो अब हमारे बुजुर्गों के माध्यम से नहीं बताई जा रही हैं उन्हें सिनेमा द्वारा सामने लाया जा रहा है और फिल्मों के माध्यम से हम तक पहुंचाया जा रहा है। श्री जोशी ने निष्कर्ष देते हुए बताया, “क्लासिक साहित्य पर आधारित स्क्रिप्ट को अंतिम रूप देते समय शोध की कमी की भरपाई क्लासिक के विभिन्न संस्करणों के तत्वों को मिलाकर की जा रही है।”

सुप्रसिद्ध लेखक, श्री मकरंद परांजपे ने चर्चा का संचालन किया।

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एस एन सेन बालिका महाविद्यालय में संविधान दिवस स्वतंत्रता के अमृत काल के अवसर कार्यक्रम आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 26 नवम्बर एस एन सेन बालिका महाविद्यालय में संविधान दिवस स्वतंत्रता के अमृत काल के अवसर पर तीन कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा इस दिवस का उद्घाटन महाविद्यालय की छात्राओं को शपथ दिलाकर किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें “संविधान की उपयोगिता” “हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के द्वारा किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्या ने मुख्य वक्ता का स्वागत करते हुए छात्राओं को संविधान के विषय में अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया। मुख्य वक्ता अरमापुर पीजी कॉलेज के राजनीति शास्त्र विभाग में सहायक आचार्य डॉक्टर धीरेन्द्र कुमार दोहरे ने संविधान की भारतीय जनमानस के लिए उपयोगिता पर प्रकाश डाला था संविधान का गहन अध्ययन करने के लिए छात्राओं को प्रेरित किया। मीडिया प्रभारी डॉ प्रीति सिंह ने बताया कि इस अवसर पर मुख्य वक्ता द्वारा प्राचार्या प्रो सुमन को संविधान की प्रति भेंट की गई। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम प्रभारी राजनीति शास्त्र विभाग की प्रभारी डॉ रश्मि गुप्ता द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सभी शिक्षिकाएं व छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

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‘अम्माज़ प्राइड’ और ‘ओंको कि कोठीन’- 55वें आईएफएफआई में वंचित समुदाय की आवाज़ को चित्रित करती दो फिल्मों प्रदर्शित की गयीं

55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में दो बेहतरीन फ़िल्में ‘अम्माज़ प्राइड’ और ‘ओंको कि कोठीन’ को देश भर के सिनेमा प्रेमियों ने खूब पसंद किया। दोनों फ़िल्मों के निर्माता और कलाकारों ने आज गोवा के पणजी में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में मीडिया से बातचीत की।

अम्माज़ प्राइड: दृढ़ता और गर्व की यात्रा

इस साल आईएफएफआई की एकमात्र एलजीबीटीक्यू+ फ़िल्म, अम्माज़ प्राइड एक ट्रांसवुमन का सच्चा और ईमानदार चित्रण है, जो अपने पूरे जीवन में अपनी गरिमा और गौरव के लिए लड़ती है।

भारतीय पैनोरमा में गैर-फीचर फ़िल्मों के खंड के लिए चुनी गई यह लघु फ़िल्म, दक्षिण भारत की एक युवा ट्रांसवुमन श्रीजा के कष्टों और परेशानियों का चित्रण करती है। जिस तरह से वह अपनी शादी की जटिलताओं से निपटती है और इसे कानूनी मान्यता दिलाने के लिए लड़ती है और जिस तरह से उसकी माँ, वल्ली पूरे दिल से उसका समर्थन और मार्गदर्शन करती है, यही फ़िल्म का केंद्रीय भाव है।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/24-9-3LPMH.jpg

मीडिया से अपनी फ़िल्म के बारे में बात करते हुए, निर्देशक शिव कृष्ण ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ट्रांसजेंडर लोगों के मुद्दों को दर्शाने वाली फ़िल्में बहुत कम और कभी-कभार बनती हैं। उन्होंने कहा, “ये फ़िल्में अक्सर ट्रांसपर्सन को रूढ़िवादी नकारात्मक रोशनी में चित्रित करती हैं, जिससे वे निराश हो जाते हैं। फ़िल्म की मुख्य पात्र माँ वल्ली हैं, जो खुद एक सिंगल मदर होने के बावजूद अपनी बेटी को अपने तरीके से जीने में सक्षम बनाती हैं।“

समाज में ट्रांसपर्सन के प्रति धारणा बदलने की उम्मीद करते हुए, नवोदित निर्देशक ने कहा, “हमने वरिष्ठ एलजीबीटीक्यू कार्यकर्ताओं और कई ट्रांसपर्सन को उनकी प्रतिक्रियाएँ प्राप्त करने के लिए फ़िल्म दिखाई और वे फ़िल्म में दिखाई गई सकारात्मकता से चकित थे। यह मेरे लिए बहुत बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला सिद्ध हुआ। वे यह भी चाहते हैं कि इस फ़िल्म का सामाजिक प्रभाव हो और हम भारत के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में भी इस फ़िल्म के इर्द-गिर्द एक प्रभाव अभियान चलाने की योजना बना रहे हैं, जिससे मुझे उम्मीद है कि ट्रांसपर्सन के लिए मुख्यधारा के मीडिया में एक सकारात्मक लहर पैदा होगी।”

फ़िल्म समारोहों में प्रशंसा अर्जित करते हुए, इस वृत्तचित्र ने इस वर्ष कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय दक्षिण एशियाई फ़िल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ एलजीबीटीक्यू फ़िल्म के लिए शेर वैंकूवर पुरस्कार जीता है। इसे दुनिया भर के कई समारोहों जैसे 64वें क्राको फ़िल्म समारोह, वुडस्टॉक फ़िल्म समारोह 2024, अंतर्राष्ट्रीय दक्षिण एशियाई फ़िल्म समारोह कनाडा 2024 में भी प्रदर्शित किया गया है और इसे दर्शकों की खूब सराहना मिली है।

ओंको कि कोठीन – विपरीत परिस्थितियों के बीच सपने

55वें आईएफएफआई में वर्ल्ड प्रीमियर के तौर पर बंगाली फीचर फिल्म ‘ओंको कि कोठीन’ को भी इंडियन पैनोरमा खंड के लिए चुना गया है। फिल्म तीन वंचित बच्चों की कहानी है, जो एक अस्थायी अस्पताल बनाते हैं और इसे बनाए रखने की कोशिश में कई चुनौतियों का सामना करते हैं। कहानी इस उम्मीद के साथ खत्म होती है कि क्या ये तीनों बच्चे तमाम मुश्किलों के बावजूद अपने सपने पूरे कर पाएंगे।

फिल्म के निर्देशक सौरव पालोधी कहते हैं, “कहानी तीन बच्चों, बबिन, डॉली और टायर की उम्मीद और दृढ़ संकल्प के बारे में है।” “कोविड महामारी के दौरान कई सरकारी स्कूल बंद हो गए, जिससे कई वंचित बच्चों की शिक्षा रुक गई। अगर सपनों की फैक्ट्रियां, यानि स्कूल बंद हो जाएं, तो बच्चे सपने देखना कहां सीखेंगे। इसलिए, जब मैंने फिल्म बनाने के बारे में सोचा तो यही मुख्य विचार मेरे दिमाग में आया।”

सम्मेलन में मौजूद फिल्म की अभिनेत्री उषाशी चक्रवर्ती ने बताया कि कैसे कहानी ने उन्हें इस प्रोजेक्ट को चुनने के लिए प्रेरित किया। “भारतीय सिनेमा में वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चों का चित्रण करने वाली बहुत कम फिल्में बनती हैं। जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी, तो मुझे लगा कि इस कहानी को बड़े दर्शक वर्ग के बीच जाना चाहिए। तीन बच्चों की यह कहानी, जिन्होंने तमाम बाधाओं के बावजूद कभी हार नहीं मानी, आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायक कहानी है।”

पालोधी ने निष्कर्ष के तौर पर कहा, “हमारे देश में, वंचित पृष्ठभूमि के माता-पिता अपने बच्चों को केवल दोपहर के भोजन के लिए स्कूल भेजते हैं, उनके लिए सीखना गौण है। मैंने करीब से देखा है कि कैसे इन बच्चों के सपने उनके माता-पिता की सीमाओं और आर्थिक बाधाओं के कारण चकनाचूर हो जाते हैं। इसलिए, यह फिल्म बनाना इन बच्चों की कठोर वास्तविकता को सामने लाने तथा उनके दृढ़ संकल्प और ईमानदारी को दिखाने का मेरा तरीका था।”

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दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज में मनाया गया संविधान दिवस शपथ एवं अन्य गतिविधियों के साथ

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 26 अक्टूबर, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, राजनीति विज्ञान विभाग, इतिहास विभाग एवम् चित्रकला विभाग के संयुक्त तत्वावधान में संविधान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही द्वारा संविधान शपथ दिलवाई गई। छात्राओं के मध्य संविधान के प्रति जानकारियां एवं जागरूकता लाने हेतु इस अवसर पर अन्य गतिविधियों में भाषण प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता तथा रंगोली प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। समस्त कार्यक्रमों में 100 से अधिक छात्राओं ने प्रतिभाग किया। महाविद्यालय प्राचार्या प्रो वंदना निगम ने संविधान दिवस के अवसर पर छात्राओं के द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रो पप्पी मिश्रा, प्रो अभिलाष गौर, प्रो शिखा पांडे, प्रो उपासना वर्मा, प्रो शुभम शिवा, डॉ पूजा श्रीवास्तव, डॉ आभा पांडे, डॉ ज्योत्सना पांडे, श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव आदि सभी का विशेष योगदान सराहनीय रहा।

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एन. सेन. बी. वी. पी. जी. कॉलेज की छात्रा ने “संस्कृत प्रतिभा खोज २०२४” के उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान राज्य स्तरीय प्रतियोगिता २०२४ में भाग लिया

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर एस. एन. सेन. बी. वी. पी. जी. कॉलेज कानपुर की छात्रा ने “संस्कृत प्रतिभा खोज २०२४” के उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ (भाषा विभाग उत्तर प्रदेश शासनाधीन) राज्य स्तरीय प्रतियोगिता २०२४ में प्रतिभाग किया। यह प्रतियोगिता उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, नया हैदराबाद लखनऊ में आयोजित हुई। प्रतिभाग करने वाली छात्रा सलोनी राव (पंचम सेमेस्टर) की थी। छात्रा ने संस्कृत भाषा प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया। प्रतियोगिता का उद्देश्य (संस्कृत भाषा संस्थान लखनऊ) संस्कृत प्रतिभा खोज थी। प्रबंध तंत्र समिति के अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार मिश्रा, सचिव श्री प्रोवीर कुमार सेन, संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन, प्राचार्या प्रोफेसर सुमन जी का सहयोग रहा। आपका प्रोत्साहन छात्राओं को समय समय पर मिलता रहा। संस्कृत विभाग डॉ आराधना द्विवेदी ने छात्रों को प्रतियोगिता में निर्देशित किया

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15.89 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप की अब तक 83 बैठकें हुईं

नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप, जिसमें विभिन्न बुनियादी ढांचा मंत्रालयों के योजना प्रभागों के प्रमुख शामिल हैं, ने 83 बैठकें बुलाई हैं, जिनके दौरान 228 परियोजनाएं (एमएनआरई -1, एमओएचयूए-12, एमओपीएनजी-4, एमओपीएसडब्ल्यू-3, एमओआर-85, एमओआरटीएच-108), एनआईसीडीसी–12, एमओसीए-3) का मूल्यांकन किया गया है। इन परियोजनाओं की अनुमानित संचयी लागत 15.89 लाख करोड़ रुपए है।

पीएम गतिशक्ति एनएमपी को समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 17 सितंबर 2022 को राष्ट्रीय रसद नीति (एनएलपी) लॉन्च की गई थी। इसका मकसद सर्वोत्तम श्रेणी की प्रौद्योगिकी, प्रक्रियाओं और कुशल जनशक्ति का लाभ उठाते हुए एक एकीकृत, निर्बाध, कुशल, विश्वसनीय, हरित, टिकाऊ और लागत प्रभावी लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देना तथा व्यावसायिक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है। इस पहल का उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना और समग्र प्रदर्शन में सुधार करना भी है।

राष्ट्रीय रसद नीति के तहत महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। सर्विस इंप्रूवमेंट ग्रुप (एसआईजी) लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में 36 व्यावसायिक संघों की भागीदारी के साथ अच्छी तरह से स्थापित है। अब तक 15 एसआईजी आयोजित किए जा चुके हैं और प्राप्त 126 मुद्दों में से 71 मुद्दों का समाधान किया जा चुका है। सेक्टर-विशिष्ट ज़रूरतों को संबोधित करने और बल्क और ब्रेक-बल्क कार्गो की आवाजाही को सुव्यवस्थित करने के लिए कुशल लॉजिस्टिक्स (एसपीईएल) के लिए क्षेत्रीय योजनाएं विकसित की जा रही हैं। अब तक, कोयले के लिए एसपीईएल को अधिसूचित किया गया है और सीमेंट क्षेत्र के लिए इसे अंतिम रूप दिया गया है।

लॉजिस्टिक्स शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ाने के लिए 100 से अधिक विश्वविद्यालयों/संस्थानों में लॉजिस्टिक्स से संबंधित पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। 26 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने एनएलपी के अनुरूप अपनी-अपनी राज्य लॉजिस्टिक नीतियों को अधिसूचित किया है। 19 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को उद्योग का दर्जा आवंटित किया है।

यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म (यूलिप) ने लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में कारोबार को सुव्यवस्थित करने के लिए 11 मंत्रालयों/विभागों में 34 लॉजिस्टिक्स-संबंधित डिजिटल सिस्टम/पोर्टल को एकीकृत किया है। भारत के 100% कंटेनरीकृत ईएक्सआईएम कार्गो की ट्रैकिंग और ट्रेसिंग के लिए लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (एलडीबी) विकसित किया गया है।

शहरों को विशिष्ट दृष्टिकोण, उद्देश्यों और स्थानीय विशेषताओं के अनुसार अपनी लॉजिस्टिक्स योजना को अनुकूलित करने में मदद के लिए 15 अक्टूबर 2024 को ‘भारतीय शहरों के लिए सिटी लॉजिस्टिक्स योजनाएं तैयार करने के लिए दिशानिर्देश’ लॉन्च किए गए थे। देशभर में लॉजिस्टिक्स लागत का आकलन करने हेतु एक रूपरेखा विकसित करने और 2023-24 के लिए एक व्यापक अध्ययन करने के लिए, एनसीएईआर के साथ समझौता ज्ञापन पर 5 जुलाई 2024 को हस्ताक्षर किए गए थे।

13 अक्टूबर 2021 को प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन किए गए मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी) ने हाल ही में अपनी तीसरी वर्षगांठ मनाई है, जिसने देश के बुनियादी ढांचे के परिदृश्य को बदलने में कई मील के पत्थर हासिल किए हैं। पीएम गतिशक्ति की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने देश भर के 27 आकांक्षी जिलों के लिए जिला मास्टर प्लान के बीटा संस्करण का उद्घाटन किया।

पिछले तीन सालों में, पीएमजीएस एनएमपी ने सराहनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। एनएमपी प्लेटफॉर्म ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों (959) और 44 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों (726) से 1685 डेटा लेयर्स को एकीकृत किया है। अपने मजबूत अंतर-मंत्रालयी संस्थागत ढांचे के ज़रिए, पीएम गतिशक्ति भारत की बुनियादी ढांचा योजना में क्रांति ला रही है।

वित्तीय वर्ष 2022-23 में कुल 71 परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया, जिनकी लागत 4.95 लाख करोड़ रुपए है। इसके बाद, वित्तीय वर्ष 2023-24 में 74 परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया, जिनकी कुल लागत 8.45 लाख करोड़ रुपए थी। 2024 में अब तक 83 परियोजनाओं का मूल्यांकन किया जा चुका है, जिनकी कुल लागत 2.49 लाख करोड़ रुपए है।

14/11/2024 को हुई पिछली बैठक में, नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) ने पीएम गतिशक्ति के सिद्धांतों के आधार पर आठ परियोजनाओं का मूल्यांकन किया: मल्टीमॉडल बुनियादी ढांचे का एकीकृत विकास, आर्थिक और सामाजिक नोड्स के लिए अंतिम-मील कनेक्टिविटी, इंटरमॉडल कनेक्टिविटी, और सिंक्रनाइज़ परियोजना कार्यान्वयन। मूल्यांकन की गई परियोजनाओं में से रेल मंत्रालय द्वारा सात परियोजनाएं थीं: वर्धा – बल्हारशाह चौथी लाइन, इटारसी – नागपुर चौगुनी, गोंडिया – बल्हारशाह दोहरीकरण, अलुआबारी – न्यू जलपाईगुड़ी चौगुनी, बल्लारी – चिकजाजुर दोहरीकरण, होसुर – ओमलूर दोहरीकरण, और सिकंदराबाद – वाडी चौगुनी। इसके अलावा, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एनएच-137A पर इम्फाल – काकचिंग – लमखाई रोड प्रस्तुत किया।

एनएमपी प्लेटफॉर्म ने वर्तमान और साथ ही आगामी भौतिक बुनियादी ढांचे, जैसे पाइपलाइन, ओएफसी केबल, सड़कों और रेल क्रॉसिंग के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक और लॉजिस्टिक नोड्स के साथ अंतिम मील कनेक्टिविटी में अंतर और चौराहों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

जैसे-जैसे भारत विकसित भारत 2047 विज़न की ओर आगे बढ़ रहा है, पीएम गतिशक्ति, मल्टी-मॉडल बुनियादी ढांचे के विस्तार, स्मार्ट शहरों के विकास और औद्योगिक गलियारों और मेगा निवेश क्षेत्रों के माध्यम से देश की औद्योगिक क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

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