भारतीय और अमेरिकी सेना द्वारा संयुक्त मेज़बानी में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम, आईपीएसीसी, आईपीएएमएस और एसईएलएफ-2023 का आज नई दिल्ली में समापन हुआ। इस कार्यक्रम में 30 देशों की भागीदारी देखी गई। 18 देशों का प्रतिनिधित्व उनकी सेनाओं के प्रमुखों ने किया और 12 देशों का प्रतिनिधित्व प्रतिनिधिमंडल के प्रमुखों द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम ने प्रतिनिधियों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ‘शांति और स्थिरता’ को बढ़ावा देने के मुख्य उद्देश्य के साथ-साथ सुरक्षा और आपसी हित के अन्य समसामयिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान किया।
यह आयोजन 25 सितंबर 2023 को अमेरिकी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ (सीओएस) जनरल रैंडी जॉर्ज द्वारा भारतीय सेना के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) जनरल मनोज पांडे से मुलाकात के साथ शुरू हुआ। दोनों प्रमुखों ने आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा की साथ ही समसामयिक मुद्दों पर विचार भी साझा किए।
26 सितंबर 2023 को, सभी प्रमुखों और प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों ने हमारे शहीद नायकों को श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्रीय समर स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद भारतीय सेना के सीओएएस और अमेरिकी सेना के सीओएस ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता की। भारतीय सेना के सीओएएस ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह क्षेत्र न केवल संस्कृतियों, इतिहास, संसाधनों और अवसरों का केंद्र है, बल्कि जटिलताओं और चुनौतियों का रंगमंच भी है। अमेरिकी सेना के सीओएस ने लैंड पावर की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, यह न केवल क्षेत्र की साझा सुरक्षा में योगदान देता है बल्कि संकटों से निपटने में भी निर्णायक शक्ति है।
संयुक्त प्रेस वार्ता के बाद माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। समारोह के दौरान, आईपीएसीसी और आईपीएएमएस के झंडे फहराए गए और इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के राष्ट्रीय गान गाए गए। भारतीय सेना के सीओएएस और अमेरिकी सेना के सीओएस ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया।
माननीय रक्षा मंत्री ने उद्घाटन भाषण दिया जिसमें उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र की जटिलताओं और अप्रयुक्त क्षमता की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यह क्षेत्र समृद्ध, सुरक्षित और समावेशी भविष्य के लिए ठोस प्रयासों की मांग करता है। उन्होंने यह भी कहा कि, ‘भारत स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक के समर्थन में खड़ा है।‘ उन्होंने दोहराया, “मित्र देशों के साथ मजबूत सैन्य साझेदारी बनाने के हमारे प्रयास राष्ट्रीय हितों की रक्षा और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं।“ माननीय रक्षा मंत्री ने एक स्मारक जर्नल भी जारी किया।
13वें आईपीएसीसी के तहत, “शांति के लिए एक साथ : हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बरकरार रखना” विषय पर एक प्रमुख गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया था। गोलमेज सम्मेलन का संचालन लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला (सेवानिवृत्त) ने किया। अमेरिकी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जेवियर टी. ब्रूनसन ने “सहयोग और अंतरसंचालनीयता बढ़ाना” विषय पर व्याख्यान दिया। सिंगापुर से आए मेजर जनरल टैन चेंग क्वे ने “संकट को कम करने में सैन्य कूटनीति की भूमिका” के बारे में बात की। लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा (सेवानिवृत्त) ने “आधुनिक सेनाओं के लिए आत्मनिर्भरता की अनिवार्यता” विषय पर बात की। सभी प्रमुखों ने इस विषय को दोहराया और क्षेत्र के सभी देशों की भावनाओं को प्रतिबिंबित किया। प्रमुखों और प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों ने नियमों पर आधारित विश्व व्यवस्था का पालन करने वाले एक खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की आवश्यकता पर स्वतंत्र और स्पष्ट चर्चा की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इंडो-पैसिफिक में कई स्तरों पर विविधता है और सभी इस क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए सहयोगात्मक प्रयास की दिशा में काम करने पर सहमत हैं।
भारतीय सेना के सीओएएस ने भाग लेने वाले देशों की सेनाओं के प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं। उन्होंने जनरल मोरीशिता यासुनोरी (जापान), लेफ्टिनेंट जनरल साइमन स्टुअर्ट (ऑस्ट्रेलिया), लेफ्टिनेंट जनरल म्गुयेन दोआन अन्ह (वियतनाम), लेफ्टिनेंट जनरल पीटर म्बोगो नजीरू (केन्या), प्रसिद्घ प्रबल जनसेवाश्री जनरल प्रभु राम शर्मा (नेपाल) जनरल शेख मोहम्मद शफीउद्दीन अहमद (बांग्लादेश), मेजर जनरल जॉन बोसवेल (न्यूजीलैंड), जनरल सर पैट्रिक सैंडर्स (यूके), लेफ्टिनेंट जनरल माओ सोफान (कंबोडिया), जनरल जंग ह्वान पार्क, कोरिया गणराज्य, जनरल पियरे शिल (फ्रांस) और जनरल दातुक मुहम्मद हाफ़िज़ुद्दीन बिन जंतन (मलेशिया) के साथ व्यापक चर्चा की। सेना के उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार ने ब्राजील, सिंगापुर, मंगोलिया और थाईलैंड के प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं।
47वी आईपीएएमएस में तीन विषयों पर सत्र आयोजित किये गये। पहला विषय था “हिंद-प्रशांत में सतत शांति और सुरक्षा के लिए साझेदारी”। दूसरा विषय था “अंतरसंचालनीयता बढ़ाने के लिए सहयोग” और अंतिम विषय था “मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) – संकट प्रतिक्रिया के लिए तंत्र का विकास”। मंगोलिया, नेपाल, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस, टोंगा, अमेरिका और भारत के वरिष्ठ अधिकारियों ने इन विषयों पर बात की और सभी प्रतिभागियों के साथ अपने विचार साझा किए। चर्चा का संचालन लेफ्टिनेंट जनरल पीएस राजेश्वर (सेवानिवृत्त), लेफ्टिनेंट जनरल सुनील श्रीवास्तव (सेवानिवृत्त) और लेफ्टिनेंट जनरल अरुण कुमार साहनी (सेवानिवृत्त) ने किया। चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि सामूहिक प्रतिक्रियाओं को मजबूत करने के लिए देशों को मिलकर काम करने की जरूरत है। यह सहयोगात्मक प्रयास रातोरात नहीं बनाया गया है और इसलिए आईपीएएमएस ने भविष्य के लिए जुड़ाव, विश्वास और प्रतिबद्धता बनाने के लिए मंच प्रदान किया है।
9वीं एसईएलएफ को तीन सत्रों में “इंडो-पैसिफिक सेनाओं के बीच अंतरसंचालनीयता”, “आधुनिक युद्धक्षेत्र के लिए जूनियर नेतृत्व करताओं को तैयार करना” और “बियोंड द बैरक्स – ऐड्रेसिंग सीनियर एनलिस्टेड लीडर्स कंसर्नस” विषयों पर आयोजित किया गया था। यह एक अनूठा मंच था जहां कार्यात्मक स्तर पर कनिष्ठ नेताओं ने अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।
“बियोंड द बैरक्स: सैन्य समुदाय को बढ़ावा देने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में भूमिकाएं और चुनौतियां” विषय पर सैन्य कर्मियों के जीवनसाथी के लिए एक विशेष पूर्ण सत्र भी आयोजित किया गया था। सत्र की शुरुआत आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (एडब्ल्यूडब्ल्यूए) की अध्यक्ष श्रीमती अर्चना पांडे और अमेरिकी सेना के सीओएस की पत्नी श्रीमती पैटी जॉर्ज के उद्घाटन भाषण से हुई। दोनों ने राष्ट्रीय समर स्मारक का भी दौरा किया और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रतिभागियों को भारतीय सैन्य कर्मियों के जीवनसाथियों की उद्यमशीलता की सफलता पर प्रकाश डालते हुए एक एडब्ल्यूडब्ल्यूए प्रदर्शनी भी दिखाई गई। इसके बाद ‘आह्वान’ का दौरा किया गया, जिसमें महिला सशक्तीकरण की दिशा में एडब्ल्यूडब्ल्यूए द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला गया।
कार्यक्रम के दौरान आत्मनिर्भर भारत के उपकरण प्रदर्शन ने स्वदेशी रूप से विश्व स्तरीय सैन्य उपकरण बनाने की भारतीय उद्योग की क्षमता का प्रदर्शन किया। प्रदर्शनी में 31 कॉरपोरेट्स ने भाग लिया जिससे प्रतिभागियों के बीच काफी रुचि पैदा हुई। मुख्य आकर्षण ड्रोन, काउंटर-ड्रोन सिस्टम, मॉड्यूलर फायरिंग रेंज, छोटे हथियार, एनएवीआईसी आधारित उपकरण, निगरानी प्रणाली, सुरक्षात्मक गियर, स्व-चालित तोपखाने बंदूकें, सैन्य वाहन आदि थे।
सभी प्रतिभागियों के लिए गांधी स्मृति का दौरा भी आयोजित किया गया। इसके अलावा, भारत की समृद्ध संस्कृति को समर्पित एक शाम का भी आयोजन किया गया। इसमें भारतीय सेना के सिम्फनी बैंड और ‘भारत के रंग’ थीम के तहत भारत की जीवंत परंपराओं और कला को प्रदर्शित करने वाले नृत्य रूपों का प्रदर्शन शामिल था।
27 सितंबर 2023 को मानेकशॉ सेंटर, दिल्ली कैंट में समापन समारोह के साथ एक सर्वव्यापी कार्यक्रम का समापन हुआ। माननीय रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट ने समापन भाषण दिया और सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। सम्मेलन ध्वजारोहण समारोह के साथ संपन्न हुआ। भारतीय सेना द्वारा आईपीएसीसी और आईपीएएमएस के झंडे अमेरिकी सेना को सौंपे गए।
सैन्य प्रमुखों, प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों, वरिष्ठ अधिकारियों, जूनियर लीडर्स और उनके जीवनसाथियों के बीच गहन चर्चा और जुड़ाव ने सेनाओं के बीच संबंध बनाने में मदद की। मंच ने सभी प्रतिभागियों को विशिष्ट वक्ताओं को सुनने और व्यापक विषयों पर आधारित चर्चाओं में भाग लेने का अवसर प्रदान किया। इस कार्यक्रम ने सैन्य सहयोग के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करने, सामूहिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों और समुदायों की सराहना करने, एचएडीआर प्रतिक्रिया के लिए समन्वित दृष्टिकोण, सैन्य आदान-प्रदान प्रयासों को बढ़ाने, रक्षा कूटनीति की प्रगति, हिंद-प्रशांत देशों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को संयुक्त रूप से संबोधित करने के लिए खुली और निरंतर बातचीत के महत्व को मजबूत करना जैसे परिणाम प्राप्त किए। सभी भाग लेने वाले देशों ने निमंत्रण के लिए दोनो मेजबानों और गर्मजोशी से किए गए आतिथ्य के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद दिया।