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भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर मानसून के दौरान प्रभावी प्रबंधन के लिए सक्रिय कदम उठाए

मानसून के मौसम के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों पर जल भाराव या बाढ़ जैसी स्थिति की समस्या से निपटने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने विभिन्न उपाय किए हैं और देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर आपातकालीन राहत प्रदान की है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) पहाड़ी और मैदानी दोनों क्षेत्रों में प्रभावी समाधान प्रदान करने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाते हुए बाढ़/भूस्खलन प्रभावित स्थानों पर मशीनरी और जनशक्ति को शीघ्रता से पहुंचाने के लिए अन्य निष्पादन एजेंसियों, स्थानीय अधिकारियों और प्रशासन के साथ निकट समन्वय में काम कर रहा है। इसके अलावा, प्रभावी आपदा राहत तैयारियों के लिए संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) समय पर तैनाती के लिए प्रमुख मशीनरी की उपलब्धता की मैपिंग कर रहा है।

राष्ट्रीय राजमार्गों पर जल भाराव या बाढ़ जैसी स्थिति से बचने के लिए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) राज्य सिंचाई विभाग के साथ संयुक्त निरीक्षण कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी चालू चैनल/धारा का प्रवाह नवनिर्मित राजमार्ग से बाधित न हो। हाल ही में दिल्ली-काटरा एक्सप्रेसवे और अन्य परियोजनाओं पर सिंचाई विभाग के परामर्श से विशेष अभियान चलाया गया।

इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर, जहां भी जल भाराव की संभावना है, वहां पर्याप्त पंपिंग की व्यवस्था की जाएगी। राष्ट्रीय राजमार्ग उपयोगकर्ताओं तक किसी भी बाधा के बारे में जानकारी प्रसारित करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ लेते हुए उन्नत यातायात प्रबंधन प्रणाली (एटीएमएस) के साथ-साथ राजमार्ग यात्रा ऐप का उपयोग किया जाएगा।

पहाड़ी क्षेत्रों में, जिला प्रशासन के साथ निकट समन्वय में प्रत्येक भूस्खलन संभावित स्थल पर पर्याप्त जनशक्ति और मशीनरी से सुसज्जित समर्पित आपातकालीन राहत दल तैनात किया गया है। इससे चौबीसों घंटे और सातों दिन संपर्क को सक्षम बनाने और यातायात की सुरक्षित और सुचारू आवाजाही प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग से गंदगी को तुरंत हटाने में सहायता मिलेगी। सुरक्षित यातायात संचालन की सुविधा के लिए प्रत्येक भूस्खलन संभावित क्षेत्र में अस्थायी अवरोध और चेतावनी संकेत स्थापित किए गए हैं।

निवारक उपायों के कार्यान्वयन के लिए, संवेदनशील स्थानों की पहचान की जाती है जिनके गंभीर रूप से प्रभावित होने की संभावना है जैसे बाढ़/भूस्खलन/चट्टान गिरने की संभावना वाले क्षेत्र, धंसने वाले क्षेत्र आदि। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारी विभिन्न संरचनाओं जोड/ पुलों के खम्भे आदि का भी निरीक्षण कर रहे हैं जिनका बाढ़ का इतिहास रहा है ताकि तटबंधों पर क्षति की पहचान की जा सके। सड़क उपयोगकर्ताओं को सावधान करने के लिए संवेदनशील स्थानों पर चेतावनी संकेत लगाए जाएंगे। 

जिन स्थानों पर भारी भूस्खलन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात के लिए अवरुद्ध हो सकता है, वहां जिला प्रशासन के साथ एक वैकल्पिक मार्ग परिवर्तन योजना तैयार की गई है। इसके अलावा, कुछ कमजोर ढलानों और सुरंगों पर वास्तविक समय की निगरानी सहित भू-तकनीकी उपकरण को प्रयोग के रूप में लागू किया गया है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने पूरे भारत में मानसून की प्रगति के साथ बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने की तैयारी सुनिश्चित करने और आपातकालीन राहत को सक्षम करने के लिए कई सक्रिय कदम उठाए हैं। ये उपाय मानसून के मौसम के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग उपयोगकर्ताओं को निर्बाध यात्रा की सुविधा प्रदान करने में काफी सहायता करेंगे।

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शिक्षा मंत्रालय समस्‍त कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों और छात्रावासों में आईसीटी लैब एवं स्मार्ट कक्षाएं उपलब्ध कराएगा  

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने समस्‍त कार्यात्‍मक कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) और छात्रावासों में ‘समग्र शिक्षा’ मानदंडों के अनुसार आईसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) लैब एवं स्मार्ट क्लासरूम उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है, ताकि बालिकाओं को सशक्त बनाया जा सके, उन्हें डिजिटल रूप से दक्ष बनाया जा सके, और उनके ज्ञान एवं कौशल को बढ़ाया जा सके। इससे डिजिटल ज्ञान में मौजूदा खाई को पाटना भी संभव हो जाएगा। लगभग 290 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस पहल से केजीबीवी की 7 लाख बालिकाएं लाभान्वित होंगी।

केजीबीवी दरअसल वंचित समूहों जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवनयापन करने वाली बालिकाओं के लिए कक्षा VI से लेकर कक्षा XII तक के आवासीय विद्यालय हैं। केजीबीवी शैक्षणिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में खोले जाते हैं, जिसका उद्देश्य इन बालिकाओं तक पहुंच एवं गुणवत्तापूर्ण या बेहतरीन शिक्षा सुनिश्चित करना है और इसके साथ ही स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर बालकों एवं बालिकाओं के ज्ञान में अंतर को कम करना है। वर्तमान में देश के 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 5116 केजीबीवी कार्यरत हैं।

केजीबीवी में बालिकाओं को आईसीटी लैब और स्मार्ट क्लासरूम उपलब्ध कराना अत्‍यंत आवश्‍यक है क्योंकि केजीबीवी की बालिकाएं वंचित पृष्ठभूमि से आती हैं और उन्‍हें शिक्षा की प्राप्ति में विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है जिनमें घर से स्‍कूलों का काफी दूर होना, सांस्कृतिक मानदंड और सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी शामिल हैं। डिजिटल साक्षरता सुलभ कराना उनके व्यक्तिगत और प्रोफेशनल या व्यावसायिक विकास के लिए अत्‍यंत आवश्‍यक है। इससे डिजिटल ज्ञान में मौजूदा खाई को पाटने में भी काफी मदद मिलेगी।

तेजी से विकास और हमारे जीवन एवं आजीविका के साथ आईसीटी के एकीकरण के मौजूदा युग में यह अत्‍यंत आवश्‍यक है कि जीवन के सभी क्षेत्रों से वास्‍ता रखने वाले बालकों- बालिकाओं को खुद को आधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस करने का अवसर मिले। आईसीटी को स्कूली पाठ्यक्रम में एकीकृत किया गया है ताकि विद्यार्थियों, विशेषकर वंचित समूहों के विद्यार्थियों को पर्याप्त अनुभवात्मक जानकारियां मिल सकें।

आईसीटी सुविधाएं उपलब्‍ध कराने से यह सुनिश्चित होगा कि केजीबीवी की बालिकाओं को स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के विभिन्‍न डिजिटल प्लेटफॉर्मों/संसाधनों जैसे कि ‘स्वयं’, ‘स्वयं प्रभा’, राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी, ई-पाठशाला, राष्ट्रीय मुक्त शैक्षणिक संसाधन भंडार, दीक्षा, इत्‍यादि तक बेहतर पहुंच सुलभ होगी। इससे इन बालिकाओं का ज्ञान एवं कौशल बढ़ेगा।   

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स्मार्ट सिटी मिशन मार्च 2025 तक बढ़ाया गया

स्मार्ट सिटी मिशन भारत के शहरी विकास में एक नया प्रयोग है। जून 2015 में अपनी शुरुआत के बाद से, मिशन ने कई नवीन विचारों को अमल में लाने का प्रयास किया है, जैसे कि 100 स्मार्ट शहरों के चयन के लिए शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा, हितधारकों द्वारा संचालित परियोजना चयन, कार्यान्वयन के लिए स्मार्ट सिटी स्पेशल पर्पज व्हीकल्स का गठन, शहरी शासन में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी और डिजिटल समाधानों का असरदार तरीके से इस्‍तेमाल, प्रमुख शैक्षणिक और व्यावसायिक संस्थानों द्वारा तीसरे पक्ष के प्रभाव का मूल्यांकन आदि।

100 शहरों में से प्रत्येक ने परियोजनाओं का एक विविध सेट विकसित किया है, जिनमें से कई बहुत ही अनोखी हैं और पहली बार लागू की जा रही हैं, जिससे शहरों की क्षमता और अनुभव में सुधार हुआ है और शहर के स्तर पर बड़े परिवर्तनकारी लक्ष्य हासिल हुए हैं। 100 शहरों द्वारा लगभग ₹ 1.6 लाख करोड़ की लागत से 8,000 से अधिक बहु-क्षेत्रीय परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं।

03 जुलाई 2024 तक, 100 शहरों ने मिशन के हिस्से के रूप में ₹ 1,44,237 करोड़ की राशि की 7,188 परियोजनाएं (कुल प्रोजेक्ट का 90 प्रतिशत) पूरी कर ली हैं। ₹ 19,926 करोड़ की राशि की शेष 830 परियोजनाएं भी पूरा होने के अंतिम चरण में हैं। वित्तीय प्रगति के मामले में, मिशन के पास 100 शहरों के लिए ₹ 48,000 करोड़ का भारत सरकार का आवंटित बजट है। आज तक, भारत सरकार ने 100 शहरों को ₹ 46,585 करोड़ (भारत सरकार के आवंटित बजट का 97 प्रतिशत) जारी किए हैं। शहरों को जारी किए गए इन फंडों में से, अब तक 93 प्रतिशत का उपयोग किया जा चुका है। मिशन ने 100 में से 74 शहरों को मिशन के तहत भारत सरकार की पूरी वित्तीय सहायता भी जारी कर दी है।

मिशन को कुछ राज्यों/शहरों की सरकार के प्रतिनिधियों से कई अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं, ताकि शेष 10 प्रतिशत परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कुछ और समय दिया जा सके। शेष चल रही ये परियोजनाएं कार्यान्वयन के अंतिम चरण में हैं और विभिन्न स्थितियों के कारण विलंबित हो गई हैं। यह लोगों के हित में है कि ये परियोजनाएं पूरी हों और उनके शहरी क्षेत्रों में जीवन को आसान बनाने में योगदान दें। इन अनुरोधों का संज्ञान लेते हुए, भारत सरकार ने इन शेष 10 प्रतिशत परियोजनाओं को पूरा करने के लिए मिशन की अवधि 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी है। शहरों को सूचित किया गया है कि यह विस्तार मिशन के तहत पहले से स्वीकृत वित्तीय आवंटन से परे किसी भी अतिरिक्त लागत के बिना होगा। सभी चल रही परियोजनाओं के अब 31 मार्च 2025 से पहले पूरा होने की उम्मीद है।

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भारतीय खाद्य निगम ने रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2024-25 के दौरान 266 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं खरीदा

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने चालू रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2024-25 के दौरान 266 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं की सफलतापूर्वक खरीद की है, जो पिछले साल के 262 एलएमटी के आंकड़े को पार कर गया है और देश में खाद्यान्न को सुनिश्चित किया है। आरएमएस 2024-25 के दौरान गेहूं की खरीद के लिए 22 लाख से अधिक भारतीय किसान लाभान्वित हुए हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत गेहूं की खरीद पर लगभग 0.61 लाख करोड़ रुपये सीधे इन किसानों के बैंक खातों में जमा किए गए हैं।

आरएमएस के तहत गेहूं की खरीद आम तौर पर हर साल 1 अप्रैल को शुरू होती है। हालांकि, किसानों की सुविधा के लिए, इस साल अधिकांश खरीद करने वाले राज्यों में इसे लगभग एक पखवाड़े पहले कर दिया गया था। यह उपलब्धि किसानों के हितों की रक्षा और सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

विभिन्न गेहूं खरीद करने वाले राज्यों से एकत्र किए गए अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, आरएमएस 2024-25 के दौरान कुल गेहूं खरीद 266 एलएमटी है, जो आरएमएस 2023-24 के 262 एलएमटी के आंकड़े और आरएमएस 2022-2023 के दौरान दर्ज 188 एलएमटी से अधिक है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्यों ने अपनी गेहूं खरीद की मात्रा में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। उत्तर प्रदेश ने पिछले साल 2.20 एलएमटी की तुलना में 9.31 एलएमटी की खरीद दर्ज की है, जबकि राजस्थान ने पिछले सीजन के 4.38 एलएमटी से 12.06 एलएमटी हासिल किया है।

पर्याप्त मात्रा में गेहूं की खरीद ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में खाद्यान्न का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित करने में मदद की है। यह पूरी खरीद प्रक्रिया पीएमजीकेएवाई सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत लगभग 184 एलएमटी गेहूं की वार्षिक आवश्यकता को पूरा करने में महत्वपूर्ण रही है।

भारत सरकार ने आरएमएस 2024-25 के लिए गेहूं के लिए 2275 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित किया। एमएसपी एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है, यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को उचित मूल्य मिले। इसके अलावा, अगर किसानों को बेहतर कीमत मिलती है, तो वे खुले बाजार में अपना अनाज बेचने के लिए स्वतंत्र हैं, जिससे प्रतिस्पर्धी बाजार का माहौल बनता है। एमएसपी का आश्वासन और खुले बाजार में बेचे जाने के उतार-चढ़ाव से सामूहिक रूप से किसानों के लिए बेहतर आय सुरक्षा हुई है।

गेहूं के अलावा, खरीफ विपणन सीजन 2023-24 के दौरान इन किसानों के बैंक खातों में एमएसपी पर धान की खरीद के लिए 1.74 लाख करोड़ रुपये भेजे गए। ये किसान ज्यादातर देश भर में फैले सीमांत किसान हैं। धान की वर्तमान खरीद ने केंद्रीय पूल चावल के स्टॉक को 490 एलएमटी से अधिक कर दिया है, जिसमें मिलिंग के बाद प्राप्त होने वाला 160 एलएमटी चावल भी शामिल है। चावल की वार्षिक आवश्यकता लगभग 400 एलएमटी है, जबकि 1 जुलाई के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित बफर मानदंड 135 एलएमटी है। चावल के वर्तमान स्टॉक स्तर के साथ, देश न केवल अपने बफर स्टॉक मानदंडों को बल्कि अपनी पूरी वार्षिक आवश्यकता को भी पार कर गया है। इसके अलावा अगले खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2024-25 के तहत खरीद भी अक्टूबर 2024 में शुरू होने की संभावना है।

इस सीजन में गेहूं और धान की पर्याप्त खरीद सरकार, एफसीआई, राज्य एजेंसियों, किसानों और अन्य हितधारकों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है, जिनमें कमीशन एजेंट, हैंडलिंग और परिवहन ठेकेदार और सड़क परिवहन ठेकेदार शामिल हैं। यह उपलब्धि एफसीआई की खरीद और भंडारण संबंधी सुविधाओं की मजबूती पर भी जोर देती है, जो देश में खाद्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। एफसीआई पूरे भारत में खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करने, कृषक समुदाय का समर्थन करने और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के अपने मिशन के प्रति प्रतिबद्ध है।

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नीट परीक्षा विवाद… आखिर क्यों?

UGC-NET परीक्षा की नई तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बताया है कि UGC-NET की परीक्षा 21 अगस्त से 4 सितंबर के बीच में होने वाली है, इसके साथ-साथ ज्वाइंट CSIR-UCG NET की परीक्षा जुलाई 25 से 27 जुलाई के बीच में होने वाली है। इसी कड़ी में NCET परीक्षा 10 जुलाई को करवाई जाएगी। बड़ी बात यह है कि इन परीक्षाओं को इस बार ऑनलाइन करवाया जा रहा है क्योंकि पिछली बार  UGC-NET की परीक्षा ऑफलाइन करवाई गई थी।

हर साल लाखों छात्र मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए Neet की परीक्षा देते हैं। Neet परीक्षा विवाद के बाद लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। 5 मई को देशभर से करीब 23 लाख स्टूडेंट्स ने यह परीक्षा दी थी, लेकिन पेपरों की बिक्री से लेकर अंकों के अवैध वितरण की ग्रेस पद्धति और परिणामों की घोषणा तक हर स्तर पर घोटाला हुआ।
नीट परीक्षा मानसिक योग्यता का परिक्षण होता है।
एक परीक्षा 23 लाख छात्र और बहुत से सवाल। 50 हजार रूपए की पुस्तकें, लाखों रुपए कोचिंग फीस के बाद 12-12 घंटे तक बच्चों की पढ़ाई और उसके बाद हजारों प्रश्नों में से 180 प्रश्न पूछे जाते हैं जिनके उत्तर छात्रों को देने होते हैं। फिर मेरिट लिस्ट बनने के बाद छात्रों को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है।
इन घोटालों के चलते इस साल नीट परीक्षा में टॉपर्स की संख्या 67 तक पहुंच गई जबकि पिछले साल टॉपर्स की यही संख्या सिर्फ दो थी। गुजरात के गोधरा में जय जलाराम स्कूल में नीट परीक्षा केंद्र पाने के लिए 10 लाख रुपए की बोली लगाई गई, क्योंकि वड़ोदरा में एक कोचिंग क्लासेज के संचालक ने नीट पेपर को लीक करने और अधिकतम अंक लाने की जिम्मेदारी ली थी।
पैसे फेंककर उपलब्ध कराई गई नीट में सफलता की गारंटी वाला गुजरात का शॉर्टकट एजेंटों के माध्यम से देश के कई छात्रों तक पहुंच गया। इसलिए बिहार, झारखंड, ओडिशा, कर्नाटक आदि राज्यों के छात्रों ने अपने घर के पास परीक्षा केंद्र का विकल्प छोड़कर हजारों किलोमीटर दूर गुजरात के गोधरा के परीक्षा केंद्र को चुना। इसके लिए इन छात्रों के अभिभावकों ने एजेंटों को लाखों रुपए की रिश्वत दी। अभिभावकों से 12 करोड़ रुपए ऐंठने के बाद छात्रों को सफलता का रास्ता बताया गया। विद्यार्थियों को आश्वस्त किया गया कि जिन प्रश्नों के उत्तर आपको नहीं आते, उस स्थान को खाली छोड़ दें, परीक्षा के बाद हम उत्तर पुस्तिका में आपके द्वारा छोड़े गए प्रश्नों के सही उत्तर भर देंगे और यह धांधली उन शासकों की नाक के नीचे हुआ जो सुशासन और पारदर्शिता जैसी बड़ी बड़ी बातें करते हैं।
नीट पेपर लीक में सीबीआई ने झारखंड से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल अपराध मे शामिल पाये गये।
इस विवाद में आम जनता ने भी ख़ुद को शामिल कर लिया है जिसका इस परीक्षा से कुछ लेना देना नहीं है। हरदयाल पब्लिक स्कूल के पास एक दुकानदार ने बताया कि मेडिकल परीक्षा हुई थी और वहां लोग कह रहे थे कि पेपर लीक हो गया है, क्योंकि बहुत सारे बच्चों ने टॉप कर लिया है।
इससे पहले शिक्षा मंत्रालय ने पेपर लीक के आरोपों के बाद यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द कर दिया था। यह परीक्षा 18 जून को हुई थी और अगले ही दिन इसे रद्द कर दिया गया था।
10 दिनों में 4 परीक्षाएं स्थगित कर दी गई। पेपर लीक, भ्रष्टाचार, अनियमितताएं और शिक्षा माफ़िया ने हमारी शिक्षा प्रणाली में घुसपैठ कर ली है। देर से की गई कार्रवाई से कोई फ़ायदा नहीं होने वाला है क्योंकि अनगिनत युवा इससे परेशान हो रहे हैं। फ़िलहाल ये साफ़ नहीं है कि इस परीक्षा के साथ आगे क्या होगा?
सबसे अहम सवाल कि इतनी चुस्त सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद पेपर लीक कैसे हुआ और जब व्यवस्था के ही लोग लिप्त पाये जा रहे हैं तो न्याय की किसी भी तरह की उम्मीद करना बेकार है? बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और उनकी मेहनत कैरियर और खुद उनके साथ-साथ माता-पिता की अपेक्षाओं के साथ खिलवाड़ करना है। इस तरह की धांधली के शिकार वो बच्चे ज्यादा होते हैं जो मेहनत करके परीक्षा देने आते हैं। दोबारा परीक्षा देना मतलब फिर से उतनी तैयारी करना जोकि समय की बर्बादी भी है हालांकि कुछ छात्र दोबारा परीक्षा की मांग कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात कि संसद में इस मुद्दे को उठाने नहीं दिया जा रहा है जबकि यह शिक्षा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और महत्वपूर्ण सवाल यह भी है केंद्र चुप्पी क्यों लगाए हुए हैं? परीक्षाओं में धांधली होना अब आम हो चला है। देश में पिछले 7 सालों में पेपर लीक की तकरीबन 70 घटनाएं सामने आई हैं। इस सबसे बच्चों का मनोबल गिरते जा रहा है। क्या जरूरी नहीं हो जाता है कि सरकार शिक्षा जैसे मुद्दों पर थोड़ा गंभीर हो जाए?

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वायु सेना प्रमुख ने हैदराबाद के बेगमपेट में हथियार प्रणाली स्‍कूल का उद्घाटन किया

 वायु सेना प्रमुख (सीएएस) एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने 01 जुलाई, 2024 को हैदराबाद के एयर फोर्स स्टेशन बेगमपेट में हथियार प्रणाली स्कूल (डब्ल्यूएसएस) का उद्घाटन किया। इसके साथ ही भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के इतिहास में एक नया अध्याय का शुभारंभ हुआ है। वर्ष 2022 में भारतीय वायुसेना में अधिकारियों की एक नई इकाई हथियार प्रणाली स्‍कूल (डब्ल्यूएसएस) को स्‍वीकृति देने के बाद इसकी शुरूआत हुई। भारतीय वायु सेना को भविष्योन्मुख बल के रूप में पुन: व्यवस्थित करने और समयानुसार परिवर्तित करने के उद्देश्य से, इस नए प्रशिक्षण प्रतिष्ठान का गठन हुआ है। सामान्य रूप से सशस्त्र बलों और विशेष रूप से भारतीय वायु सेना के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

वायु सेना प्रमुख का स्वागत हथियार प्रणाली स्कूल के कमांडेंट एयर वाइस मार्शल प्रेमकुमार कृष्णस्वामी ने किया। उद्घाटन समारोह में एयर मार्शल नागेश कपूर, एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, प्रशिक्षण कमान और भारतीय वायुसेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे, जिनमें एयर फोर्स अकादमी के कमांडेंट, कॉलेज ऑफ एयर वारफेयर के कमांडेंट, एयर फोर्स स्टेशन (हकीमपेट) के एयर ऑफिस कमांडिंग, और एयर फोर्स स्टेशन बेगमपेट के स्टेशन कमांडर शामिल थे

हथियार प्रणाली शाखा (डब्ल्यूएसएस) प्रकृति के अनुकूल प्रभाव आधारित प्रशिक्षण प्रदान करेगा और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की आवश्यकताओं के अनुरूप नवगठित शाखा के अधिकारियों को तैयार करेगा। हथियार प्रणाली शाखा के फ्लाइट कैडेट इस संस्थान में अपने दूसरे सेमेस्टर का प्रशिक्षण लेंगे। नई शाखा में सुखोई-30 एमकेआई और सी-130जे, हवाई प्लेटफार्मों में हथियारों और प्रणालियों को संचालित करने के लिए फ्लाइंग स्ट्रीम; दूर से संचालित विमानों को संचालित करने के लिए रिमोट स्ट्रीम; सतह से हवा और सतह से सतह पर मार करने वाली हथियार प्रणालियों के लिए मिशन कमांडर, ऑपरेटर  और अंतरिक्ष-आधारित खुफिया और इमेजरी को संभालने के लिए इंटेलिजेंस स्ट्रीम चार धाराएँ शामिल होंगी।

वायु सेना प्रमुख (सीएएस) एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा कि हथियार प्रणाली स्‍कूल के निर्माण के साथ, जमीन आधारित और विशेषज्ञ हथियार प्रणालियों के संचालक एक मंच पर आ जाएंगे, जिससे भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। उन्होंने प्रशिक्षकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे इस एक नवगठित शाखा में अग्रणी है। इस कारण वे ऐसे स्तंभ हैं जिन पर परिकल्पित प्रशिक्षण व्यवस्था की पूरी जिम्‍मेदारी है। इससे वायु सेना सुदृढ़ होगी। स्कूल के संस्थापक सदस्यों की प्रशंसा करते हुए, वायु सेना प्रमुख ने सभी कर्मियों से देश में हथियार प्रणालियों के प्रशिक्षण के लिए स्कूल को एक नोडल केंद्र के रूप में स्थापित करने का आग्रह किया।

वायु सेना प्रमुख (सीएएस) ने 08 अक्टूबर, 2022  वायु सेना दिवस परेड समारोह के दौरान हथियार प्रणाली स्‍कूल के गठन की घोषणा की थी।

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पिछले वर्ष की तुलना में जून 24 में कोयला उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि

जून 2024 के दौरान भारत का कोयला उत्पादन 84.63 मीट्रिक टन (अनंतिम) तक पहुंच गया। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 14.49 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है, जो 73.92 मीट्रिक टन थी। जून 2024 के दौरान, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने 63.10 मीट्रिक टन (अनंतिम) कोयला उत्पादन हासिल किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.87 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है, जब यह 57.96 मीट्रिक टन था। इसके अतिरिक्त, जून 2024 में कैप्टिव/अन्य द्वारा कोयला उत्पादन 16.03 मीट्रिक टन (अनंतिम) रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 55.49 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है, जो तब 10.31 मीट्रिक टन था।

जून 2024 के दौरान भारत का कोयला डिस्पैच 85.76 मीट्रिक टन (अनंतिम) तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 10.15 प्रतिशत अधिक है, जब यह 77.86 मीट्रिक टन दर्ज किया गया था। जून 2024 के दौरान, सीआईएल ने 64.10 मीट्रिक टन (अनंतिम) कोयला डिस्पैच किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 60.81 मीट्रिक टन की तुलना में 5.41 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। इसके अतिरिक्त, जून में कैप्टिव/अन्य द्वारा कोयला डिस्पैच 16.26 मीट्रिक टन (अनंतिम) दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 43.84 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है, जो 11.30 मीट्रिक टन था।

इसके अतिरिक्त 30 जून, 2024 तक, कोयला कंपनियों के पास विद्यमान कोयले के स्टॉक में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो 95.02 मीट्रिक टन (अनंतिम) तक पहुंच गई। यह उछाल कोयला क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन और दक्षता को रेखांकित करते हुए 41.68 प्रतिशत की प्रभावशाली वार्षिक वृद्धि दर्शाती है। इस दौरान, थर्मल पावर प्लांट्स (टीपीपी) में कोयले का स्टॉक भी उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 46.70 मीट्रिक टन (अनंतिम) हो गया, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर 30.15 प्रतिशत रही।

प्रधानमंत्री के “आत्मनिर्भर भारत” के विजन के अनुरूप, कोयला मंत्रालय द्वारा ऊर्जा क्षेत्र में सतत विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में अपनी यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए अथक प्रयास और रणनीतिक पहल की जा रही है।

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रक्षा मंत्रालय ने तमिलनाडु रक्षा औद्योगिक गलियारे में मानव रहित हवाई प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स डोमेन में परीक्षण सुविधाएं स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

रक्षा मंत्रालय (एमओडी) ने तमिलनाडु रक्षा औद्योगिक गलियारे के तहत चेन्नई में तीन अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाएं स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जो मानव रहित हवाई प्रणाली (यूएएस), इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) और इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स (ईओ) डोमेन से संबंधित हैं। डिफेंस टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम (डीटीआईएस) के तहत समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान 2 जुलाई, 2024 को नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय और तमिलनाडु औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच किया गया। इस अवसर पर रक्षा सचिव श्री गिरिधर अरमाने भी उपस्थित रहे।

केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने मई 2020 में 400 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ डीटीआईएस का शुभारंभ किया था। इसका उद्देश्य निजी कंपनियों और केंद्र/ राज्य सरकार के सहयोग से अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाएं स्थापित करना, स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना, सैन्य उपकरणों के आयात को कम करना और आत्मनिर्भरता बढ़ाना है। रक्षा औद्योगिक गलियारों (डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर्स) के भीतर रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों को गति प्रदान करने के लिए सात परीक्षण सुविधाओं को मंजूरी दी गई। इसके तहत तमिलनाडु में चार और उत्तर प्रदेश में तीन परीक्षण सुविधाएं स्थापित की जानी हैं। तमिलनाडु में तीन सुविधाओं के लिए आज समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

डीटीआईएस 75 प्रतिशत तक सरकारी निधि ‘अनुदान सहायता’ के रूप में उपलब्ध कराता है, जबकि शेष 25 प्रतिशत निधि स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) द्वारा दी जाती है, जिसमें भारतीय निजी कंपनियां और राज्य/ केंद्र सरकारें शामिल हैं।

यूएएस परीक्षण सुविधा के लिए, केरल सरकार का उपक्रम केलट्रॉन प्रमुख एसपीवी सदस्य है, जबकि कुछ निजी क्षेत्र की कंपनियां कंसोर्टियम की सदस्य हैं। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (आईओएल) क्रमशः ईडब्ल्यू और ईओ परीक्षण सुविधाओं में प्रमुख एसपीवी सदस्य हैं।

परियोजना के पूरा होने पर, वे सरकारी और निजी उद्योग दोनों को उन्नत परीक्षण उपकरण और सेवाएं प्रदान करेंगे, जिससे रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा मिलेगा।

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राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए स्व-नामांकन की अंतिम तिथि 15 जुलाई, 2024 है

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए पात्र शिक्षकों से ऑनलाइन स्व-नामांकन 27 जून, 2024 से शिक्षा मंत्रालय के पोर्टल http://nationalawardstoteachers.education.gov.in पर आमंत्रित किए जा रहे हैं। ऑनलाइन नामांकन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 15 जुलाई, 2024 है। इस वर्ष, 50 शिक्षकों को तीन-चरणीय चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाएगा। यह चयन प्रक्रिया जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर होगी। यह पुरस्कार 5 सितंबर, 2024 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित होने वाले एक समारोह में भारत की राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय का विद्यालयी शिक्षा और साक्षरता विभाग हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर एक राष्ट्रीय स्तर का समारोह आयोजित करता है, जिसमें कठिन, पारदर्शी और ऑनलाइन चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार दिये जाते हैं। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का उद्देश्य देश के कुछ बेहतरीन शिक्षकों के अनूठे योगदान को जश्न के रूप में मनाना और उन शिक्षकों को सम्मानित करना है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और मेहनत से न सिर्फ विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है।

पात्रता की शर्तें:

राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन, स्थानीय निकायों और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र बोर्ड से संबद्ध निजी स्कूलों द्वारा संचालित मान्यता प्राप्त प्राथमिक/मध्य/उच्च/उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत विद्यालय शिक्षक और विद्यालय प्रमुख पुरस्कार के लिए पात्र हैं।

  • केंद्रीय विद्यालय (केवी), जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी), रक्षा मंत्रालय (एमओडी) द्वारा संचालित सैनिक स्कूल, परमाणु ऊर्जा शिक्षा सोसायटी (एईईएस) द्वारा संचालित विद्यालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा संचालित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस); और
  • केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और भारतीय विद्यालय प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (सीआईएससीई) से संबद्ध विद्यालय।

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हर्ष मल्होत्रा ​​ने दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे की प्रगति की समीक्षा के लिए साइट का दौरा किया

केन्‍द्रीय कॉरपोरेट कार्य; सड़क, परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ने 29.06.2024 को सांसद श्री मनोज तिवारी, करावल नगर विधायक श्री मोहन सिंह बिष्ट, गांधी नगर विधायक श्री अनिल वाजपेयी, निगम पार्षद  श्री  सत्यपाल सिंह, सुश्री नीता बिष्ट, श्री बृजेश सिंह, श्री संदीप कपूर, सुश्री नीमा भगत और दिल्ली नगर निगम के क्षेत्रीय पार्षदों और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे की प्रगति की समीक्षा के लिए साइट का दौरा किया। उन्होंने जलभराव की समस्या और इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर अन्य मुद्दों से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 709बी का भी निरीक्षण किया। साइट का दौरा एनएच-709बी के शमशान घाट (चेनेज किमी 5+100) के पास गीता कॉलोनी से शुरू हुआ और सोनिया विहार (चेनेज किमी 14+350) और सभापुर गांव (चेनेज किमी 15+300) तक जारी रहा। मंत्री ने दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि यह एक्सप्रेसवे पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर क्षेत्र में भीड़भाड़ कम करने में सहायक होगा और दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे पर भी भार कम करेगा। उन्होंने एक्सप्रेसवे को समय पर पूरा करने का निर्देश दिया ताकि इसे तय समय पर आम जनता के लिए खोला जा सके।

राष्ट्रीय राजमार्ग-9 पर जलभराव के संबंध में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों ने बताया कि एनएच के साथ एमसीडी/पीडब्ल्यूडी का एक समानांतर मास्टर ड्रेन है, जो कई वर्षों से अवरुद्ध है और उसमें पानी भरा हुआ है। इसके अलावा, राष्ट्रीय राजमार्ग का सतही नाला भी राजमार्ग के हिस्से के सतही पानी की निकासी के लिए समानांतर मास्टर ड्रेन से जुड़ा हुआ है। चूंकि एमसीडी/पीडब्ल्यूडी का समानांतर मास्टर ड्रेन अवरुद्ध है, इसलिए एनएच का सतही पानी मास्टर ड्रेन (जो पहले से ही अवरुद्ध है और सीमित क्षमता के कारण भरा हुआ है) में जाने के बजाय वापस एनएचएआई की सर्विस रोड पर भर जाता है। श्री मल्होत्रा ने एनएचएआई के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस मुद्दे को एमसीडी/पीडब्ल्यूडी के साथ उठाएं, ताकि वे आवश्यक कार्रवाई कर सकें। श्री मल्होत्रा ने मौके पर निवासियों द्वारा उठाए गए मुद्दों का संज्ञान लिया और एनएचएआई के अधिकारियों को विकास कार्यों की तीव्र प्रगति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि कार्यों से स्थानीय निवासियों को किसी प्रकार की समस्या न हो। उन्होंने शमशान घाट गीता कॉलोनी, दिल्ली के पास पहले से प्रस्तावित दो यू टर्न (एक एलिवेटेड फ्लाईओवर के पास और एक मौजूदा फ्लाईओवर के पास) के निकट हल्के वाहनों को दोनों तरफ आवश्यक पहुंच प्रदान करने के लिए दो अतिरिक्त यू टर्न प्रदान करने का निर्देश दिया। उन्होंने लोगों को यह भी आश्वासन दिया कि फ्लाईओवर के नीचे हरित पट्टी क्षेत्र विकसित किया जाएगा, जो पर्यावरण के लिए वरदान साबित होगा।

सोनिया विहार के निवासियों द्वारा टोल प्लाजा को स्थानांतरित करने के अनुरोध के जवाब में, श्री मल्होत्रा ने आश्वासन दिया कि टोल प्लाजा को उत्तर प्रदेश की ओर 300 मीटर स्थानांतरित किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सोनिया विहार, दिल्ली के स्थानीय निवासियों को कोई टोल टैक्स न देना पड़े। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि उत्तर प्रदेश की ओर से नाले का पुनः नहरीकरण किया जाएगा। सभापुर गांव में, श्री मल्होत्रा ने एनएचएआई के अधिकारियों को जलभराव की समस्या का शीघ्र समाधान करने और यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि आज से ही काम शुरू हो जाए। अधिकारियों को वहां पाइपलाइनों की समीक्षा करने और जल्द से जल्द समस्याओं का समाधान करने के निर्देश भी दिए गए। उन्होंने आश्वासन दिया कि सर्विस रोड का निर्माण किया जाएगा, ताकि स्थानीय निवासियों को आस-पास के गांवों में आने-जाने में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

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