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किसानों के हित में एक और कदम उठाते हुए, सरकार ने चीनी सीजन 2022-23 में चीनी मिलों द्वारा देय गन्ना उत्पादक किसानों के लिए उचित और लाभकारी मूल्य को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गन्ना उत्पादक किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए, चीनी सीजन 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 10.25 प्रतिशत की मूल रिकवरी दर के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 305 रुपये प्रति क्विंटल को मंजूरी दे दी है। इससे 10.25 प्रतिशत से अधिक की रिकवरी में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की वृद्धि के लिए 3.05 रुपये/ क्विंटल का प्रीमियम मिलेगा और रिकवरी में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की कमी के लिए 3.05 रुपये प्रति/क्विंटल की दर से उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में कमी होगी। हालांकि, सरकार ने गन्ना उत्पादक किसानों के हितों की रक्षा के लिए यह भी निर्णय लिया है कि चीनी मिलों के मामले में कोई कटौती नहीं होगी, जहां रिकवरी 9.5 प्रतिशत से कम है। ऐसे किसानों को वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में 275.50 रुपये प्रति क्विंटल स्थान पर आगामी चीनी सीजन 2022-23 में गन्ने के लिए 282.125 रुपये/क्विंटल मिलेगा।

चीनी सीजन 2022-23 के लिए गन्ने के उत्पादन की A2 + FL लागत (यानी वास्तविक भुगतान की गई लागत के साथ पारिवारिक श्रम का मूल्य) 162 रुपये प्रति क्विंटल है। 10.25 प्रतिशत की भरपाई दर पर 305 रुपये प्रति क्विंटल का यह एफआरपी उत्पादन लागत से 88.3 प्रतिशत अधिक है। यह किसानों को उनकी लागत पर 50 प्रतिशत से अधिक का लाभ प्रदान करने का वादा सुनिश्चित करता है। चीनी सीजन 2022-23 के लिए एफआरपी मौजूदा चीनी सीजन 2021-22 की तुलना में 2.6 प्रतिशत अधिक है।

केंद्र सरकार की सक्रिय नीतियों के कारण, गन्ने की खेती और चीनी उद्योग पिछले 8 वर्षों में एक लंबा सफर तय कर चुके हैं और अब आत्मनिर्भरता के स्तर पर पहुंच गए हैं। यह समय पर सरकारी हस्तक्षेप और चीनी उद्योग, राज्य सरकारों, केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के साथ-साथ किसानों के साथ सहयोग का परिणाम है। हाल के वर्षों में चीनी क्षेत्र के लिए सरकार द्वारा किए गए मुख्य उपाय:

• गन्ने के एफआरपी को गन्ने के उत्पादकों के लिए एक गारंटीकृत मूल्य सुनिश्चित करने के लिए तय किया गया है।

• सरकार ने पिछले 8 वर्षों में एफआरपी में 34 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की है।

• सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) की संकल्पना को भी प्रस्तुत किया है ताकि चीनी की पूर्व-मिल कीमतों में गिरावट और गन्ना बकाया के संचय को रोकने के लिए (एमएसपी शुरुआत में 29 रुपये प्रति किलोग्राम 07 जून 2018 से प्रभावी रूप से लागू करने के लिए तय किया गया; संशोधित 31 रुपये प्रति किलोग्राम 14 फरवरी 2019 से प्रभावी।

• चीनी मिलों के निर्यात की सुविधा के लिए, बफर स्टॉक को बनाए रखने के लिए, इथेनॉल उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए और किसानों के बकाया भुगतान के लिए चीनी मिलों को 18,000 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता।

• अधिशेष चीनी को इथेनॉल के उत्पादन में बदलकर चीनी मिलों की वित्तीय स्थितियों में सुधार किया। नतीजतन, वे गन्ने के बकायों का जल्दी से भुगतान करने में सक्षम हैं।

• चीनी के निर्यात और चीनी को इथेनॉल में बदलने के कारण, चीनी क्षेत्र आत्मनिर्भर हो गया है और मिलों की तरलता में सुधार हेतु निर्यात व बफर के लिए बजटीय समर्थन करने की आवश्यकता नहीं है

इसके अलावा, पिछले कुछ शुगर सीजनों के दौरान चीनी क्षेत्र के लिए किए गए विभिन्न अन्य उपायों के कारण, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ गन्ने की उच्च उपज देने वाली किस्मों के उपयोग की शुरुआत, ड्रिप सिंचाई प्रणाली को अपनाना, चीनी संयंत्र का आधुनिकीकरण और अन्य अनुसंधान एवं विकास गतिविधियां, गन्ने की खेती का क्षेत्र, गन्ने का उत्पादन, गन्ने की तराई, चीनी उत्पादन और इसका रिकवरी प्रतिशत व किसानों को भुगतान में काफी वृद्धि शामिल है।

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

इस निर्णय से 5 करोड़ गन्ना उत्पादक किसानों और उनके आश्रितों के साथ-साथ चीनी मिलों और संबंधित सहायक गतिविधियों में कार्यरत 5 लाख श्रमिकों को लाभ होगा। 9 साल पहले, 2013-14 चीनी सीजन में एफआरपी सिर्फ 210 रुपये प्रति क्विंटल था और सिर्फ 2397 एलएमटी गन्ना चीनी मिलों द्वारा खरीदा गया था। किसानों को केवल गन्ने की बिक्री से चीनी मिलों से सिर्फ 51,000 करोड़ मिलते थे। हालांकि, पिछले 8 वर्षों में सरकार ने एफआरपी में 34 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की है। वर्तमान चीनी सीज़न 2021-22 में, चीनी मिलों द्वारा लगभग 3,530 लाख टन गन्ना खरीदा गया जिसकी कीमत 1,15,196 करोड़ रुपये है, जो अब तक सबसे अधिक है।

आगामी चीनी सीजन 2022-23 में गन्ने के रकबे और अपेक्षित उत्पादन में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, 3,600 लाख टन से अधिक गन्ने को चीनी मिलों द्वारा खरीदे जाने की संभावना है, जिसके लिए गन्ने के किसानों को भुगतान की जाने वाली कुल रकम 1,20,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है। सरकार किसान समर्थक उपायों के माध्यम से यह सुनिश्चित करेगी कि गन्ने के किसानों को समय पर उनका बकाया मिले।

पिछले चीनी सीजन 2020-21 में लगभग 92,938 करोड़ रुपये का गन्ना बकाया देय था, जिसमें से 92,710 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है और केवल 228 करोड़ रुपये बकाया हैं। वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में 1,15,196 करोड़ रुपये में से किसानों को 1,05,322 करोड़ रुपये गन्ने के बकाया का भुगतान किया गया, 01 अगस्त 2022 तक; इस प्रकार 91.42 प्रतिशत गन्ना बकाया का भुगतान कर दिया गया है जो कि पिछले चीनी सीजनों की तुलना में अधिक है।

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भारत- दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक:

भारत ने वर्तमान चीनी सीजन के दौरान चीनी उत्पादन में ब्राजील को पीछे छोड़ दिया है। पिछले 8 वर्षों में चीनी के उत्पादन में वृद्धि के साथ, भारत घरेलू खपत के लिए अपनी आवश्यकता को पूरा करते हुए चीनी का निरंतर निर्यात भी कर रहा है, जिससे हमारे राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद मिली है। पिछले 4 चीनी सीजन; 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के दौरान क्रमशः 6 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी), 38 एलएमटी, 59.60 एलएमटी और 70 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया है। वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में 01 अगस्त 2022 तक लगभग 100 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया है और कुल निर्यात लगभग 112 एलएमटी तक होने की संभावना है।

गन्ना किसान और चीनी उद्योग अब ऊर्जा क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं:

भारत के कच्चे तेल की कुल आवश्यकता का 85 प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। लेकिन कच्चे तेल पर आयात बिल को कम करने, प्रदूषण को कम करने और देश को पेट्रोलियम क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए, सरकार पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रित कार्यक्रम के तहत इथेनॉल के उत्पादन और पेट्रोल के साथ इथेनॉल के मिश्रण को बढ़ाने के मार्ग पर सक्रिय रूप से आगे बढ़ रही है। सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने को इथेनॉल में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, ताकि इसे पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जा सके, जो न केवल हरित ईंधन के रूप में कार्य करता है, बल्कि यह कच्चे तेल के आयात पर खर्च की जाने वाली विदेशी मुद्रा की भी बचत करेगा। चीनी सीजन 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के दौरान क्रमशः लगभग 3.37 एलएमटी, 9.26 एलएमटी और 22 एलएमटी चीनी को इथेनॉल में बदला गया। वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में, लगभग 35 एलएमटी चीनी को इथेनॉल में बदले जाने का अनुमान है और 2025-26 तक 60 एलएमटी से अधिक चीनी को इथेनॉल में बदलने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो अतिरिक्त गन्ने की समस्या के साथ-साथ विलंब से होने वाले भुगतान का भी समाधान करेगा, क्योंकि गन्ना किसानों को समय पर भुगतान प्राप्त होगा।

सरकार ने 2022 तक पेट्रोल के साथ ईंधन ग्रेड इथेनॉल के 10 प्रतिशत मिश्रण का और 2025 तक 20 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है ।

वर्ष 2014 तक, शीरा (मोलासेज) आधारित डिस्टिलरियों की इथेनॉल की आसवन (डिस्टिलेशन) क्षमता सिर्फ 215 करोड़ लीटर की थी। हालांकि, पिछले आठ वर्षों में सरकार द्वारा किए गए नीतिगत बदलावों के कारण, शीरा आधारित डिस्टिलरियों की यह क्षमता बढ़कर 595 करोड़ लीटर की हो गई है। अनाज आधारित डिस्टिलरियों की जो क्षमता 2014 में लगभग 206 करोड़ लीटर की थी, वो अब बढ़कर 298 करोड़ लीटर की हो गई है। इस प्रकार, पिछले आठ वर्षों में इथेनॉल उत्पादन की कुल क्षमता 2014 में 421 करोड़ लीटर से दोगुनी होकर जुलाई 2022 में 893 करोड़ लीटर की हो गई है। सरकार इथेनॉल उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी के उद्देश्य से चीनी मिलों/डिस्टिलरी को बैंकों से लिए गए ऋण के लिए ब्याज अनुदान भी दे रही है। इथेनॉल क्षेत्र में लगभग 41,000 करोड़ का निवेश किया जा रहा है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2013-14 में,  तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इथेनॉल की आपूर्ति महज 38 करोड़ लीटर की थी जिसमें मिश्रण का स्तर सिर्फ 1.53 प्रतिशत का था। ईंधन ग्रेड इथेनॉल का उत्पादन और तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इसकी आपूर्ति 2013-14 की तुलना में आठ गुना बढ़ गई है। इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2020-21 (दिसंबर-नवंबर) में, 8.1 प्रतिशत के मिश्रण स्तर को हासिल करते हुए तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को लगभग 302.30 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति की गई है। वर्तमान इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2021-22 में, हम 10.17 प्रतिशत का मिश्रण स्तर हासिल करने में सक्षम हैं। वर्तमान इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2021-22 में पेट्रोल के साथ मिश्रण के लिए चीनी मिलों/डिस्टिलरीज द्वारा 400 करोड़ लीटर से अधिक इथेनॉल की आपूर्ति किए जाने की संभावना है, जोकि वर्ष 2013-14 में की गई आपूर्ति की तुलना में 10 गुना होगी।

चीनी उद्योग आत्मनिर्भर बना :

कुछ समय पहले तक, चीनी मिलों की आय मुख्य रूप से चीनी की बिक्री पर निर्भर थीं। किसी भी सीजन में अतिरिक्त उत्पादन का उनकी भुगतान क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जिससे गन्ना उत्पादक किसानों की धनराशि बकाया हो जाती है। उनकी भुगतान क्षमता में सुधार के लिए समय-समय पर सरकारी हस्तक्षेप किए गए। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में अतिरिक्त चीनी के निर्यात को प्रोत्साहित करने और चीनी को इथेनॉल में बदलने सहित केंद्र सरकार की सक्रिय नीतियों के कारण, चीनी उद्योग अब आत्मनिर्भर हो गया है।

चीनी मिलों ने 2013-14 से तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इथेनॉल की बिक्री से लगभग 49,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में चीनी मिलों द्वारा ओएमसी को लगभग 20,000 करोड़ रुपये मूल्य के इथेनॉल की बिक्री की जा रही है, जिससे चीनी मिलों की भुगतान क्षमता में सुधार हुआ है और वे किसानों को गन्ना की बकाया धनराशि का भुगतान करने में सक्षम हैं। चीनी और उसके सह-उत्पादों की बिक्री, ओएमसी को इथेनॉल की आपूर्ति, बैगेस आधारित सह-उत्पादन संयंत्रों से बिजली उत्पादन और प्रेस मिट्टी से उत्पादित पोटाश की बिक्री से आय होने से चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में अनेक माध्यम से सुधार हुआ है।

केंद्र सरकार द्वारा किए गए उपायों और एफआरपी में वृद्धि से किसानों को गन्ने की खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया है और चीनी के घरेलू उत्पादन के लिए चीनी मिलों के निरंतर संचालन की सुविधा मिली है। चीनी उद्योग के लिए सरकार द्वारा बनाई गई सकारात्मक नीतियों के परिणामस्वरूप भारत भी अब ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनता जा रहा है।

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एसएन सेन महाविद्यालय के सभागार में कूटा कार्यकारिणी की बैठक संपन्न

कानपुर 5 अगस्त, एसएन सेन महाविद्यालय के सभागार में कूटा की कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें सभी शिक्षक गण उपस्थित थे। पूर्व प्राचार्य डॉ निशा अग्रवाल ने नवनियुक्त प्राचार्या डा सुमन को उत्तरी पहनाकर उनका स्वागत किया। प्राचार्या को समस्त शिक्षकों मोमेंटो भी प्रदान किया। प्राचार्या डॉ सुमन ने सभी शिक्षकों को संबोधित करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की और यह आवाहन किया कि जैसे एस एन सेन कालेज काअब तक नाम आगे रहा है वैस ही हम सब मिलकर आगे भी इसको बहुत ऊंचाइयों तक ले जाएंगे ।इस बैठक में महाविद्यालय की सभी शिक्षक बहने उपस्थित थी। डॉक्टर निशी, डॉक्टर रेखा, डॉ गार्गी ,डॉ प्रीति पांडे, डॉ प्रीति सिंह ,श्री हरीश जी ,डॉ मीनाक्षी व्यास, कैप्टन ममता, डॉ रचना श्रीमती किरन,डॉ मोनिका डा निशा वर्मा, शुभा,डॉ अनामिका, डा पूजा, डा रीता, संगीता, डा रश्मि, रिचा सिंह,आदि भी उपस्थित रहे।

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आपदा-विपदाकाल में एक मुश्त समाधान योजना के अंतर्गत ऋण की धनराशि जमा किये जाने में परेशानियों को दृष्टिगत रखते हुए मुख्यालय लेखा अनुभाग लखनऊ द्वारा 9 माह के लिए बढ़ायी गई थी।

*कानपुर नगर, दिनांक 05 अगस्त, 2022(सू0वि0),जिला ग्रामोद्योग अधिकारी मनोज शुक्ला ने बताया है कि एक मुश्त समाधान योजना के तहत उ0प्र0 खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा सी0बी0सी0 योजना में वित्तपोषित संस्था/समिति/व्यकितगत उद्यमियों/ईकाइयों को कोविंड-19 द्वितीय लहर के संक्रमण फैलने व लाकडाउन होने के कारण उक्त महामारी में आपदा-विपदाकाल में एक मुश्त समाधान योजना के अंतर्गत ऋण की धनराशि जमा किये जाने में परेशानियों को दृष्टिगत रखते हुए मुख्यालय लेखा अनुभाग लखनऊ द्वारा दिनांक 01 अप्रैल, 2021 से दिनांक 31 दिसमबर तक 9 माह के लिए बढ़ायी गई थी।
उपरोक्त के तारतम्य में बोर्ड बैठक दिनांक 24 जून, 2022 में प्रस्ताव संख्या-12 पर लिये गये निर्णय/अनुमोदन के क्रम में जनपद के उद्यमियों/ईकाइयों को ऋण जमा करने हेतु सी0बी0सी0 योजना के अंतर्गत एक मुश्त समाधान योजना की अवधि दिनांक 01 जनवरी, 2022 से दिनांक 31 दिसमबर 2022 तक एक वर्ष हेतु बढायी गई है।
उन्होंने बताया कि उ0प्र0 खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा वित्तपोषित संस्था/समिति/व्यकितगत उद्यमियों/ईकाइयों को सी0बी0सी0 योजना के अंतर्गत वितपोषित उद्यमियों/ईकाइयों को एक मुश्त समाधान योजना का लाभ नहीं प्राप्त किया है तो ऐसी समस्त संस्था/समिति/व्यकितगत उद्यमियों/ईकाइयों को दिनांक 31 दिसमबर, 2022 तक यथाशीघ्र समस्त अवशेष धनराशि जमा करते हुए एक मुश्त समाधान योजना (ओ0टी0एस0) का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। मात्र माननीय न्यायालय में लंबित प्रकरण पर उपरोक्त योजना का लाभ प्रदान नहीं किया जायेगा।

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क्राइस्ट चर्च पीजी कॉलेज में पर्यावरण संरक्षण पर भारत उत्थान न्यास तथा अमर उजाला फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में वर्कशॉप आयोजित

कानपुर 5 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च पीजी कॉलेज में पर्यावरण संरक्षण पर भारत उत्थान न्यास तथा अमर उजाला फाउंडेशन के साथ मिलकर एक वर्कशॉप का आयोजन किया  आरंभ में कॉलेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल उप प्राचार्य डॉ सबीना बोदरा तथा एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुनीता वर्मा के निर्देशन में हुआ। इस अवसर पर आमंत्रित किए गए अतिथि डॉ शशि अग्रवाल डॉ अनीता निगम सुजीत कुंतल उपस्थित रहे कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों ने कॉलेज के अध्यापक और छात्र के संग मिलकर कॉलेज में जगह जगह पर पौधारोपण किया और सभी को पौधों का हमारे जीवन में कितना अधिक महत्व है, इस से अवगत कराया। साथ ही पर्यावरण दूषित होने वाले कारणों पर भी प्रकाश डाला और उससे बचने के उपाय सांझा किए।

इसके साथ कार्यक्रम का समापन डॉ सुनीता वर्मा ने अपनी एनएसएस इकाई के प्रमुख हर्षवर्धन दिक्षित तथा सह प्रमुख मोहम्मद अली, विलायत फातिमा ने अपनी टीम जिनमें सुप्रिया,स्तुति,अरफिया,सौम्या,इरम,जारा,पवन,मेनका,हर्षिता,कांची,अरबाज,आयुषी,साद,दिया,मुस्कान,रितेश रिया के साथ मिलकर कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन किया।

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आयुक्त कानपुर मंडल ने कानपुर नगर जनपद के कल्याणपुर ब्लॉक के कटरी शंकरपुर सराय के सरकारी मॉडल प्राथमिक विद्यालय का औचक निरीक्षण किया

कानपुर 5 अगस्त, जिला सूचना कार्यालय, छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति की औचक जाँच करने और छात्रों / बच्चों को प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से, आयुक्त कानपुर मंडल ने कानपुर नगर जनपद के कल्याणपुर ब्लॉक के कटरी शंकरपुर सराय के सरकारी मॉडल प्राथमिक विद्यालय का औचक निरीक्षण किया.

आयुक्त द्वारा दी गई टिप्पणियों और निर्देशों के महत्वपूर्ण बिंदु हैं:

1) यह कक्षा 1 से 5 तक का अंग्रेजी माध्यम का मॉडल स्कूल है।

2) स्कूल में कुल प्रवेश (अड्मिशन) 148 है।
लेकिन आज 110 छात्र स्कूल में उपस्थित थे।

3) इस विद्यालय में एक हेड मास्टर और 3 शिक्षक हैं। सभी मौजूद थे।

4) छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत करते हुए, आयुक्त के ध्यान में लाया गया कि इस स्कूल में इस शैक्षणिक सत्र के लिए स्कूल की किताबें अब तक प्राप्त नहीं हुई हैं।
कमिश्नर ने एडी बेसिक को यह जांचने को कहा कि इस स्कूल में स्कूल की किताबें वितरण करने में लगभग 4 महीने की देरी क्यों हो रही है।
उन्होंने एडी बेसिक को सभी जिलों के साथ जांच करने और अगले 24 घंटों में आयुक्त को रिपोर्ट देने के लिए कहा।

5) आयुक्त ने छात्रों के उपस्थिति रजिस्टर की जांच की।
आयुक्त ने कुछ अभिभावकों से भी फोन पर बात की, जिनके बच्चे आज की कक्षाओं में उपस्थित नहीं हुए, यह जानने के लिए कि छात्र अनुपस्थित क्यों हैं।

6) आयुक्त ने “अभिभावक शिक्षक बैठक” के रजिस्टर की भी जाँच की।
यह पाया गया कि पिछली अभिभावक शिक्षक बैठक (पीटीएम) मार्च 2022 में आयोजित की गई थी।
उसके बाद पिछले 4 महीनों में कोई पीटीएम आयोजित नहीं किया गया है।
गाइडलाइंस के मुताबिक हर महीने पीटीएम कराई जाएगी।

इसके अलावा यह पाया गया कि केवल 10 से 15% माता-पिता ही पीटीएम में भाग लेते हैं।

आयुक्त ने प्रधानाध्यापक और सभी शिक्षकों से कहा कि वे संपर्क करें और माता-पिता को पीटीएम में भाग लेने के लिए मनाएं। यदि वे भाग लेने में असमर्थ हैं, तो प्रधानाध्यापक और शिक्षकों को ऐसे माता-पिता से संपर्क करना चाहिए जो कई महीनों से पीटीएम में भाग नहीं ले रहे हैं और उन्हें अपने बच्चों की प्रगति के बारे में अद्यतन और जानकारी देने के लिए व्यक्तिगत रूप से संपर्क करें।

7) निरीक्षण के दौरान पाया गया कि स्कूल में बिजली की आपूर्ति नहीं थी।
आयुक्त ने प्रधानाध्यापक से पूछा तो उन्होंने बताया कि पिछले 15 दिनों से बिजली आपूर्ति नहीं हो रही है क्योंकि पोल से स्कूल तक बिजली आपूर्ति केबल क्षतिग्रस्त है.

आयुक्त ने एबीएसए और प्रधान को इसकी मरम्मत और अगले 24 घंटों में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कहा।

8) आयुक्त ने छात्रों के साथ बातचीत की, और उन्होंने छात्रों को उनमें से प्रत्येक को एक पौधा भेंट कर प्रेरित किया।

कुछ छात्रों ने पौधों के फायदे भी बताए। सभी छात्रों ने आयुक्त को अपने घर या अपने खेतों में पौधे लगाने और बड़े होने तक उनकी देखभाल करने का आश्वासन दिया।

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एस.एन. सेन. बालिका विद्यालय पी.जी कॉलेज कानपुर में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत भारतीय संस्कृति के पुरोधा गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती मनाई गई

कानपुर 4 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस.एन. सेन. बालिका विद्यालय पी.जी कॉलेज कानपुर में आजादी का अमृत महोत्सव पर हिंदी विभाग द्वारा भारतीय संस्कृति के पुरोधा गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती मनाई गई ।
इस समारोह में गोस्वामी जी द्वारा रचित श्री रामचरितमानस के बालकांड पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ सुमन ने कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन कर किया।
प्राचार्या जी ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीरामचरितमानस भारतीय संस्कृति का एक नीतिपरक ग्रंथ है। यह लोकग्रंथ एवं साहित्य का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है। गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन गुरु शिष्य परंपरा को भारतीय समाज में स्थापित करता है।
उन्होंने छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना की ।
नित्या गुप्ता, भूमि बाजपेई, अमृता शुक्ला,शुभी त्रिपाठी,पलक तिवारी व सौम्या गुप्ता ने श्री रामचरितमानस के बालकांड की चौपाइयों का गायन करते हुए उनकी व्याख्या प्रस्तुत की।
प्राचार्या मैडम का स्वागत हिंदी विभाग की विभागाध्यक्षा श्रीमती रचना शर्मा, डॉ शुभा बाजपेई श्रीमती रेशमा तथा अंकिता ने किया। कार्यक्रम में हिंदी विभाग की सहायक आचार्य रेशमा ने तुलसीदास जी की रचना कर्म पर प्रकाश डाला
इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी प्रवक्ता गण .कर्मचारी गण उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ शुभा बाजपेई ने तथा धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग की विभागाध्यक्षा श्रीमती रचना शर्मा ने किया।

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गडकरी ने इंदौर (मध्य प्रदेश) में 2300 करोड़ रुपये लागत की छह राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इंदौर (मध्य प्रदेश) में 2300 करोड़ रुपये लागत की 119 किलोमीटर लंबाई की 6 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

इस अवसर पर श्री गडकरी ने आज शुरू की जा रही परियोजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि इंदौर और राज्य में बेहतर कनेक्टिविटी से प्रगति की राह आसान हो जाएगी। उन्होंने कहा कि राऊ सर्कल पर जाम की समस्या समाप्‍त हो जाएगी और यातायात सरल हो जाएगा। इंदौर के साथ सहज कनेक्टिविटी होने से कारीगरों, छात्रों और व्यापारियों को बेहतर अवसर उपलब्‍ध होंगे। इंदौर-हरदा खंड के गांवों को इंदौर से बेहतर तरीके से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि धार-पीथमपुर औद्योगिक कॉरिडोर बनने से रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

श्री गडकरी ने यह भी कहा कि तेजाजी नगर (इंदौर)-बुरहानपुर और इंदौर-हरदा तक की यात्रा में लगने वाले समय में कमी आएगी, जिससे ईंधन की भी बचत होगी। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर और खंडवा जाने वाले यात्रियों के लिए मार्ग आसान होगा। उन्होंने कहा कि कृषि बाजारों से बेहतर संपर्क होने से कृषि उत्पादों को बड़े बाजार तक ले जाना आसान हो जाएगा।

इस कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश में 14 चयन किए गए स्थानों पर रोप-वे के निर्माण के लिए राज्य सरकार और एनएचएआई के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

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राष्ट्रमंडल खेल 2022 के भारोत्तोलन में अचिंत शिउली ने भारत को तीसरा स्वर्ण पदक दिलाया

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  • राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अचिंत शिउली को उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए बधाई दी
  • भारत का नाम रौशन करने और पदक जीतने के साथ खेल में कीर्तिमान बनाने के लिए अचिंत को बधाई: श्री अनुराग ठाकुर

भारोत्तोलक अचिंत शिउली ने रविवार रात्रि को राष्ट्रमंडल खेल 2022 में पुरुषों के 73 किग्रा फाइनल में स्वर्ण पदक जीता। अचिंत ने खेलों में कुल 313 किलोग्राम (स्नैच 143 किग्रा + क्लीन एंड जर्क 170 किग्रा) उठाया। यह प्रतियोगिता में भारत का छठा पदक और तीसरा स्वर्ण है। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर और देश भर के लोगों ने अचिंत को उनके प्रदर्शन के लिए बधाई दी है।

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने स्वर्ण पदक जीतने पर अचिंत शिउली को बधाई दी। राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, “अचिंत शिउली ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीतकर और तिरंगा फहराकर भारत को गौरवान्वित किया है। आपने तुरंत एक प्रयास में विफलता पर काबू पा लिया और लाइनअप में शीर्ष पर पहुंच गए। आप ऐसे चैंपियन हैं, जिसने इतिहास रचा है। हार्दिक बधाई!”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वर्ण पदक जीतने पर अचिंत शिउली को बधाई दी है। पीएम ने ट्वीट किया, “खुशी है कि प्रतिभाशाली अचिंत शिउली ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता है। वे अपने शांत स्वभाव और लगन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इस विशेष उपलब्धि के लिए बहुत कठिन मेहनत की है। भविष्य के प्रयासों के लिए उन्हें मेरी शुभकामनाएं।”

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जन शिकायतों के निवारण की समय-सीमा 45 दिन से घटाकर 30 दिन की गई

जन शिकायतों के निवारण की समय सीमा 45 दिन से घटाकर 30 दिन कर दी गई है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कम से कम समय के भीतर शिकायतों के निपटान के साथ लोक शिकायत निवारण तंत्र के प्रभावी कार्यान्वयन पर जोर देने के कदम का एक हिस्सा है। इसमें प्रयास शिकायतकर्ता को अधिकतम संभव संतुष्टि प्रदान करना भी है। मंत्री ने कहा, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा जारी एक ओएम (संचालन, प्रशासन और प्रबंधन) में यह भी कहा गया है कि एक नागरिक से प्राप्त शिकायत को तब तक बंद नहीं किया जाएगा जब तक कि उसके खिलाफ दायर अपील का निपटारा नहीं हो जाता। पिछले साल, डीएआरपीजी ने जन शिकायतों के समाधान के लिए अधिकतम समय सीमा को 60 दिनों से घटाकर 45 दिन कर दिया था। डॉ जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत में एक प्रभावी लोक शिकायत निवारण प्रणाली को लागू करने और लोगों के बीच संतुष्टि को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रशासनिक सुधार लाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। मंत्री ने यह भी बताया कि विभिन्न मासिक “प्रगति” (प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन) समीक्षा बैठकों में, प्रधानमंत्री स्वयं सार्वजनिक शिकायतों की स्थिति की समीक्षा करते हैं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 में इस सरकार के सत्ता में आने के बाद से लोगों की संतुष्टि और शिकायतों के समय पर निवारण के दोहरे कारकों के कारण लोक शिकायत के मामलों में लगभग 10 गुना वृद्धि हुई है और यह सरकार पर नागरिकों के भरोसे को भी दर्शाता है। 95 प्रतिशत से अधिक मामलों के निपटारे के साथ जन शिकायतें 2014 में 2 लाख से बढ़कर वर्तमान में 22 लाख से अधिक हो गई हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का मुख्य मंत्र अंतिम कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है।

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डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि नवीनतम आदेश में कहा गया है कि सीपीजीआरएएमएस पर प्राप्त शिकायतों को प्राप्त होते ही तुरंत हल किया जाएगा, लेकिन अधिकतम 30 दिनों की अवधि के भीतर और यदि निर्धारित समय-सीमा के भीतर निवारण संभव नहीं है, तो न्यायिक मामले/नीतिगत मुद्दों आदि जैसी परिस्थितियों में, नागरिक को एक अंतरिम/उचित उत्तर दिया जाएगा। उन्होंने कहा, यह उपाय नागरिक केंद्रित शासन को आगे बढ़ाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा क्योंकि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि शिकायतों का यथासंभव शीघ्र निपटारा किया जाए। डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि सीपीजीआरएएमएस 7.0 ने डिजिटल डैशबोर्ड का उपयोग करके बेहतर डेटा एनालिटिक्स के साथ-साथ लास्ट माइल शिकायत अधिकारियों को शिकायतों के ऑटो-रूटिंग को भी सक्षम किया है। उन्होंने कहा कि 2021 में 30,23,894 शिकायतें प्राप्त हुईं जिनमें से 21,35,923 का निपटारा किया गया, 2020 में 33,42,873  में से 23,19,569 का निपटारा किया गया, और 2019 में 27,11,455 में से 16,39,852 का निपटारा किया गया।

डीएआरपीजी ने अपने नवीनतम आदेश में सभी विभागों को नोडल शिकायत समाधान अधिकारी नियुक्त करने और जनता की शिकायतों के समाधान के लिए उन्हें पर्याप्त रूप से सशक्त बनाने के लिए कहा है। वे नोडल शिकायत समाधान अधिकारी के समग्र पर्यवेक्षण में प्राप्त जन शिकायतों की संख्या के आधार पर जितने आवश्यक समझे उतने जीआरओ नियुक्त कर सकते हैं। आदेश में कहा गया है कि शिकायत बंद होने के बाद, नागरिकों के पास अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने और अपील दायर करने और शिकायत की गुणवत्ता पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने का विकल्प होता है. इसके लिए एक आउटबाउंड कॉल सेंटर शुरू किया गया है। फीडबैक प्राप्त करने के लिए कॉल सेंटर द्वारा सभी नागरिकों से संपर्क किया जाएगा।

आदेश में कहा गया है कि नागरिकों को अपील दायर करने का विकल्प प्रदान किया जाएगा यदि वे निपटाई गई शिकायत से संतुष्ट नहीं हैं और कॉल सेंटर द्वारा नागरिकों से प्राप्त फीडबैक को मंत्रालयों या विभागों के साथ साझा किया जाएगा जो फीडबैक से निपटने के लिए जिम्मेदार होंगे और इसी के आधार पर व्यवस्थागत सुधार किया जाएगा।

डीएआरपीजी ने कहा कि शिकायत समाधान के तंत्र को संस्थागत बनाने और गुणवत्तापूर्ण निपटान सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय/विभाग के सचिव वरिष्ठ अधिकारियों की बैठकों में निपटान प्रक्रिया की समीक्षा कर सकते हैं। इसके अलावा, मंत्रालय/विभाग उन शिकायतों की निगरानी भी कर सकते हैं जो प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में उठाई जा सकती हैं।

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भारत चाबहार बंदरगाह के माध्यम से मध्य एशिया के साथ व्यापार संभावना को खोलने की दिशा में काम करेगा: केन्‍द्रीय जहाजरानी मंत्री

केन्‍द्रीय बंदरगाह, नौवहन, जलमार्ग और आयुष मंत्री, सर्बानंद सोनोवाल ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के उपयोग के माध्यम से मध्य एशियाई क्षेत्र के साथ व्यापार क्षमता को खोलने की संभावना की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। ‘चाबहार दिवस’ के अवसर पर, केन्‍द्रीय बंदरगाह, नौवहन मंत्रालय ने इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) के साथ आज मुंबई में एक सम्मेलन का आयोजन किया, जहां केन्‍द्रीय नौवहन मंत्री श्री सोनोवाल तथा जलमार्ग, नौवहन और पर्यटन राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने मध्य एशियाई देशों के उच्च स्तरीय राजनयिक प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत की। आईपीजीएल का गठन चाबहार विकास परियोजना में शाहिद बेहश्‍ती बंदरगाह के संचालन के लिए किया गया था। श्री सोनोवाल ने यह भी कहा, “हमारी परिकल्‍पना चाबहार बंदरगाह को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) के तहत एक पारगमन केन्‍द्र बनाना है ताकि सीआईएस देशों तक पहुंचा जा सके।”

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“चाबहार दिवस” आईएनएसटीसी की शुरुआत- भारत और मध्य एशिया के बीच कार्गो की आवाजाही को किफायती बनाने की भारत की परिकल्‍पना के अवसर पर मनाया जाता है । ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह क्षेत्र और विशेष रूप से मध्य एशिया के लिए वाणिज्यिक पारगमन केन्‍द्र है।

इस अवसर पर उपस्थित उच्च स्तरीय राजनयिक प्रतिनिधिमंडल में कजाकिस्तान गणराज्य के राजदूत महामहिम श्री नुरलान झालगासबायेव; किर्गिस्तान के राजदूत महामहिम श्री असीन इसेव; ताजिकिस्तान के राजदूत महामहिम श्री लुकमोन बोबोकलोंजोडा; तुर्कमेनिस्‍तान के राजदूत महामहिम श्री शालार गेलडीनजरोव; उज्बेकिस्तान के राजदूत दिलशोद अखतोव; पीएमओ में बंदरगाह और आर्थिक मामलों के उप मंत्री महामहिम श्री जलील एस्लामी; अफगानिस्तान की महावाणिज्य दूत(सीजी) सुश्री जकिया वर्दाक; ईरान इस्लामी गणराज्य के महावाणिज्य दूत महामहिम डॉ ए एम अलीखानी और महामहिम श्री मसूद ओस्ताद हुसैन शामिल थे। गणमान्‍य व्यक्तियों में भारतीय बंदरगाह संघ के अध्यक्ष श्री राजीव जलोटा, विदेश मंत्रालय में संयुक्‍त सचिव (पीएआई) श्री जे पी सिंह और इंडियन पोर्टस ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) के एमडी श्री सुनील मुकुंदन भी उपस्थित थे।

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इस कार्यक्रम में बोलते हुए, केन्‍द्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री ने कहा, “ईरान में चाबहार के जीवंत शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के माध्यम से आईएनएसटीसी का विचार एक मल्टी मोडल लॉजिस्टिक कॉरिडोर का उपयोग करके दो बाजारों को जोड़ने का है।” उन्होंने कहा कि हमारी लॉजिस्टिक लागत को युक्तिसंगत बनाएगा, जो दोनों क्षेत्रों के बीच व्यापार की मात्रा में योगदान देगा। चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए सक्रिय समर्थन दिखाने वाले सभी हितधारकों को धन्यवाद देते हुए, उन्होंने कहा, संयुक्त प्रयासों के माध्यम से, कनेक्टिविटी बढ़ाने वाले व्यापार का एक बिंदु और भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच वाणिज्य को सफलतापूर्वक विकसित किया गया है।

श्री सोनोवाल ने आगे कहा, चाबहार बंदरगाह समृद्ध मध्य एशियाई क्षेत्र को दक्षिण एशियाई बाजारों से जोड़ता है। यह व्यापार, आर्थिक सहयोग और दो भौगोलिक क्षेत्रों के बीच लोगों को जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण के रूप में उभरा है। मध्य एशियाई बाजारों की संभावना के कारण, भारत की अगुवाई में आपस में जुड़ने से मध्‍य एशियाई देशों की हिन्‍द महासागर क्षेत्र में पहुंच को सुरक्षित और वाणिज्यिक दृष्टि से व्‍यवहार्य बना दिया है। उन्होंने कहा कि यह सम्‍पर्क न केवल आपस में सम्‍पर्क प्रदान करेगा, बल्कि हमारे सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों का आगे बढ़ाते हुए निवेश को भी आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि यह मध्य एशियाई क्षेत्र की पारगमन और परिवहन संभावना को भी विकसित करेगा और उनके लॉजिस्टिक नेटवर्क में सुधार करेगा। चाबहार बंदरगाह वहां पर एक क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिवहन गलियारा बनाने के लिए एक संयुक्त पहल को बढ़ावा देने की अगुवाई करेगा। श्री सोनोवाल ने कहा कि इसके अलावा, इसका उद्देश्य चाबहार बंदरगाह पर सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय मानदंडों, सुशासन, कानून के शासन और समानता को विकसित करना है।

श्री सोनोवाल ने यह भी कहा कि चाबहार में शाहिद बेहश्‍ती बंदरगाह की माल लादने और उतारने की क्षमता जो आज 8.5 मिलियन टन है, परियोजना के पहले चरण के पूरा होने पर बढ़कर 15 मिलियन टन हो जाएगी।

भारत और अन्य बाजारों के साथ अपने व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह की सेवाओं का उपयोग करने के लिए मध्य एशियाई देशों का स्वागत करते हुए, श्री सोनोवाल ने सभी हितधारकों से आग्रह किया कि वे परिवहन समय को और कम करने, भारत से मध्‍य एशिया के लिए एक छोटा, तेज और अधिक विश्‍वसनीय मार्ग खोलने और दोनों क्षेत्रों के बीच बिना किसी कठिनाई के व्‍यापार की संभावना बढ़ाने के लिए चाबहार आईएनएसटीसी लिंक को प्रोत्‍साहित करने के लिए सुझाव दें। श्री सोनोवाल ने कहा, “मैं इस अवसर पर आप सभी से यह अनुरोध करता हूं कि अपने व्यापार समुदाय को इस बारे में जागरूक करें कि यह मार्ग अवसर और संभावनाएं खोल सकता है।”

मंत्रायल में राज्‍य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने कहा कि, आने वाले वर्षों में, शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह की प्रगति व्यापार के तेजी से विकास में सहयोग करेगी और क्षेत्र में जीवन स्तर को बढ़ाएगी। इस बुनियादी ढांचे से क्षेत्र में व्यापार और निवेश की संभावनाओं का विस्तार होगा श्री नाइक ने सम्मेलन में कहा, “यह व्यापार बैठक शाहिद बेहश्‍ती बंदरगाह के माध्यम से अवसर पैदा करेगी और इसे समुद्री क्षेत्र में और अधिक विकसित करने में मदद मिलेगी।”

आयोजन के दौरान, मध्य एशियाई देशों के प्रतिनिधियों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे आईएनएसटीसी के साथ चाबहार लिंक उनके क्षेत्रों में आयात-निर्यात एक्जिम व्यापार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और इसकी क्षमता भूमि से घिरे देशों में विकास को और बढ़ावा दे सकती है। दिन भर चलने वाले कार्यक्रम के दौरान, कई प्रस्तुतियाँ और गवर्नमेंट टू बिजनेस सेशन हुए। प्रस्तुतिकरण और भाषण अध्यक्ष आईपीए, एमडी आईपीजीएल, एफएफएफएआई और संयुक्त सचिव, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिए गए।

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