केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने मई 2020 में 400 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ डीटीआईएस का शुभारंभ किया था। इसका उद्देश्य निजी कंपनियों और केंद्र/ राज्य सरकार के सहयोग से अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाएं स्थापित करना, स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना, सैन्य उपकरणों के आयात को कम करना और आत्मनिर्भरता बढ़ाना है। रक्षा औद्योगिक गलियारों (डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर्स) के भीतर रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों को गति प्रदान करने के लिए सात परीक्षण सुविधाओं को मंजूरी दी गई। इसके तहत तमिलनाडु में चार और उत्तर प्रदेश में तीन परीक्षण सुविधाएं स्थापित की जानी हैं। तमिलनाडु में तीन सुविधाओं के लिए आज समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
डीटीआईएस 75 प्रतिशत तक सरकारी निधि ‘अनुदान सहायता’ के रूप में उपलब्ध कराता है, जबकि शेष 25 प्रतिशत निधि स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) द्वारा दी जाती है, जिसमें भारतीय निजी कंपनियां और राज्य/ केंद्र सरकारें शामिल हैं।
यूएएस परीक्षण सुविधा के लिए, केरल सरकार का उपक्रम केलट्रॉन प्रमुख एसपीवी सदस्य है, जबकि कुछ निजी क्षेत्र की कंपनियां कंसोर्टियम की सदस्य हैं। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (आईओएल) क्रमशः ईडब्ल्यू और ईओ परीक्षण सुविधाओं में प्रमुख एसपीवी सदस्य हैं।
परियोजना के पूरा होने पर, वे सरकारी और निजी उद्योग दोनों को उन्नत परीक्षण उपकरण और सेवाएं प्रदान करेंगे, जिससे रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा मिलेगा।