UGC-NET परीक्षा की नई तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बताया है कि UGC-NET की परीक्षा 21 अगस्त से 4 सितंबर के बीच में होने वाली है, इसके साथ-साथ ज्वाइंट CSIR-UCG NET की परीक्षा जुलाई 25 से 27 जुलाई के बीच में होने वाली है। इसी कड़ी में NCET परीक्षा 10 जुलाई को करवाई जाएगी। बड़ी बात यह है कि इन परीक्षाओं को इस बार ऑनलाइन करवाया जा रहा है क्योंकि पिछली बार UGC-NET की परीक्षा ऑफलाइन करवाई गई थी।
हर साल लाखों छात्र मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए Neet की परीक्षा देते हैं। Neet परीक्षा विवाद के बाद लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। 5 मई को देशभर से करीब 23 लाख स्टूडेंट्स ने यह परीक्षा दी थी, लेकिन पेपरों की बिक्री से लेकर अंकों के अवैध वितरण की ग्रेस पद्धति और परिणामों की घोषणा तक हर स्तर पर घोटाला हुआ।
नीट परीक्षा मानसिक योग्यता का परिक्षण होता है।
एक परीक्षा 23 लाख छात्र और बहुत से सवाल। 50 हजार रूपए की पुस्तकें, लाखों रुपए कोचिंग फीस के बाद 12-12 घंटे तक बच्चों की पढ़ाई और उसके बाद हजारों प्रश्नों में से 180 प्रश्न पूछे जाते हैं जिनके उत्तर छात्रों को देने होते हैं। फिर मेरिट लिस्ट बनने के बाद छात्रों को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है।
इन घोटालों के चलते इस साल नीट परीक्षा में टॉपर्स की संख्या 67 तक पहुंच गई जबकि पिछले साल टॉपर्स की यही संख्या सिर्फ दो थी। गुजरात के गोधरा में जय जलाराम स्कूल में नीट परीक्षा केंद्र पाने के लिए 10 लाख रुपए की बोली लगाई गई, क्योंकि वड़ोदरा में एक कोचिंग क्लासेज के संचालक ने नीट पेपर को लीक करने और अधिकतम अंक लाने की जिम्मेदारी ली थी।
पैसे फेंककर उपलब्ध कराई गई नीट में सफलता की गारंटी वाला गुजरात का शॉर्टकट एजेंटों के माध्यम से देश के कई छात्रों तक पहुंच गया। इसलिए बिहार, झारखंड, ओडिशा, कर्नाटक आदि राज्यों के छात्रों ने अपने घर के पास परीक्षा केंद्र का विकल्प छोड़कर हजारों किलोमीटर दूर गुजरात के गोधरा के परीक्षा केंद्र को चुना। इसके लिए इन छात्रों के अभिभावकों ने एजेंटों को लाखों रुपए की रिश्वत दी। अभिभावकों से 12 करोड़ रुपए ऐंठने के बाद छात्रों को सफलता का रास्ता बताया गया। विद्यार्थियों को आश्वस्त किया गया कि जिन प्रश्नों के उत्तर आपको नहीं आते, उस स्थान को खाली छोड़ दें, परीक्षा के बाद हम उत्तर पुस्तिका में आपके द्वारा छोड़े गए प्रश्नों के सही उत्तर भर देंगे और यह धांधली उन शासकों की नाक के नीचे हुआ जो सुशासन और पारदर्शिता जैसी बड़ी बड़ी बातें करते हैं।
नीट पेपर लीक में सीबीआई ने झारखंड से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल अपराध मे शामिल पाये गये।
इस विवाद में आम जनता ने भी ख़ुद को शामिल कर लिया है जिसका इस परीक्षा से कुछ लेना देना नहीं है। हरदयाल पब्लिक स्कूल के पास एक दुकानदार ने बताया कि मेडिकल परीक्षा हुई थी और वहां लोग कह रहे थे कि पेपर लीक हो गया है, क्योंकि बहुत सारे बच्चों ने टॉप कर लिया है।
इससे पहले शिक्षा मंत्रालय ने पेपर लीक के आरोपों के बाद यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द कर दिया था। यह परीक्षा 18 जून को हुई थी और अगले ही दिन इसे रद्द कर दिया गया था।
10 दिनों में 4 परीक्षाएं स्थगित कर दी गई। पेपर लीक, भ्रष्टाचार, अनियमितताएं और शिक्षा माफ़िया ने हमारी शिक्षा प्रणाली में घुसपैठ कर ली है। देर से की गई कार्रवाई से कोई फ़ायदा नहीं होने वाला है क्योंकि अनगिनत युवा इससे परेशान हो रहे हैं। फ़िलहाल ये साफ़ नहीं है कि इस परीक्षा के साथ आगे क्या होगा?
सबसे अहम सवाल कि इतनी चुस्त सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद पेपर लीक कैसे हुआ और जब व्यवस्था के ही लोग लिप्त पाये जा रहे हैं तो न्याय की किसी भी तरह की उम्मीद करना बेकार है? बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और उनकी मेहनत कैरियर और खुद उनके साथ-साथ माता-पिता की अपेक्षाओं के साथ खिलवाड़ करना है। इस तरह की धांधली के शिकार वो बच्चे ज्यादा होते हैं जो मेहनत करके परीक्षा देने आते हैं। दोबारा परीक्षा देना मतलब फिर से उतनी तैयारी करना जोकि समय की बर्बादी भी है हालांकि कुछ छात्र दोबारा परीक्षा की मांग कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात कि संसद में इस मुद्दे को उठाने नहीं दिया जा रहा है जबकि यह शिक्षा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और महत्वपूर्ण सवाल यह भी है केंद्र चुप्पी क्यों लगाए हुए हैं? परीक्षाओं में धांधली होना अब आम हो चला है। देश में पिछले 7 सालों में पेपर लीक की तकरीबन 70 घटनाएं सामने आई हैं। इस सबसे बच्चों का मनोबल गिरते जा रहा है। क्या जरूरी नहीं हो जाता है कि सरकार शिक्षा जैसे मुद्दों पर थोड़ा गंभीर हो जाए?