भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज राष्ट्रपति भवन में वर्ष 2020-2021 के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार’ प्रदान किए। केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर और युवा मामले एवं खेल राज्य मंत्री श्री निसिथ प्रमाणिक इस पुरस्कार समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर सचिव, युवा मामले श्री संजय कुमार और खेल सचिव श्रीमती सुजाता चतुर्वेदी और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य गणमान्यजन भी उपस्थित थे।
युवा मामले और खेल मंत्रालय, युवा मामले विभाग हर साल विश्वविद्यालयों/+2 परिषद, कार्यक्रम अधिकारियों/एनएसएस इकाइयों और एनएसएस स्वयंसेवकों द्वारा स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा में किए गए उत्कृष्ट योगदान को सराहने और पुरस्कृत करने के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार प्रदान करता है, ताकि देश में एनएसएस को और भी अधिक बढ़ावा दिया जा सके। वर्तमान में एनएसएस से लगभग 40 लाख स्वयंसेवक औपचारिक रूप से जुड़े हुए हैं जो देश भर में फैले हुए हैं। वर्ष 2020-21 के लिए 3 विभिन्न श्रेणियों में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) पुरस्कार का विवरण इस प्रकार है:
श्रेणियां | पुरस्कारों की संख्या | पुरस्कार का मूल्य | |
1 | विश्वविद्यालय/ +2 परिषद | 2 | प्रथम पुरस्कार: 5,00,000 रुपये (एनएसएस कार्यक्रम तैयार करने के लिए) विश्वविद्यालय/ +2 परिषद को एक ट्रॉफी के साथ। .
कार्यक्रम समन्वयक को प्रमाण पत्र एवं रजत पदक।
दूसरा पुरस्कार: 3,00,000 लाख रुपये (एनएसएस कार्यक्रम तैयार करने के लिए) विश्वविद्यालय/+2 परिषद को एक ट्रॉफी के साथ। . कार्यक्रम समन्वयक को प्रमाण पत्र एवं रजत पदक। . |
2 | एनएसएस इकाइयां और उनके कार्यक्रम अधिकारी | 10+10 | प्रत्येक एनएसएस इकाई को 2,00,000 रुपये
(एनएसएस कार्यक्रम तैयार करने के लिए), एक ट्रॉफी के साथ।
प्रत्येक कार्यक्रम अधिकारी को प्रमाण पत्र और रजत पदक के साथ 1,50,000 रुपये . |
3 | एनएसएस स्वयंसेवक | 30 | प्रत्येक स्वयंसेवक को प्रमाण पत्र और रजत
पदक के साथ 1,00,000 रुपये. |
एनएसएस केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना है जिसे वर्ष 1969 में स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा के माध्यम से युवा छात्रों के व्यक्तित्व और चरित्र को विकसित करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था। एनएसएस का वैचारिक रुझान महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित है। अत्यंत ही उचित रूप से एनएसएस का मूल मंत्र है ‘स्वयं से पहले आप’।
संक्षेप में एनएसएस स्वयंसेवक नियमित और विशेष शिविर संबंधी गतिविधियों के माध्यम से सामाजिक प्रासंगिकता के उन मुद्दों पर काम करते हैं, जो समुदाय की जरूरतों के अनुरूप निरंतर बदलते रहते हैं। इस तरह के मुद्दों में ये शामिल हैं – (i) साक्षरता और शिक्षा, (ii) स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और पोषण, (iii) पर्यावरण संरक्षण, (iv) सामाजिक सेवा कार्यक्रम, (v) महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कार्यक्रम, (vi) आर्थिक विकास गतिविधियों से जुड़े कार्यक्रम, (vii) आपदाओं के दौरान बचाव और राहत, (viii) स्वच्छता गतिविधियां, इत्यादि।