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आईएनएस सतपुड़ा ने रिम्पैक – 2022 के दौरान प्रशांत महासागर में अपने पेशेवर कौशल का प्रदर्शन किया

अमेरिका के हवाई में 22 दिन चलने वाले बहुपक्षीय युद्धाभ्यास रिम्पैक-22 के समुद्री चरण के पूरा होने पर दिनांक 2 अगस्त 2022 को आईएनएस सतपुड़ा ने हवाई, यूएसए में पर्ल हार्बर में प्रवेश किया । इस जहाज ने विदेशी युद्धपोतों पर भारतीय नौसेना के हेलीकॉप्टर की क्रॉस-डेक लैंडिंग और समुद्र में रेपलेनिशमेंट करने के अलावा, समुद्री चरण के दौरान प्रशांत महासागर में बहु-राष्ट्रीय नौसेनाओं के साथ पनडुब्बी रोधी, युद्धपोत-रोधी और वायु-रोधी युद्धाभ्यासों में भाग लिया ।

रिम्पैक-22 के समुद्री चरण को तीन उप-चरणों में विभाजित किया गया था जिसमें जहाजों ने पहले दो उप-चरणों के दौरान बुनियादी और उन्नत स्तर के एकीकरण अभ्यास किए । इस कार्यक्रम का समापन थिएटर स्तर के बड़े फ़ोर्स टैक्टिकल अभ्यास के साथ हुआ । इस अभ्यास में एक विमान वाहक बैटल ग्रुप, पनडुब्बियां, समुद्री टोही विमान, मानव रहित विमान, दूर से संचालित होने वाले सरफेस शिप्स और बहुराष्ट्रीय नौसेनाओं के विशेष बलों के साथ जॉइंट ऑपेरशन सहित अम्फिबिस फ़ोर्स लैंडिंग ऑपरेशन का आयोजन किया गया ।

भारतीय तट से 9000 समुद्री मील दूर रिम्पैक-22 में आईएनएस सतपुड़ा की भागीदारी दुनिया के किसी भी हिस्से में संचालित करने के लिए भारतीय नौसेना की क्षमता का प्रमाण है । रिम्पैक-22 सबसे बड़े बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यासों में से एक है जिसमें भारतीय नौसेना भाग लेती है और इस वर्ष के अभ्यास में 26 देशों की भागीदारी हुई है जिसमें 38 सरफेस शिप्स, 09 लैंड फोर्सेज़, 31 मानव रहित सिस्टम्स, 170 विमान और 2,500 से अधिक सैन्यकर्मी शामिल हैं ।

आईएनएस सतपुड़ा एक स्वदेश में डिजाइन और निर्मित 6000 टन गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट है । जहाज विशाखापत्तनम स्थित पूर्वी बेड़े का एक हिस्सा है और भारत की आजादी के 75 वें वर्ष में लंबी दूरी की अभियानगत तैनाती के लक्ष्य के साथ तैनात है ।

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भारत ने अहम पड़ाव हासिल किया, अब तक 75 हजार से अधिक स्टार्ट-अप्स मान्य

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज घोषणा की कि भारत ने एक अहम पड़ाव हासिल कर लिया है, जिसके मद्देनजर देश में 75 हजार से अधिक स्टार्ट-अप्स को मान्य किया गया है। उन्होंने कहा कि यह संख्या परिकल्पना-शक्ति को साबित करती है; एक ऐसी परिकल्पना, जो नवाचार और उद्यमिता आधारित विकास के बारे में हो।

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने 75 हजार से अधिक स्टार्ट-अप्स को मान्यता प्रदान की है, जो आजादी के 75 वर्ष होने के क्रम में मील का पत्थर है। भारत जब आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो इसी दौरान नवोन्मेष, उत्साह और उद्यमी भावना भारतीय स्टार्ट-अप इको-सिस्टम को लगातार गति प्रदान कर रही है।

याद रहे कि 15 अगस्त, 2015 को लाल किले से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस वक्तव्य के दौरान एक नये भारत की परिकल्पना की थी, जो देशवासियों की उद्यमशील क्षमता को उजागर करेगा। इसके अगले वर्ष 16 जनवरी को, जिसे अब राष्ट्रीय स्टार्ट-अप दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया है, उस दिन देश में स्टार्ट-अप और नवाचार को पोषित करने के लिये एक मजबूत इको-सिस्टम बनाने की कार्य-योजना शुरू की गई थी। इन छह वर्षों के दौरान, उस कार्य-योजना से भारत को तीसरा सबसे बड़ा इको-सिस्टम बनाने में सफल दिशा-संकेत मिले। यह भी दिलचस्प बात है कि जहां 10 हजार स्टार्ट-अप्स को 808 दिनों में मान्यता मिली, वहीं अब 10 हजार स्टार्ट-अप्स की मान्यता 156 दिनों में ही कर दी गई। इस हिसाब से प्रतिदिन 80 से अधिक स्टार्ट-अप्स को मान्यता दी जा रही है – यह दर विश्व में सर्वाधिक है। इससे पता चलता है कि स्टार्ट-अप संस्कृति का भविष्य संभावनाओं से भरपूर और उत्साहवर्धक है।

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लोकसभा ने केन्द्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन), विधेयक 2022 पारित किया

लोकसभा ने आज राष्ट्रीय रेल एवं परिवहन संस्थान (एनआरटीआई), एक मानद (डीम्ड) विश्वविद्यालय, को गतिशक्ति विश्वविद्यालय (जीएसवी), एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय, के रूप में परिवर्तित करने के उद्देश्य से केन्द्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन), विधेयक 2022 को पारित कर दिया।

केन्द्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हमेशा भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण के साथ काम करते हैं और उनके नेतृत्व में चौथी औद्योगिक क्रांति तथा 21वीं सदी की चुनौतियों को अपनाने को आतुर रहने वाले एक भविष्योन्मुखी श्रमशक्ति को तैयार किया जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हो रहे तकनीकी विकास के बारे में भी बताया और कहा कि 2022 तक भारत फ्रंटियर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन जाएगा।

श्री प्रधान ने सड़क, रेलवे, नौवहन, उड्डयन आदि सहित बुनियादी ढांचे और परिवहन क्षेत्रों में हो रहे विभिन्न परिवर्तनों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि परिवहन क्षेत्रों का विकास, देश भर के छोटे शहरों में हवाई अड्डों का निर्माण और हवाई यातायात में वृद्धि भारत के लोगों की आकांक्षाओं को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि परिवहन क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन एक ज्ञान भंडार का  निर्माण करने, अनुसंधान करने, सर्वोत्तम कार्यप्रणाली को तैयार करने, कौशल विकास की सुविधा सुनिश्चित करने, क्षमता निर्माण की दिशा में काम करने और परिवहन क्षेत्र के विकास को सुविधाजनक बनाने हेतु एक संस्थान के निर्माण की मांग करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य के छात्रों को बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में सफल होने के लिए स्टेम के अलावा पर्यावरण, वाणिज्य और सामाजिक विज्ञान के बारे में सीखना होगा। इसलिए, गतिशक्ति विश्वविद्यालय नाम के एक विश्वस्तरीय, बहु-विषयक, बहुआयामी और भविष्योन्मुखी संस्थान की कल्पना की गई है।

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दृष्टिकोण के अनुरूप अधिक से अधिक युवाओं को शिक्षा और स्किलिंग के इकोसिस्टम की मुख्यधारा में लाने की जरूरत के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास सिर्फ नौकरी चाहने वालों की नहीं, बल्कि नौकरी देने वालों की एक पीढ़ी तैयार करना है। श्री प्रधान ने यह भी कहा कि भारत में एक नई कार्य संस्कृति विकसित हो रही है जिसमें किए गए वादों को पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गतिशक्ति इसी कार्य संस्कृति का एक और उदाहरण है।

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44वें शतरंज ओलम्पियाड में हम्पी, वैशाली की सहायता से भारत ने महिला वर्ग में जॉर्जिया पर जीत दर्ज की

कोनेरू हम्पी के मामल्लापुरम, तमिलनाडु में चल रहे 44वें शतरंज ओलम्पियाड में बुधवार को महिलाओं के सर्किट की शीर्ष खिलाड़ियों में से एक नाना डेजाग्निडेज को मात देने के साथ भारत ए ने महिलाओं के वर्ग के छठे राउंड में तीसरी वरीयता प्राप्त जॉर्जिया पर 3-1 से शानदार जीत दर्ज की है।

44वें शतरंज ओलम्पियाड के छठे राउंड में अपनी जीत के बाद भारतीय महिला टीम ए की जीएम कोनेरू हम्पी के साथ कप्तान जीएम अभिजीत कुंटे (फोटो : एफआईडीई)

हम्पी के अलावा, आर वैशाली ने भी लीला जावाशिविली को एकतरफा मुकाबले में मात दी, वहीं तानिया सचदेव और हरिका द्रोनावल्ली के ड्रा से भारत को जीत दर्ज करने में सहायता मिली।

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भारत की महिला टीम ए की सदस्य आईएम वैशाली 44वें शतरंज ओलम्पियाड के छठे राउंड में मैच खोलती हुई (फोटो : एफआईडीई)

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44वें शतरंज ओलम्पियाड के छठे राउंड के दौरान मैच खेलती खिलाड़ी (फोटो : एफआईडीई)

हम्पी ने कहा, “मैं प्रतिस्पर्धा के इस चरण में पदक के बारे में नहीं सोच रही हूं, क्योंकि हमें अभी यूक्रेन के अलावा कई अच्छी टीमों के साथ खेलना है। हमारी टीम भावना ऊंची है, जब भी जीत की जरूरत होती है तो हमेशा टीम का कोई न कोई खिलाड़ी आगे आता है।”

उन्होंने कहा, “मैं ढाई साल के बाद खेल रही हूं और वास्तव में शुरुआती कुछ मैचों में संघर्ष करना पड़ा। आज भी मेरा मैच खासा लंबा चला।”

भारत और जॉर्जिया के साथ संयुक्त रूप से मौजूद रोमानिया ने यूक्रेन के साथ 2-2 से ड्रा खेला, जबकि अजरबेजान ने कजाखस्तान को 3-1 से मात दी। वहीं पोलैंड ने सर्बिया को 4-0 से हरा दिया।

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भारत की ओपन टीम बी के सदस्य जीएम गुकेश डी बुधवार को मामल्लापुरम, तमिलनाडु में चल रहे 44वें शतरंज ओलम्पियाड के दौरान मैच खेलते हुए (फोटो :एफआईडीई)

वहीं डी गुकेश ने एक बार फिर से शानदार जीत दर्ज की। उनकी यह लगातार छठी जीत रही, लेकिन उनके प्रयास बेकार चले गए और भारत बी टीम ओपन वर्ग में आर्मेनिया से 1.5-2.5 से हार गई।

निहाल सरीन ने ड्रा खेला, वहीं अधिबान बी और रौनक साधवानी अपने-अपने मैच हार गए।

दूसरी तरफ, भारत सी ने लिथुआनिया पर 3.5-1.5 से जीत दर्ज की, वहीं दूसरी वरीयता प्राप्त भारत ने उज्बेकिस्तान के साथ 2-2 से ड्रा खेला।

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भारतीय खेल प्राधिकरण में हाल ही में अनुबंध/प्रतिनियुक्ति के आधार पर 420 प्रशिक्षकों की नियुक्ति की गई है: अनुराग ठाकुर

‘खेल’ के राज्य का विषय होने के कारण, प्रशिक्षण और खेलों के बुनियादी ढांचे के निर्माण सहित खेलों के प्रचार/विकास की जिम्मेदारी मुख्य रूप से संबंधित राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश की सरकार की होती है। केन्द्र सरकार अपनी विभिन्न योजनाओं यानी खेलो इंडिया योजना और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) द्वारा संचालित खेल प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से उनके प्रयासों में पूरक बनती है।

इसके अलावा, खेल के बुनियादी ढांचे सहित अन्य समर्थन प्रणालियों के साथ-साथ अच्छे प्रशिक्षकों की निस्संदेह जरूरत है। तदनुसार ओलंपिक 2024 एवं 2028 सहित महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी करने वाले एथलीटों को समग्र सहायता प्रदान करने के प्रयासों के तहत, हाल ही में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में अनुबंध/प्रतिनियुक्ति के आधार पर 420 प्रशिक्षकों की भर्ती/नियुक्ति नीचे दिए गए विवरण के अनुसार की गई है:

1)        101 प्रशिक्षकों का चयन प्रतिनियुक्ति के आधार पर किया गया है;

2)         103 प्रशिक्षकों का चयन अनुबंध के आधार पर किया गया है;

3)         सहायक प्रशिक्षक के ग्रेड में 212 प्रशिक्षकों का चयन अनुबंध के आधार पर किया गया है;

4)         मुख्य प्रशिक्षक के ग्रेड में 04 प्रशिक्षकों का चयन अनुबंध के आधार पर किया गया है।

वर्तमान में साई में 966 प्रशिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें से 134 महिला प्रशिक्षक नियमित आधार पर और 80 महिला प्रशिक्षक अनुबंध के आधार पर काम कर रही हैं।

इसके अलावा  खेलो इंडिया योजना के तहत, एक प्रभावी खेल प्रशिक्षण तंत्र तैयार किया गया है जिसमें “पूर्व के चैंपियन एथलीट” खेलो इंडिया केन्द्रों में प्रशिक्षक के रूप में संलग्न हैं। पारिश्रमिक, खेल उपकरण की खरीद, खेल किट, प्रतियोगिता का अनुभव दिलाने आदि के लिए पांच लाख रुपये प्रति स्पर्धा का वार्षिक आवर्ती अनुदान निर्धारित किया गया है, जिसमें से ​​25,000 रुपये प्रति महीने की दर से तीन लाख रुपये अनिवार्य रूप से पूर्व के चैंपियन एथलीट के पारिश्रमिक के लिए निर्धारित किए गए हैं। वर्तमान में, 91 खेलो इंडिया केन्द्रों में 102 पूर्व के चैंपियन एथलीट संलग्न हैं, जिनमें से 10 महिलाएं हैं।

यह जानकारी युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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किसानों के हित में एक और कदम उठाते हुए, सरकार ने चीनी सीजन 2022-23 में चीनी मिलों द्वारा देय गन्ना उत्पादक किसानों के लिए उचित और लाभकारी मूल्य को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गन्ना उत्पादक किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए, चीनी सीजन 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 10.25 प्रतिशत की मूल रिकवरी दर के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 305 रुपये प्रति क्विंटल को मंजूरी दे दी है। इससे 10.25 प्रतिशत से अधिक की रिकवरी में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की वृद्धि के लिए 3.05 रुपये/ क्विंटल का प्रीमियम मिलेगा और रिकवरी में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की कमी के लिए 3.05 रुपये प्रति/क्विंटल की दर से उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में कमी होगी। हालांकि, सरकार ने गन्ना उत्पादक किसानों के हितों की रक्षा के लिए यह भी निर्णय लिया है कि चीनी मिलों के मामले में कोई कटौती नहीं होगी, जहां रिकवरी 9.5 प्रतिशत से कम है। ऐसे किसानों को वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में 275.50 रुपये प्रति क्विंटल स्थान पर आगामी चीनी सीजन 2022-23 में गन्ने के लिए 282.125 रुपये/क्विंटल मिलेगा।

चीनी सीजन 2022-23 के लिए गन्ने के उत्पादन की A2 + FL लागत (यानी वास्तविक भुगतान की गई लागत के साथ पारिवारिक श्रम का मूल्य) 162 रुपये प्रति क्विंटल है। 10.25 प्रतिशत की भरपाई दर पर 305 रुपये प्रति क्विंटल का यह एफआरपी उत्पादन लागत से 88.3 प्रतिशत अधिक है। यह किसानों को उनकी लागत पर 50 प्रतिशत से अधिक का लाभ प्रदान करने का वादा सुनिश्चित करता है। चीनी सीजन 2022-23 के लिए एफआरपी मौजूदा चीनी सीजन 2021-22 की तुलना में 2.6 प्रतिशत अधिक है।

केंद्र सरकार की सक्रिय नीतियों के कारण, गन्ने की खेती और चीनी उद्योग पिछले 8 वर्षों में एक लंबा सफर तय कर चुके हैं और अब आत्मनिर्भरता के स्तर पर पहुंच गए हैं। यह समय पर सरकारी हस्तक्षेप और चीनी उद्योग, राज्य सरकारों, केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के साथ-साथ किसानों के साथ सहयोग का परिणाम है। हाल के वर्षों में चीनी क्षेत्र के लिए सरकार द्वारा किए गए मुख्य उपाय:

• गन्ने के एफआरपी को गन्ने के उत्पादकों के लिए एक गारंटीकृत मूल्य सुनिश्चित करने के लिए तय किया गया है।

• सरकार ने पिछले 8 वर्षों में एफआरपी में 34 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की है।

• सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) की संकल्पना को भी प्रस्तुत किया है ताकि चीनी की पूर्व-मिल कीमतों में गिरावट और गन्ना बकाया के संचय को रोकने के लिए (एमएसपी शुरुआत में 29 रुपये प्रति किलोग्राम 07 जून 2018 से प्रभावी रूप से लागू करने के लिए तय किया गया; संशोधित 31 रुपये प्रति किलोग्राम 14 फरवरी 2019 से प्रभावी।

• चीनी मिलों के निर्यात की सुविधा के लिए, बफर स्टॉक को बनाए रखने के लिए, इथेनॉल उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए और किसानों के बकाया भुगतान के लिए चीनी मिलों को 18,000 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता।

• अधिशेष चीनी को इथेनॉल के उत्पादन में बदलकर चीनी मिलों की वित्तीय स्थितियों में सुधार किया। नतीजतन, वे गन्ने के बकायों का जल्दी से भुगतान करने में सक्षम हैं।

• चीनी के निर्यात और चीनी को इथेनॉल में बदलने के कारण, चीनी क्षेत्र आत्मनिर्भर हो गया है और मिलों की तरलता में सुधार हेतु निर्यात व बफर के लिए बजटीय समर्थन करने की आवश्यकता नहीं है

इसके अलावा, पिछले कुछ शुगर सीजनों के दौरान चीनी क्षेत्र के लिए किए गए विभिन्न अन्य उपायों के कारण, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ गन्ने की उच्च उपज देने वाली किस्मों के उपयोग की शुरुआत, ड्रिप सिंचाई प्रणाली को अपनाना, चीनी संयंत्र का आधुनिकीकरण और अन्य अनुसंधान एवं विकास गतिविधियां, गन्ने की खेती का क्षेत्र, गन्ने का उत्पादन, गन्ने की तराई, चीनी उत्पादन और इसका रिकवरी प्रतिशत व किसानों को भुगतान में काफी वृद्धि शामिल है।

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

इस निर्णय से 5 करोड़ गन्ना उत्पादक किसानों और उनके आश्रितों के साथ-साथ चीनी मिलों और संबंधित सहायक गतिविधियों में कार्यरत 5 लाख श्रमिकों को लाभ होगा। 9 साल पहले, 2013-14 चीनी सीजन में एफआरपी सिर्फ 210 रुपये प्रति क्विंटल था और सिर्फ 2397 एलएमटी गन्ना चीनी मिलों द्वारा खरीदा गया था। किसानों को केवल गन्ने की बिक्री से चीनी मिलों से सिर्फ 51,000 करोड़ मिलते थे। हालांकि, पिछले 8 वर्षों में सरकार ने एफआरपी में 34 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की है। वर्तमान चीनी सीज़न 2021-22 में, चीनी मिलों द्वारा लगभग 3,530 लाख टन गन्ना खरीदा गया जिसकी कीमत 1,15,196 करोड़ रुपये है, जो अब तक सबसे अधिक है।

आगामी चीनी सीजन 2022-23 में गन्ने के रकबे और अपेक्षित उत्पादन में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, 3,600 लाख टन से अधिक गन्ने को चीनी मिलों द्वारा खरीदे जाने की संभावना है, जिसके लिए गन्ने के किसानों को भुगतान की जाने वाली कुल रकम 1,20,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है। सरकार किसान समर्थक उपायों के माध्यम से यह सुनिश्चित करेगी कि गन्ने के किसानों को समय पर उनका बकाया मिले।

पिछले चीनी सीजन 2020-21 में लगभग 92,938 करोड़ रुपये का गन्ना बकाया देय था, जिसमें से 92,710 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है और केवल 228 करोड़ रुपये बकाया हैं। वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में 1,15,196 करोड़ रुपये में से किसानों को 1,05,322 करोड़ रुपये गन्ने के बकाया का भुगतान किया गया, 01 अगस्त 2022 तक; इस प्रकार 91.42 प्रतिशत गन्ना बकाया का भुगतान कर दिया गया है जो कि पिछले चीनी सीजनों की तुलना में अधिक है।

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भारत- दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक:

भारत ने वर्तमान चीनी सीजन के दौरान चीनी उत्पादन में ब्राजील को पीछे छोड़ दिया है। पिछले 8 वर्षों में चीनी के उत्पादन में वृद्धि के साथ, भारत घरेलू खपत के लिए अपनी आवश्यकता को पूरा करते हुए चीनी का निरंतर निर्यात भी कर रहा है, जिससे हमारे राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद मिली है। पिछले 4 चीनी सीजन; 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के दौरान क्रमशः 6 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी), 38 एलएमटी, 59.60 एलएमटी और 70 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया है। वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में 01 अगस्त 2022 तक लगभग 100 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया है और कुल निर्यात लगभग 112 एलएमटी तक होने की संभावना है।

गन्ना किसान और चीनी उद्योग अब ऊर्जा क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं:

भारत के कच्चे तेल की कुल आवश्यकता का 85 प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। लेकिन कच्चे तेल पर आयात बिल को कम करने, प्रदूषण को कम करने और देश को पेट्रोलियम क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए, सरकार पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रित कार्यक्रम के तहत इथेनॉल के उत्पादन और पेट्रोल के साथ इथेनॉल के मिश्रण को बढ़ाने के मार्ग पर सक्रिय रूप से आगे बढ़ रही है। सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने को इथेनॉल में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, ताकि इसे पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जा सके, जो न केवल हरित ईंधन के रूप में कार्य करता है, बल्कि यह कच्चे तेल के आयात पर खर्च की जाने वाली विदेशी मुद्रा की भी बचत करेगा। चीनी सीजन 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के दौरान क्रमशः लगभग 3.37 एलएमटी, 9.26 एलएमटी और 22 एलएमटी चीनी को इथेनॉल में बदला गया। वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में, लगभग 35 एलएमटी चीनी को इथेनॉल में बदले जाने का अनुमान है और 2025-26 तक 60 एलएमटी से अधिक चीनी को इथेनॉल में बदलने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो अतिरिक्त गन्ने की समस्या के साथ-साथ विलंब से होने वाले भुगतान का भी समाधान करेगा, क्योंकि गन्ना किसानों को समय पर भुगतान प्राप्त होगा।

सरकार ने 2022 तक पेट्रोल के साथ ईंधन ग्रेड इथेनॉल के 10 प्रतिशत मिश्रण का और 2025 तक 20 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है ।

वर्ष 2014 तक, शीरा (मोलासेज) आधारित डिस्टिलरियों की इथेनॉल की आसवन (डिस्टिलेशन) क्षमता सिर्फ 215 करोड़ लीटर की थी। हालांकि, पिछले आठ वर्षों में सरकार द्वारा किए गए नीतिगत बदलावों के कारण, शीरा आधारित डिस्टिलरियों की यह क्षमता बढ़कर 595 करोड़ लीटर की हो गई है। अनाज आधारित डिस्टिलरियों की जो क्षमता 2014 में लगभग 206 करोड़ लीटर की थी, वो अब बढ़कर 298 करोड़ लीटर की हो गई है। इस प्रकार, पिछले आठ वर्षों में इथेनॉल उत्पादन की कुल क्षमता 2014 में 421 करोड़ लीटर से दोगुनी होकर जुलाई 2022 में 893 करोड़ लीटर की हो गई है। सरकार इथेनॉल उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी के उद्देश्य से चीनी मिलों/डिस्टिलरी को बैंकों से लिए गए ऋण के लिए ब्याज अनुदान भी दे रही है। इथेनॉल क्षेत्र में लगभग 41,000 करोड़ का निवेश किया जा रहा है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2013-14 में,  तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इथेनॉल की आपूर्ति महज 38 करोड़ लीटर की थी जिसमें मिश्रण का स्तर सिर्फ 1.53 प्रतिशत का था। ईंधन ग्रेड इथेनॉल का उत्पादन और तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इसकी आपूर्ति 2013-14 की तुलना में आठ गुना बढ़ गई है। इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2020-21 (दिसंबर-नवंबर) में, 8.1 प्रतिशत के मिश्रण स्तर को हासिल करते हुए तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को लगभग 302.30 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति की गई है। वर्तमान इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2021-22 में, हम 10.17 प्रतिशत का मिश्रण स्तर हासिल करने में सक्षम हैं। वर्तमान इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2021-22 में पेट्रोल के साथ मिश्रण के लिए चीनी मिलों/डिस्टिलरीज द्वारा 400 करोड़ लीटर से अधिक इथेनॉल की आपूर्ति किए जाने की संभावना है, जोकि वर्ष 2013-14 में की गई आपूर्ति की तुलना में 10 गुना होगी।

चीनी उद्योग आत्मनिर्भर बना :

कुछ समय पहले तक, चीनी मिलों की आय मुख्य रूप से चीनी की बिक्री पर निर्भर थीं। किसी भी सीजन में अतिरिक्त उत्पादन का उनकी भुगतान क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जिससे गन्ना उत्पादक किसानों की धनराशि बकाया हो जाती है। उनकी भुगतान क्षमता में सुधार के लिए समय-समय पर सरकारी हस्तक्षेप किए गए। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में अतिरिक्त चीनी के निर्यात को प्रोत्साहित करने और चीनी को इथेनॉल में बदलने सहित केंद्र सरकार की सक्रिय नीतियों के कारण, चीनी उद्योग अब आत्मनिर्भर हो गया है।

चीनी मिलों ने 2013-14 से तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इथेनॉल की बिक्री से लगभग 49,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में चीनी मिलों द्वारा ओएमसी को लगभग 20,000 करोड़ रुपये मूल्य के इथेनॉल की बिक्री की जा रही है, जिससे चीनी मिलों की भुगतान क्षमता में सुधार हुआ है और वे किसानों को गन्ना की बकाया धनराशि का भुगतान करने में सक्षम हैं। चीनी और उसके सह-उत्पादों की बिक्री, ओएमसी को इथेनॉल की आपूर्ति, बैगेस आधारित सह-उत्पादन संयंत्रों से बिजली उत्पादन और प्रेस मिट्टी से उत्पादित पोटाश की बिक्री से आय होने से चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में अनेक माध्यम से सुधार हुआ है।

केंद्र सरकार द्वारा किए गए उपायों और एफआरपी में वृद्धि से किसानों को गन्ने की खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया है और चीनी के घरेलू उत्पादन के लिए चीनी मिलों के निरंतर संचालन की सुविधा मिली है। चीनी उद्योग के लिए सरकार द्वारा बनाई गई सकारात्मक नीतियों के परिणामस्वरूप भारत भी अब ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनता जा रहा है।

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एसएन सेन महाविद्यालय के सभागार में कूटा कार्यकारिणी की बैठक संपन्न

कानपुर 5 अगस्त, एसएन सेन महाविद्यालय के सभागार में कूटा की कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें सभी शिक्षक गण उपस्थित थे। पूर्व प्राचार्य डॉ निशा अग्रवाल ने नवनियुक्त प्राचार्या डा सुमन को उत्तरी पहनाकर उनका स्वागत किया। प्राचार्या को समस्त शिक्षकों मोमेंटो भी प्रदान किया। प्राचार्या डॉ सुमन ने सभी शिक्षकों को संबोधित करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की और यह आवाहन किया कि जैसे एस एन सेन कालेज काअब तक नाम आगे रहा है वैस ही हम सब मिलकर आगे भी इसको बहुत ऊंचाइयों तक ले जाएंगे ।इस बैठक में महाविद्यालय की सभी शिक्षक बहने उपस्थित थी। डॉक्टर निशी, डॉक्टर रेखा, डॉ गार्गी ,डॉ प्रीति पांडे, डॉ प्रीति सिंह ,श्री हरीश जी ,डॉ मीनाक्षी व्यास, कैप्टन ममता, डॉ रचना श्रीमती किरन,डॉ मोनिका डा निशा वर्मा, शुभा,डॉ अनामिका, डा पूजा, डा रीता, संगीता, डा रश्मि, रिचा सिंह,आदि भी उपस्थित रहे।

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आपदा-विपदाकाल में एक मुश्त समाधान योजना के अंतर्गत ऋण की धनराशि जमा किये जाने में परेशानियों को दृष्टिगत रखते हुए मुख्यालय लेखा अनुभाग लखनऊ द्वारा 9 माह के लिए बढ़ायी गई थी।

*कानपुर नगर, दिनांक 05 अगस्त, 2022(सू0वि0),जिला ग्रामोद्योग अधिकारी मनोज शुक्ला ने बताया है कि एक मुश्त समाधान योजना के तहत उ0प्र0 खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा सी0बी0सी0 योजना में वित्तपोषित संस्था/समिति/व्यकितगत उद्यमियों/ईकाइयों को कोविंड-19 द्वितीय लहर के संक्रमण फैलने व लाकडाउन होने के कारण उक्त महामारी में आपदा-विपदाकाल में एक मुश्त समाधान योजना के अंतर्गत ऋण की धनराशि जमा किये जाने में परेशानियों को दृष्टिगत रखते हुए मुख्यालय लेखा अनुभाग लखनऊ द्वारा दिनांक 01 अप्रैल, 2021 से दिनांक 31 दिसमबर तक 9 माह के लिए बढ़ायी गई थी।
उपरोक्त के तारतम्य में बोर्ड बैठक दिनांक 24 जून, 2022 में प्रस्ताव संख्या-12 पर लिये गये निर्णय/अनुमोदन के क्रम में जनपद के उद्यमियों/ईकाइयों को ऋण जमा करने हेतु सी0बी0सी0 योजना के अंतर्गत एक मुश्त समाधान योजना की अवधि दिनांक 01 जनवरी, 2022 से दिनांक 31 दिसमबर 2022 तक एक वर्ष हेतु बढायी गई है।
उन्होंने बताया कि उ0प्र0 खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा वित्तपोषित संस्था/समिति/व्यकितगत उद्यमियों/ईकाइयों को सी0बी0सी0 योजना के अंतर्गत वितपोषित उद्यमियों/ईकाइयों को एक मुश्त समाधान योजना का लाभ नहीं प्राप्त किया है तो ऐसी समस्त संस्था/समिति/व्यकितगत उद्यमियों/ईकाइयों को दिनांक 31 दिसमबर, 2022 तक यथाशीघ्र समस्त अवशेष धनराशि जमा करते हुए एक मुश्त समाधान योजना (ओ0टी0एस0) का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। मात्र माननीय न्यायालय में लंबित प्रकरण पर उपरोक्त योजना का लाभ प्रदान नहीं किया जायेगा।

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क्राइस्ट चर्च पीजी कॉलेज में पर्यावरण संरक्षण पर भारत उत्थान न्यास तथा अमर उजाला फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में वर्कशॉप आयोजित

कानपुर 5 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च पीजी कॉलेज में पर्यावरण संरक्षण पर भारत उत्थान न्यास तथा अमर उजाला फाउंडेशन के साथ मिलकर एक वर्कशॉप का आयोजन किया  आरंभ में कॉलेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल उप प्राचार्य डॉ सबीना बोदरा तथा एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुनीता वर्मा के निर्देशन में हुआ। इस अवसर पर आमंत्रित किए गए अतिथि डॉ शशि अग्रवाल डॉ अनीता निगम सुजीत कुंतल उपस्थित रहे कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों ने कॉलेज के अध्यापक और छात्र के संग मिलकर कॉलेज में जगह जगह पर पौधारोपण किया और सभी को पौधों का हमारे जीवन में कितना अधिक महत्व है, इस से अवगत कराया। साथ ही पर्यावरण दूषित होने वाले कारणों पर भी प्रकाश डाला और उससे बचने के उपाय सांझा किए।

इसके साथ कार्यक्रम का समापन डॉ सुनीता वर्मा ने अपनी एनएसएस इकाई के प्रमुख हर्षवर्धन दिक्षित तथा सह प्रमुख मोहम्मद अली, विलायत फातिमा ने अपनी टीम जिनमें सुप्रिया,स्तुति,अरफिया,सौम्या,इरम,जारा,पवन,मेनका,हर्षिता,कांची,अरबाज,आयुषी,साद,दिया,मुस्कान,रितेश रिया के साथ मिलकर कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन किया।

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आयुक्त कानपुर मंडल ने कानपुर नगर जनपद के कल्याणपुर ब्लॉक के कटरी शंकरपुर सराय के सरकारी मॉडल प्राथमिक विद्यालय का औचक निरीक्षण किया

कानपुर 5 अगस्त, जिला सूचना कार्यालय, छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति की औचक जाँच करने और छात्रों / बच्चों को प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से, आयुक्त कानपुर मंडल ने कानपुर नगर जनपद के कल्याणपुर ब्लॉक के कटरी शंकरपुर सराय के सरकारी मॉडल प्राथमिक विद्यालय का औचक निरीक्षण किया.

आयुक्त द्वारा दी गई टिप्पणियों और निर्देशों के महत्वपूर्ण बिंदु हैं:

1) यह कक्षा 1 से 5 तक का अंग्रेजी माध्यम का मॉडल स्कूल है।

2) स्कूल में कुल प्रवेश (अड्मिशन) 148 है।
लेकिन आज 110 छात्र स्कूल में उपस्थित थे।

3) इस विद्यालय में एक हेड मास्टर और 3 शिक्षक हैं। सभी मौजूद थे।

4) छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत करते हुए, आयुक्त के ध्यान में लाया गया कि इस स्कूल में इस शैक्षणिक सत्र के लिए स्कूल की किताबें अब तक प्राप्त नहीं हुई हैं।
कमिश्नर ने एडी बेसिक को यह जांचने को कहा कि इस स्कूल में स्कूल की किताबें वितरण करने में लगभग 4 महीने की देरी क्यों हो रही है।
उन्होंने एडी बेसिक को सभी जिलों के साथ जांच करने और अगले 24 घंटों में आयुक्त को रिपोर्ट देने के लिए कहा।

5) आयुक्त ने छात्रों के उपस्थिति रजिस्टर की जांच की।
आयुक्त ने कुछ अभिभावकों से भी फोन पर बात की, जिनके बच्चे आज की कक्षाओं में उपस्थित नहीं हुए, यह जानने के लिए कि छात्र अनुपस्थित क्यों हैं।

6) आयुक्त ने “अभिभावक शिक्षक बैठक” के रजिस्टर की भी जाँच की।
यह पाया गया कि पिछली अभिभावक शिक्षक बैठक (पीटीएम) मार्च 2022 में आयोजित की गई थी।
उसके बाद पिछले 4 महीनों में कोई पीटीएम आयोजित नहीं किया गया है।
गाइडलाइंस के मुताबिक हर महीने पीटीएम कराई जाएगी।

इसके अलावा यह पाया गया कि केवल 10 से 15% माता-पिता ही पीटीएम में भाग लेते हैं।

आयुक्त ने प्रधानाध्यापक और सभी शिक्षकों से कहा कि वे संपर्क करें और माता-पिता को पीटीएम में भाग लेने के लिए मनाएं। यदि वे भाग लेने में असमर्थ हैं, तो प्रधानाध्यापक और शिक्षकों को ऐसे माता-पिता से संपर्क करना चाहिए जो कई महीनों से पीटीएम में भाग नहीं ले रहे हैं और उन्हें अपने बच्चों की प्रगति के बारे में अद्यतन और जानकारी देने के लिए व्यक्तिगत रूप से संपर्क करें।

7) निरीक्षण के दौरान पाया गया कि स्कूल में बिजली की आपूर्ति नहीं थी।
आयुक्त ने प्रधानाध्यापक से पूछा तो उन्होंने बताया कि पिछले 15 दिनों से बिजली आपूर्ति नहीं हो रही है क्योंकि पोल से स्कूल तक बिजली आपूर्ति केबल क्षतिग्रस्त है.

आयुक्त ने एबीएसए और प्रधान को इसकी मरम्मत और अगले 24 घंटों में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कहा।

8) आयुक्त ने छात्रों के साथ बातचीत की, और उन्होंने छात्रों को उनमें से प्रत्येक को एक पौधा भेंट कर प्रेरित किया।

कुछ छात्रों ने पौधों के फायदे भी बताए। सभी छात्रों ने आयुक्त को अपने घर या अपने खेतों में पौधे लगाने और बड़े होने तक उनकी देखभाल करने का आश्वासन दिया।

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