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भारतीय पैरालंपिक दल द्वारा अब तक के सर्वाधिक पदक जीतने का रिकॉर्ड कायम करने पर प्रधानमंत्री ने अपार गर्व और प्रसन्नता व्यक्त की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय पैरालंपिक दल द्वारा हमारे देश के लिए पैरालंपिक में अब तक के सर्वाधिक पदक जीतने का रिकॉर्ड कायम करने पर अपार गर्व और प्रसन्नता व्यक्त की है। श्री मोदी ने खिलाड़ियों के समर्पण और जुनून की प्रशंसा की तथा प्रत्येक खिलाड़ी को उसकी विशिष्ट उपलब्धियों के लिए बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने एक्स पोस्ट में कहा है ;

“भारत गौरवान्वित और प्रफुल्लित है!

हमारे असाधारण पैरालंपिक दल ने पैरालंपिक में हमारे देश के लिए अब तक के सर्वाधिक पदक जीतने का रिकॉर्ड कायम किया है। यह हमारे खिलाड़ियों के समर्पण, जुनून और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। प्रत्येक खिलाड़ी को बधाई।

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नई पेंशन योजना कितनी कारगर?

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यूनिफाइड पेंशन योजना लागू की जिसके तहत इस योजना का लाभ सरकारी कर्मचारियों को दिया जाएगा साथ ही यह भी कहा गया कि 2004 के बाद रिटायर्ड   सरकारी कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलेगा। यह योजना एनडीए गवर्नमेंट की नई योजना है जिसे नेशनल पेंशन स्कीम एनपीएस के समांतर जारी किया गया है और यह योजना 1अप्रैल 2025 से लागू होगी। गौरतलब है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए एनपीएस और यूपीएस में से एक को चुनने का विकल्प रखा गया है। वहीं देश के कई राज्यों में पुरानी पेंशन योजना ओपीएस अभी भी लागू है। अब ऐसे में लोगों को ओपीएस, एनपीएस और यूपीएस में अंतर करना मुश्किल हो रहा है, लोगों को यह समझ नहीं आ रहा कि कौन सी योजना उनके लिए लाभदायक है और उनके लिये अनुकूल होगी।

यूपीएस पेंशन योजना के तहत केंद्रीय कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन दिया जाएगा जो आखरी 12 महीने की औसत मूल वेतन का 50% होगा। कर्मचारियों को यह पेंशन पाने के लिए कम से कम 25 साल तक नौकरी करनी होगी। वहीं अगर किसी कर्मचारी की सेवा में रहते हुए मृत्यु होने की स्थिति में परिवार (पत्नी) को 60 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा। इसके अलावा 10 साल तक की न्यूनतम सेवा की स्थिति में कर्मचारी को कम से कम 10 हज़ार रुपये प्रति माह पेंशन के रूप में दिए जाएंगे। इसके अलावा कर्मचारी और फ़ैमिली पेंशन को महंगाई के साथ जोड़ा जाएगा। इसका लाभ सभी तरह की पेंशन में मिलेगा। वहीं ग्रैच्युटी के अलावा नौकरी छोड़ने पर एकमुश्त रकम दी जाएगी। इसकी गणना कर्मचारियों के हर छह महीने की सेवा पर मूल वेतन और महंगाई भत्ते के दसवें हिस्से के रूप में होगी।
सरकार का दावा है कि इससे 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को फायदा होगा। पहले कर्मचारी पेंशन के लिए 10 प्रतिशत का अंशदान करते थे और केंद्र सरकार भी इतना ही अंशदान करती थी, लेकिन 2019 में सरकार ने सरकारी योगदान को 14 प्रतिशत कर दिया था, जिसे बढ़ाकर अब 18.5 प्रतिशत कर दिया जाएगा। नयी एकीकृत पेंशन योजना 1अप्रैल 2025 से लागू होगी, तब तक इसके लिए संबंधित नियमों को बनाने के काम किया जाएगा और कर्मचारियों के पास एनपीएस यानी नेशनल पेंशन स्कीम या यूपीएस में रहने का विकल्प होगा।
एनपीएस के तहत दो अकाउंट होते हैं टायर 1 टायर 2 जिसे कोई भी खोल सकता है और निवेश कर सकता है। यूपीएस एक निश्चित पेंशन स्कीम है साथ ही फैमिली पेंशन भी मिलेगा। मिनिमम निश्चित पेंशन का भी प्रावधान है जबकि एनपीएस में ऐसा नहीं है। यूपीएस सुरक्षित पेंशन योजना है जबकि एनपीएस एक मार्केट लिंक योजना है लेकिन देश में सरकारी कर्मचारी काफी समय से पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे हैं। पिछले 10 सालों से यह मसला उलझा हुआ है और कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। इस योजना के लागू होने के साथ ही यह सवाल भी आने लगे हैं कि जब एनपीएस और यूपीएस का विकल्प है तो ओपीएस का विकल्प क्यों नहीं रखा गया? यदि यूपीएस में 50% देने की बात रखी गई है तो ओपीएस में भी तो यही 50% देने की बात कही गई है। फिर सरकार पुरानी पेंशन योजना लागू क्यों नहीं कर रही है?
दरअसल ओपीएस एक परिभाषित लाभ योजना है जो वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर समायोजन के साथ जीवन भर पेंशन के रूप में प्राप्त अंतिम वेतन के आधे हिस्से की गारंटी देती है। वहीं, एनपीएस एक परिभाषित योगदान योजना है जहां सरकारी कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत योगदान करते हैं। इसके अलावा निजी क्षेत्र में कार्य कर रहे कर्मचारियों के विषय में कुछ नहीं कहा गया है। यह कर्मचारी भी देश के विकास में टैक्स के रूप में रकम चुकाते हैं।
कई विधानसभा चुनाव में ओपीएस की मांग भाजपा पर भारी पड़ी है और वहां कांग्रेस को फायदा पहुंचा है। अब फिर से विधानसभा चुनाव का सिलसिला शुरू हो गया है ऐसे में भाजपा 370 जैसे कार्ड के अलावा नई पेंशन योजना द्वारा सरकारी कर्मचारियों को लुभा रही है। 23 लाख सरकारी कर्मचारियों को लाभान्वित होने की बात कही गई है और इन्हीं कर्मचारियों में से अधिकतर ने पुरानी पेंशन योजना की मांग रखी है। दूसरी ओर एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या यह चुनावी वादों से घिरे प्रधानमंत्री की छवि को सुधारने का प्रयास है?

~प्रियंका वर्मा माहेश्वरी

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पी०के० इण्डस्ट्रीज में दादू ब्रांड नाम से बनाया जा रहा था अत्यंत गन्दगी के साथ सेंधा नमक, काला नमक एवं साधारण नमक

कानपुर 03 सितम्बर, (सू0वि0) सहायक आयुक्त खाद्य-II, कानपुर नगर संजय प्रताप सिंह ने बताया है कि खाद्य सुरक्षा अधिकारी धर्मेन्द्र प्रताप सिंह, संजय वर्मा एवं डा० अजय कुमार मौर्य के द्वारा हंसपुरम नौबस्ता कानपुर नगर स्थित पी०के० इण्डस्ट्रीज में औचक छापेमारी की गयी उक्त इण्डस्ट्री में अत्यन्त गन्दगी के साथ सेंधा नमक, काला नमक एवं साधारण नमक दादू ब्राण्ड के नाम से पैकिंग कर मानव उपभोग हेतु विक्रयार्थ भण्डारित करते हुए पाया गया। काला नमक में साधारण नमक की मिलावट की जा रही थी। कार्यस्थल पर कार्मिको द्वारा तैयार व पैक्ड नमक पर जूते पहनकर चला जा रहा था। तत्क्रम में उपरोक्त खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम द्वारा मौके पर ही सेंधा नमक, काला नमक एवं साधारण नमक के तीन नमूने संग्रहित किये गये एवं साथ ही 25 कुन्टल काला नमक, कीमत 1,99,680/- (रू० एक लाख निन्याबे हजार छः सौ अस्सी) तथा 50 कुन्टल साधारण नमक कीमत 24,995/- (रू० चौबीस हजार नौ सौ पन्चानबे) को सीज कर दिया गया। निर्माणस्थल की साफ-सफाई व अन्य कार्यों के सुधार करने तक वहां पर निर्माण कार्य को रोक दिया गया।

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दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा संचालित दिव्यांगजन शादी विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के अन्तर्गत दी जाएगी प्रोतसाहन राशि

कानपुर 02 सितंबर (सू0वि0) जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी विनय उत्तम ने बताया कि दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा संचालित दिव्यांगजन शादी विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के अन्तर्गत दम्पत्ति मे से युवक के दिव्यांग होने की दशा मे रू0 15000/- युवती के दिव्यांग होने पर रू० 20000/- तथा युवक-युवती दोनों के दिव्यांग होने की दशा मे रू0 35000/- की धनराशि दिये जाने हेतु आवेदन पत्र आमंत्रण प्राप्त किये जा रहे है।
उन्होंने आवेदन के लिये पात्रता की शर्तों के बारे में बताया कि शादी के समय युवक की आयु 21 वर्ष से कम तथा 45 वर्ष से अधिक न हो, शादी के समय युवती की आयु 18 वर्ष से कम तथा 45 वर्ष से अधिक न हो, दम्पत्ति मे से कोई आयकर दाता न हो। (सम्बन्धित तहसीलदार द्वारा निर्गत पृथक-पृथक आय प्रमाण पत्र), मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा प्रदत्त दिव्यांगता प्रमाण पत्र के अनुसार स्थाई दिव्यांगता 40 प्रतिशत या उससे अधिक होनी चाहिए, सिर्फ ऐसे दिव्यांग दम्पत्ति पात्र होंगे जिनका विवाह गत वित्तीय वर्ष एवं वर्तमान वित्तीय वर्ष मे हुआ हो, दम्पत्ति में से कोई सदस्य किसी आपराधिक मामले में दंडित न किया गया हो, दम्पत्ति का विवाह रजिस्ट्रार के स्तर पर पंजीकृत होना अनिवार्य नही है विवाह का कोई प्रमाण पत्र संलग्न करें, जिसके पास पूर्व से कोई जीवित पति या पत्नी न हो और उनके ऊपर महिला उत्पीड़न या अन्य आपराधिक वाद न चल रहा हो।
उन्होंने बताया कि दिव्यांग शादी विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के अन्तर्गत पात्र दम्पत्ति http://divyangjan.upsdc.gov.in पर आनलाइन आवेदन कर सकते है। उन्होंने आवेदन करने के लिये आवश्यक दस्तावेज के बारे में बताया कि दम्पत्ति का दिव्यांगता प्रदर्शित करने वाला संयुक्त नवीनतम फोटो, विवाह पंजीकरण/शादी का कार्ड अथवा विवाह/शादी का अन्य कोई प्रमाण पत्र जिससे विवाह होना प्रमाणित हो सके, युवक एवं युवती का आय प्रमाण पत्र (तहसील द्वारा निर्गत आय प्रमाण पत्र), युवक एवं युवती का आयु प्रमाण पत्र (हाई स्कूल की अंकतालिका अथवा परिवार रजिस्टर की नकल या चिकित्सक द्वारा प्रमाणित आयु प्रमाण पत्र), अनु०जाति/अनु०ज०जाति का होने की दशा मे जाति प्रमाण पत्र (तहसील द्वारा निर्गत जाति प्रमाण पत्र), मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा निर्गत स्थाई दिव्यांगता 40 प्रतिशत या उससे अधिक का दिव्यांगता प्रमाण पत्र, दम्पत्ति का राष्ट्रीयकृत बैंक में संचालित संयुक्त बैंक खाता, युवक एवं युवती का निवास प्रमाण पत्र, युवक एवं युवती का आधार कार्ड, आनलाइन भरे गये आवेदन पत्र की प्रिंट प्रति एवं वांछित अभिलेखों की स्वप्रमाणित हार्ड कापी कार्यालय जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी (सेवायोजन कार्यालय परिसर निकट जी०टी० रोड़ गोल चौराहा) कानपुर नगर मे जमा करे।

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प्रदेश सरकार के ‘‘हर घर को नल से जल’’ कार्यक्रम के अन्तर्गत लगभग 2.25 करोड़ आबादी को जलापूर्ति

लखनऊ: 02 सितम्बर, प्रदेश में ग्रामीण पेयजल आपूर्ति हेतु केन्द्र सहायतित राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम का संचालन केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा 50ः50 प्रतिशत वित्त पोषण के आधार पर किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत ‘‘हर घर को नल से जल‘‘ उपलब्ध कराये जाने की कार्यवाही तेजी से की जा रही है। भारत सरकार द्वारा प्रदेश के समस्त अनाच्छादित बस्तियों को पाइप पेयजल योजनाआंे से वर्ष 2024 तक आच्छादित किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के क्षेत्र मंे तेजी से कार्य किये गये है। प्रदेश में कुल 2.6584 करोड़ घरों को वर्ष 2024 तक शुद्ध पाइप पेयजल से आच्छादित किया जाना लक्षित है।

प्रदेश में अब तक लगभग 2.2359 करोड़ (84.10ः) फन्कशनल हाउसहोल्ड टैप कनेक्शन (एफ0एच0टी0सी0) के माध्यम से ग्रामीण आबादी को पाइप पेयजल योजना से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा चुका है तथा अवशेष लगभग 42.25 लाख घरों में एफ0एच0टी0सी0 का कार्य वर्ष 2024 तक पूर्ण किया जा रहा है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 41 सतही स्रोत जल आधारित एवं 423 भूजल आधारित पाइप पेयजल परियोजना के माध्यम से कुल 3748 राजस्व ग्रामों में 11,22,994 एफ0एच0टी0सी0 के माध्यम से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति किये जाने के सापेक्ष बुन्देलखण्ड क्षेत्र में अद्यतन 10,92,000 एफ0एच0टी0सी0 उपलब्ध कराया जा चुका है।
विन्ध्य क्षेत्र में 21 सतही स्रोत जल परियोजनाओं एवं 140 भूजल आधारित परियोजनाओं के माध्यम से 2998 राजस्व ग्रामों में 5,98,999 एफ0एच0टी0सी0 के माध्यम से शुद्ध पेयजल की आपूति दिसम्बर, 2024 तक किये जाने के सापेक्ष अद्यतन 5,27,230 एफ0एच0टी0सी0 उपलब्ध कराया जा चुका है। प्रदेश के अन्य जनपदों हेतु 33 कार्यदायी फर्मों को सूचीबद्ध करते हुए समस्त राजस्व ग्रामों में कार्य आवंटित किया गया है। प्रदेश के गुणता प्रभावित जनपदों आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, बलिया, उन्नाव, प्रयागराज एवं चन्दौली के 6439 राजस्व ग्रामों में 14 सतही स्त्रोत आधारित योजनाओं का कार्य चयनित फर्मों द्वारा किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के समस्त 75 जनपदों की 58,287 ग्राम पंचायतों में कुल 163 आई0एस0ए0 संस्थाओं को कार्य आवंटित किया गया था। आई0एस0ए0 द्वारा तीन चरणों में जन जागरूकता संबंधित कार्य संपादित किए जा रहें है- योजना चरण, कार्यान्यवयन चरण, पोस्ट कार्यान्वयन चरण पर कार्य किये गये है।
जल जीवन मिशन के अन्तर्गत प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक राजस्व ग्राम में 05 महिलाओं को जल गुणवत्ता की जांच हेतु को एफ0टी0के0 के माध्यम से अब तक कुल 5,57,958 महिलाओें को प्रशिक्षित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 36,73,192 एवं चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 18,01,841 पेयजल स्रोतों की जांच की गयी है। प्रदेश में जल जीवन मिशन एवं अन्य योजनाओं के माध्यम से कुल 1,14,807 स्कूलों एवं 1,51,258 आंगनबाड़ी केन्द्रों मेें पाइप द्वारा पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित कराई गयी है।
योजना के सुचारू रूप से संचालन एवं रखरखाव हेतु प्रदेश में प्रति ग्राम पंचायत 06 ट्रेड मेें 13 व्यक्तियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। प्रदेश में अब तक 1,16,037 प्लम्बर, 116007 पम्प ओपरेटर, 1,15,505 मोटर मैकैनिक 1,16,078 फिटर, 1,16667 इलेक्ट्रीशियन तथा 175880 मेशन, कुल 756174 कर्मियों को प्रश्क्षिित करते हुये स्वरोजगार उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है।
योजना को भविष्य मेें सही दिशा में चलाये रखने हेतु पंचायती राज इंस्टीट्यूशन का प्रशिक्षण वर्तमान में चल रहा है जिसमें प्रधान, वार्ड मेम्बर्स, बी0डी0सी0 मेम्बर्स, जिला पंचायत सदस्य, सचिव, लेखपाल तथा रोजगार सेवक को प्रशिक्षित किया जा रहा है। अब तक 945959 हितग्राहियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में जल जीवन मिशन के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा धनराशि रू0 22000.00 करोड़ का बजट प्राविधान किया गया है। भारत सरकार द्वाररा केन्द्रांश में आवंटित धनराशि रू012621.95 करोड़ के सापेक्ष वर्तमान वित्तीय वर्ष में धनराशि रू03786.58 करोड़ की धनराशि अवमुक्त की गयी है। राज्य सरकार द्वारा मैचिंग राज्यांश/शार्ट फॉल/सेन्टेज के सापेक्ष अब तक कुल धनराशि रू0 2498.80 करोड़ अवमुक्त की जा चुकी है। कुल उपलब्घ धनराशि के सापेक्ष अद्यतन रू0 4684.41 करोड़ व्यय किया गया है।

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विश्वरूप एजुकेशन की निदेशिका डॉ. शैली बिष्ट प्रतिष्ठित माँ जीजाबाई शिक्षक सम्मान से सम्मानित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, विश्वरूप एजुकेशन की निदेशक डॉ. शैली बिष्ट को क्षेत्र में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए प्रतिष्ठित माँ जीजाबाई शिक्षक सम्मान प्राप्त हुआ। यह कार्यक्रम फोरम ऑफ पब्लिक स्कूल्स और विश्वरूप एजुकेशन द्वारा आयोजित किया गया था, और यह 31 अगस्त, 2024 को शालीमार बाग के ग्रीन लाउंज बैंक्वेट हॉल में हुआ। यह अवसर शिक्षक दिवस के साथ मेल खाता था, जिससे इस आयोजन का महत्व और महत्व और बढ़ गया। विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ी। इस अवसर की मुख्य अतिथि माननीय लोकसभा सदस्य श्रीमती कमलजीत सहरावत थीं। इसके अतिरिक्त, दिल्ली सरकार के शिक्षा सचिव श्री अशोक कुमार आईएएस भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। समारोह के दौरान विभिन्न स्कूलों के लगभग 80 प्रधानाध्यापकों को शिक्षा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। प्रत्येक प्रिंसिपल को भावी पीढ़ी को आकार देने और अपने छात्रों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालने के प्रति उनके समर्पण के लिए सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह के बाद, इन उल्लेखनीय शिक्षकों के प्रयासों का जश्न मनाने और उन्हें स्वीकार करने के लिए एक दोपहर के भोजन का आयोजन किया गया। इसने उपस्थित लोगों को जुड़ने, अनुभव साझा करने और शिक्षा के क्षेत्र में आगे के सहयोग पर चर्चा करने का अवसर प्रदान किया। कुल मिलाकर, माँ जीजाबाई शिक्षक सम्मान कार्यक्रम समाज के भविष्य को आकार देने में शिक्षकों द्वारा किए गए अमूल्य योगदान को स्वीकार करने का एक यादगार और महत्वपूर्ण अवसर था।

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उपराष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त की कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो लोग एक बार सत्ता में थे, वे राष्ट्र-विरोधी बातें फैला रहे हैं और हमारे लोकतंत्र को चुनौती दे रहे हैं

उपराष्ट्रपति  जगदीप धनखड़ ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे लोकतंत्र और राष्ट्रवाद की भावना के लिए चुनौतियाँ उन लोगों से उत्पन्न हो रही हैं जो कभी शासन या सत्ता के पदों पर थे। उन्होंने कहा, “संकीर्ण पक्षपातपूर्ण हितों को साधने के लिए वे राष्ट्र विरोधी बातें फैलाने और हमारे महान लोकतंत्र की तुलना पड़ोस की व्यवस्था से करने की हद तक चले जाते हैं।”

युवाओं को सावधान करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि “ये लोग अपने वास्तविक इरादों को छिपाकर और इस देश की तेजी से हो रही अभूतपूर्व वृद्धि से नजर फेरकर हमें गुमराह करने का हर संभव प्रयास करते हैं। भारत का आर्थिक उत्थान और राष्ट्रों के वैश्विक समुदाय में इसकी अभूतपूर्व वृद्धि देखने लायक है।”

उन्होंने भारत के स्थिर लोकतंत्र और पड़ोसी देशों की प्रणालियों के बीच तुलना की कड़ी आलोचना की और सवाल किया, “क्या हम कभी तुलना भी कर सकते हैं?” उपराष्ट्रपति ने युवाओं से इस तरह की कहानियों के खिलाफ खड़े होने का आग्रह किया और उनसे इन हानिकारक तुलनाओं को बेअसर करने, रद्द करने और उजागर करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि सबसे बड़े और सबसे जीवंत लोकतंत्र के रूप में भारत, जिसका नेतृत्व लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री कर रहे हैं, को इस तरह की अपमानजनक टिप्पणियों का शिकार नहीं होना चाहिए। “यह विचार यहां के राष्ट्र, राष्ट्रवाद और लोकतंत्र में विश्वास करने वाले किसी भी व्यक्ति के मन में कैसे आ सकता है?” उन्होंने ऐसी कहानियों की निंदा करते हुए इसे “कायरतापूर्ण” और “शब्दों से परे” बताया।

आज देहरादून में सीएसआईआर-आईआईपी में छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए, श्री धनखड़ ने मानवता के सामने जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं की आसन्न चुनौती को रेखांकित किया।

जलवायु न्याय की आवश्यकता पर जोर देते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि “जलवायु परिवर्तन असुरक्षित रूप से कमजोर लोगों को प्रभावित करता है और इसीलिए जलवायु न्याय हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए।”

इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कि धरती माता की संतान होने के नाते हमारे ग्रह की रक्षा करना, हमारे ग्रह का पोषण करना हमारी जिम्मेदारी है, श्री धनखड़ ने भारत द्वारा सतत विकास एजेंडे को वैश्विक प्रतिबद्धताओं में मुख्यधारा में लाने की सराहना की। उन्होंने कहा, “हमारी सदियों पुरानी भावना, हमारी सभ्यता का सार, हमारे भारत ने न केवल घरेलू शासन में स्थिरता को मुख्यधारा में लाया है बल्कि वैश्विक प्रतिबद्धताओं को भी आगे बढ़ाया है क्योंकि हम खुद को दुनिया से अलग नहीं मानते हैं। हम विश्व को एक परिवार मानते हुए कहते हैं- वसुधैव कुटुंबकम।”

उन्होंने कहा, “भारत ने वैश्विक प्रतिबद्धताओं में स्थिरता को मुख्यधारा में शामिल किया है। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, सीओपी 28 में ग्रीन क्रेडिट पहल और  लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) की क्रॉस कटिंग थीम- वो थीम जो सामाजिक विकास और विकास के लिए बेहद सफल विषय, महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभावों के साथ व्यक्तिगत स्तर पर व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करने वाले एक जन आंदोलन की कल्पना करता है।”

सतत विकास के लिए स्वच्छ ऊर्जा के महत्वपूर्ण महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, “स्वच्छ ऊर्जा सिर्फ एक अन्य विकल्प नहीं है; यह एकमात्र विकल्प है। इसके बिना, हमें अस्तित्व संबंधी चुनौती का सामना करना पड़ता है। कोई भी अन्य विकास तंत्र हमारे ग्रह को खतरे में डाल देगा।”

भारत के आर्थिक उत्थान के बारे में उन्होंने कहा, “फ्रैजाइल फाइव” अर्थव्यवस्थाओं में से एक का लेबल लगाए जाने के बाद, भारत पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है, जिसके 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान है। भारत की आर्थिक प्रगति इसके अनुरूप है सतत विकास; भावी पीढ़ियों के लिए एक गौरवपूर्ण विरासत सुनिश्चित करता है।”

कॉरपोरेट्स और सरकारों से अनुसंधान और विकास का समर्थन करने का आह्वान करते हुए, श्री धनखड़ ने जोर देकर कहा,“अनुसंधान और विकास किसी देश के उत्थान को परिभाषित करता है। सरकारों और कॉरपोरेट्स को अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अपनी जेब ढीली करनी चाहिए।”

“विज्ञान और अनुसंधान भारत के विकास को आगे बढ़ाने वाले नए रास्ते खोलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मैं सरकार और कॉरपोरेट क्षेत्र से अनुसंधान को प्राथमिकता पर रखने का आह्वान करता हूं। उन्होंने कहा, “अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने और विकसित करने में वित्त की अधिक से अधिक भागीदारी होनी चाहिए।”

प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग पर ध्यान आकर्षित करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, “हम आपके प्राकृतिक संसाधनों की ट्रस्टीशिप में हैं! प्राकृतिक संसाधनों की खपत हमारी राजकोषीय शक्ति से तय नहीं हो सकती। हमें प्राकृतिक संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग और संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। वे सीमित हैं, प्रकृति द्वारा दी गई हैं और किसी व्यक्ति के लाभ के लिए नहीं हैं। प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सभी के लिए समान रूप से किया जाना चाहिए और असमान रूप से उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

श्री धनखड़ ने जी20 शिखर सम्मेलन 2023 के दौरान वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के शुभारंभ के साथ देश की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक और व्यापक रूप से प्रशंसित विकास बताया, जिसमें भारत एक स्थायी ऊर्जा भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है, जिससे सतत विकास में योगदान मिलेगा और एक रहने योग्य ग्रह सुनिश्चित होगा। उन्होंने परिवहन क्षेत्र में जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति के साथ, 2070 तक कार्बन तटस्थता प्राप्त करने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को भी रेखांकित किया।

श्री धनखड़ ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने की ओर भी इशारा किया, एक ऐसा विकास जो कभी एक दूर का सपना था लेकिन अब एक वास्तविकता बन गया है। उन्होंने टिप्पणी की, इन प्रगतियों को अभूतपूर्व समर्थन मिल रहा है, जो एक सर्कुलर इकोनमी की व्यापक दृष्टि में योगदान दे रहा है।

“श्री धनखड़ ने युवाओं से खुद को ‘डी-साइलो’ करने और आज देश में उनके लिए उपलब्ध विभिन्न अवसरों का पूरा उपयोग करने का आह्वान किया। “सरकारी नौकरियों पर अनुचित ध्यान हमारे युवाओं पर भारी पड़ रहा है। यह चिंताजनक रूप से मोहक, आदत लगाने वाला है। हमारे युवा अद्भुत अवसर की संभावनाओं से बेपरवाह होकर साइलो में घुट रहे हैं। आईएमएफ की उस प्रशंसा को याद रखें कि भारत निवेश और अवसरों का पसंदीदा वैश्विक गंतव्य है। यह निश्चित रूप से सरकारी नौकरियों पर आधारित नहीं था।”

क्वांटम कंप्यूटिंग, 6जी जैसी अग्रणी प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में देश द्वारा की गई हालिया प्रगति को रेखांकित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि “अब समय आ गया है कि हम पश्चिम की ओर न देखें और इन क्षेत्रों में नवोन्मेषी बनें। इसे अन्य देशों को देने की स्थिति में है। यह जानना सुखद है कि विघटनकारी प्रौद्योगिकियों में, हमारा देश एकल-अंक वाले देशों में से है जो इस पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, हमारा क्वांटम कंप्यूटिंग मिशन, हमारा ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और 6जी तकनीक का व्यावसायिक दोहन कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां हम उन देशों की श्रेणी में हैं जो अग्रिम पंक्ति में हैं।

इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल गुरुमीत सिंह, उत्तराखंड के राज्यपाल डॉ. एच.एस.बिष्ट, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईपी, छात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने पर स्मारक डाक टिकट जारी किया

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने आज भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित जिला न्यायाधीशों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान इस डाक टिकट का अनावरण किया गया।

इस कार्यक्रम में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉडीवाईचंद्रचूड़ केन्द्रीय विधि एवं न्याय तथा संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

यह स्मारक टिकटभारत की न्यायिक प्रणाली में सर्वोच्च न्यायालय के अमूल्य योगदान तथा राष्ट्र के कानूनी परिदृश्य को स्वरुप प्रदान करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका का प्रतीक है। 28 जनवरी1950 को स्थापित सर्वोच्च न्यायालय कानून के शासन को बनाए रखनेनागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने तथा पूरे देश में न्याय प्रशासन सुनिश्चित करने में अग्रणी रहा है।

संचार मंत्रालय के अंतर्गत डाक विभागयह स्मारक डाक टिकट जारी करते हुए गर्व का अनुभव कर रहा हैजो भारत के न्यायिक इतिहास में सर्वोच्च न्यायालय की स्थायी विरासत का प्रमाण है।

यह आयोजनभारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हैजिसके तहत देश में न्याय और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिबद्धता के साढ़े सात दशकों का उत्सव मनाया जा रहा है।

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भारतीय सेना ने प्रोजेक्ट नमन का शुभारंभ किया: पूरे भारत में स्पर्श-केंद्रित कॉमन सर्विस सेंटर स्थापित किए जाएंगे

भारतीय सेना ने थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और सैनिकों की पत्नियों के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्‍था (एडब्‍ल्‍यूडब्‍ल्‍यूए) की अध्यक्ष श्रीमती सुनीता द्विवेदी की उपस्थिति में प्रोजेक्ट नमन के पहले चरण का शुभारंभ किया। यह परियोजना रक्षा पेंशनभोगियों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को सहयोग और सेवाएं प्रदान करने के लिए बनाई गई है, प्रोजेक्ट नमन स्पर्श (सिस्‍टम फॉर पेंशन एडमिन्‍सट्रेशन रक्षा), डिजिटल पेंशन प्रणाली के कार्यान्वयन पर केंद्रित है, जो रक्षा पेंशनभोगियों के लिए पेंशन संबंधी प्रक्रियाओं को सुगम बनाती, देश भर के पूर्व सैनिकों और उनके निकटतम परिजनों (एनओके) के लिए सुलभ सुविधा केन्‍द्रों की महत्वपूर्ण आवश्यकता संभव बनाती है।

इसके शुभारंभ के अवसर पर, जनरल उपेन्‍द्र द्विवेदी ने कहा कि इस सेवा की शुरूआत से पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को वह देखभाल और सहायता मिलेगी जिसके वे हकदार हैं। उन्होंने सैन्य स्टेशनों और आसपास के इलाकों की पूरी आबादी तक इन आवश्यक सेवाओं को पहुंचाने और उनका विस्तार करने में परियोजना की भूमिका पर प्रकाश डाला।

इस परियोजना में स्वागत और सुविधा केन्‍द्रों की स्थापना शामिल है। इसके लिए पिछले वर्ष सितम्‍बर 2023 में भारतीय सेना के डायरेक्‍टरेट ऑफ इंडियन आर्मी वैटरंस (एडजुटेंट जनरल की शाखा), कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) ई-गवर्नेंस इंडिया लिमिटेड और एचडीएफसी बैंक लिमिटेड के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर किए गए थे। ये कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) पूर्व सैनिकों, पेंशनभोगियों, शहीदों की विधवाओं और शहीदों के परिजनों को स्पर्श-सक्षम पेंशन सेवाएं, सरकार से नागरिक (जी2सी) सेवाएं और व्यवसाय से उपभोक्ता (बी2सी) सेवाएं, सभी एक ही सुविधाजनक स्थान पर प्रदान करते हैं।

प्रोजेक्ट नमन के पहले चरण में, भारत भर में प्रमुख स्थानों पर 14 सीएससी स्थापित किए गए हैं, जिनमें नई दिल्ली, जालंधर, लेह, देहरादून, लखनऊ, जोधपुर, बेंगलुरू, गोरखपुर, झांसी, सिकंदराबाद, सागर, गुंटूर, अहमदाबाद और बेंगलुरु शामिल हैं। अगले 2-3 वर्षों में देश भर में लगभग 200 केन्‍द्र स्थापित करने की योजना के साथ, इस परियोजना का काफी विस्तार होना है। बैंकिंग भागीदार, एचडीएफसी बैंक ने सीएससी को चालू करने के लिए आवश्यक आईटी बुनियादी ढांचा प्रदान किया है, जबकि स्थानीय सैन्य स्टेशनों ने आवश्यक बुनियादी ढांचा और सुविधाएं उपलब्‍ध कराई हैं।

प्रोजेक्ट नमन की कल्पना रक्षा समुदाय से सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श और जानकारी हासिल करने के बाद की गई थी, जो सेवारत और सेवानिवृत्त सशस्त्र बलों के कर्मियों के बीच सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह पहल न केवल सम्मानित दिग्गजों को आवश्यक देखभाल और सहायता प्रदान करती है, बल्कि सैन्य स्टेशनों और आसपास के इलाकों की संपूर्ण आबादी को भी सेवाएं प्रदान करती है।

प्रत्येक सीएससी का प्रबंधन एक ग्राम स्तरीय उद्यमी (वीएलई) करता है, जिसे संबंधित स्थानीय सैन्य प्राधिकरण (एलएमए) द्वारा पूर्व सैनिकों या एनओके में से चुना जाता है। इन वीएलई को सीएससी ई-गवर्नेंस इंडिया लिमिटेड द्वारा शामिल किया जाता है और आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए व्यापक प्रशिक्षण दिया जाता है। एचडीएफसी बैंक भी पहले 12 महीनों के लिए ₹ 20,000 का मासिक अनुदान प्रदान करता है, जिससे केंद्रों के स्थिरीकरण और स्थायित्व में सहायता मिलती है।

प्रोजेक्ट नमन भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के प्रति समर्पण का प्रमाण है। एक ही स्थान पर स्पर्श केंद्रित सुविधा, सामान्य रूप से आवश्यक ई-गवर्नेंस सेवाएं और बैंकिंग समाधान प्रदान करके, परियोजना दिग्गजों और एनओके के लिए उद्यमशीलता के अवसर भी पैदा करती है।

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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने मुकदमेबाजी को कम करने के लिए विवाद समाधान योजना (ई-डीआरएस), 2022 शुरू की

आयकर अधिनियम, 1961 (जिसे इसके बाद “अधिनियम” कहा जाएगा) में धारा 245 एमए के अनुसरण में, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने मुकदमेबाजी को कम करने और पात्र करदाताओं को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से ई-डिस्प्यूट रेजोल्यूशन स्कीम, 2022 (ई-डीआरएस) को अधिसूचित किया था। अधिनियम की धारा 245 एमए में विवाद समाधान समितियों (डीआरसी) के गठन का भी प्रावधान है।

ई-डीआरएस करदाता को विवाद समाधान के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से आवेदन करने में सक्षम बनाता है, जो अधिनियम की धारा 245 एमए में निर्धारित कुछ निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करता है और जो करदाता पर क्षेत्राधिकार वाले प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त के क्षेत्र के लिए नामित डीआरसी को आवेदन कर सकता है। इस उद्देश्य के लिए, देश भर में सभी 18 अधिकार क्षेत्र वाले पीआर.सीसीआईटी क्षेत्रों में डीआरसी का गठन किया गया है। ऐसे डीआरसी की सूची उनके ई-मेल पते के साथ उपलब्ध है:

https://www.incometax.gov.in/iec/foportal/help/all-topics/statutory-forms/file-statutory-form/popular-form/form-34-BC.

ई-डीआरएस के अनुसार, करदाता अधिनियम की धारा 245एमए के स्पष्टीकरण के खंड (बी) में परिभाषित ‘निर्दिष्ट आदेश’ के विरुद्ध ई-विवाद समाधान का विकल्प चुन सकता है, जिसमें ऐसा आदेश शामिल है जिस मामले में प्रस्तावित या किए गए बदलावों की कुल राशि 10 लाख रुपये से अधिक नहीं है और संबंधित कर निर्धारण वर्ष के लिए रिटर्न की गई आय 50 लाख रुपये से अधिक नहीं है। इसके अलावा, ऐसा आदेश अधिनियम की धारा 90 या 90ए के तहत संदर्भित किसी समझौते के तहत खोज/सर्वेक्षण या प्राप्त सूचना पर आधारित नहीं होना चाहिए।

ई-डीआरएस के अनुसार, डीआरसी निर्दिष्ट आदेश में बदलावों में संशोधन कर सकता है और आयकर नियमावली, 1962 (जिसे इसके बाद “नियमावली” कहा जाएगा) के नियम 44डीएसी के प्रावधान के अनुसार दंड और अभियोजन में रियायत/माफी देने का निर्णय ले सकता है। डीआरसी को विवाद समाधान के लिए आवेदन स्वीकार किए जाने वाले महीने के अंत से छह महीने के भीतर अपना आदेश पारित करना अनिवार्य है।

ई-डीआरएस के लिए आवेदन आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर नियम 44डीएबी में निर्दिष्ट फॉर्म संख्या 34बीसी में निर्दिष्ट आदेश की प्राप्ति की तारीख से एक महीने के भीतर दाखिल किया जाना है। ऐसे मामलों में जहां अपील पहले ही दाखिल की जा चुकी है और आयकर आयुक्त (अपील) के समक्ष लंबित है, ई-डीआरएस के लिए आवेदन 30.09.2024 को या उससे पहले दाखिल किया जाना है। ऐसे मामलों में जहां निर्दिष्ट आदेश 31.08.2024 को या उससे पहले पारित किया गया है और सीआईटी (अपील) के समक्ष ऐसे आदेश के खिलाफ अपील दायर करने का समय समाप्त नहीं हुआ है, विवाद समाधान के लिए आवेदन 30.09.2024 को या उससे पहले दाखिल किया जा सकता है।

करदाता आयकर पोर्टल https://eportal.incometax.gov.in पर लॉगिन करके ई-डीआरएस मॉड्यूल तक पहुंच सकता है। उपयोगकर्ता आईडी के रूप में पैन/टैन का उपयोग करके अपने खाते में लॉग इन करें -> डैशबोर्ड पर जाएं -> ई-फाइल -> आयकर फॉर्म -> आयकर फॉर्म फाइल करें -> ‘आय के किसी भी स्रोत पर निर्भर न होने वाले व्यक्ति (आय का स्रोत प्रासंगिक नहीं है)’ टैब के अंतर्गत> कुछ मामलों में विवाद समाधान समिति (फॉर्म 34बीसी) -> फॉर्म संख्या 34बीसी भरें -> विवरण की समीक्षा करें -> आधार ओटीपी, ईवीसी या डीएससी का उपयोग करके फॉर्म संख्या 34बीसी को ई-सत्यापित करें।

मुकदमों को कम करने की दिशा में सरकार द्वारा यह एक और पहल है।

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