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रक्षा मंत्री ने जम्मू-कश्मीर के अग्रिम इलाकों का दौरा कर सीमा पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह ने 16 जून, 2022 को जम्मू-कश्मीर के अग्रिम क्षेत्रों का दौरा किया और सीमा चौकियों पर सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया। राजनाथ सिंह केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर हैं, उन्होंने उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अग्रिम चौकियों की देखभाल करने वाली फॉर्मेशन की स्थिति का प्रत्यक्ष रूप से आकलन किया। उनके साथ थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे; जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी), उत्तरी कमान लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी; जीओसी, 15 कोर लेफ्टिनेंट जनरल एएस औजला और जीओसी, 19 इन्फैंट्री डिवीजन मेजर जनरल अजय चांदपुरिया भी उपस्थित थे।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/PIC2(1)999G.jpg

रक्षा मंत्री को नियंत्रण रेखा पर मौजूदा युद्ध विराम समझौते, इस क्षेत्र की किलेबंदी पर विकास कार्यों, घुसपैठ रोधी ग्रिड, परिचालन तैयारियों और सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य-असैन्य संपर्क के बारे में जानकारी दी गई। 15 कोर मुख्यालय पहुंचने पर श्री राजनाथ सिंह को जीओसी 15 कोर द्वारा नियंत्रण रेखा और भीतरी इलाकों में वर्तमान समग्र सुरक्षा स्थिति के बारे में बताया गया। उन्हें अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए किए गए उपायों के बारे में भी जानकारी दी गई।  राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और जम्मू-कश्मीर पुलिस के कर्मियों के साथ बातचीत की। रक्षा मंत्री ने वहां उपस्थित कर्मियों को संबोधित भी किया। उन्होंने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपनी जिम्मेदारियों को कुशलतापूर्वक निभाने के लिए उनकी वीरता तथा उत्साह को उल्लेखनीय करार दिया और उनकी सराहना की। उन्होंने नागरिक प्रशासन के सभी वर्गों, जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा एक ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण पेश करने में उत्कृष्ट तालमेल की प्रशंसा की, जिसके परिणामस्वरूप केंद्र शासित प्रदेश में विकास के एक नए युग को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है। रक्षा मंत्री ने अदम्य साहस व समर्पण के साथ देश की सेवा करने और लोगों, विशेषकर युवाओं में राष्ट्रीय गौरव की भावना पैदा करने के लिए सुरक्षा कर्मियों की सराहना की, रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारे पड़ोसी देश ने हमेशा भारत विरोधी गतिविधियों का सहारा लिया है। इस राज्य में अतीत में भी आतंकी गतिविधियां देखी गई हैं। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों, बीएसएफ, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों के अथक प्रयासों के कारण, हाल ही में राज्य में आतंकवादी गतिविधियों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है। पाकिस्तान लगातार ब्लीड इंडिया विद ए थाउजेंड कट्स के अपने दुष्प्रयासों के माध्यम से भारत में शांति भंग करने की कोशिश करता है। लेकिन, हमारे सुरक्षा बल इस देश के लिए एक ऐसा सुरक्षा कवच हैं कि जो भी इसे तोड़ने की कोशिश करता है, वह खुद ही लहूलुहान हो जाता है। राष्ट्र को हमारी सुरक्षा ताकतों पर अटूट विश्वास है, जो किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। राजनाथ सिंह ने यह दोहराया कि भारत एक शांतिप्रिय देश है, जिसने दुनिया को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (पूरी दुनिया एक परिवार है) का संदेश दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमने कभी किसी देश को किसी भी तरह से चोट पहुंचाने की कोशिश नहीं की और न ही हमने किसी की एक इंच भी जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया है। रक्षा मंत्री ने राष्ट्र को आश्वासन देते हुए कहा कि यदि कभी भी देश की एकता और अखंडता को ठेस पहुंचाने की कोशिश की गई, तो सशस्त्र बल इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सशस्त्र बल भविष्य की चुनौतियों का पूरी ताकत के साथ सामना करेंगे और उनकी वीरता तथा समर्पण से देश के सुनहरे भविष्य का निर्माण होगा।

रक्षा मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह कश्मीर में विकास, शांति एवं समृद्धि के एक नए युग की शुरुआत थी और जम्मू-कश्मीर में शांति निर्माण में उनके उच्च स्तर के मनोबल बनाए रखने तथा योगदान के लिए 15 कोर की सराहना की।

 

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स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के माध्यम से अग्निपथ योजना को समर्थन प्रदान किया

भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय द्वारा सैनिकों, वायुसैनिकों और नौसैनिक की भर्ती के लिए “अग्निपथ” नामक एक अखिल भारतीय योग्यता-आधारित भर्ती योजना का अनावरण किया गया है। सशस्त्र बलों को एक युवा प्रोफ़ाइल प्रदान करने की दिशा में यह एक परिवर्तनकारी पहल है। इस योजना के अंतर्गत, युवाओं को “अग्निवीर” के रूप में सशस्त्र बलों में अपनी सेवा प्रदान करने का अवसर प्राप्त होगा। इस योजना में युवाओं को प्रशिक्षण अवधि सहित 4 वर्षों के लिए सशस्त्र बलों के नियमित कैडर में अपनी सेवा प्रदान करने का अवसर प्राप्त होगा। 17.5 से 21 वर्ष के युवाओं की भर्ती अग्निवीरों के रूप में की जाएगी। जो उम्मीदवार 10वीं/ 12वीं कक्षा उत्तीर्ण हैं, वे इस भर्ती प्रक्रिया के लिए आवेदन कर सकते हैं। शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, नागरिक समाज में सैन्य लोकाचार को समाहित करते हुए एक जीवंत रक्षा बल का निर्माण और अनुशासित कुशल युवाओं के विकास के लिए सशस्त्र बलों में युवा पुरुषों और महिलाओं को शामिल करने वाले भारत सरकार की इस पहल का स्वागत करता है।

इस पहल को अपना समर्थन प्रदान करने के लिए, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग अपने स्वायत्त संस्थान, राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के माध्यम से, रक्षा प्राधिकरणों के परामर्श से, एक विशेष कार्यक्रम की शुरुआत कर रहा है जिससे उन अग्निवीरों को सक्षम बनाया जा सके जो 10वीं कक्षा पास हैं और अनुकूलित पाठ्यक्रम के माध्यम से अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाकर 12वीं कक्षा पास प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकें, जो न केवल वर्तमान समय के लिए बल्कि उनकी सेवा क्षेत्र के लिए भी बहुत ही प्रासंगिक हैं। यह प्रमाण पत्र पूरे देश में दोनों उद्देश्यों रोजगार और उच्च शिक्षा के लिए मान्यता प्राप्त है। यह अग्निवीरों के लिए पर्याप्त शैक्षिक योग्यता और कौशल प्राप्त करने की दिशा में लाभकारी साबित होगा जिसके माध्यम से वे सामाजिक जीवन में उत्पादक की भूमिका निभा सकेंगे। एनआईओएस का यह विशेष कार्यक्रम नामांकन, पाठ्यक्रमों का विकास, छात्र सहायता, स्व-शिक्षण सामग्री, अध्ययन केंद्रों की मान्यता, व्यक्तिगत संपर्क, मूल्यांकन और प्रमाणन की सुविधा प्रदान करेगा। एनआईओएस की ओपन स्कूलिंग प्रणाली उपयोगकर्ताओं के लिए बहुत अनुकूल है और यह सभी के लिए कहीं से भी सुलभ है, और अग्निपथ योजना के अंतर्गत सभी अग्निवीरों के लिए इसके दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं।

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गृह मंत्री श्री अमित शाह की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति ने दो राज्यों को 1,043.23 करोड़ रुपये की अतिरिक्त केंद्रीय सहायता की मंजूरी दी

गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) ने 2021-22 के दौरान सूखे से प्रभावित दो राज्यों को राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष (एनडीआरएफ) के तहत अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान करने की मंजूरी दी है।

एचएलसी ने एनडीआरएफ से दो राज्यों को 1,043.23 करोड़ रुपये की अतिरिक्त केंद्रीय सहायता की मंजूरी दी है:

राजस्थान को 1003.95 करोड़ रुपये

नगालैंड को 39.28 करोड़ रुपये

यह अतिरिक्त सहायता केंद्र की ओर से राज्यों को राज्य आपदा मोचन कोष (एसडीआरएफ) में जारी की गई धनराशि के अतिरिक्त है, जो पहले से ही राज्यों के पास उपलब्ध है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान केंद्र सरकार ने 28 राज्यों को एसडीआरएफ में 17,747.20 करोड़

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राष्ट्रपति चुनाव, 2022

भारत के राजपत्र, असाधारण में 15 जून 2022 को प्रकाशित अधिसूचना द्वारा, निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव, 2022 के लिए निम्नलिखित कार्यक्रम निर्धारित किया है;-

  • 29 जून  2022, नामांकन करने की अंतिम तिथि
  • 30 जून  2022, नामांकन पत्रों की जांच की तिथि
  • 2 जुलाई 2022, उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि
  • 18 जुलाई  2022,  मतदान की तिथि, जिस दिन आवश्यक होने पर मतदान किया जाएगा

13 जून 2012 को जारी की गई दूसरी अधिसूचना के द्वारा आयोग ने श्री पी.सी.मोदी, महासचिव राज्य सभा को राष्ट्रपति चुनाव, 2022 के लिए चुनाव अधिकारी (रिटर्निंग ऑफिसर) और श्री मुकुल पांडे, विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) और श्री सुरेंद्र कुमार त्रिपाठी, संयुक्त सचिव तथा मुख्य सतर्कता अधिकारी, राज्य सभा सचिवालय को  सहायक निर्चाचन अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है।

जैसा कि राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव नियमावली ‘1974 के नियम 3 के तहत अपेक्षित है’ चुनाव अधिकारी ने 15 जून 2022 को एक सार्वजनिक सूचना द्वारा यह अधिसूचित किया है:

  1. नामांकन पत्र उम्मीदवार या उसके किसी प्रस्तावक या अनुमोदन कर्ता द्वारा अधोहस्ताक्षरी को उसके कार्यालय में कमरा संख्या 29, भूतल, संसद भवन, नई दिल्ली में या अपरिहार्य कारणवश उनकी अनुपस्थित में सहायक निर्वाचन अधिकारी श्री मुकुल पांडे विशेष कार्य अधिकारी(ओएसडी)/श्री सुरेंद्र कुमार त्रिपाठी, संयुक्त सचिव एवं मुख्य सतर्कता अधिकारी, राज्य सभा सचिवालय को उक्त कार्यालय में पूर्वाह्न 11 बजे से 3 बजे अपराह्न के दौरान किसी भी दिन (सार्वजनिक अवकाश को छोड़कर) 29 जून, 2022 तक दिया जा सकता है।
  2. प्रत्येक नामांकन पत्र के साथ उस संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में आवेदक से संबंधित प्रविष्टि की प्रमाणित प्रति भी संलग्न की जाएगी जिसमें अभ्यर्थी निर्वाचक के रूप में पंजीकृत है।
  3. प्रत्येक उम्मीदवार केवल पंद्रह हजार रुपये की राशि जमा करेगा या जमा करवाएगा। यह राशि नामांकन पत्र प्रस्तुत करते समय रिटर्निंग अधिकारी के पास नकद राशि में या पूर्व में भारतीय रिजर्व बैंक या सरकारी खजाने में जमा की जा सकती है इस मामले में कथित राशि जमा करने की रसीद नामांकन पत्र के साथ संलग्न करना आवश्यक है।
  4. नामांकन फॉर्म कार्यालय से निर्धारित समय में प्राप्त किए जा सकते हैं;
  5. अधिनियम की धारा 5बी की उप-धारा (4) के तहत रद्द किए गए नामांकन पत्रों के अलावा अन्य नामांकन पत्रों को जांच के लिए 30 जून, 2022 (बृहस्पतिवार) को पूर्वाह्न 11 बजे समिति कक्ष संख्या-62, प्रथम तल, संसद भवन, नई दिल्ली ले जाया जाएगा।
  6. उम्मीदवारी वापस लेने की सूचना स्वयं उम्मीदवार या उसके किसी प्रस्तावक या अनुमोदक द्वारा जिसे इस बारे में उम्मीदवार द्वारा लिखित रूप में अधिकृत किया गया है, अधोहस्ताक्षरी को पैराग्राफ (i) में निर्दिष्ट स्थान पर 2 जुलाई 2022 को दोपहर तीन बजे से पहले दी जा सकती है।
  7. चुनाव होने की स्थिति में मतदान सोमवार 18 जुलाई, 2022 को प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक नियमों के तहत निर्धारित मतदान स्थलों पर किया जाएगा।

सभी राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों के राजपत्रों में इन अधिसूचनाओं और चुनाव अधिकारी द्वारा जारी की गई सूचना के एक साथ प्रकाशन की व्यवस्था भी की गई है।

चुनाव प्रक्रिया के संबंध में किसी भी प्रकार की पूछताछ के लिए  श्री पी.सी. मोदी, राष्ट्रपति चुनाव, 2022 के लिए निर्वाचन अधिकारी और राज्य सभा के महासचिव से उनके कार्यालय (कमरा संख्या 29, भूतल, संसद भवन, नई दिल्ली) में सायं 3.30 बजे से सायं 4.30 तक सभी कार्य दिवसों को (सार्वजनिक अवकाश के अलावा) संपर्क किया जा सकता है। निर्वाचन अधिकारी से नामांकन पत्र भरने की अवधि में आप नामांकन करने के लिए शनिवार यानी 18 जून, 2022 को भी संपर्क किया जा सकता है।

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कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी-II का सफलतापूर्वक परीक्षण

कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी- II का 15 जून, 2022 को लगभग 1930 बजे ओडिसा में चांदीपुर एकीकृत परीक्षण स्थल से सफल परीक्षण किया गया। मिसाइल की कार्य प्रणाली पूरी तरह सटीक है और यह बहुत उच्च स्तर की चपलता के साथ लक्ष्य को भेदने में सक्षम साबित हुई। प्रशिक्षण-परीक्षण के दौरान मिसाईल ने स्वयं को अपने सभी संचालनगत और तकनीकी मानकों पर सिद्ध साबित किया।

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एस जयशंकर और अनुराग ठाकुर ने मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में भारतीय खेल प्राधिकरण के पहले स्क्वैश कोर्ट का उद्घाटन किया

केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर तथा केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में स्क्वैश कोर्ट का उद्घाटन किया। ये देश भर के किसी भी केंद्र में भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा शुरू किये गए पहले स्क्वैश कोर्ट हैं। उद्घाटन समारोह के दौरान खेल सचिव श्रीमती सुजाता चतुर्वेदी, भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के महानिदेशक संदीप प्रधान, और एनबीसीसी निदेशक (परियोजना) नीलेश शाह सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्क्वैश खेलने के शौकीन 68 वर्षीय डॉ जयशंकर ने कहा कि आज स्क्वैश कोर्ट का उद्घाटन करते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है। खेल मंत्रालय इस परियोजना को पूरा करने और सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह से वचनबद्ध है। कई खेलों को अब पहचान मिल रही है और देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा फिटनेस की जीवन शैली विकसित करने तथा प्रतिभाओं को अवसर देने का संदेश हर जगह गूंज रहा है। मोदी जी हमेशा शारीरिक फिटनेस, प्रतिस्पर्धा और मानसिक शक्ति पर जोर देते हैं, जो न्यू इंडिया के लिए बहुत जरूरी है। जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत सरकार देश में इस तरह की और अधिक खेल सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। हम यथासंभव अधिक से अधिक खेल सुविधाएं विकसित करना सुनिश्चित करेंगे। मैंने 24 साल की उम्र में स्क्वैश खेलना शुरू किया था और आज मैं 68 साल का हूं। हमें बस अच्छी सुविधाओं, अच्छे कोच तथा खेलने के इरादे की जरूरत है। खेलो इंडिया और फिट इंडिया सभी के लिए है। इसके लिए कोई उम्र की सीमा नहीं है। पूर्व केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल राज्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने दिसंबर 2020 में इस परियोजना की आधारशिला रखी थी। क्रियान्वयन से पहले स्क्वैश रैकेट फेडरेशन के प्रतिनिधियों तथा प्रख्यात खिलाड़ियों के बीच वरिष्ठ स्तर पर विभिन्न बैठकें आयोजित की गईं और यह निर्णय लिया गया कि स्टेडियम में कुल 6 स्क्वैश कोर्ट बनाए जाएं। इन 6 में से कुल 3 सिंगल कोर्ट को कन्वर्टिबल कोर्ट के रूप में रखा जाएगा, जो 2 डबल्स कोर्ट में कन्वर्टिबल होंगे।अनुराग सिंह ठाकुर ने प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को दोहराते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी जी हमेशा से खेल में ताकत और प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ-साथ मानसिक विश्वास को बढ़ाना चाहते हैं। राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह की सुविधा का होना उस लक्ष्य को प्राप्त करने का एक और माध्यम है। जब ऐसा मौका मिलता है तो नए सितारों के उभरने की संभावना बढ़ जाती है।इस बात का उल्लेख करते हुए कि युवा चैंपियन भारत सरकार की योजनाओं से कैसे लाभान्वित हो सकते हैं, श्री ठाकुर ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि इस तरह का विश्व स्तरीय स्क्वैश इंफ्रास्ट्रक्चर आने वाले वर्षों में निश्चित रूप से ऐसे अनेक होनहार चैंपियनों को तैयार करेगा और हम अपनी लक्षित ओलंपिक पोडियम योजना तथा खेलो इंडिया योजना के माध्यम से उनका सहयोग करने के लिए तैयार हैं। भारत ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान स्क्वैश के खेल में राष्ट्रमंडल खेलों में कुल 3 पदक और एशियाई खेलों में 13 पदक जीते हैं। यह आंकड़ा बढ़ता रहेगा। मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में स्क्वैश कोर्ट के निर्माण को भारतीय खेल प्राधिकरण की शासी निकाय की बैठक में कुल 5.52 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई थी। भारत सरकार के स्वामित्व वाले राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) ने नई दिल्ली में कोविड-19 और प्रदूषण संबंधी प्रतिबंधों के बावजूद इस परियोजना को पूरा किया।इस परिसर में 80 व्यक्तियों के बैठने की जगह है और यहां पर पुरुष, महिला एवं दिव्यांग व्यक्तियों के लिए शौचालय, टूर्नामेंट रूम / कार्यालय कक्ष, फिजियोथेरेपी कक्ष, स्टोर, रिसेप्शन लॉबी, रखरखाव क्षेत्र आदि बनाये गए हैं। इस भवन को विश्व स्क्वैश महासंघ द्वारा अनुमोदित एएसबी सिस्टम में 100 दीवारों के साथ फैक्ट्री फिनिश्ड कस्टम डिजाइन पीईबी सुपर संरचना द्वारा बनाया गया है, जिसमें लेमिनेशन के साथ पीयूएफ की छत है।

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अच्छा सोचे तो अच्छा होगा ~ स्मिता केंथ

सुबह सुबह जल्दी से घर के काम निपटा कर, मैंने तैयार होने के लिए अपनी कमरे की अलमारी में से इक शिफ़ॉन की साड़ी निकाली जो मुझे बेहद पसंद भी थी।हल्का आसमानी रंग बहुत गर्मी में यही अच्छा लगेगा ,सोच कर झट से तैयार हो गई।तैयार हो कर रामदीन काका को आवाज़ दी और कहा ! रामदीन काका जल्दी से गाड़ी में गिफ़्ट रखवा दीजिए और ड्राइवर से कहे ,गाड़ी को बाहर निकाले, मैं अभी आ रही हूँ। लेट तो मैं पहले ही हो गई थी। आज गर्मी बहुत थी मगर गाड़ी में गाने की धुन के साथ गुनगुनाते रास्ते का पता ही नहीं चला। जैसे तैसे करके मैं शैलजा के यहाँ पहुँची।आज उसके यहाँ शादी की सालगिरह की पार्टी रखी हुई थी। पार्टी के दौरान इधर-उधर की बातें मिलना मिलाना तो चल ही रहा था,तभी मेरा ध्यान उरमी की तरफ़ गया ,जो मेरी बचपन की सहेली थी उसका असली नाम उर्मिला है मगर मैं प्यार से उसे उरमी बुलाती हूँ जो अपनी बिमारी का ज़िक्र बार बार सभी से कर रही थी और सब को बता रही थी कि कैसे वो पिछले कुछ महीनों से परेशान रही।मैं अपनी सहेलियों से मिलते मिलाते उरमी को पीछे से जाकर अपनी बाँहों में ले लिया।मुझे वहाँ देख कर उरमी भी बहुत खुश हुई।हम दोनों वैसे तो एक ही शहर में रहते हैं मगर मिलना बहुत कम हो पाता है उसने भी मुझे ज़ोर से अपनी बाँहों में लिया और हैरान हो कर पूछने लगी कि मैं कहा रहती हूँ आजकल , कहीं दिखाई नहीं देती।थोड़ी इधर उधर की बात के बाद मैंने कहा।  सुन उरमी तुम मेरी प्यारी सहेली हो इसीलिए मैं तुम से इक बात शेयर करना चाहती हूँ। दोस्तों। वो बात जो कहीं न कहीं शायद हम सब के लिए समझना ज़रूरी भी है। मैंने उसे इक औरत जिस का नाम आयशा था ,की बात बताई। आयशा जो एक जवान ,सुन्दर और अच्छे परिवार से थी।काफ़ी अरसे से बिमार चल रही थी जब डाक्टरों का इलाज भी साथ नहीं दे रहा था तो काफ़ी निराश हो गई।किसी के घर ,किसी रोज़ उसकी मुलाक़ात किसी स्वामी जी से हुई।जहां उसने अपनी बिमारी की बात स्वामी जी से कह डाली।उसकी बात सुन कर स्वामी जी ने कहा ! घबराओ नहीं। ये मंत्र किया करो सबठीक हो जाओगा।आयशा बिमारी से तो झूंझ ही रही थी ,तो सोचा। जाप करने में हर्ज ही क्या है और विश्वास से मंत्र का जाप करने लगी। तीन सालों के बाद ,ठीक हो कर स्वामी जी के पास फिर आई।स्वामी जी ने पूछा। कैसी हो ?कहने लगी !जी अब ठीक हूँ। मंत्र और आप की किरपा से ठीक हो गई हूँ ।स्वामी जी कहा। तो चलो ,अब मौज करो और स्वामी जी ने उसे वहाँ से उठने का इशारा भी कर दिया ।आयशा वहाँ से उठ खड़ी हुईं,तो स्वामी जी की पत्नी ,जो पास में ही बैठी थी ,आयशा से पूछने लगी। क्या हुआ था? और अपने पास बैठा लिया। महिलायें तो महिला ही होती है ,जैसे आयशा इसी इन्तज़ार में थी कि कोई उससे ,उसका हाल पूछ ले और वो सारी बात उसे बताये। एकदम से आयशा ने अपनी कहानी सुनानी शुरू कर दी कि कैसे वो पिछले 7 सालो से बिमारी से झूझ रही थी।कैसे मुम्बई के अस्पताल में इलाज करवाया।कैसे उसे अपनी ज़मीन बेचनी पड़ी।कैसे उसके पति ने पानी की तरह पैसा बहाया उसके इलाज के लिये,और बता रही थी इतनी बीमार थी कि घर का काम भी नही कर पाती थी वग़ैरह वग़ैरह बहुत लम्बी लिस्ट थी जो वो बता रही थी स्वामी जी की पत्नी को, पिछले 45 मिनटों से लगातार आयशा बोलती जा रही थी और उसे ऐसा करते देख स्वामी जी ने आयशा को अपने पास बुलाया और कहा !तुम क्या चाहती हो ?कया तुम चाहती हो कि तुम फिर से बिमार हो जाओ? आयशा घबरा गई और बोली, नहीं नहीं स्वामी जी ,मैं ऐसा क्यों चाहूँगी। तब स्वामी जी ने कहा!तुम्हें बिमारी आई ।तुमने मंत्र से इसे ठीक भी कर लिया।अब जितना अपनी बिमारी का गुणगान करोगी न,बिमारी फिर से तुमहारे पास आ जायेगी।जैसे हमारे घर मे कोई आये और हम ख़ूब आवभगत करे ,तो वो मेहमान हमारे घर बार बार आना चाहता है क्यूँकि उन्हें पता होता है ,कि इस घर मे मेरा सन्मान होता है। जहाँ किसी को कोई नही पूछता वहाँ कोई दोबारा जाना नहीं चाहता।स्वामी जी ने कहा, यूँ भी सारा श्रेय मैं मन्त्र को भी नही दे सकता। कहीं न कहीं तुम्हें विश्वास भी था कि तुम अब ठीक हो जाओगी ,उसी विश्वास ने भी अपना काम शुरू कर दिया था, अब चुप रहो। बीमारी की महिमा या गुणगान ज़्यादा न करो ,नही तो वो फिर आ जायेगी, तब मैने उरमी से कहा, तुम भी तो वही कर रही हो ,बार बार बीमारी की बात दोहारा रही हो। ये सुन कर उर्मिला ने कहा! मेरी तौबा, मै किसी को भी ,आज के बाद बिमारी की बात नही दोहराऊँगी। दोस्तों! उसी को याद कीजिये जिसे आप चाहते है कि आप के पास आयेजो। चीज़ नही चाहते उसकी बात को दोहराये भी नही, दुनिया चाहोगे तो दुनिया मिलेगी, रब को याद करोगे तो रब भी मिल जायेगा, प्यार मोहब्बत इश्क़ वफ़ा जो चाहिए उसी का ज़िक्र करें, जैसे हम बहुत सरसरा से कह देते है रिश्तों मे कोई सच्चाई नही बची तो यही सब तो हो रहा है हमारे आसपास। हम सरसरा सा यू ही कह देते है कि बच्चे आजकल अपना ही सोचते है तो हो भी यही रहा है, क्योंकि हम ही ऐसी एनर्जी, ऐसी ऊर्जा भेज रहे है अपने आसपास, दोस्तों, अपनी सोच को पकड़े और अच्छा सोचे तो अच्छा ही होगा, इस जहान का इक दस्तूर है जनाब! वो ये है कि “सुना है तेरे जहाँ मे जिसे शिद्दत से चाहो ,वो आज नही ,तो कल मिलता ज़रूर है “और मुझे भी इन्तज़ार है उसी पल का !

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उपराष्ट्रपति ने मीडिया, वैज्ञानिक बिरादरी और लोगों से कृषि के प्रति सकारात्मक भाव दर्शाने की अपील की

उपराष्ट्रपति,  वेंकैया नायडु ने आज मीडिया, वैज्ञानिक बिरादरी और समग्र रूप से लोगों समेत सिविल सोसायटी से कृषि की तरफ सकारात्मक भाव दर्शाने की अपील की। कृषि को एक पवित्र गतिविधि बताते हुए उन्होंने कहा कि किसानों की सुरक्षा करना और कृषि को लाभदायक बनाना सुनिश्चित करने के लिए उन्हें सभी प्रकार की मदद करना वक्त की मांग है।

नायडु आज हैदराबाद में रायथू नेस्तम प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘प्रकृति सैन्यम’ का विमोचन कर रहे थे। यह पुस्तक उन 100 किसानों की सफलता की कहानियों का वर्णन करती है जो जैविक और पारंपरिक खेती में करने लगे हैं। श्री नायडु ने उम्मीद जताई कि यह पुस्तक अनेक लोगों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित करेगी।

यह बताते हुए कि ब्रिटिश शासन ने भारतीय कृषि को बुरी तरह प्रभावित किया है,  नायडु ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद खाद्य सुरक्षा की तलाश में, ‘‘हमने अपने प्राकृतिक पर्यावरण पर कृषि के प्रभाव की अनदेखी की है।’’ उन्होंने कहा कि जैविक खेती की ओर लौटने के लिए हाल के वर्षों में किए गए प्रयासों को देखकर प्रसन्नता हो रही है। श्री नायडु ने कहा कि प्राकृतिक खेती लागत को नियंत्रित कर सकती है और किसानों के लिए एक स्थिर आय पैदा कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के के दौर में किसानों को भी अत्यधिक लाभ होगा। उन्होंने कहा, ’’आगे, हमें कृषि संरक्षण को बढ़ाने के लक्ष्य के साथ स्थिरता भी सुनिश्चित करनी चाहिए।’’

उपराष्ट्रपति ने कहा कि संबद्ध गतिविधियों, विशेष रूप से पशुपालन को अपनाने वाले किसानों को खाद और जैव उर्वरक का एक शक्तिशाली स्रोत मिलने से जैविक खेती में लाभ होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को संबद्ध गतिविधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जो किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान कर सकती हैं और उन्हें कृषि में अनिश्चितताओं से बचा सकती हैं। देसी नस्लों के संरक्षण का आह्वान करते हुए, श्री नायडु ने कहा, ‘‘पशुधन राष्ट्रीय धन है।’’

कृषि में प्रौद्योगिकी को शामिल करने के महत्व पर बल देते हुए श्री नायडु ने प्राकृतिक और जैविक खेती में और अधिक शोध करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने मोटे अनाज में लोगों की बढ़ती अभिरुचि का लाभ उठाने और ऐसी फसलों में वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने का सुझाव दिया। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों, अनुसंधान केंद्रों और क्षेत्र स्तर के कार्यान्वयन के बीच अधिक तालमेल बनाने की आवश्यकता बताई। उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि किसानों के बीच पहुंच बढ़ाने के लिए शोधों का प्रकाशन भारतीय भाषाओं में होना चाहिए।

श्री नायडू ने उद्यमी युवाओं के कृषि के क्षेत्र में प्रवेश करने की प्रवृत्ति पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि यह कृषि के पुनरुद्धार के लिए एक सकारात्मक संकेत है। उन्होंने कृषि को लाभदायक बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों, नीति आयोग, व्यापार निकायों और मीडिया सहित विभिन्न हितधारकों से और अधिक समन्वित प्रयासा करने की अपील की और कहा कि युवाओं को भी इस परिवर्तन में भागीदार बनाया जाना चाहिए।

निदेशक, भाकृअनुप-एनएएआरएम, श्री श्रीनिवास राव, तेलंगाना पशुपालन विभाग के निदेशक, डॉ. एस. रामचंद्र, रायथू नेस्तम प्रकाशन के संस्थापक, श्री यादपल्ली वेंकटेश्वर राव, अनेक किसानों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

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सेना प्रमुख ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा-एलएसी पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

थल सेनाध्यक्ष, जनरल मनोज पांडे वर्तमान में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में वास्तविक नियंत्रण रेखा-एलएसी पर अग्रिम क्षेत्र के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। भारतीय थल सेना प्रमुख का पदभार संभालने के बाद सेनाध्यक्ष का इस सेक्टर का यह पहला दौरा है। मध्य कमान के सेना कमांडर और उत्तर भारत क्षेत्र के जीओसी भी सेना प्रमुख के साथ इस दौरे पर हैं।

अग्रिम चौकियों के दौरे के दौरान, थल सेना प्रमुख को स्थानीय कमांडरों द्वारा सीमाओं पर मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी जा रही है। अग्रिम क्षेत्रों में परिचालन तैयारियों का प्रत्यक्ष मूल्यांकन करते हुए, सेना प्रमुख के पर्वतारोहण कौशल और लंबी दूरी की गश्त सहित तैनात संरचनाओं की अधिक ऊंचाई वाली परिचालन क्षमताओं का प्रदर्शन देखने की योजना है। इस दौरान थल सेना प्रमुख इस क्षेत्र में जारी बुनियादी ढांचे और विकास कार्यों और अग्रिम क्षेत्रों में सेना-नागरिक संपर्क की भी समीक्षा कर रहे हैं।

अपनी यात्रा के दौरान कमांडरों के साथ बातचीत करते हुए, सेना प्रमुख ने सीमाओं पर सतर्कता और चौकसी की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने रक्षात्मक मुद्रा में तेजी से सुधार और संरचनाओं की परिचालन तैयारी पर संतोष व्यक्त किया। सेना प्रमुख ने लगातार निगरानी करने में आधुनिक तकनीक के समावेश की सराहना की।

थल सेनाध्यक्ष ने अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों के साथ बातचीत के दौरान उनके उच्च मनोबल की सराहना की और उनसे पेशेवर उत्कृष्टता के उच्च मानकों को बनाए रखने का आह्वाह्न किया। उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में परिचालन प्रभावशीलता और सतत विकास की दिशा में सेना, सीएपीएफ, नागरिक प्रशासन और पुलिस के बीच उत्कृष्ट तालमेल की भी सराहना की।

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मैं पराया धन नहीं, मैं तुम्हारी बिटिया हूं~प्रियंका वर्मा महेश्वरी

क्यों मायका पराया करना है

क्यों न ऐसा मानें कि अब हमारा
दो घर हो गया है.
कभी इस घर तो कभी उस घर
जाकर साथ निभाना है
हां ये मान लिया कि
पिया घर जरा ज्यादा फर्ज निभाना है
पर मायके में भी तो कुछ फर्ज,

कुछ रिवाजनिभाना है
सब जिम्मेदारी बेटे ही क्यों ले लें
सबको मिलकर एक साथ निभाना है
क्यों मैं सुनूं कि अब कब आओगी तुम
क्यों न ऐसा सुनूं कि जब भी समय मिले
बिटिया घर आ जाना तुम
फर्क बढ़ जाता है जब
परिवार का दायरा बढ़ जाता है
तो क्यों न ऐसा सोचें कि
जिम्मेदारियां निभाने में दो हाथ
और जुड़ जाते हैं
बेटे जब चले जाते नौकरी, व्यापार के लिए
दूर प्रदेश…. तब क्या वो पराये हो जाते हैं
थोड़े थोड़े समय पर थोड़े समय के लिए

आते हैं वो फर्ज निभाने के लिए
तब भी तो तुम ऐसा ही कहती हो न
कि जब समय मिले तो जल्दी आ जाना
मैं पराया धन नहीं हूं
मैं तुम्हारी बिटिया हूं
हमें हमेशा साथ निभाना है

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