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दिल तोड़ने से पहले सोच लेना …इसमें तू ही रहता है

तोड दे तू चाहे ..मुझे हर तरह से … पर मेरा दिल तोड़ने से पहले ज़रा सोच लेना …इसमें मैं नही तू रहता है
आप का सारा पूजा पाठ का फल निष्फल हो जाता है जब कोई भगवान के भक्त को या किसी भोले इन्सान के मन को दुख पहुँचाता है बात पुरानी मगर सच है। मैं जानती थी पूरो बीजी को , सब उन्हें बीज़ी कहा करते थे। पूरो एक अच्छे घराने की लड़की ,मगर कम पढ़ी लिखी थी ।उसकी शादी एक सुन्दर पढे लिखे नौजवान से हो जाती है। पूरो सोचा करती, उसका पति इतना सुन्दर ,और उसका अपना रंग साँवला सा,क्या उस का पति उसको प्यार दे पायेगा। मगर कहती कुछ नहीं। ख़ुशी से अपनी गृहस्थी चला रही थी।वक़्त बीता ..पूरो के दो बेटियाँ और एक बेटा हुआ। पूरो के पति का राजाओं की तरह रहन सहन था।लखनऊ में होटल था।इक अपनी ड्रामा कंपनी थी और उनका बहुत अच्छा कपड़ों का कारोबार भी था। अक्सर पूरो से कहा करते कि मैं अपनी बेटियों को जयपुर के महाराजाओं के बच्चों के साथ पढ़ाई करवाऊँगा। अपने बच्चों को होटलों में ले ज़ाया करते और इंगलिश तौर तरीक़े सिखाते। बैडमिंटन क्रिकेट और पोलो खेलना तो शौक था उनका। उनका बेटा बढ़ा था ,बेटियाँ छोटी थी अभी।पूरो की छोटी बेटी रतना अभी तीन साल की थी तो पूरो के पति को हैज़ा हो गया। हैज़ा ही उनके गुज़रने की वजह बन गई।पूरो को पढ़ी लिखी न होने की वजह से अपने ससुर और देवर देवरानी के साथ रहना पढ़ा।देवरानी बहुत झगड़ालू क़िस्म की औरत थी।हर बात में पूरो को नीचा दिखाने की कोशिश में रहती।आप ऊपर मकान में रहती थी और नीचे मकान में छोटे से कमरे में पूरो के परिवार को रख दिया। जहां पूरो की रसोई हुआ करती थी वहाँ इक नाली निकला करती जो ऊपर के आया करती थी, जहां उसकी देवरानी का गुसलखाना था,जैसे पहले वक़्तों में हुआ करता था जब भी पूरो धूप बती करके अपने बच्चों को खाना खिला रही होती ,अक्सर उसी वकत उस नाली को शौच की तरह भी इस्तेमाल करती।रब को मानने वाली पूरो ,मुँह से तो कुछ नहीं कह पाती ,मगर अपने रब से शिकायत रोकर कर दिया करती। दिन बितने लगे ,पूरो की बेटियाँ बढ़ी हो गई। अच्छे घरों में शादी करके चली गई। पूरो के बेटे की भी शादी हो गई। फिर पूरो बेटे और बहू के साथ किसी दूसरे घर में चली गई। दोस्तों! जो जैसा करता है ,उसको फल वैसा ही मिलता है मगर इन्सान सोचता है।कर लो ,जो भी करना है आगे किस ने देखा है । मगर भूल जाता है कि चाहे अगर कोई भगवान के मंदिर मस्जिद को तोड़ दे ,भगवान उसे तो माफ़ कर देगा मगर जो कोई उसके भक्त को रूला दे,या उसका दिल दुखा दे या फिर उससे कोई बल छल करे तो रब उसे कभी माफ़ नहीं करता।
ये इक ऐसा सच है जो आज नहीं तो कल ..देखने को मिल ही जाता है। और यहाँ भी कुछ ऐसा ही हुआ। पूरो तो वहाँ से अपने बेटे के साथ चली गई,और उधर पूरो की देवरानी के घर ग़रीबी और दुखों का बसेरा हो गया। पूरो की छोटी बेटी रतना सब पुरानी बातें भुला कर अपनी चाचा चाची को मिलने ज़ाया करती। जो भी अपनी माँ पूरो को देती ,वही अपनी चाची को भी देती।चाचा चाची के घर ग़रीबी देख कर ,कभी पैसों से ,कभी दवाइयों से उनकी मदद कर दिया करती,क्यूँकि रतना का पति डाक्टर था। इक रोज़ चाची रतना के सामने रो पड़ी और माफ़ी माँगने लगी कि मैंने तुम्हारी माँ के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया है और तुम मुझे अपनी सगी माँ तरह प्यार करती हो और इस पर रतना अपनी चाची और चाचा को गले लगा लेती। वक़्त का पहिया चल रहा था तो इक रोज़ पता चला कि देवरानी की एक बेटी को कैंसर हो गया और वो भरी जवानी में चल बसी और दूसरी बेटी कमला का पति इंग्लैंड चला गया और वहाँ उसने खुद को सैटल करने लिए दूसरी शादी कर ली।
इक रोज़ सास ससुर ने कमला को घर से निकाल दिया।किसी ने कहा कि कमला की भी दूसरी शादी कर दो।जल्दी ही एक 70 साल के आदमी से उसकी भी शादी इंग्लैंड में कर दी गई जो इक शराबी था। वहाँ इंग्लैंड में मेहनत करके कमला ने अपनी बेटियों की शादी कर दी ।दो साल बाद कमला का दूसरा पति भी गुज़र गया,फिर अकेली अपने दूसरे पति के बच्चों के पास रहने लगी।वहाँ उसे तिरस्कार मिलता ,बातें सुननी पड़ती। कभी कभी बैठे बैठे अपनी माँ को कोसती कि जैसे अब मैं तंग हो रही हूँ ठीक ऐसे ही उसकी माँ ने पूरो ताई को तंग किया था, मगर वक़्त निकल चुका है। दोस्तों बात यहाँ भी ख़त्म नहीं हुई इक रोज़ रतना अपनी चाची चाचा को मिलने गई तो देखा चाचा को स्ट्रोक हो गया था और चाची चल नहीं सकती थी रेंग रेंग कर ज़मीन पर चला करती। ये दुर्दशा देख कर रतना को बहुत दुख हुआ था। चाचा चाची का बेटा भी गुज़र गया था। सो सोचो दोस्तों ! क्या खटा चाचा चाची ने ? जितना बुरा किया था पूरो के साथ ,उससे कही अधिक बुरा उसे वापस मिला।
बात आज की हो, या पुरानी।भुगतना तो पड़ेगा ही सबको कभी न कभी।ये सोच ग़लत है कि शायद उनके साथ हुआ है हमारे साथ नहीं होगा। सब की बारी आती हैं ,जो बोया है वही काटने की। जब समझ में आयेगा ,तो वक़्त निकल चुका होता है। उधर पूरो ने अपनी सारी उम्र पूजा पाठ में लगा दी । मरते दम तक गुरू के घर में सेवा करती रही ….🙏स्मिता केंथ