आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में विद्युत मंत्रालय ने आज नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया। इस अवसर पर केंद्रीय विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह ने 31वां राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार (एनईसीए), पहला राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवाचार पुरस्कार (एनईईआईए) और ऊर्जा संरक्षण पर राष्ट्रीय स्तर की चित्रकारी प्रतियोगिता के विजेताओं को (अनुलग्नक I, II और III) पुरस्कार प्रदान किए। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह थे। इस दौरान विद्युत राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल और श्री आलोक कुमार, सचिव (विद्युत), भारत सरकार भी उपस्थित रहे और सभा को संबोधित किया। कार्यक्रम में विद्युत सीपीएसयू के सीएमडी और विद्युत मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह ने सभी विजेताओं और विशेष रूप से नवाचार पुरस्कार जीतने वालों को हार्दिक बधाई दी।
श्री आर के सिंह ने कहा कि विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों, प्रतिष्ठानों और संगठनों के प्रमुखों, प्रबंधकों, सीईओ और कार्यकारी अधिकारियों की इस सभा को संबोधित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है, जो ऊर्जा संरक्षण अभियान के महत्वपूर्ण अंग हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं, सस्ती दर पर 24/7 सार्वभौमिक ऊर्जा पहुंच प्रदान करना हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। उन्होंने कहा कि हाल के कुछ वर्षों में, भारत ने गांवों में विद्युतीकरण और घरों को बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
श्री आर के सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विद्युत क्षेत्र में, 142 गीगावाट उत्पादन क्षमता बढ़ाकर, पूरे देश को एक ग्रिड से जोड़कर और एक ग्रिड, एक बाजार के विजन को हासिल कर हम पिछले पांच वर्षों में संपूर्ण परिवर्तन लाए हैं। ऊर्जा घाटे से निकलकर भारत अब अतिरिक्त ऊर्जा पैदा करने वाला देश बन चुका है। मंत्री ने कहा कि 2014 की तुलना में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता में जबरदस्त वृद्धि हुई है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली अब क्रमश: 22 घंटे और 23.5 घंटे की अवधि के लिए उपलब्ध है।
मंत्री ने यह भी कहा कि परिवर्तन न केवल क्षमता में हुआ है बल्कि ऊर्जा मिश्रण, ऊर्जा तीव्रता और उत्सर्जन तीव्रता को लेकर भी है। उन्होंने बताया कि भारत ने गैर-जीवाश्म स्रोतों से 40 प्रतिशत ऊर्जा उत्पादन करने का एनडीसी लक्ष्य हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि निर्धारित तिथि से काफी पहले हासिल कर ली गई। हमारे देश में दुनिया में सबसे कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन होता है जो कुल उत्सर्जन का करीब 3 प्रतिशत है।
ग्राम उजाला योजना के तहत आज 5 राज्यों में 10 लाख एलईडी बल्ब बांटे गए, जिसके लिए मंत्री ने सीईएसएल को बधाई दी। उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में खराब न हुए इन्कैंडिसेंट बल्बों (साधारण बल्ब) के बदले अत्यधिक छूट के साथ मात्र 10 रुपये में एलईडी दी गई। इससे ऊर्जा की अत्यधिक बचत के साथ-साथ उपभोक्ता के पैसे भी बचते हैं। उन्होंने परफॉर्म, अचीव, ट्रेड, पीएटी जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से करीब 300 मिलियन टन सीओ2 का उत्सर्जन रोकने का श्रेय बीईई को दिया। पीएटी के दूसरे दौर के बाद हमने 66 मिलियन टन उत्सर्जन में कमी हासिल की है। हमारा लक्ष्य 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा हासिल करना है। 150 गीगावॉट का उत्पादन हो रहा है जबकि 63 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा अभी प्रक्रिया में है। मंत्री ने कहा कि विकास और ऊर्जा की खपत अब एक दूसरे से प्रभावित नहीं हो रहे, हमें पूरी मेहनत से इस दिशा में बढ़ना होगा।
मंत्री ने इस धारणा पर जोर दिया कि अकेले ऊर्जा परिवर्तन पर्याप्त नहीं होगा और ऊर्जा के भंडारण के प्रयास भी किए जाने चाहिए। 1 यूनिट ऊर्जा की बचत का तात्पर्य है, 1 यूनिट ऊर्जा उत्पन्न की गई। बैंकों को यह समझना होगा कि ऊर्जा दक्षता से पैसे की बचत होती है और यह न केवल बेहतर वातावरण का बल्कि अर्थशास्त्र का भी प्रतिबिंब है।
मंत्री ने कहा कि बड़े उद्योग पहले ही ऊर्जा दक्षता के फायदे को स्वीकार कर चुके हैं और मुझे उस चेतना का भी अहसास है जो हमारे देश में ऊर्जा संरक्षण को लेकर बढ़ रही है।
श्री सिंह ने ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवाचार पुरस्कार नामक नया पुरस्कार शुरू करने के लिए बीईई की सराहना की। उन्होंने इस साल पुरस्कार जीतने वाले सभी लोगों को बधाई दी। उन्होंने सभी लोगों से आगे आने और ऊर्जा की खपत को कम करने के दूसरे नवीन तंत्र की पहचान करने और इस पुरस्कार में भाग लेने का आग्रह किया।
केंद्रीय मंत्री ने यह कहते हुए अपनी बात पूरी की कि संबंधित हितधारकों द्वारा किए जा रहे सभी प्रयासों से हमें हरित और स्वस्थ भारत के सपने को साकार करने में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर, श्री आर के सिंह और श्री कृष्णपाल गुर्जर ने निम्नलिखित दस्तावेज जारी किए गए:
(ए) उच्च ऊर्जा लीथियम-आयन ट्रैक्शन बैट्री पैक्स और सिस्टम्स के लिए मानक एवं लेबलिंग कार्यक्रम: ईवी बैट्री इलेक्ट्रॉनिक वाहन की कुल खरीद मूल्य का लगभग एक तिहाई हिस्सा होती है, ऐसे में उत्पादन बढ़ाकर और बैट्री के घटकों के मानकीकरण से बैट्री की लागत को कम करके भारत के इलेक्ट्रिक मोबिलिटी क्षेत्र की दीर्घकालिक सफलता की राह आसान हो सकती है।
(बी) टायर के लिए मानक और लेबलिंग कार्यक्रम: वाहन मालिकों द्वारा टायर बदलने का चलन टायर उद्योग के लिए काफी मायने रखता है, जबकि वाहन मालिक इस बात से अनजान होते हैं कि बेकार टायर के चलते ईंधन की बर्बादी भी होती है। उपभोक्ता को सूचना के साथ विकल्प प्रदान करने के लिए बीईई ने भारत में बनी, आयात की गई और बेची जाने वाली यात्री कारों (सी1), लाइट ड्यूटी व्हीकल्स (सी2) और हैवी ड्यूटी व्हीकल्स (सी3) के लिए टायर को लेकर मानक और लेबलिंग कार्यक्रम शुरू किया है। स्टार लेबल मापदंड टायरों के रोलिंग रजिस्टेंस कोएफिसिएंट (आरआरसी) पर आधारित है।
(सी) नेट जीरो एनर्जी इमारतों को बढ़ावा देने के लिए ‘शून्य‘ लेबलिंग कार्यक्रम: भवन क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं और इसलिए मौजूदा भवन लेबलिंग कार्यक्रम के दायरे को विस्तार देने के लिए, नेट जीरो एनर्जी बिल्डिंग (एनजेडईबी) और नेट पॉजिटिव एनर्जी बिल्डिंग (एनपीईबी) के लिए शून्य कार्यक्रम शुरू किया गया है। 10 ≤ ईपीआई ≤ 0 केडब्लूएच/एम2/साल वाली इमारतों को शून्य लेबल दिया जाएगा, जबकि ईपीआई < 0 केडब्लूएच/एम2/साल वाली इमारतों को शून्य+ लेबल दिया जाएगा। यह कार्यक्रम इमारत के मालिकों और प्रमोटरों को ऊर्जा कुशल इमारतें बनाने और इसे नेट जीरो या नेट पॉजिटिव एनर्जी बिल्डिंग बनाने के लिए और सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
(डी) ‘ऊर्जा कुशल और उष्मा के लिहाज से बेहतर इमारतों को लेकर जागरूकता बढ़ाने‘ पर गाइडबुक: सूचनाओं को जनता तक पहुंचाने में मीडिया अहम भूमिका निभाती है। गाइडबुक में ऊर्जा कुशल इमारतों की डिजाइन, प्रमुख विशेषताओं, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय नीतियों आदि के बारे में जानकारी शामिल है। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) ने ऊर्जा कुशल इमारतों के विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों और फेलोशिप की एक श्रृंखला चलाने के बाद बीईईपी के साथ मैनुअल विकसित किया है। इसके अतिरिक्त, प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए एक गाइडबुक भी तैयार की गई है।
(ई) एसएमई के लिए क्लाउड आधारित डेटा विश्लेषणात्मक टूल: इस टूल का उद्देश्य 5 एमएसएमई क्षेत्रों में प्रक्रिया अनुप्रयोग में ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकियों, उपायों और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का विश्लेषण करना है। इस टूल को एनर्जी ऑडिट गतिविधियों, प्रौद्योगिकी, कार्यान्वयन सपोर्ट से इकट्ठा किए गए डेटा के माध्यम से विकसित किया गया है।
(एफ) 10 लाख एलईडी बल्ब वितरण: इस पहल के तहत, पांच राज्यों- बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के 2579 गांवों में एक दिन में कुल 10 लाख एलईडी बल्ब वितरित किए गए। इस कार्यक्रम में 7 वॉट और 12 वॉट के एलईडी बल्ब को इन्कैंडिसेंट बल्ब के बदले मात्र 10 रुपये की कीमत पर दिया गया, जो खरीद की तारीख से तीन साल की गारंटी के साथ दिए गए हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा कि वह इस ऊर्जा दक्षता दिवस में शामिल होकर उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि ग्राउंड जीरो पर ऊर्जा दक्षता प्रयासों को मान्यता देने में यह मील का पत्थर है। उन्होंने समारोह में सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी।
अपने संबोधन में श्री आलोक कुमार ने कहा कि यह एक बहुत ही विशेष ऊर्जा दक्षता दिवस है क्योंकि हम आजादी का अमृत महोत्सव भी मना रहे हैं। उन्होंने यह बताते हुए प्रसन्नता व्यक्त की कि विद्युत मंत्रालय ऊर्जा दक्षता पर जागरूकता फैलाने के लिए पूरे भारत के गांवों, कस्बों, शहरों और स्कूलों में कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि हम सीओपी26 में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा घोषित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
विजेताओं समेत विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय संगठनों के हितधारकों ने भी इसमें हिस्सा लिया।
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