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डॉ. मनसुख मांडविया ने क्षय रोग के उन्‍मूलन हेतु देशव्यापी जागरूकता अभियान के लिए 75 ट्रकों को झंडी दिखाकर रवाना किया

“समूचा राष्‍ट्र क्षय रोग के उन्मूलन की दिशा में कार्य करने के लिए जनभागीदारी की भावना से उत्साहित और सं‍गठित है। एसडीजी 2030 लक्ष्य से पांच साल पहले देश से क्षय रोग का उन्‍मूलन करने संबंधी प्रधानमंत्री मोदी के स्पष्ट आह्वान के साथ आज 71,000 से अधिक निक्षय मित्र आगे आए हैं तथा कॉरपोरेट्स, गैर-सरकारी संगठनों, जनप्रतिनिधियों, व्यक्तियों आदि सभी हितधारकों को संगठित कर टीबी का उन्मूलन करने संबंधी केंद्र सरकार की निक्षय योजना के तहत पोषण संबंधी सहायता और अन्य माध्यमों से 10 लाख से अधिक टीबी रोगियों की सहायता कर रहे हैं।” यह बात आज केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने पार्टनरशिप एक्शन अगेन्‍स्‍ट ट्यूबरक्लोसिस (पीएसीटी) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। डॉ. मांडविया ने टीबी के संबंध में जागरूकता संदेशों वाले 75 ट्रकों को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना गया। ये ट्रक निक्षय योजना में सक्रिय सहायता दे रहे अपोलो टायर्स फाउंडेशन ने प्रदान किए हैं। ये ट्रक टीबी मुक्त भारत के संदेश के साथ राज्यों की यात्रा करेंगे।

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https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0034D4V.jpgकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस कार्यक्रम में कई टीबी रोगियों को पोषण टोकरियां भी वितरित कीं।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने विस्तार से बताया कि “भारत का अपना स्वास्थ्य सेवा मॉडल साझा सामाजिक और राष्ट्रीय उत्‍तरदायित्‍वों से युक्‍त है। अन्य हितधारकों के सहयोग का लाभ उठा राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की सहायता करने में बहु-क्षेत्रीय संपर्क एक प्रमुख स्तंभ है। केवल अपने साझा प्रयासों और सहयोग से ही हम 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। मैं सभी से जनभागीदारी की भावना से आगे आने का आग्रह करता हूं।” उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि निक्षय मित्र टीबी रोगियों को केवल वित्तीय और पोषण संबंधी सहायता ही प्रदान नहीं करते, बल्कि निक्षय मित्र पोर्टल पर उनके साथ निजी रूप से जुड़कर उनकी समग्र भलाई भी सुनिश्चित करते हैं।  डॉ. मांडविया ने क्षय रोग के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अपोलो टायर्स फाउंडेशन द्वारा देश के 19 राज्यों में 32 स्थानों पर हीरोज ऑन व्हील्स (ट्रक ड्राइवर्स) और अन्य कमजोर समूहों को जोड़कर टीबी मुक्त  भारत अभियान को तेज करने के अभिनव तरीके की सराहना की। उन्होंने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत 75 टीबी रोगियों को भी गोद लिया है। इस बात पर गौर करते हुए कि ट्रक चालक टीबी रोगियों का एक महत्वपूर्ण समूह हैं, डॉ. मांडविया ने कहा कि समय पर परीक्षण, पूरा उपचार कराने आदि के माध्यम से टीबी की रोकथाम और नियंत्रण के बारे में जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पांच स्थानों (दिल्ली, मुंद्रा पोर्ट- गुजरात, हैदराबाद, जालंधर और अगरतला) से टीबी संदेशों के साथ ब्रांडेड 75 ट्रकों की पहल ट्रक ड्राइवरों के समुदायों और समुदाय से जुड़े अन्य लोगों के बीच टीबी से निपटने के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने अन्य कॉरपोरेट्स, संस्थानों, व्यापार निकायों, संघों और व्यक्तियों से भी आगे आने और क्षय रोग के खिलाफ भारत की लड़ाई में सक्रिय सहायता देने का आग्रह किया। सुश्री रोली सिंह, अपर सचिव और एमडी एनएचएम, स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान में एक साथ आने और अपनी रणनीतियों के माध्यम से इसमें योगदान देने के लिए कॉरपोरेट्स और भागीदार एजेंसियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट क्षेत्र अंतिम व्‍यक्ति तक पहुंच कायम करने और समाज को सरकार की विभिन्न पहलों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि 300 कॉरपोरेट्स ने कॉरपोरेट टीबी प्रतिज्ञा ली है।इस अवसर पर डॉ. कुलदीप सिंह सचदेवा, दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय निदेशक, द इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट लंग डिजीज एंड ट्यूबरकुलोसिस, श्री गौरव कुमार, मुख्य वित्तीय अधिकारी, अपोलो  टायर्स लिमिटेड और सुश्री रिनिका ग्रोवर, प्रमुख, सस्टेनेबिलिटी एंड सीएसआर, अपोलो टायर्स भी उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम को यहां देखा जा सकता है:

https://youtube.com/live/SySolzPQFWI?feature=share

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उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए विकास पहल

केंद्रीय बजट 2022-23 में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री की विकास पहल (पीएम-डिवाइन) स्कीम को एक नई केंद्रीय क्षेत्र स्कीम के रूप में घोषित किया गया था। मंत्रिमंडल ने 12 अक्टूबर, 2022 को पीएम-डिवाइन स्कीम को मंजूरी दी। 100% केंद्रीय वित्त पोषण वाली इस स्कीम में वर्ष 2022-23 से 2025-26 (15वें वित्त आयोग की अवधि के शेष वर्ष) तक 4 साल की अवधि के लिए 6,600 करोड़ रुपये का कुल परिव्यय होगा। पीएम-डिवाइन के उद्देश्य हैं: (i) पीएम गतिशक्ति की भावना के अनुरूप अवसंरचना को अभिसरण रूप से वित्त पोषित करना; (ii) पूर्वोत्तर क्षेत्र की महसूस की गई आवश्यकताओं के आधार पर सामाजिक विकास परियोजनाओं की सहायता करना; (iii) युवाओं और महिलाओं के लिए आजीविका कार्यकलापों को सक्षम बनाना; और (iv) विभिन्न क्षेत्रों में विकास अंतराल को भरना। पीएम-डिवाइन विद्यमान केंद्रीय और राज्य स्कीमों का एक विकल्प नहीं होगी। यह अवसंरचना का निर्माण करेगी, उद्योगों, सामाजिक विकास परियोजनाओं की सहायता करेगी और युवाओं तथा महिलाओं के लिए आजीविका गतिविधियों का निर्माण करने के साथ आय और रोजगार का सृजन करेगी। पीएम-डिवाइन स्कीम को उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर परिषद या केंद्रीय मंत्रालयों/एजेंसियों या राज्य सरकार की एजेंसियों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा। सरकार पर पड़ने वाले समय और लागत वृद्धि के निर्माण जोखिम को सीमित करने के लिए परियोजनाओं को इंजीनियरिंग-प्रोक्योरमेंट-कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) आधार पर यथासंभव कार्यान्वित किया जाएगा। पीएम-डिवाइन परियोजनाओं की संवहनीयता सुनिश्चित करने के लिए परिसंपत्तियों के प्रचालन और अनुरक्षण (ओ एंड एम) के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय या किसी अन्य मंत्रालय/विभाग की किसी भी अन्य स्कीम के साथ परियोजना सहायता का दोहराव न हो। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट 2022-23 में घोषित सात परियोजनाओं सहित ग्यारह परियोजनाओं (अनुबंध-I में विवरण) को मंजूरी के लिए चुना गया है।

क्र.

सं.

परियोजना का नाम अनुमोदित लागत

(करोड़ रु. में)

1 पूर्वोत्तर भारत में बाल चिकित्सा और वयस्क हेमटोलिम्फोइड कैंसर के प्रबंधन के लिए समर्पित सेवाओं की स्थापना, डॉ. बी. बोरुआ कैंसर संस्थान (बीबीसीआई), गुवाहाटी 129.00
2 नैक्टर आजीविका सुधार परियोजना (बहु-राज्य): मूल्य वर्धित उत्पादों के लिए बनाना स्यूडो स्टेम के उपयोग पर मूल्य श्रृंखला 67.00
3 किसानों के क्षमता निर्माण और प्रमाणन की सुविधा के माध्यम से उन्नत कृषि तकनीक और डिजिटल डेटा प्रबंधन का उपयोग करके पूर्वोत्तर भारत में वैज्ञानिक जैविक कृषि को बढ़ावा देना (बहु-राज्य) 45.00
4 मिजोरम में पश्चिमी किनारे पर आइजोल बाईपास का निर्माण 500.00
5 मिजोरम में 33.58 करोड़ रुपये की लागत से तुइरियल एयरफील्ड से नॉर्थ चाल्टलांग (18 किमी) तक; और 66.42 करोड़ रुपये की लागत से लेंगपुई से साईफल बांस बागान (41 किमी) तक बांस लिंक सड़कों का निर्माण और उन्नयन 100.00
6 पश्चिम सिक्किम में पेलिंग से सांगा-चोएलिंग तक यात्री रोपवे प्रणाली के लिए गैप फंडिंग 64.00
7 दक्षिण सिक्किम में धापर से भालेडुंगा तक यात्री रोपवे के लिए गैप फंडिंग 58.00
8 लोक निर्माण विभाग, असम सरकार द्वारा असम के कामरूप जिले में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में 20 स्कूलों का रूपांतरण 132.86
9 मेघालय सरकार के शहरी कार्य निदेशालय द्वारा न्यू शिलांग टाउनशिप में नई चार लेन की सड़क का निर्माण और साइकिलिंग ट्रैक, यूटिलिटी डक्ट्स, फुटपाथों आदि के साथ मौजूदा दो-लेन सड़क को चार-लेन में परिवर्तित करना 146.79
10 नागालैंड सरकार के अल्प विकसित क्षेत्र विभाग (डीयूडीए) द्वारा पूर्वी नागालैंड के विशेष विकास से संबंधित आजीविका परियोजनाएं 180.00
11 विद्युत विभाग, त्रिपुरा सरकार द्वारा त्रिपुरा में दूरस्थ बस्तियों को विद्युत की सुनिश्चित आपूर्ति के लिए सौर माइक्रो ग्रिड की स्थापना 80.79
  कुल 1503.44

यह जानकारी पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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दिल तोड़ने से पहले सोच लेना …इसमें तू ही रहता है

तोड दे तू चाहे ..मुझे हर तरह से … पर मेरा दिल तोड़ने से पहले ज़रा सोच लेना …इसमें मैं नही तू रहता है
आप का सारा पूजा पाठ का फल निष्फल हो जाता है जब कोई भगवान के भक्त को या किसी भोले इन्सान के मन को दुख पहुँचाता है बात पुरानी मगर सच है। मैं जानती थी पूरो बीजी को , सब उन्हें बीज़ी कहा करते थे। पूरो एक अच्छे घराने की लड़की ,मगर कम पढ़ी लिखी थी ।उसकी शादी एक सुन्दर पढे लिखे नौजवान से हो जाती है। पूरो सोचा करती, उसका पति इतना सुन्दर ,और उसका अपना रंग साँवला सा,क्या उस का पति उसको प्यार दे पायेगा। मगर कहती कुछ नहीं। ख़ुशी से अपनी गृहस्थी चला रही थी।वक़्त बीता ..पूरो के दो बेटियाँ और एक बेटा हुआ। पूरो के पति का राजाओं की तरह रहन सहन था।लखनऊ में होटल था।इक अपनी ड्रामा कंपनी थी और उनका बहुत अच्छा कपड़ों का कारोबार भी था। अक्सर पूरो से कहा करते कि मैं अपनी बेटियों को जयपुर के महाराजाओं के बच्चों के साथ पढ़ाई करवाऊँगा। अपने बच्चों को होटलों में ले ज़ाया करते और इंगलिश तौर तरीक़े सिखाते। बैडमिंटन क्रिकेट और पोलो खेलना तो शौक था उनका। उनका बेटा बढ़ा था ,बेटियाँ छोटी थी अभी।पूरो की छोटी बेटी रतना अभी तीन साल की थी तो पूरो के पति को हैज़ा हो गया। हैज़ा ही उनके गुज़रने की वजह बन गई।पूरो को पढ़ी लिखी न होने की वजह से अपने ससुर और देवर देवरानी के साथ रहना पढ़ा।देवरानी बहुत झगड़ालू क़िस्म की औरत थी।हर बात में पूरो को नीचा दिखाने की कोशिश में रहती।आप ऊपर मकान में रहती थी और नीचे मकान में छोटे से कमरे में पूरो के परिवार को रख दिया। जहां पूरो की रसोई हुआ करती थी वहाँ इक नाली निकला करती जो ऊपर के आया करती थी, जहां उसकी देवरानी का गुसलखाना था,जैसे पहले वक़्तों में हुआ करता था जब भी पूरो धूप बती करके अपने बच्चों को खाना खिला रही होती ,अक्सर उसी वकत उस नाली को शौच की तरह भी इस्तेमाल करती।रब को मानने वाली पूरो ,मुँह से तो कुछ नहीं कह पाती ,मगर अपने रब से शिकायत रोकर कर दिया करती। दिन बितने लगे ,पूरो की बेटियाँ बढ़ी हो गई। अच्छे घरों में शादी करके चली गई। पूरो के बेटे की भी शादी हो गई। फिर पूरो बेटे और बहू के साथ किसी दूसरे घर में चली गई। दोस्तों! जो जैसा करता है ,उसको फल वैसा ही मिलता है मगर इन्सान सोचता है।कर लो ,जो भी करना है आगे किस ने देखा है । मगर भूल जाता है कि चाहे अगर कोई भगवान के मंदिर मस्जिद को तोड़ दे ,भगवान उसे तो माफ़ कर देगा मगर जो कोई उसके भक्त को रूला दे,या उसका दिल दुखा दे या फिर उससे कोई बल छल करे तो रब उसे कभी माफ़ नहीं करता।
ये इक ऐसा सच है जो आज नहीं तो कल ..देखने को मिल ही जाता है। और यहाँ भी कुछ ऐसा ही हुआ। पूरो तो वहाँ से अपने बेटे के साथ चली गई,और उधर पूरो की देवरानी के घर ग़रीबी और दुखों का बसेरा हो गया। पूरो की छोटी बेटी रतना सब पुरानी बातें भुला कर अपनी चाचा चाची को मिलने ज़ाया करती। जो भी अपनी माँ पूरो को देती ,वही अपनी चाची को भी देती।चाचा चाची के घर ग़रीबी देख कर ,कभी पैसों से ,कभी दवाइयों से उनकी मदद कर दिया करती,क्यूँकि रतना का पति डाक्टर था। इक रोज़ चाची रतना के सामने रो पड़ी और माफ़ी माँगने लगी कि मैंने तुम्हारी माँ के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया है और तुम मुझे अपनी सगी माँ तरह प्यार करती हो और इस पर रतना अपनी चाची और चाचा को गले लगा लेती। वक़्त का पहिया चल रहा था तो इक रोज़ पता चला कि देवरानी की एक बेटी को कैंसर हो गया और वो भरी जवानी में चल बसी और दूसरी बेटी कमला का पति इंग्लैंड चला गया और वहाँ उसने खुद को सैटल करने लिए दूसरी शादी कर ली।
इक रोज़ सास ससुर ने कमला को घर से निकाल दिया।किसी ने कहा कि कमला की भी दूसरी शादी कर दो।जल्दी ही एक 70 साल के आदमी से उसकी भी शादी इंग्लैंड में कर दी गई जो इक शराबी था। वहाँ इंग्लैंड में मेहनत करके कमला ने अपनी बेटियों की शादी कर दी ।दो साल बाद कमला का दूसरा पति भी गुज़र गया,फिर अकेली अपने दूसरे पति के बच्चों के पास रहने लगी।वहाँ उसे तिरस्कार मिलता ,बातें सुननी पड़ती। कभी कभी बैठे बैठे अपनी माँ को कोसती कि जैसे अब मैं तंग हो रही हूँ ठीक ऐसे ही उसकी माँ ने पूरो ताई को तंग किया था, मगर वक़्त निकल चुका है। दोस्तों बात यहाँ भी ख़त्म नहीं हुई इक रोज़ रतना अपनी चाची चाचा को मिलने गई तो देखा चाचा को स्ट्रोक हो गया था और चाची चल नहीं सकती थी रेंग रेंग कर ज़मीन पर चला करती। ये दुर्दशा देख कर रतना को बहुत दुख हुआ था। चाचा चाची का बेटा भी गुज़र गया था। सो सोचो दोस्तों ! क्या खटा चाचा चाची ने ? जितना बुरा किया था पूरो के साथ ,उससे कही अधिक बुरा उसे वापस मिला।
बात आज की हो, या पुरानी।भुगतना तो पड़ेगा ही सबको कभी न कभी।ये सोच ग़लत है कि शायद उनके साथ हुआ है हमारे साथ नहीं होगा। सब की बारी आती हैं ,जो बोया है वही काटने की। जब समझ में आयेगा ,तो वक़्त निकल चुका होता है। उधर पूरो ने अपनी सारी उम्र पूजा पाठ में लगा दी । मरते दम तक गुरू के घर में सेवा करती रही ….🙏स्मिता केंथ

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में सप्ताहभर की गतिविधियों के दौरान ईएसआईसी ने 9.3 करोड़ रुपये के 3724 मातृत्व लाभ दावों का निपटारा किया

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में इस साल की थीम ‘डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार एवं प्रौद्योगिकी’ के अनुरूप कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के कार्यालयों/अस्पतालों ने सप्ताहभर चलने वाली गतिविधियों की श्रृंखला आयोजित की। इसमें लैंगिक संवेदनशीलता पर सेमिनार, बीमित महिलाओं/मातृत्व लाभ दावों से संबंधित बकाया बिलों का निपटारा, महिलाओं के लिए विशेष स्वास्थ्य जांच/स्वास्थ्य जांच शिविर शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए हफ्तेभर चली गतिविधियों की श्रृंखला के दौरान 9.3 करोड़ रुपये की धनराशि के 3724 मातृत्व लाभ दावों का निपटारा किया गया।

हाल ही में ईएसआईसी ने बीमित महिलाओं को ऑनलाइन मातृत्व लाभ का दावा करने की सुविधा शुरू कर ईएसआई योजना के तहत बीमित महिलाओं के लिए विशेष पहल की है। इसका मकसद प्रौद्योगिकी की मदद से लाभ उठाने के प्रयासों को आसान बनाकर उन्हें सशक्त करना है। टेलीमेडिसिन जैसी तकनीक आधारित सुविधाओं ने महिला लाभार्थियों को अपने घरों से ही स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने में काफी मदद की है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सप्ताह भर चली गतिविधियों की श्रृंखला का आज समापन हो गया। इस अवसर पर कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) मुख्यालय, नई दिल्ली में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार की अध्यक्षता ईएसआईसी के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र कुमार ने की। कार्यक्रम में वित्त आयुक्त, ईएसआईसी, टी. एल. यादेन; सीवीओ, ईएसआईसी, श्री मनोज कुमार सिंह; उप महानिदेशक, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) श्रीमती अनुजा बापट; और वरिष्ठ विशेषज्ञ एवं निदेशक, नीति आयोग, डॉ. साक्षी खुराना उपस्थित थे। इस साल की थीम ‘डिजिटऑल: इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी फॉर जेंडर इक्वैलिटी’ का जिक्र करते हुए डॉ. राजेंद्र कुमार ने आईटी आधारित प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर महिलाओं को सशक्त बनाने पर जोर दिया, जिससे वे इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बनेंगी। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों के माध्यम से महिलाएं अपने घरों से ही स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बना सकती हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे समाज की महिलाओं को उच्च महत्व का एहसास कराने और उन्हें प्रदान करने का भी समय है। उन्होंने कहा कि कार्य क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में रैंकिंग कम होने के बावजूद समावेशी एवं एकीकृत प्रौद्योगिकी के जरिए लैंगिक समानता के दृष्टिकोण को जल्दी हासिल किया जा सकता है।

ईएसआईसी की वित्त आयुक्त सुश्री टी. एल. यादेन ने बीमित महिलाओं के मातृत्व लाभ के ऑनलाइन दावे की सुविधा के लिए ईएसआईसी के प्रयासों की प्रशंसा की। इससे तकनीक की मदद से महिला लाभार्थियों को लाभ पाना आसान बनाकर सशक्त किया जा सकेगा। उन्होंने प्रौद्योगिकी के महत्व को दोहराया, जो भेदभाव कम कर और समाज के सभी सदस्यों के  लिए समान अवसर उपलब्ध कराकर महिलाओं को सशक्त बनाने का माहौल तैयार करने में सक्षम है। ईएसआईसी के सीवीओ श्री मनोज कुमार सिंह ने जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की हिस्सेदारी और योगदान की चर्चा की।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) की उप महानिदेशक श्रीमती अनुजा बापट ने जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं को समान अवसर उपलब्ध कराने पर जोर दिया। उन्होंने महिलाओं को समाज कल्याण योजनाओं की मुख्यधारा में लाने का भी आग्रह किया।

वरिष्ठ विशेषज्ञ और निदेशक, नीति आयोग, डॉ. साक्षी खुराना ने उन महिलाओं के साथ काम करने के अपने अनुभव साझा किए, जो समाज के हाशिये पर हैं। उन्होंने बताया कि कैसे ईएसआईसी और ईपीएफओ की सामाजिक सुरक्षा योजनाएं उनके जीवन की मुश्किलों को कम करने में मदद कर रही हैं।

 

चिकित्सा आयुक्त, ईएसआईसी, डॉ. दीपिका गोविल ने स्वास्थ्य शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी के बारे में बताया। उन्होंने समाज में समानता हासिल करने के लिए समता की भावना को बढ़ावा देने पर जोर दिया। बीमा आयुक्त (पी एंड ए) श्री दीपक जोशी ने दुनियाभर की महिलाओं की उपलब्धियों और उन्हें सशक्त बनाने के तरीकों के बारे में बात की।

कार्यक्रम के दौरान हफ्तेभर की गतिविधियों  के दौरान आयोजित निबंध प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को गणमान्य व्यक्तियों ने नकद पुरस्कार और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। समारोह में ईएसआईसी मुख्यालय के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।

 

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रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के नौसेना प्रमुख मार्क हैमंड भारत की यात्रा पर

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/Pix(4)VADMMARKHAMMOND,CHIEFOFNAVY,ROYALAUSTRALIANNAVYVISITTOINDIAN1ZJ.JPGरॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के नौसेना प्रमुख वाइस एडमिरल मार्क हैमंड दिनांक 09 से 11 मार्च 2023 तक भारत की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं । यात्रा के दौरान वाइस एडमिरल मार्क हैमंड ने नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार के साथ दिनांक 10 मार्च 2023 को साथ बातचीत की । साउथ ब्लॉक लॉन में एक प्रभावशाली गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान कर उनका स्वागत किया गया ।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/Pix(5)VADMMARKHAMMOND,CHIEFOFNAVY,ROYALAUSTRALIANNAVYVISITTOINDIAXALG.JPG

इस बातचीत के दौरान दोनों देशों और नौसेनाओं के बीच बढ़ते सहयोग को मजबूत करने के तरीके, मौजूदा/ उभरती समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के साझा तरीके, और मुक्त, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक/आईओआर की प्राप्ति के लिए सहयोग और अंतरप्रचालनीय-क्षमता बढ़ाने की पहल चर्चा की गई ।

भारतीय नौसेना अनेक मुद्दों पर आरएएन के साथ निकटता से सहयोग करती है, जिसमें ऑसिनडेक्स, काकाडू और पी8 ऑपेरशन, प्रशिक्षण संबंधी आदान-प्रदान, व्हाइट शिपिंग सूचनाओं का आदान-प्रदान और विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग विषय के विशेषज्ञों के बीच बातचीत शामिल हैं । इन सभी बातचीत को स्टाफ वार्ता जैसे मंचों के ज़रिए समन्वित किया जाता है । यह बैठकें प्रतिवर्ष आयोजित की जाती हैं । इसके अलावा, दोनों नौसेनाओं के युद्धपोत नियमित रूप से एक-दूसरे के बंदरगाहों पर पोर्ट कॉल करते हैं और बहुपक्षीय अभ्यासों जैसे मालाबार, रिमपैक, लैपरोस आदि में बातचीत करते हैं । दोनों नौसेनाएं ‘मेक इन इंडिया’ विजन को साकार करने की दिशा में नवाचार और उभरती रक्षा प्रौद्योगिकियों, रक्षा उद्योग, रक्षा के क्षेत्रों में सहयोग के लिए नए रास्ते तलाशने की दिशा में भी सहयोग कर रही हैं ।

रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के नौसेना प्रमुख की यात्रा भारतीय नौसेना और रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के बीच निरंतर और नियमित बातचीत में एक महत्वपूर्ण घटना है, और यह दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को ध्यान में रखते हुए नौसेना से नौसेना के सहयोग को मजबूत करती है ।

 

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गंधर्व विवाह

पता नहीं यह मंदिर मुझे क्यों अच्छा लगता था मुझे और यह भी नहीं जानती थी कि यहां बैठकर मुझे शांति क्यों मिलती है? यहीं पर गीत गुनगुनाते हुए भगवान के लिए फूलों की माला बनाना मुझे अच्छा लगता है। मां बाबूजी सुबह – सुबह आकर मंदिर की साफ सफाई में लग जाते हैं। आंगन साफ करना, पौधों में पानी डालना, फूलों का कचरा समेटना उनका यही काम था। मैं भी मां के साथ-साथ मंदिर चली आती थी। पहले पहल तो यूं ही साथ में आ जाती थी लेकिन अब यह बोलकर साथ आती हूं कि तुम्हारे काम में हाथ बंटा दूंगी तो काम जल्दी निपट जाएगा। यहीं पर काम करते-करते मैं छोटी से बड़ी हो गई थी। सभी से मेरी अच्छी जान पहचान हो गई थी। मंदिर में पुजारी मेरे हाथ की बनी माला सामने से मुझसे मांग कर चढ़ाते थे क्योंकि मैं माला बहुत सुंदर बनाती थी। मैं माला की टोकरी मंदिर के सीढ़ियों के पास रख देती थी। पंडित जी पानी के छींटे मारकर टोकरी अंदर ले लेते थे और भगवान को चढ़ा देते थे। यह मंदिर मुझे अब अपना घर जैसा ही लगने लगा था। एक दिन ना आऊं तो कुछ अधूरा सा लगता था।

मां:- “मीता, चलो जल्दी चलना है मंदिर में नए पुजारी आए हैं। अपना काम समय पर हो जाना चाहिए।
मीता:-  “ठीक है, मैं नहा कर आती हूं, फिर चलती हूं।” कुछ देर बाद मैं, मां और बाबू जी मंदिर पहुंच गए। बाबू जी पौधों में पानी डालने लगे और मां आंगन की साफ सफाई करने लगी और मैं फूल तोड़ने में व्यस्त हो गई। तभी नए पुजारी ने आवाज दी।
नया पुजारी:- “ऐ लड़की यहां क्या कर रही हो? चलो दूर जाओ मंदिर से।”
मीता:-  “जी! भगवान के लिए फूल तोड़ रही थी। वह पुराने पंडित जी मेरी बनाई माला भगवान को चढ़ाते हैं तो…।”
नया पुजारी:- “नहीं! कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी माला की। भगवान अपवित्र हो जायेंगे।”
पुराने पुजारी:- अरे शंकर क्या बात है जो मीता को डांट रहे हो? जात की मालन है, फूल तो तोड़ कर दे ही सकती है। कोई बात नहीं भीतर रख दो मैं ले लूंगा बाद में।”
मीता:- “पंडित जी प्रणाम !
शंकर:- “आपकी वजह से ही यह लड़की सर चढ़ी हुई है तभी उसकी इतनी हिम्मत बढ़ जाती है।”
बात आई गई हो गई। मीता बचपन से आगे किशोरावस्था की ओर बढ़ रही थी। वो रोज फूल तोड़कर, मालाएं बनाकर मंदिर की सीढ़ियों पर रख देती थी। जिसे पंडित जी धोकर भगवान को चढ़ा देते थे। आज मीता को मंदिर पहुंचने में देर हो गई  थी।
पंडित जी:- “अरे मीता फूल कहां है ? मालाएं भी नहीं बनाई? आज भगवान को बिना श्रृंगार के ही रखने का इरादा है क्या?”
मीता:- “जी! आज देर हो गई, सिर धोना था इसलिए।”
पंडित जी:- “अच्छा… अच्छा ! जाओ जल्दी से फूल लेकर आओ।”
मीता:-  “जी!”
आज सुबह मीता फूल तोड़ते हुए गुनगुना रही थी। शंकर पंडित मीता को एकटक देखे जा रहा था। खुले घुंघराले बाल जो हवा के कारण उसके चेहरे पर बार-बार आ रहे थे और जिन्हें वह बार-बार अपने चेहरे से हटा रही थी। शंकर को यह देखकर बड़ा सुखद अहसास हो रहा था। अब वो मीता के प्रति जरा नरम व्यवहार रखने लगा था। कभी कभार बातचीत भी कर लेता था। मीता जरा आश्चर्यचकित थी कि पंडित जी में यह बदलाव कैसे और क्यों आ गया था लेकिन वो खुश थी कि चलो अब इनका स्वभाव अच्छा हो गया है तो अब डांट नहीं पड़ेगी।
शंकर:- “देखो मीता तू सब काम किया कर मगर मुझसे दूर रहा कर। पूजा-पाठ के समय तू छू लेगी तो मुझे फिर से नहाना पड़ेगा और पूजा में देर हो जाएगी फिर और बड़े पंडित जी मुझे डांटेंगे।”
मीता:- “अरे पंडित जी यह बातें अब कौन मानता है? यह भेद तो अब खत्म हो गया है।”
शंकर पंडित:- “मुझे नहीं पता और मुझसे मुंह मत लड़ा। मुझे भगवान को अपवित्र नहीं करना है। तुम छोटी जात के हो तो तुम्हें अपनी सीमा में रहना चाहिए।”
मीता कुछ बोली नहीं क्योंकि कुछ भी बोलने पर उसे डांट पड़ सकती थी फिर बाबूजी भी उसे ही डांटते यह सोचकर वो चुप रही। शंकर को मीता न जाने कबसे अच्छी लगने लगी थी। उसकी नजर जब तब मीता को खोजते रहती। मीता इन बातों से अनजान अपने काम में व्यस्त मस्त रहती थी।
शंकर:-  “मीता! आज फूल कुछ कम लग रहे हैं ! थोड़े तुलसी के पत्ते और फूल लेकर आओ।”
मीता:- “जी !”
फूल और तुलसी के पत्ते देते हुए मीता का हाथ शंकर के हाथों को छू गया।
शंकर:- “यह क्या किया ? अब फिर से नहाना पड़ेगा! सब खराब कर दिया!” मीता घबरा गई और दो कदम पीछे हट गई।
मीता का स्पर्श शंकर को रोमांचित कर गया। वह खुद को बहुत पुलकित महसूस कर रहा था और उसकी नजरें मीता को तलाश रही थी। इधर मीता डांट के डर से शंकर के सामने जाने से डर रही थी। अब शंकर किसी ना किसी बहाने से मीता को छूने का प्रयास करता और फिर उसे झिड़की देकर नहाने चला जाता। मीता अब उसके सामने जाने से बचती। उसके आने के पहले ही फूल सीढ़ियों पर रख कर चली जाती। एक दिन शंकर ने मीता को बुलाया और पूछा, “क्यों मीता आजकल दिखाई नहीं देती हो? जल्दी फूल रखकर चली जाती हो? फूल मुरझा जाते हैं ऐसे फूल भगवान को कैसे चढ़ाऊं?”
मीता कुछ बोली नहीं बस अपने पैर के अंगूठे को देखती रही।
शंकर:- “कल से ताजे फूल लाकर देना समझी।”
मीता ने सुकून की सांस ली कि पंडित जी ने डांटा नहीं।
अब रोज की दिनचर्या हो गई थी मीता फूल लाकर सीढ़ियों पर रख देती और शंकर फूल लेने के बहाने उससे बातें करता।
सुबह बगीचे में से फूल चुनकर सीढ़ियों पर रखते हुए मीता ने पंडित जी को आवाज लगाई लेकिन प्रत्युत्तर में कोई जवाब नहीं आया। वो सोच में पड़ गई कि फूल ऐसे रख कर जाऊंगी तो पंडित जी नाराज होंगे। वह कुछ देर तक रुकी रही फिर आवाज लगाई लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। थोड़ी देर में पुराने पंडित जी दिखाई दिए।
पंडित जी:- “अरे मीता! यहां क्या कर रही हो इस समय?”
मीता:- “जी, फूल देने आई थी मगर महाराज जी दिखे नहीं तो रुक गई।”
पंडित जी:- “अच्छा ठीक है, तुम जाओ मैं फूल ले लेता हूं।”
मीता:- “आज वह महाराज नहीं आये हैं क्या?”
पंडित जी:- “हां, शंकर को बुखार हो गया है, वो घर पर आराम कर रहा है।”
मीता:-  “जी !”
पंडित जी:- ” तेरी मां को शंकर के यहां भेज देना। घर गंदा पड़ा है तो वह साफ सफाई कर देगी।
मीता:- “जी !”
मीता:- “मां! बड़े पुजारी जी कह रहे थे कि आपको शंकर महाराज के घर की साफ सफाई के लिए जाना है।”
मां:- “नहीं, मैं नहीं जा पाऊंगी। आज काम के बाद बाजार से सब्जी और राशन लाना है और गैस का बाटला खत्म हो गया है तो वो भी लाना है। आज मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं है। ऐसा कर आज तू ही काम करके आ जा।”
मीता:-  “ठीक है।”
मीता शंकर के घर की ओर निकल जाती है। घर पहुंचते ही मीता शंकर को कंबल ओढ़े हुए देखती है।शंकर:- “कौन है?”
मीता:-  “महाराज जी मैं हूं मीता। घर की सफाई करने आई हूं।”
शंकर:- “ठीक है कर लो” और शंकर उसे काम करते हुए देखता रहता है। उसकी नजरें उसके चेहरे से हटकर उसके पूरे शरीर का मुआयना कर रही थी। मीता का ध्यान नहीं था शंकर पर। वह अपने काम में व्यस्त थी। शंकर के लिए अपने ऊपर नियंत्रण रख पाना मुश्किल हो गया था। वह उठा और मीता को पीछे से पकड़कर उठा लिया। मीता घबरा गई।
मीता:- “पंडित जी ! आप मुझे क्यों छू रहे हैं? ऐसे क्यों पकड़ रहे हैं?”
शंकर:- “कुछ नहीं, घबराओ मत! मैं कुछ नहीं कर रहा। तुम बहुत सुंदर हो, थक गई होगी लो पानी पियो” और उसने मीता को पानी दिया। मीता ने डरते हुए, सकुचाते हुए पानी का ग्लास हाथ में लिया।
शंकर:- “देखो! तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो लेकिन लोकलाज के डर से मैं तुम्हें कुछ नहीं कहता और इसी डर से मैं तुम्हें अपना भी नहीं सकता। क्या ही अच्छा हो कि तुम मेरी पत्नी बन जाओ। क्या तुमने गंधर्व विवाह का नाम सुना है?”
मीता:-  “वो क्या होता है?”
शंकर:-  “जिसमें दो लोग अपनी इच्छा से ईश्वर को साक्षी मानकर विवाह कर लेते हैं।”
मीता:- “जी, नहीं सुना है”।
शंकर:- “आओ हम दोनों गंधर्व विवाह कर लें।”
मीता कुछ सोच समझ नहीं पा रही थी। वह बाहर जाने के लिए मुड़ी तो शंकर उसका हाथ पकड़ लिया और उसके कान के पास जाकर फुसफुसा कर कहा, “आज से तुम मेरी पत्नी हो और महाराज की आज्ञा तुम्हें माननी पड़ेगी।”
मीता कुछ समझ नहीं पा रही थी और डर से विरोध भी नहीं कर पा रही थी। शंकर उसे अपने बाहुपाश में लेकर अपने जाल में फंसा रहा था और मूक जानवर की तरह मीता का वध हो रहा था। कुछ दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा। वह उसे घर की साफ सफाई के बहाने बुलाते रहता और उसका शोषण करता रहा। कुछ दिनों बाद मीता के पैर भारी हो गए। उसे उल्टियां आने लगी और जी मिचलाने लगा। मां को चिंता हुई तो वह उसे डॉक्टर के पास ले गई।
डॉक्टर:- “आपकी बेटी की शादी हो गई है?
मीता की मां:- “नहीं! क्यों? आप ऐसा क्यों पूछ रही हैं?”
डॉक्टर:- “उम्र काफी कम है इसकी लेकिन आप लोगों में बेटियों की शादी जल्दी कर देते हैं इसीलिए पूछा। यह पेट से है।”
मीता की मां:- “क्या!”
मीता की मां के पैरों तले जमीन सरक गई। मां – बेटी दोनों घर लौट कर आ गईं।
मां:- “बता कौन है वह? कहां मुंह काला करती फिर रही है? बता! नहीं तो मार डालूंगी?
मीता:- “मां, वह मंदिर के पुजारी… उन्होंने मुझसे शादी की है।”
मां के तन बदन में आग लग गई और दो चार थप्पड़ रसीद दिये मीता को और सर पकड़ कर बैठ गई। दुख और क्रोध के कारण आंसू निकलने लगे। जब पिता को सब बात पता चली तो वह तनाव में आ गए। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें। दोनों पति – पत्नी ने शंकर पंडित के पास जाने का निश्चय किया। अगले दिन दोनों पति-पत्नी डरते हुए बड़े पुजारी के पास गये और उन्हें सारी बातें बताईं। पंडित जी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने मीता को बुलवाया।
बड़े पुजारी:- “क्यों मीता यह तेरे मां बाऊजी जो कह रहे हैं क्या वह सही है?”
(मीता सिर झुकाए हुए) “जी!”
पंडित जी:- “तुम्हें शर्म नहीं आती ऐसी ओछी बात करते हुए? तुम्हें अंदाजा है कि इसका नतीजा क्या होगा?”
मीता कुछ नहीं बोली। वह नीचे बैठ कर रोने लगी। पंडित जी ने शंकर को बुलवाया और उससे सारी हकीकत जाननी चाही।
बड़े पंडित:- “शंकर! मीता कह रही है कि तुमने उससे शादी की है? वह गर्भवती है, क्या यह सही है?”
शंकर:- “नहीं महाराज ! यह सरासर झूठ बोल रही है। मैं तो इसके हाथ का छुआ पानी भी नहीं ले सकता। इसके हाथ से फूल माला भी नहीं लेता। मैं तो इससे दूरी बनाकर रहता हूं फिर इससे शादी की बात कैसे सोच सकता हूं?”
मीता अवाक सी शंकर का मुंह देखती रह गई। मीता के माता-पिता दुखी हो गये। उन्हें पता था कि यही होने वाला है।
पंडित जी:- “देखो! शंकर झूठ नहीं बोल सकता, मैं उसे जानता हूं। तुम लोग मीता से ही पूछताछ करो कि कौन है वह व्यक्ति और मीता तुम मंदिर आना बंद कर दो अभी तुम्हारी जरूरत नहीं है।”
तीनों व्यक्ति दुखी मन से घर वापस आ गए। मीता की मां ने मीता को फिर से भला बुरा कहा और मारा। दुख और क्रोध कम नहीं हो रहा था और कुछ उपाय भी नहीं दिख रहा था। पिता ने बहुत सोच-विचार कर बड़ी हिम्मत करके अगले दिन पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने की ठानी।
अगले दिन वह पुलिस चौकी पहुंच गए।
मीता के पिता:- “साब शिकायत लिखवानी है।” इंस्पेक्टर:- “किसके खिलाफ? क्या केस है?”
पिता:- “जी, मंदिर के पुजारी के खिलाफ।” इंस्पेक्टर चौंक गया फिर उसने पूछा कि क्या मामला है।
पिता:- “जी, शंकर पंडित ने बहला-फुसलाकर मेरी लड़की के साथ दुराचार किया है और अब वह अपनी बात से मुकर रहा है” और सारी घटना की जानकारी इंस्पेक्टर को दी।
इंस्पेक्टर जानता था कि पुजारी से पंगा लेना ठीक नहीं है। उसने मीता के पिता को डांट कर भगा दिया और शिकायत दर्ज नहीं की साथ ही धमकी भी दी यदि चुप नहीं रहे तो इसका नतीजा बुरा होगा।
इंस्पेक्टर:- “तुम जैसे लोग पैसा बनाने के लिए कितना नीचे गिर जाते हो! जाओ यहां से नहीं तो अंदर कर दूंगा। तुम्हें भी और तुम्हारे पूरे परिवार को भी।
मीता का पिता अपमानित होकर घर आ गय। कुछ ना कर पाने का दुख और माथे पर कलंक लेकर और बेटी के जीवन का सत्यानाश होते देख कर रोने लगा। कुछ ही दिनों में सबके सामने यह बात खुल जाने वाली थी। यह सोचकर वह अपना सामान बांधने लगा और दूसरे शहर जाने की तैयारी करने लगा क्योंकि इसके सिवा उसके पास कोई चारा नहीं था। – प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में डी जी कॉलेज में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 7 मार्च भारतीय स्वरूप संवाददाता,  अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर डी जी कॉलेज, कानपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई तथा सेंचुरी क्लब के संयुक्त तत्वाधान में डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में छात्राओं ने भारत में सितंबर, 2023 में होने जा रहे जी-20 के सम्मेलन में W20 के अंतर्गत *महिला सशक्तिकरण* की थीम को केंद्रित करते हुए फैशन शो, रैंप वॉक, बॉलीवुड डांस व गानों के द्वारा समा बांधा। कु दीक्षा को बेस्ट साड़ी, कु सौम्या को ऑल राउंडर अवार्ड दिया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा जी ने की। उन्होंने अपने वक्तव्य मैं छात्राओं के द्वारा किए गए प्रयासों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कार्यक्रम अधिकारी को शुभकामनाएं व बधाई दी। इस अवसर पर डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ श्वेता गोंड भी उपस्थित रही। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। आकांक्षा अस्थाना, दीपा आदि का सहयोग सराहनीय रहा।

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कलेक्ट्रेट सभागार में जनपद के बैंकों की जिला स्तरीय समिति की समीक्षा बैठक संपन्न

1 मार्च, 2023 कानपुर नगर। जिलाधिकारी विशाख जी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में जनपद के बैंकों की जिला स्तरीय समिति की समीक्षा बैठक संपन्न हुई। बैठक के दौरान पी.एम.ई.जी.पी. योजना, एक जनपद एक उत्पाद योजना, पी०एम० स्वनिधि योजना, के.सी.सी.(फसली ऋण) योजना के साथ-साथ विगत बैठक में दिए गए निर्देशों की समीक्षा की गई।
समीक्षा बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निम्नलिखित निर्देश दिए:-
 किसान क्रेडिट कार्ड (के०सी०सी०): पशुपालकों एवं मत्स्य पालाकों को किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान किए जाने एवं अन्य सरकारी योजनाओं में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा ऋण स्वीकृति एवं वितरण का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम होने एवं ऋण अस्वीकृति का प्रतिशत सर्वाधिक होने के कारण मुख्य विकास अधिकारी को निर्देशित किया गया कि वह बैंक की खराब प्रगति के संबंध में आंतरिक जांच कराए जाने हेतु भारतीय स्टेट बैंक के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाए।
 अग्रणी जिला प्रबंधक एवं जिला स्तरीय समिति के समस्त सदस्य यह सुनिश्चित करें कि आवेदनकर्ता एवं संबंधित विभाग द्वारा जिस योजना के तहत ऋण प्रदान करने के आवेदन का अग्रसारण किया गया है, उसी योजना में ऋण स्वीकृत किया जाए। कोई भी बैंक ऋण प्रदान करने हेतु योजना परिवर्तित नहीं की जाएगी।
 एक जनपद एक उत्पाद योजना उत्तर प्रदेश सरकार की एक अति महत्वाकांक्षी योजना है, जिसमें कानपुर नगर जनपद के लिए चमड़े एवं होजरी उद्योगों को सम्मिलित किया गया है। इस योजनांतर्गत जिला उद्योग केंद्र द्वारा प्रेषित आवेदनों के सापेक्ष बैंक ऑफ बड़ौदा, यूको बैंक, इंडियन बैंक का ऋण स्वीकृति कम होने पर रोष व्यक्त किया गया एवं लंबित आवेदनों पर शीघ्र आवश्यक कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए गए।
 पी०एम० स्वनिधि योजना के अंतर्गत बैंक ऑफ इंडिया, बड़ौदा यू.पी. बैंक, कैनेरा बैंक एवं भारतीय स्टेट बैंक के पास लंबित ऋण आवेदनों को एक सप्ताह के अंदर निस्तारित कराए जाने के निर्देश दिए गए।
 जिला उद्यान अधिकारी को निर्देशित किया गया कि वह प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना अंतर्गत ऋण प्राप्त करने वाली 05 इकाईयों का निरीक्षण कर बेस्ट प्रैक्टिस के संबंध में आख्या फोटोग्राफ सहित उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
उक्त बैठक में मुख्य विकास अधिकारी श्री सुधीर कुमार, अपर जिलाधिकारी(नगर) अतुल कुमार, अग्रणी जिला प्रबंधक, मुख्य पशुचिकित्साधिकारी एवं अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ बैंकों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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एस एन सेन बालिका महाविद्यालय की छात्रा कु सुनीता पाल को मिला मिनी मैराथन में प्रथम स्थान

कानपुर 1 मार्च भारतीय स्वरूप संवाददाता, 17वीं बटालियन यू. पी. गर्ल्स (एन.सी.सी) द्वारा आयोजित मिनी मैराथन प्रतियोगिता जिसमें विभिन्न कॉलेजों से आए लगभग 400 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, इसमें कड़ी टक्कर देकर प्रथम स्थान एस एन सेन बालिका महाविद्यालय की छात्रा कु सुनीता पाल ने अपने नाम किया व महाविद्यालय का नाम पूरे प्रदेश में रोशन किया।राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के आयोजन पर महाविद्यालय की एन.सी.सी. यूनिट से जुड़ी छात्रा कैडेट सुनीता पाल को प्राचार्या द्वारा प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित किया गया। मीडिया प्रसार प्रभारी डॉ प्रीति सिंह ने बताया महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ सुमन ने घोषणा की कि इस प्रकार की मेधावी छात्रावों की पढ़ायी में महाविद्यालय उनकी फ़ीस , पुस्तकों आदि की भरपूर मदद करेगा….. बस तुम दौड़ो नहीं उड़ो अब

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एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में विज्ञान दिवस मनाया गया

कानपुर 28 फरवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज के विज्ञान संकाय द्वारा विज्ञान दिवस पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका शीर्षक कला एवं विज्ञान में संबंध रहा।संगोष्ठी का शुभारम्भ प्राचार्या डॉ सुमन की औपचारिक घोषणा के साथ हुआ ।रोहैलखंड विश्वविद्यालय के बिजनौर में स्थित आर बी डी कॉलेज से आई डॉ शताक्षी चौधरी मुख्य अतिथि रहीं।उन्होंने अपने व्याख्यान “कला और विज्ञान में सम्बन्ध”में विज्ञान और कला के सम्बन्ध को उजागर करते हुए कहा कला और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं एक के बिना दूसरे की कल्पना भी नहीं की जा सकती । डॉ रचना निगम ने अपने व्याख्यान में भी विज्ञान के साथ कला को जोड़ा ।मंच संचालन जंतु विज्ञान की प्रवक्ता कुमारी जेबा अफ़रोज़ ने किया ।विज्ञान संकाय की प्रोफेसर डॉ गार्गी यादव,डॉ प्रीति सिंह डॉ शिवांगी यादव डॉ शैल बाजपेयी डॉ अमिता सिंह डॉ समीक्षा सिंह ने सक्रिय सहभाग किया इस अवसर पर संपूर्ण महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा।

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