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मजबूत कदम जरूरी

काफी समय बाद कांग्रेस खेमे में फिर से काफी हलचल दिखाई दे रही है कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर और घटनाक्रम बहुत तेजी से बदल रहे हैं। हालांकि राहुल गांधी की “भारत छोड़ो यात्रा” ने जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है और एक सकारात्मक नजरिया भी उनके प्रति पनपने लगा है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस दल के अंदरूनी कलह का असर उनके मिशन पर पड़ सकता है।

विदित है कि अध्यक्ष पद के लिए गहलोत सूची में सबसे आगे हैं लेकिन आपसी विवाद के चलते फैसला निर्णायक नहीं हो पा रहा है। अध्यक्ष पद की लाइन में कांग्रेस नेतृत्व का विरोध करने वाले शशि थरूर भी आगे हैं। सचिन पायलट का मौन क्या असर दिखाएगा अभी गर्भ में है। शुरू शुरू में गहलोत और शशि थरूर का नाम आगे था लेकिन राजस्थान में मचे राजनीतिक बवाल से कई और नाम भी सामने आ रहे हैं- मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह, केसी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक है। यह सभी नाम और चेहरे गांधी परिवार के खास माने जाते हैं। यह सभी लोग चुनावी राजनीति से दूर हैं और इनकी अपनी पहचान है।
शायद यह पहली बार है जब कांग्रेस पार्टी को गैर गांधी परिवार का अध्यक्ष मिलेगा और यही वक्त है जब राजशाही व्यवस्था को दरकिनार कर आपसी कलह को मिटाकर संगठन को मजबूत किया जाए। राहुल गांधी की “भारत छोड़ो यात्रा” कांग्रेस पार्टी के अस्तित्व के लिए डूबते को तिनके का सहारा है।

~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिवस पर सेवा पखवाड़ा कार्यक्रम के अन्तर्गत एस.एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में बालिका सशक्तिकरण हेतु संगोष्ठी का आयोजन

कानपुर 28 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिवस पर सेवा पखवाड़ा कार्यक्रम के अन्तर्गत एस.एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज कानपुर में आज दिनांक 27/09/2022 को बालिका सशक्तिकरण हेतु एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि माननीय सांसद श्री सत्यदेव पचौरी, विशिष्ट अतिथि श्री मनोज सिंह, महाविद्यालय प्रबंध तंत्र के अध्यक्ष श्री पी.के. मिश्रा, सचिव श्री पी. के. सेन, प्राचार्या प्रोफेसर सुमन, संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन एवम् सदस्या श्रीमती दीपाश्री सेन के द्वारा दीप प्रज्वलन से किया गया। मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में सभी छात्राओं को डिजिटलाइजेशन के लिए प्रोत्साहित किया। श्री सत्यदेव पचौरी जी ने महाविद्यालय की छात्राओं हेतु 30 स्मार्ट क्लासेज देने का संकल्प करते हुए उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की तथा प्राचार्या के बालिका हित में किए गए कार्यों की सराहना की। विशिष्ट अतिथि ने छात्राओं को प्रगति के पथ पर बढ़ने का शुभाशीष दिया। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर सुमन ने छात्राओं को विविधता में एकता का संदेश देते हुए उन्हें प्रगति पथ पर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया तथा मुख्य अतिथि को स्मार्ट क्लासेज का अनुरोध स्वीकार करने हेतु उनका शत शत आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश शासन की स्मार्टफोन वितरण योजना के अंतर्गत बी. ए. अंतिम वर्ष की 2022 में उत्तीर्ण छात्राओं को मुख्य अतिथि एवम विशिष्ट अतिथि के द्वारा स्मार्टफोन का वितरण किया गया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में कैप्टन ममता अग्रवाल, प्रोफेसर गार्गी यादव, डॉ. प्रीति सिंह, डॉ. संगीता सिंह एवम् उनकी टीम ने सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया। इस अवसर पर समस्त महाविद्यालय परिवार की उपस्थिति तथा योगदान सराहनीय रहा।

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श्याम नगर में शारदे द्वितीय ब्रह्मचारिणी देवी का भव्य जागरण संपन्न

कानपुर 28 सितंबर भारतीय स्वरूप, संवाद सूत्र सुभाष मिश्र, नवरात्रि के दिनों में माता की चौकी और माता रानी का भव्य जागरण देखने को तो हर जगह जगह होता है मां शारदे द्वितीय ब्रह्मचारिणी देवी का विगत कई वर्षों से भव्य जागरण श्याम नगर के सी ब्लॉक चौबे चौराहा स्थिति मैं आयोजित किया जाता आ रहा है जिसमें की माता रानी की दरबार के अलावा उनकी गुफा के अंदर माता के रूप में उनकी पिंडी के रूप में विराजमान थी जन जागृति युवा समिति के अध्यक्ष एडवोकेट धर्मेंद्र पांडे ने बताया कि करो ना काल के 2 वर्ष के बाद इस वर्ष माता रानी मनमोहक झांकियों की सजावट देखने को मिली सेवादार अतुल दिक्षित ( संपादक) संदीप तिवारी, कैलाश मिश्र, वरुण यादव, आशीष गुप्ता, सौरभ शुक्ला सूबेदार पांडे, आनंद पांडे, संतोष गुप्ता ने मंच का संचालन किया

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आरोग्य धाम का संकल्प, डेंगू से ना हो किसी की मौत

कानपुर 28 सितंबर संवाद सूत्र सुभाष मिश्र, आज डेंगू के बीच प्रकोप से बचने के लिए मरीजों को नहीं जाना पड़ेगा वेंटिलेटर पर होम्योपैथिक दवाएं ही कर रही है चमत्कार अब नहीं होगी किसी की करो ना डायरिया एवं वायरल फीवर से मौत डॉ हेमंत मोहन एवं डॉ आरती मोहन का कहना है कि डेंगू और चिकनगुनिया के दौरान होम्योपैथिक दवाई लेने से मजबूत होते हैं! लीवर फेफड़े किडनी एवं हृदय होम्योपैथी दवाएं रोग का उपचार करती हैं! आरोग्य धाम का संकल्प है!अब किसी की नहीं होगी मौत आरोग्य धाम ग्वालटोली से उमड़े डेंगू एवं चिकनगुनिया के मरीज दिखाने आ रहे हैं! आरोग्य धाम के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉक्टर में हेमंत मोहन ने बताया डेंगू एवं चिकनगुनिया के मरीज के पेन किलर ले लेता है! तो उसकी सायनोवियल में ब्रेन में सूजन आ जाती है आज एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें बोलते हुए आरोग्यधाम के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ हेमंत मोहन एवं आरोप धाम की वरिष्ठ होम्योपैथिक स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर डॉक्टर आरती मोहन ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा विगत कुछ दिनों में मौसम में बदलाव के डेंगू एवं चिकनगुनिया रोगियों की वृद्धि देखी गई है शहर ही नहीं आसपास के जिलों में आरोग्यधाम में डेंगू एवं चिकनगुनिया के मरीज दिखाने आ रहे है! ऐसे में जब मरीज पेन किलर लेना बंद करता है तब उसके जोड़ों में जकड़न आ जाती है तथा उसका चलना फिरना दुबर हो जाता है इस स्थिति में लक्षणों पर आधारित उच्च गुणवत्ता वाली होम्योपैथिक दवाई लेने से इस दर्द का एवं चिकनगुनिया का समूल नाश किया जा सकता है! डेंगू हेमोरेजिक फीवर की कंडीशन में जब सोडियम एवं पोटेशियम का बैलेंस शरीर में बिगड़ जाता है एवं मरीज का दिमाग संतुलन से बाहर हो जाता है तब भी होम्योपैथिक दवाएं चमत्कारिक परिणाम देती हैं यह जानकारी जनहित में डॉक्टर हेमंत मोहन व डॉक्टर आरती मोहन ने दी!

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज एनएसएस इकाई फिर से सर्वश्रेष्ठ

कानपुर 25 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, महाविद्यालय की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. संगीता सिरोही को छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा पीएसआईटी में आयोजित राष्ट्रीय सेवा योजना के 54वें स्थापना दिवस समारोह में उनके द्वारा समाज सेवा के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट एवं सकारात्मक कार्यों तथा कुशल नेतृत्व हेतु गौरवमयी सम्मान *’गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार’* कांस्य पदक से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें सांसद राज्यसभा, डॉ सुधांशु त्रिवेदी व कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के कर-कमलों से प्राप्त हुआ। महाविद्यालय को यह पुरस्कार निरंतर दूसरे वर्ष प्राप्त हुआ है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय विश्वविद्यालय एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक, प्रो. के एन मिश्रा व महाविद्यालय प्राचार्या, प्रो. सुनंदा दुबे तथा प्रबंधतंत्र कैथवास नवीन एनएसएस वॉलिंटियर्स को दिया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रुप में आयुर्वेदाचार्य डॉ वंदना पाठक एवं अन्य गणमान्य लोगों में प्रति कुलपति प्रो अवस्थी जी, निदेशक, महाविद्यालय विकास परिषद, प्रो. आर के द्विवेदी जी कुलसचिव, डॉ अनिल यादव जी, एनएसएस के सहायक कार्यक्रम समन्वयक डॉ श्याम मिश्रा एवम् PSIT प्रबंधतंत्र से वाइस प्रेसिडेंट श्री अभिजीत जी व समस्त महाविद्यालयों के राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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40 महीने का बकाया वेतन ना मिलने पर लाल इमली के मजदूरों ने दिया धरना

कानपुर 25 सितंबर संवाद सूत्र सुभाष मिश्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा रखते हुए गोविंद नगर विधायक सुरेंद्र मैथानी के कार्यालय में आज लाल इमली कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजय सिंह और सूती मिल मजदूर यूनियन के संयोजक राजू ठाकुर के साथ सैकड़ों की तादात में कर्मचारियों में जिनमें महिलाएं भी नारे लगाते हुए पांडव नगर स्थित कार्यालय पहुंची! जहां पर विधायक सुरेंद्र मैथानी ने मजदूरों को भरोसा जताते हुए कहा कि आपके द्वारा दिए गए ज्ञापन को लखनऊ जाकर विशेष रूप से मुख्यमंत्री को हालात से अवगत कराऊंगा उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के द्वारा रोजगार गारंटी योजना और तमाम वही योजनाएं जिनके आप लोग पात्र हैं! उनके फार्म कैंप के माध्यम से भरे जाएंगे! विधायक सुरेंद्र मैथानी ने कर्मचारियों के पीड़ित परिवार जनों को भरोसा जताते हुए कहा कि आपको 40 माह के वेतन और 4 साल का बोनस समेत ग्रेजुएटी और छुट्टी के नकदीकरण के बकाया भुगतान के लिए सड़क से सदन तक प्रयास करेंगे पीपी एक्ट के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को प्रताड़ित करते हुए उन्होंने नए सर्किल रेट के आधार पर मूल्यांकन करते हुए डैमेज चार्ज लगाकर 211 लोगों को नोटिस दी गई थी जिससे घबराकर मजदूरों के परिवार जन भयभीत हैं प्रकरण को विधायक मैथानी ने गंभीरता से लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ऑनलाइन पंजीयन कराएंगे जो एक कैंप के माध्यम से होगा जिसमें जो पात्र होंगे उन्हें उक्त योजना के तहत आवास दिलाएंगे!ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रुप से श्री अजय सिंह,राजू ठाकुर, राशिद अली, ज्ञान सिंह,भानमती, सरिता अवस्थी,मनोज,अरुण तिवारी गुड्डन,विद्यासागर शुक्ला,काशीनाथ यादव शिवेश,संतोष अवध राज जोगिंदर सिंह ‘राणा आदि लोग मौजूद थे!

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60 हवाई अड्डों पर गैर प्रमुख कार्यों के लिए सीआईएसएफ की जगह निजी सुरक्षा एजेंसी (पीएसए) के सुरक्षा कर्मचारियों को तैनात किया जाएगा

केंद्र सरकार के निर्णय के अनुसार, 60 हवाई अड्डों के गैर प्रमुख ड्यूटी पदों पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की जगह निजी सुरक्षा एजेंसी (पीएसए) के 1924 सुरक्षा कर्मियों को तैनात तैनात किया जाएगा।
इस निर्णय से सुरक्षा व्यय में कमी आएगी और इन सीआईएसएफ कर्मियों को अन्य हवाई अड्डों पर तैनात किया जा सकेगा, जो सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करेंगे। इससे नए घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के संचालन में और मदद मिलेगी।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001GRS7.jpg

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने पुनर्वास महानिदेशालय (डीजीआर) से प्रायोजित सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से 45 हवाई अड्डों पर 581 सुरक्षा कर्मियों को गैर प्रमुख पदों पर नियुक्त किया है। इन सुरक्षा कर्मियों को चुनिंदा हवाई अड्डों पर विमानन सुरक्षा (एवीएसईसी) प्रशिक्षण पूरा करने के बाद तैनात किया जाएगा। फिलहाल, 16 हवाई अड्डों के लिए 161 डीजीआर कर्मी एवीएसईसी प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं और उन्हें प्रशिक्षण पूरा करने के बाद 24 सितंबर 2022 से तैनात किया जाएगा।

एवीएसईसी प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने वाले 74 डीजीआर सुरक्षाकर्मी पहले से ही कोलकाता हवाई अड्डे पर 09 सितंबर 2022 से तैनात हैं। बाकी सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की प्रक्रिया चल रही है।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002VRXK.jpg
चेन्नई हवाई अड्डे पर निजी सुरक्षा कर्मियों के प्रशिक्षण सत्र में उपस्थित श्री शरद कुमारएपीडी चेन्नई साथ में हैं श्री सुधीर मलिकईडी सुरक्षा

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मेक इन इंडिया’ के 8 वर्ष पूरे, वार्षिक एफडीआई दोगुना बढ़कर 83 बिलियन डॉलर तक पहुंचा

भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम मेक इन इंडिया, जो निवेश को सुगम बनाता है, नवोन्मेषण को बढ़ावा देता है, कौशल विकास में वृद्धि करता है तथा विनिर्माण अवसंरचना वर्ग में सर्वश्रेष्ठ का निर्माण करता है, 25 सितंबर, 2022 को पथ-प्रदर्शक सुधारों के अपने गौरवशाली आठ वर्ष पूरे कर लेगा।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व के तहत 2014 में लांच किया गया ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम देश को एक अग्रणी वैश्विक विनिर्माण तथा निवेश गंतव्य के रूप में रूपांतरित कर रहा है। यह पहल विश्व भर में संभावित निवेशकों तथा साझीदारों को ‘नये भारत’ की विकास गाथा में भाग लेने के लिए एक खुला आमंत्रण है। मेक इन इंडिया ने 27 सेक्टरों में पर्याप्त उपलब्धियां हासिल की हैं। इनमें विनिर्माण तथा सेवाओं जैसे रणनीतिक सेक्टर भी शामिल हैं।

विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए, भारत सरकार ने एक उदार और पारदर्शी नीति बनाई है जिसमें अधिकांश सेक्टर ऑटोमैटिक रूट के तहत एफडीआई के लिए खुले हैं। भारत में एफडीआई आवक वित्त वर्ष 2014-15 में 45.15 बिलियन डॉलर था और तबसे लगातार आठ वर्षों तक निरंतर वृद्धि हुई है जो रिकॉर्ड एफडीआई आवक तक पहुंच गई है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 83.6 बिलियन डॉलर की सर्वाधिक एफडीआई दर्ज किया गया। यह एफडीआई 101 देशों से आया है और भारत में 31 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों तथा 57 सेक्टर में निवेश किया गया है। हाल के वर्षों में आर्थिक सुधारों तथा व्यवसाय करने की सुगमता की बदौलत, देश चालू वित्त वर्ष के दौरान 100 बिलियन डॉलर एफडीआई आकर्षित करने की राह पर है।

14 प्रमुख विनिर्माण क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन स्कीम (पीएलआई) मेक इन इंडिया पहल के लिए एक बड़े प्रोत्साहन के रूप में वित्त वर्ष 2020-21 में लांच की गई। पीएलआई स्कीम रणनीतिक वृद्धि के सेक्टरों में, जहां भारत को तुलनात्मक रूप से बढ़त हासिल है, घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करती है। इनमें घरेलू विनिर्माण को सुदृढ़ बनाना, लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण करना, भारतीय उद्योगों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना तथा निर्यात क्षमता को बढ़ावा देना शामिल है। पीएलआई स्कीम से उत्पादन एवं रोजगार के लिए उल्लेखनीय लाभ पैदा होने की उम्मीद है जिनमें एमएसएमई परितंत्र तक लाभ पहुंच सकता है।

विश्व अर्थव्यवस्था में सेमीकंडक्टरों के महत्व को स्वीकार करते हुए, भारत सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर, डिस्प्ले, डिजाइन इकोसिस्टम का निर्माण करने के लिए 10 बिलियन डॉलर की एक प्रोत्साहन स्कीम लांच की है।

मेक इन इंडिया पहल को सुदृढ़ बनाने के लिए, भारत सरकार द्वारा कई अन्य उपाय किए गए हैं। सुधार के इन उपायों में कानून में संशोधन, अनावश्यक अनुपालन बोझ कम करने के लिए दिशानिर्देशों एवं विनियमनों का उदारीकरण, लागत में कमी लाना तथा भारत में व्यवसाय करने की सुगमता बढ़ाना शमिल है। नियमों एवं विनियमनों के बोझिल अनुपालनों को सरलीकरण, विवेकीकरण, गैरअपराधीकरण एवं डिजिटाइजेशन के जरिये कम कर दिया गया है और भारत में व्यवसाय करना और अधिक आसान बना दिया गया है। इसके अतिरिक्त, श्रम सुधारों से भर्ती और छंटनी में लचीलापन लाया गया है। स्थानीय विनिर्माण में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू किए गए हैं। विनिर्माण और विनिवेश को बढ़ावा देने के लिए उठाये गए कदमों में कंपनी करों में कमी, सार्वजनिक खरीद ऑर्डर तथा चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम शामिल है।

स्थानीय उद्योग को वस्तुओं, कार्यों तथा सेवाओं की सार्वजनिक खरीद में वरीयता प्रदान करने के जरिये स्थानीय उद्योग को बढ़ावा देने के लिए एक सक्षमकारी प्रावधान के रूप में सामान्य वित्तीय नियम, 2017 के नियम 153 (iii) के अनुरुप सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को वरीयता) ऑर्डर, 2017 भी जारी किया गया। इस नीति का लक्ष्य केवल व्यापार या असेंबल मदों का आयात करने वाले निकायों की तुलना में सार्वजनिक खरीद गतिविधियां में घरेलू विनिर्माता की भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। यह नीति सभी मंत्रालयों या विभागों या संबद्ध या अधीनस्थ कार्यालयों या भारत सरकार द्वारा नियंत्रित स्वायतशासी निकाय पर लागू है और इसमें सरकारी कंपनियां शामिल हैं जैसाकि कंपनी अधिनियम में निर्दिष्ट है।

इसके अतिरिक्त, अनुमोदनों एवं मंजूरियों के लिए निवेशकों को एक एकल डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने के जरिये व्यवसाय करने की सुगमता में सुधार लाने के लिए सितंबर 2021 में राष्ट्रीय सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्ल्यूएस) भी सॉफ्ट-लांच किया गया है। इस पोर्टल ने निवेशक अनुभव को बढ़ाने के लिए भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के विविध विद्यमान मंजूरी प्रणालियों को समेकित किया है।

सरकार ने देश में विनिर्माण जोनों को मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने के लिए एक प्रोग्राम भी लांच किया है जिसे प्रधानमंत्री का गतिशक्ति कार्यक्रम कहा जाता है जो ऐसी अवसंरचना, जो व्यवसाय प्रचालनों में लजिस्टिक संबंधी दक्षता सुनिश्चित करेगा, के सृजन के जरिये कनेक्टिविटी में सुधार लाएगा। यह वस्तुओं और लोगों की तीव्र आवाजाही में सक्षम बनाएगा तथा बाजारों, हबों और अवसरों तक पहुंच में वृद्धि करेगा तथा लॉजिस्ट्कि संबंधी लागत में कमी लाएगा।

एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल देश के प्रत्येक जिले से स्वदेशी उत्पादों के संवर्धन और उत्पादन को सुगम बनाने तथा कारीगरों और हस्तशिल्प, हथकरघा, कपड़ा, कृषि तथा प्रसंस्कृति उत्पादों के विनिर्माताओं को एक वैश्विक मंच उपलब्ध कराने और इसके जरिये देश के विभिन्न क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में और योगदान देने के जरिये  ‘मेक इन इंडिया’ विजन की एक और अभिव्यक्ति है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अगस्त 2020 में अपने मन की बात के प्रसारण के दौरान भारत को एक वैश्विक खिलौना निर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने और घरेलू डिजाइनिंग तथा विनिर्माण क्षमताओं को सुदृढ़ बनाने की इच्छा व्यक्त की।

भारत में खिलौना उद्योग ऐतिहासिक रूप से आयात पर निर्भर रहा है। कच्चे माल, प्रोद्योगिकी, डिजाइन क्षमता आदि की कमी के कारण खिलौनों और उसके कंपोनंट का भारी मात्रा में आयात हुआ। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान, हमारे देश में 371 मिलियन डॉलर (2960 करोड़ रुपये) के बराबर के खिलौनों का आयात हुआ। इन खिलौनों का एक बड़ा हिस्सा असुरक्षित, घटिया, नकली और सस्ते थे।

निम्न गुणवत्ता तथा नुकसानदायक खिलौनों के आयात पर ध्यान देने के लिए तथा खिलौनों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई रणनीतिक कदम उठाये गए हैं। कुछ प्रमुख पहलों में मूलभूत सीमा शुल्क को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत करना, गुणवत्ता नियंत्रण आदेश का कार्यान्वयन, आयातित खिलौनों की अनिवार्य  सैंपल जांच, घरेलू खिलौना विनिर्माताओं को 850 से अधिक बीआईएस लाइसेंस की मंजूरी देना, खिलौना क्लस्टरों का निर्माण आदि शामिल हैं। प्रचार संबंधी कई प्रमुख पहलों के रूप में वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरुप नवोन्मेषण तथा नए समय की डिजाइन को प्रोत्साहित करने के लिए स्वदशी खिलौनों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय खिलौना मेला 2021, टवॉयकैथोन 2021, ट्वॉय बिजनेस लीग 2022 का आयोजन किया गया।

घरेलू खिलौना विनिर्माताओं के ईमानदार प्रयासों की सहायता से कोविड-19 महामारी के बावजूद दो वर्षों से कम समय में भारतीय खिलौना उद्योग की वृद्धि उल्लेखनीय रही है। खिलौनों के आयात में बदौलत वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 70 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है और ये 110 मिलियन डॉलर (877.8 करोड़ रुपये) तक नीचे आ गए हैं। घरेलू बाजार में खिलौनों की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार आया है। इसी के साथ साथ, उद्योग के प्रयासों की बदौलत वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 326 मिलियन डॉलर (2601.5 करोड़ रुपये) के बराबर खिलौनों का निर्यात किया गया है जो वित्त वर्ष 2018-19 के 202 मिलियन डॉलर (1612 करोड़ रुपये) की तुलना में 61 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि प्रदर्शित करता है। भारत के खिलौनों के निर्यात ने अप्रैल-अगस्त 2022 में 2013 की समान अवधि के मुकाबले 636 प्रतिशत की असीम वृद्धि दर्ज कराई।

ऐसे कई रुझान हैं जो भारतीय विनिर्माण में बदलाव को चिन्हित करते हैं जिनमें घरेलू मूल्यवर्धन और स्थानीय सोर्सिंग में वृद्धि, अनुसंधान एवं विकास, नवोन्मेषण तथा निर्वहनीयता उपायों पर अधिक ध्यान देना शामिल है।

मेक इन इंडिया पहल यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि देश का व्यवसाय परितंत्र भारत में व्यवसाय करने वाले निवेशकों के लिए अनुकूल रहे तथा देश के विकास और वृद्धि में योगदान देता रहे। ऐसा कई सुधारों के माध्सम से किया गया है जिसके कारण निवेश प्रवाह में वृद्धि हुई है तथा आर्थिक प्रगति भी हुई है।

इस पहल के अग्रणी भूमिका में रहने के साथ ही भारत में व्यवसायों का लक्ष्य यह है कि जो उत्पाद ‘मेड इन इंडिया’ के हैं वे गुणवत्ता के वैश्विक मानदंडों का अनुपालन करते हुए ‘मेड फॉर द वर्ल्‍ड’ के लिए भी हैं।

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कर्नाटक, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और गुजरात में ग्रामीण स्थानीय निकायों को 4,189.58 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता राशि जारी की गई

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने ग्रामीण स्थानीय निकायों को अनुदान प्रदान करने के लिए बुधवार को कर्नाटक (628.07 करोड़ रुपये), त्रिपुरा (44.10 करोड़ रुपये), उत्तर प्रदेश (2239.80 करोड़ रुपये), आंध्र प्रदेश (569.01 करोड़ रुपये) और गुजरात (708.60 करोड़ रुपये) को 4,189.58  करोड़ रुपये की राशि जारी की। यह अनुदान सहायता कर्नाटक, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश के पक्ष को चालू वित्त वर्ष 2022-23 के बंधित अनुदान की पहली किस्त और आंध्र प्रदेश और गुजरात को जारी वर्ष 2021-22 के बंधित अनुदान की दूसरी किस्त है।

15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित सशर्त अनुदान दो महत्वपूर्ण सेवाओं अर्थात (ए) स्वच्छता एवं खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) दर्जा को बनाए रखने और (बी) पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल के संचयन एवं जल पुनर्चक्रण को बेहतर बनाने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सिफारिशों पर ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को जारी किया जाता है। 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित शर्तों को पूरा करने के बाद पंचायती राज मंत्रालय की सिफारिशों पर ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को बिना शर्त अनुदान जारी किया जाता है।

पंचायती राज संस्थाओं के लिए निर्धारित कुल अनुदान सहायता में से 60 प्रतिशत राष्ट्रीय प्राथमिकताओं जैसे कि पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल के संचयन और स्वच्छता (सशर्त अनुदान के रूप में संदर्भित) के लिए निर्धारित किया जाता है, जबकि 40  प्रतिशत अनुदान सहायता बिना शर्त है और स्थान विशेष की जरूरतों को पूरा करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के विवेक पर इसका उपयोग किया जाना है।

स्थानीय निकाय अनुदान दरअसल केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत स्वच्छता और पेयजल के लिए केंद्र और राज्य द्वारा आवंटित धन के अलावा ग्रामीण स्थानीय निकायों को अतिरिक्त धनराशि सुनिश्चित करने के लिए हैं।

वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 के दौरान अनुदान पाने के योग्‍य होने के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों को कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। पारदर्शिता बढ़ाने, स्थानीय निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराने और स्थानीय निकायों द्वारा वार्षिक विकास योजनाएं तैयार करने के लिए ही ये शर्तें तय की गई हैं।

बंधित हुआ और अबंधित दोनों प्रकार के अनुदान प्राप्त करने के लिए, स्थानीय निकायों के कम से कम 25 प्रतिशत, पिछले वर्ष के अनंतिम खातों और उससे पिछले वर्ष के ऑडिट किए खातों, दोनों को सार्वजनिक डोमेन में ऑनलाइन तैयार करना और उपलब्ध कराना अनिवार्य है। इसके अलावा, खातों को ई-ग्रामस्वराज और ऑडिट ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया जाना चाहिए। अनुदान केवल उन्हीं स्थानीय निकायों को जारी किया जाता है जो विधिवत निर्वाचित होते हैं।

 इसके अलावा, बंधित अनुदान प्राप्त करने के लिए पात्र होने के लिए, ग्रामीण स्थानीय निकाय ई-ग्राम स्वराज पर विकास योजनाओं को अपलोड करेंगे जिसमें स्वच्छता और पेयजल आपूर्ति की वार्षिक कार्य योजना का विवरण होगा। पेयजल आपूर्ति के लिए वार्षिक कार्य योजना में पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण का विवरण शामिल होना चाहिए। स्थानीय निकायों को 15वीं एफ.सी. कोष [दोनों घटक] के उपयोग का विवरण भी अपलोड करना होगा।

राज्यों को केंद्र सरकार से अनुदान प्राप्त होने के 10 कार्य दिवसों के भीतर स्थानीय निकायों को हस्तांतरित करना आवश्यक है। 10 कार्य दिवसों से अधिक की देरी के लिए राज्य सरकारों को ब्याज सहित अनुदान जारी करना होगा।

वर्ष 2022-23 में अब तक जारी ग्रामीण स्थानीय निकाय अनुदान की राज्य-वार राशि नीचे दी गई है;

वर्ष 2022-23 में जारी ग्रामीण स्थानीय निकाय अनुदान की राज्यवार राशि

क्र.सं. राज्य का नाम 2021-22 के दौरान जारी कुल राशि

[31-08-2022 तक]

करोड़ रुपये में 1 आंध्र प्रदेश 948.35 2 अरुणाचल प्रदेश 0.00 3 असम 0.00 4 बिहार 1921.00 5 छत्तीसगढ़ 557.00 6 गोवा 0.00 7 गुजरात 1181.00 8 हरियाणा 0.00 9 हिमाचल प्रदेश 224.30 10 झारखंड 249.80 11 कर्नाटक 1046.78 12 केरल 623.00 13 मध्य प्रदेश 1472.00 14 महाराष्ट्र 1092.92 15 मणिपुर 0.00 16 मेघालय 40.50 17 मिजोरम 0.00 18 नगालैंड 18.40 19 ओडिशा 864.00 20 पंजाब 0.00 21 राजस्थान 0.00 22 सिक्किम 6.60 23 तमिलनाडु 1380.50 24 तेलांगना 273.00 25 त्रिपुरा 73.50 26 उत्तर प्रदेश 3733.00 27 उत्तराखंड 0.00 28 पश्चिम बंगाल 0.00 x कुल 15705.65

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भारत की राष्ट्रपति ने वर्ष 2020-21 के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार’ प्रदान किए

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज राष्ट्रपति भवन में वर्ष 2020-2021 के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार’ प्रदान किए। केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर और युवा मामले एवं खेल राज्य मंत्री श्री निसिथ प्रमाणिक इस पुरस्कार समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर सचिव, युवा मामले श्री संजय कुमार और खेल सचिव श्रीमती सुजाता चतुर्वेदी और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य गणमान्यजन भी उपस्थित थे।

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 युवा मामले और खेल मंत्रालय, युवा मामले विभाग हर साल विश्वविद्यालयों/+2 परिषद, कार्यक्रम अधिकारियों/एनएसएस इकाइयों और एनएसएस स्वयंसेवकों द्वारा स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा में किए गए उत्कृष्ट योगदान को सराहने और पुरस्कृत करने के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार प्रदान करता है, ताकि देश में एनएसएस को और भी अधिक बढ़ावा दिया जा सके। वर्तमान में एनएसएस से लगभग 40 लाख स्वयंसेवक औपचारिक रूप से जुड़े हुए हैं जो देश भर में फैले हुए हैं। वर्ष 2020-21 के लिए 3 विभिन्न श्रेणियों में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) पुरस्कार का विवरण इस प्रकार है:

 

श्रेणियां पुरस्कारों की संख्या पुरस्कार का मूल्य
1  विश्वविद्यालय/ +2 परिषद 2 प्रथम पुरस्कार: 5,00,000 रुपये (एनएसएस कार्यक्रम तैयार करने के लिए) विश्वविद्यालय/ +2 परिषद को एक ट्रॉफी के साथ।  .

कार्यक्रम समन्वयक को प्रमाण पत्र एवं रजत पदक।

 

दूसरा पुरस्कार: 3,00,000 लाख रुपये (एनएसएस कार्यक्रम तैयार करने के लिए)

विश्वविद्यालय/+2 परिषद को एक ट्रॉफी के साथ। .

कार्यक्रम समन्वयक को प्रमाण पत्र एवं रजत पदक। .

2 एनएसएस इकाइयां और उनके कार्यक्रम अधिकारी 10+10 प्रत्येक एनएसएस इकाई को 2,00,000 रुपये

(एनएसएस कार्यक्रम तैयार करने के लिए), एक ट्रॉफी के साथ।

 

प्रत्येक कार्यक्रम अधिकारी को प्रमाण पत्र और रजत

पदक के साथ 1,50,000 रुपये .

3 एनएसएस स्वयंसेवक 30 प्रत्येक स्वयंसेवक को प्रमाण पत्र और रजत

पदक के साथ 1,00,000 रुपये.

एनएसएस केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना है जिसे वर्ष 1969 में स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा के माध्यम से युवा छात्रों के व्यक्तित्व और चरित्र को विकसित करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था। एनएसएस का वैचारिक रुझान महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित है। अत्‍यंत ही उचित रूप से एनएसएस का मूल मंत्र है ‘स्वयं से पहले आप’।

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संक्षेप में एनएसएस स्वयंसेवक नियमित और विशेष शिविर संबंधी गतिविधियों के माध्यम से सामाजिक प्रासंगिकता के उन मुद्दों पर काम करते हैं, जो समुदाय की जरूरतों के अनुरूप निरंतर बदलते रहते हैं। इस तरह के मुद्दों में ये शामिल हैं – (i) साक्षरता और शिक्षा, (ii) स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और पोषण, (iii) पर्यावरण संरक्षण, (iv) सामाजिक सेवा कार्यक्रम, (v) महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कार्यक्रम, (vi) आर्थिक विकास गतिविधियों से जुड़े कार्यक्रम, (vii) आपदाओं के दौरान बचाव और राहत, (viii) स्वच्छता गतिविधियां,  इत्‍यादि।

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