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एस.एन. सेन बी.वी.पी.जी.कॉलेज दीन दयाल उपाध्याय जयंती पर भाषण आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता एस.एन. सेन बी.वी.पी.जी.कॉलेज कानपुर के शिक्षाशास्त्र विभाग के तत्वावधान में आज दिनाँक 28-09-2024 को दीन दयाल उपाध्याय जी की जयंती पर एक विभागीय भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य कुलानुशासिका कैप्टन ममता अग्रवाल, विभागाध्यक्ष प्रो. चित्रा सिंह तोमर, डाॅ. संगीता सिंह तथा एन.सी.सी. प्रभारी सुश्री प्रीति यादव ने सरस्वती प्रतिमा एवं दीनदयाल उपाध्याय जी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन तथा माल्यार्पण के साथ किया। भाषण प्रतियोगिता में शिक्षा शास्त्र विभाग की लगभग 20 छात्राओं ने सहभागिता की| कार्यक्रम के माध्यम से छात्राओं ने दीन दयाल उपाध्याय जी के जीवन से संबंधित उनके शैक्षिक अनुभव पर अपने विचार साझा किए। प्रतियोगिता का निर्णय कैप्टन ममता अग्रवाल तथा सुश्री प्रीति यादव ने किय। मुस्कान द्विवेदी ने प्रथम स्थान, अंजलि चौरसिया ने द्वितीय, स्नेहा ने तृतीय, तथा दीक्षा सिंह ने सान्त्वना पुरुस्कार प्राप्त किया।

प्रो. चित्रा ने अंत्योदय की उपादेयता स्पष्ट करते हुए छात्राओं के प्रयास की सराहना की। कैप्टन ममता अग्रवाल ने छात्राओं को शुभकामनाएं प्रेषित की तथा उनका मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम में डाॅ. संगीता सिंह, डाॅ. अनामिका, प्रीति यादव, डाॅ. रेनु शुक्ला ने अपनी उपस्थिति से छात्राओं का उत्साहवर्धन किया।

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दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज द्वारा स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत सार्वजनिक स्थानों एवं फूड प्लाजा पर की गई सफाई

भारतीय स्वरूप संवाददाता स्वच्छता पखवाड़ा 2024 “स्वभाव स्वच्छता संस्कार स्वच्छता” के अंतर्गत दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयं सेविकाओं ने स्वच्छता रैली निकालकर जनजागरूकता अभियान चलाया तथा सार्वजनिक स्थानो- फूड प्लाजा आदि पर गंदगी, प्लास्टिक कप, पाउच, प्लास्टिक बोतल व पॉलिथीन आदि की सफाई करने के उपरांत डस्टबिन में डाला। छात्राओं ने वहां मौजूद लोगों को प्लास्टिक का प्रयोग न करने की अपील भी की । तथा रीयूज, रिड्यूस, रिसाइकल के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारियां दी। सेपलिंग प्लांटेशन कर स्वच्छता के साथ-साथ प्रकृति संरक्षण का संदेश भी दिया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में समस्त एनएसएस वॉलिंटियर्स ने उत्साहपूर्वक प्रतिभाग किया

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एस एन सेन बालिका महाविद्यालय में मनाये जा रहे “स्वच्छता पखवाड़ा कार्यक्रम के अंतर्गत “आत्मनिर्भर भारत” थीम पर भाषण प्रतियोगिता आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता एस एन सेन बालिका महाविद्यालय कानपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, राष्ट्रीय कैडेट कोर तथा अर्थशास्त्र विभाग द्वारा दिनाँक 17/09/2024 से 02/10/2024 तक मनाये जा रहे “स्वच्छता पखवाड़ा कार्यक्रम 2024” के अंतर्गत “आत्मनिर्भर भारत” थीम पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या डॉ सुमन ने आत्मनिर्भरता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए किया l उन्होनें देश को आत्मनिर्भर बनाने हेतु सरकार द्वारा चलायी जा रही नीतियों पर प्रकाश डालाl अर्थशास्त्र विभाग की अध्यक्षा डॉ निशा वर्मा ने स्वयंसेविकाओं को किसी भी तरह का एक कौशल सीखने के लिए प्रेरित किया ताकि उन्हें रोजगार के लिए दूसरों पर निर्भर न होना पड़े l मीडिया प्रसार प्रभारी डॉ प्रीति सिंह ने बताया कार्यक्रम में 8 छात्राओं ने प्रतिभाग लिया जिनमें से भूमि गुप्ता प्रथम, रिया वर्मा द्वितीय , मौली दुबे तृतीय स्थान पर रहीं l कार्यक्रम में डॉ निशि प्रकाश, डॉ अल्का टण्डन, डॉ प्रीति यादव (NCC), डॉ श्वेता रानी (NSS) तथा कोमल दिवाकर, मुस्कान राठौर, साक्षी, छवी, श्रद्धा वर्मा, नंदिका श्रीवास्तव, रिया वर्मा , अंशिका सिंह सहित 50 स्वयंसेविकाएं उपस्थित रहीं।

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प्रौद्योगिकी आधारित युद्धक्षेत्र में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने के लिए भविष्य के रणनीतिक नेतृत्व की आवश्यकता: सीडीएस जनरल अनिल चौहान

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने आज के प्रौद्योगिकी पर आधारित युद्धक्षेत्र में त्वरित निर्णय लेने के लिए भविष्य के रणनीतिक नेताओं की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जहां समयसीमा तेजी से कम होती जा रही है। 27 सितंबर 2024 को संपन्न हुए प्रथम ट्राई सर्विसेज फ्यूचर वारफेयर कोर्स में समापन भाषण देते हुए, सीडीएस ने इस बात पर जोर दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, स्टील्थ टेक्नोलॉजी और हाइपरसोनिक्स में प्रगति और रोबोटिक्स भी भविष्य के युद्धों के स्वरूप को निर्धारित करेंगे।

गतिशील सुरक्षा परिवेश के साथ-साथ विशिष्ट प्रौद्योगिकियों का प्रसार, युद्ध का बदलता स्वरूप तथा हाल के तथा वर्तमान में जारी संघर्षों से मिली सीखों के कारण भविष्य के ऐसे नेताओं को तैयार करना आवश्यक हो गया है, जो आधुनिक युद्ध की बारीकियों को समझने में सक्षम हों। इस क्रम में, पाठ्यक्रम में भविष्य के युद्ध; भविष्य के रुझान, वायु और अंतरिक्ष युद्ध, गैर-गतिज (काइनेटिक) युद्ध, समुद्री संचालन और बहु-डोमेन संचालन से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके प्रमुख परिणामों में एकीकृत परिचालन अवधारणाएं, बढ़ी हुई संयुक्त सैन्य क्षमताएं, भविष्य के युद्धक्षेत्रों के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियां और तीन सेनाओं के मजबूत सहयोग शामिल हैं। यह पाठ्यक्रम प्रतिभागियों को युद्ध के भविष्य का नेतृत्व करने और उसे आकार देने में सक्षम बनाएगा, जिससे उभरती चुनौतियों के लिए एकीकृत और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित होगी।

जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के उप प्रमुखों को सप्ताह भर चलने वाले इस कोर्स के परिणामों के बारे में जानकारी दी गई और बाद के कोर्स की रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया गया।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ द्वारा व्यक्तिगत रूप से संचालित होने के अलावा, इस कोर्स में रैंक की परवाह नहीं की गई, जिसमें प्रतिभागियों की सेवा अवधि 13 से 30 वर्ष तक थी। फ्यूचर वारफेयर कोर्स का उद्देश्य आधुनिक युद्धक्षेत्र की जटिलताओं से निपटने में सक्षम तकनीक रूप से कुशल सैन्य कमांडरों का एक कैडर तैयार करना है।

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एक पेड़ माँ के नाम: 80 करोड़ पौधे रोपे गए

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान की शुरुआत की थी। यह अभियान पर्यावरण के प्रति अपना दायित्व निभाने के साथ-साथ माताओं के प्रति श्रद्धा और समर्पण भाव दर्शाने की एक अनूठी पहल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 जून, 2024 को दिल्ली के बुद्ध जयंती पार्क में पीपल का पौधा लगाकर इस अभियान की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री ने पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों के महत्व पर ज़ोर दिया और पिछले एक दशक में भारत के वन क्षेत्र में हुई प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह अभियान देश के सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
‘एक पेड़ माँ के नाम’ एक संकेतिक भाव है – अपनी माँ के नाम पर एक पेड़ लगाने का उद्देश्य जहां, जीवन को पोषित करने में माताओं की भूमिका का सम्मान करना है, वहीं अपने ग्रह को स्वस्थ बनाए रखने में अपना योगदान देना भी है। पेड़ जीवन को बनाए रखते हैं और एक माँ की तरह ही पोषण, सुरक्षा और भविष्य प्रदान करते हैं। ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल के माध्यम से, कोई भी व्यक्ति एक पेड़ लगाकर अपनी माता को एक जीवंत श्रद्धांजलि और एक स्थायी स्मृति भेंट कर सकता है, इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता को भी पूरा किया जा सकता है।

80 करोड़ पौधा रोपण

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सितंबर 2024 तक ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत 80 करोड़ पौधे लगाने के अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक पूरा किया। यह लक्ष्य तय समय सीमा से 5 दिन पहले यानी 25 सितंबर 2024 को ही हासिल कर लिया गया। मंत्रालय की यह उपलब्धि सरकारी एजेंसियों, स्थानीय समुदायों और विभिन्न हितधारकों के सहयोग और प्रयासों का परिणाम है।

5 लाख से ज़्यादा पौधे लगाने का विश्व रिकॉर्ड

  • 22 सितंबर 2024 को, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत प्रादेशिक सेना की 128 इन्फैंट्री बटालियन और पारिस्थितिकी कार्य बल इकाई ने सिर्फ़ एक घंटे में 5 लाख से ज़्यादा पौधे लगाकर एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की। ​​जैसलमेर में “विशेष पौधारोपण अभियान” के अंतर्गत यह शानदार उपलब्धि, प्रधानमंत्री के “एक पेड़ माँ के नाम” और प्रादेशिक सेना की पहल, “भागीदारी और ज़िम्मेदारी” का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य पारिस्थितिकी को यथास्थिति में बनाए रखना और स्थानीय समुदायों के बीच पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। प्रादेशिक सेना की इकाई के इन प्रयासों को वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स, लंदन द्वारा निम्नलिखित विश्व रिकॉर्ड के साथ मान्यता दी गई :
  • एक घंटे में एक टीम द्वारा लगाए गए सबसे ज़्यादा पौधे।
  • एक घंटे में महिलाओं की एक टीम द्वारा लगाए गए सबसे ज़्यादा पौधे।
  • एक ही स्थान पर एक साथ सबसे अधिक संख्या में लोगों द्वारा पौधारोपण।

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधियों की मौजूदगी ने यह सुनिश्चित किया कि वृक्षारोपण को सावधानीपूर्वक सत्यापित और प्रमाणित किया गया था और इस उपलब्धि के लिए पारिस्थितिकी कार्य बल को पुरस्कार भी दिया गया। यह वृक्षारोपण अभियान, “जो लोग पेड़ों की रक्षा करते हैं, वे संरक्षित हैं,” आदर्श वाक्य का सर्वोत्तम उदाहरण है और जो भविष्य की पीढ़ियों की भलाई के लिए पर्यावरण संरक्षण के महत्व की पुष्टि भी करता है।

मंत्रालयों के सामूहिक प्रयास

प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान के अनुरूप, विभिन्न मंत्रालयों ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान में उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रत्येक मंत्रालय और विभाग का इस पहल में पर्याप्त योगदान सततता, हरित आवरण वृद्धि और सार्वजनिक जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

रक्षा मंत्रालय ने इस अभियान के तहत स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 लाख पौधे लगाने की राष्ट्रव्यापी पहल की घोषणा की। इस प्रयास में भारतीय सशस्त्र बलों, रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों, राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) और अन्य संबद्ध निकायों ने एक हरित और स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए अपना महत्‍वपूर्ण सहयोग दिया।

कोयला मंत्रालय में सचिव श्री वी.एल. कांथा राव ने मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे पर्यावरणीय स्थिरता प्रयासों के हिस्से के रूप में मिलेनियम पार्क में एक पौधा रोपण अभियान का आयोजन किया। पिछले कुछ वर्षों में कोयला और लिग्नाइट क्षेत्र में सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा लगाए गए पौधे खनन क्षेत्रों में कार्बन के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

 इसके अतिरिक्त, सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से चलाए गए पौधा रोपण अभियान के अंतर्गत देश भर में शहरी और ग्रामीण स्थानों पर लगभग 7,000 पौधे लगाए गए हैं। अगस्त के मध्य में चलाए गए इस अभियान का उद्देश्य 17 सितंबर से 1 अक्टूबर, 2024 तक चलने वाले ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के दौरान पौधा रोपण के प्रयासों में तेज़ी लाना है।

केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने अपनी मां की याद में आंवले का पौधा लगाकर इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लिया। इस अभियान के महत्व का उल्लेख करते हुए श्री प्रतापराव ने कहा कि यह पहल अपनी मां और धरती माता दोनों के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने का एक अनोखा ढंग है।  

 कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने हैदराबाद के राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान में आयोजित किए गए एक वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान में भाग लिया। इसके अलावा, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने अपने विभिन्न कार्यालयों और अधीनस्थ निकायों को पौधा रोपण के इस व्यापक अभियान में शामिल किया।  

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ​​ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ और स्वच्छता ही सेवा 2024 अभियान के तहत नई दिल्ली के कोटा हाउस में पौधा रोपण अभियान में भाग लिया। मंत्रालय के अधिकारियों ने सरकार के पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ भारत के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप बड़े पैमाने पर सफाई अभियान भी चलाया।

 इस अभियान से प्रेरित होकर कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने श्री जयंत चौधरी के नेतृत्व में अपने संस्थानों में व्यापक पौधा रोपण गतिविधियों का आयोजन किया। प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों (पीएमकेके), राष्ट्रीय उद्यमिता और लघु व्यवसाय विकास संस्थान (एनआईईएसदीयूडी), औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई), राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (एनएसटीआई) और जन शिक्षण संस्थानों (जेएसएस) में 11,778 से अधिक पौधे लगाए गए। मंत्रालय के प्रयासों का उद्देश्य कौशल विकास के साथ पर्यावरण चेतना को एकीकृत करना, छात्रों, प्रशिक्षकों और स्थानीय आबादी के बीच समुदाय और स्थिरता की भावना को बढ़ावा देना था। पेयजल और स्वच्छता विभाग तथा आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के नेतृत्व में स्वच्छता ही सेवा 2024 अभियान ने सफाई और हरित आवरण वृद्धि पर जोर दिया। इस राष्ट्रव्यापी अभियान के हिस्से के रूप में पौधा रोपण से एक स्वच्छ और हरित भारत के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को बल मिला है। भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, सीमा सुरक्षा बल, गैर-सरकारी संगठन संकलपतरु और स्थानीय समुदायों आदि सभी एजेंसियों की भागीदारी ने इस अभियान की पहुंच और प्रभाव को बढ़ावा दिया।

तकनीकी प्रोत्साहन: ‘एक पेड़ माँ के नाम’ ऐप

इस पहल को बढ़ावा देने के लिए, केंद्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ ऐप की शुरुआत की। यह ऐप उपयोगकर्ताओं को अपनी माताओं के सम्मान में एक पेड़ लगाने और समर्पित करने संबंधी फोटो अपलोड करने, स्थान टैगिंग और कार्बन क्रेडिट ट्रैकिंग जैसी सुविधाएँ प्रदान करता है। इस ऐप के माध्यम से उपयोगकर्ता अपनी मां के लिए लगाए पेड़ को बढ़ता हुआ देखने के साथ पर्यावरण संरक्षण से जुड़े रह सकते हैं।

ऐप का उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफ़ेस पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने में सक्षम है। इस ऐप के माध्यम से उपयोगकर्ता पेड़ लगाकर, उसकी फोटो सोशल मीडिया पर साझा करके अन्य लोगों को भी इस सार्थक प्रयास से जुड़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

हरित भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण

‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान भारत की स्थायी और पर्यावरण के प्रति जागरूक भविष्य के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पर्यावरण संरक्षण के आह्वान और माताओं के प्रति सम्मान की भावना के साथ यह पहल नागरिकों को एक हरित ग्रह बनाने में अपना योगदान देने का अवसर प्रदान करती है।

इस अभियान की सफलता पूरे देश में लोगों को अपनी माताओं के सम्मान में एक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करने की भावना में निहित है। यह अभियान न सिर्फ प्रकृति और मातृत्व की पोषण शक्ति के सम्मान का प्रतीक है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और टिकाऊ विश्व का आश्वासन भी है।

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प्रधानमंत्री मोदी ने मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अधिग्रहित, मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया है।

इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर 850 करोड़ रुपये निवेश किए गए हैं। यह परियोजना विशेष रूप से चरम घटनाओं के लिए अधिक विश्वसनीय और सटीक मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के लिए भारत की कम्प्यूटेशनल क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण छलांग है। यह दो प्रमुख स्थलों पर स्थित है – पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और नोएडा में राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ)।  

आईआईटीएम सिस्टम 11.77 पेटा फ्लॉप्स और 33 पेटाबाइट स्टोरेज की प्रभावशाली क्षमता से लैस है, जबकि एनसीएमआरडब्ल्यूएफ सुविधा में 8.24 पेटा फ्लॉप्स और 24 पेटाबाइट स्टोरेज की सुविधा है। इसके अतिरिक्त, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग अनुप्रयोगों के लिए 1.9 पेटा फ्लॉप्स की क्षमता वाला एक समर्पित स्टैंडअलोन सिस्टम है।

इसके साथ, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की कुल कंप्यूटिंग शक्ति 22 पेटा फ्लॉप्स तक बढ़ जाएगी, जो 6.8 पेटा फ्लॉप्स की पिछली क्षमता से पर्याप्त वृद्धि है।

परंपरा के अनुसार, इन अत्याधुनिक प्रणालियों का नाम सूर्य से जुड़ी खगोलीय इकाइयों के नाम पर रखा गया है। पिछली प्रणालियों का नाम आदित्य, भास्कर, प्रत्युष और मिहिर रखा गया था। नई एचपीसी प्रणालियों को ‘अर्क’ और ‘अरुणिका’ नाम दिया गया है, जो सूर्य से उनके संबंध को दर्शाता है – सूर्य, पृथ्वी के लिए प्राथमिक ऊर्जा स्रोत है।

उन्नत कम्प्यूटेशनल ढांचा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाते हुए परिष्कृत मॉडलों के विकास को सक्षम करेगा, जिससे विभिन्न हितधारकों को प्रदान की जाने वाली अंतिम-मील सेवाओं में उल्लेखनीय सुधार होगा।

एचपीसी सिस्टम द्वारा प्रदान की गई उन्नत कम्प्यूटेशनल क्षमताएं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को मौजूदा डेटा समाकलन क्षमताओं को और बेहतर बनाने तथा उच्च क्षैतिज रिज़ॉल्यूशन पर अपने वैश्विक मौसम पूर्वानुमान मॉडल की भौतिकी और गतिशीलता को परिष्कृत करने में सक्षम बनाएंगी। इसके अलावा, क्षेत्रीय मॉडल चुनिंदा भारतीय डोमेन पर 1 किमी या उससे कम के बेहतर रिज़ॉल्यूशन प्राप्त करेंगे। ये उच्च-रिज़ॉल्यूशन मॉडल उष्णकटिबंधीय चक्रवातों, भारी वर्षा, गरज, ओलावृष्टि, गर्मी की लहरों, सूखे और अन्य चरम मौसम की घटनाओं से संबंधित भविष्यवाणियों की सटीकता और लीड टाइम को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगे।

इन उन्नत एचपीसी प्रणालियों का लाभ उठाते हुए, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का लक्ष्य मौसम पूर्वानुमानों की सटीकता और विश्वसनीयता में उल्लेखनीय सुधार करना है, ताकि जलवायु परिवर्तनशीलता और चरम मौसम की घटनाओं से उत्पन्न चुनौतियों के लिए बेहतर तैयारी और प्रतिक्रिया सुनिश्चित हो सके।

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विकसित भारत बनाने के लक्ष्य के साथ मोदी 3.0 सरकार के पहले 100 दिनों में 15,000 से अधिक युवाओं की नियुक्तियां

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने देश में रोजगार सृजन और युवा सशक्तिकरण को हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। प्रधानमंत्री ने हमेशा कहा है कि हमारा जनसंख्या का लाभांश हमारे देश की सबसे बड़ी ताकतों में से एक है और यह सुनिश्चित करना भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है कि राष्ट्र निर्माण में युवाओं की क्षमता का पूरा उपयोग किया जाए ताकि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।

वर्तमान सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन कई प्रमुख पहलों और निर्णयों से चिह्नित हैं, जिन्होंने लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है और विकसित भारत @2047 के लिए एक मजबूत नींव रखी है। नागरिक-केंद्रित निर्णय गरीबों और मध्यम वर्ग, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और युवाओं के जीवन को बेहतर बनाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरित हैं।

100 दिनों में 15,000 से अधिक युवाओं को केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों द्वारा सरकारी नौकरियों के लिए नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। विभिन्न रैंकों, पदों और समूहों के साथ नई नियुक्तियों में निम्नलिखित शामिल हैं:

गृह मंत्रालय – दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर, कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल, सब इंस्पेक्टर, बढ़ई, स्टोर, ड्राइवर, कांस्टेबल (एग्जीक्यूटिव) आदि।

कोयला मंत्रालय – सर्वेक्षक (खनन), वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा विशेषज्ञ, कार्यकारी प्रशिक्षु, डम्पर ऑपरेटर आदि।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय – डॉक्टर, नर्सिंग अधिकारी, प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर, चिकित्सा विशेषज्ञ, फार्मासिस्ट, एमटीएस, लोअर डिवीजन क्लर्क, रेडियोग्राफर और लाइब्रेरी क्लर्क, प्रयोगशाला परिचारक।

उच्च शिक्षा विभाग – सहायक प्रोफेसर, रजिस्ट्रार, मल्टी-टास्किंग स्टाफ, निजी सचिव, परीक्षा नियंत्रक, तकनीकी अधिकारी, खेल अधिकारी, कार्यकारी अभियंता, परामर्शदाता, विधि अधिकारी।

राजस्व विभाग – निरीक्षक, परीक्षक, प्रिवेंटिव ऑफिसर, कर सहायक, मल्टी-टास्किंग स्टाफ आदि।

विद्युत मंत्रालय – इंजीनियर (प्रशिक्षु), प्रबंधक, उप प्रबंधक आदि।

रक्षा मंत्रालय (सिविलियन) – वैज्ञानिक, मल्टी-टास्किंग स्टाफ (एमटीएस), ट्रेड्समैन, सिविलियन मोटर ड्राइवर, क्लर्क आदि।

नव नियुक्त कर्मचारियों को आईजीओटी कर्मयोगी पोर्टल पर एक ई-लर्निंग मॉड्यूल ‘कर्मयोगी प्रारम्भ’ के माध्यम से खुद को प्रशिक्षित करने का अवसर भी मिलेगा, जहां सीखने के लिए “कहीं भी किसी भी डिवाइस पर” 1200 से अधिक उच्च गुणवत्ता वाले ई-लर्निंग पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए गए हैं। नागरिक-केंद्रित शासन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सितंबर 2020 में लॉन्च किए गए पोर्टल मिशन कर्मयोगी पर अब तक 43 लाख से अधिक कर्मयोगी जुड़ चुके हैं।

नव नियुक्त विभिन्न भूमिकाओं में अपनी सेवाएं देकर राष्ट्र की सेवा करने में सक्षम होंगे और वे भारत@2047 के साक्षी बनेंगे तथा उनसे राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद की जाएगी। वे अन्य बातों के अलावा, देश के औद्योगिक, आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के कार्य में शामिल होंगे और इस तरह अपने नवीन विचारों, नवीन प्रौद्योगिकी और शासन में सार्वजनिक भागीदारी के साथ एक नए भारत का निर्माण करेंगे। परिवर्तन की गति वैश्विक स्तर पर देश के उत्थान को आकार दे रही है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी) के उपचार संबंधी संशोधित परिचालन और प्रशिक्षण दिशानिर्देश जारी किए

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज यहां गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी) के उपचार संबंधी संशोधित परिचालन दिशानिर्देश और प्रशिक्षण मॉड्यूल जारी किए। ये दस्तावेज जानकारी, प्रमाण आधारित विधियों से एनएएफएलडी रोगियों की देखभाल और नतीजों को बेहतर बनाने के लिए तैयार किए गए हैं।

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केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री अपूर्व चंद्रा ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “भारत ने एनएएफएलडी को एक प्रमुख गैर संचारी रोग (एनसीडी) के रूप में मान्यता देने में अग्रणी भूमिका निभाई है।” उन्होंने कहा कि यह देश की आबादी में बहुत तेजी से एक प्रमुख स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभर रहा है, जो चयापचय (मेटाबोलिक) विकारों जैसे मोटापे, मधुमेह और दिल की बीमारियों से निकटता से जुड़ा है। इस रोग की गंभीरता का पता इस बात से चलता है कि प्रत्येक 10 में से एक से तीन लोगों को एनएएफएलडी हो सकता है।

श्री चंद्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि संशोधित परिचालन दिशा-निर्देश और प्रशिक्षण मॉड्यूल जारी करना इस रोग पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रोग से निपटने  के महत्व को दर्शाता है।” उन्होंने कहा कि ये दस्तावेज सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से लेकर चिकित्सा अधिकारियों तक सभी स्तरों पर एक रूपरेखा प्रदान करेंगे। उन्होंने उन लोगों की निरंतर देखभाल पर भी जोर दिया, जिनमें इस रोग का पता चला था और इसके प्रसार को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव लाने की बात भी कही।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की विशेष कार्य अधिकारी श्रीमती पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने इस मौके पर कहा, “इन दिशा-निर्देशों को जमीनी स्तर कार्य कर रहे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तक पहुंचाने की आवश्यकता है ताकि बीमारी का जल्द पता लगाकर इसके बोझ को कम किया जा सके।” उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण मॉड्यूल को जारी किया जाना देश में एनसीडी के बढ़ते बोझ से निपटने के लिए चिकित्सकों की क्षमता निर्माण के देश के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण अतिरिक्त कड़ी है।

इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (आईएलबीएस) के निदेशक डॉ. एस.के. सरीन ने कहा कि दोनों दस्तावेजों का जारी किया जाना लिवर संबंधी बीमारियों की रोकथाम में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसके परिणाम अगले कुछ वर्षों में दिखाई देंगे। उन्होंने लीवर को स्वस्थ बनाए रखने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी कई गैर-संचारी बीमारियां (एनसीडी) लीवर के स्वास्थ्य से जुड़ी हैं।

देश में 66 प्रतिशत से ज़्यादा मौतें गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के कारण होती हैं। इन रोगों का तम्बाकू सेवन (धूम्रपान और धूम्रपान रहित), शराब पीना, खराब आहार संबंधी आदतें, अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि और वायु प्रदूषण के साथ गहरा संबंध है।

एनएएफएलडी भारत में लिवर रोग का एक महत्वपूर्ण कारण बनकर उभर रहा है। यह एक छिपी महामारी हो सकती है, जिसका सामुदायिक प्रसार 9 प्रतिशत से 32 प्रतिशत तक हो सकता है और आयु, लिंग, रहन-सहन संबंधी स्थितियां तथा सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि 10 में से 1 से 3 व्यक्ति फैटी लिवर या इससे संबंधित बीमारी से पीड़ित होंगे।

भारत में वैश्विक स्तर पर एनसीडी रोगियों की संख्या सबसे ज़्यादा है और मेटाबॉलिक बीमारियों का एक मुख्य कारण लिवर की कार्य प्रणाली से जुड़ा है। इस पर आने वाले खर्च के बढ़ते बोझ और इससे निपटने की आवश्यकता को देखते हुए, भारत 2021 में एनसीडी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम में एनएएफएलडी को शामिल करने वाला पहला देश बन गया है।

एनएएफएलडी के क्षेत्र में हाल ही में प्रमाण-आधारित समाधानों को देखते हुए, देश में एनएएफएलडी के नियंत्रण और इसकी रोकथाम में चिकित्सा पेशेवरों की मदद करने और उनका बेहतर तरीके से प्रबंधन करने के लिए अद्यतन दिशानिर्देशों की सख्त आवश्यकता महसूस की जा रही थी।

ये दिशानिर्देश बेहतर स्वास्थ्य स्थितियों और इस रोग की शुरू में ही पहचान पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो एनएएफएलडी मरीजों की समय पर उचित देखभाल को सुनिश्चित करने की दिशा में अहम हैं। ये दिशानिर्देश बहु-विषयक दृष्टिकोण पर जोर देते हैं, जो एनएएफएलडी से प्रभावित व्यक्ति को पूर्ण उपचार प्रदान करने, बेहतर देखभाल करने संबंधी विभिन्न मुद्दों पर स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के प्रयासों को एकीकृत करता है।

एनएएफएलडी के प्रभावी प्रबंधन के लिए न केवल रोग की स्थिति की अच्छी समझ जरूरी है बल्कि स्वास्थ्य सेवा के सभी स्तरों पर साक्ष्य-आधारित कार्यक्रमों को लागू करने की क्षमता भी होनी चाहिए। एनएएफएलडी के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल परिचालन दिशानिर्देशों को पूरक के रूप में विकसित किया गया है और विशेष रूप से प्राथमिक स्तर पर एनएएफएलडी की पहचान, प्रबंधन, रोकथाम के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल के साथ स्वास्थ्य पेशेवरों की क्षमता निर्माण में मदद करता है। मॉड्यूल में महामारी विज्ञान, जोखिम कारक, स्क्रीनिंग, नैदानिक ​​प्रोटोकॉल और मानकीकृत उपचार दिशानिर्देशों सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। यह स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने के लिए प्रारंभिक पहचान, रोगी शिक्षा, जीवन शैली में बदलाव और एकीकृत देखभाल नीतियों पर भी जोर देता है।

इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय के अपर सचिव और वित्तीय सलाहकार श्री जयदीप कुमार मिश्रा, अपर सचिव श्रीमती एल एस चांगसन, संयुक्त सचिव श्रीमती लता गणपति और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि, विकास साझेदार और विश्व स्वास्थ्य संगठन, आईएलबीएस, एम्स, सीएमसी वेल्लोर, जेआईपीएमईआर, एसजीपीजीआईएमएस, पीजीआईएमईआर और आरएमएल अस्पताल के विशेषज्ञ भी वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए।

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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने बेंगलुरु में “उत्तरी पूर्व व्यापार और निवेश रोड शो” का नेतृत्व किया, उत्तरी पूर्वी भारत में निवेश के लिए निवेशकों को आमंत्रित किया

उत्तरी पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमडीओएनईआर) ने आज बेंगलुरु में उत्तरी पूर्व व्यापार और निवेश रोड शो का सफलतापूर्वक आयोजन किया। कार्यक्रम का प्रारंभ एक सकारात्मक स्वर से हुआ,इसने अहम ध्यान आकर्षित किया और बड़ी संख्या में भागीदारों ने इसमें रुचि दिखाई। केंद्रीय संचार एवं उत्तरी पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम.सिंधिया ने मंत्रालय और आठ उत्तरी पूर्वी राज्यों के अधिकारियों के साथ कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। 

 

केंद्रीय मंत्री श्री ज्योदिरादित्य एम. सिंधिया ने उत्तरी पूर्व क्षेत्र की विशाल संभावनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि क्षेत्र की विकसित भारत में एक बड़े भविष्य की भूमिका है। उन्होंने ध्यान आकर्षित किया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरगामी नेतृत्व के अंतर्गत उत्तरी पूर्वी क्षेत्र, केंद्र सरकार के केंद्रीय बिंदु में है। इसके परिणामस्वरुप क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए कई पहल जैसे एक्ट ईस्ट नीति और उन्नति आदि प्रारंभ की गई है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने रेल, सड़क,वायु, जलमार्ग और दूरसंचार क्षेत्र में संपर्कता बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए है। उन्होंने बताया कि बीते दस सालो में क्षेत्र में निवेश में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई है। क्षेत्र में कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, आईटी एवं आईटीईएस, शिक्षा, पर्यटन तथा आतिथ्य,ऊर्जा, मनोरंजन और खेल क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं है। उत्तर पूर्व अतुलनीय खेल प्रतिभाओं का घर है । इसमें विशेष तौर पर मुक्केबाजी, निशानेबाजी और फुटबाल सम्मिलित हैं। इसके साथ ही क्षेत्र के एथलीटो ने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। केंद्र सरकार क्षेत्र की इस संभावना का लाभ उठाने के लिए क्षेत्रीय खेल लीग को प्रोत्साहन देने का लक्ष्य बना रही है। पर्यटन क्षेत्र में उत्तरी पूर्व क्षेत्र का हर एक राज्य एक आभूषण के समान है। उत्तरी पूर्वी क्षेत्रीय विकास मंत्रालय, क्षेत्र में विश्व स्तरीय बुनियादी ढ़ांचा विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बेंगलुरू के भारत के सिलिकॉन वैली होने का संदर्भ देते हुए इसे उत्तरी पूर्वी क्षेत्र में आईटीऔर आईटीईएस क्षेत्र जैसे आईटी केंद्र, उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के सर्वश्रेष्ठ केंद्र और डाटा एनेलेटेटिक्स आदि में अवसरों का पता लगाने और इसे दोहराने के लिए कहा। उत्तरी पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के सचिव श्री चंचल कुमार ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की एक्ट ईस्ट नीति के तहत सभी आठ राज्यों में अनूठे अवसर हैं। बीते दस सालो में उत्तरी पूर्वी क्षेत्र में संपर्कता में कई गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्र में निवेश संबंधी इकोसिस्टम कार्यरत है जो निवेशकों को सुविधा प्रदान करेगा। इसके साथ ही मंत्रालय तथा उत्तरी पूर्वी क्षेत्र की राज्य सरकार क्षेत्र में निवेश को आवश्यक समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव मोनालीसा दाश ने अपने संबोधन में उत्तरी पूर्वी क्षेत्र के लाभ और निवेश तथा व्यापार में अवसरो पर जोर देते हुए कहा कि क्षेत्र में अभी विकास की अनेक संभावनाएं है। बीते दशक में सरकार ने विभिन्न योजनाओं तथा पहलों के द्वारा कई रूकी हुई परियोजनाओं को पूरा किया है, जिसका लाभ स्थानीय समुदायों और लाखों लोगो को मिला है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य लाभ, पर्यटन, आईटी और आईटीईएस, ऊर्जा खेल आदि में अवसरों के संबंध में विशेष रूप से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मंत्रालय निवेश अवसरों को सुविधा तथा क्षेत्रीय निवेश अवसरो को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तरी पूर्व क्षेत्र अपने विकास के लिए आशावान है और रणनीतिक निवेश के साथ विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका में आ सकता है। इसका लाभ स्थानीय जनसंख्या और भारत को सम्रग रूप से मिलेगा।

 

उत्तरीपूर्वी राज्य के सरकारी अधिकारियों ने फिक्की (औद्योगिक भागीदार) और इन्वेस्ट इंडिया (निवेश सुविधा भागीदार) के प्रतिनिधियों के साथ विभिन्न केंद्रित क्षेत्रो में अवसरों पर अहम जानकारी साझा की। प्रत्येक राज्य ने अपने क्षेत्र मे निवेश से संबंधित विस्तृत जानकारी भी प्रस्तुत की। कार्यक्रम में कई व्यवसायों से सक्रिय भागीदारी देखी गई जो क्षेत्र में निवेश परिदृश्य में बड़ी रूचि प्रदर्शित करता है।

उत्तरी पूर्वी क्षेत्र को रणनीतिक रूप से अहम स्थान का लाभ मिला है और इसकी आसियान अर्थव्यवस्था तक सुविधाजनक पहुंच है, जिसके कारण व्यापार करने के लिए आकर्षक अवसर मिलते हैं। क्षेत्र में त्वरित गति से बुनियादी ढ़ांचे का विकास जारी है, जिसके अंतर्गत नए प्रौद्योगिकी केंद्र और औद्योगिक पार्क स्थापित किए गए है जिससे क्षेत्र में व्यापार की संभावनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है।

शिखर सम्मेलन के भाग के रूप में विभिन्न राज्यों असम, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय, सिक्किम और नागालैंड के साथ सफल राउंड टेबल कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। मुंबई, हैदराबाद और कोलकाता में पूर्व में आयोजित रोड शो में उत्साहवर्धक भागीदारी देखी गई थी, जबकि वाईब्रैंट गुजरात के दौरान राज्य सम्मेलनों में प्रभावी निवेशकों की रूचि को प्रभावित किया।

बैंगलुरू रोड शो ने निवेशको में अहम रूचि जाग्रत की है। एक परिवर्तनकारी कार्यक्रम के रूप में पूर्वानुमानित बैंगलुरू रोड शो के दौरान कई बी2जी का सफलतापूर्वक आयोजन हुआ जिसमें उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे असम, अरूणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मिज़ोरम, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम और नागालैंड में निवेशकों द्वारा रूचि प्रदर्शित की गई।

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बिजनौर कौशल महोत्सव में 4400 अभ्यर्थियों को नौकरी के ऑफर लेटर मिले; जयंत चौधरी ने सफलता प्राप्त करने वाले युवाओं को सम्मानित किया

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के राज्य मंत्री श्री जयंत चौधरी के नेतृत्व में बिजनौर में बिजनौर कौशल महोत्सव आज सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस महोत्सव ने कौशल विकास के माध्यम से स्थानीय युवाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है।

एक महीने तक चलने वाले जॉब रेडीनेस प्रोग्राम के दौरान बिजनौर जिले के 13,500 से ज़्यादा युवाओं ने स्किल इंडिया डिजिटल हब (एसआईडीएच) पर पंजीकरण कराया। इनमें से 3500 अभ्यर्थियों का चयन किया गया और 5 दिनों की कड़ी ट्रेनिंग व करियर काउंसलिंग के बाद उन्हें नौकरी की पेशकश की गई। आज, कौशल महोत्सव में 6000 युवाओं ने भाग लिया और लगभग 900 लोगों को मौके पर ही नौकरी के ऑफर दिए गए।

आउटरीच प्रयासों ने उत्तर प्रदेश और आस-पास के क्षेत्रों के नियोक्ताओं को सफलतापूर्वक जोड़ा, जिससे स्थानीय नौकरी चाहने वालों के लिए विविध अवसर सुनिश्चित हुए। लगभग 4,800 अभ्यर्थियों ने चार हफ़्तों तक प्रशिक्षण लिया और इसकी विभिन्न शैक्षिक पृष्ठभूमि वाले अभ्यर्थियों में  काफी मांग देखी गई।

इस मेगा भर्ती अभियान में बिजनौर और आस-पास के इलाकों के युवाओं की भर्ती के लिए उद्योग जगत के प्रमुख नाम शामिल हुए। पर्यटन और आतिथ्य, लॉजिस्टिक्स, खाद्य प्रसंस्करण, आईटी-आईटीईएस, ऑटोमोटिव, बीएफएसआई और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विस्तृत उद्योगों से लेकर बर्गर किंग, ज़ेप्टो, क्वेस कॉर्प, फ़्लिपकार्ट, जुबिलेंट फ़ूड्स, बार्बेक्यू नेशन, विजन इंडिया व युवा शक्ति फ़ाउंडेशन जैसी कंपनियां आज आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुईं।

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के तत्वाधान में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम  (एनएसडीसी) ने बिजनौर के युवाओं के बीच नौकरी के प्रति तत्परता बढ़ाने के लिए इस वर्ष की शुरुआत में ‘कौशल महोत्सव: जॉब रेडीनेस प्रोग्राम’  शुरू किया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य योग्य अभ्यर्थियों को तैयार करने वाले जिले के शैक्षणिक संस्थान का लाभ उठाते हुए बिजनौर को कुशल कार्यबल विकास के एक मुख्य केंद्र के रूप में स्थापित करना है।

अपने संबोधन में, श्री जयंत चौधरीमाननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) और राज्य मंत्रीशिक्षा मंत्रालयभारत सरकार ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में कौशल विकास की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और कहा, “हमारी सरकार बिजनौर के प्रत्येक युवा को प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था में सफलता के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। कौशल महोत्सव जैसी पहल न केवल रोजगार के अवसर पैदा करती है बल्कि नए उद्योगों को भी आपके घरों तक लाती है। मुझे विश्वास है कि बिजनौर के युवा एक बार फिर अपनी उल्लेखनीय प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे और आने वाले हर अवसर का लाभ उठाएंगे। सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली योजनाओं और सुविधाओं का पूरा लाभ उठाना उनके लिए बहुत जरूरी है। अपनी असीम क्षमता और प्रसिद्ध कार्य नीति के साथबिजनौर के युवा एक समृद्ध भविष्य को आकार देने के लिए तैयार हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “प्रत्येक युवा छात्र के लिए हमारे प्रयास जारी रहेंगे और पहल का समर्थन करने के लिए, हमने देश भर के युवाओं को भारतीय उद्योग जगत की सर्वश्रेष्ठ कंपनियों से जोड़ने के लिए स्किल इंडिया डिजिटल हब (एसआईडीएच) की शुरुआत की है। इस तरह की पहल से बिजनौर के युवाओं के लिए उद्योग के व्यापक क्षेत्र में दरवाजे खुलेंगे। हमारी सरकार ने उनके लिए विशेष योजनाएं बनाई हैं और यह महत्वपूर्ण है कि वे इनका पूरी तरह से लाभ उठाएं। अपनी असीम क्षमता और प्रसिद्ध कार्य नीति के साथ, बिजनौर के युवा एक समृद्ध भविष्य को आकार देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।”

उनका सम्बोधन रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

अपने संबोधन मेंउत्तर प्रदेश सरकार के कौशल विकास और व्यावसायिक शिक्षा मंत्री श्री कपिल देव अग्रवाल ने कहा, “स्किल इंडिया मिशन के तहत सरकार बिजनौर जैसे उभरते आर्थिक केंद्रों के युवाओं को आज के प्रतिस्पर्धी माहौल में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। मैं बिजनौर और आस-पास के क्षेत्रों के सभी युवाओं को केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों और पहलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता हूं, जो माननीय प्रधानमंत्री के भारत के युवाओं को कुशल बनाने के विज़न के अनुरूप है।”

इस कार्यक्रम में बिजनौर के माननीय सांसद श्री चंदन चौहान, एमएसडीई के संयुक्त सचिव श्री शैल मालगे, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के सलाहकार प्रभात कुमार, एनएसडीसी के मुख्य कार्यक्रम अधिकारी (सीपीओ) कर्नल महेंद्र सिंह पायल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

कौशल महोत्सव में एक व्यापक पांच दिवसीय, 40 घंटे का गहन रोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल था, जिसमें असेंबली लाइन ऑपरेटर एवं कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव जैसी विभिन्न भूमिकाओं के लिए आवश्यक सॉफ्ट स्किल्स और डोमेन-विशिष्ट कौशल संबंधी प्रशिक्षण शामिल था। इस भर्ती अभियान में इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोटिव, लॉजिस्टिक्स, बैंकिंग, आईटी और पर्यटन सहित विभिन्न क्षेत्रों से 30 से अधिक कंपनियों ने भाग लिया, जिसमें वेतन ₹10,000 से ₹35,000 तक था।

यह पहल न केवल बिजनौर के युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, बल्कि इसका उद्देश्य कुशल व्यक्तियों को संभावित नियोक्ताओं से जोड़कर स्थानीय आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना भी है। कौशल महोत्सव सरकार के निकायों और उद्योग जगत के दिग्गजों के सामूहिक प्रयासों का प्रमाण है, जो भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक कुशल कार्यबल तैयार करने में लगे हैं।

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) की प्रमुख पहल के रूप में, कौशल महोत्सव युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह ‘कुशल भारत’ के विजन को हासिल करने के लिए तेजी और उच्च मानकों के प्रति प्रतिबद्धता के साथ काम करता है।

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के बारे में

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) देश में कौशल संबंधी इकोसिस्टम का प्रमुख आधार है। यह कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एनएसडीई) के तहत काम करने वाला एक अनूठा सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) उद्यम है। एनएसडीसी की स्थापना निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए कौशल संबंधी इकोसिस्टम को उत्प्रेरित करने और कुशल व्यावसायिक प्रशिक्षण पहलों का निर्माण करने, भारत के युवाओं को सशक्त बनाने के लिए स्किल इंडिया मिशन हेतु रणनीतिक कार्यान्वयन एवं ज्ञान भागीदार बनने के लिए की गई थी। एनएसडीसी उन उद्यमों, स्टार्ट-अप्स, कंपनियों और संगठनों को सहायता प्रदान करता है जो भविष्य के कौशल में संभावित कार्यबल को दुनिया भर के अवसर प्रदान करके प्रभाव डाल रहे हैं। संगठन पात्र संस्थाओं को वित्तीय सहायता, अभ्यर्थियों को रियायती ऋण और अन्य अभिनव वित्तीय उत्पादों के साथ-साथ रणनीतिक साझेदारी का निर्माण करके कौशल में निजी क्षेत्र की पहलों को बढ़ाने, समर्थन करने और समन्वित करने के लिए उपयुक्त मॉडल विकसित करता है।

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